चचेरी दीदी को खेत में चोदा- 1

अक्की भाई

19-08-2023

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Xxx ब्रो सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी चचेरी बहन को उनकी ससुराल में ही चोद चुका था. काफी दिन बाद मैं दोबारा उनके घर गया तो दीदी सेक्स में कुछ रूचि नहीं दिखा रही थी.


प्रिय पाठको, आपने मेरी पिछली कहानी चचेरी दीदी की दमदार चुत चुदाई का मजा में पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी चचेरी बहन की चुदाई उसी की ससुराल में की थी. जीजू विदेश गये हुए थे.


अगली सुबह मुझे किसी वजह से अपने घर आना पड़ा।


घर आने के बाद मैं कुछ महीने तक वहां जा नहीं पाया और ना ही कॉल कर पाया।


नेहा दीदी के साथ बिताये हुए वे पल, किसी हसीन सपने से कम नहीं थे। पर समय के साथ वे यादें भी धुंधली हो चुकी थी।


अब आगे की Xxx ब्रो सेक्स कहानी का मजा लीजिये.


धीरे धीरे जनवरी का महीना आ गया।


एक दिन नेहा दीदी का कॉल आया. वे मेरी मम्मी से बोली- आंटी जी! हमारे यहां सबके खेत में पानी चल चुका है, सिर्फ मेरे खेत को छोड़ के। क्यूंकि हमाँरा खेत गांव से दूर जंगल के पास है. और ट्यूबेल से पानी भी रात को मिल रहा है। अगर आप अक्की को भेज देती तो अच्छा होता! मेरी मम्मी ने कहा- ठीक है!


अगली सुबह मैं नेहा दीदी के घर चला गया।


इतने दिन बाद जब मैंने नेहा दीदी को देखा तो दंग रह गया। मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। वे पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो चुकी थी।


उनके बड़े बड़े चूचे बिल्कुल टाइट थे, जैसे कोई कुंवारी लड़की हो। उन्हें देख कर कोई यह नहीं कह सकता कि उनकी एक बच्ची भी है।


उनकी गांड के बारे में तो पूछो ही मत, बस इतना समझ लो कोई भी एक बार देख ले तो बिना मुठ मारे रह ही न पाए।


जब वे अंदर से मेरे लिए चाय लेकर आई तो, उन्हें देख कर मेरा लंड उफान मारने लगा।


मन में यह ख्याल चलने लगा कि आज मिल जाए तो मैं इनकी गांड जरूर मारूंगा।


सबकी नजर से छुपा कर मैं अपने लंड को दबा कर बैठ गया। जब उन्होंने मेरी तरफ देखा तो मैं अपने लंड के तरफ देख कर मुस्कुरा दिया।


इस पर उन्होंने कोई रिएक्ट नहीं किया, उल्टा उन्होंने मुझे गुस्से भरी निगाह से देखा और हुए अंदर चली गई।


मुझे उनका यह व्यवहार बहुत बुरा लगा। मुझे लगने लगा कि शायद अब उन्हें मुझमें कोई रूचि नहीं है या उन्हें कोई और मिल गया होगा।


मैं पूरे दिन कोशिश करता रहा लेकिन उन्होंने कोई भाव नहीं दिया। उनके भाव न देने की वजह से मुझ बहुत गुस्सा आया।


अब मुझे यकीन हो गया था कि अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता। मैंने भी गुस्से में सोच लिया कि अब ये खुद भी मेरे पास आना चाहें तो मैं इन्हें दूर कर दूंगा।


शाम हो गई थी।


नेहा दीदी ने सबको खाना दिया। सब लोग खाना खा रहे थे।


तभी उनके ससुर नेहा दीदी से बोले- बहू, तुम भी खेत में आकाश के साथ चले जाना। नेहा दीदी ने हा में सर हिला दिया।


खाना खाने के बाद नेहा दीदी ने कहा- रात के आठ बजने वाले है, और ठंड भी ज्यादा है। एक काम करो तुम जल्दी से गर्म कपड़े पहन लो, फिर है हम लोग चलते हैं।


मैंने जल्दी से तैयार होकर अपनी बाइक निकालते हुए नेहा दीदी को आवाज दी- दीदी, जल्दी चलो।


वे घर से बाहर आई. उस समय उन्होंने पीली रंग की साड़ी पहनी हुई थी।


वे अपने बालों को संवारती हुई जैसे ही बाहर निकली, मैं उन्हें देखता ही रह गया।


मेरे मन में एक बार फिर उन्हें चोद देने की इच्छा जागने लगी। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।


लेकिन इस बार मैं खुद को समझाया कि अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं हो सकता।


वे आकर मेरी बाइक पर मुझसे दूर होकर बैठते हुए बोली- चलो!


