चार मर्दों ने मेरी हचक कर गांड मारी

प्रमोद लव

09-02-2022

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इस समलैंगिक गांड चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं गांड मरवा कर मजा देता लेता हूँ. एक बार चार शराबी मवालियों से मैंने गांडू बन कर मजा किस तरह से लिया.


नमस्ते दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं. मुझे अन्तर्वासना की सेक्स कहानियां पढ़ना बहुत अच्छा लगता है.


मैं मुंबई में रहने वाला 24 वर्ष समलैंगिक युवक हूं. आज मैं पहली बार समलैंगिक गांड चुदाई कहानी लिखने जा रहा हूं. कृपया कोई भूल चूक हो तो माफी चाहूँगा.


जैसा कि मैंने बताया कि मैं मुंबई में रहता हूं. मेरा नाम प्रमोद है. मेरी उम्र 24 वर्ष है. मेरा रंग सांवला है पर मेरी बॉडी बहुत ही आकर्षक है. मैं जिम जाता हूं और अपने शरीर के निचले हिस्से की ज्यादा से ज्यादा एक्सरसाइज करता हूं. ताकि मेरी जांघें और मेरी गांड भरी भरी सी दिखाई दें.


मैंने अपनी सेक्सी गांड दिखा कर ही कई लंड हासिल किए हैं.


मेरी हाईट 5.3 फुट है और बूब्स थोड़े भरे हुए हैं. मुझे देख कर शौकीन मिजाज के मर्द फिसल जाते हैं. मैं भी उनसे अपनी गांड मरवा कर पूरा मजा देता और लेता हूँ.


यह सेक्स कहानी तब की है जब मैं कॉल सेन्टर में काम करता था. उस वक़्त मेरी उम्र 22 साल थी.


जिस दिन मेरी इवनिंग शिफ्ट हुआ करती तो रात एक बजे मैं ऑफिस से निकलता था. घर पहुंचते पहुंचते मुझे दो बज जाते थे.


उस वक्त मुझे अपनी गांड में लंड की सख्त आवश्यकता होती थी. लेकिन इतनी रात में मेरी कभी हिम्मत नहीं होती थी कि किसी स्पॉट पर जाकर लौड़े पटाने की कोशिश करूं. मैं चुपचाप अपने घर जाकर सो जाता.


यह उस रात की बात है जब मैंने गलत कैब पकड़ ली थी. कैब के ड्राइवर ने मुझे मेरे घर से करीब आधा घंटा दूरी पर उतार दिया.


मैंने उसे बहुत समझाया कि प्लीज़ कुछ एक्स्ट्रा भी ले लेना पर मुझे घर तक छोड़ दो.


वो न एक्स्ट्रा पैसे लेने के मूड में था और न ही मेरी लेने के मूड में था. उसे दरअसल समय पर अपनी कैब जमा करने जाना था.


अब मजबूरी हो गई थी. मुझे आधे घंटे तक पैदल चलकर घर जाना था.


जब मैं कैब से उतरा, उस वक़्त रात के करीब दो बज चुके थे. मुझे थोड़ा थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि रास्ता पूरा सुनसान था.


थोड़ी दूर चलने पर एक मैदान आया. मैं वहां रुक गया.


मुझे पेशाब लगी थी. मैदान के एक कोने में मैं पेशाब करके आ ही रहा था, उसी वक़्त अचानक चार हट्टे-कट्टे जवां मर्द लड़के अन्दर आते दिखाई दिए. उनके हाथ में शराब की बोतलें थीं.


वे सब अन्दर आ गए. उन सबकी हाईट करीब 6 फीट की थी. सभी के सभी बॉडी बिल्डर दिख रहे थे.


चारों ने ट्रैक पैंट और टी-शर्ट पहनी हुई थी. उनके ट्रैक पैंट में से उनका लंड काफी आसानी से नापा जा सकता था. सबकी भरी हुई जांघें और मजबूत बाजुएं थीं.


मुझे उन चारों को देखकर ठरक सी चढ़ने लगी. मैं अपने होश संभालते हुए आगे बढ़ा और मैदान से बाहर निकाल कर अपने घर की ओर चल पड़ा.


अब मैं चल तो रहा था रास्ते पर लेकिन मेरा मन पूरी तरह से उसी मैदान में था.


मैं मन ही मन में सोच रहा था कि अगर उन चारों के लंड मुझे मिल जाएं तो मजा आ जाए.


पर मुझे डर भी था कि कहीं उन्होंने मुझे लूट लिया या लूटने के चक्कर में मुझे मारा पीटा तो मेरी हड्डी पसली एक हो जाएगी.


काफी देर के बाद आखिर मेरी ठरक मेरे डर पर हावी हो गई और मैं वापस मुड़ गया.


