ठाकुर जमींदार ने ससुराल में की मस्ती- 4

विशू राजे

09-01-2022

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Xxx मोसी हॉट कहानी मेरी पत्नी की मौसी के साथ कामुक हरकतों की है. मैं अपनी ससुराल में था, मेरी सास की बहन वहां पर आयी. मैंने उसे कैसे सेट किया?


साथियो, ससुराल में ठाकुर की चुदाई की कहानी में आपको फिर से ले जाने के लिए हाजिर हूँ. पिछले भाग मुनीम जी की बीवी की गांड मारी में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने मुनीम की लुगाई कजरी की गांड मार ली थी.


मैंने कजरी से पूछा- ज्यादा दर्द हो रहा है क्या? वो बोली- हां … दर्द तो बहुत है पर एक अजीब सा मजा भी आया. मालिक अब इसकी प्यास कौन बुझाएगा. मैं कुछ नहीं बोला.


उसने फिर से कहा कि मालिक के आने का समय हो गया. मैंने पूछा- वो अभी क्यों आ रहे हैं? तो वो शर्माती हुई बोली- इस जमीन पर उनका ही हल ज्यादा चला, हमारे इनका भी इतना नहीं चला है.


अब आगे Xxx मोसी हॉट कहानी:


मैं कजरी से बोला- तेरे कुंए में मालिक रोज पानी जमा करते हैं क्या? वो हां में सर हिलाती और शर्माती रही, फिर बोली- राजन भी उनका ही है.


ये कह कर वो फिर से शर्माने लगी.


मैं बोला- मुझे आज तेरी चुदाई देखना है. वो शर्माती हुई ना ना करती रही.


मैंने उसे धमकाते हुए कहा- हमें ना कहने की कीमत तुम्हें चुकानी पड़ेगी. वो सहम कर बोली- ठीक है ठाकुर साब, आप बाजू के कमरे में छुप जाओ, वहां मेरी बहन सोई है. वहीं से देख लीजिएगा. अब आप जल्दी जाइए.


मैं कमरे में चला गया. वहां एक कमसिन लौंडिया सो रही थी. उसका रूप रंग बदन देख कर मैं उस पर मोहित हो गया.


अभी मैं उसे देख ही रहा था कि मेरे कानों में मेरे ससुर की आवाज आई. मैं दरवाजे से छुप कर देखने लगा.


मेरे ससुर ने आते ही कजरी को आवाज लगाई. कजरी भी लंगड़ाती हुई आहिस्ता आहिस्ता उनके पास आ गयी.


ये देख कर ससुर समझ गए कि सुबह बीवी और अब कजरी लंगड़ाने लगी. ससुर ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और चूमना शुरू कर दिया.


फिर ससुर ने कजरी से मेरे बारे में पूछा- दामाद जी कहां हैं? तो कजरी बोली- वो आए थे, कुछ देर रुक कर चले गए.


ससुर ने कजरी से आगे पूछा- ऐसा उन्होंने क्या किया कि तेरी चाल लड़खड़ाने लगी? कजरी दर्द भरे चेहरे से शर्माने लगी और दरवाजा बंद करने जाती हुई बोली- दामाद जी पीछे से ठोक गए!


फिर थोड़ा सोच कर ससुर जी धीमी आवाज में बुदबुदा कर बोले- नीरजा का भी पिछवाड़ा उसी ने खोला होगा.


कजरी तब तक दरवाजा बंद कर आयी.


ससुर जी उस पर टूट पड़े, उसके होंठों को चूमने लगे, स्तन दबाने लगे. भूखे कुत्ते की तरह उसको नोंचने लगे.


कजरी भी उनका साथ दे रही थी.


ससुर जी ने उसके कपड़े उतार फेंके और उसे बिस्तर पर लिटा दिया.


वो चूत खोल कर लेट गई तो ससुर जी अपनी धोती उतार कर उसके ऊपर चढ़ गए और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर उसके ऊपर लेट गए. कजरी ने हाथ से ससुर जी का लंड चूत में फिट कर दिया तो ससुर जी धक्के लगाने लगे.


उन्हें आज कजरी की चूत गीली और ढीली मिली. मैंने कजरी की चूत में उंगली करके, उसको 4 बार झड़ा जो दिया था.


