जूनियर की मां को चोदा

अंकित शर्मा 8

14-02-2023

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देसी आंटी चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं कॉलेज स्टूडेंट और उसकी मम्मी से मिला. मैंने उन्हें कमरा दिलवाया. फिर रात को मैंने आंटी की चूत और गांड दोनों मारी.


फ्रेंड्स, मेरा नाम विवेक है. ये बदला हुआ नाम है. मेरी उम्र 21 साल है. मेरे लंड का साइज़ 7.5 इंच है और ये 3.4 इंच मोटा है.


मैं एक बीटेक का स्टूडेंट हूँ, तो अपने घर से दूर अलग रूम लेकर रहता था. दरअसल मेरे घर कॉलेज दूर पड़ता था और मुझे आने जाने में ही काफी समय लग जाता था.


ये देसी आंटी चुदाई कहानी तब की है जब मेरा कॉलेज का दूसरा साल खत्म हुआ, नया सेशन शुरू हुआ था.


हमारी क्लास चल रही थी.


हम सारे स्टूडेंट्स क्लास में मस्ती कर रहे थे. इस कारण से मुझको टीचर ने क्लास से बाहर निकाल दिया था.


मैं कॉरीडोर में बैठ कर अपना फोन चलाने लगा. तभी एक आंटी मेरे पास आईं. उनका नाम सरिता था. वो काफी जवान लग रही थीं.


मैडम का रंग गोरा था और उनका फिगर 34-30-36 का था. उन्होंने जीन्स टॉप पहन रखा था, जिसमें वो काफ़ी सेक्सी लग रही थीं. उन्हें देख कर मेरा लौड़ा खड़ा होने लगा.


तभी मैंने नज़र घुमाई तो एक लड़का भी मेरे पास खड़ा था.


मुझको लगा कि मैडम को मुझसे कुछ काम होगा. तो मैंने पूछ लिया- मेम आपको मुझसे कुछ काम था?


सरिता मेम ने हां में सिर हिलाया और पूछा- इधर आस पास कोई हॉस्टल है क्या?


मैंने- हां, कॉलेज का हॉस्टल है, लेकिन शायद वहां सारे रूम अलॉट हो गए हैं. इधर कुछ प्राइवेट हॉस्टल भी हैं, लेकिन वो कॉलेज से काफ़ी दूर पड़ जाएंगे. वो मैडम कुछ सोचने लगीं.


उस लड़के को देख कर मैंने पूछा- ये आपके साथ है? सरिता मेम- हां, ये मेरा बेटा है. न्यू एड्मिशन है.


मैंने उसकी तरफ देखा और उसका इंट्रो लिया.


उसका नाम हिमांशु मीना था और वो सिविल ब्रांच से था.


सरिता मेम- यहां रूम नहीं है तो हमें प्राइवेट हॉस्टल ही देखना पड़ेगा. दूर है, लेकिन अब क्या कर सकते हैं. मैंने बोला- क्यों ना ये अलग रूम लेकर रह ले, यहां पास में रूम मिल जाएंगे. मैं भी रूम लेकर ही रह रहा हूँ.


सरिता मेम- लेकिन फिर खाना बनाना वगैरह … ये सब इसे नहीं आता है. मैं- घबराएं नहीं आंटी, यहां मेस भी तो है. इसको खाना बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है.


मुझे मेम से आंटी कहते सुनकर आंटी के चेहरे पर मुस्कान आ गई.


सरिता आंटी- हमारे साथ में इतना सारा सामान भी है. अब सामान कहां रख कर कमरा देखेंगे? मैं- मेरे पास ही एक सिंगल रूम खाली है, आप चाहें तो वहां देख सकती हैं. सरिता आंटी- थैंक्स बेटा.


अब तक कॉलेज खत्म हो गया था. मैं उन्हें अपने साथ ले गया और उन्हें मकान मलिक से मिलवा दिया.


उनकी कमरा लेने की बात पक्की हो गई. मैं खाना खाने चला गया.


खाना खाकर आया मैं और उनके लिए भी खाना ले आया. वो दोनों मिल कर अपना सामान सैट कर रहे थे.


मैंने उन्हें खाना दिया और अपने रूम में आ गया. मैं फोन में गेम खेलने लगा और कुछ देर बाद सो गया.


