हम दोनों भाइयों ने चाची को खूब चोदा- 2

पंकज टीचर

18-02-2024

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हॉट चाची की चूत का मजा तो हम दोनों भाई लेना चाहते थे. पर मौक़ा मिला मेरे बड़े भाई को. चाची का नन्हा बेटा बीमार हुआ तो मेरा भाई चाची के साथ गया अस्पताल.


कहानी के पहले भाग कलवे चाचा को मिली परी सी बीवी में आपने पढ़ा कि भद्दे दिखने वाले काले रंग वाले मेरे चाचा की शादी एक बहुत सुंदर सेक्सी लड़की से हो गयी जो अभी कॉलेज में पढ़ती थी. चाचा की शादी लेट हुई थी तो उसने चाची को खूब पेला, लेट शादी की पूरी कसर निकाल ली एक महीने में! चाचा सुरक्षा कर्मी था तो उसे ड्यूटी पर जाना पड़ा. पीछे से चाची ने अपनी लंड की जरूरत अन्य लोगों से पूरी करनी शुरू कर दी.


अब आगे हॉट चाची की चूत का मजा:


घर आने के बाद हम दोनों भाई चाची का खूब ख्याल रखने लगे। चाची की हर छोटी बड़ी जरूरत को बोलते ही पूरा करने लगे।


धीरे धीरे चाची भी हम दोनों भाइयों में घुल मिल गयीं तो हमें अपना चुदाई वाला काम आसान होता दिख गया।


ठीक दो महीने बाद चाची ने एक बेटे को जन्म दिया जो एकदम गोरा था। वह किसी भी नजर से कल्लू रमेश चाचा का बेटा नहीं लग रहा था।


मेरी दादी भी बनावटी ख़ुशी दिखा रही थी लेकिन चाची हद से ज्यादा खुश थी।


बेटे का नाम काव्य रखा गया। हमारे घर में सभी गोरे हैं सिर्फ रमेश चाचा को छोड़कर … तो चाची ने भी कह दिया कि काव्य तो सूरज को पड़ा है। मैं भी खुश हो गया की बिना पेले ही एक बच्चे का बाप बन गया।


मेरे पापा की बाजार में एक छोटी सी दुकान है तो शाम को मैं दुकान पर जाकर बैठने लगा।


बलराम भाई का बोर्ड का एग्जाम था तो वह घर पर रह कर पढ़ाई करने लगा और साथ में चाची को पटाने की कोशिश भी करने लगा।


एक दिन की बात है चाची काव्य को दूध पिला रही थी. बलराम भाई भी वहीँ बैठ कर पढ़ाई कर रहे थे। भाई का ध्यान बार बार चाची की चूचियों पर चला जा रहा था।


चाची ने पूछा- क्या देख रहे हो बलराम? “कुछ नहीं चाची … मैं तो बस अपनी किताब पढ़ रहा हूँ.” बलराम ने हकलाते हुए कहा।


“मुझे पता है तुम कौन सी किताब पढ़ रहे हो!” इतना कहकर चाची मुस्कुराती हुयी अपने कमरे में चली गयीं।


थोड़ी देर बाद जब बलराम भाई का पढ़ाई में मन नहीं लगा तो वह चाची के रूम में चला गया। काव्य बेड पर सो रहा था और चाची का कहीं पता नहीं था।


बलराम भाई ने बाथरूम से सिसकारने की आवाज सुनी तो धीरे से जाकर बाथरूम के दरवाजे के पास खड़ा हो गया।


अन्दर से आह आह की आवाज आ रही थी और चाची अपनी बुर को रगड़ रही थी जिससे चप चप की आवाज आ रही थी।


कुछ देर में आवाजें तेजी से आने लगीं और फिर बंद हो गयी। बलराम को पता चल गया कि चाची की चूत का पानी निकल चुका है।


खड़े लंड को सहलाते हुए बलराम बाहर वाले बाथरूम में घुस गया और मुट्ठ मारकर ही बाहर आया।