कुल पांच मिनट में ससुर जी ने काम तमाम कर लिया और लंड लटका कर चले गए.


कजरी सब साफ करके मेरे पास आयी और बोली- मालिक चले गए, पर आज मुझे मजा आपने ही दिया.


मैंने उसे सौ सौ के 2 नोट दिए.


वो खुश हो गयी और बोली- मालिक इसकी क्या जरूरत थी. मैं बोला- रखो.


फिर मैंने उस सोई हुई लड़की की तरफ एक नजर देखा. कजरी मेरी भूखी नजर पहचान गयी पर कुछ ना बोली.


मैं वहां से चला गया.


मुनीम के घर से निकल कर मैं घर पहुंचा. मुझे देख मेरी सास बोली- अच्छा हुआ कि आप आ गए. हम सब मंदिर जा रहे हैं, आप भी चलिए. मैं बोला- आप हो आइए.


ससुर जी ने कहा- आज मुझे ब्याज की वसूली पर जाना है. मैंने कहा- हम भी वसूली पर चलते हैं.


ससुर बोले- हां जरूर. हम दोनों निकल कर बाहर आ गए. मुनीम दो लठैत लेकर तैयार था.


हम लोग गांव में पहुंच गए. एक घर के पास जाकर मुनीम ने आवाज लगाई- वीरू ओ वीरू.


एक हट्टा-कट्टा इंसान बाहर आ गया. ससुर को देख उसने हाथ जोड़े और बोला- मालिक आप, मुझे बुला लिया होता.


तो मेरे ससुर जोर से गरजे- मालिक के बच्चे … पैसा क्यों नहीं दिए अभी तक. अब तक 5000 रूपये ब्याज हो गया, तेरा घर नीलाम करना पड़ेगा.


घर की नीलामी की आवाज सुन एक कमसिन कली कमर लचकाती हुई बाहर आयी.


मेरे ससुर जी को देख उसने भी हाथ जोड़े. ये वीरू की लुगाई थी.


ससुर उसकी बीवी को घूर रहे थे. उसकी बीवी ने हम सबको पहले गौर से देखा, फिर बातें सुनने लगी.


ससुर जी फिर से बोले- अगर दो दिन में पूरा ब्याज नहीं आया, तो समझ जाना कि तुम बेघर हो गए.


वो रोने लगा और गिड़गिड़ाने लगा पर कोई फायदा ना हुआ.


मैंने देखा कि ससुर जी की नीयत उसकी बीवी पर खराब हो गयी थी. उनकी नजर उसकी बीवी के मम्मों पर जा अटकी थी.


ससुर जी वहां से निकल कर आगे गए. वीरू उनसे मिन्नतें करते पीछे पीछे चल पड़ा.


मैं वीरू की बीवी को देखता रह गया. उसने मुझे देखा, पर चेहरे पर टेंन्शन थी.


मैंने बात बढ़ायी और कहा- क्या नाम है तुम्हारा? इस पर वो बोली- अनिता.


मैं बोला- अनिता … बड़ा प्यारा नाम है. वो मुझे देखने लगी.


मैंने अपना परिचय दिया कि मैं उनका दामाद हूँ. वो मुझे देख रही थी.


मैं फिर से बोला कि कितना ब्याज है तुम्हारा? वो बोली- पूरे 5000 … अब कैसे पैसे दूंगी?


उसके माथे पर चिंता की लकीर दिख रही थी.


मैं- अगर आज नहीं हुआ, तो कल तू सुबह 10 बजे अपने पति के काम पर जाने के बाद मुझे मेरे ससुर जी के घर के पीछे वाले मकान में आकर मिलना. तू अकेली ही आना. मैं तेरा सारा ब्याज मैं माफ कर दूंगा. याद रखना, अकेली आना … और पति को कुछ मत बताना. वरना तेरी मुश्किल खत्म नहीं हो पाएगी.


मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर दबाया चूमा और आगे चल दिया.


वो समझ गई थी कि कल उसे किस लिए जाना है. वो हल्की सी मुस्कुरा दी.


अब मुझे यकीन हो गया था कि अनिता जरूर आएगी.


