मेरी यौन अनुभूतियों की कामुक दास्तान- 5

राहुल श्रीवास्तव

06-12-2021

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लड़की की पहली बार चुदाई कैसे की जाती है, या मैंने पहली बार कुंवारी लड़की की बुर में लंड कैसे डाला तो उसे और मुझे कैसा लगा, पढ़ें इस कहानी में!


मित्रो, आपको मीना के साथ पहली चुदाई की कहानी का मजा देने के लिए मैं पुन: हाजिर हूँ. पिछले भाग गाँव के स्कूल में चुदाई की तैयारी में आपने अब तक पढ़ा था कि मीना और मुझे गांव में एक कमरा मिल गया था और हम दोनों अपने पहले मिलन समारोह के लिए एकदम तैयार थे.


अब आगे लड़की की पहली बार चुदाई:


वो आदमी, जिसका मकान था, उसने हमें एक टॉर्च दी और कहा कि दोनों दरवाजे अच्छे से बंद कर लेना.


लाइट तो थी नहीं, हां एक लालटेन थी, जिसकी पीली रोशनी में हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्करा दिए.


मीना ने कहा- तू बाहर जा. मैं चला गया.


जब मीना ने वापस दरवाज़ा खोला तो मैंने देखा कि वो साड़ी में खड़ी थी. उसका गोरा पेट और पतली कमर देख कर मैं अवाक रह गया.


मैंने उसको हमेशा सलवार सूट में देखा था तो साड़ी में देख कर मैं तो हक्का-बक्का रह गया. साड़ी में उसका बदन खुला खुला नजर आ रहा था.


गोरा बदन, गहरी नाभि, तनी हुई चूचियां, लम्बी गर्दन, सुर्ख होंठ … आह पूरी कयामत सी लग रही थी वो! इसमें कोई शक नहीं कि मंजू, अंजू से मीना ज्यादा खूबसूरत थी और भरपूर जवान जिस्म की थी.


मेरे लिए वो पल एक सपने के समान था.


मीना की दोनों चूचियां बड़ी और भरी हुई थीं. मीना, अंजू मंजू दोनों से बड़ी थी, पर थी वो भी मासूम सी. उन दोनों के ही जैसी, जिनको सेक्स का ए बी सी डी भी नहीं पता था. कमसिन कुंवारी अक्षत यौवन था उसका!


मैं अन्दर आया, तो उसने दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया और मेरे पास आ गई.


एक चीज जो मैंने इतने सालों में नोट की कि लड़कियां जब पहली बार चुदाई करती हैं, तब वो साड़ी में भरपूर शृंगार करना पसंद करती हैं. ये बात तब लागू होती है, जब कोई प्लान करके चुदाई करता है.


वैसे अचानक पहली बार में ही दूसरी या तीसरी चुदाई का मौका मिल जाए, तो कुछ भी पहन कर चुद लो या चोद लो … क्या फर्क पड़ता है. थोड़ी देर में तो सब कपड़े एक तरफ पड़े होंगे.


मुझे लड़कियां साड़ी में बेहद कामुक उत्तेजक और सेक्सी लगती हैं.


मीना लालटेन की पीली रोशनी में इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मैं खुद बेकाबू सा हो गया.


मैंने मीना को जोर से पकड़ा कि वो खुद को संभाल भी न पाई और मेरे साथ जमीन पर बिछे गद्दे पर गिर गई. मैं उसके ऊपर आ गया.


मीना का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे था. ऐसा लग रहा था कि सपना देख रहा हूँ.


मीना के रसीले होंठों को मैंने चूसना शुरू किया तो मीना ने भी मुझे गनगना कर पकड़ लिया और मेरा साथ देने लगी.


आग तो दोनों नौसिखियों को लगी थी, साथ ही ये भी पता था कि ऐसा मौका दोबारा शायद न मिले, तो आज क्यों न पूरा फायदा उठा लिया जाए.


