दास्तान ए रंडी-1

वरिन्द्र सिंह

13-11-2019

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यह कहानी है एक औरत की जो अपनी जीविका के लिए अपने जिस्म का धंधा करने लगी थी. एक बार उसके एक पक्के ग्राहक ने उसे दो लड़कों को सेक्स का मजा देने को कहा.


दोस्तो, मेरा नाम आशा है, मैं 42 साल की एक औरत हूँ। पति से मेरा तलाक हुए 12 साल हो चुके हैं। मैं ज़्यादा पढ़ी लिखी नहीं थी तो कोई ढंग का काम नहीं मिल पाया. और उम्र भी हो गई थी, तो कोई नौकरी भी नहीं मिली। अगर कहीं किसी ने नौकरी के लिए हामी भरी तो पहली शर्त यही थी कि मुझे अपने जिस्म का सौदा करना पड़ता।


जब सब जगह से हार गई, और मुझे अपना और अपने बेटे का पेट भरने के लिए कोई इज्ज़त का काम नहीं मिला, तो मैं मजबूरन देह व्यापार के पेशे में आ गई। देखने में चेहरा ठीक ठाक था, रंग भी साफ है, जिस्म भी भरा हुआ था, तो ग्राहक मिलने में कोई ज़्यादा दिक्कत नहीं हुई। एक दो ग्राहक ऐसे मिले जिन्होंने आगे अपने दोस्तों से मेरी पहचान करवा दी.


कड़ी से कड़ी जुड़ती गई, और मैं बहुत सारे लोगों की चहेती बन गई। हर रोज़ मुझे एक दो ग्राहक तो मिल ही जाया करते थे। कभी कभी रात भी बाहर गुज़ारनी पड़ती थी। तो ले देकर अच्छा गुजारा चल निकला था।


मेरे एक बड़े पुराने ग्राहक थे, सुमित जी। वो अक्सर मुझे बुलाते रहते थे, करीब पिछले 5-6 साल से मैं हर महीने दो महीने में उनसे मिलती थी। अब इतनी दोस्ती हो, तो कभी कभार पैसे का उधार भी हो जाता था. कभी कभी वो अडवांस भी दे देते थे कि अगली बार एडजस्ट कर लेंगे।


यही नहीं उन्होने मेरे पास और भी बहुत से ग्राहक भेजे थे। तो जब भी वो कहते मैंने उन्हें कभी इंकार नहीं किया।


एक दिन उनका फोन आया- हैलो आशा, क्या हाल चाल हैं? मैंने कहा- ठीक है, सुमित जी। आप सुनाइये कि कैसे याद किया? वो बोले- यार, अपने न दो चेले हैं, अभी नई नई जवानी चढ़ी है, बहुत तड़प रहे हैं बेचारे, मैंने सोचा तुमसे मुलाक़ात करवा देता हूँ। दोनों की आग ठंडी हो जाएगी और दुनियादारी भी सीख जाएंगे। मैंने कहा- आपका कहा मोड़ सकती हूँ क्या! बताइये कब और कहाँ मिलना है? वो बोले- कल सुबह 11 बजे अपने वाले होटल में ही मिलेंगे वो तुम्हें। कमरा मैं बुक करवा रहा हूँ, रूम नंबर तुम्हें मेसेज कर दूँगा।


मैंने कहा- आप नहीं आएंगे क्या? वो बोले- मैं कुछ दिन बाद तुमसे मिलूंगा, अभी बीवी मायके से आई है हफ्ता 10 दिन लगा कर। अभी उसकी भी गर्मी निकालनी है। हम बाद में मिलेंगे, लड़के फीस लेकर आएंगे, तुम ले लेना. और दोनों का उदघाटन है, तो अच्छे से रिबन काटना उनका … ताकि सारी उम्र वो अपनी ज़िंदगी के पहले सेक्स को याद रखें। मैंने कहा- आपको कभी शिकायत का मौका दिया है जो अब दूँगी? आप इत्मीनान रखिए, दोनों को पूरा खुश करके भेजूँगी।


थोड़ी देर बाद सुमित जी का मेसेज आ गया कि कल 11 बजे रूम नंबर 214 में पहुँच जाना।


अगले दिन 11 बजे मैंने होटल की लॉबी में प्रवेश किया और अपने चिर परिचित लॉबी मैनेजर मिश्रा जी से मिली। अब इस होटल में मैं रूटीन में आती थी तो होटल का ज़्यादातर स्टाफ मुझे अच्छे से जानता पहचानता था।


मिश्रा जी भी बोले- हैलो मैडम जी, कैसी हो आप? मैंने भी उनके अभिवादन का जवाब दिया और रूम नंबर 214 में जाने का कहा।


मिश्रा जी खुद मुझे अपने साथ लिफ्ट में ले गए और रूम नंबर 214 के बाहर छोड़ आए। उनके जाने के बाद मैंने पहले अपनी ड्रेस सेट करी।


