उन्नीस की चूत छप्पन का लंड- 5

कोमल मिश्रा

10-08-2022

354,025

फ्री सेक्स पोर्न कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने जानदार लंड से अपने बेटे की साली को चोद कर मजा दिया. उसके बाद वो पूरी रात मुझसे खुल कर चुदाई का मजा लिया.


नमस्कार दोस्तो, मैं सुरेंद्र सिंह अपनी कहानी का अगला भाग लेकर आपके सामने प्रस्तुत हूँ. कहानी के पिछले भाग बेटे की साली की गोरी कमसिन चूत फाड़ दी में अभी तक आपने पढ़ा कि किस प्रकार से मैंने प्रिया को आखिरकार चोद ही दिया था.


अब आगे फ्री सेक्स पोर्न कहानी में चलते हैं और जानते हैं कि मेरे और प्रिया के बीच आगे क्या क्या हुआ.


उस रात मैंने प्रिया को पहली बार चोदा था. हालांकि ये उसकी पहली चुदाई नहीं थी क्योंकि पहले भी वो एक बार अपने दोस्त से चुद चुकी थी लेकिन वो लड़का कोई अनुभवहीन ही था जो प्रिया की चूत तक नहीं खोल पाया था या फिर उसके लंड में इतना दम ही नहीं रहा होगा.


मैंने उस रात जब प्रिया को चोदा, तब उसकी चूत किसी कुंवारी लड़की जैसी ही थी, बस उसकी सील टूट चुकी थी.


उस रात उसे एक बार चोदने के बाद मैंने उसे उस रात और नहीं चोदा क्योंकि मैं उसके साथ कई दिन मजे लेना चाहता था. पहली चुदाई के बाद हम दोनों ही सो गए.


सुबह जब मेरी नींद खुली तो 9 बज चुके थे. मैंने बिस्तर पर देखा तो प्रिया वहां नहीं थी.


मैं उठा और बाथरूम जाकर फ्रेश हुआ और बाहर जाकर देखा तो प्रिया किचन में नाश्ता बना रही थी.


मुझे देख वो हल्के से मुस्कुराई और बोली- कुछ देर रुकिए, मैं नाश्ता लेकर आती हूँ. मैं वापस बेडरूम में आया और बिस्तर ठीक करने लगा.


तभी चादर में दबी हुई प्रिया की चड्डी मुझे मिली, जिसको रात में प्रिया तलाश रही थी. इसका मतलब था कि प्रिया अभी बिना चड्डी के ही थी.


मैंने चड्डी पास के टेबल पर रख दी.


कुछ देर में प्रिया नाश्ता और चाय लेकर आई और हम दोनों ने नाश्ता किया.


तभी मैंने इशारा करके बताया कि ये रही तुम्हारी चड्डी. प्रिया ने शर्माते हुए चड्डी उठा कर अपनी जांघ के नीचे दबा ली और चाय पीने लगी.


मैं चाय पीते हुए उसको देखता जा रहा था. रात की थकान उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी. उसकी बांह पर मेरे पकड़ने की वजह से लाल निशान साफ दिख रहे थे.


चाय पीने के बाद वो उठी और अपनी चड्डी लेकर बाथरूम की तरफ जाने लगी. तब मैंने गौर किया कि वो कुछ लड़खड़ा कर चल रही थी.


मैं समझ गया कि उसे कल की चुदाई से ही कोई दिक्कत होगी. लेकिन अभी तो मैंने उसे नार्मल ही चोदा था, अभी तो मेरी असली चुदाई बाकी थी.


उसके वापस आने के बाद मैंने पूछा- क्या हुआ, कोई दिक्कत है, तुम लड़खड़ा कर क्यों चल रही हो? प्रिया- नहीं, बस पेट में थोड़ा दर्द सा है.


मैं- कल रात के कारण दर्द तो नहीं हो रहा है? प्रिया मुस्कुराती हुई बोली- हां शायद वही वजह है.


