गर्लफ्रेंड से रंडी बनकर चुत चुदवाने का सफ़र

सीमा हार्ड

14-11-2021

311,961

माय सेक्स लाइफ स्टोरी में पढ़ें कि मैं शरीफ लड़की एक लड़के के चंगुल में कैसे फंसी और उसने कैसे मुझे बर्बाद कर दिया. मेरे जीवन में क्या हुआ?


यह कहानी सुनकर मजा लीजिये.


सभी लोगों को मेरा नमस्कार. हां मैं डर रही हूँ … बहुत कुछ लिखना चाहती हूँ, बहुत कुछ बोलना चाहती हूँ … पर समझ नहीं आ रहा है कि कैसे क्या कहूँ और किससे बोलूं.


ये मेरी पहली सेक्स कहानी … माय सेक्स लाइफ स्टोरी है और इसमें मैंने अपनी हक़ीक़त बयान की है. सेक्स का पार्ट नाम मात्र के लिए ही रखा है.


लेकिन मेरा वादा है कि अगली हक़ीक़त में मैं आपको वो बातें खुल कर बताऊंगी, जो आप सुनना चाहते हैं और अहसास करना चाहते हैं.


मेरा नाम सीमा है. मेरी उम्र 23 साल है और मैं साधारण सी दिखने वाली एक लड़की हूँ. शरीर ठीक-ठाक है और मेरी लंबाई भी ठीक-ठाक ही है.


मैं सीधे उस बात पर आती हूँ, जो आज से 4 साल पहले की है.


मैंने नया नया कॉलेज जाना शुरू किया था. मुझे दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला था.


मैं बहुत खुश थी. मम्मी-पापा भी बहुत खुश थे.


मैं सीए बनना चाहती थी. पढ़ाई में होनहार थी, तो सबको मुझपर भरोसा भी था.


मैं बुलंदशहर जैसे छोटे नगर से दिल्ली आई थी. यहां सब अच्छा लग रहा था. यहां पर आकर ऐसा लग रहा था मानो दुनिया चल नहीं रही है, भाग रही है.


मैं दिल्ली में 3 लड़कियों के साथ एक रूम किराए पर लेकर रहती थी. पढ़ाई में मैंने अपना सब कुछ लगा दिया था जिस कारण से मैंने फर्स्ट ईयर में टॉप मारा था. मेरी इस सफलता से सब लोग बहुत खुश थे.


ज़िन्दगी अच्छी चल रही थी, फिर जो मेरे साथ हुआ … वो चर्चा आपके सामने लिख रही हूँ.


उस लड़के का नाम संजय था. वो मेरा रोज़ पीछा करता था. पर मैंने उसे कभी देखा ही नहीं था.


एक बार शाम को मैं रूम के बाहर ऐसे ही टहलने के लिए निकल गयी और उसी समय एक कार ने मुझे पीछे से टक्कर मार दी.


वो संजय की कार थी.


मैं गिर गयी और मेरे पैर में चोट लग गयी थी. मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी.


संजय बाहर निकल कर आया और आते ही उसने मुझे गोद में उठा लिया. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.


राह चलते लोग संजय को बुरा भला सुना रहे थे, कुछ तो उसे मारने भी आ रहे थे. वो सबसे बोल रहा था- मैं इसे हॉस्पिटल ले जा रहा हूँ, ये मेरी परिचित है.


कुछ समय बाद मैं उसकी गाड़ी में थी और कुछ नहीं बोल पा रही थी.


वो बार बार बस ये ही बोल रहा था- सीमा क्या तुम ठीक हो. हम थोड़ी देर में हॉस्पिटल पहुंच जाएंगे.


फिर जब मुझे होश आया तो मैं हॉस्पिटल में थी. मेरे सिर पर और पैर पर पट्टी बंधी हुई थी. संजय मेरे बराबर कुर्सी पर सो रहा था.


पर जैसे ही मैं उठने को हुई … तभी संजय जग गया.


संजय- कैसी हो सीमा, दर्द तो नहीं हो रहा है? मैं- कौन हो तुम और मेरा नाम कैसे जानते हो?


संजय- मेरा नाम संजय है और मैं तुम्हारे कॉलेज में ही पढ़ता हूँ. मैं- तुमने ही टक्कर मारी थी न मुझे?