शाम के टाइम उठा और दोस्तों के साथ चाय पीने चला गया.


शाम के 8 बजे के आस-पास मैं रूम पर आया तो मुझे आंटी से मिलने का मन हुआ. मैंने उनका दरवाजा नॉक किया.


सरिता आंटी- हां बेटा क्या हुआ? मैं- खाना खाने जा रहा था, आप लोग साथ चलेंगे या पैक करवा कर ले आऊं?


सरिता आंटी- हां हम साथ चलते हैं. मेस भी देख लेंगे और उन्हें कुछ रुपए भी दे देंगे. मैंने ओके कह दिया और हम सब खाना खाने मेस में आ गए.


कुछ देर बाद हम सब खाना खाकर वापिस आ गए.


करीब 9:30 बजे के आस पास मैं फिर से उनके रूम में गया.


मैं- आंटी, आपको कोई परेशानी तो नहीं है ना! सरिता आंटी- नहीं बेटा, तुमने तो सब समस्या दूर कर दी, बस इसके रहने की परेशानी थी, अब कोई दिक्कत नहीं है.


मैं- अच्छा तो ठीक है. वैसे आप आज यहीं रुकने वाली हैं या आज ही जाएंगी? उन्होंने रुकने के लिए हां में सिर हिला दिया.


मैं- लेकिन यहां तो सिंगल बेड ही है, आप दोनों कैसे अड्जस्ट कर पाओगे? सरिता आंटी- नहीं, हम कर लेंगे.


मैं- मेरा रूममेट गांव गया हुआ है, तो मेरे कमरे में एक बेड खाली है. आप यहां सो जाइएगा. मैं और हिमांशु मेरे रूम में सो जाते हैं. हिमांशु- हां मम्मी, भैया सही कह रहे हैं.


फिर हम दोनों मेरे रूम में चले गए.


रात को एक बजा था. उस वक्त मैं रूम से बाहर निकला, तो मैंने देखा कि आंटी पेशाब कर रही थीं लेकिन उन्होंने दरवाजा खुला रखा हुआ था.


अंधेरा काफ़ी था, कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. सामने के घर में लाइट जल रही थी, जिस कारण से मुझे थोड़ा थोड़ा दिख रहा था.


आंटी अपनी चूत में उंगली कर रही थीं. मैं एकटक उन्हें देख रहा था.


तभी उन्होंने मेरी तरफ देखा और मैं नीचे देखने लगा. आंटी बाहर आईं. उन्होंने काले रंग की नाइटी पहन रखी थी.


सरिता आंटी- बेटा, अभी तक सोए नहीं? मैं- वो मैं लेट ही सोता हूँ आंटी. वो कुछ नहीं बोलीं.


फिर मैंने हिम्मत करके पूछा- आंटी वहां आप क्या कर रही थीं? सरिता आंटी शर्मा गईं और उन्होंने कहा- नहीं, कुछ भी तो नहीं.


मैंने कहा- अगर आप बुरा ना माने, तो मैं कुछ पूछ सकता हूँ? सरिता आंटी- हां पूछो.


मैं- आपके हबी आपको खुश नहीं कर पाते हैं क्या? सरिता आंटी थोड़ा दिखावटी गुस्सा करती हुई बोलीं- ये क्या बोल रहे हो?


मैं- नहीं, मेरा मतलब वो नहीं था. मुझे ये देख कर लगा था, तो मैंने पूछ लिया. सॉरी आंटी. सरिता आंटी- मेरे पति विदेश में काम करते हैं, वो साल में एक बार आते हैं या कभी दो साल में आते हैं.


ये कह कर आंटी फिर से चुप हो गईं. उनकी बात सुनकर मैं समझ गया कि सरिता आंटी में हवस की काफ़ी भूख है.


मैंने सरिता आंटी के कंधे के हाथ रखा और सहलाने लगा.


सरिता आंटी- ये क्या कर रहे हो? उनकी बात को नजरअंदाज करके मैं आंटी के गालों को सहलाने लगा.


सरिता आंटी मुझसे दूर हट कर बोलीं- ये तुम क्या कर रहे हो? वो मुझसे हट कर अपने रूम में जाने लगीं.