मैं- कोई बात नहीं, ऐसा होता है सब ठीक हो जाएगा. प्रिया बोली- हम आज घर चले जाएंगे न?


मैं- नहीं आज नहीं. ‘तो?’


मैं- मैं दो चार दिन के लिए बोल कर आया हूँ. कुछ दिन हम यहीं रहेंगे. प्रिया चौंकती हुए बोली- दो चार दिन?


मैं- तो क्या हुआ … मेरे साथ रहने में क्या कोई दिक्कत है? वो- नहीं, दिक्कत कुछ नहीं है. ‘तो?’


वो- अब आपको जो चाहिए था, वो तो मिल ही गया. मैं- अभी कहां, अभी मन नहीं भरा.


‘मतलब?’ ‘मतलब ये कि कल तो शुरूआत हुई है, अभी बहुत कुछ बाकी है.’ ‘नहीं अब मुझसे और ज्यादा नहीं होगा.’ ‘क्यों?’


‘कहीं, कुछ हो गया तो?’ ‘क्या होगा?’ प्रिया झिझक से बोली- बच्चा.


‘अरे उसकी चिंता मत करो, मैं सब सम्हाल लूंगा … कोई दिक्कत नहीं होगी. तुम्हें अच्छा तो लगा न!’ प्रिया ने मुस्कुराते हुए चाय का कप उठाया और किचन की तरफ़ चल दी.


उसकी मुस्कराहट बता रही थी कि लौंडिया को लंड पसंद आ गया था.


प्रिया मुझसे एक बार चुदने के लिए तैयार होकर आई थी लेकिन अब वो यहां रुकने के लिए तैयार हो गई. इसका मतलब है कि वो अब अपने आपको मुझे सौंप चुकी थी और उसे इस खेल में मजा आ रहा था.


उसके बाद हम दोनों बारी बारी से नहाए और दोपहर का खाना खाने के बाद सो गए.


मैं उसे अच्छी तरह सोने देना चाहता था क्योंकि आज रात भर उसे जागना था.


शाम होते ही प्रिया ने खाना के लिए बोला तो मैंने मना कर दिया क्योंकि मेरा बिल्कुल भी मन नहीं था. हम दोनों ने ही हल्का नाश्ता किया और कुछ देर बाहर टहलते रहे.


रात करीब 9 बजे मैंने सभी दरवाजे बंद किए और दोनों अन्दर आ गए.


इसके बाद मैंने अपनी कल वाली दारू की बोतल निकाली उसमें अभी आधी शराब बाकी थी. मैंने प्रिया को भी पास बुलाकर बैठा लिया.


हम दोनों के बीच शराब पीने का दौर फिर से शुरू हो गया.


प्रिया अपने रंग में थी, आज वो खुल कर दारू ले रही थी. हम दोनों ने एक एक करके दो दो जाम ले लिए. अब हम दोनों को ही हल्का नशा छाने लगा.


मैंने प्रिया से कहा- आज मैं तुम्हें अलग रूप में देखना चाहता हूँ. प्रिया ने मस्ती से कहा- किस रूप में?


मैं उठा और अलमारी से एक नाईट गाउन निकाल कर ले आया. ये गाउन मैं इसलिए रखा हुआ था कि जब भी किसी लड़की को अपने फार्महाउस लाता हूं, उसे पहनाता हूँ.


ये बहुत ही छोटी सी नाइटी है, बिल्कुल सुर्ख लाल रंग की, जो कि केवल जांघ तक ही आती है और कंधे पर डोरी से बंधी हुई होती है.


मैंने प्रिया को गाउन लाकर दिया. प्रिया ने उसे देखा और बोली- ये तो इतनी छोटी सी है. मैं- तो क्या हुआ, पहन कर दिखाओ मुझे.


प्रिया उठी और अन्दर कमरे में चली गई.


कुछ देर बाद जब वो वापस आई तो मैं उसे देखता ही रह गया.


