डॉक्टरनी और नर्स की चूत चुदाई का मजा- 2

असलम

16-07-2022

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हॉस्पिटल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने गाँव के अस्पताल में डॉक्टरनी की चूत और गांड मारी. उसके बाद वहीं की नर्स की चूत और गांड का भी मजा लिया.


हैलो फ्रेड्स, मैं असलम एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ.


कहानी के पहले भाग डॉक्टरनी की चूत चुदाई का मजा में अब तक आपने पढ़ा था कि डॉक्टर स्वाति ने मेरे लंड को चूसकर झाड़ दिया था और हम दोनों दारू व सिगरेट का मजा लेने लगे थे.


अब आगे हॉस्पिटल सेक्स कहानी:


मैंने फिर से स्वाति को मेरा लंड चूसने को दे दिया और दो मिनट में ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया.


वो लंड चूसती हुई कहने लगी- असलम, तेरा लंड बड़ा जानदार है. ये काफी मोटा लंड है. मैंने अब तक इतना मोटा लंड किसी का नहीं लिया है. मैंने स्वाति के दूध दबाते हुए उससे पूछा- अब तक तुमने कितने लंड चखे हैं?


वो हंस दी और बोली- अब तक मैं आठ लंड से चुद चुकी हूँ … तेरा नौ नम्बर का है. मैंने कहा- तब तो तूने पीछे से भी लिया होगा.


वो आँख दबा कर कहने लगी- तू चिंता मत कर मेरे शेर … पहले मेरी चूत की रबड़ी निकाल दे, फिर मालगाड़ी भी चलवा लूंगी. मैंने कहा- आज सारी रात मैं तेरी दोनों तरफ से चुदाई करूंगा और तेरी आग ठंडी कर दूंगा.


स्वाति लंड चूसती हुई बोली- हां, आज मेरा बड़ा मन है. तू आज मुझे पूरी रात चोद लेना. मैं मना नहीं करूंगी.


अब मैंने स्वाति को सीधा लेटा दिया और स्वाति के दोनों पैर चौड़े करके खुद घुटने के बल बैठ गया और स्वाति की चूत में अपना लंड सैट कर दिया.


उसे चूत में लंड लेने की जल्दी थी, तो उसने नीचे से अपनी गांड उठाकर लंड गटक लिया. मैंने भी पूरा लंड एक झटके में चूत के अन्दर तक पेल दिया और चोदने लगा.


स्वाति की चूत एक झटके में पूरा लंड लेने से चिर सी गई और उकी कराह निकल गई. मगर वो खेली खाई रांड थी तो जल्द ही सामान्य हो गई और मेरे लंड से मजे लेकर चूत चुदवाने लगी.


उसकी कामुक आवाजें ‘आआ … ईईईई … ऊऊऊऊ …’ मुँह से निकल कर कमरे में गूंज रही थीं. मैं धकापेल लंड पेल रहा था.


लगभग आधा घंटा तक मैंने स्वाति की चूत बजाई. फिर मेरा पानी निकलने वाला था, तब मैं बोला- बाहर निकलूं या चूत में! स्वाति बोली- अरे मेरे मर्द … चूत में ही रस डाल … मैं डॉक्टरनी हूँ, सब देख लूंगी.


मैंने कहा- बच्चा रह जाएगा! तब स्वाति बोली- अरे तू चोद ना … ज्यादा डॉक्टर न बन … अब बहुत तरीके आ गए हैं. मैं दवा लेती हूँ और सेक्स के बाद भी एक दवाई आती है, वो ले लूंगी. फिर भी अगर बच्चा रह गया, तो डरना कैसा, मैं शादीशुदा हूँ.


यह सुनकर मैंने और स्पीड तेज की ओर ज़्यादा धक्के देने लगा, अपना पूरा पानी स्वाति की चूत में टपका दिया और स्वाति की चूत को रसभरी कर दिया.


मेरा लंड भी उसकी मलाई से चिकना हो गया था.


मैंने स्वाति से लंड चूसने का कहा.


पहले स्वाति ने अपनी ब्रा से मेरा लौड़ा साफ़ किया और मजे से लंड चूसने लगी.


अब मैंने पूछा- तू शादीशुदा है तो तुझे अभी बच्चे नहीं हैं क्या? स्वाति बोली- मैं डॉक्टर हूँ, घर पर रहती नहीं हूँ. आज इस अस्पताल तो कल किसी दूसरे अस्पताल. मेरी ड्यूटी अभी कोई फ़िक्स नहीं है. आजकल मैं यहां हूँ और मेरा घर यहां से दूर है और मेरा पति बिजनेस की वजह से व्यस्त रहता है. उसके पास औलाद पैदा करने का समय ही नहीं है. इसलिए सेक्स नहीं हो पाता है और मैं भी अभी बच्चे नहीं चाहती हूँ.


