पड़ोसी आंटी को नंगी देखकर चोदा

करण शिशोदिया

27-08-2023

36,446

आंटी की चुदाई हिंदी कहानी में पढ़ें कि मेरे डील डौल के कारण गांव की महिलाएं, लड़कियां मुझसे चुदवाने को तरसती हैं. पर मैंने सबसे पहले पड़ोस की एक सेक्सी आंटी को चोदा था.


मेरा नाम ऋतिक है. मैं गांव का 19 साल का एक देसी गबरू लड़का हूँ; अच्छी खिलाई पिलाई के कारण मैं सांड जैसा हो गया हूँ. मेरी कद काठी को देख कर गांव की महिलाएं और लड़कियां मुझसे चुदवाने को तरसती हैं.


मैंने अब तक कई चूतें फाड़ी हैं. अगर गांव के नवजात बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा तो करीब करीब आधे से ज्यादा बच्चे मेरे बीज से ही पैदा हुए निकलेंगे.


यह आंटी की चुदाई हिंदी कहानी मेरे सेक्स जीवन की शुरुआत की है. उस वक्त तक मैंने किसी को नहीं चोदा था.


हालांकि मुझे इस बात का अंदाजा था कि कई भाभियां और आंटियां मुझे अपने साथ लिटाना चाहती हैं.


मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं. हमारा उनसे काफी घरोबा था. मैं उनके घर आता जाता रहता था. कई बार मैं उनके घर में ही सो जाता था.


चूंकि गांव में इस बात का कोई बुरा नहीं माना जाता है … और ये मेरे पड़ोस का मामला था तो मुझे कुछ ज्यादा ही छूट मिली हुई थी.


बगल वाली आंटी का फिगर 34-30-36 का था. उनके बड़े ही मस्त बूब्स व उठी हुई गांड थी.


मैं जब भी आंटी को देखता था तो मुझे उन्हें चोदने का मन करता था.


एक बार मैं आंटी के घर गया तो आंटी नहाने जा रही थीं.


आंटी ने मुझे आया देखा तो वे मुझसे बोलीं- क्या काम है ऋतिक? मैंने कहा- कुछ नहीं, बस मैं तो यूं ही आया था.


आंटी बोलीं- ओके अभी तुम बाहर जाओ, मुझे नहाना है. मैंने कहा- आंटी मैं ऊपर छत पर जा रहा हूं. आंटी बोलीं- हां, ठीक है जाओ.


आप लोगों को तो पता ही होगा कि गांव में नहाने के लिए बाथरूम नहीं होते हैं. या कम ही घरों में होते हैं.


आंटी के घर बाथरूम नहीं था. वे अपने आंगन में लगे हैंडपंप पर ही नहाती थीं.


मैं ऊपर आ गया था. आंटी की छत पर जाल लगा हुआ था. उसे धूप और ताजी हवा के जाने के लिए लगाया गया था.


मैं जाल के पास चुपके से बैठ गया और आंटी को देखने लगा.


कुछ देर के बाद आंटी अपने कपड़े उतारने लगीं. पहले आंटी ने अपना ब्लाउज खोला, फिर पेटीकोट खोला. अब आंटी ब्रा और पैंटी में थीं.


कुछ देर के बाद आंटी ने ब्रा और पैंटी भी निकाल दी. अब आंटी एकदम नंगी होकर नहा रही थीं.


मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी. आज पहली बार मैं आंटी को नंगी देख रहा था.


उनके बूब्स और गांड बहुत ही ज्यादा मस्त लग रही थी. आंटी की एकदम मस्त माल दिख रही थीं.


मेरा मन कर रहा था कि अभी नीचे जाकर आंटी को चोद दूं. मगर सिवा लंड हिलाने के कुछ नहीं कर सका.


कुछ देर बाद आंटी नहा ली और कपड़े भी पहन लिए.


फिर आंटी ने मुझे आवाज दी- नीचे आ जाओ. मैं नहा चुकी हूँ. मैं नीचे आ गया और आंटी के सामने खड़ा हो गया.


मेरा लंड एकदम सीधा खड़ा था. आंटी मेरे लंड की तरफ देखने लगीं.


उन्होंने हैरत से मेरी तरफ देख कर पूछा- ये क्या है? मैंने कहा- कुछ नहीं.


यह कहकर मैं शर्मा गया और भाग कर अपने घर चला गया. आंटी जोर जोर से हंसने लगी थीं. उनकी हंसने की आवाज मेरे कानों में एक अजीब सा भाव पैदा कर रही थी.


मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था.


मैंने घर में जाते ही बाथरूम का रुख किया और अन्दर जाकर मुठ मारने लगा. उस समय मेरी आंखें बंद हो गई थीं और सामने सिर्फ आंटी की नंगी जवानी ही दिख रही थी.