एक बात मैं सभी लड़के या लड़कियों को बता दूँ कि पहली चुदाई भले देर से हो, पर उसे इत्मीनान के साथ … और भरपूर समय के साथ ही करना चाहिए.


क्योंकि जब धीरे धीरे वासना शरीर में चढ़ती है तो सम्भोग या चुदाई का सुख कुछ अलग ही मिलता है.


लड़कों को भी चाहिए कि इत्मीनान के साथ अपने साथी को गर्म करे, बांहों में भर कर उससे प्यार से बात करे, जब वो सहज हो जाए … तो उसको चुम्बन करे. शरीर सहलाए और सम्भोग प्रक्रिया को आगे बढ़ाए. वरना जल्दबाजी में आक्रमकता दिखाई, तो लड़की को मज़ा ही नहीं आएगा और उसे कोई अहसास ही नहीं हो पाएगा. ना ही उसे प्यार की फीलिंग्स आएगी और ना ही वो चरम पर पहुंचेगी. उलटे वो अपमानित सा महसूस करेगी, उसे आपसे आगे कोई लगाव भी नहीं होगा. उसे लगेगा कि आपको सिर्फ अपनी चुदाई से मतलब है, उसके सुख की कोई चिंता नहीं है.


एक बात और … कोशिश कीजिए कि पहले सम्भोग में आपका साथी आपसे उम्र में काफी बड़ा हो. उसे चुदाई का अनुभव हो, तो आपको चुदाई का आनन्द कुछ ज्यादा ही मिलेगा.


ये बात मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से कह रहा हूँ.


हम दोनों एक दूसरे काफी देर तक किस करते रहे. कभी होंठ, तो कभी गर्दन, तो कभी ब्लाउज के ऊपर, जिसे क्लीवेज कहते हैं … वहां.


मीना और मैं दोनों ही सबसे बेखबर अपने अपने सेक्स के ज्ञान को एक दूसरे पर आजमा रहे थे.


मैंने भी उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया, तो उसके अधरों से सिसकारियां छूटने लगीं- आह ह ह आशु धीरे रे दर्द करता है … आह्ह … ओह्ह!


मीना की साड़ी अब तक अस्त-व्यस्त हो चुकी थी, उसके बाल बिखर चुके थे, भीगे होंठ मस्त लग रहे थे.


मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए. अन्दर उसने लाल ब्रा पहनी थी.


आजकल के जैसी डिज़ाइनर ब्रा तो नहीं थी, पर उसकी चूचियां उसमें उभर कर दिख रही थीं.


ब्रा के ऊपर की क्लीवेज में मैंने अपने गीले और गर्म होंठ लगा दिए, तो मीना सिसक सी पड़ी- उफ अह्ह!


उसने मेरे बालों को खींच कर सर को पकड़ा और अपनी चूचियों पर दबा दिया.


मुझे गर्मी सी लगने लगी थी; मैंने अपनी शर्ट उतार दी और मीना की साड़ी भी खींच कर अलग कर दी.


मीना पेटीकोट और खुले ब्लाउज में थी और मैं निक्कर में. उसके सपाट पेट को मैं चूसने लगा, मीना सिहरन से कांप रही थी.


मेरे हर चुम्बन पर मीना की सिसकी बढ़ जाती थी. वो ‘आह्ह ऊउई इम्म्मां … उम्म्ह्ह उफ्फ उह्ह्हहं .. आशु मुझे कुछ हो रहा है …’ कह रही थी.


मेरा लंड भी सॉलिड खड़ा था. मीना ने भी उत्तेजनावश उसको पकड़ लिया और मेरी पैंट के ऊपर से उसे खींचने लगी. मैंने पैंट खोल दिया और कुछ ही पल में मेरा जिस्म नंगा हो गया था.


हम दोनों ऐसे चिपके थे, जैसे गोंद से चिपका दिया गया हो.


मीना मेरा लंड को हथेली में जकड़ कर मुठ मार रही थी. मैंने भी मीना का ब्लाउज उतार दिया, साथ में पेटीकोट भी.


