दीपा का प्रदीप – एक प्रेम कहानी- 4

प्रकाश पटेल

07-07-2023

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देसी लड़की Xxx चुदाई कहानी एक सेक्सी लड़की के पहले सेक्स की है. उस लड़की की माँ लड़के के घर में मेड का काम करती थी. तो मजा लें इस जोरदार प्यार भरी चुदाई का!


दोस्तो, दीपा और प्रदीप की इस प्रेम कहानी के इस भाग में आपका स्वागत है. कहानी के पिछले भाग देसी लड़की से प्रेम और वासना का उफान में अब तक आपने पढ़ा था कि दीपा अपने प्रेम की परिणीति शयन सेज पर पाना चाह रही थी और उसका कामदेव अपनी रति को उसका हक देने का जतन कर रहा था.


अब आगे देसी लड़की Xxx चुदाई कहानी:


दीपा और प्रदीप के अधर जुड़े हुए थे. यह सुख ऐसा था, जो कभी खत्म हो … ऐसा कोई भी प्रेमी कभी नहीं चाहेगा.


दीपा ने भी प्रदीप के अधरामृत का पान करते हुए चुंबन को लंबा खींचा. उसने प्रदीप के चेहरे को अपने हाथों में लेकर सहलाया.


प्रदीप ने अपनी जीभ दीपा के अधखुले होंठों में डाल कर दीपा के लिए जैसे अमृत कुंभ को खोल दिया.


दीपा लालायित हो कर रस मग्न होकर प्रदीप की जीभ को चूसने लगी.


उत्तेजना के चलते दीपा ने अपने दोनों पांव से प्रदीप को कमर से जकड़ लिया. इससे प्रदीप का तना हुआ लिंग दीपा के त्रिकोण पर जा चिपका.


प्रदीप का एक हाथ दीपा के कटि प्रदेश को सहलाने लगा. दीपा के बदन में एक सिहरन सी मची.


दीपा ने प्रदीप की कमर पर से अपने पांव हटाए तो प्रदीप होंठों को छोड़कर नीचे की ओर आगे बढ़ने लगा.


वह दीपा के मखमली कुंवारे बदन को चूमते चाटते गले से होकर स्तन युग्म से होकर कमर और उदर के आस-पास चूमता रहा. दीपा प्रदीप के चूमने चाटने के आनन्द में इतनी मस्त थी कि उसको कोई सुध ही नहीं रही कि प्रदीप ने कब उसका पजामा और पैंटी साथ में ही निकाल दी.


प्रदीप ने अपना नाईट पैंट भी निकाल दिया था.


तब प्रदीप ने दीपा के दोनों पांव चौड़ा दिए. अब प्रदीप का सिर दीपा के त्रिकोण के सामने था.


प्रदीप दीपा के यौन प्रदेश को देख कर बोला- दीपा तू धन्य है. अपने को कितना सजा कर रखा है. ‘ये तो मेरे राजा के लिए किया है मैंने!’


‘दीपा तूने मेरे लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया है … उसका बदला मैं कभी नहीं चुका पाउंगा.’ ‘आपने मेरे कुछ करने के पहले ही बहुत कुछ कर दिया है मेरे लिए.’ ‘हम्म …’


‘मुझे मालूम है आप मेरे लिए और बहुत कुछ करने वाले हो.’ प्रदीप ने दीपा की जांघों को संवारा, सहलाया और चूमने लगा.


दीपा ‘ओह आअहा और नहीं नहीं …’ करती रही. तभी प्रदीप ने त्रिकोण पर भी चूमना प्रारंभ कर दिया.


दीपा का यौवन रस, योनि के द्वार पर बहने के लिए आ गया था. उसे दीपा ने रोक कर रखा था बाद में आने वाले खालीपन से बचने के लिए.


प्रदीप ने एक उंगली से उसके भगनासा को टटोला. जब उसे लगा कि भगनासा में उत्तेजना से खून भर आया है, तभी उसने भगनासा को अपने मुँह में लेकर थोड़ी देर चूस लिया.


बस तुरंत ही यौवन रस बहने लगा. प्रदीप ने एक बूंद भी बेकार न जाने दी.


दीपा का काफ़ी यौन-यौवन रस भोगने के बाद उसकी योनि को चौड़ी करके अपनी जीभ अन्दर डाली तो दीपा अनहद तड़प उठी और उसने प्रदीप के बाल खींच लिए.


