मेरी बीवी ने मेरे बड़े भाई से चुत चुदवाई- 3

सुनील सिंह 2

17-05-2021

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मेरी सेक्सी बीवी की कहानी में आप पढ़ रहे थे कि वो कैसे अपने कामदेव जैसे जेठ से जोरदार चूत चुदाई का मजा ले रही थी. उसकी ऐसी चुदाई पहले नहीं हुई थी.


दोस्तो, मेरी बीवी … मेरे बड़े भाई यानि अपने जेठ से चुद रही थी और उस चुदाई की कहानी को मेरे कहने पर मुझे सुना रही थी. मेरी सेक्सी बीवी की कहानी के पिछले भाग मेरी बीवी की चूत में मेरे बड़े भाई का लंड में अब तक उसने मुझे बताया था कि उसके जेठ ने उसकी ताबड़तोड़ चुदाई चालू कर दी थी. जिससे मेरी बीवी की हालत पतली हो गई थी.


अब मेरी सेक्सी बीवी की कहानी को आगे उसी की जुबानी सुनिए.


इस कहानी को लड़की की सेक्सी आवाज में सुनें.


तकरीबन 40 धक्कों के बाद जेठजी ने ने चुदाई को विराम दिया और मेरे ऊपर झुक कर मेरे दोनों स्तन अपने बड़े कठोर हाथों में लेकर जोर जोर से मसलने लगे.


मैंने अपने दोनों हाथों से जेठजी के चेहरे को पकड़ा और मेरे बाएं स्तन की घुंडी को ऊपर करके उनके मुँह में रख दी. जेठजी ने अपने बड़े मुँह को खोल कर मेरी पूरी की पूरी चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूची को अन्दर तक ले जा कर जोर जोर से चूसने लगे.


इधर नीचे उनके लंड के धक्के मेरी चूत पर लगातार पड़ रहे थे. मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी.


तभी मुझसे रहा नहीं गया और उचक उचक कर मेरी चुत पानी छोड़ने लगी.


जब मैं शांत हुई, तब भी जेठजी लगातार मुझे चोदे जा रहे थे.


मैंने अपने दोनों हाथों से अपने बाएं स्तन को, जिसे जेठजी चूस रहे थे, अपने हाथों की उंगलियों से पूरी तरह से घेरा बना कर और उभार दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा मेरा स्तन जेठजी के मुँह में जा सके.


पिछली चुदाई से जो जेठजी ने मेरे स्तन पर दांतों से चबाया था, उस वजह से अब जब मेरे स्तन में मुझे दर्द का अहसास भी हो रहा था. इस समय भी उसी निप्पल को जेठजी अपने मुँह में भरे हुए थे … लेकिन वासना के मजे का अनुभव, उस दर्द से कहीं ज्यादा था.


जेठजी का एक हाथ लगातार मेरे दाहिने स्तन को दबा रहा था. काफी देर तक जोर जोर से मेरे बाएं स्तन को चूसने के बाद जेठजी ने एक पॉप की आवाज से स्तन को मुँह से निकाला. मेरा बायां स्तन पूरा लाल हो गया था.


जेठजी ने अपने दोनों बड़े बड़े हाथों की उंगलियों से मेरे बाएं स्तन के निचले हिस्से को चारों तरफ से घेरा बना कर जोर से निचोड़ दिया, जिससे मेरा स्तन ऊपर की ओर उभर गया.


जेठजी ने उस स्तन को ऊपर की ओर मेरे मुँह की तरफ मोड़ा … और मुझसे कहा- अब इसे तुम चूसो.


मैं अपना सर नीचे की तरफ मोड़ कर जीभ निकाल कर अपने लाल हुई चूची को चाटने लगी.


उसी समय जेठजी ने भी अपनी जीभ उसी चूची के ऊपर फेरने लगे. दोनों की जीभ आपस में टकरा जातीं और एक दूसरे की जीभ को चूस लेते.


थोड़ी देर बाद जेठजी फिर से उठे और बढ़ी हुई रफ़्तार से मेरी चुत चोदने लगे. मैंने मन ही मन सोचा कि इस तरह से जेठजी की दीवानी हो जाऊंगी.


उन्होंने तकरीबन 50 धक्के मारे तो मैंने महसूस किया कि जेठजी की छाती पर पसीना आ गया था. कुछ पसीने की बूंदें मेरे पेट पर गिर रही थीं. इससे मुझे बहुत सुख का अनुभव हो रहा था.