गाउन पहनने के साथ साथ उसने अपने बाल खोल दिए थे और होंठों पर भी मस्त लाल रंग की लिपस्टिक लगा ली थी.


उस गाउन में उसका दूधिया बदन कयामत दिख रहा था. वो मेरे पास आई और मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी जांघों पर बैठा लिया.


एक हाथ उसके मोटे जांघ पर फिराता हुआ उसकी आंखों में देखते हुए बोला- कसम से तुम बेहद खूबसूरत लड़की हो प्रिया. तुमने मेरी किस्मत खोल दी है. तुम्हें पाने के लिए तो कोई भी लड़का कुछ भी कर सकता है. वो हंस दी.


इसके बाद मैं पैग बनाता गया और धीरे धीरे हम दोनों ने वो बोतल खत्म कर दी. अब प्रिया मेरी जांघों पर बैठे हुए ही झूमने लगी थी.


मैंने सामने से टेबल किनारे किया और उसे अपनी बांहों में लेते हुए कमरे के बीच में आ गया. मैंने एक रोमांटिक गाना लगा दिया और प्रिया की कमर में हाथ फंसा दिया. हम दोनों थिरकने लगे.


मैंने प्रिया को अपने सीने से चिपका लिया था. उसके दूध लगभग गाउन के बाहर ही निकल आए थे और दोनों दूध के बीच की दरार पर मेरी नजर टिकी हुई थी. प्रिया उस वक्त बिल्कुल भी होश में नहीं थी और पूरी मस्ती में मेरे साथ झूम रही थी.


मेरे हाथ उसकी कमर से सरकते हुए उसकी गांड तक जा पहुंचे और उसकी गांड की गोलाइयों को सहलाने लगे. इधर मैंने उसके गोरे गालों पर अपने होंठों को फिराना शुरू कर दिया.


कुछ देर में मेरा हाथ उसकी चड्डी के अन्दर चला गया और उसके गांड की दरार में एक उंगली से गांड के छेद को रगड़ने लगा. अपने नाखूनों से गांड के छेद को हल्के हल्के कुरेदने लगा. प्रिया की मीठी मीठी सिसकारियां निकलने लगीं- सीईई ऊऊ आ आआह.


मैंने उसके होंठों का रसपान करना शुरू कर दिया और उसकी सारी लिपस्टिक साफ कर दी.


प्रिया ने एक बार भी होंठ चूमने से मना नहीं किया बल्कि वो खुद अपने होंठ मेरे होंठों से चुसवा रही थी. ये बात बता रही थी कि बंदी को मेरा लंड पसंद आ गया था.


मैं धीरे धीरे उसकी चड्डी को नीचे की तरफ सरकाता रहा और चड्डी को निकाल दिया. अब वो केवल गाउन बस में रह गई थी.


मैं भी अपने कपड़े निकालते हुए केवल चड्डी में रह गया. हम दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन पर फिराने लगे.


वो भी काफी जोश में आ गई और मुझे चूमने लगी.


इस बार उसने खुद अपने हाथों से मेरा लंड चड्डी से बाहर निकाला और सहलाते हुए आगे पीछे करने लगी. मैं भी यही चाहता था कि उसके अन्दर की सारी शर्म निकल जाए इसलिए उसे मैंने शराब पिलाई थी.


अब वो अपनी सारी शर्म भूलकर मेरे साथ चुदाई के इस खेल का मजा ले रही थी और मैं भी यही चाह रहा था.


अब वो मेरा लंड सहला रही थी और मैं नीचे हाथ डालकर उसकी चूत मसल रहा था. इधर हम दोनों एक दूसरे के होंठों को बेइंतहा चूस रहे थे.


फिर मैंने उसके गाउन की डोरी खींच दी. गाउन उसके बदन पर से फिसलता हुआ उसके पैरों पर गिर गया और वो पूरी तरह से नंगी हो गई. उसने भी मेरी चड्डी नीचे करते हुए मुझे नंगा कर दिया.