वैसे तो मैंने जीन्स और टॉप पहना था, मगर मैंने टॉप के ऊपर के दो बटन खोले ताकि मेरा थोड़ा सा क्लीवेज दिखे और दुपट्टा मैंने साइड पर एक कंधे पर रखा, अपने बूब्स को थोड़ा सा ऊपर को उठाया, और फिर दरवाजा खटखटाया।


एक लड़के ने दरवाजा खोला। देखने में ही वो मुझे नवयुवा सा लगा, उम्र होगी करीब 19-20 साल। मैंने उसे हैलो कहा तो उसने मुझे अंदर आने को कहा।


मैं अंदर रूम में गई तो सामने बेड पर एक और लड़का बैठा था वो भी वैसा ही था नौजवान सा! मुझे लगा ये सुमित ने कहाँ इन लड़कों को भेज दिया है। क्योंकि मेरा अपना बेटा भी अभी 19-20 साल का ही है तो मुझे तो वो दोनों लड़के भी अपने बेटे जैसे ही लगे।


मैं अंदर गई तो एक लड़के ने मुझे बेड के पास ही सोफ़े पर बैठने को कहा और दोनों लड़के मेरे सामने आकर बैठ गए। “और सुनायें मैडम क्या हाल चाल हैं आपके?” एक लड़का बोला। मैंने कहा- मैं तो बिल्कुल ठीक ठाक हूँ, आप सुनाये, कैसे हो, कहाँ से हो?


तो बड़ा लड़का बोला- मेरा नाम अंकुर है और ये मेरा छोटा भाई है, मोहित। मैंने पूछा- आप दोनों कितने साल के हो? अंकुर बोला- मैं 20 का हूँ और मोहित साढ़े 18 का।


मैंने कहा- आपको नहीं लगता कि आप कुछ ज़्यादा ही जल्दी इस तरफ आ गए? अंकुर बोला- दरअसल आंटी … बात ये है कि … सॉरी मैंने आपको आंटी कह दिया। मैंने कहा- कोई बात नहीं, मेरा अपना बेटा भी 20 साल का है। तो अंकुर बोला- ओके, पर हमारे सभी दोस्त ये सब कर चुके हैं, और हमें लगा कि हम ही पीछे रह गए हैं। तो हमने सोचा क्यों न हम भी तजुरबा करके देखें कि ऐसा क्या है इस काम में कि दुनिया मरी जा रही है इसके पीछे।


मैंने कहा- और सुमित जी से कैसे पहचान है तुम्हारी? मोहित बोला- वो हमारे पापा के दोस्त हैं। मैंने कहा- ओ के।


फिर मोहित बोला- और मम्मी के भी! अब मैं समझी कि असल माजरा क्या है। मैंने कहा- ओ के, मैं तुम्हारी निजी ज़िंदगी में तो नहीं जाना चाहती. खैर यह बताओ, मैं तुम लोगों की क्या खिदमत करूँ?


अंकुर बोला- बात ऐसी है मैडम कि हमने एक दिन सुमित अंकल और मम्मी को ये सब करते देखा था तो मैंने मम्मी से बात की, सुमित अंकल से भी बात करी। तो सुमित अंकल ने कहा कि अभी तुम्हें पता नहीं ये नशा क्या होता है। जब काम वासना से भरी औरत तुम्हारे सामने खड़ी हो तो कोई भी अपने पर काबू नहीं रख सकता। हमें बड़ा अजीब सा लगा. तो हमने सुमित अंकल से कहा कि हमने तो कभी मम्मी को कम वासना से भरी नहीं देखा। तो सुमित अंकल ने कहा कि मैं तुम्हें अपनी एक दोस्त से मिलवाऊँगा, वो तुम्हें ज़िंदगी की इस हकीकत से रूबरू करवाएगी। तो हम आपके पास आए हैं।


मैंने कहा- तो सुमित जी के तुम्हारी मम्मी से सेक्स संबंध हैं। वो बोला- जी हाँ, नाजायज संबंध हैं। मैंने कहा- तो इसका मतलब ये है कि सुमित अंकल ने मुझे तुम्हारे पास भेज है, लोलीपोप बना कर कि तुम दोनों भाई इस लोलीपोप को चूसते रहो, और उधर सुमित जी तुम्हारी मम्मी को चूसते रहें। दोनों लड़के चुप से हो गए।


मैंने कहा- ओ के, ठीक है, मैं तैयार हूँ। अब तुम बताओ कैसे करना है, दोनों एक साथ बैठोगे या अकेले अकेले? अंकुर बोला- आंटी सच बात तो ये है कि हमें सब कुछ तो नहीं पर थोड़ा बहुत पता है कि औरत और मर्द सेक्स कैसे करते हैं। बाकी आप तो प्रोफेशनल हो, आप ही हमें बता भी दो और सिखा भी दो। मैंने कहा- तो ठीक है। चलो फिर बेड पर चलते हैं।