मैं भी सरिता आंटी के पीछे उनके रूम में आ गया. मैंने गेट बंद कर दिया.


सरिता आंटी धीमी आवाज में बोलीं- तुम क्या करना चाहते हो? मैं- आपकी ज़रूरत पूरी करना चाहता हूँ.


मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उन्हें चूमने लगा. वो मुझसे छूटने का झूठा नाटक करने लगीं और बोलीं- दूर हटो मुझसे! मैं- देख लो, कब तक उंगली का सहारा लेती रहेंगी?


मैं सरिता आंटी को चूमने लगा. अब वो कुछ नहीं बोल रही थीं.


कुछ टाइम बाद सरिता आंटी बोलीं- ये सब ठीक नहीं है, हिमांशु उठ गया तो मुझे दिक्कत हो जाएगी.


मैंने झूठ बोल दिया- उसका इंतजाम मैंने पहले ही कर दिया है. मैंने उसके जूस में नींद की गोली मिला दी थी. सरिता आंटी- तो मतलब चुदाई की सब प्लानिंग तुम पहले से ही कर चुके थे?


मैं- हां कर तो चुका था, तो लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी. वो तो आपको चूत में उंगली करते देखा तब हिम्मत कर पाया. सरिता आंटी भी मेरा साथ देने लगीं और बोलीं- मैं भी तुम्हें देखते ही मन बना चुकी थी मगर मेरी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि तुमसे कैसे कहूँ.


अब मैं सरिता आंटी के होंठों को चूमने लगा. वो भी खुल कर मेरा साथ दे रही थीं.


मैंने सरिता आंटी की नाइटी ऊपर उठाई, तो देखा कि उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहन रखा था.


मैं उनकी चूत सहलाने लगा. मैंने नाइटी भी निकाल दी.


अब सरिता आंटी मेरे सामने एकदम नंगी खड़ी थीं. उनके दूध उठे हुए थे. एकदम गोरा बदन था.


मैं सरिता आंटी के बदन को चाटने लगा ओर एक हाथ से उनकी चूत में उंगली कर रहा था, साथ ही दूसरे हाथ से उनके दूध दबा रहा था. कुछ ही देर में सरिता आंटी भी गर्म हो गई; उन्होंने मेरा पजामा और अंडरवियर एक साथ निकाल दिए.


सरिता- तुम्हारा औजार तो काफ़ी बड़ा है. मैं- आपके पति के लंड से भी बड़ा है क्या?


सरिता आंटी- उनका लंड ज़्यादा बड़ा नहीं है. आंटी मेरे लंड को सहलाने लगीं.


मैंने भी अपनी टी-शर्ट निकाल दी. अब हम दोनों एकदम नंगे थे.


फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए. मैं उनकी चूत में अपनी जीभ फेरने लगा और वो सिसकारियाँ भरने लगीं.


आंटी मेरा लंड भी चूस रही थीं.


करीब 5 मिनट बाद हम दोनों अलग हुए.


अब मैं सरिता आंटी के ऊपर चढ़ गया.


मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा. उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.


मैंने सरिता आंटी के पैरों को ऊपर किया और अपना लंड उनकी चूत में सटा दिया, उनकी टांगें फैला कर मैंने एक जोरदार धक्का दे मारा. लंड अन्दर घुसा और वो चीख पड़ीं. मेरा आधा लंड आंटी की चूत में चला गया था.


तभी मैंने फिर से एक और जोरदार धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया.


अब वो दर्द से चीखने लगीं- आह बहुत दर्द हो रहा है बेटा … बाहर निकालो अपने लंड को … आह. मैं- तुम्हारे पति का छोटा है न आंटी … इसलिए एक बार तो दर्द होगा ही. कुछ देर सह लो फिर मजा आएगा.


मैं धीरे धीरे धक्के देने लगा. वो मादक सिसकारियाँ भरने लगीं- आईईई आह मांआई मरररर गईइइ


मैंने धक्के थोड़े तेज़ कर दिए. सरिता आंटी- आआहह … दर्द हो रहा है धीमे चोद आईई मम्मी आह.


थोड़ी देर बाद सरिता आंटी को भी मज़ा आने लगा और अब वो भी मेरा साथ देने लगीं. मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए.