फिर जेठजी एक पल के लिए रुके और मेरे ऊपर फिर से छा गए. अब उन्होंने मेरे दाहिने स्तन को चुम्बन किया और उसके बड़े कड़क से निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे.


मैं आपको बता दूँ कि मेरा दाहिना स्तन मेरे बाएं स्तन से थोड़ा बड़ा है.


इस समय मेरा सारा का सारा स्तन जेठजी के बड़े से मुँह में समां गया था. मैंने फिर से उनका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपने स्तन पर दबा दिया.


वह ज़ोर ज़ोर से मेरे दूध को चूसते रहे और बीच बीच में दांतों से चबा भी देते.


मैंने फिर से अपने दोनों हाथों से स्तन को चारों तरफ से घेर लिया और ज़ोर से भींचते हुए ऊपर की ओर उभार दिया. इससे मेरा स्तन जेठजी के मुँह में और ज्यादा घुस गया.


वासना का खेल अपनी पूरी चरम सीमा पर था. जेठजी का समूचा बड़ा मोटा लंड पूरी तरह मेरी चूत के अन्दर तक घुसा हुआ था और जेठजी मेरे दाहिने स्तन को पूरी तरह अपने मुँह में समाए हुए थे.


इस दौरान जेठजी मेरे बाएं लाल हुए पीड़ा दायक स्तन को अपने सख्त कठोर हाथों से मसल भी रहे थे.


गहरी वासना में चुदाई का इतना मजा आता है, मुझे इसका आज ही अनुभव हुआ.


अब मुझसे और रहा नहीं गया. मेरा शरीर ज़ोर से अकड़ा और नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए में फिर से झड़ गई.


शायद मैं चौथी बार झड़ी थी. मैंने थोड़ी सी आंखें खोलीं और मेरी नजर दरवाजे पर चली गईं.


हमने दरवाजा बंद नहीं किया था. मैंने देखा कि जेठानी दरवाजे की झिरी से एक आंख से देख रही थी.


मैं बहुत खुश हुई और आंखें बंद करके चुदाई का मजा लेने लगी.


कुछ देर बाद जेठजी ने मेरे दाहिने स्तन को मुँह से निकाला. मेरी ये वाली चूची भी सेब की तरह पूरी लाल हो गई थी. मेरे दोनों स्तनों पर जेठजी के दांतों के बहुत से निशान थे.


जेठजी ने मेरे दोनों स्तन के निचले हिस्से से अपने दोनों बड़े बड़े खुरदरे हाथों में लेकर एक साथ ऊपर की ओर उभारा और दोनों को एक साथ सटा दिया. इससे मेरे दोनों बड़ी बड़ी चूचियां पास पास आ गई थीं.


जेठजी ने मेरी दोनों चूचियों को जीभ से चाटा और फिर एक साथ मुँह में लेकर चूसने लगे. मेरी पीठ का आकार धनुष सा बन गया था. मैंने दोनों हाथों से जेठजी के सर पकड़ कर ज़ोर से अपने सीने पर दबा दिया.


दो मिनट ऐसे करते हुए जेठजी थोड़ा रुके और मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों से आजाद कर दिया.


अब धीरे से जेठजी अपना दाहिना हाथ नीचे की तरफ ले गए और मेरी गांड के नीचे से लेते हुए मेरी चूत के चारों ओर अपनी उंगली फेरने लगे.


मैं मन ही मन सोच रही थी कि अब पता नहीं जेठजी क्या करेंगे. फिर सोचा, जो भी करेंगे … उसमें मजा ही आएगा.


मैं अभी ऐसा सोच ही रही थी कि जेठजी ने मेरी चूत की बायीं तरफ, जो मेरी चूत और उनके लंड की जगह से बची हुई फांक थी, उसमें अपनी एक उंगली अन्दर करते हुए मेरी चूत में उंगली डाल दी.


उफ्फ … मैं चिहुंक उठी. एक तो इतना मोटा लंड घुसा हुआ है … और उस पर एक और मोटी उंगली भी चुत में डाल दी.


कुछ पल के दर्द के बाद मेरे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई.


इस खेल में जेठजी बारी बारी से लंड और उंगली को आगे पीछे कर रहे थे. मुझे ऐसा लग रहा था मानो दो लंड से मेरी चूत की चुदाई हो रही हो.