प्रदीप ने ऊपर की ओर देखा. दीपा की आंख से अश्रुधारा बह रही थी और उसके चेहरे पर मुस्कान थी.


दीपा अपनी आंख से अपने ऊपर आने का संकेत दे रही थी. प्रदीप ऊपर आ गया. उसने उसके चेहरे से आंसू साफ़ करते हुए पूछा- क्या बहुत ज्यादा मजा आया?


दीपा ने हां में सिर हिलाया और बोली- इतना कुछ कैसे कर लेते हो?


प्रदीप ने अपना लिंग पकड़ा और वह लिंग से दीपा की योनि को सहलाने लगा.


दीपा ने बातें करते करते पांव चौड़े कर दिए. उसने अपने हाथ से लिंग को सही जगह पर पकड़ कर रखा. प्रदीप ने धीरे धीरे धक्का लगाना शुरू किया.


दीपा की योनि इतनी छोटी थी कि प्रदीप के मोटे लिंग का प्रवेश मुश्किल हो रहा था.


प्रदीप कोशिश करता रहा और बीच बीच में वह दीपा की ओर भी देख रहा था. दीपा उसे इशारे से कोशिश जारी रखने के लिए कह रही थी और साथ में ये भी जताती थी कि मुझे दर्द नहीं है.


प्रदीप समझता था कि दर्द तो है, पर वह सहन कर लेगी.


दीपा ने टांग चौड़ी की और पांव हवा में कर लिए. प्रदीप ने इसी के साथ एक जोर का धक्का लगा दिया.


‘उईई माँ, मर गईईईई.’


जिस चूत में कभी उंगली भी ना गई हो, वहां प्रदीप का लंबा और चौड़ा लंड कहां से जा सकता है!


अभी तक तो प्रदीप के लिंग का केवल सुपारा ही अन्दर जा पाया था. प्रदीप ने सोचा कि थोड़ा समय लगाना पड़ेगा. दीपा अभी बीस साल की नहीं, साढ़े अठारह साल की किशोरी ही है.


प्रदीप को दुख तो हुआ, पर उसने झूठ बोला- तो मैं क्या करूं? और वैसे भी उसकी मानसिक उम्र तो बाइस साल की लगती है.


बहुत जल्द सयानी से भी ऊपर हो गई है. भगवान ने जो ठीक चाहा होगा ऐसा ही हुआ होगा.


प्रदीप ने अपना पूरा वजन अपनी बांहों पर रखते हुए दीपा का चेहरा चूम कर उसके सिर पर हाथ फ़िराते हुए कहा- प्रिये, थोड़ा मुश्किल है इसलिए हम बहुत धीरे धीरे आगे बढ़ेंगे.


दीपा मुस्कराई और बोलते बोलते प्रदीप के हाथ और छाती के चौड़े मसल्स को सहलाती हुई बोली- मुश्किल तो कोई नहीं है, पर आप मुझे बहुत प्यार करते हो … इसलिए जोर का धक्का धीरे से लगाते हो. मुझे बहुत दर्द हो रहा है या होने वाला है, ये मेरे प्यार को पहले ही पता चल जाता है. आपका ऐसा प्यार पाकर तो मैं धन्य हो गई हूँ.


इतना बोलते ही दीपा की योनि प्रेम रस से भर गई.


योनि में आगे पीछे होने की कोशिश से प्रदीप को पता चला कि अब मुश्किल कम होगी. प्रदीप ने ध्यान भटकाने और प्यार जताना चाहा.


‘प्रिये, तुझे अपने प्रियतम से सजने में क्या क्या अच्छा लगेगा?’ ‘आप जो करोगे मुझे अच्छा लगेगा.’


प्रदीप ने अपने लंड को थोड़ा ठीक कर लिया- फ़िर भी मेरी प्यारी रानी की पसंद तो मैं जान लूं! दीपा ने प्रदीप के बाल को प्यार से बिखेरते हुए बनावटी गुस्से से कहा- आप तो इस सब में प्रवीण हैं.


प्रदीप ने इतने धीरे से धक्का लगाया कि दीपा को पता भी नहीं चला.


‘तुझे मेहंदी पसंद है?’ दीपा ने सिर हिलाकर हां कहा.


‘और नाक की नथ?’ ये पूछते हुए उसने अपनी नाक को उसकी नाक से रगड़ा और एक धक्का भी लगा दिया.