मुठ मारने के बाद लंड शांत हुआ. फिर मैं नहाने चला गया और नहाने के कुछ देर बाद मैं फिर से आंटी के घर आ गया.


आंटी ने मुझसे पूछा- अब क्या हुआ ऋतिक? मैंने कहा- कुछ नहीं आंटी, आपको देखने आया था.


आंटी हंस कर बोलीं- अच्छा, बैठ जा. फिर मैंने आंटी से कहा- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो.


आंटी ने कहा- अच्छा. तो तू इसीलिए मुझे देखने आता है क्या? मैंने कोई जवाब नहीं दिया.


कुछ देर बाद आंटी ने हंस कर कहा- तू आ जाया करना. मुझे भी तेरा आना अच्छा लगता है.


अब मैं रोज आंटी के घर जाने लगा और आंटी के साथ कैरम बोर्ड खेलने लगा.


एक दिन आंटी के पति यानि अंकल जी हिमाचल में काम करने चले गए.


मैं आंटी के घर गया. आंटी बोलीं- ऋतिक आज तुम्हारे अंकल हिमाचल चले गए हैं. अब रात में तुम मेरे घर में सो जाना.


मुझे मौका मिल गया. मैंने कहा- ठीक है, आंटी जैसा आप कहें.


घर जाकर मैंने अपने घर में बता दिया कि मुझे आंटी के घर में सोने जाना है. घर वालों ने कुछ नहीं कहा.


कुछ देर के बाद रात हो गई. मैं आंटी के घर आ गया. उस वक्त रात के दस बज रहे थे.


आंटी के घर में दो कमरे थे. एक कमरे में आंटी ने मेरे लिए सोने की व्यवस्था कर दी थी. मैं लेट कर फोन चलाने लगा.


आंटी दूसरे कमरे में टीवी देख रही थीं. कुछ देर बाद आंटी ने टीवी बन्द कर दी और लेट गईं. वे अपना फोन चलाने लगी थीं.


मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं चुपके से आंटी के रूम के पास गया और हल्के से दरवाजा खोला.


तो देखा आंटी फोन में ब्लू फिल्म देख रही थीं. वे अपनी चूत में उंगली कर रही थीं. कुछ ही देर में आंटी ने सब कपड़े उतार दिए.


यह सीन देख कर मेरा लंड बिल्कुल फटा जा रहा था. मुझे लगा कि अभी आंटी के पास जाकर उनको चोद दूं.


उस वक्त आंटी पूरी तरह से गर्म थीं और चूत में तेज तेज उंगली कर रही थीं. उनके कंठ से ‘आह ऊह आह.’ की आवाज निकल रही थी.


मुझे रहा नहीं गया और मैं आंटी के पास चला गया. आंटी ने मुझे देखा और अपना बदन कपड़ों से ढकने लगीं.


वे बोलीं- तुम यहां क्या कर रहे हो? अपने रूम में जाओ. मैंने कहा- पहले आपको चोदूंगा. मैं वैसे भी आपको बहुत दिनों से चोदने के लिए सोच रहा था.


आंटी हंस कर बोलीं- अच्छा! मैंने कहा- हां आंटी.


फिर आंटी बोलीं- अच्छा आज नहीं, कल. मैंने कहा- आंटी एक बार प्लीज!


आंटी बोलीं- नहीं, कहा न कल. मैंने कहा- अरे यार आंटी, इधर लंड फटा जा रहा है और आप नखरे कर रही हैं.


आंटी बोलीं- चल, मैं मुँह में लेकर निकाल देती हूँ … लेकिन दूँगी कल! मैंने उनकी बात को समझा और कहा- अच्छा ठीक है.


मैं आंटी के पास गया और खड़ा हो गया. आंटी मेरे सामने घुटनों पर बैठ गईं और मुँह में लंड लेने के लिए मुँह खोलने लगीं.


आंटी ने मेरा लंड निकाला और देख कर बोलीं- हाय … इतना बड़ा लंड! इतना बड़ा तो तुम्हारे अंकल का भी नहीं है.


मेरा लंड सामान्य से ज्यादा लंबा और मोटा है. मैंने कहा- अब हाय हाय न करो आंटी … जल्दी से चूसना शुरू करो.


आंटी ने मेरे लौड़े को मुँह में लेना शुरू कर दिया. मेरा आधा लंड आंटी के मुँह में जा पा रहा था. मैंने आंटी का सिर पकड़ा और आंटी का मुँह चोदने लगा.


कुछ देर के बाद मैंने अपना सारा माल आंटी के मुँह के अन्दर निकाल दिया. आंटी ने पूरा माल पी लिया और वे बोलीं- बहुत मस्त माल था तुम्हारा!


फिर हम दोनों साथ में बेड पर लेट गए और सो गए. सुबह मैं अपने घर चला गया.


आंटी ने आज रात का वादा किया था. मैं रात होने का इंतजार कर रहा था.