शाम को दुकान से आने के बाद बलराम ने ये सारी बातें मुझे बतायी तो मुझे यकीन हो गया कि बहुत जल्द ही चाची की चूत हम दोनों के लंड के नीचे आने वाली है।


अब चाची का जिस्म पूरा भर चुका था. चाची की चूचियां दूध से भरी होने के कारण एकदम तनी हुयी दिखती थी। मोनिका चाची की गांड एकदम चौड़ी हो गयी थी; मन करता था कि पीछे से ही अपना लंड मोनिका चाची की गांड में पेल कर खूब हचक कर चोद दूं। लेकिन अभी तो किस्मत में इन्तजार लिखा था।


दो दिनों के बाद अचानक से काव्य की तबीयत खराब हो गयी। दादी किसी रिश्तेदार के यहां गयी थीं और मैं दुकान पर था तो बलराम भाई चाची और काव्य को लिवा कर डाक्टर के यहाँ गए.


तो डाक्टर ने आक्सीजन लगाने के बाद काव्य को भर्ती कर लिया और कहा- आज रात यहीं रुकना पड़ेगा. कल अगर तबीयत में सुधार हुआ, तभी घर जा सकते हैं।


मैं खाना लेकर अस्पताल गया और बलराम को बधाई देते हुए कहा- आज मौका अच्छा है. पेल दो चाची को! और एक कंडोम देते हुए आँख मार दी। मैं भी मन ही मन खुश होता हुआ घर वापस आ गया।


अस्पताल में चाची और बलराम भाई ने खाना खाया।


रात में दस बजे के बाद डाक्टर साहब चले गए और धीरे धीरे स्टाफ भी कम हो गये।


आराम करने के लिए बगल में एक पेशेंट वाले खाली बेड पर चाची लेट गयी और बलराम से भी एक तरफ लेटने को कहा।


थोड़ी देर बाद नर्स आई और अपना सारा काम करके चली गयी। अब सुबह तक कोई नहीं आने वाला था।


पेशेंट वाले बेड पर चाची के बगल में बलराम भाई भी लेट गए।


चाची को नींद नहीं आ रही थी तो वे बलराम से पढाई के बारे में पूछने लगीं।


फिर धीरे धीरे बात आगे बढ़ी तो चाची ने पूछा- तुम अक्सर मुझे घूरते क्यों रहते हो? मैंने बहुत बार देखा है कि तुम मुझे छुप छुप कर घूरते रहते हो! बलराम- नहीं चाची! मैं तो पढ़ता रहता हूँ अगले महीने से ही मेरे बोर्ड के एग्जाम हैं।


मोनिका चाची- बातें मत बनाओ; मुझे सब पता है तुम छुप छुप कर क्या करते हो, मैं यह भी जानती हूँ।


बलराम भाई को काटो तो खून नहीं! वे हकलाते हुए बोले- चाची वो … वो बस एक दो बार गलती से हो गया था. लेकिन अपनी कसम … अब फिर कभी ऐसा नहीं करूँगा।


मोनिका चाची का तुक्का सही बैठ रहा था तो उन्होंने आगे कहा- मैं तो ये भी यह जानती हूँ कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड है जिसके चक्कर में तुम ये सब गन्दी गन्दी हरकतें किया करते हो।


लेकिन इस बार चाची का तुक्का फेल हो गया। बलराम भाई बोले- अपनी कसम चाची … मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।


मोनिका चाची- जब कोई गर्लफ्रेंड नहीं है तब किसके लिए हमेशा पगलाए रहते हो? ऐसा लगता है जैसे हमेशा किसी को ढूंढते रहते हो। इस बात का जवाब बलराम भाई न दे सके अतः उन्होंने चुप रहना ही ठीक समझा।


बलराम भाई को चुप देखकर चाची ने कहा- तुम मुझे सच सच बताओ. वर्ना मैं तुम्हारे पापा से बोल दूंगी कि तुम पढ़ते कम और इधर उधर ज्यादा करते हो।


अब बलराम भाई फंस चुके थे. आखिर बताते भी क्या?


