चचेरी बुआ ने मेरा मन मोह लिया- 1

संजू पण्डित

09-10-2022

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सेक्सी बुआ की कहानी में पढ़ें कि पारिवार के समारोह में मैं अपने पिता की चचेरी बहन से मिला. वो इतनी सेक्सी थी कि मैंने बुआ को चोदना चाहने लगा.


फ्रेंड्स, मैं आज आपको अपनी रिश्ते में बुआ लगने वाली महिला के साथ अपने सेक्स की कहानी सुना रहा हूँ. उन्हें मैं आंटी ही कहता था.


उस दिन मेरे पैतृक गांव में एक कार्यक्रम चल रहा था जहां हमारे परिवार के बहुत सारे सदस्य उस समारोह के लिए एकत्रित हुए थे.


मैं अपने पिता की चचेरी बहन से विशेष रूप से करीब था. वह शादीशुदा थी और उसकी दस साल की एक बेटी थी.


आंटी का नाम नम्रता था और वह बैंगलोर से लगभग 100 किलोमीटर दूर मांड्या में रहती थी.


उसकी सुंदर फिगर थी. लगभग 34 इंच के स्तन और 28 की कमर के साथ उसकी 36 इंच की गांड बड़ी ही मादक आकार की थी. मैं बचपन से ही उसकी ओर बहुत आकर्षित था.


उसके स्तन हमेशा मुझे आकर्षित करते थे. मैं किसी तरह उसके स्तनों को पकड़ने को उतावले अपने हाथों को रोकने का प्रयास करता. मैं कभी भी उसकी साड़ी हटने से उसके मम्मों की गोरी दरार के दृश्य का आनन्द लेने का मौका नहीं छोड़ता था.


आज मैं उसको देख कर अपनी जवानी की आग में वासना से जल रहा था.


उस समय घर मेहमानों से भरा हुआ था और सभी ने समारोह के लिए अच्छे कपड़े पहने हुए थे. मेरी नम्रता भी बहुत खूबसूरत लग रही थी.


फंक्शन के दिन हम सब चीजों को व्यवस्थित करने में लगे थे. मैं और मेरी आंटी गत्ते के डिब्बे में रखी कुछ चीजों को कार्यक्रम स्थल पर ले जा रहे थे जो घर से कुछ ही मीटर की दूरी पर था.


ढेर सारे डिब्बे थे, मैं उन्हें उठाकर उसे दे रहा था ताकि वह चीजों को निकाल कर व्यवस्थित कर सके.


जब भी मैं बॉक्स देने के लिए हाथ बढ़ाता था, तो मैं ये सुनिश्चित करता था कि मेरे हाथ उसके स्तनों को छू लें.


उसने रेशम की साड़ी पहनी हुई थी और उसके स्तन उसके रेशमी ब्लाउज में बाहर निकलने को आतुर दिख रहे थे. ब्लाउज पारदर्शी नहीं था इसलिए मैं ब्रा का रंग नहीं बता सकता था.


लेकिन कभी-कभी उसकी सफेद ब्रा की तनी बाहर झांक जाती थी, जिस वजह से मुझे ब्रा के रंग का पता चल गया था.


उत्तेजना के कारण मेरा लंड लंबा और मजबूत हो गया था. मैंने उसके स्तनों को कई बार छुआ था लेकिन आज मैं उन्हें लगातार टच कर रहा था और अब ये मेरे लिए असहनीय हो गया था.


समारोह अच्छी तरह से चला और उस दौरान मैंने उसके स्तन को छूने या उसके मम्मों की दरार को देखने का एक भी मौका नहीं छोड़ा.


एक बार जब उसने मुझे अपने क्लीवेज से शुरू करते हुए पकड़ा तो वह थोड़ा मुस्कुरा दी. उसने अपने स्तनों को ढकने के लिए अपने पल्लू को ठीक किया.


उस रात हम सब थके हुए थे और रात के खाने के बाद हम सब सोने के लिए जगह खोजने की कोशिश कर रहे थे. मैंने उस कमरे में प्रवेश किया, जहां मैं हमेशा सोता था.


आज मैं अपने ही घर में सोने के लिए जगह खोज रहा था और बड़ी मुश्किल से एक कोना पा सका. मैंने अपना गद्दा फैला दिया और न जाने कब सो गया.


आधी रात को मैं उठा और देखा कि नम्रता की दस साल की बेटी मेरे बगल में सो रही है और उसके बगल में मेरी आंटी थी.


मैं थोड़ा उत्तेजित महसूस कर रहा था. मैंने धीरे से अपना एक हाथ अपनी आंटी की बेटी के ऊपर से आंटी के बदन पर रखा.


जब मैंने हाथ को कुछ ऊपर उठाया तो मेरी उंगलियों में कुछ नरम सा महसूस हुआ.