उस समय वे ऐसे तैयार हुई थी जैसे कोई लड़की शादी में जा रही हो।


बाइक चलाते वक्त कई बार मेरे मन में ख्याल आया कि यहीं बाइक रोक के पटक कर उन्हें जी भर के चोदूं; उनको चोद चोद कर उनकी चूत का भोसड़ा बना दूँ, अपने लंड से उनकी गाड़ फाड़ दूँ। यही सब सोचते हुए हम लोग खेत में पहुंच गए।


खेत एक किनारे एक पीपल का बड़ा पेड़ था। पेड़ के नीचे एक छोटी से झोपड़ी बनी हुई थी, खेत की रखवाली के लिए।


मैंने वहीं अपनी बाइक रोक कर खड़ी कर दी।


मैंने नौ बजे तक ट्यूबैल से पानी खेत में खोल दिया। हम दोनों साथ में खेत की चारों तरफ घूमने लगे। चांदनी रात थी, दस बजने वाले थे। दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था।


अब मुझे उनसे कोई उम्मीद भी नहीं थी।


खेत घूमते घूमते मैंने नेहा दीदी से पूछा- कितने घंटों में पानी चल जायेगा? नेहा दीदी ने कहा- पांच से छः घण्टे लगेंगे।


फिर उन्होंने कहा- चलो पेड़ के नीचे थोड़ी देर आराम कर लेते है। ठंड भी है। मुझे भी ठंड लग रही थी लेकिन उन पर गुस्सा भी आ रहा था।


मैंने उनसे बोला- दीदी आप चलो, मैं अभी आया। तब तक आप वहां आग जलाने की व्यस्था करो। “ठीक है!” कह कर वे अपनी गांड मटकाती हुई चली गई।


उनकी गांड देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैं अपने लंड को हाथ से दबा कर उन्हें मन ही मन गाली देने लगा- साली रण्डी! एक बार चोदवा लेती तो सारी ठंड दूर हो जाती।


नेहा दीदी के जाने के बाद मैं अपना लंड निकाल कर मूतने लगा। मूतने के बाद मेरा लंड थोड़ा शांत हुआ।


उसके बाद मैं मन ही मन उन्हें गाली देते हुए पीपल के पेड़ के पास चला गया।


वहाँ जाकर देखा कि दीदी ने अभी तक आग जलाई नहीं है, बस पेड़ के पास बिना शाल के खड़ी होकर चुपचाप खेत देख रही हैं।


यह देख कर मुझे बहुत गुस्सा आया ‘ एक तो साली रण्डी अपनी चूत नहीं दे रही है, और ऊपर से अभी तक आग भी नहीं जलाई है.’ मैं अपने गुस्से को काबू में करते हुए बोला- दीदी आपने अभी तक आग क्यूं नहीं जलाया है? मुझे ठंड लग रही है।


वे मेरे पास आकर अपनी साड़ी खोलते हुए बोलने लगी- आग तो सुबह से लगी है, बस तुम्हें बुझानी है। इतना कह कर वे मुझ पर टूट पड़ी, मुझसे चिपक कर बेतहासा मेरे ओठों को चूसने लगी।


उनके इस तरफ मुझसे चिपक कर किस करने से मैं सारा गुस्सा भूल गया। मां चुदाने जाए गुस्सा … आज इस बहन की लोड़ी को पेल पेल कर इसकी चूत फाड़ दूंगा।


मैं Xxx ब्रो सेक्स के लिए एकदम तैयार था.


तभी नेहा दीदी ने मेरे दोनों हाथ पकड़ते हुए अपनी मोटी गांड पर रख दिये। उनकी गांड बिल्कुल मक्खन की तरह मुलायम थी।


वे पेटीकोट और ब्लाउज में मुझसे चिपकी हुई थी। मैं अपने दोनों हाथों से उनकी गांड को बड़ी बेरहमी दबाए जा रहा था।


किस करते करते हम दोनों पेड़ में जाकर चिपक गए। करीब दस मिनट तक हम दोनों किस करते रहे।


फिर वे मेरे होंटों से अपना होंट हटाकर मेरी गर्दन पर किस करने लगी।


मैं बीच बीच में अपने दोनों हाथों से उनके गांड को फैला देता जिससे वे और भी कामुक हो कर सिसकारियां निकालने लगती।


मैंने उन्हें किस करते हुए पूछा- दीदी, जब आपको चुदवाना ही था तो सुबह से इतने नखरे क्यूं दिखा रही थी?


