मोबाइल गेम के बहाने बहन चुद गयी

स्टोरी टेलर

20-07-2023

0

सेक्सी बहन की देसी चुदाई का मजा मैंने अपने पैतृक गाँव में अपनी चचेरी बहन की कुंवारी चूत चोद कर लिया. उसने मेरा मोबाइल गेम खलेने के लिए लिया पर वापिस नहीं दे रही थी.


मित्रो, मेरी सेक्स कहानी आज से 4 साल पहले की है.


हम लोग शहर में रहते हैं. हमारा गांव यहां से ट्रेन यात्रा करने पर 20 घंटे की दूरी पर है इसलिए गांव आना-जाना बहुत कम होता है.


बहुत समय के बाद मैं गांव गया, वहां पर हमारे घर में सिर्फ दादा जी रहते हैं, दादी हैं नहीं. दादा जी एक किसान हैं.


वहाँ सब लोग सुबह जल्दी उठ जाते हैं और सुबह से ही अपने जानवर खेतों में ले जाते हैं. उन्हें चारा चराने के लिए ले जाना पड़ता था. वे 11-12 तक वापस घर आ जाते हैं.


शाम में 3 से 6 बजे तक घर में ही रहना होता था और उसके बाद चौपाल पर चले जाना होता था. यह वहां का नियमित रूटीन था.


मेरे दादाजी वहां एक घर में अकेले रहते हैं, तो उनका खाना मेरे बड़े पापा (ताऊ जी) के यहां से आता है. बड़े पापा का घर कुछ 200 मीटर दूर होगा.


जब मैं गांव गया तो वहां गर्मी बहुत थी. मैं अन्दर टीवी वाले रूम में था और फैन चला कर मोबाइल देख रहा था.


तभी मेरी चचेरी बहन दादा जी को खाना देने आई और मुझे घर चलने की कहने लगी.


वह खाना खाकर आई थी और मुझे अभी खाने का मन नहीं था.


मैंने कहा- अभी भूख नहीं है, मैं बाद में खा लूँगा. वह भी मेरे साथ रुक गई.


यह सेक्सी बहन की देसी चुदाई कहानी इसी बहन के साथ सेक्स की है.


एक घंटे बाद दादा जी खेत चले गए क्योंकि वहां फसल लगी थी और पानी चल रहा था.


अब सिर्फ हम दोनों ही घर में थे और हमारे घर में ज्यादा कोई आता भी नहीं था. कभी कभी ही लोग आते थे.


मैं मोबाइल चला रहा था. तभी बहन आई और बोली- भाई क्या कर रहे हो? वो मुझसे एक साल छोटी है.


मैं- मोबाइल में गेम खेल रहा हूं. बहन- मुझे भी खिलाओ, अकेले अकेले मत खेलो.


मैं- ओके, आउट होने पर एक बार तुम एक बार मैं खेलूँगा. बहन- ठीक है, जल्दी गेम से बाहर हो जाओ.


थोड़ी देर बाद मैं आउट हो गया और उसे खेलने के लिए फोन दे दिया.


थोड़ी देर बाद वो भी आउट हो गई, पर उसने मुझे फोन नहीं दिया.


उसका दो बार का खेल हो गया, फिर भी नहीं दिया.


मैं उसका गेम खेलना देख देख कर बोर होने लगा तो मैंने जबरदस्ती फोन लेने की कोशिश की.


हम लोग बेड पर लेटे हुए खेल रहे थे. जैसे ही मैंने जबरदस्ती करने की कोशिश की, वो दूसरी तरफ को मुड़ गई.


उसका हाथ मेरे हाथ से दूर चला गया. अब उसके पीछे का हिस्सा मेरे सीने के सामने था.


मैंने फिर से कोशिश की. इस बार मैं कुछ आगे को होकर फोन लेने की चेष्टा कर रहा था. फोन मेरे हाथ में आ भी गया था, पर उसने भी फोन को पकड़ा हुआ था, जिस वजह से हम दोनों के बीच फोन को लेकर खींचा-तानी होने लगी.


अब तक मेरा सीना और उसकी पीठ पूरी तरह चिपक चुकी थी. मेरा हाथ फोन पर और उसका हाथ भी फोन पर था.


मैंने खींचा तो उसने भी जोर लगाया और मुझे फोन खींचने नहीं दिया.


थोड़ा ज्यादा जोर लगाने से वो मेरे सीने से और ज्यादा चिपक गई थी. ये पहली बार था.


अब मुझे मस्ती आने लगी पर अभी भी मैंने नजरअंदाज कर दिया.


अभी तक फोन उसके हाथ में ही था. मैंने फिर से जोर लगाया तो इस बार उसने फोन को मेरे हाथ के साथ अपने पेट से चिपका लिया.


