सेक्सी मकान मालकिन के सामने लंड मसल दिया

शिवशंकर नागपुर

26-10-2021

409,112

देसी सेक्सी आंटी की चुदाई की मैंने! मैं उन्हीं के घर में किराए पर रहता था. एक दिन मैं उनको देख कर अपना लंड मसल रहा था कि उन्होंने देख लिया.


दोस्तो, मेरा नाम शिव है. मैं नागपुर (महाराष्ट्र) से हूँ. मैंने नागपुर से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद मैंने यहीं की एक फार्मा कंपनी में जॉब कर ली.


अब तक सब कुछ लगभग ठीक ही चल रहा था.


कोविड 19 की वजह से लॉक डाउन लगा तो मेरी जिंदगी में बहुत कुछ बदलाव आ गया. इसी कारण से मैंने और मेरे लंड ने कई चुत के स्वाद चखे.


मैं देसी सेक्सी आंटी की चुदाई कहानी में आगे बढ़ने से पहले पाठिकाओं को अपना फिजिकल स्टैंडर्ड बता देता हूँ.


मेरी हाईट 5 फिट 7 इंच है … लंड की लंबाई साढ़े छह इंच है. मोटाई 2.7 के लगभग है. मैं इतना बोल सकता हूँ कि चुत की चुदाई और खुदाई के लिए मेरा लौड़ा एकदम मस्त है.


कोरोना के कारण मेरी कंपनी में से कई लोगों को जॉब से निकाल दिया गया था. जो बचे हुए थे उनमें से कई लोगों का ट्रांसफर कर दिया गया था.


कुछ माह पश्चात अचानक से मेरा ट्रांसफर लैटर भी आ गया. मेरे मैनेजर ने मुझे लैटर थमा दिया.


एक पल के लिए तो मुझे लगा कि मैं ये जॉब छोड़ दूँ. पर घर की परिस्थितियों को देखते हुए मुझे विवश होकर महाराष्ट्र के जलगांव जाने की तैयारी करनी पड़ी.


चूँकि मैं घर से बाहर आज तक नहीं रहा इसलिए ये सब मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था और काफी उदास भी था.


मैं नागपुर को बाय बोल कर चल दिया.


जलगांव जाने वाली बस रात 12 बजे चली और सुबह 8 बजे के करीब मैं जलगांव आ पहुंचा.


ऑफिस संबंधी फॉर्मेलिटी पूरी की और आफिस के चौकीदार की सहायता से एक रूम देखने निकल पड़ा.


सुबह से शाम तक कई रूम देखे और मकान मालिकों के नम्बर भी लिए. चूंकि मेरे आफिस के सबसे पास एक खान अंकल का रूम था तो उसी कमरे को मैंने फिक्स किया और उन्हें फोन करके फोन पे से एडवांस दे दिया.


जिस वक्त मैं उनके घर रूम देखने गया था शायद उस वक़्त उनके घर में कोई नहीं था. मैंने भी नहीं पूछा. मुझे भी लगा कि ये सब जानकर क्या करना है.


अगले दिन जब मैं उनके घर के रूम पर आ गया तो अंकल ने मुझे चाभी दे दी.


मैं बाजार से कुछ जरूरी सामान जैसे गद्दा चटाई आदि खरीद लाया. कमरा सैट किया और उस दिन मैं जल्दी ही अपने ऑफिस चला गया.


वापस शाम को 5 बजे जब मैं अपने रूम पर आया तो फ्रेश होकर छत पर आ गया. मैं होंठों में सिगरेट दबाए और कानों में हेड फोन लगा कर गाना सुन रहा था.


उसी वक्त एक औरत छत पर आई. शायद वो मेरी मकान मालकिन थीं.


उन्होंने मुझे देख कर हल्की सी स्माइल बिखेर दी. मैं तो उन्हें एकटक देखता ही रह गया. आंटी की मैक्सी उनकी बॉडी से पूरी चिपकी हुई थी.


