किरायेदार की कुंवारी बेटी की चूत का मज़ा

सागर दिल्ली

31-01-2021

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देसी न्यूड गर्ल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि हमारे किरायेदार की एक जवान बेटी थी. एक दिन मैं छत पर मुठ मार रहा था. उसने मुझे देख लिया. फिर मैंने उसे कैसे चोदा?


दोस्तो, मेरा नाम सागर है और मैं बदरपुर (दिल्ली) में रहता हूं. मेरी उम्र 29 वर्ष है, मध्यम कद है जो कि 5 फीट 1 इंच है. मेरे सामान यानि कि लंड का साइज 5 इंच है. मैं आज आपको अपनी सच्ची देसी न्यूड गर्ल सेक्स स्टोरी बताने जा रहा हूं.


आज से 2 साल पहले की बात है. हमारे घर में नये किरायेदार रहने को आये थे. उस परिवार में पति, पत्नी उनके दो बच्चे थे. एक लड़का था और एक लड़की थी.


उनके बच्चों में बड़ी वाली लड़की थी और छोटे वाला लड़का था. पति की उम्र 45 साल और पत्नी 40 की थी. जब मैं जॉब से लौटा तो मेरी मुलाकत उस परिवार से हुई.


मैं उस वक्त एक शरीफ लड़का हुआ करता था. मगर मैं सेक्स कहानी पढ़ने में बहुत रुचि रखता था. तब तक मैंने न तो कोई लड़की पटाई थी और न ही कभी सेक्स किया था. इसलिए मैं उन लोगों से नॉर्मली ही मिला.


मैंने किसी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. फिर ऐसे ही दिन गुजरने लगे.


एक दिन की बात है कि मैं अपनी छत पर सबसे ऊपर वाले कमरे में बैठा हुआ था.


हमारी छत पर एक ही कमरा है जिसमें कुछ पुराना सामान रखा हुआ है. उस दिन मेरे घरवाले एक रिश्तेदारी में गये हुए थे और मैं घर में अकेला था. इसलिए मैं छत पर चला गया और जाकर सेक्स कहानियां पढ़ने लगा.


मुझे किसी के आने का डर नहीं था इसलिए मैं बेफिक्र होकर सेक्स कहानी का आनंद ले रहा था. मैंने लंड को बाहर निकाला हुआ था. मेरा लौड़ा तना हुआ था जो मेरे एक हाथ में था और दूसरे हाथ में किताब पढ़ते हुए मैं उसको सहला रहा था.


कहानी पढ़ने और लंड हिलाने में मैं इतना खो गया कि मुझे ध्यान ही नहीं दिया कि छत पर कौन आ रहा है और कौन जा रहा है. मैं बस अपने ही खयालों में था.


उस वक्त किरायेदार की लड़की छत पर कपड़े सुखाने के लिए आई हुई थी.


मेरे मुंह से हल्की सिसकारियां निकल रही थीं. न जाने कब उस लड़की ने मेरी सिसकारियां सुन लीं.


मुझे पता नहीं चला और मैं मुठ मारने में व्यस्त रहा. जब मेरा वीर्य निकल गया तो तब जाकर मैं शांत हुआ. मैंने फिर बाहर की ओर देखा तो एकदम से घबरा गया.


वो किरायेदार की लड़की जिसका नाम शिफ़ा (बदला हुआ) था, वो मुझे चुपके से छुपकर देख रही थी. जैसे ही हमारी नज़र मिली तो वो मुझे देख कर जल्दी से नीचे चली गई.


तब पहली बार मुझे लगा कि यार मुठ मारने से अच्छा है इस लड़की को पटाया जाए तो इसकी चूत मिल सकती है. मैंने पहले कभी उसे इस नज़र से नहीं देखा था क्यूंकि वो ज्यादा सुंदर तो थी नहीं, सांवला रंग और उसका फिगर भी 32-26-30 का था.


मैंने मन में सोचा कि सुंदर ना सही, लड़की तो है … चूत तो मार ही सकते हैं … मजा तो दे ही देगी. इसलिये अब वो लड़की मुझे बस चोदने का ठीक सा जुगाड़ लगा. वैसे भी चुदाई लायक तो वो हो ही गई थी.


