बुआ की सहेली की चुत दोबारा चोदने को मिली

राज शर्मा

23-03-2022

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सेक्सी चूत हिंदी कहानी में पढ़ें कि मेरी बुआ ने मुझे अपनी सहेली की चूत दिलवायी. कुछ दिन बाद मेरा मन उसकी दोबारा चुदाई का हुआ तो मैंने बुआ को कहा.


प्यारे भाइयो और भाभियो, हिन्दी में चुदाई की कहानी में आपका स्वागत है.


आपका दोस्त राज शर्मा आज फिर से एक और एक लंड खड़ा करने वाली सेक्सी चूत हिंदी कहानी लाया है.


दोस्तो, चूत और चुदाई का चस्का ऐसा होता है कि हर दिन बढ़ता ही जाता है.


आप तो जानते ही हो कि मैं अपनी बुआ को पहले कई बार चोद चुका हूं और बुआ ने अपनी सहेली प्रीति की चूत चुदाई भी अपने कमरे में बुलाकर करवाई है.


जब लंड को नई चूत का स्वाद मिल जाए तो वो बार बार चोदने के लिए तैयार रहता है.


मेरा लंड भी प्रीति की चुत के स्वाद को चख चुका था और अब उसे भी बिना उस चुत चोदे अच्छा नहीं लग रहा था.


मैंने अपनी बुआ को फोन किया और अपने लंड की हालत के बारे में बताया. बताया कि मैं एक बार फिर से उनकी सहेली प्रीति को मन भर के चोदना चाहता हूँ.


बुआ को मेरी अन्तर्वासना की हालत समझने में देर न लगी और वो बोली- ठीक है राज बेटा, मैं आज ही तेरे लंड के लिए कुछ जुगाड़ करती हूँ.


दो दिन बाद शाम को बुआ का फोन आया- राज, कल सुबह 11 बजे तुम मेरे कमरे में आ जाना. मैं समझ गया और खुश होकर बोला- मेरी प्यारी बुआ, तुम बहुत अच्छी हो.


अगले दिन मैंने कंपनी ऑफिस से छुट्टी ले ली और बुआ के घर के लिए निकल पड़ा.


जब मैं बुआ के कमरे में पहुंचा तो बुआ पेटीकोट ब्लाउज में थीं और कपड़े धो रही थीं. उनका गीला पेटीकोट गांड में चिपका हुआ था और ब्लाउज में से नंगे मम्मे मस्त दिख रहे थे.


उनके बच्चे स्कूल गए हुए थे.


बुआ मुझे देख कर बोलीं- अरे राज, आ गया तू! मैंने कहा- हां बुआ … लेकिन वो आपकी सहेली किधर है?


मुझे मन ही मन बुआ के ऊपर गुस्सा आ रहा था कि मेरे लिए कोई जुगाड़ नहीं की.


मैंने दरवाजा बंद किया और बुआ के पीछे से जाकर जोर जोर से उनके मम्मों को दबाने लगा.


बुआ शाय़द समझ गई थीं कि मेरे लंड को प्रीति की चुत चाहिए.


वो बोलीं- बेटा, ऐसी तड़प अपनी प्रीति के लिए बचा कर रख. मैंने खुश होकर कहा- क्या वो आ रही है?


बुआ बोलीं- हां उसका फ़ोन आया था कि वो तुमसे मिलना चाहती है. तभी तो मैंने तुझे बुलाया है. मैं खुश हो गया और बुआ को चूमने लगा, बुआ की बड़ी बड़ी चूचियों से खेलने लगा.


तभी दरवाजे पर आवाज आई. मैंने दरवाजा खोला तो प्रीति थी.


उसे अन्दर करके दरवाजा बंद किया और गोद में उठा लिया. वो भी मुझे देख कर बहुत खुश थी.


मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होंठों को अपने होंठों को लेकर चूसने लगा. वो भी बराबर मेरा साथ दे रही थी.


हमने किस करते करते एक-दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए. प्रीति आज ब्रा पैन्टी पहन कर नहीं आई थी और उसने आज सुबह ही चूत के बाल साफ़ कर लिए थे.


मैंने उसकी टांगों को चौड़ा किया और चूत में अपनी जीभ लगाकर चाटना शुरू कर दिया. वो झट से गर्म हो गई और अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगी.


मैं अपनी जीभ से चूत चोदने लगा. अब उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं.


जल्दी ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैं चाटकर पी गया.


अब मैंने उसे घुटनों पर बैठा दिया और अपना लंड उसके सामने कर दिया.


वो प्यासी थी और लंड को लॉलीपॉप समझकर चूसने लगी थी. मैं आंखें बंद करके लंड चुसवा रहा था और उसके सर को अपने लौड़े पर दबा रहा था.


वो गपागप गपागप लंड चूसने लगी. उसने मेरे लंड को जमकर चूस चूस कर गीला कर दिया.


अब मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया.