क्या गांड थी साली की … और आंटी इतनी गोरी एकदम मक्खन की तरह. मुझे लग रहा था कि अभी के अभी खा जाऊं साली को.


वो भरे बदन की माल आंटी थी.


छत पर उन्होंने गेहूँ सुखाने के लिए डाला हुआ था, तो उसी को समेटने के लिए आंटी छत पर आई थीं.


गेहूँ समेटते समय मैंने आंटी के पूरे बदन की साइज नाप ली. चिपका हुआ गाउन था तो आंटी के जिस्म का एक एक कटाव साफ़ नुमायां हो रहा था और मेरे लंड में आग सी लग रही थी.


उन्हें देखते हुए और सिगरेट फूंकते हुए मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा हाथ पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगा.


उनके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार और चूचों को हिलता देखकर मैं सब सुध-बुध खो बैठा था.


अचानक से आंटी की नजर गेहूं समेटने के दौरान मेरे ऊपर पड़ी. आंटी ने मुझे घूर कर देखा और काफी गुस्से से अपना काम जल्दी जल्दी करके वहां से चली गईं.


पहला दिन था और मेरी छवि जिस तरह की बन गई थी, उससे तो मेरी गांड ही फट गई कि आंटी अपने शौहर को बोल कर मेरी शिकायत करेगी.


फिर मैंने सोचा कि मां चुदाए … साली को देखा तो देखा … अब अंकल भगाएगा तो दूसरा कमरा देख लूंगा.


ये सब सोच कर मैं भी चुपचाप रूम में चला गया.


दो दिन तक तो मैं फटी गांड लिए रहता रहा. मुझे बार बार लग रहा था कि कहीं कुछ लफड़ा हो गया तो मेरे लौड़े लग जाएंगे.


फिर धीरे धीरे सामान्य हो गया. मेरा रूटीन भी सैट हो गया. रोज की तरह सुबह जाओ, अपना ऑफिस वर्क करो और शाम को कमरे पर आ जाओ.


लगभग 4 दिन बाद लगभग सुबह 9 बजे उठ कर मैं छत पर घूम रहा था कि वो आंटी फिर से कपड़े सुखाने आईं.


उन्हें देख कर फिर मेरा मन बढ़ गया. मैंने सोचा कि साली उस दिन नहीं मुझसे नहीं बोली थी तो आज भी नहीं बोलेगी.


फिर भी मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा और कमाल कि बात ये कि मेरा तीर सही निशाने पर जा लगा.


तीर ये था कि मैं उन्हें देख कर फिर से मैं अपना लंड सहलाने लगा. आज वो मेरी ओर नहीं देख रही थीं.


फिर अचानक से उनकी नजर मुझ पर गई और खेल हो गया.


आंटी जोर से तमतमाती हुई मेरी ओर आकर बोलीं- ये सब क्या है? मैं बेशर्मी से लंड सहलाता रहा और बोला- कुछ नहीं.


फिर आंटी ने बोला- मैं तुम्हारी फितरत समझती हूं. ये सब क्या कर रहे हो? मैंने लंड सहलाता रहा और बोला- फितरत … इसमें मेरी क्या गलती है … आप हो ही इतनी सुंदर कि आपको देख कर मैं अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं कर पाता हूँ. अब आप जो भी समझो.


आंटी जी तनिक गुस्सा दिखाती हुई मुस्कुरा दीं और बोलीं- अच्छा … क्या क्या सुंदर लगता है मुझमें? मैंने भी लंबी लंबी फैंक दी.


मन में तो एक ही उत्तर था कि तेरी गांड सुंदर … पर चुत के लिए लौंडियों की तारीफों के पुल तो बांधने ही पड़ते हैं. वो तो आप सब भी जानते हैं. फिर आंटी चोदने लायक माल तो थीं ही.


कुछ पल के बाद उन्होंने मेरा नाम पूछा- तुम्हारा क्या नाम है? मैंने नाम बताया.


उस दिन आंटी से लगभग आधा घंटे तक मेरी बात हुई. मैंने अपने बारे में उन्हें सारी डिटेल वगैरह बताई.