अब मैंने अपना एक हाथ उसके दोनों पैरों के बीच में डालकर उसके गांड तक ले गया और उसे अपने कंधे पर उठा लिया.


अब उसे बेडरूम में लाकर खड़ा कर दिया और उसकी पीठ की तरफ से उससे लिपट गया. मेरा लंड उसकी गांड की दरार में दब गया और मैंने उसके दोनों दूध को हाथों में लेकर मसलना शुरू कर दिया.


उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी और मैं उसकी पीठ को चूमते हुए उसके दोनों दूध को जोर जोर से मसलने लगा.


फिर मेरा एक हाथ उसके पेट पर गया और उसकी गहरी नाभि को सहलाते हुए एक उंगली उसकी नाभि में डालकर घुमाने लगा.


इधर मेरा लंड उसके चूतड़ों के बीच में घुसा हुआ था और मैं अपनी कमर हिलाते हुए लंड को गांड की दरार के बीच रगड़ने लगा.


उसकी गांड के छेद की गर्मी मुझे और जोश से भर रही थी.


उसे मैं सीधा बिस्तर पर ले गया और उसे लेटाकर उसके दोनों पैरों के पास बैठकर एक झटके में उसके दोनों पैरों को फैला दिया.


मैं उसकी चूत पर झुक गया. मेरी जीभ अब उसकी गुलाबी चूत पर फिरने लगी.


मेरी जीभ लगते ही उसकी तेज सिसकारी निकलनी शुरू हो गई ‘आआह मम्मीईई …’ वो मछली की तरह बिस्तर पर तड़पने लगी.


मैंने उसकी जांघों को जोर से पकड़ा और बुरी तरह से उसकी चूत को चाटने लगा. कुछ ही देर में उसकी तेज धार पिचकारी मेरे चेहरे पर आने लगी और वो झड़ गई.


मैं बिना रुके उसकी चूत चाटता रहा और बहुत जल्द ही वो दुबारा गर्म हो गई. इसके बाद मैं उससे लिपट गया और पलट कर उसे अपने ऊपर ले आया.


इस बार प्रिया ने मुझे पूरी तरह से चौंका दिया. वो पूरी तरह से जोश में थी और उसने मेरे सीने पर चुम्बन की झड़ी लगा दी. वो धीरे धीरे नीचे जाती हुई मुझे चूमे जा रही थी.


मेरे लंड के पास आ गई. उसने अपने हाथों से मेरे लंड को थाम लिया और बड़े प्यार से मेरे लंड को सहलाने लगी. वो बहुत प्यार से लंड को ऊपर नीचे करती जा रही थी और मैं उसे देखे जा रहा था.


प्रिया बहुत गौर से मेरे लंड के सुपारे को देखे जा रही थी. अचानक से उसने अपना चेहरा लंड पर झुकाया और सुपारे को अपने मुँह में भर लिया.


मैंने सोचा नहीं था कि प्रिया मेरे लंड को चूसेगी मगर वो मेरे मोटे लंड को अपने मुँह में लेकर बड़े प्यार से चूस रही थी. हालांकि उससे अभी उतना अच्छे से नहीं बन रहा था लेकिन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.


वो मेरे सुपारे पर अपनी जीभ भी चला रही थी जिससे मेरा मजा दुगना हो गया. मैं अपने दोनों हाथ उसके सिर पर रख कर जल्दी जल्दी उसे ऊपर नीचे करने लगा.


जब मुझे ऐसा लगा कि मैं झड़ जाऊंगा तो तुरंत मैंने उसे रोक दिया और उससे लिपट कर उसे अपने नीचे ले आया. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैंने लंड चूत में लगाया और अन्दर डालने लगा.


इस बार प्रिया खुद अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर तक उतर गया. मैंने शुरू से ही पूरी रफ्तार से उसे चोदना शुरू कर दिया.


इस बार प्रिया भी पूरी मस्ती से चुदवा रही थी, फ्री सेक्स का मजा ले रही थी. पूरा पलंग बुरी तरह से हिल रहा था.