हम दो चार घर और घूमे, मस्त मस्त नजारे देखने को मिले. एक घर ऐसा था, जहां लड़का जवान था, पर बुद्धू था. उसकी मां समझदार थी पर जरा खड़ूस थी.


लौंडे की बहू बड़ी कड़क आइटम थी. ऐसी माल थी कि उसके चुचे देख कर ही लंड खड़ा हो जाए. पर अपनी सास के सामने वो किसी को देख नहीं सकती थी.


मैंने मन पक्का कर लिया था कि इस बहू को हर हाल में चोदना ही है.


खैर … इस तरह से हम सब घर पहुंचे. घर में मेरी सास की छोटी बहन भी आ गयी थी.


सास ने उनसे मेरा परिचय कराया- ये हमारे दामाद जी हैं. फिर अपनी बहन की तरफ हाथ करके मुझे बताया- ये मेरी बहन सुनीता है, मतलब आपके ससुर की साली.


मैंने बड़े गौर से सुनीता को देखा, वो मुझे नमस्ते कर रही थी. पर मेरी नजरें उसके मम्मों को निहार रही थीं. क्या फिगर था. देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया.


उसके लंबे बाल, चेहरा गोल, रसीले होंठ, दूध भी एकदम तने हुए थे. सुनीता साड़ी भी कमर से थोड़ा नीचे ही पहनती थी. उसका पिछवाड़ा तो सच में गजब ढा रहा था. चेहरे पर रेशमी लट बार बार आ रही थी. रंग दूध से भी गोरा. कमर पतली थी, पर लचकदार.


हम सब खाना खाने के लिए डाइनिंग टेबल के पास कुर्सियों पर बैठ गए.


मैं सुनीता के सामने बैठ गया. अब खाना परोसना चालू था. मैंने अपने पैर से सुनीता के पैरों को छुआ तो वो हड़बड़ा गयी.


सास ने पूछा- क्या हुआ? वो संभलते हुए बोली- कुछ नहीं कुर्सी हिल गयी थी.


उसने कुर्सी के नीचे देखने का नाटक किया और नजर मारी कि किसकी टांग थी.


मैंने फिर से पैर आगे किया तो वो समझ गयी. उसने उठते हुए मुझे देखा पर चेहरे पर कोई भाव नहीं लायी.


मैं समझ गया कि अगर गुस्सा होती, तो दिखाती.


वो सीधी बैठ गयी.


मैंने फिर से पैरों से उसके पैरों को छूना शुरू कर दिया. वो चुपचाप खाना खाती रही.


मेरी हिम्मत बढ़ गयी. मैं पैरों को ऊपर की ओर ले जाने लगा … साथ ही साड़ी भी ऊपर होने लगी.


उसने मुझे गुस्से से देखा पर कुछ बोली नहीं.


मैं थोड़ा और ऊपर जाने लगा. मेरा पैर अब उसके घुटने तक पहुंच गया था, उसके चेहरे पर अब लज्जा और गुस्सा दोनों दिख रहे थे.


मैं अपने पैर को दोनों घुटनों के बीच में घुसाने लगा. उसने अपने दोनों घुटने भींच लिए, पैर आधे घुसे स्थिति में थे.


मैंने नजरों से मिन्नत सी की कि जगह दे दो.


सब खाना खाने में मस्त थे. उसने कातिल मुस्कान देते हुए ना में इशारा किया.


मैं भी जमींदार हूँ … हार मानने वालों में तो मैं भी नहीं था. मैंने पैरों को हरकत दे दी. पैर थोड़े और अन्दर घुस गए.


फिर मैंने एक और जोर लगाया, तो पैर उसकी पैंटी को छूने लगा.


हम दोनों का मन खाने पर कम और नीचे चल रहे खेल पर ज्यादा था.


आखिरकार मैंने फतह हासिल कर ही ली थी. प्रतिस्पर्धी ने हथियार डाल दिए थे उसके पैर खुल चुके थे क्योंकि सिपाही ने दरवाजे पर दस्तक दे दी थी.


मैंने पैरों को इस तरह चलाया कि मेरे पैरों ने सुनीता की पैंटी को साइड में कर दिया और उसकी चूत की पंखुड़ियों को रगड़ते हुए चूत के दाने को हिला दिया.


