देसी कामवाली की चुत चुदाई का मजा- 3

कोमल मिश्रा

05-10-2022

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हाउस मेड पोर्न कहानी में पढ़ें कि मेरी बीवी मायके गयी तो मैंने अपनी जवान कामवाली की खूब चुदाई की. एक दिन मेरा दोस्त अपनी कामवाली को ले आया.


दोस्तो, मैं दीपक कुमार अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर आप सभी के सामने हाजिर हूं.


अभी तक मेरी कहानी के पिछले भाग जवान काम वाली की चुदाई में मजा में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने अपनी चुदाई की हवस को पूरा करने के लिए कविता नाम की एक नौकरानी को अपने घर पर रखा और उसके साथ पहली बार चुदाई का मजा लिया.


कविता मेरे साथ पूरे एक हफ्ते तक अकेली रुकने वाली थी क्योंकि अभी मेरी बीवी अपने मायके से एक हफ्ते तक नहीं आने वाली थी. इस एक हफ्ते में मैं कविता के साथ अपनी हर इच्छा पूरी करना चाहता था.


कविता भी बेहद गर्म लड़की थी हालांकि मेरे और कविता की उम्र में बहुत फासला था और वो मेरी बेटी की उम्र की लड़की थी लेकिन बिस्तर पर कविता इतनी ज्यादा गर्म थी कि हम दोनों एक दूसरे को पूरी तरह से संतुष्ट कर देते थे.


पहली रात कविता की दो बार चुदाई करने के बाद मैं बहुत थक चुका था और कविता भी दो बार पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थी. उस रात हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गए.


अब आगे हाउस मेड पोर्न कहानी:


पहली रात के बाद सुबह जब मेरी नींद खुली, तो घड़ी में दस बज चुके थे. मैंने देखा तो कविता बिस्तर पर नहीं थी और मैं अकेला नंगा लेटा हुआ था. मैंने उठकर अपने कपड़े पहने और बाहर निकल कर देखा तो कविता ने घर का सारा काम कर लिया था और उस वक्त वो किचन में नाश्ता बना रही थी.


मैं बॉथरूम गया और फ्रेश होने लगा.


वहीं बाथरूम में कविता की चड्डी और ब्रा रखी हुई थी, जिससे मुझे पता चला कि वो नहा धोकर फुर्सत हो गई थी.


बाहर आकर मैं किचन में गया और कविता को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया. उसने चौंकते हुए कहा- अरे साहब, आप जाग गए. कमरे में जाइए, मैं आपके लिए नाश्ता लेकर आती हूं.


मैं- नाश्ते की अब कोई जरूरत नहीं है जान, तुमने मुझे वो दे दिया है कि अब किसी चीज की जरूरत नहीं है. वो- अच्छा ऐसा क्या दे दिया मैंने?


मैंने उसके दोनों दूध को ब्लाउज के ऊपर से ही हाथ में लिए और मसलते हुए बोला- अपनी ये जवानी दे दी. मैंने उसके दूध जोर से भींच दिए.


वो जोर से चिल्लाई- आआह आऊच साहब … छोड़िए दु:ख रहा है. मैं मुस्कुराता हुआ वहां से आ गया.


अब हमने साथ में नाश्ता किया और फिर नहाने के बाद साथ में खाना खाया. खाना खाने के बाद मैंने फिर से कविता को नंगी किया और हम दोनों ने दो बार चुदाई की.


इस बार भी हम दोनों ही एक दूसरे से पूरी तरह से संतुष्ट हुए. इसके बाद रात में भी हमारे बीच दो बार चुदाई हुई.


मुझे उसकी गांड की चुदाई का मजा भी मिला.


उसमें मुझे एक स्पेशल क्रीम का इस्तेमाल करना पड़ा, जिससे उसने गांड मरवा ली.


दो दिन तक तो ऐसा ही चलता रहा. फिर तीसरे दिन सुबह मेरे दोस्त नितिन का फोन आया, जिसने कविता को मेरे घर पर रखने में मदद की थी और वो मुझसे कविता के बारे में पूछने लगा.


मैंने उसे सब कुछ बताया कि मेरे और कविता के बीच चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया है.


उस दिन उसने मुझसे एक रिक्वेस्ट की और बोला- अगर तुझे बुरा न लगे तो मैं अपनी नौकरानी को तेरे घर पर लाकर चोद सकता हूं क्योंकि मेरे घर पर मौका नहीं मिल रहा है और मुझे चुदाई किए हुए काफी दिन हो गये हैं.


मैंने किसी झिझक के उसे आने के लिए कह दिया.


तब उसने ही मुझे एक सलाह देते हुए कहा- क्यों न आज हम चारों लोग शाम को तेरे घर पर दारू पीते हैं और अपनी अपनी नौकरानियों को चोदते हैं. मैंने उससे पूछा- क्या तेरी नौकरानी शराब पीती है? क्योंकि कविता के बारे में मुझे पता नहीं है.