मैं उसकी दोनों टांगें अपने हाथों से थामे हुए था और जोर जोर से धक्के लगा रहा था. जल्द ही उसकी चूत फिर से पूरी तरह से झाग से भर गई.


करीब 10 मिनट चोदने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया.


कपड़े से लंड को साफ किया और उसकी चूत को भी साफ करके प्रिया को बिस्तर से बाहर खींच लिया.


इसके बाद मैंने उसे अपने सामने खड़ा किया और उसकी एक टांग उठाकर अपने हाथ में दबा लिया. फिर अपना लंड चूत में डाल कर दूसरे हाथ से उसकी गांड को थाम लिया.


प्रिया ने भी अपने दोनों हाथ मेरे गले में फंसा लिए. मैंने उसकी चुदाई फिर से करनी शुरू कर दी.


कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उसकी दूसरी टांग भी मैंने उठाकर उसे अपनी गोद में ले लिया और उसकी दोनों टांगों को अपनी कमर पर फंसा लिया.


अपनी गोद में प्रिया को उचकाते हुए मैं उसे चोदने लगा. अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को थाम कर अपना लंड पूरा अन्दर तक पेलने लगा.


उसका पूरा बदन पसीने से भीग गया था और वो मस्ती से चुदवा रही थी.


कुछ देर ऐसे चोदने के बाद मैंने उसे नीचे उतारा और उसे पलंग के पास खड़ा करके उसके पीछे आ गया.


पीछे से उसकी गांड की तरफ से मैंने उसकी चूत में फिर से लंड डाल दिया और उसकी कमर को पकड़कर जोर जोर से चोदने लगा. प्रिया खुद बिस्तर पर झुक गई और अपनी टांगें फैला दीं.


मैं उसके चूतड़ों पर जोरदार धक्के मारते हुए उसे चोदने लगा. उसके बड़े बड़े गोरे चूतड़ों को बहुत गौर से देखते हुए मैं उसे चोद रहा था.


मेरे जोरदार धक्के से उसकी गोरी पिछाड़ी बुरी तरह लहरा रही थी.


जहां जहां मेरे धक्के उसकी चूतड़ों पर लग रहे थे, वो पूरा हिस्सा लाल हो गया था. इस तरह से चोदने से उसकी चूत और भी ज्यादा कसी हुई महसूस हो रही थी.


जल्दी ही वो झड़ गई और फिर उसकी चूत के गर्म पानी के कारण मैं भी उसके अन्दर ही झड़ गया. लंड डाले हुए मैं उसे पोजीशन में उसके ऊपर लिपट गया और प्रिया भी धीरे धीरे बिस्तर पर लेट गई.


इस धुंआधार चुदाई के बाद हम दोनों ही थक चुके थे और काफी देर तक बिस्तर पर लेटे रहे. इसके बाद मैंने उस रात कुल मिलाकर 4 बार उसकी ऐसी ही जबरदस्त चुदाई की और सुबह 4 बजे हम दोनों सो गए.


दोनों बुरी तरह से थक चुके थे इसलिए सुबह 11 बजे तक हम दोनों सोते ही रहे.


दोस्तो, सेक्स कहानी अभी बाकी है. अभी मेरी तमन्ना पूरी नहीं हुई थी मुझे उसकी गांड की भी चुदाई करनी थी क्योंकि उसकी गांड का गुलाबी छेद मेरे मन को भा गया था. उसकी गांड में अपना लंड डाले बिना मेरी चुदाई अधूरी रह जाने वाली थी.


तो दोस्तो मिलते हैं फ्री सेक्स पोर्न कहानी के अगले भाग में. उसमें मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने प्रिया की कमसिन गुलाबी गांड की चुदाई की. आप चाहें तो कोमल को मेल कर सकते हैं. [email protected]


फ्री सेक्स पोर्न कहानी का अगला भाग: उन्नीस की चूत छप्पन का लंड- 6


Family Sex Stories

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