फिर उसकी दोनों टांगों को मोड़कर चूत में लंड घुसा दिया. वो एकदम से कराह उठी लेकिन मैंने उसकी चिल्लपौं को नजरअंदाज किया और उसे तेज़ तेज़ चोदने लगा.


वो ‘आह हहह ऊई ईईई ऊईई ईईई मर गई … आह बचाओ मर गई मर गई.’ चिल्लाती रही और मैं जोर जोर से धक्का लगाता चला गया. मैं अपने पूरे लंड को चुत में अन्दर बाहर करने लगा.


थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो वो आह आह करके पूरा मज़ा लेने लगी.


मैं अब अपनी पूरी ताकत से प्रीति की मस्त चुत को चोदने लगा और उसके होंठों को चूसने लगा. वो भी साथ देने लगी.


हम दोनों गर्म हो गए थे. फिर मैंने उसे बिस्तर पर घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड पेल कर उसे चोदने लगा.


अब उसको कुछ ज्यादा मजा आने लगा था तो वो अपनी गांड तेज़ी से आगे पीछे करके मेरे हर झटके का जबाव दे रही थी. कमरे में थप थप थप थप की आवाज़ आ रही थी, मस्त चुदाई हो रही थी.


बुआ आंगन से सब देख रही थीं और वो नंगी होकर नहा रही थीं. मैंने अपना लंड चूत से निकाल लिया और प्रीति की गांड के सुराख पर थूक लगा कर लंड घुसाने लगा.


प्रीति दर्द से चिल्लाने लगी मगर मैंने लंड अन्दर घुसा दिया और धीरे धीरे चोदने लगा. मैं उसके मम्मों को सहलाने लगा और चूमने लगा. साथ ही मैं उसकी गांड में लंड के झटके भी लगाता जा रहा था.


धीरे धीरे उसकी गांड में मेरा लौड़ा आसानी से आने जाने लगा.


अब मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी. वो भी ऊंह ऊंह करके अपनी क़मर चलाने लगी.


उसकी आवाज मुझे मस्त कर रही थी- आहह हह आहहह चोदो राज … तुम्हारे लौड़े में दम है … मुझे चैन मिल गया है मेरी जान … आह बहुत मजा आ रहा है! और तेज़ करो … फ़ाड़ दो मेरी गांड आह!


अब मैं भी जोश में आ गया और लंड को तेज़ अन्दर बाहर करने लगा.


थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया. उसकी चूत में अब मेरा लंड शताब्दी ट्रेन के जैसे गपागप गपागप अन्दर बाहर होने लगा.


दोनों की मादक सिसकारियां बराबर से निकल रही थीं और हर झटके के साथ रूम में गर्मी बढ़ने लगी थी.


ताबड़तोड़ चुदाई में प्रीति की चूत ने पानी छोड़ दिया और गीला लंड फच्च फच्च फच्च की आवाज से पूरा अन्दर तक जाने लगा.


मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से धक्का लगाने लगा. तभी मेरे लंड ने गर्म वीर्य की धार छोड़ दी. मैं उसकी चूत में लंड डालकर मैं ऊपर गिर गया.


थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए और लेट गए.


आज की चुदाई से प्रीति बहुत खुश थी, उसे मेरे लौड़े ने पूरा मज़ा दिया था.


थोड़ी देर में मैं उठा और नंगा ही बुआ के पास चला गया. मैंने उनके मुँह में अपना लंड घुसा दिया. वो गपागप गपागप लंड चूसने लगीं.


बुआ पूरे जोश में लंड चूस रही थीं, शायद वो बता रही थीं कि उनमें आज भी आग है.


मैंने लंड निकाल लिया और वहीं बुआ को लिटा कर उनकी चूत में लंड घुसा कर गपागप गपागप चोदने लगा. वो आह आहह करके मस्ती से चुदवा रही थीं. मैं बुआ के मम्मों मसलने लगा और झटके मारने लगा.


इतने में प्रीति आ गई और उसने अपनी चूत को बुआ के मुँह पर रख दी.


मैं बुआ को चोद रहा था और बुआ उसकी चूत को चाटने लगी थी.


थोड़ी देर बाद मैंने लंड निकाल लिया और प्रीति को चोदने लगा. बुआ ने अपनी चूत प्रीति के मुँह पर रख दी और मैं तेजी से लंड चुत में अन्दर-बाहर करने लगा. प्रीति बुआ की चूत चाट रही थी और मैं उसे चोद रहा था.


बुआ आह आहह की सिसकारियां निकालने लगी थीं.


थोड़ी देर बाद बुआ ने पानी छोड़ दिया और प्रीति पूरा पानी पी गई. बुआ उठकर साइड में आ गईं.


मैंने लंड निकाल लिया और प्रीति को गोद में लेकर बिस्तर पर आ गया.


