भाभी की चुदास मेरे लंड से मिटी

काशिफ़ नदीम

31-03-2023

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भाभी जान सेक्स कहानी में मैंने अपने बड़े भाई जान की बीवी को उनके शौहर की गैरमौजूदगी में चोदा. यह सब कैसे हो गया? खुद पढ़ कर मजा लीजिये ना!


दोस्तो, मेरा नाम काशिफ़ है.


मेरी भाभी का नाम लैला है. वो 24 साल की है. उसकी शादी को 3 साल हुए हैं.


भाभी जान सेक्स कहानी इन्हीं लैला भाभी जान की है.


पहले मैं अपनी भाभी को बहन की नज़र से देखता था. मेरा उसके साथ करीब दो साल तक ऐसा ही चलता रहा.


मैं और भाभी आपस में बहुत हंसी मज़ाक करते रहते थे. मैं उसके काम में हाथ बंटा देता था, जैसे झाड़ू लगाना, कपड़े धोने आदि मैं उसकी मदद कर देता था. जब वो कपड़े धोती थी, मैं साइड में कुर्सी लगाकर बैठ उसके साथ हंसी मज़ाक किया करता था.


एक रविवार मैं को ग्यारह बजे तक सोया हुआ था. अचानक भाभी जान आई और मुझे उठा कर बोली- उठो भाई, चलो कपड़े धुलवाने में मेरी मदद करो. मैं उठा और फ्रेश होकर आ गया.


मैंने कहा- बताओ क्या करना है? फिर उसने मुझे वॉशिंग मशीन के पास खड़ा रहने को कहा.


मैं खड़ा था और भाभी कपड़े धो रही थी. अचानक से मेरी नज़र मेरी भाभी की सलवार पर गई. उसने सफ़ेद रंग की सलवार पहनी थी, वो बिल्कुल झीनी थी और पूरी गीली हो गई थी. मैंने निगाहें हटा लीं.


फिर उसने कहा- थोड़ा हटो, मैं कपड़ों को सर्फ में भिगो रही हूँ. मैं वहां से हट गया.


उसने अपनी कमीज़ को आगे से समेटा और कपड़ों को सर्फ में भिगोने लगी. वो झुक कर कपड़े टब में रगड़ रही थी कि मेरी नज़र उसकी गांड पर जा पड़ी.


मैं हक्का-बक्का रह गया क्योंकि भाभी ने पैंटी नहीं पहनी थी और उसकी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी.


मैंने सोचा कि ये अपनी भाभी जान है यार, नज़र हटा लेनी चाहिए. मैं वहां से अन्दर चला गया.


भाभी ने अन्दर से आवाज़ दी तो मैं वहां चला गया.


मैंने बोला- क्या हुआ भाभीजान? भाभी बोली- वॉशिंग मशीन का पानी निकाल दो यार … कहां भाग रहे हो?


मैं वहीं खड़ा हो गया. भाभी उसी जगह उसी पोजीशन में कपड़े धो रही थी. उसकी गांड गजब हिल रही थी और मेरा दिमाग खराब हो रहा था.


मैं फिर भी खड़ा रहा.


कुछ देर बाद भाभी थोड़ा पीछे को हो गई. मेरी नज़र पुन: उसकी गांड पर जा पड़ी और इस बार मेरा लंड खड़ा हो गया.


वो पीछे से मुझसे बार बार टच हो रही थी. मेरे दिमाग़ का संतुलन बिगड़ गया और मैंने धीरे से भाभी की गांड पर कोहनी की साइड से टच कर दिया.


भाभी का कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला.


फिर मैंने अपना एक हाथ एकदम से उसकी गांड पर रख कर दबाया और झट से हटा लिया. मेरे इस एक्शन से भाभी एकदम पलट कर मुझे देखने लगी.


मेरा दिल धक धक कर रहा था कि अब क्या होगा? भाभी कुछ कहेगी?


मेरी बदहवासी देख कर भाभी ने पूछा- क्या हुआ, निकल गया पानी? उसके इस डायलॉग से मैं सकपका गया कि भाभी ये क्या कह रही है … कौन सा पानी निकल गया.