अब मेरे हाथ से लेकर पूरा शरीर उसके जिस्म से चिपका हुआ था. बगल में टीवी चल रही थी.


अब मैं गर्म होने लगा था और मुझे मजा लेने का मन होने लगा. मैं सब कुछ भूल गया कि वह मेरी बहन है.


तभी उसने कहा- भाई एक बार और फिर तुम खेल लेना … बस एक बार और … मेरा हाथ उसके शरीर पर ही था और मैंने भी फोन पकड़ा हुआ था.


मैंने कहा- अभी नहीं. मेरा नंबर है, तुम मेरे बाद खेलना. इतना कहते ही मैंने‌ फिर से फोन लेने की कोशिश की, पर उसने भी ताकत लगा दी और मुझे फोन नहीं लेने दिया.


अब तक वो मुझसे कुछ इस तरह चिपक चुकी थी जैसे उफ्फ … क्या बताऊं यार आप लोग खुद ही सोच लो.


उसने मेरे लौड़े से अपनी गांड रगड़ते हुए कहा- बस एक बार भाई … उसके बाद तुम.


उसकी इस हरकत से मैं मान गया और मैंने हाथ ढीला कर दिया. वो फिर से फोन आगे करके खेल खेलने लगी. पर वो अभी तक मुझसे चिपकी हुई थी और मेरा हाथ उसकी कमर पर ही था.


ना ही वो आगे को गई … और ना मैंने अपना लंड व हाथ हटाया.


मेरा लंड कड़क होने लगा था और उसे भी इस बात का अहसास हो रहा था. तब भी वो अपनी गांड को जुंबिश दे रही थी. कुछ दो मिनट तक उसका खेल चला और वो आउट हो गई.


मैंने फिर से फोन मांगा पर उसने फिर मना कर दिया और अपनी गांड हिला कर बोली- एक बार और … बस ये लास्ट है. पर इस बार मैं नहीं माना और फिर से वही काम चालू हो गया. फोन लेने की कोशिश शुरू हो गई.


उसने फिर से अपने हाथ से फोन को कसके पकड़ लिया. मैंने फोन खींचने की कोशिश की तो उसने मेरे हाथ के साथ साथ फोन अपनी छाती के पास रख लिया.


मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैंने फोन छोड़ा और उसकी कमर के पास हाथ लगा कर उसको अपने ऊपर उठाते हुए ले लिया.


उसने कुछ नहीं कहा. वो लगातार हंस रही थी. अब वो मेरे ऊपर थी. मेरा सीना उसकी पीठ से चिपका था. मेरी कमर उसकी कमर से लगी थी. मेरा औजार उसके पीछे वाले छेद से लगा हुआ था. हम दोनों चिपके हुए थे.


मुझे भयंकर जोश आ गया था. मैंने अपना दूसरा हाथ उसके दूध के नीचे लगाया और बहन को दाएं-बाए हिलाने लगा. ऐसे करने की वजह से मुझे जोश आ रहा था और वो अभी भी हंस रही थी.


उसने कहा- बस एक बार और … उसके बाद ले लेना ना … तुम्हारा ही तो फोन है. मैंने कहा- मेरा फोन है, पर अब तुम खेल लो … जब तक फोन नहीं दोगी, मैं तुम्हें भी ठीक से खेलने नहीं दूंगा.


उसके बाद वो फोन में खेलने लगी और मैं उसके साथ लगा रहा. उसको लग रहा था कि मैं उसे परशान करके खेलने नहीं दे रहा हूं, पर मैं यहां बहुत गर्म हो चुका था.


मैं उसे दाएं से बाएं और बाएं से दाएं उठा कर रख रहा था. इसमें मुझे बहुत मजा आ रहा था.


कुछ 2-3 मिनट बाद ही मैं झड़ गया. मैं बहन को वहीं बाजू में लिटा कर बाहर चला गया.


यार मेरा पैंट में निकल गया था, धोना तो पड़ेगा ना.


यह पहली बार था, जो मुझे बहुत अच्छा लगा. इतना होने के बाद उसे मुझसे कुछ नहीं कहा.


मुझे अब लगा कि मैं इसे चोद सकता हूं. क्योंकि इतना सब होने पर किसी को भी पता चल जाता, पर उसने फिर भी मुझे मना नहीं किया.


उसी दिन रात को हम दोनों सोने के लिए आए और अपने अपने बिस्तर पर जाने लगे. वह भी मेरे साथ थी.


हम दोनों एक साथ सोने गए. घर में किसी को कोई समस्या नहीं थी क्योंकि बहन भाई थे और 3 बिस्तर ही थे.


एक पर दादा जी घर के बाहर लेटे हुए थे. मैं और वो अन्दर रूम में थे.


