पड़ोस वाली भाभी को चोदने की चाहत- 1

प्रणय अग्रवाल

17-09-2021

175,140

बेंगाली भाभी सेक्स स्टोरी मेरे पड़ोस में रहने वाली भाभी की है. एक दिन भाभी के भीगे ब्लाउज में चूचियां साफ दिख रही थी। इससे मैं भाभी की चुदाई चाहने लगा.


मैं राज, जालना (महाराष्ट्र) से हूं। मैं पहली बार अन्तर्वासना पर मेरे साथ घटित बेंगाली भाभी सेक्स की सत्य घटना पर स्टोरी लिखने जा रहा हूं। आशा करता हूं आप सभी को पसंद आएगी ये कहानी!


मेरी उम्र 35 साल है। 2012 में मेरी शादी हुई थी। मेरे दो बच्चे हैं। मेरी शादीशुदा जिन्दगी अच्छी चल रही है। हमारा खानदानी घर है और पैसे की भी कोई कमी नहीं है।


यह बात कुछ दो साल पहले की है, यानि साल 2019 की … वह मई का महीना था, दोपहर का समय था और मैं अपने घर की बालकनी में बैठा था।


अचानक मेरी नजर मेरी पड़ोस वाली भाभी पर गई, जिनका नाम शोनाली था. वह दोपहर में नहायी होगी शायद और इसलिए अपने बाल बाहर बरामदे में आकर सुखा रही थी। गीले बालों की वजह से उनका ब्लाउज भी आधा गीला हो चुका था।


वैसे भी मई के महीने की गर्मी थी तो पसीने से भी ब्लाउज आधा भीग चुका था। भीगे ब्लाउज में उनकी चूचियां साफ उभरी हुई दिख रही थीं जिनको देखकर मेरे अंदर कामुक विचार आने लगे।


उनकी उम्र लगभग 35 साल के करीब थी मगर दिखने में वो जैसे 25 की ही लगती थी। भाभी के दो बच्चे भी थे।


उनके पति महेश एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर काम कर रहे थे। भाभी घर पर रहकर ही बच्चों को संभालती थी। ये लोग बंगाल के किसी छोटे कसबे से यहाँ महाराष्ट्र में आये थे.


तो उस दिन दोपहर में भाभी को देखने के बाद मेरा उनके प्रति देखने का नजरिया बदल गया. शोनाली भाभी मेरी पत्नी की सहेली थी और इस नाते से वह घर पर अक्सर आती जाती रहती थी.


मैं उस दिन के बाद भाभी से बात करने का या हाय-हैल्लो करने का कोई मौका नहीं छोड़ता था.


कुछ दिन बाद मेरी बीवी अपने मायके चली गई. मैं भी काम में व्यस्त हो गया.


फिर एक दिन ऐसा हुआ कि रात का वक्त था। महेश भैया को किसी काम से बाहर गांव जाना था। मैं अपनी बालकनी में बैठा था और मेरी किसी व्यापारी से फोन पर बात चालू थी।


इतने में मुझे महेश भैया की आवाज आयी। वो भाभी से बोल रहे थे कि कंपनी वाला आदमी भी नहीं आ रहा है, बाहर कोई रिक्शा भी नहीं दिख रहा है, मेरी ट्रेन का समय हो रहा है मैं कैसे जाऊं?


यह सुनते ही मैंने आवाज दी- भैया, मैं आपको छोड़ देता हूं. वैसे महेश की उम्र मुझसे दो साल ही ज्यादा थी, मगर मैं उसे हमेशा भैया ही कहता था.


जैसे ही मैंने कहा तो महेश भैया बोले- ठीक है, चल तू ही छोड़ दे. मैं फोन काटकर नीचे आया, अपनी बाइक निकली और उनके घर के सामने लगा दी।


उन्होंने भाभी को बाय बोला और हम चलने के लिए तैयार हो गए। भाभी दरवाजे में खड़ी बाय कर रही थी।


उस दिन भाभी ने ब्लू कलर की साड़ी पहनी थी. मैं चोर नजर से बेंगाली भाभी को देखता रहा।


फिर हम घर से रेलवे स्टेशन के लिए निकले। रास्ते में एक जगह सिगरेट पीने के लिए रुके। हम सिगरेट पी रहे थे कि मैंने भैया से पूछा- अंकल और आंटी नहीं दिख रहे घर में आपके, क्या बात है?