संजय- सीमा, मैंने टक्कर नहीं मारी थी … गलती से मेरी गाड़ी तुमसे टकरा गई थी.


शायद वो सही बोल रहा था क्योंकि मैं कॉल पर थी और शायद कार का हॉर्न नहीं सुन पाई थी.


खैर … मैंने अपनी रूम की लड़कियों को कॉल की और उनके साथ घर चली गयी.


फिर एक हफ्ते के बाद मैंने कॉलेज जाना शुरू कर दिया.


कॉलेज में संजय मिला- अब दर्द कैसा है सीमा! अचानक से पता नहीं कब वो मेरे बराबर चलने लगा था, मुझे पता ही नहीं चला.


हर बात तो लिखूंगी नहीं क्योंकि आप भी बोर हो जाओगे और कहानी भी लंबी हो जाएगी. बस इतना लिख रही हूँ कि संजय का साथ जबसे मिला था तबसे मेरी जवानी की आग भड़क उठी थी और मुझे अपनी चुत के लिए मजबूत लंड की तलाश थी.


धीरे धीरे हम दोस्त बन गए और एक दूसरे के नंबर भी ले लिए. वो दोस्ती कब प्यार में बदल गयी, हम दोनों को पता ही नहीं चला.


फिर जब उसने मुझे अपने मां-बाप से मिलने चलने के लिए घर चलने के लिए बोला. तो मैं भी अपना परिवार भूल कर उसके साथ उसके घर चली गयी.


घर पहुंच कर उसने अपने मम्मी पापा को आवाज़ दी तो कोई जवाब नहीं मिला. मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी तो मैं चुपचाप सोफे पर बैठ गयी.


संजय ने कहा- मम्मी, शायद पड़ोस में गयी होंगी. थोड़ी देर में आ जाएंगी.


उसकी ज़ुबान में सादगी थी, जिसका जवाब मैंने हां में सर हिलाकर दे दिया.


पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था.


कब हमारे बीच किस शुरू हुआ और हम बिना कपड़ों के हो गए, मुझे पता ही नहीं चला.


मैंने शर्म से आंखें बंद कर रखी थीं पर अपने नीचे उसका लौड़ा महसूस कर सकती थी.


मेरे लिए उस वक़्त वो ब्रह्मांड का सबसे बड़ा लौड़ा था.


आधे घंटे तो मैंने खून की बूंदों से सनी हुई और दर्द से तड़पती हुई रोती रही, पर मुझे मेरे प्यार पर भरोसा था.


दो घंटे तक संजय ने हर तरह से मेरी चूत चोदी. इतनी चुदाई की कि खड़ा होना तो दूर की बात थी मैं लेटी हुई थी और मेरे पैर कांप रहे थे. पर मुझे अपने प्यार पर पूरा भरोसा था.


सेक्स करने के बाद उसने बताया कि उसके मम्मी पापा 5 दिन के लिए बाहर गए हैं. पर वो मुझसे प्यार करता है और हम शादी करेंगे. इसीलिए उसने मुझे नहीं बताया था कि वो घर में अकेला है. वैसे उसके साथ मुझे भी अच्छा लगने लगा था.


तीन दिन मैं उसके साथ उसके घर में रही और तीन दिन तक हम दोनों ने एक कपड़ा भी नहीं पहना. जहां हमारा मन किया, वहां हम दोनों ने खुल कर सेक्स किया.


मुझे संजय के लंड से चुत चुदवा कर बहुत मजा आने लगा था.


चौथे दिन वो बहुत परेशान था. मैंने उसे बांहों में लेते हुए पूछा- क्या हुआ संजय?


जवाब में उसका मुँह मेरे चुचों में घुस गया. वो कुछ नहीं बोला और रोने लगा.


मैंने थोड़ा घबराते हुए पूछा- तुम ठीक तो हो न … मुझे बताओ बात क्या है? उसने रोते हुए बताया- विनोद भैया ने सब कुछ देख लिया और रिकॉर्ड कर लिया.


‘कौन विनोद भैया? क्या देख लिया और क्या रिकॉर्ड कर लिया?’


