मेरी कुंवारी गांड का मुहूर्त

परवीन खान

14-11-2023

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फर्स्ट एनल फक मेरे साथ किया मेरी बुआ के बेटे ने! मैं चिकना गोरा लौंडा सा लड़का था और वह मुझसे बड़ा था. उसने कैसे मेरी गांड मारी पहली बार!


दोस्तो, मेरा रंग गेहुंआ कद 5 फुट 10 इंच का है. शरीर पतला और गांड गोल है, बिल्कुल लड़कियों के जैसी. ऐसी मस्त गांड, जो किसी भी मर्द को उत्तेजित कर सकती है.


यह फर्स्ट एनल फक की बात कुछ साल पहले की है. उस समय मुझे सेक्स करना नहीं आता था.


गर्मी का मौसम था और स्कूल की छुट्टियां चल रही थीं. उस समय मेरी छोटी बुआ का बीच वाला लड़का दीपू हमारे यहां आया हुआ था. वह उम्र में मुझसे कुछ साल बड़ा था.


एक दिन घर में कोई नहीं था. मैं और दीपू खेल रहे थे.


घर वाले बाहर गए हुए थे और हम दोनों अकेले थे. खेल खेल में दीपू बार बार मेरे ऊपर गिर रहा था और वह मेरी गांड मारने की फिराक में था.


इसलिए वह मुझे कमरे में ले गया और बोला- यहां खेलते हैं. हम दोनों फिर से खेलने लगे और दीपू खेल खेल में मेरे ऊपर चढ़कर झटके दे रहा था.


ऐसा करने से उसका लंड खड़ा हो गया था जो अब मुझे अपनी गांड पर चुभता सा महसूस हो रहा था. मुझे न जाने क्यों खुद भी उसका लंड अपनी गांड में बड़ी लज्जत दे रहा था.


मैं अपनी टांगें फैला कर उससे धींगा मुश्ती कर रहा था और उसके लौड़े को अपनी दोनों टांगों के बीच में लेकर उसके खड़े लंड को दबोच सा रहा था.


वह भी अपनी कमर को आगे पीछे चलाते हुए अपने लौड़े को मेरी गांड से रगड़ रहा था और मुझसे अपने दोनों हाथों से दबोचे हुए था.


उसके दोनों मेरी छाती को भींच कर मेरे दूध मसल रहे थे. उससे मेरी सांसें एकदम से तेज होने लगी थीं और ऐसा लग रहा था कि दीपू मुझे कुचल कर रख दे.


कुछ देर बाद दीपू ने मुझसे कहा- तुम्हें एक काम सिखाऊं? तो मैंने कहा- क्या काम?


उसने कहा- एक ऐसा काम, जो तुझे जिंदगी भर मजा देगा और तू चाहेगा तो पैसे भी कमा सकता है.


मैं उसकी लच्छेदार बातों से बड़ा प्रभावित हुआ और मुझे लगने लगा कि दीपू से जल्द से जल्द ये काम सीख लेना चाहिए. फिर चाहे मुझे इसके लिए उसे कुछ देना ही क्यों न पड़े.


मैंने कहा- हां मुझे वह काम सीखना है. पर उसमें कोई खतरा तो नहीं है न? वह बोला- अरे खतरा बतरा कुछ नहीं है. मैंने कहा न कि तुझे उस काम को करने में मजा ही आएगा.


मैंने कहा- और वह क्या काम है? वह बोला- मैं तुम्हें चोदना सिखा सकता हूँ.


मैंने कहा- वह कैसे होता है? तो दीपू ने कहा- मैं जैसा कहूँ, तुम्हें वैसा ही करते जाना है. मैंने कहा- ठीक है.


वह बोला- तुम अपनी पैन्ट उतार दो. तो मैंने वैसा ही किया.


उस समय में मैं पैंट के नीचे चड्डी नहीं पहनता था. मैं नीचे से कमर तक पूरा नंगा हो गया था.


मेरी गांड पर कोई भी बाल नहीं था क्योंकि मैं बिल्कुल चिकनी चमेली था.


अब दीपू ने भी अपनी पैन्ट उतार दी और मेरे पास आकर बैठ गया.


फिर वह मुझे सहलाने लगा. उसके हाथ लगते ही मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया था.


उसने मेरी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया था और वह मेरी दोनों टांगों के जोड़ तक अपने हाथ को ले जा रहा था.