यूं ही बात करते करते मैंने उनके बारे में भी जाना. आंटी का नाम जुबैदा बानो है और उनकी तीन बेटियां हैं. इस समय वो सभी किसी रिश्तेदार की शादी में आउट ऑफ स्टेट गई हुई हैं और उनकी बेटियां एक डेढ़ माह बाद वापस आएंगी.


अभी घर में हस्बैंड और वाइफ दो ही लोग हैं.


इसके बाद हम दोनों चले गए.


मुझे देसी सेक्सी आंटी की गांड मेरे सपने तक में आने लगी थी. एकदम मटकी की तरह गोल गांड याद करके चुदाई का मन करने लगता था. ऐसा लगता था कि आंटी को पकड़ कर एक बार में सालम खा जाऊं.


उनकी चुत चोदने के लिए मैं बहुत अधिक बेताब हो गया था पर मैं सही मौके के इंतजार में था.


मैं पूरी जानकारी के लिए जुट गया. मुझे पता लगा कि आंटी के शौहर बिजनेस करते थे और लगभग दो दिन बाद उनके पति को अपने शॉप के लिए सामान लेने दिल्ली जाना था. चचा को दिल्ली से सस्ता माल मिलता होगा इसलिए उनका दिल्ली जाना लगा रहता था.


इस बीच आंटी मुझसे काफी खुल गई थीं और मैं भी उनसे जब तब उनके हुस्न को दिखाने के लिए कहता रहता था. वो गुस्सा होतीं तो मैं कह देता कि आपके हुस्न का दीदार करने का जी करता है.


आंटी हंस देतीं और मुझे अपने मम्मे दिखाने लगतीं.


इससे मुझे समझ आ गया था कि आंटी चुदने के लिए मचल रही हैं.


खैर … जब अंकल बाहर गए तो मुझे मौक़ा मिल गया था. मैंने भी तबियत खराब का बहाना मार कर ऑफिस से छुट्टी ले ली.


वैसे भी कोरोना काल में थोड़ी सी तबियत खराब बताओ, तो अधिकारी अपनी गांड फटी के चक्कर में छुट्टी दे देते हैं कि कहीं इसे कोरोना तो नहीं हो गया है.


शाम को ऑफिस से आते समय एक बोतल दारू की ले ली. चोदते समय एडवेंचर का अनुभव होता है.


फिर अगले दिन सुबह पैकिंग करके अंकल जी दिल्ली चले गए. जाते समय उन्होंने मुझे भी बोला कि घर का थोड़ा ध्यान रखिएगा.


मैंने भी हां में सर हिला कर उनका बैग ऑटो में रख दिया.


उसके तुरंत बात मैं और जुबैदा आंटी अन्दर आ गए. मैंने दरवाजा बंद कर दिया.


जुबैदा आंटी रसोई में चली गईं. मैं भी दो मिनट रुक कर उनके पीछे चला गया.


जुबैदा आंटी अपनी मैक्सी ऊपर करके आटा सान रही थीं. उनकी आधी से ज्यादा जांघें साफ़ दिख रही थीं.


मैंने पैंट और चड्डी रसोई के बाहर ही उतार दिए और अचानक से उनके पीछे आ गया. अपने दोनों हाथों से मैंने आंटी के दोनों चूचों को कसके पकड़ लिया.


मैं अपने खड़े लंड को आंटी के कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ने लगा.


ये सब इतना अचानक से हुआ कि वो एक मिनट तक तो कुछ बोल ही नहीं पाईं.


फिर पलट कर बोलीं- ये क्या कर रहे हो तुम?


आंटी थोड़ा चिल्ला कर बोली थीं तो मेरी भी गांड फट गई. मैंने सोचा कि ये तो मामला गड़बड़ हो गया.


फिर मैंने भी मन में सोचा कि जो होगा, सो देखा जाएगा. मैं रुका नहीं बस उन्हें मसलता रहा.


