ठाकुर जमींदार ने ससुराल में की मस्ती- 7

विशू राजे

18-02-2023

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Xxx देहाती पोर्न कहानी में पढ़ें कि मैं एक मजदूर के घर में गया तो उसकी जवान बीवी की चूत मारने का मन हो गया. मैंने उसे कैसे राजी करके चोदा?


नमस्ते दोस्तो, मैं एक बार फिर से अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.


मेरी कहानी के एक भाग मजदूर की बीवी को चोदा में आपने पढ़ा था कि मैंने खेतों के बीच बने घर में एक मजदूर रामू की बीवी चंपा को चोदा था. चंपा को ठोकने के बाद मैं घूमने चला गया.


अब उसके आगे Xxx देहाती पोर्न कहानी:


उसके बाद मैं चलते चलते उस गांव में आ गया, जहां उस वीरू मजदूर का घर था, जो मेरे ससुर के 5000 रुपए नहीं दे पाया था. मैंने आजू-बाजू देखा, कोई नहीं था. मैं सीधा उसके घर में घुस गया.


अनीता, उस मजदूर की बीवी मुझको आया देख कर डर गयी.


मैंने कहा- तेरा पति कहां है? वो डर कर बोली- काम करने खेत में गए हैं हुजूर.


मैं- कब तक आएगा? वो- जी, उन्हें वापस आते हुए शाम हो जाती है.


मैं- अच्छा, तेरे बच्चे किधर हैं? वो सर हिलाती हुई ना बोली.


मैंने फिर से पूछा कि ये ना ना करने का क्या मतलब है? वो बोली- बच्चे नहीं हुए हैं.


फिर मैंने कहा- क्यों नहीं हुए हैं, क्या वीरू नामर्द है या तू बाँझ है? वो कुछ नहीं बोली.


मैंने आगे पूछा- पैसे का बंदोबस्त हुआ? तो उसने फिर से ना में सर हिलाया.


मैंने कुछ नम्र शब्दों में पूछा- फिर तुम क्या करोगी? इस घर पर मेरे ससुर कब्जा कर लेंगे और तुम्हें बेघर कर देंगे. वो रोने लगी.


मैं उसके पास गया. मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा- तेरा पति कितना कमाता है?


तो वो बोली- जी मालिक, मजदूरी 25 रूपए रोज … और महीने का धान मिल जाता है. मैं- तब तुम कैसे चुका पाओगी?


उसकी गर्दन नीचे थी.


मैंने उसका हाथ थाम कर कहा- देख अनीता, मैं तेरा सारा कर्जा माफ कर सकता हूँ, पर तुमे मुझे खुश करना होगा. मैं तुम्हें अभी भी ठोक सकता हूँ, कोई कुछ नहीं कहेगा. पर तुम इतनी सुंदर हो तो मुझे तुम्हारे साथ जबरदस्ती करना अनुचित लगेगा. तुम तैयार हो, तो ही मैं तुझे छुऊंगा. तेरी मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं करूंगा. फिर मेरा तुम्हें एक बच्चे की मां भी बनाने का मन है.


वो कुछ सोचने लगी.


मैं- मैं तेरे पति के काम पर जाने के बाद आया हूँ. यदि तुम मां बनना चाहती हो, तो ही मैं तुम्हें चोदूंगा!


अनीता शर्मा कर नीचे देखने लगी. अपनी उंगलियां एक दूसरे में फंसाने लगी. मैंने उसकी मूक सहमति देखी तो खुद ही पहल कर दी.


मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हुआ और उसके दोनों बाजुओं को पकड़ लिया, अपने नाखून उसके बाजुओं में गाड़ने लगा, गर्दन के पीछे अपनी गर्म सांसें छोड़ने लगा. अनीता बिना कुछ कहे साथ दे रही थी.


मैंने उसकी गर्दन को चूमा. क्या मस्त खुशबू आ रही थी.


मैंने उसके कानों के पीछे अपनी जुबान घुमाई. वो ईस्स्स् आह्ह्ह करती हुई सहम उठी.


मैंने अपने हाथों को हरकत दी और हाथ ले जाकर उसके चूचों पर रख कर उन्हें दबाने लगा. सच में मस्त चूचे थे. ऐसा लग रहा था जैसे वीरू ने उसके मम्मों के साथ खेला ही न हो.


मेरे हाथों की जकड़न से उसकी वासना जागने लगी और उसका कण्ट्रोल भी छूटता जा रहा था. इस बार वो धीमी आवाज में बोली- मालिक, कोई देख लेगा!


पर मैं कहां मानने वाला था. मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और पीछे से अपने कड़क हो चुके लंड को उसकी गांड की दरार में दबाने लगा.


मैंने अब देर करना उचित नहीं समझा और उसे अपने हाथों में उठा लिया. मैंने हाथों में उठाकर उसके दोनों होंठों को अपने होंठों से बंद कर लिया.