सरिता आंटी मादक आहें भर रही थीं- आह चोदो राजा आह मज़ा आ रहा है. मैं- हां जानेमन … मुझे भी मजा आ रहा है. मेरा लंड मजा दे रहा है न! सरिता- हां बहुत मजा आ रहा है.


आंटी की चूत चोदने के साथ साथ मैं उनके होंठों को भी चूमने लगा. करीब दस मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मैं झड़ गया. मैंने अपना वीर्य सरिता आंटी के पेट पर गिरा दिया था.


मेरे साथ चुदाई में सरिता आंटी 2 बार झड़ चुकी थीं. हम दोनों अलग हो गए.


सरिता आंटी मेरे लंड को चूसने लगीं. थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.


मैं- बेबी, डॉगी स्टाइल में करें? सरिता आंटी- हां उसमें काफ़ी मजा आएगा. मैं- चलो, फिर घोड़ी बन जाओ.


सरिता आंटी घोड़ी बन गईं और मेरा रूम बगल में ही था इसलिए मैं नंगा ही रूम में गया और तेल की शीशी ले आया.


मैं सरिता आंटी से बोला- जानेमन, मेरे लंड पर तेल लगा दो. सरिता आंटी ने मेरे लंड पर तेल लगाया और घोड़ी बन गईं. मैंने अपनी उंगली उनकी गांड में डाल दी और हिलाने लगा.


वो मादक सिसकारियाँ भर रही थीं


सरिता आंटी- क्या तुम अब मेरी गांड मारोगे? मैं- हां मेरी जानेमन!


सरिता आंटी- नहीं गांड नहीं, उसमें काफ़ी दर्द होता है, मैंने अपने पति को भी दुबारा गांड मारने नहीं दी. मैं- बेबी, एक बार दर्द होगा, फिर मजा आने लगेगा.


सरिता आंटी- नहीं गांड नहीं. मैं- नहीं, मुझे तो गांड चाहिए. वरना आगे से आपको फिर से अपनी चूत के लिए एक लंड ढूँढना पड़ेगा.


सरिता आंटी अब कुछ नहीं बोल रही थीं. मैंने सरिता आंटी की गांड पर खूब सारा तेल लगाया और लंड को गांड से सटा दिया.


मैं अपना लंड सरिता आंटी की गांड में डाल रहा था, लेकिन वो काफ़ी टाइट थी. फिर मैंने और ज़्यादा तेल लगाया और लंड को झटका दे दिया.


मेरा लंड आधा अन्दर जा चुका था. सरिता आंटी चीख रही थीं- बाहर निकालो इसे प्लीज़ … आह मुझे दर्द हो रहा है. मैंने एक ना सुनी और एक और जोरदार झटका लगा दिया.


अब मेरा पूरा लंड सरिता आंटी की गांड में घुस गया था. सरिता दर्द के मारे रोने लगी.


सरिता आंटी रोती हुई- प्लीज़ बाहर निकालो इसे … मुझे काफ़ी दर्द हो रहा है. मैं- जानेमन, ये तो प्यार का दर्द है.


मैं धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. सरिता का रोना जारी था.


थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, तो मैंने धक्के तेज़ कर दिए और सरिता आंटी ज़ोर ज़ोर से आवाजें निकालने लगीं- आईई … आआ अहह मररर गईइ. अब क्या मार ही डालोगे … थोड़ा धीरे कर लो.


मैं- धीरे करने में मजा कहां आता है. मैंने धक्के तेज़ कर दिए.


थोड़ी देर बाद सरिता आंटी को भी मजा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगीं. दस मिनट की घमासान गांड चुदाई के बाद मेरा वीर्य उनकी गांड में ही झड़ गया.


हम दोनों अलग हो गए और कपड़े पहन लिए.


मैं- मजा आया ना आंटी? सरिता आंटी- हां बहुत मजा आया.


फिर मैंने सरिता आंटी के होंठ चूमे और अपने रूम में आ गया.


अब सरिता आंटी अक्सर वहां आती हैं और हमारा खेल शुरू हो जाता है. देसी आंटी चुदाई कहानी कैसी लगी आपको? मुझे कमेंट्स में अवश्य बताएं. [email protected]


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