थोड़ी देर बाद जुबैदा आंटी बोलीं- रुक जाओ यार … मैं पीरियड से आज ही फ्री हुई हूँ. पहले मुझे नहाकर फ्रेश हो जाने दो. फिर जितना मन करे … उतना कर लेना.


इधर मेरा लंड फटा जा रहा था, मैंने कहा- चल जुबैदा … आज तेरी गांड खोल कर मारूँगा.


वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दीं और बोलीं- प्लीज प्लीज … बस मैं नहा लूं. मैं बोला- आप एक काम करो, तेल लेकर आ जाओ और मेरी मुठ मार दो. अभी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.


जुबैदा आंटी बोलीं- ठीक है … आती हूँ लौंडे. वो देसी सेक्सी आंटी हाथ धोकर तेल लेकर आ गई.


मैं उन्हें बिस्तर पर ले गया और लेट कर बोला- तेल मत लगाओ, आप मेरा लंड चूस दो. आंटी बोलीं- छी छी … मैं ये सब कभी नहीं करूंगी.


मैं इस वक्त हवस की आगोश में था. तुरंत तुरंत आंटी को बिस्तर पर खींचा और दोनों हाथों से उनके चूचों को मसलता हुआ उनके ऊपर चढ़ गया. मैंने अपना लंड जबरदस्ती आंटी के मुँह में घुसा दिया.


आंटी ने खूब हाथ पैर पटके. वो मुँह इधर उधर करने की कोशिश कर रही थीं, पर मैंने दोनों हाथों से उनके गाल दबा कर उनका मुँह खोल दिया और उनके गले तक लंड ठांस दिया.


आंटी के मुँह में अपना पूरा लंड घुसा कर मैं उनके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा.


कोई दस मिनट तक घमासान तरीके से आंटी के मुँह की चुदाई करता रहा.


दोस्तो, लंड चुसवाने में इतना आनन्द की अनुभूति होती है कि मैं उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकता.


बस अब मैं अपने अंतिम चरण में था. मेरा लंड झड़ने ही वाला था.


मैंने एक जोर का धक्का दिया और अपना लंड आंटी के गले तक उतार दिया. मेरा वीर्य छलक पड़ा और पूरा वीर्य मैं आंटी के मुँह में भर दिया.


जब तक पूरे माल की एक एक बूंद आंटी गटक नहीं गईं, तब तक मैंने उनके मुँह से लंड बाहर नहीं निकाला.


उसके बाद मैं बिस्तर पर लेट गया.


मुझसे छूटते ही जुबैदा आंटी तुरंत बाथरूम की तरफ भागीं. वो शायद मुँह धोने चली गई थीं.


आंटी को इस तरह से देख कर मुझे लगा कि इन्होंने पहली बार लंड चूसा होगा और शायद लंड के माल का स्वाद भी पहली बार ही लिया है.


बाथरूम से आकर आंटी मुझे गुस्से से देख कर रसोई में चली गईं.


मैं भी थोड़ी देर में उठ कर ऊपर अपने रूम में आ गया. इधर मैं नहा धोकर फ़्रेश हुआ और एक घंटे की गहरी नींद ली.


जब मैं सो कर उठा तो सोचा कि अब नीचे चल कर जुबैदा आंटी की चुत चोदने का इंतज़ाम किया जाए.


जब मैं नीचे गया, तो वो भी अपने रूम में हल्का सा दरवाजा लगाए सो रही थीं.


मैंने दरवाजे को खोल कर देखा तो उनकी जांघें पूरी नंगी दिख रही थीं. आंटी की हल्की सी मरून कलर की पैंटी भी दिख रही थी.


यह नजारा देख कर मेरा लंड टनटनाटन होने लगा.


मैं कमरे में घुस गया और धीरे से आकर जुबैदा आंटी के बगल में लेट गया. मैंने आंटी की जांघों पर अपनी जांघ रख दी और मैक्सी के अन्दर हाथ डाल कर उनके रसभरे चूचों को सहलाने लगा.