ये कह कर हम दोनों फिर से एक दूसरे से खेलने लगे. कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से स्वाति ने चूस कर खड़ा कर दिया.


इस बार मैंने उससे डॉगी बनने का बोला और वो झट से कुतिया बन गई. मैंने लंड गांड में लगाया तो वो हंस दी और बोली- अच्छा मालगाड़ी भी चलाने का मन है … आजा मेरे शेर तू भी क्या याद करेगा. जरा स्लो करना, तेरा मोटा है.


मैंने पीछे से अपने लंड का टोपा स्वाति की गांड में डालना शुरू कर दिया और धीमे धीमे अन्दर बाहर करने लगा.


फिर जैसे ही लंड सैट हुआ, मैंने पूरा लौड़ा एक धक्के में गांड में पेल दिया. मैं बिना रुके उसकी गांड मारने लगा.


स्वाति चीख रही थी- आआआ … मारररर … डाला … मादरचोद मैंने कहा था न धीरे मारना … साले तेरा लंड बहुत बड़ा है. मैं बिना कुछ सुने बस डॉक्टर स्वाति की गांड मारे जा रहा था. कुछ देर बाद वो भी गांड चलाने लगी.


लगभग बीस मिनट तक मैंने स्वाति की गांड मारी और अपना पानी स्वाति की गांड में डाल दिया. ऐसे मैंने 2 राउन्ड चुदाई के पूरे किए और हम दोनों नंगे ही सो गए.


अब मेरा और डॉक्टर स्वाति का रोजाना चुदाई का प्रोग्राम होता.


कुछ दिनों बाद स्वाति की बदली किसी और हॉस्पिटल में हो गई. वो अस्पताल इधर से दूर शहर में था. उधर मेरा हफ्ते में एक या दो बार ही एम्बुलेंस ले जाना होता था. कभी कभी तो महीने में एक बार होता था.


मुझे सेक्स की भूख रोज लगती है इसलिए अब मैंने नर्स सुरभि पर नजर डालना शुरू कर दी.


सुरभि भी मुझे मस्त नजरों से देखती थी.


एक दिन सुरभि रूम में अकेली थी, तब मैं उसके रूम में गया और सुरभि से पूछने लगा- क्या कर रही हो? सुरभि अंगड़ाई लेती हुई बोली- अरे आ जा … मैं तेरी ही तो राह देख रही थी.


मैं बोला- मैं समझा नहीं! सुरभि मेरे पास आयी और मुझे किस करके बोली- भोसड़ी के चूतिया है क्या … चल उधर बिस्तर पर बैठ.


उसने दरवाजा लॉक किया और पलट कर बोली- साले तूने डॉक्टर स्वाति को खूब चोदा … अब वो तो है नहीं तो मैं चाहती हूं कि मुझे चोद. मैं बोला- डार्लिंग तुझे कैसे पता चला?


सुरभि बोली- अबे चूतिए, मैं भी तो यहीं बाजू के क्वार्टर में रहती हूँ. मैंने तुझे और उस रंडी डॉक्टरनी को कितनी बार चुदाई करते देख चुकी हूँ. मैं उधर लंड की प्यास में अपनी चूत और गांड में मोमबत्ती करती रहती थी और अपना पानी अपने हाथ से निकालती रहती थी.


मैंने कहा- जब देखती थी तो अब तक आयी क्यों नहीं? सुरभि बोली- अरे टाइम नहीं मिलता. साली नर्स जो हूँ. मरीजों में ही फंसी रहती हूँ.


यह सुनकर मैंने सुरभि को गले से लगा लिया और उसे किस करने लगा. सुरभि ने जींस टॉप पहना हुआ था. मैं सुरभि की जींस ऊपर से ही उसकी गांड पर हाथ घुमाने लगा.


मैंने कहा- तू तो बड़ी हॉट है सुरभि बेबी. सुरभि बोली- तू भी कम नहीं है मेरे राजा.


मैं और सुरभि किस कर रहे थे. ‘उउमम्म … ऊऊम्म …’ मैं सुरभि के होंठ भी काट रहा था.


कुछ मिनट तक हम दोनों की चूमाचाटी चली. फिर मैंने सुरभि की जींस और टॉप को उतार दिया.


सुरभि ने मेरे पूरे कपड़े उतार दिए और झट से घुटने के बल बैठ गयी. उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मैं ‘आआह … ह्म्म्म्म …’ करता हुआ लंड चुसवा रहा था.


देखते ही देखते मेरा पूरा हथियार खड़ा हो गया और मैंने सुरभि को चुदाई की पोजीशन में लिटा कर उसकी चूत की फांकों में लंड का सुपारा सैट किया और उसकी तरफ देखा. सुरभि ने आंख दबा कर अन्दर पेलने का इशारा किया और मैंने पूरी ताकत से उसकी चूत में लंड पेल दिया.