फिर भी बोले- ऐसा कुछ नहीं है चाची जी, वो तो बस ऐसे ही … “क्या ऐसे ही?” मोनिका चाची गुर्राते हुए बोलीं। बलराम भाई खामोश हो गए।


चाची के पास में लेटे होने के कारण न चाहते हुए भी बलराम भाई की नजर बार बार चाची की चूचियों पर जा रही थी।


तब चाची ने नोटिस किया तो प्यार से पूछा- क्या देख रहे हो? बलराम भाई- कुछ नहीं।


मोनिका चाची- अगर इस बार बहाना बनाया न तो पिटाई कर दूँगी। सही सही बताओ क्या देख रहे थे अभी? बलराम भाई ने रोनी सूरत बनाते हुए चाची के बूब्स की तरफ इशारा करते हुए कहा- आपका वो देख रहा था। सॉरी चाची, अब आगे से ऐसी गलती नहीं करुंगा।


मोनिका चाची ने साड़ी का पल्लू हटाते हुए कहा- इसमें ऐसा क्या है जो हमेशा घूरते रहते हो? पल्लू हटते ही बलराम भाई की जबान सूख गयी।


इतनी बड़ी बड़ी चूचियों को पास से देखकर बलराम भाई को पसीना आने लगा और लंड धीरे धीरे अंगड़ाई लेने लगा। बलराम भाई बोले- सॉरी चाची अब आगे से ऐसी गलती नहीं करुंगा। “तो तुम्हे इतना पसीना क्यों आ रहा है?” कहते हुए चाची ने अपनी साड़ी के पल्लू से बलराम भाई के चेहरे को पौंछने लगी।


चाची के पल्लू से उनकी चूचियों की महक ने बलराम भाई को मदहोश कर दिया।


बलराम भाई ने अपना एक हाथ बढ़ाकर चाची के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया और साथ में अपना मुंह पौंछने लगे।


भाई की सांसें तेज चलने लगी. वो चाची का हाथ पकड़ कर अपने पूरे चेहरे पर घुमाते हुए अपने होठों के पास लाये और चाची की हथेली को धीरे से चूम लिया।


शायद चाची को भी अच्छा लगा और चाची ने बलराम भाई के चेहरे से होते हुए अब गर्दन पर आये हुए पसीने को पौंछने लगीं।


बलराम भाई भी साथ में चाची का हाथ पकड़ कर अपनी गर्दन से होते हुए अपने सीने पर लाकर रख दिया। भाई की धड़कन जोर जोर से चल रही थी।


अब चाची की भी सांसें भारी हो चुकी थीं और माथे पर पसीना आना शुरू हो गया था। बलराम भाई चाची का हाथ पकड़ कर धीरे धीरे अपने सीने से नीचे पेट तक ले आये। चाची भी मदहोश होने लगीं थी।


बलराम भाई का लंड हद से ज्यादा टाईट हो चुका था। भाई के हाथ में चाची का हाथ था दोनों एक दूसरे से बस कुछ इंच की दूरी पर लेट कर एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले गर्म सांसों को महसूस कर रहे थे।


बलराम भाई ने चाची का हाथ अपने पेट से नीचे सरकाते हुए अपने खड़े लंड पर रखना चाहा. लेकिन तभी चाची ने हाथ हटा लिया और उसी पल्लू से अपने माथे पर आए पसीने को पौंछने लगीं।


दोनों के होंठ फड़फड़ा रहे थे.


भाई ने हाथ बढ़ाकर चाची के हाथ पर दोबारा अपना हाथ रख दिया और चाची के चेहरे पर आये पसीने को पौंछने में उनकी मदद करने लगा।


चाची ने अपना हाथ निकाल कर बलराम भाई के हाथ के ऊपर रख दिया और बलराम भाई के हाथ को अपने होठों के पास ले जाकर धीरे से चूम लिया।


आग दोनों तरफ बराबर लग चुकी थी लेकिन अभी भी एक अनजानी सी झिझक थी जो दोनों को रोक रही थी।