हम दोनों सो गए, मुझे कोई मस्ती नहीं आई. रात के कुछ 2 बज रहे थे मेरा हाथ उसके दूध पर चला गया.


मैं सपने में ही था और मैंने उसका दूध दबा दिया. अचानक से मैं जागा और डर गया कि ये क्या हुआ. इतना तो मुझसे अनजाने में हुआ था, पर मैं गर्म हो चुका था.


मुझे पता नहीं क्या हो रहा था. मैं इतना ज्यादा गर्म हो चुका था कि समझ नहीं पा रहा था कि वह मेरी बहन है और मुझे उसके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए.


मैंने ज्यादा समय न लेते हुए उसके नीचे के कपड़े उतारे और फिर अपने भी उतारे.


उसके नीचे के कपड़े उतारने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगा. मैंने बहुत ही आराम से उतारे थे … ताकि वो जग ना जाए.


कपड़े उतारने के तुरंत ही बाद मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी गांड में लगाने लगा. मैंने आराम से सारा काम किया.


मैं बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुका था और धीरे-धीरे अपना दबाव बढ़ा रहा था क्योंकि मैं एकदम से तो घुसा नहीं सकता था. इसलिए मैं उसकी गांड के छेद पर लौड़े को धीरे-धीरे से रगड़ रहा था.


उसके छेद ने सुपारे को जगह दे दी. मैंने धीरे-धीरे झटके मारने शुरू किए.


कुछ दो मिनट ही बीते होंगे कि मैंने अचानक से महसूस किया कि उसने अपने पैर हल्के से उठा दिए हैं, जिसके कारण मेरा लंड उसकी दोनों जांघों के बीच में घुस गया.


मैं महसूस कर सकता था कि वह जाग रही है और शायद वह भी करने के लिए तैयार थी.


अचानक हॉल से आवाज आई. ऐसे लगा कि जैसे कोई जग गया है. हम लोग अन्दर वाले कमरे में थे. फिर भी मैंने आगे कुछ ना करते हुए अपना पैंट ऊपर कर लिया.


जब मैं पैंट ऊपर कर रहा था, तब मैंने देखा कि मेरी बहन भी अपने नीचे के कपड़े ऊपर चढ़ाने लगी, जिससे यह तो पक्का हो गया था कि वह जाग रही थी.


मैं समझ गया कि मेरी छोटी बहन भी मुझसे चुदने को तैयार है. उस रात हम लोगों में कुछ नहीं हुआ.


मैं अगले दिन उसके आने का इंतजार कर रहा था.


तभी मेरी बहन दादा जी के लिए खाना ले कर आई. दादा जी ने खाना खाया और खेत चले गए. अब हम दोनों आज फ़िर से अकेले हो गए थे.


वह फिर से उस कमरे में आई और मेरा फोन देख कर गेम खेलने लगी. आज मैं तैयार था कि आज इसे चोद कर ही रहूंगा.


मैं तुरंत बाहर गया, बाहर का मेन गेट बंद किया ताकि कोई अचानक अन्दर ना आ जाए. मैं कमरे में वापस आया देखा बहन गेम खेलने में लगी है.


वह खड़ी थी, मैं अचानक पीछे से गया और धीरे से उसे पकड़ कर अपना पूरा शरीर उसके शरीर से चिपका दिया. उसकी सांसें बढ़ गईं और मैं भी पूरे जोश में था.


मैंने तुरंत उसके होंठों पर होंठ लगा दिए और लिपकिस करने लगा. वो भी साथ देने लगी, मगर वो अपनी तरफ से कुछ नहीं कर रही थी.


लगातार दो मिनट की किस के बाद भी उसने एक बार भी चुंबन नहीं किया, शायद वह शर्मा रही थी.


मैंने कुछ देर बाद उसके एक दूध को थोड़ा दबाया, वो उचक सी गई. कुछ देर मैंने उसके शरीर का आनन्द लिया और अपने असली काम में लग गया.


मैंने उसके नीचे के कपड़े उतारे और अपने पैंट को भी उतार दिया.


उससे मैंने कहा- लेट जाओ.


वह नीचे से नंगी थी, पैर फैला कर लेट गई. मैं भी उसके ऊपर चढ़ गया और मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसकी चूत पर रख दिया.


चूत में हल्का हल्का पानी आने लगा था. मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर जोर लगाया और थोड़ी सी ताकत के साथ लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया.


मेरी बहन की हल्की सी चीख निकल गई और आंख में आंसू आने लग रहे थे. वह फिर भी कुछ नहीं बोली.


मैंने अपने आपको एक मिनट रोका और लंड को आगे-पीछे करने लगा. धीरे धीरे चुदाई होने लगी ऐसे ही करते करते 5 मिनट हो गए.