उसने कहा- मेरी वाली तो पीती है, अब तेरी वाली को भी पिला देंगे. मैं तैयार हो गया कि आज कुछ नया करने को मिलेगा.


शाम को ही वो दोनों मेरे घर पर आ गए इसके पहले ही मैंने कविता को सब बता दिया था.


रात 8 बजे नितिन बाजार जाकर शराब की दो बोतल ले आया.


मैंने नितिन के लिए एक अलग कमरा तैयार करवा दिया था जिसमें वो अपनी नौकरानी के साथ चुदाई करने वाला था.


उसकी नौकरानी का नाम सुधा था और वो 30 साल की लंबी चौड़ी औरत थी. उसके दूध बहुत बड़े बड़े थे लेकिन वो कविता के सामने कुछ नहीं थी क्योंकि कविता उससे उम्र में छोटी थी और उससे ज्यादा सुंदर भी थी.


रात नौ बजे हम चारों सामने वाले कमरे में सोफे पर बैठे हुए थे और नितिन सभी के लिए शराब का तैयार कर रहा था. हम तीनों ने तो बड़े आराम से अपनी अपनी शराब पी ली. लेकिन कविता डर रही थी क्योंकि उसने कभी शराब नहीं पी थी.


किसी तरह से उसने अपना ग्लास खत्म किया और नितिन ने बारी बारी करते हुए चार बार सभी को शराब पिलाई. हम चारों पूरी तरह से नशे में चूर हो चुके थे.


पांचवी बार नितिन ने फिर से कहा. लेकिन मैंने और कविता ने मना कर दिया. मगर नितिन और सुधा ने एक एक और ग्लास शराब पी ली.


इसके बाद हम सभी नशे में झूमने लगे. क्या हो रहा है किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. कविता मेरे बगल में बैठी हुई थी और मेरे ऊपर ही लेटी जा रही थी. सामने नितिन और सुधा का भी यही हाल था.


नितिन अब सुधा को मेरे सामने ही चूमने लगा और उसकी साड़ी निकाल दी. सुधा ब्लाउज और पेटीकोट पहने नितिन के गोद में बैठ गई और नितिन ने उसके पेटीकोट को उसकी कमर तक उठा दिया, जिससे उसकी जांघ और चड्डी देख मेरा मन डोलने लगा.


मैंने भी अपनी नौकरानी कविता को अपनी गोद में बैठा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा. जल्द ही मैंने भी कविता की साड़ी निकाल दी और उसके पेटीकोट में हाथ डाल कर उसकी जांघें सहलाने लगा.


उधर नितिन ने तब तक सुधा को आधी नंगी कर दिया था और वो केवल चड्डी पहने नितिन की बांहों में झूम रही थी. नितिन उसके बड़े बड़े दूध को बेदर्दी से मसल रहा था और सुधा उसके लोवर से उसके लंड को बाहर निकाल कर ज़ोर ज़ोर से सहला रही थी.


सुधा और कविता दोनों को ही बिल्कुल होश नहीं था कि क्या हो रहा है. लेकिन मैंने नितिन के सामने कविता को नंगी करना सही नहीं समझा और कविता का हाथ पकड़ कर कमरे में ले गया.


मैंने कविता को अपने बेडरूम में लाकर पूरी तरह से नंगी किया और उसके साथ चुदाई करने लगा. करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद हम दोनों ही झड़ चुके थे और मैं केवल तौलिया लपेट कर बाहर निकला.


बाहर के कमरे में आकर मैंने देखा कि नितिन सुधा को सोफे पर घोड़ी बनाकर बुरी तरह से चोद रहा था मैं दूर होकर सब कुछ देखता रहा. कुछ ही देर में वो दोनों झड़ गए और सोफे पर बैठ गए.


मैं अब जाकर उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गया. सुधा को बहुत बुरी तरह से नशा हुआ था और वह मुझे अनदेखा करते हुए अपनी टांगें फैलाए सोफे पर बैठी रही.


उसकी बुरी तरह से फटी हुई चूत मेरे सामने थी. उसकी चूत को देखते ही पता चल रहा था कि वो न जाने कितने मर्दों का लंड ले चुकी थी, जिससे उसकी चूत का भोसड़ा बन चुका था. नितिन ने मेरे और अपने लिए एक बार फिर से शराब तैयार की और हम दोनों ने एक बार फिर से शराब पी.


मेरी निगाह बार बार सुधा पर जा रही थी. वो बिल्कुल बेसुध होकर सोफे पर लेटी हुई थी जैसे उसे कुछ होश न हो. कुछ देर बाद मैं उठा और अपने कमरे की तरफ चल दिया.


इस बार मुझे भी बहुत नशा हो गया था कमरे में आकार मैंने देखा कि कविता पूरी तरह से नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी. मेरे पीछे पीछे ही नितिन भी मेरे कमरे में आ गया, जिसका मुझे पता नहीं चला.


