कुंवारी लड़की अपने जन्मदिन पर चुद गयी

पवन कुमार सिंह

22-10-2022

243,770

देसी गर्ल बर्थडे सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं किराए के कमरे में रहता था. मकानमालिक की बला की खूबसूरत और यौवन से भरपूर लड़की थी. वो मुझसे कैसे चुदी?


दोस्तो, मेरा नाम अतुल चौधरी है और मैं एक बैंक में मैनेजर हूं.


अभी करीब छह महीने पहले मेरा ट्रांसफर दूर दराज एक छोटे कस्बे में हुआ था. उक्त कस्बे में ज्वाइन करने के बाद दो रातें मैंने लोकल के एक होटल में बिताई थीं.


बाद में सहयोगी बैंक स्टाफ ने न सिर्फ कमरा खोज कर मुझे दिलाया बल्कि जरूरत का सारा सामान भी खरीदने में मदद की और मुझे सैट कराने में मेरी बहुत हेल्प की. मेरा ये आशियाना, ब्रांच से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर था.


मेरे मकान मालिक पेशे से एक ट्रक ड्राइवर थे, दुर्भाग्य से अभी कुछ ही दिनों पहले परिवार के तीन सदस्यों में से एक उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था. अब परिवार में उनके अलावा एक बीस वर्षीय बेटी शबाना थी.


शबाना एक बीस वर्षीय बला की खूबसूरत और यौवन से भरपूर लड़की थी. वो स्नातक की पढ़ाई कर रही थी. वह दिन में अपने घर में रहती पर रात में पड़ोसी फौजी के घर में सोने जाती थी.


चूंकि फौजी के परिवार में फौजी व उनकी नवविवाहित पत्नी और वन विभाग से रिटायर बाप थे. फौजी बाबू शादी और सुहागरात के अगले ही दिन ड्यूटी पर चले गए थे और करीब एक साल से छुट्टी न मिलने से घर नहीं आ सके थे.


जबकि पड़ोसन भाभी, जिसका नाम सुषमा था, वो एक गृहणी थी. भाभी की उम्र करीब तेईस साल और मस्त जवानी थी. उसकी जवानी भी इतनी तनी हुई थी कि कपड़े तक फाड़ने को बेताब थी.


मैं नाश्ता और भोजन दोनों बाहर ही करता था इसलिए खाना बनाने आदि का कोई चक्कर ही नहीं था. बस यूं समझिए कि मेरा कमरा सिर्फ रात बिताने भर का बसेरा था.


रात दस बजे कमरे पर पहुंचना और सुबह आठ बजते ही कमरा छोड़ देना मेरी दिनचर्या थी इसलिए कमरे को सिर्फ रैन बसेरा कहना सर्वथा उचित था.


लेकिन पिछले दूसरे शनिवार और रविवार की छुट्टी में सोने व बैंक के कुछ काम निपटाने के बाद मैंने थोड़ी देर खुली छत पर बैठकर धूप सेंकने का काम भी किया था. इस दौरान सुषमा भाभी को अपनी छत की रेलिंग की ओट से खुद को निहारते हुए भी पाया था.


अगले दिन सोमवार को जब मैं ऑफिस के लिए निकलने को हुआ तभी दरवाजे पर शबाना को खड़ा पाया. यूं अचानक दरवाजे पर शबाना को देखकर एक बारगी मन विचलित हुआ, फिर दिमाग में ख्याल आया कि हो सकता है पैसों की कोई जरूरत हो, वही मांगने आई हो.


‘क्या बात है शबाना?’ शबाना- जी कुछ नहीं बस आपको बताना था कि आज मेरा जन्मदिन है और आप शाम को थोड़ा जल्दी आएं … और हां खाना यहीं हमारे साथ खाएं.


मैंने बधाई देते हुए कहा- जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. वो ‘धन्यवाद …’ बोली.


मैंने उसके भोजन के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और साथ ही कहा- मेरी भी एक रिक्वेस्ट है. शबाना बोली- क्या?


‘जन्मदिन बाहर सेलीब्रेट करेंगे और खाना भी बाहर ही खाएंगे, मंजूर हो तो बोलिए!’ शबाना- लेकिन साहब हमारी इतनी औकात नहीं है कि जन्मदिन बाहर सेलीब्रेट करें.


मैं- आप उसकी चिंता मत कीजिए यह सेलीब्रेशन मेरी तरफ से होगा और देखिए … न मत बोलना. शबाना थोड़ा संकोच की मुद्रा में बोली- मैं भाभी से पूछ कर बताती हूं.