कुछ ही देर में उसके हाथ मेरे लंड से टच होने लगे थे और मेरे लंड में कुछ कुछ फुरफुरी सी होने लगी थी.


फिर दीपू ने मुझे अपनी बांहों में भरना शुरू कर दिया. उसके जिस्म की गर्मी से मुझे बेहद सुखद लग रहा था. मैं उसकी बांहों में सिमटता जा रहा था.


उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से रगड़ दिया और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. कुछ देर बाद उसने मुझे अपनी गिरफ्त से जरा ढील दी और अलग होकर मुझे देखने लगा.


फिर उसने चटाई बिछाकर उस पर मुझे लेटा दिया और मेरे बाजू में लेट गया. अब दीपू अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ने लगा.


उसका लंड कड़क होने लगा था. उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.


मेरे हाथ लगाने से उसका लंड और भी सख्त हो गया था.


करीब दस मिनट तक ऐसा करने के बाद उसने मुझे उल्टा लेटा दिया और धीरे धीरे से मेरी गांड सहलाने लगा.


कुछ मिनट तक ऐसा करने के बाद उसने मेरी गांड में थूक लगा दिया और अपने लंड पर भी थूक लगाया.


वह दोबारा से अपना लंड मेरी गांड में रगड़ने लगा. इस तरह से मेरी गांड में गुदगुदी सी होने लगी थी. मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ रहा था.


उसने धीरे से अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रख दिया और कहा कि शरीर बिल्कुल ढीला छोड़ दो. मैंने वैसा ही किया.


उस समय मैंने अपनी टांगों को खोल कर कुछ ऐसे कर लिया था कि उसका लंड मेरी टांगों में बने मेरी गांड के छेद से टच होकर अपनी गर्मी को गांड को लुपलुपाने लगा.


मैंने ‘उन्ह … उन्ह …’ कह कर अपनी गांड को उसके लंड से सटा दिया.


उसी वक्त दीपू ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. उसके लंड का टोपा अन्दर चला गया था और मेरी छोटी सी गांड की सील टूट गई थी.


मुझे हल्का सा दर्द महसूस हुआ तो मैंने कहा- ऐसा मत करो, दर्द हो रहा है. वह बोला- बस इतना ही दर्द होगा, अब और दर्द नहीं होगा.


मैंने उसकी बात मान ली. फिर दीपू ने अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया और मेरे ऊपर लेट गया.


पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर गया तो एक जलन सी हुई. मैंने चीखना चाहा मगर उसी वक्त दीपू ने अपना हाथ मेरे मुँह पर जमा दिया.


मेरा दर्द काफी तेज हो गया था. मुँह बंद होने से मैं चिल्ला भी नहीं पा रहा था.


कुछ देर वह अपने पूरे लंड को गांड में पेल कर रुक गया और मुझे सहलाने लगा.


मुझे मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था. मगर अब तक तो पूरा लंड मेरी गांड में जा चुका था. अब ज्यादा दर्द न होने का भी एक कारण था कि उसका लंड भी अभी छोटा ही था.


उस वक्त उसका लगभग 3.5 इंच लम्बा और एक इंच मोटा रहा होगा.


अब दीपू लगातार धीरे धीरे अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा था. कुछ देर बाद मेरा दर्द बिल्कुल खत्म हो गया था और मुझे भी अच्छा लगने लगा था.


लगभग 5 मिनट इस तरह चोदने के बाद दीपू ने अपनी रफ्तार तेज कर दी थी. कमरे में ट्पा टप टपा टप की आवाज सुनाई दे रही थी.


उसका लंड मेरी गांड में ऐसे हो रहा था जैसे कि कोई मशीन चल रही है.


ऐसे ही लगभग दस मिनट तक मेरी गांड चुदती रही. अब दीपू भी हांफने लगा था और हांफते हांफते उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाल लिया.


मैंने उसकी तरफ देखा तो वह बहुत खुश लग रहा था. अब तक उसका पानी निकल गया था.


उसने मेरी गांड को थोड़ा सा सहलाया और बोला- अब कपड़े पहन लो.


हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और कमरे से बाहर आ गए. अब हम दोनों चारपाई पर बैठ गए.


दीपू ने कहा- जो हमने अभी किया, ये किसी को मत बताना नहीं तो घर वाले हमें पीटेंगे.