इस बार लंड और थोड़ा अन्दर प्रवेश कर गया. दीपा ने प्रदीप की नाक को पकड़ कर प्यार से मरोड़ा और कहा- आज तो नथ उतारने की विधि करनी होती है. चलो हम एक रात वह मंगल कार्य भी कर लेंगे.


यह कहते हुए प्रदीप ने थोड़े जोर से एक धक्का लगाया. जब से लिंग प्रवेश हुआ था, दीपा का आनन्द बढ़ता जा रहा था.


लिंग का थोड़ा सा हिलना और आनन्दप्रद था. योनि की चौड़ाई बढ़ रही थी, वह पता भी नहीं चल रहा था … ना ही दर्द दे रहा था. बस मजा आ रहा था.


‘तेरी जब शादी होगी तुझे मंगलसूत्र और सिंदूर भरना कैसा लगेगा?’ यह बात सुनते ही दीपा के आनन्द की सीमाएं टूट गईं और उसने अति उत्साह से प्रदीप को आगोश में भर कर जोर से लिपट गई.


उसी के साथ प्रदीप ने एक धक्का लगाया तो लिंग योनि के किसी अवरोध से जा टकराया.


प्रदीप ने ये महसूस किया, तभी दीपा बोली- मैं तो अभी पहनना चाहूँगी. पर अपनी शादी कहां हुई है, या होने वाली है. मैं जानती हूँ, मानती और चाहती भी हूं कि हम दोनों की शादी न हो. बस अपना ये प्रेम विवाह हमेशा के लिए ऐसा ही रहे. मेरी अन्य से शादी के बाद अपना शरीर संबंध रहे या न रहे, मन और हृदय का हमारा ये प्रेम संबंध बस ऐसा ही रहना चाहिए.


अठारह उन्नीस साल की इतनी छोटी लड़की ऐसी बातें सोच सके, समझ सके और कह सके … ऐसा प्रदीप मान नहीं सकता था.


दीपा ने कहा- और वैसे भी मुझे आपके पास और साथ रहना होगा और आगे पढ़ कर बहुत आगे जाना होगा तो मुझे तो दुनिया को धोखे में रखना ही होगा कि मेरी तो शादी हो गई है, पर गौना नहीं हुआ है. इसलिए अभी हाउस मेड बन कर यहां काम करती हूँ.


प्रदीप अत्यंत प्रसन्न होकर झूम उठा और अनजाने में ही धक्के लगाने लगा.


‘सचमुच तुझे अभी ही नथ पहनना है?’ प्रदीप ने उसके चेहरे को सहलाते हुए चूम लिया.


दीपा बोली- हां अभ्भी का अभ्भी … उसने अपनी बात पर जोर दिया.


प्रदीप ने कहा- प्रिये, आंख बंद करो और जब मैं कहूं, उसके बाद में ही खोलना.


दीपा को लगा ही नहीं कि ऐसा कुछ हो सकता है; उसने मजाक समझ कर आंखें मूंद लीं.


प्रदीप ने बिना आवाज किए बाजू का दराज खोला और उसमें से कुछ निकाल कर हाथों में छिपा दिया. उसने दीपा को और खुद को ऐसे सैट किया कि दोनों बैठे हो गए. पर उनका यौन-जोड़ ऐसे ही रहा.


प्रदीप ने उसके गले में मंगलसूत्र पहनाया, मांग में सिंदूर भी भरा और नाक में नथ (बिना छेद किए पहनने वाली) पहना दी. ‘अब आंखें खोलो.’


दीपा ने आंख खोली और अपनी बाएं और दर्पण में देखा. उसकी तो आंखें ही फ़ट गईं.


‘प्रदीप तुमने यह सब सोच कर रखा था? और मेरे हां कहते ही मेरी मांग भराई करके मंगलसूत्र तक पहना दिया!’


दीपा अपने प्रियतम प्रदीप में समा गई. प्रदीप को कस कर आलिंगन में ले लिया.


दोनों बैठे हुए ऐसे ही चिपके हुए रहे. दीपा धीरे से लेट गई. प्रदीप भी ऊपर ही लेटा.


दीपा ने देखे सभी स्वप्न और अरमान पूरे हो रहे थे. प्रदीप ने अपना वजन अपनी बांहों पर ही रखा था.


प्रदीप का चेहरा दीपा के चेहरे के बिल्कुल सामने था. प्रदीप उसके चेहरे को सहलाते हुए चूम रहा था. दीपा उसे प्यार भरी नजर से देख रही थी.