वे कामुक आवाज में बोली- एक तो तू मुझे चोद भी रहा … और ऊपर से दीदी भी बोल रहा। बहनचोद रण्डी बोल! उनके चूचों को दबाते हुए बोला- रण्डी बोलने की जरूरत ही क्या है? तुम तो हो ही रण्डी!


मेरा लंड लोअर में तनकर उनकी चूत की दरार में रगड़ रहा था जिसकी वजह से वे और भी कामुक हुई जा रही थी। दीदी अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए, मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़ रही थी।


धीरे धीरे वे मेरा जैकेट उतारती हुई बोली- साले अगर मैं नखरे नहीं दिखाती, तो तू मुझे घर में चोद देता और मैं चुदवा भी लेती। जब से तू आया है, तभी से मेरी चूत में तुझसे चुदवाने की खुजली मची हुई है। मैं घर में तुझसे चुदवा के सारा मजा नहीं खराब करना चाहती थी।


बोलते बोलते वे नीचे बैठ कर मेरे लोअर से मेरा लंड निकाल कर अपने हाथ में लेते हुए बोली- साले, यह तो पहले से भी बड़ा और मोटा हो गया है। सच सच बता, मेरी चूत को याद करके कितनी बार मुठ मारता था? मैं अपना लंड उनके होठों पर रगड़ते हुए बोला- जितनी बार आपने मुझे याद करते अपनी चूत में उंगली की होगी।


नेहा दीदी ने बड़े प्यार से लंड को देखा और कहने लगी- कब से इसके लिए तरस रही थी. आज इससे अपनी प्यास बुझाऊंगी।


मेरा लंड अपने होंठों पर रगड़ती हुई नेहा दीदी बोली- एक बार भी मैंने तुम्हें याद करके अपनी चूत में ऊंगली नहीं की क्यूंकि मुझे अपनी चूत में तुम्हारा लंड लेना था, अपनी उंगली नहीं! फिर वे मेरे लौड़े को अपने होंठों पर रख कर मुंह के अंदर लेने लगी।


उसकी जीभ मेरे टोपे पर टच होते ही मैंने कहा- यस बेबी … आह्ह … पूरा चूस … चूस जाओ दीदी। उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और कुल्फी की तरफ चूसने लगीं.


मैं अपनी बहन से अपना लंड चुसवा कर मस्ती से आवाजें निकालने लगा. साथ ही मैं दीदी के चूचों को भी मसलता जा रहा था.


लंड चुसवाते समय मेरे मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- आह … हहहह … इस्स … दी चूस साली रण्डी बड़ा मजा आ रहा है.


उनके मुंह में इस तरह से लंड पेलने से गू … गू … सर्र… सर्र …की आवाज आ रही थी। जिससे मैं और उत्तेजित होकर और जोर से पेल रहा था। उनकी आँखों से आंसू निकल रहे थे।


करीब पांच मिनट बाद उन्होंने मेरा लंड अपने मुंह से निकाला। रात में चांदनी होने की वजह से हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से देख पा रहे थे।


नेहा दीदी ने मेरा गीला लण्ड हाथ में पकड़ा और गुलाबी टोपे को जीभ लगाने लगी. आह्ह … मैं तो सिसकार उठा.


वो साली मुझे पागल कर रही थी, वो अपनी जीभ मेरे टोपे पर गोल गोल घुमा रही थी। मेरा लंड उनकी लार से भीग चुका था।


दीदी ने मेरे लंड को फिर से अपने मुंह में ले लिया और अपने हाथ से मुठ मारने लगी।


कुछ समय ऐसे ही मुठ मारने के बाद वे खड़ी होकर मुझे किस करने लगी। उनका एक हाथ मेरे लंड पर था और एक हाथ से मेरे सर को पकड़ कर मेरे होठों को चूम रही थी।


धीरे धीरे नेहा दीदी को किस करते हुए मैंने उनके पेटीकोट को ऊपर कर दिया जिससे मेरा लंड पैंटी के ऊपर से ही उनके चूत की दरार में अच्छे से रगड़ पा रहा था।


अपने एक हाथ से मैं उनके एक पैर को अपने कमर तक उठाए हुए था और एक हाथ से उनके गांड को दबाए जा रहा था। वे पूरे जोश में अपना जीभ मेरे मुंह के अंदर डालकर किस कर रही थी। उनका गोरा बदन मुझे पागल किए जा रहा था।


कुछ समय बाद नेहा दीदी ने मुझे पकड़ कर नीचे बैठा दिया और वे खुद खड़ी थी। मैं नीचे बैठ कर उनके पैरों को चूमते हुए उनके पेटीकोट के अंदर घुस गया।