अब मैं उसे बस वासना भरी नज़रों से देखा करता था. और शायद ये बात उसे भी पता चल गई थी क्यूंकि उसने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया था.


अब मैं उसे पटाने का प्लान बनाने लगा और शायद भगवान ने जल्दी ही मेरी सुन ली. मेरे मम्मी पापा गांव चले गये थे क्यूंकि दादा जी की तबीयत अचानक खराब हो गई थी.


इस बात के बारे में मुझे तब पता चला जब मैं जॉब से शाम को घर आया और घर की चाबी किरायेदार के पास थी.


तब उन्होंने बताया कि तुम्हारे मम्मी पापा गांव गये हुए हैं. शायद 3-4 दिन बाद लौटेंगे तब तक तुम खाना हमारे यहां खा लेना.


मैंने भी हां कर दी और अब मेरे मन में अलग ही प्लान बन रहे थे.


रात को किरायेदार का लड़का खाना देने आया और मैं खाना खाकर सो गया. फिर सुबह जब आँख खुली तो मैं जॉब के लिए लेट हो चुका था.


घर में मां होती थी तो वो उठा देती थी लेकिन उस दिन मैं उठ नहीं पाया. फिर मैंने सोचा कि अब कौन तैयार होकर जायेगा. वैसे भी लेट तो हो ही चुका हूं इसलिए आज छुट्टी ही कर लेता हूं.


मैंने ऑफिस में कॉल करके बोल दिया कि तबीयत खराब है और मैं आज नहीं आ पाऊँगा.


फिर मुझे भूख भी लगने लगी थी. मैंने चाय नाश्ता बनाकर खाया. उसके बाद किरायेदारों को देखा तो वो सब भी जॉब पर जा चुके थे.


घर पर मैं अकेला था और वो किरायेदार का लड़का था. मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि उसके मां पापा दोनों नौकरी करते हैं और उसकी बहन शिफ़ा कोचिंग क्लास गयी हुई है.


अब मेरे मन में लड्डू फूटने लगे कि आज तो बात बन ही जाएगी.


मैं शिफ़ा का इंतजार करने लगा और ठीक 1 बजे वो घर आई. उसके भाई का उस वक्त ट्यूशन होता था.


जब वो जाने लगा तो मैंने टोक कर पूछा. वो बोला कि वो दो घंटे के बाद आयेगा.


शिफ़ा को शायद पता नहीं था कि मैं आज घर पर ही हूँ. मैं चुपके से शिफ़ा के रूम में गया. वो वहां पर नहीं थी.


फिर मुझे ध्यान आया कि कहीं नहाने तो नहीं गयी है? दरअसल हम लोगों का बाथरूम कॉमन ही था जो ऊपर वाली मंजिल पर बना था. मैंने ऊपर जाकर देखा तो वो नहाने गयी हुई थी.


उसके कपड़े बाथरूम के दरवाजे पर टंगे हुए थे. मुझे एक शरारत सूझी. मैं पास पहुंचा तो जोर से पानी गिरने की आवाज हो रही थी. दरवाजा चौखट में फंसा हुआ था इसलिए दरवाजे के ऊपरी हिस्से में गैप रह जाता था.


धीरे से मैंने खींचते हुए उसके कपड़े और तौलिया दरवाजे से उतार लिये और वहीं छुप गया. जब वो नहाकर कपड़े देखने लगी तो वो यहां वहां हाथ मारने लगी.


उसको कपड़े नहीं मिले.


फिर मैं दरवाजे के पास अनजान बनकर गया और खटखटा कर बोला- कौन है अंदर? मुझे भी नहाना है.


वो बोली- मैं हूं सागर. मैंने भोले स्वर में कहा- ओह शिफ़ा? वो बोली- हां, मेरे कपड़े कहीं गिर गये हैं. देखो तो आसपास.


मैं बोला- यहां तो नहीं दिख रहे. तुम खुद आकर देख लो. वो बोली- मैं नहीं आ सकती. तुम मुझे मेरे कपड़े लाकर दे सकते हो क्या?


मैं बोला- मेरे पास मेरा तौलिया है. अगर तुम्हें दिक्कत न हो तो ले लो. वो बोली- ठीक है, दो.


मैंने कहा- दरवाजा तो खोलो? वो बोली- खोल रही हूं, रुको.