अब मैं उसके होंठों का रस पान करने लगा. अनीता भी अब साथ देने लगी थी, मेरे हाथों की गर्मी उसे भी भा गयी थी.


मेरी बांहों में मस्त झूलती हुई शर्मा रही थी.


मैंने उस नीचे उतार कर चारपाई पर बिठाया. धोती बाजू में करके अपना सामान उसके सामने कर दिया. वो लंड देख कर डर गयी और उछल पड़ी.


मैं लंड हिलाया तो बोल पड़ी- उइ मां इतना बड़ा! उसकी आंखें बड़ी हो गईं. वो काफी डर गयी.


मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया. हाथ रखते ही उसको अजीब सी ख़ुशी मिली.


वो अपने हाथ से मेरे लंड की सख्ती को महसूस करने लगी.


मेरा लंड भी अनीता के नर्म हाथों की मुलायमियत पाकर फनफना उठा, उसके मुंड से प्रीकम की बूंदें छलकने लगीं. लंड को मदमस्त होता देख कर अनीता की वासना भी जाग उठी.


इधर मैंने भी उसके चूचे सहलाने शुरू कर दिए थे.


फिर उसने आहिस्ता आहिस्ता लंड को हिलाना शुरू कर दिया. मैं उसका सर पकड़ कर लंड के नजदीक ले आया और मुँह के पास ले जाकर उसके होंठों के ऊपर लंड फेरने लगा. वो शर्मा रही थी.


मैं जबरदस्ती लंड मुँह में पेलने लगा. उसी समय मैंने उसकी चूची को जोर से भींच दिया जिससे दर्द से उसका मुँह खुल गया और मैंने उसके मुँह में लंड पेल दिया.


उसने भी मुँह को ज्यादा खोल कर लंड को अन्दर ले लिया और चूसने लगी. मुझे अनीता से लंड चुसवाने में अच्छा लगने लगा.


वो मस्ती से लंड पर जीभ फेर रही थी, मैं उसकी चूची दबा दबा कर उसे उकसा रहा था.


करीब दस मिनट के बाद मैंने उसके मुँह से अपना लंड खींच लिया. अब बारी उसकी चूत की चुसाई की थी.


मैंने उसे लिटाया, उसकी साड़ी खींच कर अलग कर दी. उसके बाद ब्लाउज पेटीकोट भी हटा दिया. उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था.


मैंने उसके पैर ऊपर कर दिए, उन्हें खोल कर चूत को निहारने लगा. चूत छोटी थी, पर बालों से ढकी थी. मैंने उंगलियों से बालों के जंगल को दो हिस्सों में बांट दिया, तब जाकर अनीता की जन्नत का दरवाजा दिखा.


क्या सुरमई लकीर थी उसकी चूत की … मेरा मोह बढ़ता गया और मैंने अपनी जुबान से उसकी नाजुक पंखुड़ियों को अलग किया. एक रेशम सा धागा जैसा दोनों की पंखुड़ियों को जोड़ रहा था. खुलते ही मेरी जुबान से चिपक गया.


मैंने अपनी जुबान उसकी मूत्र बिंदु पर लगायी, तो वो एकदम से सिहर उठी.


ये खेल उसके लिए नया था. अब तक उसके पति ने उसमें सिर्फ अपना सामान डाल कर पेला था. पर जुबान भी अन्दर सैलाब ला सकती है, ये उसने आज जाना.


वो कराहने लगी- एइस्स्स नअई … आई … नहीं मैं मर जाऊंगी, कुछ हो रहा है मेरे अन्दर …. आह मत करो. वह मिन्नतें करने लगी.


मगर कुछ देर बाद वो मजा लेने लगी. मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी. मैं भी अन्दर तक जुबान की करामात दिखाने लगा.


कुछ ही देर में उसका बदन अकड़ने लगा और वो झड़ने लगी.


मैंने अपनी धोती खोल दी और अपना हथियार उसके योनि मुख पर रख दिया. मैं लंड मुंड चूत की फांक में घिसने लगा.


वो तड़प उठी और बोली- आह करो मालिक करो कुछ … आह मैं जल रही हूँ. मैंने भी देर न करते हुए अपने सारे कपड़े उतारे और नंगा हो गया. मैंने उसकी टांगें उठा कर हवा में ले लीं और एक ही धक्के में लंड चूत में पेल दिया.


मेरा लौड़ा चूत की हर दीवार को चीरता हुआ जड़ तक पहुंच गया. अनीता की एक जोरदार चीख निकल गई, आंखें बड़ी हो गयी थीं, सांस जैसे अटक गई थी.


मैं भी कुछ देर रुक गया. उसके बाद अनीता कुछ सामान्य हुई.