अब मैंने लंड को पूरा बाहर निकाल लिया और देखा तो उसमें हल्का सा खून लगा था. ये मेरी बहन की सील पैक चूत फटने से लग गया था.


मैंने फिर से उसकी चूत में लंड घुसाया और आगे पीछे करने लगा. उसने ऊपर के सारे कपड़े पहने हुए थे और नीचे के मैंने उतार दिए थे.


लंड और चूत के मिलन ये सिलसिला चलता रहा.


थोड़ी देर बाद मेरी बहन ने पहली बार कहा- भाई, थोड़ा आराम से … दर्द हो रहा है. मैंने कहा- बहन, दर्द तो होगा ही … पहली बार है न तुम्हारा! उसने हम्म किया.


मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है? उसने धीमी सी आवाज में शर्माते हुए कहा- अच्छा लग रहा है भइया!


मैंने पूछा- मजा आ रहा है ना? उसने कहा- हम्म.


मैंने पूछा- रात को तुम जग रही थी, फिर भी कुछ बोली नहीं? उसने कुछ नहीं कहा.


मैंने फिर से कहा- तुम्हें पता है कि जो हम कर रहे हैं, उसको क्या कहते हैं? उसने कहा- हम्म.


मैंने पूछा- क्या कहते हैं? उसे कुछ नहीं बोला.


ये सारी बात चोदने के बीच में ही हो रही थीं. मैं अपनी बहन को चोद रहा था, वह भी मजे से चुद रही थी.


अब तक उसकी चूत से हल्का पानी बहने लगा था और मेरा लंड चूत में एकदम कसा हुआ चल रहा था.


ऐसा लग ही नहीं रहा था कि पानी निकलने के लिए हल्की सी भी जगह बाकी है.


बहन को चोदते-चोदते कुछ 15 मिनट बीत गए थे. उसने कहा- भैया, कब तक करोगे इसको? मैंने कहा- जब तक तुम बता नहीं देती कि इसे क्या कहते हैं?


उसने फिर कुछ नहीं बोला.


मैंने बोला- दर्द हो रहा है क्या? उसे कहा- हम्म, हल्का हल्का.


मैंने कहा- करने का मन नहीं है क्या तुम्हें? तुम कहोगी तो मैं नहीं करूँगा … बोलो मैं रुक जाऊं क्या? उसे कुछ नहीं कहा.


मुझे समझ में आ गया, वो मना नहीं कर रही है. मैं फिर भी रुक गया, पर मेरा लंड उसकी चूत में अभी भी था.


मैंने कहा- अगर तुम नहीं करना चाहती तो ठीक है … तुम यही चाहती हो तो मैं नहीं करूंगा.


उसने तुरंत कहा- मैंने कब मना किया भाई? मैंने कहा- यार थोड़ी देर के लिए भाई तो मत बोलो. उसे कहा- तो क्या बोलूँ?


मैंने कहा- कुछ भी, बस भाई मत बोलो. उसने कहा- ठीक है.


मैंने कहा- चाहो तो पति देव बोल सकती हो. उसने कहा- वो क्यों? आप मेरे पति थोड़ी ना हो भैया.


मैंने कहा- क्यों नहीं हूं, मैं वही तो कर रहा हूं जो एक पति पत्नी के साथ करता है. इसलिए तुम मुझे पति कहो और वैसे भी कौन सा हमेशा के लिए बोल रहे हैं. थोड़ी देर ही ना!


उसने कहा- ठीक है पति देव जी, अब आप ये बतायें आप कितनी देर और करेंगे? मैंने कहा- लव यू यार, सुन कर अच्छा लगा.


मैंने तुरंत उसे गले लगा लिया और चोदने के साथ साथ किस भी करने लगा और दूध भी दबाने लगा.


मैंने कहा- बस थोड़ी देर और! मैंने काफी देर तक सेक्सी बहन की देसी चुदाई की और हम दोनों झड़ गए. वह दो मिनट पहले झड़ गई और मैं बाद में.


फिर मैंने बाथरूम में जाकर अपने आपको साफ किया और उसने भी.


वो वापस रूम में आई और बोली- अब मैं जा रही हूं भैया. मैंने कुछ नहीं बोला, तो वो जाने लगी.


मैं तुरंत उसके पास भाग कर गया और उससे बोला- सुनो ना, आज रात को यहां सोने आओगी क्या?


वो बोली- ठीक है, मैं आ जाऊंगी. इतना सुनते ही मैंने उसे किस किया और एक मिनट तक उसके दूध दबाए.


फिर वह चली गई.


अब आगे का हाल अगली सेक्स स्टोरी में लिखूँगा.


आप मुझे बताएं कि आपको कैसा लगा सेक्सी बहन की देसी चुदाई पढ़ कर? धन्यवाद. [email protected]


Family Sex Stories

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