फिर मैंने खुद को होश में लाते हुए बात को समझा कि भाभी वाशिंग मशीन के पानी निकलने की कह रही है. मैंने कहा- बस थोड़ा सा समय और लगेगा.


भाभी बोली- ठीक है, तुम नहा लो, फिर मैं नहाऊंगी. मैं नहाने लगा.


उस वक्त भाभी की गांड मेरी आंखों के सामने से नहीं हट रही थी. मैंने बाथरूम में अन्दर आकर मुठ मार ली. लंड ने कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ा था.


अब मेरा मन बदलने लगा था. मुझे अपनी भाभी में एक माल नजर आने लगा था.


कुछ देर बाद भाभी नहाने बाथरूम में गई थी तो मैं सोचने लगा कि भाभी की नहाते में वीडियो बनाई जाए.


मैंने इधर उधर देखा कि कोई है तो नहीं. उस वक्त भाई दुकान गए थे, अम्मी अब्बू ऊपर थे.


मैं सीढ़ियों पर गया और बाथरूम की जाली से चुपके से वीडियो बनाने लगा. कुछ मिनट तक मैंने मोबाइल में वीडियो बनाई और हट गया.


मैंने वीडियो को देखा तो भाभी के बोबे बहुत बड़े थे. मैं उसके बोबे देख देख कर मैंने मुठ मारना चालू कर दी.


फिर तो मुझे भाभी की जवानी सताने लगी और मैंने न जाने कितनी ही बार भाभी की चूचियों को देख कर मुठ मारी.


मैं इसी बीच भाभी के बाथरूम में नहाते वक्त की कई बार वीडियो भी बनाता रहा. मेरी नजरें भी अब भाभी के बदन को निहारने लगी थीं और मौका मिलते ही मैं उसके जिस्म से अपने हाथ टच कर देता था.


एक दिन मेरे भाई ने कहा- मेरा काम अब इंदौर से चलेगा. करीब तीन महीने तक मैं वहीं रहूँगा. घर में सबके सामने इंदौर जाने का तय हुआ और भाई जान इंदौर चले गए.


उन्होंने भाभी को उसके मायके छोड़ दिया. ऐसे दो महीने निकल गए.


फिर अम्मी अब्बू मुझे बोले- अपनी भाभी को उसके मायके से लिवा लाओ. मैंने कहा- ठीक है.


भाभी का फोन आया- तुम आ रहे हो ना मुझे लेने? मैंने कहा- हां भाभी, मैं आ रहा हूँ.


मैं वहां गया और उसको लेकर आ गया. भाभी रास्ते में कहने लगी- काशिफ़, तेरे भाई जान को आने में अभी और टाइम लगेगा, वो नासिक चले गए हैं. मेरा तो मन ही नहीं लगेगा.


मैंने कहा- अब क्या करेंगी आप. उनको 2-4 दिन के लिए बुला लो. भाभी बोलीं- वो नहीं मान रहे हैं. वो कह रहे हैं कि काम कंप्लीट करके ही आएंगे. उधर पैसे अच्छे मिल रहे हैं. मैंने कहा- ठीक है भाभी, अब क्या कर सकते हैं.


फिर ऐसे ही हंसी मज़ाक करते हुए हम दोनों घर आ गए.


दूसरे दिन मेरे अम्मी अब्बू का अस्पताल जाने का तय था. अम्मी को खुद का चैकअप करवाना था और अब्बू उन्हें साथ लेकर जा रहे थे.


अब्बू ने मुझसे कहा- हम दोनों बाहर जा रहे हैं. हॉस्पिटल में तुम्हारी अम्मी का चैकअप करवाना है. हमें कुछ दिन लगेंगे. क्या तुम भी साथ चलोगे?


मैंने कहा- नहीं, आप भाभी को ले जाओ. भाभी बोलीं- मैं भी नहीं जा रही हूँ. अम्मी बोलीं- कोई बात नहीं, तुम दोनों घर पर रहना.


अब्बू ने भी अम्मी की बात मान ली.


मैं उन दोनों को मैं बस में बिठा कर आ गया.


अब भाभी और मैं घर में अकेले रह गए थे. हम दोनों अच्छे से रहने लगे.