इस बार थोड़ी घबराहट मेरी आवाज में भी थी, पर मैं दिखाना नहीं चाहती थी. क्योंकि अगर मैं दिखा देती कि मैं भी डर रही हूँ, तो मेरा संजू (संजय को प्यार से मैं संजू बोलती थी) भी डर जाता.


‘विनोद भैया मेरे बड़े भैया हैं. उन्होंने CCTV से सब देख भी लिया और रिकॉर्ड भी कर लिया है. अब वो बोल रहे हैं कि सबको बता दूंगा कि मेरे पीठ पीछे तू घर में रंडी लाया है और कॉलेज भी नहीं जा रहा. पूरे दिन नंगा घूमता है और रंडी चोदता है.’


संजय ने एक सांस में सब बोल दिया.


रंडी … हां रंडी तो बन चुकी थी मैं … कहां कहां चुदाई नहीं की हमने? एक कोना भी नहीं छोड़ा था.


मैंने घबराते हुए पूछा- अब क्या होगा संजू? संजय- वो बोल रहे हैं कि एक बार अगर तुम उसके साथ सेक्स कर लोगी, तो वो किसी से कुछ नहीं बोलेंगे. नहीं तो सबको दिखा देंगे कि मेरा लंड छोटा सा है और हम दोनों को बदनाम करेंगे.


ये बोल कर संजय तेज़ तेज़ रोने लगा.


मैं सोचने लगी कि छोटा सा … मेरी तो इससे जान ही निकल जाती है … और इसे अपना लंड छोटा सा लग रहा है! फिर भी मेरी चुत को अब बड़े लंड को देखने और उससे चुदने की ललक हो उठी थी.


मैंने हिम्मत बांध कर बोल दिया- तुम चुप हो जाओ और तुम अपना ख्याल रखो. मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी. जेठ जी से बोलो कि जो करना है, मेरे साथ कर लें, पर तुम्हें कुछ नहीं होना चाहिए.


अगले दिन संजय के भैया भी आ गए. संजू बाहर रो रहा था और वो मुझे अन्दर कमरे में ले गए.


मैंने देखा कि संजू ठीक बोल रहा था कि उसका लंड छोटा सा है. भैया का लंड तो मेरी दोनों मुट्ठियों में भी नहीं आ रहा था.


पर संजू को कुछ न हो इसीलिए मेरी सांस रुकने तक मैंने पूरा लंड मुँह में ले लिया.


सच में बड़े लंड को अपनी चुत में लेने के लिए मैं इतनी ज्यादा व्याकुल हो गई थी कि संजय के भाई का लंड भी मुझे चुत में लेने का मन बन गया था.


फिर जब संजय के भाई का बड़ा लंड मेरी चुत में गया, तो मेरी छाती फटने को हो गयी थी. पर मैंने तब भी उफ्फ भी नहीं किया.


उन्होंने 4 घंटे तक मेरी चूत भी चोदी और गांड भी मारी. मैं मस्त हो गई थी. संजय के भाई से चुद कर मुझे बहुत मजा आया था.


हालांकि मैं लगभग बेहोश हो गई थी पर उन्हें मुझे चोदने में जरा भी थकान नहीं हुई.


वो एक मजबूत मर्द साबित हुए और मुझे उनसे चुदने में बहुत मजा आया.


फिर शाम को उन्होंने अपने दो दोस्त और बुला लिए और रात भर उन तीनों ने मेरे हर छेद को भरा. एक मेरी चूत मारता और दूसरा गांड, जबकि तीसरा मेरे हलक तक लंड डाल रहा था.


मुझे मजा भी आ रहा था और मेरी आंखों में आंसू भी थे. मैं रोना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी. पर उनकी बात नहीं मानती, तो संजू की बदनामी होती.


फिर मैंने चुदाई का मजा लेना शुरू कर दिया. चुदते चुदते मैं कब सो गई, मुझे पता भी नहीं चला.


जब सुबह आंख खुली तो संजू मुझे चोद रहा था. मैं उससे बोली- मैंने बोला था न मैं सब ठीक कर दूंगी. अब तो कोई दिक्कत नहीं है ना. सब चले गए न. अब हम भी शादी करके खुश रहेंगे.


मुझे बहुत तेज़ बुखार हो चुका था.