भैया बोले- वह लोग घूमने गए केरल में! पांच दिन बाद आएंगे, मेरा भी कंपनी ने अर्जेंट प्रोग्राम बना दिया वर्ना शोनाली को अकेली छोड़कर नहीं जाता.


ये सुनकर मैं मन ही मन खुश हो गया। कहीं न कहीं मेरे मन में यही बात थी कि अगर शोनाली से अकेले में कुछ बात करने का मौका मिले तो शायद उसके साथ कुछ काम सेट हो जाए।


फिर हमारी सिगरेट ख़त्म हुई और हम स्टेशन की ओर निकल चले।


ट्रेन आई और मैंने भैया को बाय करके विदा किया। फिर मैं बाहर आने लगा।


अब मैं भाभी के बारे में सोचते हुए स्टेशन के बाहर निकला और घर की ओर निकल पड़ा.


घर पहुंचा तो मेरी गाड़ी की आवाज सुनकर भाभी बाहर आई और थैंक्स बोलकर चली गई. मैं अपने रूम में गया।


मेरी बीवी तो मायके गई हुई थी।


मैंने भाभी को ख्यालों में सोचा और इस बारे में सोचते हुए कि भाभी घर में अकेली है मैंने ख्यालों में ही उसकी चूचियों को भींचा, उसके बदन को चूमा, भाभी को नंगी किया, उसकी चूत में उंगली की और फिर चूत को चाटकर उसकी चूत में लंड देकर चोद भी दिया।


इतने में ही मुठ मारते हुए मेरा वीर्य भी निकल गया। तब जाकर मुझे थोड़ी बहुत संतुष्टि हुई।


उसके बाद मुझे नींद आ गई और मैं ऐसे ही सो गया।


अगली सुबह नींद जल्दी खुल गई, मैं रूम के बाहर बालकनी में आया।


मैंने देखा तो भाभी आंगन में झाड़ू मार रही थी। उनका गाउन थोड़ा ढीला था इसलिए मुझे अन्दर का नजारा दिख रहा था।


मैं किसी की परवाह किए बगैर सामने का नजारा देख रहा था. सामने मुझे भाभी के बूब्स उनकी नाइटी में झूलते हुए दिख रहे थे।


भाभी के बूब्स जितना मैंने सोचा था उससे भी बड़े दिख रहे थे. मेरा तो दिन बन गया था.


भाभी की नजर मुझ पर पड़ी, उन्होंने मेरी नज़रों को देख लिया। फिर वह जल्दी से पलटी और झाड़ू रख कर भीतर चली गई.


थोड़ी देर बाद मैं नहा धोकर दुकान के लिए निकल रहा था कि भाभी की आवाज आई।


मैंने जल्दी से बाहर जाकर पूछा- जी भाभी, क्या बात है, आपने पुकारा क्या? वो बोली- अरे राज, जरा बाहर से मेरे लिए नाश्ते का सामान ला दो। मेरे बच्चे अभी उठे हैं, मैं छोड़कर नहीं जा सकती तो तुम ले आओगे क्या? मैंने कहा- जी भाभी, अभी लाया।


मैं नाश्ता लेकर आ गया। वो पैसे देने लगी तो मैंने मना कर दिया और कह दिया- अरे भाभी … आपके पैसे, मेरे पैसे सब एक ही बात है। वैसे भी भैया बोलकर गए थे कि मेरे पीछे से भाभी का ख्याल रखना।


वैसे भैया ऐसा कुछ नहीं बोलकर गए थे। मैंने अपने से ही भाभी के सामने बात बना दी थी ताकि उसका विश्वास मेरे ऊपर बढ़ जाए। मैं किसी भी तरह शोनाली भाभी को पटाकर उसके साथ सेक्स करने के लिए उतावला हो रहा था।


मैं उनके घर से आया और दुकान के लिए निकला।


दोपहर में जब खाना खाने आया तो भाभी बाहर ही खड़ी थी। मैंने उनको हैलो बोला और बात करने लग गया.