उसने होंठ दबा कर सिसकारी सी भरी और चूत खोल दी तो मेरे पैर का अंगूठा एक इंच अन्दर घुस गया.


इतने में ही सुनीता की आंखें शर्म से लाल हो गईं, उसके हाथ थरथराने लगे, चेहरा लाल हो गया.


हाथ खाते खाते रूक गए.


नीरजा देवी सुनीता से बोलीं- क्या हुआ सुनीता … खाना खा ना. सुनीता गर्दन नीचे करती हुई बोली- हां दीदी, खा तो रही हूँ.


उसने निवाला उठाया, मैंने फिर से पैर को हरकत दे दी. अब चूँकि अंगूठा चूत के अन्दर घुस चुका था और अन्दर हिल हिल कर सुनीता की चूत को पानी पानी कर रहा था.


सुनीता को अब कहीं और ध्यान देना संभव नहीं था. वो निवाला मुँह में भी डाल नहीं पा रही थी. अंगूठा चूत में भूचाल ला रहा था और वो कामयाब होने को आ गया.


सुनीता की आंखें लाल हो गईं, उसने चम्मच से निवाला मुँह में डाला हुआ था और चम्मच को जोर से पकड़ कर निवाले को बिना चबाए रखे हुई थी.


उसके पैर थरथराने लगे और तभी चूत का फव्वारा मेरे पैरों पर छूट गया.


मेरा पैर भीग गया. मैंने धीरे से अपना पैर खींच लिया.


उसने मुझे देखा और मुस्कुराहट देती हुई बोली- मेरा हो गया. वो उठ कर चली गयी.


मैं खाना खत्म कर हॉल में सोफे पर बैठ गया.


सुनीता मुखवास लायी और सबको एक एक चम्मच देकर मेरी तरफ आ गयी और मेरे एक पैर को अपने पैर से जोर से दबाती हुई कातिल मुस्कान देती हुई मुझे दो चम्मच मुखवास देकर आगे चली गयी.


दिन भर मैं उसे छूने के बहाने ढूँढता रहा. वो दो बार मिली भी अकेली, तब मैंने उसके मम्मों को दबा दिया. वो हड़बड़ाती हुई भाग गयी. फिर मुझसे छुपती रही.


रात हुई तो खाने का समय हुआ.


अबकी बार मैं पहले से ही बैठा था, वो आकर मेरे सामने बैठ गयी. जबकि जगह और भी खाली थीं. उसकी चाहत समझ कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.


बैठते ही उसने मुझे अपने पैरों से छुआ. सब खाना खाने लगे. अबकी बार उसने शुरूवात की और अपने पैर को वो मेरे घुटने तक ले आयी.


आगे जाने लगी तो मैंने भी हाथ नीचे करके अपनी धोती को साईड में करके उसके पैरों को अन्दर प्रवेश का रास्ता खुला कर दिया.


वो फिर से उछल पड़ी और पैर वापस खींच लिए क्योंकि मैंने धोती के अन्दर कुछ भी पहना नहीं था तो पैर सीधा मेरे खड़े लंड से जा टकराये.


वो शर्माती हुई खा भी रही थी और मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी.


खाना खत्म करके सब सोने चले गए. मैंने थोड़ा रूक कर ये देख लिया कि वो किस कमरे में गई है. बाद में मैं भी सोने चला गया.


रात के एक बजे मैं उठा बाहर आया … सब सुनसान था. मैं सुनीता के रूम की ओर निकल पड़ा. दरवाजा लगा हुआ था.


मैंने थोड़ा धकेला तो खुलता चला गया.


सुनीता लाईट चालू रखकर सो गई थी. उसने नाइटी पहन रखी थी और घोड़े बेचकर सो रही थी.


मैं अपनी मौसी सास की मदमस्त जवानी को देख कर लंड सहलाने लगा.


दोस्तो, इसके बाद क्या हुआ … Xxx मोसी हॉट कहानी के अगले भाग में लिखूँगा. आप मुझे मेल करना न भूलें. [email protected]


Xxx मोसी हॉट कहानी का अगला भाग:


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