उसने भी कविता को नंगी देख लिया था. जैसे ही मैं पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि नितिन भी मेरे साथ कमरे में था.


हम दोनों ही कविता को देखकर मुस्कुराए और नितिन आगे बढ़ कर कविता के पास बैठ गया.


उसने कविता की जांघों को सहलाते हुए मुझसे कहा- यार, तुझे तो एकदम टाइट माल चोदने को मिली है. आज मुझे भी इसका मजा लेने दे. मैंने कहा- यार कहीं ये नाराज हो गई तो? ‘ऐसा कुछ नहीं होगा ये लोग हमारे पास चुदवाने के लिए ही तो आई हैं.’ ऐसा करते हुए नितिन ने कविता के दूध दबाने शुरू कर दिए.


उसने अपने हाथों से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया.


इतने में ही कविता जाग गई और उठकर बैठ गई. कविता मेरी तरफ देख रही थी और नितिन उसकी जांघ सहलाने में लगा हुआ था.


जल्द ही नितिन ने कविता को बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. कविता मेरी तरफ देख रही थी और मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर चुपचाप लेटी रही.


नितिन उसे हर जगह चूम रहा था, उसके मम्मों को जोर जोर से मसल रहा था और वो चुपचाप लेटी हुई थी.


जल्द ही मैं भी उसके पास गया और अपना लंड उसके मुँह के सामने रख दिया. कविता भी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.


जल्द ही नितिन ने उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया और उसे जोर जोर से चोदने लगा. कविता भी मेरे लंड को जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करते हुए चूस रही थी.


करीब दस मिनट चोदने के बाद नितिन ने कविता को बिस्तर से नीचे उतार लिया और उसे खड़े करके उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और उसकी कमर को पकड़ कर उसे चोदने लगा.


अब मैं बिस्तर पर लेटा हुआ उसे देख रहा था. जल्द ही नितिन ने मुझे आने के लिए कहा और खुद अपना लंड निकाल लिया.


अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसे चोदने लगा. इतने में नितिन कविता के पीछे आ गया और उससे लिपट गया कुछ देर बाद उसने अपना लंड कविता की गांड में लगाया और एक झटके में अन्दर तक पेल दिया.


कविता जोर से चिल्लाई और बोली- ऐसा मत कीजिए साहब मैं मर जाऊंगी, निकाल लीजिए. लेकिन नितिन उसे जोर जोर से चोदने लगा.


मैंने भी शराब के नशे में अपने धक्के तेज कर दिए और दोनों लोग उसकी चुदाई करने लगे. हम दोनों के बीच कविता दबी हुई थी और अपनी गांड और चूत में एक साथ लंड ले रही थी.


ऐसे ही हम दोनों ने उसे करीब दस मिनट तक चोदा और फ़िर मेरा पानी निकल गया लेकिन नितिन लगातार उसकी गांड को चोदे जा रहा था. मैं उन दोनों को कमरे में अकेला छोड़ दिया और बाहर आ गया.


बाहर कमरे में सुधा अब सोफे पर बैठी हुई थी. उसका नशा शायद कुछ कम हो गया था. उसने मुझे नंगा देखा तो हंसती हुई बोली- क्या साहब आप भी मुझे चोदने आए हैं क्या?


उसकी आंखों में अजीब सी उत्तेजना देख मैं भी मुस्कुरा दिया और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में भर लिया. जल्द ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने उसे घोड़ी बना दिया.


उसके पीछे आकर जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला तो एक बार में ही पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया.


मैं दनादन उसकी चुदाई करने लगा और वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- आह … और जोर से चोदो साहब और जोर से आह्हह मजा आ रहा है साहब और जोर से चोदो. लगभग 20 मिनट तक मैंने उसे चोदा और फिर उसके अन्दर ही झड़ गया.


इसके बाद कब सुबह हुई मुझे पता नहीं चला. मैं और सुधा नंगे ही सोफे पर पड़े हुए थे.


जब मेरी नींद खुली और मैं अपने कमरे में गया तो कविता और नितिन नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो रहे थे. कुछ देर बाद सभी लोग जाग गए और तैयार होकर नितिन और सुधा चले गए.


बाद में मैंने कविता से पूछा तो उसने बताया कि आपके बाहर जाने के बाद 2 बार नितिन ने उसकी चुदाई की थी.


उसके बाद कविता पूरे एक हफ्ते तक मेरे साथ रही और हम दोनों ने एक दूसरे को अच्छे से खुश किया. आज भी कविता और मेरा रिश्ता वैसे ही चल रहा है और मौका मिलते ही मैं कविता को चोद देता हूं.


मैं उसे हर तरह से खुश रखता हूं और वो भी मुझसे खुश है. अब कविता के आने से मेरी जिंदगी में सेक्स की कोई कमी नहीं रह गई.


दोस्तो, उम्मीद करता हूं कि आप सभी लोगों को ये हाउस मेड पोर्न कहानी पसंद आई होगी, मुझे मेल जरूर करें. [email protected]


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