जेठजी अपना दूसरा हाथ भी मेरी गांड के नीचे ले गए और मेरे चूतड़ों को ऊपर की तरफ उठा दिया. मेरी चूत और लंड की दूसरी तरफ की सांस को भी उन्होंने उंगलियों से टटोलते हुए अपनी बीच वाली उंगली चूत में पेल दी.


‘हाय राम … मर गई ..’ कहते हुए मैं दर्द के सुख से कराह उठी.


अब मेरी चूत मैं जेठजी का लंड के साथ साथ दोनों तरफ से दो उंगलियां भी मेरी चूत को चोद रही थीं. जेठजी अपने लंड और दोनों उंगलियों को मेरी चूत में एक लय में अन्दर बाहर करते हुए चोद रहे थे.


अभी मेरी चूत इस चुदाई को एडजस्ट कर ही रही थी कि जेठजी ने दोनों तरफ से और एक एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और तेज गति से चुदाई करने लगे.


उनके हाथ किसी वायलिन बजाने वाले की तरह से मेरी चुत पर लंड के साथ चल रहे थे. चुत से उठने वाली तरंगों से मेरा बदन पूरी तरह अकड़ गया था.


मेरी चूत पूरी तरह फैल कर जेठजी के लंड के साथ साथ उनकी चार मोटी मोटी उंगलियों को अन्दर समेटे हुई चुदाई का मजा ले रही थी.


मैंने जेठजी को जोर से अपने ऊपर जकड़ा हुआ था और चुदाई का आनन्द ले रही थी.


अभी इतना काफी नहीं था कि तभी जेठजी ने दोनों तरफ बाकी की दो दो उंगलियां, दोनों तरफ से मेरी चूत में डाल दीं.


ऊई दइया … अब तो मेरी चूत के बीचों बीच जेठजी का बड़ा मोटा लंड … और दोनों तरफ से उनकी चारों उंगलियां मेरी चूत को चौड़ा किए हुई थीं.


जेठजी अपनी उंगलियों से मेरी चूत की फांक को दोनों तरफ से फैला रहे थे, जिससे मेरी चूत पूरी तरह फैली जा रही थी. इधर जेठजी मेरी चूत को उंगलियों से फैलाते और उधर अपने लंड को जोर जोर से मेरी चूत के अन्दर बाहर करके चोदे जा रहे थे.


अपनी जिंदगी में मैंने ऐसी चुदाई का सुख कभी नहीं भोगा था. मैंने जेठजी के मांसल कंधों को ज़ोर से पकड़ लिया. वो अपनी मोटी उंगलियों और हब्शी लंड, दोनों से जेठजी मेरी चूत को चोद रहे थे.


कुछ देर ऐसे करने के बाद जेठजी ने एक एक करके अपनी उंगलियां मेरी चूत से बाहर निकाल दीं और मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से जकड़ कर ऊपर की ओर उठा दी.


जेठ जी अब सिर्फ अपने लंड से जोर जोर से चुदाई कर रहे थे. इससे मेरी जान में जान आई.


मैंने अभी दूसरी सांस ही ली थी कि जेठजी ने एक उंगली मेरी गांड में डाल दी. चूत के रस से मेरी गांड भी पूरी तरह भीगी हुई थी जिसके कारण बड़ी आसानी से फच फच करके उंगली मेरी गांड में घुस गई.


जेठजी मेरे कान में फुसफुसाये- सोनी, ऐसे कभी किया है? मैंने ना में सर हिलाया.


उसी समय तुरंत ही जेठजी ने दूसरी उंगली को भी मेरी गांड में डाल दिया. अब यह ऐसा महसूस हो रहा था कि एक लंड मेरी चूत में है … और दो लंड मेरी गांड में घुसे हैं.


ऐसे ही जेठजी मेरी चूत को लंड से चोदते और गांड को अपनी दो उंगलियों से चोदते रहे.


थोड़ी देर बाद जेठजी अपनी उंगलियों को मेरी गांड से निकाल दिया और अपने पंजों के बल ऊपर उठ कर ज़ोर ज़ोर से लंड के धक्के मेरी चूत में लगाने लगे.


कुछ ही देर बाद जेठजी ने एक ज़ोर से धक्का लगाया और उनका शरीर अकड़ गया. इसी के साथ उनके लंड का सुपारा फूल गया और फुंफकार मारते हुए मेरी चूत में अपना बच्चे पैदा करना वाला रस उड़ेलने लगा.


