पड़ोसी की लौंडिया से चुत चुदाई की शुरूआत- 1

अनन्त सिंह

29-05-2022

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चढ़ती जवानी का सेक्स बेकाबू होता है. कुछ नहीं मिलता तो लड़के लड़कियां हस्तमैथुन से ही अपनी यौन तृप्ति करते हैं. ऐसा ही मेरे साथ हुआ.


दोस्तो, मेरा नाम अनन्त सिंह है. मैं सामान्य मर्द की ही तरह हूं. मेरा कद 5 फीट 6 इंच का है.


अन्तर्वासना या फ्री सेक्स कहानी की साईट पर पाठिकाएं भी बड़ी तादाद में सेक्स कहानी पढ़ने का मजा लेती हैं. उनकी रूचि मर्द के लंड की साइज जानने में रहती है. इसलिए लंड का साइज़ बताना एक जरूरी बात है. मेरा लंड 6 इंच का है और उसकी मोटाई करीब 2.5 इंच है.


जवानी का सेक्स का कीड़ा मेरे अन्दर शुरू से ही है. मैं जब पढ़ता था, तभी से सेक्स के कीड़ा ने अपना काम करना शुरू कर दिया था.


इसकी शुरूआत बायोलाजी की किताब से हुई थी. जब कुछ इस कदर की सनसनी होना शुरू हुई तो हाथ ने लंड को सहलाना शुरू कर दिया.


फिर जब चुदाई क्या चीज होती है, इसका मालूम हुआ तो मन विचलित होने लगा और प्रकृति की स्वत: ज्ञान देने की प्रवृत्ति ने मुझे मुठ मारना सिखा दिया.


पहली बार कमीने दोस्तों से मुठ मारने की बात जब पता चली तो घर पर अपने बाथरूम में पहली बार इस कला को ट्राई किया.


लंड हिलाने से वीर्य निकला तो पाया कि यह अनुभव बहुत ही सुखद है. बस फिर क्या था मुठ मारने की आदत लगती चली गई.


धीरे-धीरे अनुभव हुआ कि लड़कियों को देख कर मुठ मारने में आनन्द कई गुणा बढ़ जाता है.


इसी क्रम में पहले टीवी में कम कपड़ों में दूध हिलाती अभिनेत्रियां, फिर अखबार में विज्ञापनों के कामुक चित्रों को देखकर सिलसिला शुरू हुआ.


ये सिलसिला इतना आगे तक गया कि मैं क्लास में पीछे की बेंच पर अकेले बैठता और साथ पढ़ने वाली लड़कियों को देखकर मुठ मार लिया करता.


एक दिन क्लास के एक लड़के ने मुझे मुठ मारते देख लिया और साले ने अपने कुछ साथी लड़कों को दिखा दिया. उसके बाद से वे सब मुझे सड़का मास्टर कहकर चिड़ाने लगे.


हालांकि स्कूल में मेरी दबंग छवि होने के कारण कोई भोसड़ी वाला खुल कर नहीं कह पाता था लेकिन पीठ पीछे मेरा नाम सड़का मास्टर हो गया था.


इसी बात को लेकर एक दिन मेरी अपने साथ के लड़कों से बहस हो गई. वे कहने लगे कि हम उस लड़के से पुछवा देंगे, जिसने देखा था.


उस लड़के का नाम शिरीष था. वह बहुत ही डरपोक किस्म का लड़का था. उसका नाम मालूम होते ही मैं समझ गया कि इसी साले की वजह से मेरा नाम खराब हुआ है.


अगले दिन मैंने उसे ब्वॉय्ज टायलट में पकड़ लिया और उसे बाथरूम में बंद करके हड़काने लगा. उसने कहा- हां भाई मैंने तुम्हें मुठ मारते देखा था.


फिर बातों बातों में मैंने अपनी पैंट खोल दी और उसे मेरा लंड पकड़ा दिया. उसने मेरी मुठ मारी.


फिर मैंने उसकी पैंट खुलवायी और सोचा कि आज उसकी गांड मार लूं, पर पता नहीं क्या हुआ … मैं रूक गया.


फिर उसकी गांड पर लंड की मुठ मार कर टपका दी. उसे धमका दिया कि उसने किसी से इस बात को कहा तो मां चोद दूंगा और तेरी गांड तो मारूंगा ही, साथ में उसकी बहन की चुत भी चोद दूंगा.


उसकी बहन दो साल आगे पढ़ती थी. इस तरह उसको डरा धमका कर बात खत्म कर दी.


अब मैं सावधान रहने लगा और सिर्फ फोटो वगैरह देखकर अकेले में मुठ मारने लगा.


आदतें आपकी सच्ची दोस्त होती हैं … या फिर आप बुरी आदतों के गुलाम होते हैं.


मैं मुठ मारने जैसी बुरी आदत का गुलाम हो चुका था.