आंटी गहरी नींद में थीं. उन्हें शायद मेरी हरकतों का अहसास ही नहीं हो रहा था


पांच मिनट बाद मैं धीरे धीरे आंटी के ऊपर चढ़ने लगा.


तभी जुबैदा आंटी की नींद खुल गई और वो मुझे देख कर बोलीं- साले, जब से हाथ फेर रहा है. अब चढ़ जा और आज ढंग से चोद दे. तेरे लवड़े का लाल टोपा चूसने में आज मजा आ गया.


अब मैं भी खुल गया और आंटी के चूचों को चूसने लगा. मम्मों को चूसते हुए मैंने उनके पेट पर अपने होंठों को रख दिया.


जुबैदा आंटी अभी से मछली की तरह तड़प रही थीं.


इधर मैं उनकी नाभि से होते हुए उनकी चुत की फांकों के पास आ गया. आंटी अपनी पूरी चुत को क्लीन शेव करके चुदने की पहले से तैयारी कर चुकी थीं.


मैंने आंटी की चुत पर जैसे ही अपने होंठों को रखा, आंटी ने एकदम से सीत्कार भर कर मेरे सर को अपने दोनों हाथों से अपनी चुत पर दबा लिया.


अब जुबैदा आंटी कामुक आवाज में बोलीं- आंह साले … खा जा मेरी चुत को … आह पूरी चाट ले … आह ह ह … मैं बहुत दिनों से चटवाने को तड़फ रही थी. आह आज चाट ले मेरी जान … आज से मैं तेरी रांड हूँ, जब चाहे चोद लेना. आंह चाट जोर से चाटो.


मैंने भी उनकी बुर को पूरी तरह से चाट चाट कर लाल कर दिया.


तकरीबन 10 मिनट की बुर चटाई के बाद अचानक आंटी का जिस्म अकड़ने लगा और अगले ही पल चुत से जोर से पानी का फव्वारा छोड़ दिया. आंटी झड़ कर निढाल हो गईं.


कुछ देर रुक कर मैंने अपना लंड आंटी के मुँह पर रख दिया.


मैंने कहा- अब आपकी बारी.


जुबैदा आंटी ने भी एक बार में लंड को मुँह में ले लिया और चूसना चालू कर दिया. तकरीबन दस मिनट तक लंड चुसवाने के बाद मैं आने वाला था तो वो समझ गईं.


आंटी ने बोला- फिर से मुँह में निकालेगा क्या? मैंने- रुको जुबैदा जान.


मैं तुरंत उठा और जो दारू की बोतल लाया था, मैं उसे ले आया. मैंने एक पटियाला पैग खींचा और सिगरेट सुलगा कर अपना लंड जुबैदा आंटी की चुत में सैट कर दिया.


आंटी ने भी अपनी चुत खोल दी थी.


मैं एक जोर का धक्का मारा तो मेरा आधा लंड चुत फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.


आंटी जोर से चिल्लाने लगीं- आं मार दिया भोसड़ी के … आह निकाल हरामी साले … चुत फट गई मेरी … आह … जल्दी निकाल. मैं सिगरेट का कश लेते हुए बोला- रुक जाओ मेरी जान.


मैंने धीरे धीरे करके एक मिनट में अपना पूरा लंड जुबैदा आंटी की चुत में सैट कर दिया.


आंटी की चुत बहुत दिनों से चुदी नहीं थी … इसलिए बुर टाइट हो गयी थी.


कुछ देर रुक कर मैंने सिगरेट मसल दी और फिर से धक्के लगाना शुरू कर दिए.


अब जुबैदा आंटी को भी मजा आने लगा. मैंने भी अपनी रफ्तार धीरे धीरे बढ़ाना चालू कर दी.


मेरे लौड़े के नीचे पड़ी जुबैदा आंटी भी गांड उठा उठा कर मजा लेने लगीं.


आंटी- आह चोद साले और चोद चोदरा साले … फाड़ दे भोसड़ी वाले … आज आह आह आज मेरी चुत फाड़ ही दे … आंह लंड की ताकत दिखा लवड़े.