कुछ सोच कर मैं मेडिकल स्टोर पर गया और उधर से मैनफोर्स टैबलेट खरीद ली साथ ही एक के-वाई जैल भी ले लिया. मेरे दिमाग में आंटी की गांड मारने का मंसूबा भी बनने लगा था.


कुछ ही समय बाद रात गहरा गई. मैं आंटी के घर गया तो देखा कि आंटी ने सैक्सी नाईटी पहन रखी थी. वे मेरा ही इंतजार कर रही थीं.


आंटी मेरे लौड़े से अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार थीं. मैं आंटी के पास गया.


कुछ देर तक हम दोनों ने बात की. अब आंटी ने मुझे पकड़ा और चुम्मा चाटी शुरू कर दी.


कोई 20 मिनट तक आंटी ने चुम्मा चाटी की. फिर आंटी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मैंने भी उनके सारे कपड़े उतार दिए.


आंटी बिल्कुल नंगी मेरी बांहों में थीं.


मैंने आंटी को बिठाया और उनके मुँह में लंड दे दिया. कुछ देर तक आंटी ने मेरा लंड चूसा.


मैंने आंटी से कहा- मैं आपकी चूत चाटना चाहता हूँ. आंटी ने कहा- ठीक है. हम दोनों एक साथ एक दूसरे के लंड चूत से मजा लेते हैं. मैंने उनकी बात समझ ली और हम दोनों 69 में आ गए.


मैंने पहली बार आंटी की चूत इतनी करीब से देखी थी. क्या कचौड़ी सी फूली हुई चूत थी आंटी की … एकदम गहरी लाल चूत. मैंने उसे चाटना शुरू कर दिया.


लगभग दस मिनट में आंटी का पानी निकल गया. मैंने सारा पानी चाट लिया और चूत चमका दी.


कुछ देर फ़ोरप्ले करने के बाद आंटी चुदने के लिए पूरी तरह से गर्म हो गईं.


उन्होंने कहा- ऋतिक अब मुझे चोद दो … और मत तड़पाओ. मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेना चाहती हूँ.


मैंने आंटी को बेड पर सीधी लेटने को कहा. आंटी सीधी लेट गईं.


मैंने आंटी की टांगें ऊपर कर दीं और लंड का सुपारा आंटी की चूत पर रख कर रगड़ने लगा.


आंटी ने अकुलाते हुए कहा- अब डालो भी ऋतिक प्लीज़. मैंने देर न करते हुए आंटी की चूत पर लंड को रखकर धक्का दे दिया.


चूत चिकनी थी तो लंड अन्दर सरकता चला गया. आंटी की चीख निकल गई- आह मर गई.


मैंने एक और धक्का दे दिया. आंटी की फिर से चीख निकल गई- आ मर गई.


आंटी बहुत तेज से आवाज निकाल रही थीं. मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रखा और धकापेल मचा दी. कुछ ही धक्कों में आंटी को मजा आने लगा.


अब उनकी भाषा बदल गई थी- आह चोदो ऋतिक … और तेज धक्के लगाओ … फाड़ दो आज मेरी चूत को … आह आह मर गई. मैं और तेज तेज धक्के लगाने लगा.


लगभग 15 मिनट बाद मैं झड़ गया और उतनी देर में आंटी दो बार झड़ गई थीं.


कुछ देर बाद फिर से लंड खड़ा हो गया. मैं फिर से आंटी को कुतिया बना कर चोदने लगा.


आंटी बहुत तेज तेज से चीख रही थीं और मैं उतनी ही तेज गति से उन्हें चोद रहा था.


इसी तरह मैंने आंटी को आठ बार चोदा लेकिन अब भी मेरा लंड खड़ा था.


आंटी बोलीं- मेरी चूत दुख रही है, अब बस करो. मैंने कहा- मुझे गांड मारने दो.


आंटी ने गांड मरवाने से साफ इंकार कर दिया. मैंने सोचा कि चलो आज रहने देते हैं. बाद में गांड तो जरूर ही मारूंगा.


उसके बाद तीन दिन तक आंटी ने चूत नहीं चुदवाई.


मगर चूत की चुल्ल तो इतनी गंभीर समस्या होती है कि उसे बिना लंड के चैन नहीं मिलता है. वही हुआ.


अंकल के घर से चले जाने के बाद आंटी मुझे घर बुला लेतीं और हम दोनों का सेक्स गेम शुरू हो जाता.


अब मैं आंटी को लगभग रोज चोदता हूँ. हालांकि मैं अभी उनकी गांड नहीं चोद पाया हूँ.


पर मुझे उम्मीद है कि एक न एक दिन आंटी की गांड में मेरा लंड जरूर जाएगा.


आपको मेरी आंटी की चुदाई हिंदी कहानी कैसी लगी. प्लीज कमेंट्स जरूर करें. [email protected]


Aunty Sex Story

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