दोनों प्रसन्न थे.


दीपा ने आंखें जबरन बंद कर लीं. प्रदीप ने उसकी दोनों आंखों को बारी बारी चूमा.


उसका अधर रस पिया और दोनों गाल को चूमने के बाद पूछा- प्रिये, आंखें क्यों बंद कर लीं? ‘आपकी ये प्रसन्न सूरत को मैं कैद करके अपने हृदय में हमेशा के लिए बसा कर रखना चाहती हूँ. आप जब भी एक क्षण के लिए दूर होंगे तो आपकी ये ही सूरत अपनी नजरों के सामने लाउंगी.’


‘अभी आपकी सूरत बहुत प्रसन्न और प्यारी लगाती है. प्रदीप आप प्रेम मार्ग में बहुत प्रवीण और चतुर हो.’


यह सब सुनकर प्रदीप और प्रसन्न होकर दीपा को बहुत चुंबन करने लगा. चेहरे पर चुम्बन वर्षा ने दीपा के हृदय को तरबतर कर दिया.


आगे बढ़ते हुए प्रदीप ने उसकी ग्रीवा को चूम कर उसकी कर्ण-कली को मुँह में ले कर सहलाया और मृदुता से काटा.


दीपा के शरीर में एक सिहरन मची. वह प्रदीप को अपने साथ खींच कर बेड पर लेट गई. उसने अपने पांव से प्रदीप के पांव को कस कर बांध लिया.


प्रदीप ने अपने हाथ दीपा के कंधों के नीचे डालकर कंधों को जकड़ लिए. अब प्रदीप ने धीरे धीरे धक्के लगाते हुए दीपा को आलिंगन में ले लिया.


दीपा ने अपना सिर और थोड़ा ऊपरी हिस्सा सिरहाने से ऊपर उठा लिया.


प्रदीप तुरंत तेज धक्के लगाने लगा. धक्के इतने तेज, जोशीले और शक्तिशाली थे कि दोनों के मुँह से ‘उं ह आ ह … ओह …’ जैसी आवाज आ रही थी.


दीपा भी ऊपर की तरफ़ धक्के लगाती थी. प्रदीप ने दीपा के स्तनों को चाटना चूमना चालू करते ही दीपा के यौन रस की नदी बहने लगी.


इस कशमकश में दीपा का योनि कवच कब फ़ट गया, वह पता ही नहीं चला. उसी समय दीपा ने चरम सीमा को पा लिया और वह पहली बार होने के कारण आनन्द से चिल्ला उठी.


झिल्ली फ़टने से नहीं, पर प्रथम बार चरम सुख की प्राप्ति से मिले सुख से चिल्लाई. उसका शरीर अकड़ने लगा.


प्रदीप के साथ का हाथ पांव का बंधन भी छूट गया. वह निढाल होकर पड़ी रही. प्रदीप अपना न्यूनतम वजन दीपा पर रखते हुए उसे सहलाने लगा. उसकी आंखें बंद थीं. परम तृप्ति के रंगों से वह और भी सुंदर और खिली खिली सी लगने लगी थी.


प्रदीप उसके सौंदर्य का रसपान कर रहा था. वह उसका भोग तो कब से कर ही रहा था और उसे प्यार से तरबतर भी कर रहा था.


प्रदीप ने झुक कर दीपा की गर्दन पर चुंबन किया, बांये कंधे को चूमा. उसकी सुंदर और आकर्षक बगल को चूमा.


वह प्यार के नशे में बोला- दीपा तुम बहुत सुंदर हो. ये कह कर प्रदीप ने उसके होंठ पर दीर्घ चुंबन करते हुए सिर को सहलाया और थोड़े ऊंचे होकर दीपा के वक्षस्थल को देखा.


उसकी श्वास अभी भी तेज चल रही थी. दोनों दूध तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे थे.


उसके वक्ष की सुंदरता देख प्रदीप ने उसे आगोश में लेना चाहा, पर वह बहुत सुख की हालत में आंखें मूँदे लेटी थी.


प्रदीप ने उसके दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूस कर खींचा और हर बार थोड़ा चाटा भी.


दीपा का एक हाथ प्रदीप की पीठ पर जा पहुंचा. उसने अपने प्रेमी की पीठ को थोड़ा सहलाया और शांत हो गई. प्रदीप को उसका सहलाना बहुत अच्छा लगा.