मुझे यह महसूस करने में ज्यादा समय नहीं लगा कि मैं वास्तव में अपनी आंटी के दाहिने स्तन को छू रहा था. यह उसके सूती ब्लाउज और ब्रा में छिपा हुआ था.


मैंने कुछ देर वहां अपना हाथ रखा और फिर आगे बढ़ने का मन बनाते हुए थोड़ा दबाया. मैं उसकी तरफ से होने वाली हलचल को महसूस करना चाहता था.


मेरे हाथ लगते ही आंटी थोड़ी सी हिली और मैंने तुरंत अपना हाथ हटा दिया लेकिन उसे पूरी तरह से वापस नहीं लिया.


कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ ऊपर किया और उसके बूब्स पर रख दिया. आंटी के स्तन गोल नहीं थे, वे आकार में शंक्वाकार थे और बहुत कड़े थे.


मैं उन्हें महसूस करते हुए बहुत मस्त महसूस कर रहा था. मैंने अपना मन बना लिया और एक बार जोर से स्तन को दबा दिया.


मैं एक नींद में ली गई आह सुन सकता था, तब भी मैंने हाथ नहीं हटाया. कुछ पल बाद मैंने अपनी एक उंगली उसके ब्लाउज के हुक के बीच में डाली और दरार को महसूस किया.


मुझे थोड़ा पसीना आ रहा था. मैं ब्रा को बहुत अच्छे से महसूस कर सकता था.


मैंने अपनी उंगलियों को ऊपर और नीचे उसकी दरार में घुमाया. मुझे बड़ा मस्त लगा.


उसी समय मैंने फिर से एक हल्की सी सीत्कार सुनी ‘आह …’ उसके मुँह से ही ये आवाज निकली थी.


मैं बेहद गर्म हो चला था. मैंने उंगली बाहर निकाली और फिर से उसके दूसरे बूब को दबाने लगा. इस बार मैंने इसे बहुत जोर से दबाया.


वो भी शायद अपनी वासना को भी नियंत्रित नहीं कर पा रही थी. उसने अपना दाहिना पैर ऊपर उठा लिया और अत्यधिक कामवासना से उसे अपने बाएं पैर पर रगड़ने लगी.


मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसके पेट की तरफ ले गया. मैं उसके पेट की हल्की सी मालिश सी करने लगा. उसका पेट सपाट था.


मैंने उसकी नाभि में एक उंगली डाली और उसे थोड़ा दबा दिया. उसने मुँह से इस्स श्स की आवाज निकाली. मैं समझ गया कि ये भी मजा ले रही है.


अब यह मेरे लिए भी बेकाबू कर देने वाला सीन हो गया था.


मैंने अपना हाथ वापस उसके मम्मों पर ले गया और इस बार मैंने अपना हाथ सीधे उसके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया. मैं उसके कड़े स्तनों को कैद में लिए हुई उसकी सूती ब्रा को महसूस कर सकता था.


मैंने एक दूध को दबाया और अपना हाथ उसकी ब्रा के अन्दर बनाए रखा. उसके दूध बड़े ही मजा देने वाले लग रहे थे.


मैं मस्ती से उसके मम्मे को दबाने लगा. मैं उसके निपल्स को भी महसूस कर सकता था. उसके निप्पल कड़क हो गए थे और सीधे हो गए थे.


मैंने अपने अंगूठे और तर्जनी से निप्पल को मींजा. वो भी हल्की आवाज में मजा लेने लगी थी.


मैं उसे ‘उई अम्मा उम्म्म …’ कहती हुई सुन सकता था.


अचानक मुझे कुछ कदमों की आहट सुनाई दी. कोई उठकर बाथरूम में जा रहा था. मैंने तुरंत हाथ हटा लिया और सोने का नाटक करने लगा.


उसने भी अपने शरीर पर चादर भी खींच ली और सो गई.


अगले दिन मैं उसकी नजरों को देखकर बहुत डर गया था. हालांकि वह सामान्य व्यवहार कर रही थी.


एक-दो बार जब हम पास थे, उसने अपने स्तन मेरी बांहों पर रगड़े और एक बार उसके बाएं हाथ की उंगलियों ने मेरे लंड को भी सहलाया. अब मुझे पता था कि जो मैंने किया वह उसे भी पसंद आया और उसे इसे आगे बढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं है.


उस दिन शाम को मुझे वापस बैंगलोर लौटना था और वह अपनी बेटी के साथ अपने घर चली गई थी. शाम को जाने से पहले मैंने सभी को विदा कहा और अंत में नम्रता आंटी को विदा कहा.


उसने भी विदा कहा और सेक्सी आंटी ने मुझे फुसफुसा कर कहा- किसी को मत बताना कि क्या हुआ, कभी घर आ जाओ.