मैं अब मैदान की ओर चलने लगा.


करीब दस मिनट चलने के बाद मैं फिर से उसी जगह पर पहुंच गया.


वे चारों मैदान के एक कोने में बैठे हुए थे. सब के हाथ में एक एक शराब की बोतल थी. मजाक मजाक में सब एक दूसरे को गाली देकर बात कर रहे थे.


मैं मैदान के सामने जाकर रुक गया. उनकी मर्दाना आवाज सुनकर मैं और भी बेचैन हो रहा था.


मैं अन्दर को गया. तभी उनमें से एक ने कहा- माल है शायद. दूसरे ने कहा- अबे वो लौंडा है … क्या तुझे लौंडों में इंटरेस्ट है?


वो बोला- अबे क्या लौंडा और क्या लौंडिया … साला लंड पेलने के लिए छेद चाहिए. कोई लंड चूसने वाला भी मिल जाए तो मुझे वो भी चलेगा.


उनकी बातें सुन कर मुझे मजा आ रहा था. मैं अन्दर तक चलते हुए गया.


वो लोग आपस में ही बातें कर रहे थे. मुझे अब कोई तरकीब अपनानी थी.


लड़कियां जिस तरह दोनों हाथों से अपना घाघरा पकड़ कर चलती हैं, मैंने उसी तरह दोनों हाथों से अपनी पैंट पकड़ ली और ठुमकते हुए उनके सामने घूमने लगा.


उसी तरह मैंने पूरे ग्राउंड के दो चक्कर काट दिए मगर कोई बात बनती नजर नहीं आ रही थी.


अब मैं निराश होकर बाहर जाने लगा. तभी एक भारी भरकम आवाज आई- ओ दोस्त, जरा सुन ना!


मैंने मुड़ कर देखा. उनमें से एक लड़का खड़ा होकर मेरी तरफ देख रहा था. उसने मुझे अपने पास बुलाया. मैं उनके पास जाकर खड़ा हो गया.


उस लड़के ने पूछा- भाई इतनी रात में अकेले ऐसे क्यों घूम रहा है? मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऑफिस से घर जा रहा था.


मैं थोड़ा शर्माने की एक्टिंग करने लगा. उसने फिर कहा- क्या हो गया भाई?


मैं बस शर्माने के एक्टिंग ही किए जा रहा था. अब उसने अपने लंड पर से हाथ फेरा और पूछा- लेगा क्या? मैंने हां में सर हिलाया, तो चारों हंसने लगे.


अब वो लड़का बाकी तीनों की तरफ पीठ करके अपना लंड निकालकर खड़ा हो गया. करीब करीब सात इंच का मोटा सा लंड था और एकदम तनकर खड़ा हुआ था.


मैं घुटनों के बल बैठ गया. उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगा. उसका तीन इंच मोटा लंड मुँह में समा ही नहीं पा रहा था. मैं जितना हो पा रहा था, उतना लंड मुँह में ठूंसे जा रहा था. मैं लंड का भूखा तो था ही … बड़े चाव से उसका लंड चूसे जा रहा था.


उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और गर्दन ऊपर उठा ली. उसके मुँह से आह निकल गई.


वो अपना थोड़ा सा लंड मेरे मुँह में अन्दर करके आवाज निकालने लगा- स्स स्स स्स स्स … क्या मस्त मजा दे रहा है यार … आज तो तू हम सबसे पूरी रात चुदेगा!


अब जो बैठे थे, उनमें से एक उठा और कहा- खालिद भाई, मैं भी ज्वाइन कर लूं क्या? मतलब वो मर्द खालिद था जिसका मैं लंड चूस रहा था.


खालिद ने कहा- हां आ जाओ संतोष भाई, इसमें पूछना क्या है. अब तो पूरी रात का मज़ा है.


उसकी बात सुनकर संतोष भी करीब आ गया. उसने मुझे उठाकर कमर से झुका कर खड़ा कर दिया. मैं अभी भी खालिद का लंड चूस रहा है.


खालिद ने कहा- भाई इस रंडी को तो देख … मादरचोद लंड ही नहीं छोड़ रहा है.


संतोष ने मेरी पैंट का बटन खोला और पैंट को पैरों तक नीचे गिरा दिया. उसने मुझे उल्टा घुमा दिया. अब मेरा मुँह संतोष की तरफ और गांड खालिद की तरफ थी.


मैंने संतोष का लंड चूसना शुरू कर दिया. खालिद अब अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ रहा था.


संतोष का लंड काफी बड़ा और तीन इंच मोटा था. मेरे मुँह में आधा ही समा रहा था. मैं पूरा लंड चूसने की कोशिश कर रहा था.