वो दरवाजे को खींचने लगी लेकिन दरवाजा चौखट में फंस गया. वो बोली- बाहर से थोड़ा धक्का दो. नहीं खुल रहा है. मैंने एक जोर का धक्का मारा और दरवाजा जोर से खुला.


शिफ़ा दरवाजे के धक्के के साथ पीछे गयी और दीवार से जा लगी. सामने का नजारा देखकर मेरी आंखें फटी रह गयीं. वो पूरी नंगी थी और उसका गोरा बदन भीगा हुआ था. उसकी चूचियां एकदम अमरूद के जैसी बिल्कुल टाइट थी और उसकी चूत पर हल्के भीगे बाल थे.


देखते ही मैं तो आंखें फाड़कर वहीं खड़ा हो गया. वो थोड़ा संभली और अपनी चूचियों और चूत को हाथ से छिपाने लगी. फिर वो चिल्लायी- क्या कर रहे हो? दिख नहीं रहा मैंने कपड़े नहीं पहने. जल्दी से तौलिया दो.


मैं अभी भी उसकी चूत को देखे जा रहा था. फिर वो दूसरी ओर घूम गयी और अपने चूतड़ मेरी तरफ करके अपने दोनों हाथों से उसने चूचियों को छिपा लिया.


उसके चूतड़ भी भीगे थे और बहुत प्यारे लग रहे थे. मन कर रहा था अभी जोर दे दबा दूं और लंड लगा दूं इनमें.


धीरे से मैंने उसके पास गया तो वो थोड़ी घबरा गयी.


मैंने हाथ बढ़ाकर उसको तौलिया पकड़ा लिया. उसने झट से तौलिया लिया और अपने धड़ पर लपेट लिया.


मैं तब भी बेशर्मों की तरह खड़ा रहा तो वो बोली- बाहर जाओ अब. तो मैं बोला- मुझे नहाना है.


अब मेरे अंदर हवस भर चुकी थी. मैं अब कुछ भी कर गुजरने को तैयार था. उसकी नंगी जवानी ने मेरी सोचने की शक्ति खत्म कर दी थी.


वो बोली- जाओ प्लीज. मैं बोला- तुम जाओ. मुझे तो नहाना है. फिर मैं उसके पास गया और पीछे से उससे चिपट गया.


शिफ़ा- क्या कर रहे हो, पागल हो गये हो क्या? किसी ने देख लिया तो? छोड़ो मुझे.


मैंने कहा- हां जान, पागल तो उसी दिन हो गया था जिस दिन तुमने मुझे मेरा लंड हिलाते हुए देख लिया था.


वो बोली- गलती से हो गया था. अब जाने दो मुझे. मैंने उसकी गर्दन को चूमते हुए कहा- नहीं, वो गलती दोबारा कर दो ना यार … बहुत मन कर रहा है. वो बोली- नहीं, जाने दो मुझे.


मैंने आगे हाथ ले जाकर तौलिया के ऊपर से उसकी चूचियों को पकड़ लिया और दबाते हुए उसकी गांड पर लंड लगाने लगा. वो छुड़ाने लगी तो मैंने उसकी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया.


उसको मैंने कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया ताकि वो छूट न पाये. वो बोली- छोड़ो सागर, कोई देख लेगा. मैंने दरवाजा एक हाथ से ढालते हुए कहा- कोई नहीं देखेगा. बस अब तो मैंने तुम्हें देखना चाहता हूं.


मैंने उसको अपनी ओर घुमा लिया. उसकी नजर नीचे झुक गयी लेकिन नीचे मेरे अंडरवियर में मेरा सांप फनफना रहा था. उसने मेरे खड़े लंड को देख लिया और फिर से नजर ऊपर कर ली.


अब मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. मैंने उसे गले लगा लिया.


पहले तो वो विरोध करने लगी फिर शायद हम दोनों का नंगा बदन एक दूसरे को अच्छा लगने लगा तो उसने विरोध त्याग दिया.


दो मिनट के बाद वो भी मुझसे कसकर चिपक गई और मैं उसे वहीं किस करने लगा और वो गर्म होने लगी. फिर मैंने उसे उठाया और अपने कमरे में ले गया और बेड पर लेटा दिया.