मैंने अपने सेंडल उतारे और बेड के बीच में लेट गई और दोनों लड़के भी अपने अपने जूते उतार कर मेरी अगल बगल लेट गए. मगर ऐसे लेटे जैसे अपनी मम्मी के साथ लेटे हों, थोड़ा फासला रख कर। मैंने कहा- मैं तुम्हारी मम्मी नहीं हूँ, तुम मेरे साथ सट कर भी लेट सकते हो। तो दोनों लड़के थोड़ा सा मेरे साथ सट गए।


मगर फिर भी वो सिर्फ मुझे देख रहे थे और खास करके मेरे टॉप में से झाँकते मेरे क्लीवेज को। मैंने कहा- ये बताओ कि आज तक तुमने कभी किसी लड़की या औरत को छू कर देखा है, खास करके उसके जिस्म के उन अंगों को जिन्हें वो सबसे छुपा कर रखती है। दोनों बोले- नहीं।


तो मैंने उन दोनों का एक एक हाथ अपने हाथ में पकड़ा और उन दोनों के हाथ अपने सीने पर रखे- तो लो छू कर देखो, इन्हे प्यार से सहला कर दबा कर देखो. मैंने कहा। दोनों लड़के हल्के हल्के से मेरे मम्में दबाने लगे।


मैंने पूछा- कैसा लग रहा है? अंकुर बोला- आंटी ये तो बहुत नर्म हैं। मैंने कहा- तो ऐसा करो, मेरे टॉप के बटन खोलो।


मोहित ने मेरे टॉप के सभी बटन खोल दिये, तो मेरा ब्रा पूरी तरह से उनके सामने नुमाया हो गयी। मैंने कहा- पहले कभी किसी औरत को ब्रा में देखा है? अंकुर बोला- जी नहीं। मैंने कहा- तो क्या मैं अपना टॉप उतार दूँ? दोनों बोले- हाँ।


मैंने उठ कर अपना टॉप उतार दिया और सिर्फ जीन्स और ब्रा में उनके बीच में लेट गई। अब उन्हें कहने की ज़रूरत नहीं पड़ी, दोनों मेरे मम्मों और मेरे पेट को सहला कर देखने लगे। तो मैंने भी उन दोनों की पैन्ट के ऊपर से ही उनके लंड को छू कर देखा। दोनों के लंड उनकी पैंटों में ही अकड़े पड़े थे। मैंने कहा- देखने में तो तुम छोटे लगते हो, मगर लौड़े मस्त हैं तुम्हारे। दोनों लड़के मुस्कुरा दिये।


मैंने कहा- तुम मुझे किस भी कर सकते हो। तो बारी बारी दोनों ने मुझे पहले हल्के से किस किया, हल्के से मेरे होंठों को चूमा. मगर मैंने उन्हें बताया कि लड़की के होंठों को ऐसे नहीं चूमते, बल्कि ऐसे चूस जाते हैं। जब मैंने उन्हें बहुत ही जोरदार चुंबन दिये, तो वो भी मेरे होंठों को ज़ोर ज़ोर से चूस गए।


अब तू वो मेरे मम्मों को भी खूब मसल रहे थे। फिर मोहित बोला- आंटी आप ये ब्रा उतार सकती हैं? मैंने कहा- हाँ उतार सकती हूँ। पर क्या तुम उतारना चाहोगे?


मैं सिर्फ उठ कर बैठ गई और दोनों भाई मेरी पीठ के पीछे मेरे ब्रा के हुक खोलने लगे। जब हुक खुल गए तो मैं फिर से लेट गई और मैंने अपनी ब्रा उतार कर एक तरफ फेंक दी।


दोनों भाइयों ने मेरे मम्मों को देखा, दबाया, तो मैंने दोनों के मुँह अपने मम्मों से लगाए- सिर्फ दबाओ मत, पियो इन्हें!


वे दोनों मेरे मम्में चूसने लगे। सच में बड़ा मज़ा आया, ऐसा लगा जैसे अपने ही बेटों को मैं स्तनपान करवा रही हूँ। मैंने उनकी पीठ, कंधे और सर को सहलाया, दोनों ने सिर्फ मेरे मम्में चूसे बल्कि दाँतो से काटे भी, तो मैंने भी बड़े प्यार से, उनके सर पे हल्की सी चपत लगाई- आई … आंटी को दर्द होता है, काटो मत। मगर वो भी शरारत कर रहे थे, थोड़ा सा पीने के बाद कोई न कोई काट देता।


मैंने उन दोनों के मुँह अपने मम्मों से अलग किए और उन्हें अपने कपड़े उतारने को कहा. और खुद भी अपनी जीन्स उतार दी।


कहानी जारी रहेगी. [email protected]


कहानी का अगला भाग: दास्तान ए रंडी-2


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