वो मेरे सामने लाल ब्रा और वाइट पैंटी में थी. जहां तक मुझे याद है कि उसकी पैंटी गीली सी थी.


लालटेन की पीली रोशनी में मीना का बदन कुंदन सा दमक रहा था. मैंने उसको पेट के बल पलट दिया और उसके चूतड़ों पर बैठ कर कमर से दोनों हाथ डाल कर उसकी चूचियों को दबाने लगा; साथ में उस पर झुक कर उसकी गर्दन को चूमने लगा.


‘उफ्फ आशु बहुत अच्छा लग रहा है … तू तो बहुत कुछ जानता है आअह्ह … बस ऐसे ही करो … आह आ आ आ ऊओऊ ऊउईम्म्मां.’


मैं लगा रहा और वो मादक आवाजें भरती रही.


फिर मैंने उसकी ब्रा खोल कर उसको एक तरफ फेंक दिया. मेरा लंड उसकी गांड में पैंटी सहित घुसा जा रहा था.


मैंने उसको घुमा दिया और उसकी मोटी चूची अपने मुँह में भरके चूसने लगा. याद तो ज्यादा नहीं है … पर चूसना कैसे है, ये भी पता नहीं था. सब कुछ खुद ब खुद होता जा रहा था.


यकीन मानो सेक्स की कला किसी से सीखनी नहीं पड़ती है. ये इस जहां को बनाने वाले ने सबको सिखा कर भेजा होता है. वक्त आने पर सारी कला अपने आप आ जाती है और उसमें परिपक्वता भी आ जाती है.


मीना- ओह आशु … ये क्या कर दिया उफ्फ!


इस बीच मीना ने पैंटी खुद ही उतार दी और कमर उचका कर अपनी बुर को मेरे लंड पर रगड़ने लगी.


हम दोनों ही नंगे एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे.


‘आआ … ईई ईईई ज़ऊऊर या आ आ आ … आ आ आ आ अहहह … एम्म्म … एम्म्म … और जोर से चूसो.’


मैं लॉलीपॉप की तरह उसके चूचियां चूसने में लगा था.


मीना- आह काटो मत यार … आउच ई आराम से चूसो … आह ऐसे ही करो आ आशु आंह बस करते रहो.


मेरा लंड भी पत्थर की तरह रॉक सॉलिड था. ऐसा लगता था कि शरीर का सारा खून मेरे लंड में आ गया है. कभी भी वीर्य का फव्वारा छूट सकता है.


उधर मीना कभी चूतड़ों को उछालती, तो कभी पीठ के बल खुद को मेरे बदन से सटाने लगती.


मीना की चूत लंड की रगड़ से गर्म गई और मीना जोर जोर से कांपने लगी. उसके चूतड़ जोर जोर से उछलने लगे.


मेरे मुख से भी आह आह अहह निकलने लगी. मेरी आंखें बंद होने लगीं.


मेरा लंड उसकी चुत से रगड़ रहा था. उसकी चूत से निकलता काम रस और मेरे लंड का रस मिल कर एक चिकनाई पैदा कर रहा था.


लंड चूत की लकीर में तेजी से फिसल रहा था.


मीना के मुँह से वासना भरी आवाजें निकल रही थीं- अहह्ह ऊईईई अह्ह स्सीईईई अआईइ उईई मां आह्ह … जोर से रगड़ … आंह मजा आ रहा है!


अब वो अपनी पूरी पीठ को धनुष के आकार में उठाने लगी. उसने मेरी कमर में अपने पैरों को डाल दिया और कैंची जैसा जकड़ लिया.


साथ ही उसने मेरे सर को पकड़ कर चूचियों में दबा लिया और जोर से चीख पड़ी- अह्ह आशु मेरा कुछ निकल गया आंह ओह मांआआ … मुझे कुछ हो रहा है उई ईस्स!


ये कहते हुए मीना ने मुझको जकड़ सा लिया और शिथिल सी पड़ गई.