एकदम से लंड घुसा तो सुरभि चीख उठी- आआ … मर गई!


मैंने चार तगड़े शॉट मार दिए तो सुरभि की चूत से खून निकल आया. मैं डर गया कि ये क्या हुआ.


बाद में पता चला कि सुरभि की चूत सीलपैक थी. वो एकदम से लस्त हो गई थी और रो रही थी.


मैंने लंड बाहर निकाला और सुरभि को सहलाया, फिर सुरभि की चूत साफ की और उसे शांत होने दिया.


सुरभि मेरी तरफ देख कर बोली- अब धीरे करना. मैंने कहा- ओके.


पांच मिनट बाद मैंने फिर से चूत में अपना लंड रखा और घुसाने लगा. धीरे से अन्दर बाहर करने लगा.


सुरभि अब चीख तो रही थी मगर मजा ले रही थी- आआ … बहुत मोटा लंड है यार मर गई रे … तेरा लंड साला चूत फाड़ देगा क्या … आआ … ऊऊऊ!


वह मजे में ऐसा बोल रही थी तो मैं उसे और स्पीड से चोदने लगा. लगभग आधा घंटा तक मैंने सुरभि की चूत चोदी ओर अपना पानी सुरभि की चूत में छोड़ दिया.


मेरा लंड चूत से बाहर निकला तो बहुत चिकना हो गया था.


सुरभि ने अपनी पैंटी से मेरा लंड साफ किया और लंड चूस लिया. अब हम दोनों नंगे बैठ कर बात करने लगे.


मैंने उससे कहा- तू अभी तक चुदी नहीं थी, ये बड़ी कमाल की बात है. वो बोली- हां यार मन तो बहुत दिनों से था मगर तेरे जैसा मर्द नहीं मिल रहा था. मैं अभी तक अपनी चूत में कम और गांड में उंगली व मोमबत्ती ज्यादा करती थी.


मैंने कहा- फिर तो तू पीछे से भी ले लेगी? वो बोली- हां लेकर देख सकती हूँ. मैंने कहा- चल अब मालगाड़ी चलाते हैं.


कुछ देर बाद हम दोनों 69 में आ गए.


मैं सुरभि की चिकनी चूत चाटने लगा और सुरभि मेरा लंड चूसने लगी. कुछ देर में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.


इस बार मैं सोफ़े पर बैठ गया और सुरभि को अपनी गोदी में बैठा लिया. मैंने सुरभि की गांड में अपना लंड लगा दिया.


गांड में लंड लेते समय दर्द तो हुआ मगर कुछ देर बाद वो गांड चुदाई का मजा लेने लगी.


अब सुरभि उछल उछल कर अपनी गांड मरवा रही थी. मैं भी मजे लेकर सुरभि की गांड मार रहा था.


गांड चुदाई के दरमियान मैं सुरभि के दूध चूसता और उसे काट भी लेता. फिर मैंने पोज बदला.


अब सुरभि को उल्टा लेटाया और उसकी गांड मारने लगा. सुरभि भी मजे से अपनी गांड मरवा रही थी.


लगभग बीस मिनट तक मैंने सुरभि की गांड मारी और अपना वीर्य सुरभि की गांड में छोड़ दिया. अब मैं और सुरभि रोज चुदाई करने लगे थे.


इसी बीच सुरभि दो बार पेट से भी हो गई. मगर उसने डॉक्टर स्वाति से अपना गर्भ साफ़ करा लिया.


फिर सुनील जी, जो एजेंसी वाले थे, उनका ठेका पूरा हो गया था. मुझे एम्बुलेंस की जॉब फिर से छोड़नी पड़ी.


अब तक मेरी फैक्ट्री भी खुल गयी थी तो मैं फिर से फैक्ट्री में आ गया.


वैसे भी एम्बुलेंस की ड्यूटी ठीक नहीं थी. बहुत अजीब अजीब से लोग आते थ. कभी एक्सीडेंट वाले, कभी डेड बॉडी ले जाना होता था.


तब भी मैंने जब तक एम्बुलेंस की ड्यूटी की, तब तक रोज चुदाई करता और ड्रिंक भी खूब करता ताकि नींद आए, वरना सबके चेहरे आंखों में आते रहते थे.


दोस्तो, इस तरह से मैंने डॉक्टरनी और नर्स की चुदाई की थी.


आप लोगों को मेरा हॉस्पिटल सेक्स पसंद आया होगा. मैं उम्मीद करता हूँ कि आप सब मुझे उतना ही प्यार देंगे, जितना मेरी पिछली कहानी में दिया था.


आपको मेरी हॉस्पिटल सेक्स कहानी कैसी लगी, मेल से बताएं. मेरी ईमेल आईडी है [email protected]


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