मैंने कहा- ठीक है, लेकिन यह क्या होता है? तो उसने मुझे बताया कि इसे चोदना या गांड मारना कहते हैं.


उस दिन से बाद जब भी दीपू हमारे यहां आता था तो मुझे चोद कर ही जाता था. मौका मिलते ही मेरी गांड बजने लगती.


कुछ समय बाद वह अपने घर चला गया और सर्दी की छुट्टियों में दोबारा आया. सर्दी में सब अन्दर ही सोते थे.


मैं हमेशा से ही अपने दादा दादी के पास सोता था और दादा दादी मम्मी पापा से अलग रहते थे.


सर्दी के बिस्तर भी कम ही थे. कोई रिश्तेदार आता तो नया बिस्तर निकाल कर उसे देते थे बाकी बच्चे तो साथ में ही सो जाते थे.


उस टाइम भी मैं और दीपू साथ ही सोते थे. दीपू इस से पहले कई बार मुझे चोद चुका था.


अब कुछ महीनों बाद मेरी गांड फिर से चुदने वाली थी.


उस दिन रात को मैं और दीपू साथ सो रहे थे. रात को दीपू ने मुझे कुछ नहीं कहा और सो गया.


ऐसे रात बीत गई थी और सुबह होने वाली थी. सुबह के लगभग 5 बजे होंगे.


मैं सो रहा था. मुझे मेरी गांड पर कुछ महसूस हुआ. मैंने आंख खोली और रजाई में अन्दर देखा तो खुद को नीचे से नंगा पाया.


दीपू का लंड मेरी गांड पर रगड़ खा रहा था. उसने नींद में ही मेरा पायजामा नीचे खिसका दिया था.


वह मेरी गांड मारने के लिए तैयार था पर गांड मारने के लिए चिकनाहट पैदा करनी भी जरूरी थी.


दीपू ने रजाई से अपना सर बाहर निकाल कर इधर उधर देखा. उसे पास में ही सरसों के तेल की शीशी दिखाई दी, मगर वह उसकी पकड़ से दूर थी.


उसने मुझसे वह बोतल उठाने को कहा तो मैंने धीमे से उस शीशी को उठा लिया और दीपू को दे दी.


फिर दीपू ने मेरी गांड और अपने लंड पर सरसों का तेल लगा दिया और शीशी बंद करके मुझे दे दी. उसे मैंने वापस वहीं रख दी.


अब हम दोनों रजाई में घुस गए.


दीपू ने मेरी गांड पर अपना लंड सैट कर लिया. मैंने भी अपनी गांड बिल्कुल लंड से सटा कर रखी थी.


दीपू ने मुझे कमर से कसके पकड़ा और अपने लंड को मेरी गांड में ठूंस दिया.


एक बार तो मेरी जान ही निकल गई थी. उसने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख कर दबा दिया ताकि मेरी चीख बाहर न निकले.


मेरी आंख से आंसू निकलने लगे थे पर अब तक मैं भी हर दर्द सहन करना सीख गया था और गांड में भी खुजली होने लगी थी. मैंने अब दीपू से कुछ नहीं कहा.


वह धीरे धीरे से शुरू होकर अपना रफ्तार में आ गया. मुझे भी मज़ा आने लगा था.


मैं भी अपनी कमर हिला हिला कर उस का साथ देने लगा. ये सब देख कर वह खुश हो गया.


उसने बीस मिनट तक मेरी गांड पेलाई की ओर मेरी गांड में ही झड़ गया.


फिर हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए. मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के 6 बज चुके थे.


मम्मी ने चाय बना दी थी. वे आवाज लगा रही थीं.


हम दोनों उठे और मुँह हाथ धोकर चाय पीने लगे.


इस बार दीपू 5 दिन यहां रुका और रोज मेरी गांड मारी. मुझे भी अब मजा आने लगा था.


दोस्तो, आपको मेरी फर्स्ट एनल फक गांड चुदाई की कहानी कैसी लगी? पसंद आई होगी. बताना जरूर.


इसके आगे मेरी और भी बहुत सी एनल फक सेक्स कहानियां हैं जो मैं एक एक करके लिखूंगा कि कैसे मैंने दीपू के बड़े भाई का लंड चूसा और कैसे बड़ी बुआ के छोटे लड़के से गांड मरवाई.


तब तक के लिए मेरी कोमल गांड का आप सभी के खड़े लंड पर प्यार. [email protected]


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