भाभी और मैं मिल कर सारे काम करते, खाना आदि भी मिल कर बनाते.


अब भाभी मेरे साथ कुछ ज्यादा ही बिंदास रहने लगी थी.


एक दिन बाद मेरे दोस्त अचानक से मेरे घर आ गए. मैं उनको देखकर बहुत खुश हो गया.


लेकिन वो सब घूमने के लिए मुझे ले जाने आए थे. मगर जब उन्हें जानकारी लगी कि मैं घूमने नहीं जा सकता हूँ तो एक दोस्त ने मुझसे कहा कि भाई अब 3 दिन तेरे साथ इधर ही रहेंगे.


मैं खुश हो गया और उनको बिठाकर अन्दर जाकर भाभी से कहा कि मेरे दोस्त आए हैं. वो सब 3 दिन तक यही रहेंगे. इस भाभी कुछ नहीं बोली, उसका मुँह बन गया था


मैंने कहा- भाभी, क्या हुआ आप खुश नहीं हो क्या? भाभी ने कहा- ऐसी बात नहीं है, लेकिन ऐसे किसी को यहां इतने दिन रखना ठीक नहीं है. उनको होटल में रहने का कह दो.


मैंने कहा- क्यों? भाभी बोली- अच्छा छोड़ो रहने दो. तुम कुछ नहीं समझते. मैं चाय बनाती हूँ.


मैंने कहा- ठीक है. भाभी बोली- कितने कप बनाना है?


मैंने कहा- छह कप. मैं दोस्तों के पास बाहर चला आया.


कुछ देर में भाभी चाय लेकर बाहर आई. सबने भाभी से नमस्ते की और हम सब साथ में बैठ कर चाय पीने लगे.


कुछ देर बाद सबने साथ में खाना खाया और सो गए. अगले दिन भाभी अपने रात के कपड़ों में ही कपड़े धोने के लिए आ गई.


मैं वॉशिंग मशीन की आवाज़ सुनकर उठ गया और मैंने अपने दोस्तों को उठाया. एक दोस्त शुभम नहीं उठ रहा था. वो कहने लगा- सोने दे यार. मैंने कहा- ठीक है.


फिर सब फ्रेश होकर आ गए. मैंने कहा- तुम लोग घूमने जाओ. मैं और शुभम बाद में एक साथ आ जाएंगे. वो लोग चले गए.


मैं भाभी के पास आया, तो भाभी उसी पोजीशन में खड़ी हुई थी. बल्कि आज उसकी गांड की दरार और भी ज्यादा कामुक लग रही थी. मेरा लंड खड़ा हो गया. तभी शुभम उठ कर वहां आ गया.


उसने भी भाभी को ऐसे ही देख लिया. मेरा लंड तो खड़ा ही था. मैं उसे देख रहा था. शुभम की नज़र मेरी भाभी की गांड पर ही थी.


फिर शुभम ने कहा- मुझे फ्रेश होना है. मैंने कहा- भाभी के साइड से निकल जा, बाथरूम उधर ही है. वो साइड से निकलते हुए भाभी की गांड पर हाथ फेरता हुआ निकल गया.


भाभी एकदम से खड़ी हो गई और इधर उधर देखने लगी. भाभी ने मुझे देखते हुए कहा- मैं शुभम भैया के लिए चाय बनाती हूँ.


ये कह कर वो किचन में चली गई. फिर शुभम नहा कर आया और उसने कहा- मैं घूमने जा रहा हूँ.


मैंने कहा- रुक, मैं भी चलता हूँ. उसने कहा- भाभी अकेली है घर पर, तू यहीं रुक!


भाभी ने कहा- हां सही है … आप जाओ शुभम भैया. मुझे इससे काम भी है. मैंने कहा- ठीक है भाभी.


वो चला गया. मैं भाभी की तरफ देखने लगा कि क्या काम है. भाभी ने कुछ नहीं कहा, वो नहाने जा रही थी.


उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और बोली- मुझे छोड़ का किधर जा रहे थे? मैं भी कुछ नहीं बोला बस ऊपर गया.