बात करते करते पता चला कि वह रात में पिज़्ज़ा बनाने वाली हैं, तो मैंने उनसे कहा कि पिज़्ज़ा मेरा फेवरेट है, तो उन्होंने सहज कह दिया आ जाना रात में खाने पर, मुझे कोई परेशानी नहीं है।


मैं भी इसी मौके की तलाश में था, मैंने खुश होकर भाभी को हां कहा और फिर वहां से चला गया।


खाना खाकर मैं अपनी दुकान पर चला गया और शाम होने का इंतजार करने लगा।


जब से भाभी ने रात में अपने घर बुलाने की बात की थी, तब से मेरा लंड बार बार खड़ा हो रहा था। भाभी को चोदने के ख्याल से उसमें बार बार पानी आ रहा था।


फिर रात को 8 बजे के आस-पास मैं दुकान से घर आया। मैं फ्रेश हुआ और मम्मी को बोला कि मैं आज शोनाली भाभी के यहां पिज़्ज़ा खाने जा रहा हूं. मम्मी ने हां कहा और मैं भाभी के घर के लिए आ गया।


मैंने बेल बजाई और शोनाली भाभी ने दरवाजा खोला।


भाभी ने आज क्रीम कलर की ड्रेस पहनी हुई थी और उसका गला काफी डीप था। भाभी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. मेरा कमीना दिमाग फौरन भाभी को नंगी करके चोदने का सोचने लगा।


मैं घर में अंदर गया तो बच्चे दिखाई नहीं दिए। मैंने भाभी से पूछा तो उन्होंने बताया कि वो दिनभर खेलकर थक गए थे इसलिए 7 बजे ही खाना खाकर सो चुके हैं।


उसके बाद मैं उनके पीछे पीछे किचन में चला गया। वो मेरे लिए पिज्जा परोसने लगीं।


उसके बाद मैं वापस आ गया और पीछे पीछे भाभी भी पिज्जा लेकर आ गई।


हम लोग साथ में पिज़्ज़ा खाने लगे, पिज़्ज़ा ज्यादा अच्छा नहीं था लेकिन मैं उससे ज्यादा ही तारीफ कर रहा था भाभी को खुश करने के लिए।


खाने के बाद हम लोग हॉल में आए और सोफे पर बैठ गए। ऐसे ही बातें करते रहे।


थोड़ी देर बातें करने के बाद भाभी एकदम से बोली- तुम्हारी वाइफ कब आने वाली है? मैंने कहा- मुझसे ज्यादा तो वो आपसे बातें करती होगी। अभी तो नहीं आ रही शायद। बाकी आप खुद ही पूछ लेना उससे!


भाभी हैरानी वाली नजर से देखने लगी और बोली- कैसे पति हो तुम राज … तुम्हें अपनी बीवी की याद नहीं आती क्या? मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है भाभी। याद भी आती है और रोज दो बार उससे बात भी होती है।


फिर मैंने इस बात का फायदा उठाने की सोची और बोला- आप भी तो शादीशुदा हो, पार्टनर के बिना रात को नींद कैसे आएगी, आपको भी तो भैया के बिना नींद नहीं आती होगी? है न भाभी?


वो इस बात पर हंसी और मजाक में डांटते हुए बोली- बहुत बातें करने लगे हो तुम … थोड़ी तो शर्म कर लिया करो। मैंने ध्यान दिया कि भाभी मेरी लोअर की ओर देख रही थी।


ये देखकर मुझे बहुत खुशी हुई, जिस बात की ओर मैं भाभी का ध्यान खींचना चाहता था वो मेरा काम हो गया था। मेरा तीर सही निशाने पर लगा था।


फिर वो बोली- मुझे तो जब वो घर में होते हैं तो नींद आती ही नहीं, इतनी जोर से खर्राटें लेते हैं। इस पर हम दोनों ही हंस पड़े और भाभी ने मजाक में हंसते हुए मेरी जांघ पर हाथ रख दिया।


भाभी के हाथ का टच पाते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा। देखते ही देखते मेरा लंड मेरी लोअऱ में तन गया।


मैं ये नहीं चाहता था लेकिन भाभी के छूने के बाद लंड ने मेरी एक न मानी।


वो अपनी बात पूरी करने लगी- तुम्हारे भैया ने तो अभी तक एक फोन नहीं किया है मुझे गांव पहुंचकर … कि हालचाल ही पूछ लें। उलटा मैंने ही उनको मैसेज भेजा।


फिर मैंने ऐसे ही उन्हें छेड़ते हुए कहा- अगर मेरी बीवी आप जैसी सुन्दर होती तो में कहीं जाता ही नहीं. भाभी थोड़ा हंसी और उठकर फिर किचन में कुछ काम से गई।


कुछ देर बाद वो वापस आई और फिर मेरी बाजू में आकर बैठ गई। एसी चालू होने की वजह से बाहर की गर्मी तो नहीं लग रही थी, मगर भाभी के बाजू में बैठने से मेरे पसीने छूट रहे थे.