अब वो ज़्यादा शर्मा रही थी और मैं उसे किस करने में लगा रहा. उसका गीला बदन मैं ऊपर से नीचे तक चूमने लगा और अब वो सिसकारने लगी- आह्ह … सागर .. नहीं … आह्ह … अम्म … कोई आ गया तो … तुम अभी रहने दो ना प्लीज!


अब मुझे और जोश आने लगा क्यूंकि पहली बार किसी लड़की को नंगी देखा था और पहली बार उसे चूम-चाट रहा था. बड़ा ही अद्भुत अहसास हो रहा था.


अब मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया और उसकी चूत को देखने लगा. उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसने अपने दोनों हाथों से अपनी आँखों को ढक लिया.


उसकी सांवली चूत और अंदर गुलाबी रंग मुझे और ज़्यादा उकसाने लगा. मेरे मुंह में पानी आने लगा. मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई तो उसकी सिसकारी निकल गयी- आह्ह … आआआह्ह … नहीं.


मैं उसकी चूत में जीभ से चाटने लगा. उसकी चूत का स्वाद बड़ा मनमोहक लग रहा था, जैसे दुनिया के सारे पकवान एक तरफ और उसकी चूत का स्वाद एक तरफ.


अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था; मैंने भी अपना लंड उसके मुँह के सामने कर दिया ताकि वो भी मेरा लंड चूस सके. मगर वो मना करने लगी. फिर मैंने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया.


अब मुझे बस उसकी प्यारी सी चूत को चोद कर अपनी बनाना था. अब वो घबरा रही थी क्यूंकि उसने बताया कि उसने आज तक ये सब कभी नहीं किया.


वो डर रही थी और चुदने के लिए मना कर रही थी. मैंने उसे समझाया कि मेरा भी पहली बार है, आराम से करूँगा. तब जाकर वो मानी.


फिर मैं जल्दी से सरसों का तेल लाया और अच्छी तरह से उसकी चूत पर लगाया. चूत को तेल में चिकनी करने के बाद मैंने अपने लंड को भी तेल में सराबोर कर दिया.


अब मैं फिर से बेड पर आया और उसकी दोनों टांगें अपने कंधों पर रखीं और लंड को उसकी चूत के द्वार पर सटा दिया.


चूत का छेद टाइट था. मैंने लंड को हल्का धक्का दिया तो वो सी सी … करने लगी. मगर लंड अंदर नहीं गया.


अब मैं सोचने लगा कि कैसे क्या करूं. कहीं इसकी चूत फट गयी तो लेने के देने न पड़ जायें.


फिर मैंने धीरे से उसकी चूत में उंगली की. वो थोड़ी उचकी और फिर सिसकारने लगी. मैंने आधी उंगली उसकी चूत में धीरे धीरे चलायी.


कुछ देर बाद उसको अच्छा लगने लगा.


जब वो थोड़ी चुदासी हो गयी तो मैंने दोबारा से अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर लगाया. मैंने हल्का धक्का दिया तो मेरा लंड 2 इंच तक उसकी चूत में घुस गया.


शिफ़ा दर्द से चिल्लाने लगी और मुझे हटाने लगी. मगर मैंने भी उसे अच्छे से पकड़ रखा था और वो रोने लगी. मैंने उसे समझाया कि पहली बार में दर्द तो होता ही है.


फिर मैं उसे किस करने लगा और उसकी चूचियों को चूसने और सहलाने लगा जिससे थोड़ी देर में वो शांत हो गई; उसका दर्द भी कम हो गया.


जैसे ही वो नॉर्मल हुई मैंने एक जोरदार झटका दिया और लंड 4 इंच तक अंदर चला गया.


अब वो रोने लगी और चिल्लाने लगी- उई माँ … आआ … आह्ह … ऊईई … नो हह्ह … मर गई. उसकी आंखों से आंसू आने लगे. मगर मैं रुकना नहीं चाहता था. मुझे आज उसकी अच्छे से चुदाई करनी थी, सो मैं ऐसे ही रुक कर उसे फिर से चूमने लगा और चूचियों को सहलाने लगा.


वो लगातार दर्द से कराह रही थी. मैंने जब नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल कर बेड शीट पर बह रहा था और मेरा लंड भी लाल हो चुका था. उसकी चूत के खून से मेरा लंड भी सन गया था.