चाची ने भाई के हाथों को अपने होठों से फिसलाकर गर्दन से होते हुए अपनी दोनों चूचियों के बीच में ले जाकर रख दिया।


भाई ने तुरंत हाथ बढ़ाकर मोनिका चाची के एक स्तन को पकड़ कर मसल दिया। चाची के मुंह से इस्सस निकला ही था कि बलराम भाई ने चाची के होंठों को अपने होंठों में कस के भर लिया।


दोनों जैसे जनम जनम के प्यासे थे। ऐसा लग रहा था अब ये दोनों एक दूसरे के होठों को खाकर ही अलग होंगे।


बलराम भाई तुरंत चाची के ऊपर चढ़ गए और दोनों हाथों से चाची के स्तनों को कस कस के दबा कर दूध निकालने लगे। चाची का ब्लाउज दूध निकलने के कारण गीला हो गया।


इधर दोनों के होंठ एक दूसरे को चूस चूस कर पी जाना चाह रहे थे। कभी चाची अपनी जीभ भाई के मुंह में डालतीं तो भाई चाची की जीभ को खूब चूसते और जब भाई चाची के मुंह में अपनी जीभ डालते. तो ऐसा लगता कि चाची जीभ को काट कर निकाल ही लेंगी।


बलराम भाई पूरी तरह से चाची के ऊपर लेट गए। चाची के दोनों हाथों की उँगलियों को अपनी उँगलियों में ले कर कर होंठों से होंठों को रगड़ते हुए चाची की साड़ी के ऊपर से ही अपने लंड को चाची की चूत पर रगड़ने लगे।


मोनिका चाची ने भी अपने दोनों पैर फैलाकर भाई के लंड को अपनी चूत पे सेट कर लिया। भाई कपड़ों के ऊपर से ही जोर जोर से धक्का मारने लगे. चाची की चूत से फ़च फ़च करके पानी निकलने लगा जिससे चाची की पैंटी भीग गयी और चूत का पानी इतना ज्यादा था कि चाची की साड़ी भी भीग गयी।


चाची ने भाई को थोड़ा सा रुकने का इशारा किया. जब भाई रुके तो चाची ने झट से अपनी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट ऊपर उठा कर चूत के पानी से भीगी हुयी पैंटी को निकाल बलराम भाई के ऊपर फेंक दिया।


बलराम भाई ने पैंटी को चूम कर एक तरफ रख दिया. चाची ने भाई को पैंट उतारने का इशारा किया।


भाई शर्मा रहे थे लेकिन चाची ने एक ही झटके में पैंट के साथ साथ अंडरवीयर भी नीचे खींच कर उतार दिया।


बलराम भाई का लहराता हुआ लंड देखकर चाची ने तुरंत भाई के लंड को मुंह में भर लिया और खूब कस कस के चूसने लगीं।


भाई आँखें बंद करके आह आह करने लगे और थोड़ी ही देर में चाची के मुंह में अपना पूरा वीर्य झाड़ दिया। चाची ने पूरा वीर्य पी लिया।


भाई ने चाची की कमर पकड़ कर बेड पर लिटाया और चाची का पेटीकोट ऊपर करके चूत को मुंह से खींच कर चूसने लगे। चाची ने अपने दोनों हाथों से भाई के सर को पकड़ लिया और अपनी चूत में दबाने लगीं।


भाई पूरी लगन से हॉट चाची की चूत के अन्दर जीभ डाल डाल कर चाची का वीर्य पीने लगे। जैसे पाईप मुंह में लगाकर जूस को खींचा जाता है, ठीक वैसे ही बलराम भाई मोनिका चाची की चूत को खींच कर चूस रहे थे।


इतनी भयंकर चूत चुसाई के बाद चाची ने भाई का सर अपनी चूत में खूब कस कर दबाया और अपने पैरों को मोड़कर बलराम भाई की गर्दन में लपेट दिया और जल्दी ही अपना वीर्य भाई के मुंह में निकाल दिया।


बलराम भाई चाची की चूत का एक एक कतरा चूस गए और चाट चाट कर चाची की चूत को लाल कर दिया।


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