भाभी नहाने घुस गई और मैं उसकी नहाने की वीडियो बनाने लगा. तभी मैंने सामने देखा, तो शुभम वहीं सड़क पर खड़ा था और सब देख रहा था.


उसे देख कर मैं हक्का बक्का रह गया.


शुभम अन्दर आया और मुझसे कहने लगा- बेटा, तूने तो भाभी का सब कुछ कई बार देख लिया होगा. अब मुझे भी देखने दे. उसने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और वीडियो देखने लगा.


मैंने घबराते हुए कहा- भाई किसी को मत बोलना प्लीज़. उसने कहा- हां नहीं बोलूँगा यार, बस वीडियो पूरा देख लेने दे.


मैंने उसे भाभी को नहाते हुए वाली दो वीडियो और भी दिखाईं. उसने कहा- आह ग़ज़ब की गांड और बोबे हैं तेरी भाभी के!


मैंने कहा- भाई अब किसी को बोलना मत! शुभम ने कहा- कभी सवारी नहीं गांठी क्या?


मैंने कहा- अबे भोसड़ी के, मेरी हिम्मत ही नहीं होती और तू सवारी गांठने की बात कर रहा है. अभी मैं और शुभम ये बात कर ही रहे थे कि भाभी नहा कर बाहर आ गई.


वो हम दोनों को देख कर बोली- क्या हुआ … गांठने की क्या बात हो रही है … और शुभम भाई आप घूमने नहीं गए?


मैंने घबरा कर कहा- वो बस जा ही रहा है भाभी. शुभम ने कहा- हां भाभी, वो मुझे इससे कुछ पूछना था इसलिए वापस आ गया.


वो बाहर चला गया. भाभी चली और उसने मेन दरवाजा बंद कर दिया.


वो चलती हुई मेरे पास आई और बोली- बहुत हुआ … अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा क्या? मैंने भाभी को देखते हुए कहा- मतलब?


उसी पल भाभी ने अपनी नाइटी को उठाते हुए उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया और अपनी चूचियां हिलाती हुई बोली- ले सामने से देख ले ना … वीडियो में क्या रखा है? मैं घबरा गया और भाभी के सामने झुक कर माफ़ी मांगने लगा.


भाभी ने मुझे उठाया और अपने गले से लगा लिया. मैं समझ नहीं पा रहा था कि भाभी क्या चाह रही है.


तभी भाभी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक हाथ से मेरे लंड को टटोलती हुई बोली- तू शुरू से ही चूतिया है या अभी हो गया है? मैं समझ गया कि भाभी का मूड चूत चुदाई का बन गया है.


मैंने भी उसे चूमते हुए कहा- मैं समझ नहीं पाया था भाभी कि आप क्या चाहती थीं. भाभी- अब तो समझ गया है ना!


भाभी जान सेक्स का मजा चाहती थी तो बस हम दोनों गुत्थम गुत्था हो गए. अगले कुछ ही पलों में मैंने खुद को नंगा कर दिया और भाभी को चोदने में लग गया.


कुछ देर बाद भाभी मेरे लंड पर कूद रही थी और अपने दूध मुझे चुसा रही थी.


वो बोली- आज अपने सारे दोस्तों को घर से दफा करो और उसके बाद मेरी जवानी की आग को ठंडी करो. मैंने कहा- ठीक है भाभी.


मैंने भाभी की चुदाई का मजा लेने लगा और कुछ देर बाद हम दोनों संतुष्ट होकर अलग हो गए.


शाम को मैंने अपने दोस्तों से कह दिया कि मेरी अम्मी की तबियत खराब हो गई है और मुझे भाभी को लेकर शहर जाना है. प्लीज़ तुम लोग कहीं होटल में शिफ्ट हो जाओ.


वो सब चले गए. उसके बाद जब तक अम्मी अब्बू नहीं आ गए, तब तक हम दोनों देवर भाभी ने खुल कर चुदाई का मजा लिया.


उसके बाद अभी भी मैं भाभी को हचक कर पेलता हूँ और वो मुझे खूब प्यार करती हैं. आपको मेरी भाभी जान सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ अपने कमेंट्स करके बताएं. [email protected]


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