जेठजी झड़ कर मेरे ऊपर छा गए और मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर ज़ोर ज़ोर से उचक उचक कर मेरी चूत के अन्दर तक धक्के मारने लगे.


मैं भी नीचे से उछलने लगी और फिर आखरी बार झड़ गई.


मैंने जेठजी को अपनी बांहों में जकड़ रखा था और अपनी टांगों से उनकी कमर को पकड़ कर ऊपर की ओर धकेल रही थी.


इससे यह हुआ कि जेठजी का वीर्य मेरी योनि की अंडे वाली थैली पर सीधा गिर रहा था. मुझे पूरा अहसास हो रहा था कि मेरी चूत की गहराई में जेठजी का पोषक वीर्य एक तेज धार की तरह मार कर रहा था. यदि अभी अगर मेरे गर्भाशय में बच्चा पैदा होने वाला अंडा होगा तो जेठजी के पोषक वीर्य से जरूर उसे फर्टिलाइज कर देगा और मैं जेठजी के बच्चे की मां बन जाऊंगी.


यह सोच सोच कर मैं वासना की और भी तीव्र आग में जलने लगी. अब हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे.


जेठजी के अंडकोष से उनका गाढ़ा वीर्य मेरी गर्भवती होने के लिये तैयार चुत में लंड के सुपारे के जरिए मेरी बच्चेदानी में अंडे को पूरी तरह भिगो रहा था. हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे.


जब तूफान शांत हुआ तो जेठजी मेरे ऊपर से उठ गए और अपने कपड़े पहनने लगे.


मैं भी उठी और अपनी साड़ी, ब्लाउज, साया, सभी को समेट कर एक हाथ को अपनी चूत के ऊपर दबाये अपने कमरे में चली गई.


जेठानी वहां नहीं थी तो मैंने फटाफट नाइटी पहनी और अपने बेड पर कमर के नीचे तकिया लेकर लेट गई. पता नहीं क्यों मुझे जेठजी के बच्चे की मां बनने की बहुत इच्छा हो रही थी. किसी भी हाल में अपनी चूत से जेठजी का अनमोल वीर्य बाहर नहीं आने देना चाहती थी.


मैंने एक छोटे साइज की तंग पैंटी पहनी और एक प्लास्टिक की पन्नी अपनी चूत के आगे लगा दी ताकि जेठजी का गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में ही रहे.


दोस्तो ये सब मैं अपने पति को बता रही थी.


चुदाई की कहानी सुनाने के बाद मैं अपने पति से बोली.


आप उस रात 10.30 बजे आए थे और मैं उठकर आपको खाना देकर लेट गई. आप आए और मुझे चोदने के लिए उठाने लगे, लेकिन मैंने मना कर दिया.


मैं दाहिनी करवट होकर लेटी हुई थी. आप फिर भी नहीं माने और मेरे पीछे से आकर आपने मेरी नाइटी कमर तक उठा दी. फिर मेरी पैंटी को साइड करके आपने अपने लंड को पीछे से मेरी चूत में डाल दिया. मेरी चूत जेठजी के इतने मोटे लंड से चुदने के बाद और उनके वीर्य से भरी हुई होने के कारण आपका छोटा सा पतला लंड मेरी ताजा ताजा चुद चुकी चूत में बड़ी आसानी से घुस गया.


अपनी बीवी की बात सुनकर मुझे याद आया कि हां उस रात बीवी की गीली चूत में लंड डालते समय मुझको अहसास हुआ था कि मेरी बीवी की चुत इतनी गीली और खुली हुई कैसे है.


मेरी पत्नी बताए जा रही थी: आपने पीछे से अपने हाथों को आगे लाकर मेरी चूचियों को दबाने की कोशिश की, लेकिन मैंने आपका हाथ हटा दिया. आप भी 3-4 धक्के मार कर शांत हो गए. आपका भी वीर्य पतन हो गया. आपने मेरी चूत में अपना पतला सा दो बून्द वीर्य टपका दिया. आपका वीर्य जेठजी के गाढ़े वीर्य में ही समा गया. आपने बिना कुछ कहे आपने कपड़े पहने और सो गए. मैं भी सो गई.


दोस्तो, ये मेरी बीवी के अपने जेठ से चुदने की सेक्स कहानी थी, आपको कैसी लगी मेरी सेक्सी बीवी की कहानी? प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.


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