वो चली गई. मैंने कमरे के बाहर आकर कमरा बंद किया और ऑफिस चला गया.


शाम तक कोई सूचना न आने पर मैं बैंक के बाहर निकला. पास की एक मोबाइल शॉप पर गया और एक बढ़िया सा मोबाइल फोन खरीदा, सिम खरीदा एवं उसमें एक साल वाला रिचार्ज कराया, तत्पश्चात फ़ोन को गिफ्ट पैक कराया और घर चल पड़ा.


कमरे का ताला खोल ही रहा था कि अचानक पीछे से एक आवाज आई- मैनेजर साहब, थोड़ी देर के लिए यहां आइए. ये आवाज़ फौजी के पिता जी की थी.


मैं मुड़ा तो पाया कि चाचा जी नीचे से आवाज दे रहे थे. तो मैं जीने से नीचे उतरा और चाचाजी के पास चला गया.


चाचा जी मेरा हाथ पकड़ कर अपने साथ ले गए. चाचाजी के साथ जैसे कमरे में घुसा तो पाया कि शबाना और भाभी जी एक केक को काटने की तैयारी कर रही थीं.


कमरे में दाखिल होकर मैंने भाभीजी को नमस्ते की. भाभी जी ने नमस्ते स्वीकार की लेकिन शायद भाभी जी को मेरे द्वारा भाभी जी कहना पसंद नहीं आया.


खैर … केक कटा, सभी में बंटा. सबसे पहले चाचाजी ने शबाना को एक लिफाफा दिया, तत्पश्चात मैंने गिफ्ट पैक शबाना को दिया.


शबाना और भाभीजी मेरे गिफ्ट पैक को देखते के लिए उत्सुक नजर आ रही थीं. तो शबाना ने जल्दी से गिफ्ट पैक लिया और दोनों कमरे से बाहर चली गईं.


गिफ्ट खोला और मोबाइल फोन देखकर शबाना और भाभीजी के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था.


फिर वो बाहर आईं. कमरे में टेबल पर खाना लगाया गया और खाने के लिए कहा गया. मैंने और चाचाजी दोनों टेबल के पास जाकर खाना शुरू कर दिया.


खाते समय मैंने महसूस किया कि उस समय में शबाना और भाभीजी का अंदाज बदल चुका था. मैंने खाना खाया और अपने कमरे में चला आया.


करीब आधा घंटा बाद दरवाजे पर दस्तक हुई. मैंने दरवाजा खोला तो शबाना को खड़ा पाया.


मैं पीछे हट गया ताकि शबाना अन्दर आ सके. शबाना- इतना महंगा गिफ्ट किस लिए साहब?


मैंने लापरवाही में जवाब दिया- बहुत ज्यादा महंगा भी नहीं है. ‘आपके लिए महंगा नहीं होगा लेकिन मेरे लिए बहुत कीमती है.’ शबाना की आवाज में काफी गहराई थी.


मैं चुप रहा. ‘अच्छा ये बताइए कि ये चलेगा कैसे?’


मैं फोन हाथ में लेकर उसके फंक्शन समझने लगा, थोड़ी सी कसरत के बाद फोन चालू हो गया. मैंने उसे कुछ महत्वपूर्ण फंक्शन समझाए और गूगल सर्च करने की ट्रेनिंग दी.


शबाना बहुत खुश थी और काफी जज्बाती होकर बोली- इस अहसान को कैसे उतारना है? मैंने कहा- एक सच्चा और अच्छा दोस्त बनकर.


शबाना के एटीट्यूड से साफ जाहिर था कि वह अहसान आज और अभी उतारना चाहती थी. मैंने फोन शबाना को दिया और बाथरूम चला गया.


इधर शबाना ने क्रोम का इस्तेमाल किया और एक पोर्न क्लिप देखने लगी. उधर वॉशरूम से निपट कर जब मैं कमरे में पहुंचा तो वहां का नजारा ही कुछ अलग सा था, पोर्न क्लिप की आवाज़ सुनाई दे रही थीं.


यह दृश्य देखकर मेरे होश उड़ गए. मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि ये इतनी जल्दी लंड के नीचे आने को मचल उठेगी.


मैं बोला- शबाना रात काफी हो गई है, अब आप जाइए. शबाना पर क्लिप का काफी असर हो चुका था, सो वो दांतों से होंठ काटती हुई बोली- बिना अहसान उतारे?


मैं समझ गया कि लाइन एकदम क्लियर है, सो मैंने आगे बढ़कर हाथ को ऐसे पकड़ा कि शबाना के बूब्स को हाथ टच कर जाए.


मैंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, अब तुम जाओ. शबाना बेड पर पीठ के बल लेट गई.


मैंने और आगे बढ़कर शबाना को उठाने का प्रयास किया तो शबाना ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बहुत बुरी तरह से मुझसे लिपट गई.


एक लड़की के जिस्म की तपन महसूस करके मैं भी मदहोश होने लगा. अगले पल मैं शबाना को बर्थडे सेक्स का मजा देने के लिए उसके होंठों को मैं चूसने लगा.


शबाना के लिए यह बिल्कुल पहला मौका था, लेकिन वह भी मुझे पेड़ की बेल की तरह लिपट कर खेल रही थी. अब मेरे हाथ शबाना की छोटी-छोटी चूंचियों को मसल रहे थे और शबाना की मादक सिसकारियां निकल रही थीं.


मैं इस समय सब कुछ भूल कर सिर्फ मजे लेना चाह रहा था. मैंने उसका कुर्ता ऊपर उठाना शुरू कर दिया था.


शबाना उठी और कुर्ता उतार कर फिर से खेलने लगी. मैंने उसकी सस्ती ब्रा के हुक खोल दिए और स्तन को एक बच्चे की तरह चूसने लगा.


शबाना की आहें और तेज होने लगीं. इसी पल मैंने अपने होंठ शबाना की नाभि पर चुम्बन के लिए सैट किया और हाथ से सलवार का नाड़ा खींच दिया.


अगले पल सलवार ने शबाना को छोड़ दिया. मेरा अनुमान था कि शबाना ने नीचे पैंटी पहन रखी होगी.


लेकिन ऐसा नहीं था. अन्दर हाथ ले जाते ही मेरा भ्रम दूर हो गया.


अब सलवार को जिस्म से अलग करके मेरा अगला टार्गेट शबाना की रेशमी बालों वाली चूत थी.


बिना समय गंवाए मैंने शबाना की दोनों टांगों को फैलाया और होंठ चूत पर रखकर चाटने लगा.


अगले ही पल शबाना उठकर बैठ गई और अपनी चूत को चाटने का दृश्य देखने लगी. लेकिन अगले ही पल शबाना की सिसकारियां और बढ़ गईं.


शबाना मोबाइल फोन पर पोर्न क्लिप देखने लगी. करीब चार मिनट के फोर प्ले के बाद शबाना के सब्र का बांध टूट गया और वो हाथ जोड़कर बोली- प्लीज अब अगला राउंड.


मैं भी पूरे मूड में आ चुका था सो पजामे का नाड़ा खोल कर नीचे गिरा दिया. इस बीच शबाना मेरे लंड को देखने के लिए उठ बैठी थी.


अगले पल मेरा लम्बा और मोटा लंड तना हुआ शबाना के सामने था.


शबाना आश्चर्य से बोली- उई अम्मी … इतना मोटा? मैं झुका और चूत को दोबारा गीला करने लगा.


सहसा मुझे याद आया कि चिकनाई पर्याप्त नहीं होगी तो उठकर टेबल पर से वैसलीन जैली को उठाया और लंड पर कायदे से लगाने लगा.


फिर कुछ ज्यादा मात्रा में उंगलियों पर लेकर शबाना के पास आकर उसकी चूत पर लगाना शुरू कर दिया. इस बीच शबाना और उसकी कुंवारी चूत दोनों भयभीत थीं.


मैंने शबाना को पीठ के बल लिटाया और टांगें चौड़ी करके अपने लंड को शबाना की चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.


शबाना को मज़ा खूब आ रहा था लेकिन डर भी लग रहा था कि ये अन्दर घुसेगा तो ढेर सारा दर्द होगा.


मैंने मौके को भांप कर एक हाथ शबाना के मुँह पर रखा और लंड को चूत के छेद पर रखकर धक्का दे दिया.


उसकी एक चीख निकल गई लेकिन मुँह पर हाथ होने से घुट कर रह गई. अगले पल मैंने एक और धक्का लगाया, चूत के चिपचिपे पदार्थ और वैसलीन जैली की चिकनाहट से मेरा आधे से ज्यादा लंड शबाना की चूत में पेवस्त हो गया था.


शबाना का दर्द से बुरा हाल था इसलिए मैंने अभी इतने में ही काम चलाना उचित समझा.


मैं धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा. इस तरह से करने से शबाना को दर्द में कुछ राहत मिली और लंड के चूत में घर्षण होने पर उसे थोड़ा मजा आने लगा.