उसे मैंने बिस्तर पर झुका दिया और उसकी टांग को उठा कर चोदने लगा. वो आह हहह आहह करके मजा ले रही थी और मैं झटके पर झटके लगाने में लगा था.


थोड़ी देर बाद मैंने उसे अपने लंड पर बैठने को कहा. वो लंड पर उछल उछल कर गांड पटकने लगी.


मेरा लंड अन्दर बच्चादानी तक जाने लगा और उसकी सिसकारियां तेज़ हो गईं.


उसकी चूचियां टाइट होने लगीं और वो तेजी से उछलने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे चोद रही हो.


आह आह करके उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. मैं भी नीचे से झटके लगा रहा था.


उसकी आवाज अचानक एकदम से तेज हो गई और उसने गर्म गर्म पानी से लंड गीला कर दिया.


मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और तेज़ तेज़ चोदने लगा. फच्च फच्च फच्च की आवाज तेज हो गई और मैं अपनी पूरी रफ्तार से चोदने लगा.


ऐसा लग रहा था जैसे पटरी पर एक्सप्रेस ट्रेन दौड़ रही थी.


फिर मैंने उसकी चूचियों के बीच लंड रखकर तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया.


उसकी चूचियां के बीच लंड अपनी रफ़्तार से चल रहा था. मेरा माल भी अब निकलने वाला था.


मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया और झटके मारने लगा. वो भी लॉलीपॉप जैसे लंड चूस रही थी और मैं आह आह करके झटके मार रहा था.


कुछ ही पलों में मेरा शरीर अकड़ने लगा और वो अभी भी लंड को तेज तेज चूस रही थी. मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया.


वो लंड चूसते चूसते पूरा माल गटगट करके पी गई.


हम दोनों बिस्तर पर लिपटकर लेटे हुए थे. थकान ज्यादा हो गई थी, पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई.


जब दो घंटे बाद मेरी नींद खुली तो मेरे साथ बुआ नंगी लेटी हुई थीं. मैंने देखा तो प्रीति नहीं नजर आ रही थी.


जब मैंने बुआ को जगाया तो उन्होंने बताया कि वो अपने घर चली गई.


मैंने घड़ी की तरफ देखा तो 3 बज चुके थे. बुआ का हाथ मेरे लौड़े को सहला रहा था. उन्होंने अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया मेरा लंड खड़ा हो गया. फिर बुआ लंड पर बैठ गईं तो लंड सट्ट से अन्दर चला गया.


वो आह आहह करके लौड़े पर उछलने लगीं. मेरा लंड अन्दर बच्चादानी तक जाने लगा और मैं बुआ की चूचियों को पकड़ कर उनसे खेलने लगा.


वो आह उह ओहह करके तेज़ तेज़ उछल रही थी.


बुआ बोलीं- राज अब तो खुश है न? मैंने कहा- हां बुआ, तुम बहुत अच्छी हो.


मैं उन्हें चूमने लगा तो वो बोलीं- राज तुम मुझे तो नहीं भूल जाओगे? मैंने कहा- नहीं बुआ … मैं ऐसे ही हमेशा तुम्हारी प्यास मिटाऊंगा.


फिर मैंने उन्हें उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और चोदने लगा.


अब हम दोनों अपनी अपनी कमर हिला हिला कर चुदाई में लगे हुए थे. आह आह की आवाज से पूरा कमरा गूंजने लगा था.


मैंने बुआ को घोड़ी बनाकर उनकी गांड में लंड घुसा दिया और गांड मारने लगा. बुआ अपनी गांड आगे पीछे करके मज़े से चुदवा रही थीं और मैं तेज़ तेज़ अन्दर बाहर करने लगा था.


फिर मैंने उन्हें उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी दोनों टांगों को मोड़ कर चूत में लंड घुसा कर गपागप गपागप चोदने लगा.


‘आह हहह उम्माह ऊईई ईईई …’ करके बुआ लंड लेने लगीं और मैं तेजी से बुआ की चूत में अन्दर बाहर करने लगा.


मैं अब ऊपर बैठकर चोदने लगा था. इससे बुआ को दर्द हो रहा था क्योंकि उनकी दोनों टांगें मुड़ी हुई थीं.


मैंने उन्हें सीधा लिटा दिया और ऊपर आ कर चोदने लगा. अब वो मस्त होकर चुदाई का मज़ा लेने लगी थीं.


मैं अपने लंड की रफ्तार तेज करके चोदने लगा.


अब हम दोनों की सिसकारियां एक साथ तेज़ होने लगीं और थोड़ी देर बाद दोनों ने एक साथ पानी छोड़ दिया.


थक कर हम दोनों ऐसे ही चिपक कर लेट गए. दस मिनट बाद दोनों उठे और एक-दूसरे को साफ़ किया. दोनों ने अपने कपड़े पहने फिर मैं वापस घर आ गया.


इस तरह लंड की प्यासी अपनी सहेली को बुआ ने फिर से चुदवा दिया था.


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