मगर मैंने उसको खून निकलने के बारे में नहीं बताया. अगर बता देता तो वो मुझे चोदने नहीं देती.


फिर 10 मिनट के बाद वो जब नॉर्मल हुई तो मैंने उसको आखिरी झटका दिया. मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया.


शिफ़ा शायद इसके लिए तैयार नहीं थी और उसकी अब तक की सबसे तेज चीख निकली. वो तो अच्छा है कि मैंने म्यूज़िक चला रखा था, नहीं तो उसकी चीख सुन कर पड़ोसी आ सकते थे.


अब मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसे प्यार करने लगा; उसे चूमने और चाटने लगा.


वो लगातार रोए जा रही थी; शायद दर्द ज़्यादा तेज हो रहा था.


15 मिनट तक मैं उसे ऐसे ही प्यार करता रहा तब जाकर वो थोड़ा शांत हुई. अब मैं हल्के हल्के धक्के से लंड अंदर बाहर करने लगा और अब शिफ़ा को दर्द कम हो रहा था.


अब बारी थी मज़े लेने की. अब उसे भी मज़ा आने लगा था क्यूंकि अब वो रो नहीं रही थी. वो मुझे कसकर पकड़ रही थी और नीचे से हल्के हल्के झटके भी लगा रही थी.


मैंने अब अपने झटके तेज करने शुरू कर दिये. वो अब मज़े लेने लगी. अब उसका दर्द सिसकारियों मे बदल चुका था.


लगभग अब तक हमें काफी वक्त हो चुका था और अब मैं अपने चरम सुख की ओर बढ़ रहा था.


अब मैं तेजी से उसे चोदने लगा. हम दोनों के मुंह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं ‘आह्ह … आईई … आह्ह … आह … ओह्ह … यस … उम्म … आह्ह …’ करते हुए हम दोनों ही चुदाई का पूरा मजा ले रहे थे.


फिर अगले 5 मिनट बाद मैंने अपना सारा लावा उसकी चूत में भर दिया. हम दोनों बहुत जोर से हांफ रहे थे.


शिफ़ा भी जैसे किसी तूफान से बचकर आई हो ऐसी हालत में थी. शिफ़ा के मुँह पर भी चरम सुख के भाव थे.


हम दोनों आधे घंटे तक ऐसे ही नंगे पड़े रहे.


जैसे ही शिफ़ा को होश आया वो उठी. फिर जैसे ही उसकी नज़र अपनी चूत पर पड़ी और बेड शीट पर खून पड़ा दिखाई दिया तो वो रोने लगी.


मेरी आँख खुल गई तो वो बोली- तुमने मेरी चूत फाड़ दी. अब मैं क्या करूँगी. कुछ हो जाएगा तो? अब मैंने उसे समझाया कि पहली बार में खून निकलता ही है. घबरा मत.


फिर वो उठकर अपने रूम की ओर जाने लगी. जैसे ही वो अपने कमरे में जाने लगी तो उसे चला नहीं जा रहा था. उसे बहुत दर्द हो रहा था तो मैंने उसकी मदद की.


मैंने पानी गर्म करके उसकी चूत की सफाई की और सिकाई की. तब जाकर उसे थोड़ा आराम आया. मैंने उसको दर्द की दवाई भी लाकर दी.


उसे मेरा इस तरह से उसका यूं खयाल रखना अच्छा लगा. उसने मुझे आई लव यू कहा और मैंने भी उसे आई लव यू टू कह दिया.


उसके बाद वो मेरी दीवानी हो गई और हमने उसके बाद कई बार चुदाई की. हर पोज़ में मैंने उसको चोदा. उसकी चूत को टांग उठवा उठवाकर मारा.


घर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं बचा जहां हमने चुदाई ना की हो.


कुछ समय बाद हमने प्लान बनाया हनीमून मनाने का और वो भी मंसूरी का। वहाँ हमने हनीमून पर कैसे मज़े किये वो मैं अगली कहानी में बताऊंगा.


इस कहानी को पढ़कर आपको कितना मजा आया मुझे इसके बारे में जरूर लिखना. फिर मैं अपने हनीमून की कहानी आपको बताऊंगा.


इस तरह जवान किरायेदारनी लड़की की चूत चुदाई करके मैंने अपनी पहली चुदाई की शुरूआत की.


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