मैंने आधी आंखें खोल कर संजू से ये अभी बोला ही था कि वो आवाज मेरे कानों में सुनाई दी, जो मैंने सोची ही न थी.


‘बहन की लौड़ी … क्या मैं रंडी से शादी करूंगा … साली तू धंधे वाली है तो औकात में रह मां की लौड़ी.’


संजू ने एकदम से तेवर बदल दिए थे.


मैंने तब भी संजू को समझाया- पर संजू, मैंने तो सब कुछ तुम्हें बचाने के लिए किया था! ‘अब रंडियां मुझे बचाएंगी क्या? सुन मेरी बात … तेरा एक्सीडेंट मैंने जानबूझ कर किया था, जिससे तेरी मदद करके तुझसे नज़दीकी बढ़ जाए. मेरा कोई भाई भी नहीं है. बस तू कुछ गज़ब की माल है तो मैंने बोला था कि सबको तेरी चूत दिखा दूंगा. हमारी चुदाई जब इन लोगों ने देखी, तो ये भी तेरी चूत के दीवाने हो गए और इनको चूत दिलवाने के लिए मैंने ये सब ड्रामा किया था.’


संजय अपना लंड मेरी गांड में डाल कर बोलता रहा.


मुझे संजय से नफरत हो गयी थी.


मैंने उसे धक्का देकर पीछे किया. बुखार से मुझे बेहोशी हो रही थी पर उस हालत में ही मैं अपने कपड़े ढूंढ रही थी.


‘कपड़े ढूंढ रही है क्या मेरी रांड? जब तक मेरा लंड शांत नहीं करेगी, तब तक कपड़े नहीं मिलेंगे.’ उसने मेरा मज़ाक उड़ाते हुए बोला.


मैंने भी तेवर बदलते हुए कहा- सुन बे भड़वे … मादरचोद छोटे लंड का सैंपल … अपना लंड अपनी मां बहनों की गांड में पेल कर मजा लेना कुत्ते. मैं रंडी हूँ न … तो रंडी को किससे शर्म? अब देखना तू … तुझे रंडी की परिभाषा समझ आएगी.


मेरे बदले स्वर से संजय की गांड फट गई.


वो उस कमरे से निकल कर भाग गया.


फिर मैंने उसकी जो एक शर्ट रखी थी, उससे अपने शरीर को ढक लिया और बाहर चल दी. मेरे पास पैसे भी नहीं थे और दुनिया वाले भी गंदी नज़र से देख रहे थे. मगर मुझे किसी की परवाह नहीं थी.


एक ऑटो वाले ने मुझे घर तक छोड़ा पर उसने भी एक बार मेरी चूत मारी.


मैं 3 दिन तक बुखार में रही. मैंने अपना इलाज करवाया. फिर मैंने रंडी बन कर उससे बदला लेने की सोची.


अब मैं प्रोफेशनल रंडी तो बन गयी पर उसने अपना रूम और नंबर बदल लिया था जिसकी वजह से मैं कभी उससे बदला नहीं ले पाई.


फिर मैंने सब भूल कर नौकरी करने की सोची.


एक आदमी मेरा सेठ बन गया था जो हर दूसरे दिन मेरे पास आता था.


उसने मेरी जॉब अपने आफिस में लगवा दी.


वहां लड़कों को फांस कर उन्हें जिगोलो/प्लेबॉय का रजिस्ट्रेशन करवाने लगी थी. उन्हें अमीर लड़कियों से सेक्स करवाने का लालच देना होता था.


इस तरह से अब मैं सेठ की पर्सनल रांड बन चुकी थी.


मैंने अपने परिवार से सम्पर्क खत्म कर दिया था. सेठ के पास मुझे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के सुख मिलने लगे थे.


आज मैंने पैसे भी कमा लिए है और हुस्न भी! फिर भी पता नहीं क्यों मुझे आज भी संजू की तलाश है.


आप इसे मेरी पहली सेक्स कहानी कहें या जीवन की सच्चाई कहें. मगर जो भी मैंने लिखा है, एक एक शब्द सच लिखा है. माय सेक्स लाइफ स्टोरी में आपको कोई गलती दिखे, तो प्लीज़ आप अपनी रांड समझ कर माफ कर देना. धन्यवाद.


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