इतने में खालिद ने मेरे दोनों चूतड़ कस कर दबा दिए. मैंने जैसे ही चीखने के लिए मुँह खोला, संतोष ने अपना लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया और मेरा मुँह चोदना शुरू कर दिया.


मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला ही था कि खालिद ने अपना हब्शी लंड मेरे गांड में उतार दिया. मैंने चीखने के लिए मुँह खोला तो संतोष ने अपना लंड और अन्दर घुसेड़ दिया.


मेरी परवाह किए बगैर दोनों मुझे आगे पीछे से चोदने लगे. मैं छटपटाने लगा.


तभी संतोष ने कहा- साले चुपचाप गांड मरा गांडू … यही चाहिए था ना तुझे!


मैं ये सुनकर थोड़ा शांत हुआ और सोचने लगा कि हां यही तो चाहिए था मुझे. फिर मैंने अपने आपको उनके हवाले कर दिया.


अब तक मेरा दर्द थोड़ा कम होने लगा था. दोनों के लंड पिस्टन की तरह मेरे अन्दर बाहर हो रहे थे. बिना मेरी हालत की सोचे, वो दोनों मुझे चोदे जा रहे थे.


अब मुझे मज़ा आने लगा था. दोनों ने अपनी ट्रैक पैंट जांघों तक नीचे सरका ली थी. मेरी शर्ट पैंट और जूते उतार कर अलग कर दिए थे.


अब मैंने सिर्फ बनियान और पांव में मोज़े पहने थे, बाकी मैं पूरा नंगा हो चुका था. ऐसा लग रहा था, जैसे पूरा वक़्त थम सा गया था.


मुझे ऐसा लग रहा था बस ये दो लंड और मैं … इतनी ही दुनिया बची थी.


करीब बीस मिनट तक दोनों ऐसे ही चोदते रहे. अचानक खालिद ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दो तीन झटके देकर मेरे गांड में ही अपना सारा गर्म वीर्य उतार दिया.


अब संतोष भी झड़ने वाला था. उसने अपना पूरा वीर्य मेरे मुँह में झाड़ दिया.


मुझे बहुत मस्त सी फीलिंग आ रही थी.


मैं सीधा खड़ा हुआ ही था कि इतने में बाकी दो जो बचे थे, उनमें से एक ने आवाज लगाई और कहा- इधर आ बे गांडू.


मैं होश में आया, तब ध्यान आया कि अभी और दो लंड बाकी हैं. वो दोनों जमीन पर टांग फैलाकर बैठ गए थे. उन्होंने उंगली से करीब आने का इशारा किया.


मैं उनके करीब आ गया और बारी बारी से दोनों के लंड चूसने लगा.


उनमें से एक का नाम अमित था और दूसरे का मानसिंह. दोनों के लंड ज्यादा बड़े नहीं थे लेकिन मोटे ज्यादा थे.


मानसिंह ने अपना शराब का आखिरी घूंट पिया और मुझे जमीन पर गिरा दिया.


मेरे गिरते ही उसने अपना करीब साढ़े छह इंच का कड़क मूसल लंड पूरा गांड में उतार दिया और चोदना शुरू कर दिया.


अमित मेरे मुँह के पास आया और घुटनों के बल बैठकर लंड मेरे मुँह में दे दिया.


मैं भी बेसब्र होकर उसका लंड चूसने लगा. मानसिंह के झटके बहुत तेज थे.


दोनों मुझे भूखे भेड़िए की तरह चोदे जा रहे थे. मैं भी मस्त हो चुका था. करीब दस मिनट चोदने के बाद मानसिंह ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे मुँह के पास लाकर हिलाने लगा.


तभी अमित ने भी मेरे मुँह से लंड निकाला. दोनों लगभग साथ ही मेरे मुँह पर झड़ गए.


मैं जमीन पर ही पड़ा रहा. उन्होंने अपनी ट्रैक पैंट पहनी और चारों मुझे पड़ा छोड़ कर चले गए.


मेरा चेहरा दोनों के वीर्य से सन चुका था. खुले आसमान के नीचे मैं सिर्फ बनियान पहने नंगा पड़ा हुआ था.


मेरा हाथ मेरे लंड पर गया. मैंने लंड हिलाया और दो ही मिनट में मैं झड़ गया.


मैंने अपने आपको साफ किया और कपड़े पहनकर अपने घर की ओर चल पड़ा.


अब लगभग साढ़े तीन बज चुके थे. मैं अपनी गांड सहलाते हुए उनकी याद करने लगा.


दोस्तो, आपको मेरी ये गांड चुदाई कहानी कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट करके बताएं, ताकि मैं अपनी और कहानियां आपके साथ शेयर कर सकूं. धन्यवाद. [email protected]


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