उसकी बांहों में जकड़ते ही और गर्म चूची के अहसास के साथ में लंड ने भी वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया. मैंने एक जोर से हुंकार भरते हुए मीना को बांहों में भर लिया और उस पर लेट गया.


तब तो पता नहीं था, पर बाद में पता चला और समझ में आया कि इसी को ओर्गास्म कहते हैं जो मीना ने पा लिया था. मैं भी डिस्चार्ज हो चुका था.


मीना लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी. उसकी तेज धड़कन मेरे कानों में आज भी गूंज रही हैं. मेरा लंड चूत के रस से भीगा पड़ा था.


कुछ समय के बाद मीना ने आंख खोल कर मेरी तरफ देखा और मेरे होंठ को चूम कर बोला- तेरे से प्यार हो गया, तू मेरे से बड़ा होता, तो तेरे साथ शादी कर लेती.


यह कहकर वो मेरे पूरे चेहरे को चूमने लगी.


फिर मीना मेरे ऊपर आकर मेरे सोए हुए लंड पर बैठ कर मुझे चूमने लगी.


जवान खून था, नया जोश था, सो चूत के रस और गर्मी से मेरा लंड एक बार फिर अपने आकार में आने लगा.


मीना मेरे होंठ, गर्दन, सीना चूमती हुई मेरे निप्पल को चूमने लगी.


ये मालूम ही न था कि लड़कों के भी निप्पल चूसे जाते थे. ये एक और नया अनुभव था. मेरे अन्दर भी एक सिहरन सी होने लगी.


ये चढ़ती जवानी थी, जोश भी खूब था … तो शरीर जल्दी गर्म हो गया और लंड ने भी जल्दी आकार लेना शुरू कर दिया.


मेरे साथ पहली बार हो रहा था. मंजू के साथ कभी ऐसा नहीं किया था. चूत से निकलता रस मेरे लंड को गीला कर रहा था. चिकनाई से लंड चूत की दरार में फिसल रहा था.


मीना अपनी चूत मेरे लंड पर दबा कर बैठी थी. चूत की लकीर में फंसे लंड को अपने भारी चूतड़ हिला कर उसमें रगड़ रही थी.


उफ्फ … ये क्या मस्त अहसास था.


मेरा लंड पूरा चूत के रस में भीग के चूत में जाने को बेकरार था. शायद मीना भी बेचैन हो गई थी तो वो खुद ही लेट गई और पास में रखे बैग से कुछ निकाला.


उसने नारियल का तेल निकाला था. वो मेरे लंड पर तेल लगाने लगी और अपनी चूत में भी खूब सारा लगा लिया.


पीली रोशनी में लंड तेल में नहाया हुआ चमक रहा था.


मैं भी उसकी चिकनी टांगों के बीच बैठ गया और उसकी चूत में एक उंगली डाल दी. मीना चिहुंक सी गई और एक सिसकी सी ली- आआआ … आअहह!


मैंने तेज़ी सी उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.


मीना की सिसकारियां गूंजने लगीं- सस्स्श स्स आहह हहश ऊऊऊहह … प्लीज थोड़ा आराम से आअह!


ये मुझे मंजू ने सिखाया था.


कुछ ही पल में मीना के चूतड़ उछलने लगे और वो मादक सिसकारियां भरने लगी- अह्ह्ह्ह उह्ह्ह मां और नहीं आंह!


मैंने जल्दी जल्दी उंगली चूत में चलाईं और मैं उसके बूब्स भी दबा रहा था. वो ना ना हां हां कहती रही और बहुत ज़ोर से मेरे दूसरे हाथ को पकड़े हुए भी थी.


मैंने उंगली निकाल ली और अपने लंड को चूत के पास लगा दिया. वो फिसल गया, शायद ज्यादा तेल और चूत के रस के कारण ऐसा हुआ था.


उस पर हम दोनों ही अनाड़ी थे. बस इतना पता था कि जहां उंगली करते हैं, वहां लंड डाला जाता है.