मैंने कमर को हरकत दी तो अब अनीता भी साथ दे रही थी. मैंने धक्के और तेज कर दिए. उसके पैर मेर कंधे पर थे, ठप ठप की आवाज गूंज रही थी. अनीता भी आह आह किए जा रही थी.


दस मिनट में ही अनीता ने हार मान ली और चादर मुट्ठी में लिए झड़ने लगी. मेरा ठोकना जारी था, मेरा औजार बच्चेदानी तक चोट कर रहा था.


मैंने आसन बदल दिया. अनीता को एक तरफ करके उसके पैरों को मोड़ दिया, एक पैर को मैंने हाथ में ले लिया और लंड अन्दर घुसा दिया. ये आसन उसके लिए नया था और ऐसा करने से उसे तकलीफ हो रही थी.


वो दर्द से कराह रही थी. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और 7-8 मिनट में उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया.


अनीता ने मेरी ओर देखा और आंखों से कहती सी लगी कि मेरा पानी निकलने वाला है. मैंने इशारा समझा और धक्के तेज कर दिए. उसी समय चूत से फव्वारा फूट पड़ा, अनीता थरथराती हुई झड़ने लगी.


अब मैं और ताव में आ गया. मैंने उसके दोनों पैर अपनी कमर पर ले लिए, लंड चूत में फंसाया और अनीता की बांहें अपने गले में डाल कर उसे उठा लिया.


मैंने अनीता को अपनी कमर पर लटका कर गांड को हाथों से सहारा दिया. मैं उसे अपने लंड पर बिठाने लगा.


लंड चूत में सरक गया और अनिता की आह निकल गई. मैंने उसे ऊपर नीचे करना चालू कर दिया.


इस आसन में मैं अनीता को खड़े खड़े चोद रहा था.


अनीता ने मुझे कसके पकड़ा हुआ था, उसके चूचे मेरे सीने से मसल रहे थे. मैं बोला- रानी, मजा आया?


अनीता कान में बोली- आह मालिक, बहुत सुख मिल रहा है और चोदो. बस मैं ताव में आ गया, लंड और फूल गया, खून का प्रेशर बढ़ गया.


तभी अनीता ने मेरी पीठ पर, गर्दन पर नाखून गाड़ दिए. मैं समझ गया.


मेरा भी होने को था. हम दोनों ने एक साथ स्खलन कर दिया. मेरा फव्वारा इतना ज्यादा तेज था कि अनीता की चूत भरकर बहने लगी.


क्या नजारा था … अनीता बांहें गले में डाले हुए मेरी कमर पर लटकी थी और दोनों का मिश्रित वीर्य उसकी चूत से होते हुए उसकी टांगों से बह कर मेरे पैरों पर चू रहा था. मैंने अनीता को आहिस्ता से खटिया पर रखा और उसके ऊपर ही लेट गया.


कुछ देर बाद हम सामान्य हुए.


मैंने उठ कर धोती बांधी, कपड़े पहने और अनीता की तरफ देखा. उसने भी अपनी साड़ी ब्लाउज आदि पहन लिया था.


मैं खटिया पर बैठ गया.


तभी मेरी नजर दरवाजे पर पड़ी. एक औरत हमारा नजारा देखती हुई दरवाजे पर खड़ी थी. अनीता को चोदने के चक्कर में मैंने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था.


वो भी गर्म हो चुकी थी. आंखें बंद करके अपनी चूत उंगली से कुरेद रही थी. मैंने झट से जाकर उसको धर दबोचा और अन्दर लाकर दरवाजा बंद कर दिया. अनीता भी डर गयी.


अब वो औरत भी डर रही थी. क्योंकि मैं ठाकुर का दामाद था और वो पकड़ी गयी थी.


मैंने उसका नाम पूछा, तो अनीता बोली- ये निम्मी है. हमारी पडोसन. मैं बोला- कब से वहां खड़ी है? तो वो चुप रही.


मैंने उसे डराकर पूछा- बोल? तो वो बोली- जब से आप अनीता को वो कर रहे थे.


मैं बोला- तू क्या कर रही थी? तो वो शर्मा गई और नीचे गर्दन किए खड़ी रही.


मैंने फिर जोर से पूछा- बोल! तो बोली- मैं क्या करती, मेरा भी दिल … ये कह कर वो चुप हो गई.


मैं- क्या कुछ करने का दिल कर रहा है? वो कुछ नहीं बोली, बस नीचे देखती रही. मैं समझ लिया कि ये भी चुदने के लिए राजी है.


दोस्तो, Xxx देहाती पोर्न कहानी के अगले भाग में मैं आपको निम्मी की मदमस्त चूत और गांड की चुदाई की कहानी सुनाऊंगा. आप मुझे मेल करके बताएं कि सेक्स कहानी कैसी लग रही है.


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Xxx देहाती पोर्न कहानी का अगला भाग:


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