उसकी प्रियतमा दीपा अब होश में आ रही है, इस अहसास ने प्रदीप के शरीर में चेतना भर दी. वह तनिक उत्तेजित भी हो गया. उसका लिंग और कड़ा हो गया.


प्रदीप ने धीरे से धक्के लगाने शुरू कर दिए. दीपा का दूसरा हाथ भी प्रदीप की पीठ पर पहुंच गया. उसने अपने दोनों हाथ से प्रदीप की पीठ को जकड़ लिया और प्यार से चूमने लगी.


प्रदीप ने दीपा के पूरे वक्षस्थल को चाटना चूमना शुरू कर दिया और कभी कभी निप्पल को मुँह में लेकर चूसना जारी रखा.


रस से भरपूर योनि में लिंग आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था. फच फच की ध्वनि से कमरे में उत्तेजना भर रही थी.


दीपा की आंखें खुली हुई थीं और वह अपने प्रिय संगी को प्रेम रस प्रदान करने में मग्न देखकर बहुत ही रोमांचित हो उठी. दीपा का एक हाथ प्रदीप की पीठ को सहला रहा था. दूसरे हाथ की उंगलियां उसके सिर पर थीं और बालों में खेल रही थीं.


प्रदीप के धक्के तेज हो गए. उसने सिर उठा कर दीपा की ओर देखा. दोनों आनन्द से तर बतर थे और दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट छा गई थी. धक्के और तेज हो गए.


दीपा ने पूरी ताकत से प्रदीप को आगोश में लेकर जोर से दबा दिया. पर प्रदीप का मजबूत और चौड़ा शरीर उसके इस जोर से थोड़ा ही दबने वाला था. उलटे दीपा के स्तन दबकर प्रदीप के सीने पर सपाट होकर चिपक गए थे. वह खुद भी नीचे से ऊपर उठ कर प्रदीप के सीने में दब कर चिपक गई थी.


प्रदीप ने अपने हाथ उसके नीचे डालकर उसको और ऊपर को उठाया और अपने सीने से दबा दिया. दीपा ने अपने पांवों से प्रदीप को जकड़ लिया.


प्रदीप ने धक्के की मशीन की रफ्तार से चलने लगे थे. दीपा भी नीचे से अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाने की कोशिश कर रही थी.


प्रदीप और दीपा के चेहरे एक दूसरे के सामने थे. दोनों की आंखें एक दूसरे पर प्रेम वर्षा कर रही थीं. दोनों एक दूसरे को अपने प्यार के सागर में डुबो कर साथ ही डूबने को अधीर थे. धक्के दोनों ओर से चालू थे.


प्रदीप दीपा के अंग उपांग और चेहरे को बहुत प्रेम और कोमलता से सहलाते हुए भोग रहा था.


दीपा प्रदीप के चेहरे, सिर, बाल और मसल्स को सहला रही थी. दोनों प्रेम मग्न हो गए थे, दोनों एक दूसरे पर न्योछावर हो गए थे; एक दूसरे के नयन सागर में डूब रहे थे.


देसी लड़की ने Xxx चुदाई में एक बार चरम प्राप्त कर लिया था और वह दूसरी बार अंतिम बिंदु के पास थी.


प्रदीप दीपा के साथ ही पूरे वेग से लगा हुआ था. तेज धक्कों के साथ ‘उह्ह्ह आह्ह्ह उफ़्फ़्फ़ करते हुए प्रदीप अचानक से चिल्लाने लगा- ओह मेरी दीपू आह मेरी दीपू … लो मैं आ गया!


इतना सुनते ही दीपा ने भी प्रेम रस के सागर का अंतिम पड़ाव पार कर लिया.


प्रदीप का चिल्लाना पूरा हो, उसके पहले ही प्रदीप के प्रेम सरोवर का बांध टूट गया. धकधकाता हुआ लावा दीपा के प्रेम कुंभ को भरने हेतु गर्म लावा के रूप में जा पहुंचा.


दीपा प्रेम रस में डूब गयी. दोनों ही डूबे हुए थे, एक दूसरे की बांहों में बंधे हुए थे.


इस तरह उस दिन का शारीरिक एकाकार अपने लक्ष्य को पा चुका था.


मित्रो, दीपा और प्रदीप की इस देसी लड़की Xxx चुदाई कहानी में बहुत उत्तेजनात्मक परिवर्तन आने वाले हैं. पाठकों के प्रतिभाव के आधार पर आगे की उनकी जिंदगी की किताब लिखी जाएगी. [email protected]


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