जब मैं ट्यूशन पढ़ने जाने लगा तो सर्दी में मैं रात को आते वक्त अनजान लड़कियों का पीछा करता और साइकल पर लंड निकाल कर मुठ मारा करता.


एक दिन तो एक बड़ी उम्र की लड़की ने मुझे पकड़कर दो थप्पड़ भी मारे.


फिर मेरी आदत अंदरूनी होती चली गई. अब किसी लड़की को पटाकर चोदने की इच्छा मजबूत होने लगी थी.


ट्यूशन के सफर से फौजिया की चुदाई किस तरह से हुई उसकी बात सुनिए. फौजिया मेरे पड़ोस में रहने वाले एक चाचा की बेटी थी. वो बहुत ही मस्त माल थी.


आज शादी के बाद तो वो कुछ मोटी हो गई है, फिर भी ऐसी खूबसूरती है कि लंड हिचकोले मारने लगता है.


बात तब की है, जब मैं गणित की ट्यूशन के लिए गया. पहले तो मैं अकेले आता जाता था. फिर एक दिन चाचा मेरे घर आए और मम्मी से बोले कि मेरी बिटिया को भी ट्यूशन जाना है, पर अकेले भेजने में डर सा लगता है.


वो मेरी मम्मी से बोले- आप अपने लड़के को बोल दीजिए कि इसके साथ आया जाया करे. मम्मी ने हां कर दी और ये बात तय हो गई कि मैं अब रोज साइकल से उसके साथ जाऊंगा.


चूंकि मेरे अन्दर सेक्स की इच्छा तो बहुत प्रबल है. कभी कभी तो मन करता था कि कोई ऐसी चुदक्कड़ औरत या लड़की मिल जाए, जो दिन रात चुदवाना चाहती हो … तो मेरी किस्मत खुल जाए.


जबकि अभी तक किस्मत के दिए छोटे तोहफों से मेरा काम बस चल रहा था.


फौजिया के साथ कुछ दिन तक सब सामान्य चला. फिर कुछ दिन बाद मेरी उससे कुछ ज्यादा बात होने लगी.


फौजिया पढ़ने में उतनी अच्छी न थी. मेरे टीचर ने भी उससे कहा कि तुम इसके पड़ोस में रहती हो, तो पढ़ाई में इससे मदद ले लिया करो. यह बात उस दिन टीचर जी ने उसके पिता जी से भी बोल दी.


चाचा ने मुझसे कहा- बेटा, तुझे कोई दिक्कत तो नहीं है? मैंने कहा- मुझे क्या दिक्कत हो सकती है चाचा. चाचा- ठीक है.


इस तरह से फौजिया मेरे घर पर भी आने लगी. तब भी एक साल तक कुछ खास बात आगे नहीं बढ़ पाई. मुझे ऐसा लगता था कि वो भी मुझे कुछ कुछ पसंद करती है और तिरछी नजरों से देखती है.


एक दिन घर पर सब लोग बाहर गए हुए थे और मेरी दीदी को भी अपनी कोचिंग में जाना था.


उसी समय फौजिया मेरे घर पर पढ़ने के लिए आ गयी. आज भी मेरे घर और पड़ोस के लोग मुझे इतना शर्मीला समझते थे कि मैं तो किसी लड़की की तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखता.


फौजिया को मेरे घर आते हुए इतना समय बीत चुका था तो फौजी चाचा भी बेफिक्र रहा करते थे. उस दिन मुझे अचानक से पता नहीं क्या हुआ, मैं तख्त पर बैठ कर उसे पढ़ा रहा था.


वो नीचे जमीन पर बैठ कर सवाल देख रही थी. उसकी कुर्ती में से उसके चूचे दिख रहे थे जो एकदम गदराए हुए लाल थे. मैं उनमें इस कदर डूब गया कि मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि वो मुझे देख रही है.


अचानक से उसने पूछा कि ऐसे क्या देख रहे हो? मैं झेम्प गया.


वो ज़रा बोल्ड किस्म की लड़की थी, आर्मी स्कूल में पढ़ी थी. उसने मुझसे कहा- ऐसे शर्माओ मत, बता भी दो. उसके बहुत कहने पर मैंने बता दिया कि मैं तुम्हारे सीने को देख रहा था.


इस पर उसने इठला कर पूछा- कैसे हैं? मैं समझ गया कि लड़की कुछ ज्यादा ही बोल्ड है और हरी झंडी दे रही है. मैंने हाथ बढ़ा कर उसके एक चूचे को दबा दिया.


इस पर वो भड़क गई और मुझे डांटने लगी. मैं डर गया और उसके पैर पकड़ कर माफी मांगने लगा कि गलती हो गयी.


मैंने उससे कहा कि वो ये बात किसी को न बताए. इस पर उसने कहा- ठीक है, पर तुम्हें मेरा काम करना होगा.