हमारे बीच में बहुत सारी बातें हुईं और ऐसे ही फिर रात के 11 बज गए।


आखिर में होते होते सेक्स की बातें होने लगीं। मैंने भाभी से पूछा- तो भाभी हफ्ते में कितनी बार? इस सवाल पर वो बोली कुछ नहीं मगर उंगली से इशारा किया- एक बार।


फिर उन्होंने पूछा- तुम कितनी बार? मैंने झूठ ही कह दिया- लगभग रोज ही हो जाता है।


भाभी एकदम अजीब नज़रों से मुझे देखने लगी। मैंने भाभी की भूख का अंदाजा लगाया; शायद वो काफी प्यासी थी।


भाभी के व्यवहार से कभी ऐसा नहीं लगा था कि हम कभी ऐसे बात भी कर सकते हैं.


खैर बात करते करते हमारे हाथ आपस में टच हो गए। उन्होंने मेरी ओर देखा तो मैंने उनके हाथ को सहला दिया और मुस्करा दिया।


भाभी ने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया। फिर मैं उनके हाथ को दबाता रहा।


तभी भाभी बोली- यह क्या कर रहे हो? मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैंने जोश में आकर भाभी का हाथ पकड़ा और अपने तने हुए लंड पर रखवा दिया।


जैसे ही उनका हाथ मेरे लंड पर लगा उन्होंने हैरानी से मेरी ओर देखा। हम दोनों के चेहरे बहुत करीब थे। मैं अपने होंठों को उनके होंठों के पास ले जाने लगा और धीरे से उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।


पहले तो उन्होंने कुछ रेस्पोन्स नहीं दिया मगर एक दो बार उनके होंठों को चूमने के बाद वो भी मुझे किस करने लगीं।


बेशुमार किस करने के बाद हम एक दूसरे से लिपटने लगे और जैसे किसी और ही दुनिया में खोने लगे।


मैंने भाभी की कमर को पकड़ लिया और धीरे धीरे उसको सहलाते हुए उनकी ब्रा की पट्टियों तक हाथ को फिराने लगा। मेरे हाथ भाभी के चूचों के पास पहुंचने लगे।


फिर मैं उनका हाथ पकड़ कर अपनी लोअर में घुसाने लगा। उनका हाथ मेरे लंड पर लगा ही था कि उन्होंने एकदम से हाथ खींच लिया और अलग हो गई।


ऐसे लगा जैसे कि वो किसी नींद से जाग गई हो। उन्होंने कहा- राज, रात बहुत हो गई है, अब तुम्हें जाना चाहिए। अगर किसी ने देख लिया कि तुम इतनी देर रात तक मेरे घर में हो तो पता नहीं कोई क्या सोच लेगा।


मैंने भी उनकी बात पर ध्यान दिया। हवस में मैं भी ये भूल गया था कि वो भी शादीशुदा है और मैं भी! फिर मैं मरे मन से अलग हो गया और वहां उठकर गेट के पास आ गया।


वो बोली- धीरे से खोलना गेट, किसी को पता न लगे कि तुम इतनी रात को यहां से निकल रहे हो। मैंने वैसे ही किया और धीरे गेट बंद करके नीचे आ गया।


मैंने बाहर आकर देखा कि भाभी ने लाइट बंद कर ली। वो शायद सोने चली गयी।


उसके बाद मैं अपने घर आ गया मगर मुझे अब कहां नींद आने वाली थी।


सारी वही बातें और भाभी के होंठों की किस मेरे दिमाग में घूम रही थी. मैं इतना उल्लू का पट्ठा था कि भाभी का नंबर भी नहीं था मेरे पास. बस फिर उनकी यादों में खो गया और कब नींद लग गई पता ही नहीं चला.


अगली सुबह मैं लेट उठा। मैं बालकनी में गया तो देखा कि भाभी और मेरी मम्मी बातें कर रहे थे. मैं थोड़ा डर गया।


फिर बातें सुनकर ऐसा लगा कि ऐसे ही नॉर्मल बातें कर रहे थे. तब मेरी जान में जान आई।


आपको मेरी बेंगाली भाभी सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना। मैं आपके ईमेल और कमेंट्स का इंतजार करूंगा। मेरा ईमेल आईडी है [email protected]


बेंगाली भाभी सेक्स स्टोरी अगला भाग: पड़ोस वाली भाभी को चोदने की चाहत- 2


अन्तर्वासना

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