थोड़ा सोच कर मैंने लंड को पकड़ा और उसकी चूत की लकीर को जरा फैला दिया. मुझे वहां एक गुलाबी रंग का छेद दिखने लगा.


मैंने उस छेद में अपना लंड फिट कर दिया. छेद में लंड का सुपारा लगाया तो छेद ने चिकनाहट के कारण लंड के सुपारे को खा सा लिया.


उफ्फ … उस छेद की गर्मी से ही मेरे माथे पर पसीना आ गया. मेरा पहला सम्भोग शुरू होने वाला था. थोड़ी हड़बड़ी और थोड़ा डर था.


इस सबके बीच मैंने लंड को गुलाबी चूत के छेद में सरका दिया और मेरे लंड का सुपारा जगह बनाते हुए अन्दर फंस गया. छेद चिर सा गया और मीना की चीख निकलते निकलते बची.


पर अभी लौड़ा नहीं घुसा था, तो उसकी आंखें जरा फ़ैल सी गई थीं.


दर्द हुआ तो मीना की आवाज निकल गई- आआई … आअहह धीरे कर … उफ्फ्फ मेरी चिर सी रही है. अहह … हह हह!


मैंने डर के मारे उसकी चुत से लंड निकाल लिया. मीना तुरंत बोली- बाहर क्यों निकाला … डाल ना!


मैंने फिर से लंड फंसा कर वैसा ही किया. अबकी बार थोड़ा ज्यादा लंड उसकी गुलाबी चूत में चला गया.


मीना – उईईई मांआआ ऐई ईई फट गई … उइ मां … धीरेएए आशुउउ.


इस बार मैंने उसकी आवाज पर ध्यान नहीं दिया और कमर से धक्का दे दिया.


लंड अन्दर घुसने लगा था.


मीना- आंह मर गई …. प्लीज अब इसे बाहर निकालो … आईईई दर्द हो रहा है.


पर इस बार मैंने मन बना लिया था कि अब नहीं निकालूंगा. मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर डालता गया.


आधा लंड गया था कि मीना हाथ पैर पटकती हुई जोर से चीखने लगी- आअहह … ऊह्ह्ह्ह … मैं मर गईई … मांआआ … मर … गईइइ … निकालो आशु इसको, मर जाउंगी मैं … आंह निकालो प्लीज निकाल लो आशु.


मैंने भी उसकी कराह सुनी तो मैं डर गया कि कहीं रायता न फ़ैल जाए. इस वजह से मैंने थोड़ा सा लंड बाहर निकाला पर पूरा नहीं निकाला, कुछ लंड अन्दर ही रहने दिया.


मेरे थोड़ा निकालते ही मीना की जान में जान आई- आहआह … हां अब ठीक है.


मेरा भी उत्तेजना के मारे बुरा हाल था, पर घबराहट इतनी थी कि कुछ समझ में नहीं आ रहा था. तो मैंने सोचा कि एक बार में ही पूरा डाल देता हूँ, जो होगा सो देखा जाएगा.


अब मैंने सांस खींच कर अपने चूतड़ पीछे किए और मीना के कन्धों को पकड़ कर एक जोरदार शॉट लगा दिया.


मैं- आआ अहहह आआह … ईईईई!


मेरी चीख के साथ मीना की भी तेज चीख निकली और पूरा लंड अन्दर जाकर कहीं फंस गया.


लड़की की पहली बार चुदाई के कारण मेरे लंड का धागा टूटा था, जिस वजह से मेरी भी चीख निकल गई थी.


सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको चुदाई का पूरा वृतांत लिखूँगा कि मेरी और मीना की पहली चुदाई किस तरह से पूरी हुई.


आप सेक्स कहानी के लिए अपना प्यार भेजते रहें. धन्यवाद. [email protected]


लड़की की पहली बार चुदाई का अगला भाग: मेरी यौन अनुभूतियों की कामुक दास्तान- 6


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