मैंने कहा- कौन सा काम? वो- जो भी मैं बोलूंगी.


मैंने शर्त मान ली. अब शुरू हुई मेरी उस लड़की की गुलामी. वो हमेशा मेरा इस्तेमाल करने लगी. कभी मुझसे अपना होमवर्क करवाती, कभी अपना काम. यहां तक अपने घर का झाड़ू पौंछा तक!


ऐसा करते हुए 6 महीने से अधिक बीत गया और उसके दिमाग में घुस गया था कि ये तो मेरी सारी बातें मानता है.


ठंड के मौसम में मेरा बर्थडे आया. उसने मुझसे पूछा- तुम्हें क्या गिफ्ट चाहिए? वो अपने बाप की इकलौती लड़की थी, तो उसके पास पैसों की कोई कमी न थी.


मैंने कहा- जाने दो, जो मैं मांगूगा, वो तू दे नहीं पाएगी. इससे उसका इगो हर्ट हो गया.


उसने कहा- मैं अपने मम्मी पापा की कसम खाकर कहती हूँ, तुम जो मांगोगे मैं वो दूंगी. इस तरह उससे पक्का वादा लेकर कि वह किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी.


मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें एक महीने तक हर रात चोदना चाहता हूँ … और इन सारी रातों में तुम मेरी गुलाम रहोगी. मैं जो भी कहूंगा, बिना मना किए मानोगी. उसने पहले तो मुझे एक थप्पड़ रसीद किया और बोली- मैं तुम्हें ऐसा नहीं समझती थी.


फिर वो मुझे बर्थ विश करके और गिफ्ट देकर चली गई.


मुझे भी लगा कि यार मैंने इससे कुछ ज्यादा मांग लिया था; शायद एक किस मांगता तो ये दे भी देती.


फिर कई दिनों तक मेरी उससे बात नहीं हुई. एक दिन उसने मुझसे बात की और बोली- घर आओ, तुमसे कुछ बात करनी है.


वार्षिक परीक्षाएं नजदीक आ रही थीं. मैंने समझ लिया कि बंदी की फंसी पड़ी है.


मैंने कहा- मुझे थप्पड़ याद है, शायद तुम्हें भी उस थप्पड़ की वजह याद होगी. वो बोली- हां मुझे सब याद है कि तू एक नम्बर का हरामी है.


मैंने कहा- तो हरामी को क्यों बुला रही है … हरामी तो अपना हरामीपन पूरा करना चाहता ही है. तू बड़ी वचन से बंधी हुई है, बड़े वादे निभाने की बात पूरी करती है.


उसने समझ लिया कि मैं क्या कह रहा हूँ. वो बोली- ठीक है, मैं अपना वादा पूरा करूंगी.


उसने बताया- मेरे पापा बीमार हैं और मम्मी 15 दिनों के लिए पापा के पास जा रही हैं. इन पन्द्रह दिनों तक मैं तुम्हारे ही घर रहने वाली हूँ.


मैं समझ गया कि अब ये चुदवाए बिना नहीं रहेगी. मेरी और फौज़िया की चुदाई का रास्ता साफ था.


फिर चुदाई के खेल की शुरूआत हुई.


वो दिन भी करीब आ गया जब उसकी मम्मी मुझसे रात में उसके घर पर सोने के लिए बोल कर छोड़ कर चली गईं.


मतलब अब मैं फौजिया और उसकी बुड्डी दादी ही घर में रहने वाली थीं. फौजिया की दादी लगभग हमेशा बिस्तर पर ही रहती थीं, उन्हें पकड़कर चलाना पड़ता था.


मैंने फौजिया से चुदाई की बातें कर रखी थी. अब उनका प्रेक्टिकल शुरू होना था.


फौजिया एक साढ़े पांच फिट हाईट की दूध सी गोरी लड़की थी.


जब वो नंगी हुई तो उसके 32 इंच के एकदम गोल गोरे चूचे थे. चूचों पर भूरे निप्पल एकदम कयामत लगते थे. उसकी बलखाती 30 इंच की कमर और 34 इंच की उठी हुई गांड कमाल की थी.


एक गोरी और बिना बालों की सफाचट फूली हुई चूत और गांड की मालकिन मेरे सामने नंगी चुदने के लिए राजी थी.


गोरी चूत की मस्त फांकें, जिसमें से झांकता हुआ लाल दाना. पूरे शवाब पर लुकलुक करता गांड का भूरा छेद मुझे उत्तेजित कर रहा था.


अगले भाग में मैं फौजिया की चुत की सीलतोड़ चुदाई की कहानी का मजा लिखूँगा; मेरी जवानी का सेक्स कहानी के इस भाग पर मुझे आपके मेल का इन्तजार भी रहेगा. [email protected]


जवानी का सेक्स कहानी का अगला भाग: पड़ोसी की लौंडिया से चुत चुदाई की शुरूआत- 2


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