इस बीच मेरा लंड खून से लथपथ हो गया था. लेकिन मैंने धक्का मारना बंद नहीं किया. करीब दो मिनट तक ऐसे ही चलता रहा.


शबाना अब दर्द को सहन करती हुई थोड़ा ज्यादा मज़ा ले रही थी. इसी बीच मैंने एक और घातक प्रहार किया और शेष लंड शबाना की चूत में पेल दिया.


शबाना समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या था. एक बार पुनः दर्द उठा लेकिन इस समय वो कुछ भी कर पाने में असमर्थ थी.


मेरे धक्के चलते रहे और अगले दो मिनट तक ऐसे ही चलता रहा. अब शबाना भी कमर हिला हिला कर लंड को शाबाशी देने लगी.


फिर उसने मुझे रूकने का इशारा किया और उसी अवस्था में उठ कर बैठ गई. उसने नीचे देखा तो उसकी कमसिन चूत में मेरा लंड ऐसे घुसा हुआ था जैसे दीवार में कोई कील घुसी हो.


सहसा उसकी नजर चादर पर लगे खून पर गई और उसने फौरन चूत से लंड निकालने के लिए मुझे धक्का दे दिया. मैंने लंड को चूत से निकाला, लंड पूरी तरह से खून से सना हुआ था.


शबाना बोली- या अब्बू … ये मैंने क्या किया? ‘कुछ नहीं हुआ है पहली बार जब सील टूटती है, तब थोड़ा खून निकलता ही है अपनी सहेली से पूछ लेना.’


मेरा इशारा फौजी की पत्नी था. एक पल बाद शबाना बोली- मुझे और मज़ा चाहिए.


मैं समझ गया और बेड पर लेट गया और शबाना को ऊपर आने का इशारा किया. शबाना ऊपर आई लेकिन जैसे ही लंड दोबारा अन्दर डालने की कोशिश हुई, शबाना पुनः दर्द से बिलबिला उठी. लेकिन प्रयास सफल रहा.


शबाना की चूचियों को मैं चूसने लगा, इस क्रिया से शबाना उत्तेजित होने लगी और ऊपर से चूत रगड़ने लगी. थोड़ी देर बाद शबाना जोर जोर से आहें भरने लगी, मैं समझ गया कि अब शबाना झड़ने वाली है.


करीब एक मिनट के बाद शबाना मेरे सीने पर निढाल होकर गिर गई. मैंने शबाना को करवट दिलाकर नीचे किया और शुरू हो गया.


अब शबाना की चीखें निकल रही थीं लेकिन अपनी आवाजों को दबाने के लिए वह अपने होंठ चबा रही थी. मैंने स्पीड बढ़ा दी और अगले ही पल मेरा पानी शबाना की चूत के अन्दर ही निकल गया.


पानी निकलने के बाद होश आया कि ये मैंने क्या किया, एक कुंवारी लड़की प्रेग्नेंट हो सकती है. सो अगले पल मैंने शबाना को उठने के लिए कहा.


शबाना समझ नहीं पा रही थी कि अब क्या बाकी है? मैंने शबाना से कहा कि फौरन वाशरूम जाओ और पेशाब करो, ध्यान रहे पेशाब करते समय खांस जरूर देना.


डरी हुई शबाना वाशरूम गई और जैसा मैंने कहा था वैसा ही किया. खांसने से मेरा वाला वीर्य निकल गया था.


वह अपनी चूत को साफ करके कमरे में आई और मुझे लंड का खून साफ करने का इशारा किया. अगले पल मैंने भी खून साफ किया और आकर बिस्तर पर लेट गया. मैंने एक चादर को अपने ऊपर डाल लिया.


शबाना शिकायती अंदाज में बोली- मैं भोली और आप सयाने, मैं और मेरी चूत अब तक खौफ में है.


मैंने पूछा- बर्थडे सेक्स का मजा आया? शबाना मुस्कुरा कर बोली- बहुत … और आपको? मैंने कहा- मुझे भी बहुत आनन्द आया.


इन पलों में शबाना अपनी चूत को देख रही थी तत्पश्चात उसको ध्यान आया कि उसको आए हुए करीब एक घंटा हो रहा है इसलिए उसने जल्दी कपड़े पहनने के लिए कपड़े उठाए ही थे कि एकाएक कमरे में अप्रत्याशित तरीके से सुषमा भाभी आ धमकी.


मैं तो चादर में लिपटा हुआ था लेकिन शबाना को जन्मजात नंगी देखकर वह सब कुछ समझ गई- ये क्या किया तुमने? शबाना को कोई जवाब नहीं सूझ रहा था इसलिए चुपचाप मुँह लटकाकर बैठ गई.