उस रात बंगलौर में अपने घर पर था. मैं लेटा था. मैंने अपनी सेक्सी आंटी की कल्पना करते हुए तीन बार हस्तमैथुन किया.


कुछ महीने बाद, मुझे मैसूर में अपने नाना-नानी के घर जाना था.


मैं लगभग 9 बजे बैंगलोर बस स्टैंड से बस में चढ़ा. लगभग साढ़े ग्यारह बजे मैं मांड्या के निकट आ गया था जहां नम्रता आंटी रहती थीं.


मेरे दिमाग में कुछ अटक गया. मैंने जल्दी से मांड्या में उतरने का फैसला किया. मुझे नम्रता आंटी से मिलने का मन बन गया था, उनसे मिलने के बाद ही मैंने मैसूर जाने का फैसला किया.


मैं मांड्या बस स्टॉप पर उतर गया और उस कार्यालय के लिए रवाना हो गया जहां नम्रता आंटी के पति काम करते थे. अंकल एक सरकारी कर्मचारी थे और उस समय मांड्या में तैनात थे.


जब उन्होंने मुझे देखा तो वह खुश हो गए और मुझे अपने घर ले गए. मुझे घर छोड़ने के बाद शाम को उनके लौटने तक मुझे वहीं रहने के लिए कहा.


नम्रता आंटी की बेटी स्कूल गई थी तो अब घर में सिर्फ मेरी आंटी और मैं ही था. बहुत भावपूर्ण स्थिति थी. हम दोनों को समझ ही नहीं आ रहा था कि किधर से शुरू करें.


उसने मुझसे कहा कि वह एक घंटे में दोपहर का खाना बना लेगी. मैं लिविंग रूम में बैठ कर टीवी देखने लगा था.


उसने कुकर को चूल्हे पर रखा था और जब तक वह 3 या 4 बार सीटी नहीं बजाता, उसे कुछ नहीं करना था. इसलिए वह लिविंग रूम में आई और मेरे बगल में बैठ गई.


मैं सोफे पर बैठा हुआ था. मेरा बायां हाथ बगल में था और दाहिना हाथ से रिमोट चला रहा था.


नम्रता आंटी जब बैठी, तो उसकी गांड मेरे बाएं हाथ पर लगी.


मैं थोड़ी देर के लिए चौंक गया और मेरा दाहिना हाथ लगभग कांपने सा लगा था.


उसकी गांड उतनी गर्म नहीं थी, उस वक्त समझ पाना मेरे लिए थोड़ा कठिन सा था लेकिन उसका भारीपन मेरे हाथ पर असर कर रहा था.


उसने भी उठने और हिलने-डुलने की जहमत नहीं उठाई और न ही मैंने उसकी गांड के नीचे से हाथ हटाने की कोशिश की. हम दोनों टीवी देख रहे थे लेकिन हम दोनों में से कोई भी वास्तव में टीवी का मजा नहीं ले रहा था.


हम दोनों वासना से भरे हुए थे. वह रिमोट लेना चाहती थी इसलिए उसने मुझसे रिमोट लेने के लिए अपना दाहिना हाथ बढ़ाया और रिमोट लेते समय उसने रिमोट पकड़े हुए अपना हाथ मेरे लंड पर रगड़ दिया.


मैं सिर्फ टीवी देख रहा था; मुझे नहीं समझ आ रहा था कि कैसे आगे बढ़ना है.


चैनल बदलने के बाद उसने बस अपना दाहिना हाथ मेरी गोद में छोड़ दिया और कुछ देर वहीं रखा. फिर उसने अपने हाथ को मेरे लंड की तरफ बढ़ा दिया. उसने बस अपना हाथ वहीं रखा और कुछ नहीं किया.


मेरा लंड कड़क होने लगा था. वह मेरे कठोर लंड को महसूस कर सकती थी. उसने उसे एक बार अपनी हथेली के पिछले हिस्से से लंड को दबाया और तभी कुकर में एक बार सीटी बज गई.


सीटी की आवाज से वह एक बार को जरा सी चौंकी मगर फिर सहज हो गई. तभी कुकर ने दो और सीटी मार दीं.


अब वो उठकर रसोई में चली गई. कुछ देर वो हॉल में नहीं आई, अपना खाना बनाती रही.


दोस्तो, यह एक सच्ची घटना है, जिसे मैं सेक्स कहानी के रूप में आपको सुना रहा हूँ. आपको अच्छा लग रहा होगा. तो प्लीज़ मुझे इस सेक्सी आंटी की कहानी के लिए मेल करें. संजू पंडित [email protected]


सेक्सी आंटी की कहानी का अगला भाग: चचेरी बुआ ने मेरा मन मोह लिया- 2


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