जुबैदा आंटी की गाली और दारू के नशे के कारण मेरा जोश दुगुना हो गया. मैं लगातार उनकी चुत पर लंड का प्रहार किए जा रहा था.


एक पटियाला पैग लगाने के बाद मेरी भी टाइमिंग दोगुनी हो गयी थी. मैं भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.


फिर अचानक से आंटी का शरीर अकड़ने लगा. जुबैदा आंटी बोलीं- आंह और जोर से चोद साले … रुकना मत मादरचोद.


मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. लगभग 10-15 धक्कों के बाद जुबैदा की चुत ने पानी का फव्वारा छोड़ दिया … पर मेरा तो अभी हुआ नहीं था.


जुबैदा आंटी ने कहा- आंह बस कर मरदूद … मेरी चुत में जलन होने लगी है. मगर मुझे बिना झड़े किधर चैन मिलने वाला था.


मैंने बोला- रुक जा मेरी जान … अभी मेरा माल तो निकल जाने दे.


मैंने तुरंत ही देसी सेक्सी आंटी को बिस्तर पर पलटी किया और चुत के पानी को लंड के द्वारा उनकी गांड पर लगा दिया. फिर मैंने एक हचक कर शाट मारा तो आधा लंड उसकी गांड में घुस गया.


जुबैदा आंटी जोर से चीख पड़ीं- हाय अम्मी मर गई … बाहर निकाल लवड़े … आह मार ही डालेगा मुआं निकाल मादरचोद … आह दर्द हो रहा है.


मैंने भी जोर से पकड़ कर आंटी के पेट को अपने हाथों से जकड़ रखा था. एक और शॉट के बाद मैंने अपना पूरा लंड आंटी की गांड में घुसा दिया.


आंटी तड़फती रहीं और मैं लंड पेले रुका रहा. धीरे धीरे करने के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.


दस मिनट तक लगातार गांड चोद कर मैंने आंटी की सील पैक गांड को फैला दिया. आंटी ने अब तक अपनी गांड कभी नहीं मरवाई थी.


मैं उनकी चुत में उंगली भी करता जा रहा था. इससे आंटी को मजा आने लगा था और वो भी मस्ती से अपनी गांड मरवाने लगी थीं.


अब मैं आने वाला था. मैंने लंड निकाल कर उसे चादर से पौंछा और आंटी के मुँह में डाल दिया. मैं उनसे मुख मैथुन करवाने लगा.


एक मिनट बाद मेरे लौड़े ने जोर का फव्वारा छोड़ा और पूरा वीर्य आंटी के हलक में उतरता चला गया. इसी के साथ मैंने पूरा लौड़ा आंटी के मुँह में गले तक पेल दिया. जब तक आंटी ने माल गटक नहीं लिया, मैंने लवड़े को बाहर नहीं निकाला.


उसके बाद हम दोनों बिस्तर पर निढाल होकर सो गए. एक घंटे बाद जब मैं उठा तो देखा कि जुबैदा आंटी मेरे बालों को सहला रही थीं.


मैंने उन्हें फिर से अपनी बांहों में भर लिया और एक बार फिर से हम दोनों चुदाई की मस्ती में डूब गए.


उसके बाद तो जब तक आंटी के हसबैंड दिल्ली से लौट कर नहीं आ गए, दिन में 3 से 4 बार चुदाई हो ही जाती थी.


अब तो जुबैदा आंटी खुद मेरे कमरे में आकर चुत खोल कर बैठ जाती हैं.


लगभग 4-5 महीने जम कर चोद कर आंटी की चुत से पूरा किराया वसूला.


कुछ समय बाद जुगाड़ लगा कर मैंने अपना ट्रांसफर नागपुर करवा लिया. पर आंटी की चुत आज भी याद आती है.


बस अब उनसे फ़ोन पर ही बातें होती हैं.


आप सबको देसी सेक्सी आंटी की चुदाई कहानी कैसी लगी. कमेंट जरूर कीजिएगा ताकि आगे इससे अच्छा और लिख सकूँ. [email protected]


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