भाभी- तूने क्या खो दिया है, पता भी है तुझे? अगले पल शबाना ने भाभी को पकड़ कर बेड पर गिरा दिया और मुझसे बोली- इनको कंट्रोल करो, नहीं तो दिक्कत हो जाएगी.


जब तक सुषमा भाभी कुछ समझ पाती, तब तक मैं और शबाना दोनों उस पर टूट पड़े.


शबाना ने भाभी की चूचियों को मसलना शुरू कर दिया और मैं भाभी के कपड़े उतारने लगा. भाभी ज़रा बहुत विरोध तो कर रही थी लेकिन अगले क्षण मैं नंगा ही नीचे उतरा और भाभी की टांगों को फैला कर चूत चूसने लगा.


अब भाभी भी समझ चुकी थी कि चुदाई का मजा लेने में ही भलाई है इसलिए उसने विरोध बंद कर दिया.


इधर मैं पागलों की तरह भाभी की नमकीन चूत को चाटे जा रहा था, उधर शबाना भाभी की चूचियों को चूस रही थी.


अंत में भाभी ने टांगों को थोड़ा ढीला छोड़ दिया. मैं दोबारा जोश में आ गया था इसलिए भाभी को गर्म किए जा रहा था.


अब भाभी की आहें सुनाई देने लगी थीं. मेरे चूत चाटने से भाभी चरमसुख प्राप्त कर रही थी. उसने शबाना को हटने के लिए कहा और उसी अवस्था में उठ बैठ गई.


अब भाभी के हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे. भाभी ने मुझे उठाया और लंड को हाथ में पकड़ कर बोली- आज मेरी चूत की आग शांत होगी … बहुत मोटा और लम्बा लंड मुझे चोदेगा.


इतना कहकर भाभी ने मेरे लंड का सुपारा मुँह में ले लिया और चूसने लगी. करीब एक मिनट के बाद फरियादी भाव से बोली- आज मेरी फाड़ कर रख देना, मेरी आग आज शांत कर दो.


मैं भी तैयार था इसलिए भाभी को लेटा कर लंड का मुँह भाभी की चूत पर रखकर जोर लगा दिया. भाभी की चीख निकल गई.


पर मैंने बिना परवाह किए अगले झटके में पूरा लंड घुसा दिया.


भाभी समझ नहीं पा रही थी कि वह चीखे अथवा मजा ले. शबाना दूर नंगी खड़ी, भाभी को चुदते हुए देख रही थी और यह समझ रही थी कि चुदाई में दर्द होता है.


भाभी कह रही थी- और जोर से चोदो फाड़ डालो, बहुत तंग करती है. और मैं चोदे जा रहा था.


फिर मैंने झटके में अपना लंड बाहर निकाला और पीठ के बल लेट गया. भाभी उठी, लंड को एक बार फिर देखा ऊपर आकर लंड को अपनी चूत में लेकर कूदने लगी.


इस तरह सेक्स करने से भाभी बहुत उत्तेजित हो गई और अगले ही पल वह झड़ गई. मैंने उसको चित्त लेटाया और शुरू हो गया.


भाभी हर तरह से सुख प्राप्त करना चाहती थी, सो पूरी तरह से सहयोग कर रही थी. करीब दो मिनट के बाद मैं भी भाभी की चूत के अन्दर ही झड़ गया.


भाभी जल्दी से उठी और पेशाब करने चली गई. इधर शबाना मेरे लंड को कपड़े से साफ कर रही थी और लंड में चावल के बराबर के छेद को समझने की कोशिश कर रही थी.


भाभी कमरे में आई और शबाना को ऐसे देखकर हंसती हुई बोली- आज ही सील टूटी है और आज ही फिर से? कितनी चुदक्कड़ हो गई हो?


‘नहीं भाभी मुझसे दोबारा नहीं होगा, मैं तो बस देख रही थी.’ ‘कपड़े पहनो और चलो, इनको भी आराम चाहिए.’


तत्पश्चात शबाना और भाभी दोनों ने कपड़े पहने और चली गईं.


मेरी समस्या यह है कि शबाना और भाभी दोनों चुदाई के लिए रोज रात को मेरे कमरे में आ जाती हैं और मैं अकेला दो दो लोगों को कैसे मैनेज करूं. मैं ट्रांसफर की कहता हूँ तो दोनों देख लेने की धमकी देती हैं.


आप मुझे मेल करें कि आपको इस देसी गर्ल बर्थडे सेक्स कहानी पर क्या कहना है. [email protected]


First Time Sex

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