दीदी ने अपने हाथों से अपने पेटिकोट को ऊपर कर लिया। मैंने बिना समय गंवाए पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत पर हमला कर दिया।


अपनी जीभ से चाट चाट कर उनकी पेंटी को मैंने पूरा गीला कर दिया। नेहा दीदी अपने दांतों से अपने होटों को काट रही थी।


वे अपने एक हाथ से अपने चूचों को ब्लाउज के ऊपर से दबा रही थी, अपने दूसरे हाथ से मेरा सर पकड़ कर कस के दबाया हुआ था। मैंने अपना दोनों हाथ उनके पेटीकोट में घुसा कर गांड को दबाते हुए, उनकी पैंटी को अपने दांतों से खींचते हुए उनके घुटने तक नीचे सरका दिया।


पेंटी नाचे सरकाने के बाद मैं उनके चूत को बड़े ध्यान से देखने लगा. चांदनी रात में उनकी गीली चूत मोती की तरह चमक रही थी।


मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस चूत को मैंने पहले चोदा है, क्या वे यही चूत थी? या कोई दूसरी चूत है।


इस बार उनकी चूत में कुछ अलग बात तो थी जो आज रात मुझे पहले से भी ज्यादा मजा देने वाली थी।


उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था जिसे देख कर मुझे रहा नहीं जा रहा था।


मैं बिना देरी किए मैं उनकी चूत चाटने के लिए आगे बढ़ा. दीदी की की चूत की वो खुशबू … आह्ह … क्या कहूं दोस्तो!


अपनी जीभ मैं चूत के पास ले गया और चूत को चूमते हुए चूत के होंठों को दांतों से दबाया. नेहा दीदी कसमसा उठी.


मैंने उनकी पूरी चूत पर जीभ फेरी। उनकी पूरी चूत थूक और चूत के पानी से सन गयी.


मैंने जीभ अंदर डाल दी और ऊपर नीचे करके चाटने लगा। नेहा दीदी मस्त होकर सिसकारने लगी- इस्स … उम्म … आह्ह … बहन चोद … खा लो पूरी चूत!


मैं उनकी चूत को बड़े बेरहमी से चाटने लगा। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की दरार के अंदर घुसा दी।


नेहा दीदी काफी उत्तेजित होकर मुझे गन्दी गन्दी गालियां देने लगी- बेनचोद … साले, फाड़ दे मेरी चूत को! मुझे अपनी रण्डी बना दे … रोज चोद चोद के मेरे चूत का भोसड़ा बना देना।


वे इतनी जोर से मुझे गाली दे रही थी कि खेतों के चारो तरफ सिर्फ उनकी ही आवाज गूंज रही थी।


मैं उनकी बातें सुन कर गुस्से में और जोर जोर से उनकी चूत को चाटता जा रहा था। कभी कभी मैं उनकी चूत पर अपना दांत भी गड़ा देता जिससे वे चिहुंक जाती और अपनी गांड थोड़ी पीछे कर लेती।


कुछ समय तक मैं ऐसे ही उनकी चूत को अपनी जीभ से चोदता रहा।


नेहा दीदी ने उत्तेजना से पागल होकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं अभी और उनकी चूत को चाटना चाहता था। लेकिन अब वे अपनी चूत में लंड लेने के लिए बेताब हो गई थी।


वे मुझे ऊपर खींच कर अपने होठों को मेरे होठों पर किस करते हुए बोली- बहन चोद! यहीं खड़े खड़े सिर्फ मेरी चूत को चाटेगा या इसमें अपने लंड को डालकर चोदेगा भी? उनका एक हाथ मेरे लंड पर था, और मेरा एक हाथ उनके चूत से खेल रहा था।


मैं उनको अपने होठों से दूर करते हुए, उनकी आँखों के आंखें डालकर बोला- नेहा दीदी! आप सच में रण्डी हो गई हो। मेरा इरादा तो यही है कि आपको यहीं खड़े खड़े चोद दूं, लेकिन अभी नहीं! झोपड़ी में चल कर अच्छे से चोदूंगा। उसके बाद फिर यह लाकर खड़े खड़े आप को चूत का भोसड़ा बना दूंगा।


नेहा दीदी हवस भरी नज़रों से देखते हुए बोलती- ठीक है! अब अपनी इस रण्डी बहन को अब मत तड़पाओ जान … अब जल्दी से चलो झोपड़ी में और मुझे अच्छे से चोदो! मैंने बोला- चल साली रण्डी, आज तेरी चूत की गर्मी शांत करूं!


नेहा दीदी ने अपनी पैंटी ऊपर करते हुए अपनी शाल उठाई और साड़ी को वहीं छोड़ दिया। फिर मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर झोपड़ी में लेकर चली गई।


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