दो सहेलियों ने बॉयफ्रेंड बदल कर सेक्स किया

विपिन 10

05-09-2023

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GF स्वैप सेक्स कहानी में मेरी गर्लफ्रेंड की सहेली को मैंने अपने दोस्त के साथ सेट करवा दिया था. एक बार हम चारों सेक्स के लिए इकट्ठे हुए. पर कमरा एक ही था.


मैं आपका दोस्त विपिन लखनऊ में रहकर पढ़ाई भी करता हूँ और पार्ट टाइम जॉब भी करता हूँ. मेरी उम्र 26 साल है.


आपके लिए मैं दो कपल की आपस में अदला बदली की जबरदस्त चुदाई की कहानी लेकर आया हूँ.


यह सेक्स कहानी मेरे खास दोस्त अनुराग और मेरे बीच में हमारी गर्लफ्रेंड ज्योति और शालू की अदला बदली की चुदाई की कहानी है.


मैं और अनुराग दोनों बचपन के दोस्त हैं और साथ में लखनऊ आए थे. शालू और ज्योति भी दूसरे कस्बे से लखनऊ आई थीं और वे दोनों भी बचपन की सहेलियां हैं.


इस GF स्वैप सेक्स कहानी में हम चारों ने एक ही बिस्तर पर तीन दिन और चार रातें बिताई हैं.


मेरी जान ज्योति जब मेरा लंड चूस रही थी तो मेरे दोस्त अनुराग का लंड शालू चूस रही थी. पर ज्योति की नजर अनुराग के लंड पर थी.


उसी के बाद मुझे शालू की मस्त खिली हुई गुलाबी की पंखुड़ी जैसी चूत को मुँह में रख कर मज़े लेने का मौका मिला था. आइए ठंड की उन रातों में घटी चुदाई की कहानी को शुरू करते हैं.


यह बात नवंबर 2021 की है. उस वक्त मैं और अनुराग एक फ्लैट किराए पर लेकर साथ में रहते थे.


तीन महीने के बाद एक दिन हमारी गर्लफ्रेंड्स बाद हम लोगों से मिलने के लिए सुबह ही अपने घरों से निकल चुकी थीं. अपनी अपनी जान से मिलने की खुशी में हम दोनों सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गए थे और उन दोनों के आने का इंतजार करने लगे थे.


जिस फ्लैट में हम दोनों रहते थे, वह बिल्कुल इंडिपेंडेंट फ्लैट है. इसलिए इनके आने पर मकान मालिक से किसी बात की कोई दिक्कत नहीं थी. पूरे घर में सिर्फ हम दोनों ही रहते हैं.


फिर भी मैंने मकान मालिक को इनके आने की बात पहले ही बता दी थी. उनको भी इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी कि मेरी गर्लफ्रेंड्स तीन दिन रुकेंगी.


फाइनली ग्यारह बजे तक उनके पहुंचने से पहले मैं कमरे से निकल कर उन्हें लेने चला गया. उसी दौरान अनुराग नाश्ता लेने बाजार चला गया था.


मैं जब वहां पहुंचा, तो वहां वे दोनों मेरा इंतज़ार कर रही थीं. जैसे ही हमने एक दूसरे को देखा, ज्योति और शालू दोनों खुश हो गईं.


मेरी ज्योति डार्लिंग बला की खूबसूरत है. उसका हर एक अंग मक्खन जैसा नर्म, उसके होंठ मुँह में रखते ही कामरस में डूब जाओ.


शालू भी भरे हुए बदन की सांवली सी, लेकिन उसका चमकता हुआ बदन है. वह भी खूबसूरत बाला है. शालू को देखकर बस उसके चॉकलेट जैसे अंगों को चूसने और चाटने का मन होने लगा था.


यह मानव मन ही है जो अपनी मलाई सी मुलायम गर्ल फ्रेंड को छोड़ कर उसकी सहेली के हुस्न पर लार टपकाने लगा था. मेरी और अनुराग की बॉडी भी परफेक्ट है इसीलिए हम चारों बेस्ट कपल लगते हैं.


बस स्टैंड से हमारा फ्लैट ज्यादा दूर नहीं था. बातें करते हुए मैं उन दोनों को फ्लैट पर ले आया.


उधर अनुराग हमारा इंतजार कर रहा था.


सभी लोग बहुत खुश थे क्योंकि काफी दिनों बाद जो मिले थे.


फ्लैट में अन्दर पहुंचते ही मैंने ज्योति को अपने गले से लगा लिया. हमें गले मिलते देख कर और अनुराग ने शालू को हग कर लिया.


अपनी अपनी सैटिंग को हग करते ही हम दोनों को पूरे बदन में झुरझुरी सी महसूस होने लगी थी.


मैं अपनी जीएफ के उभरे हुए नितंबों को अपने हाथों से सहलाने लगा और उसके मम्मों को अपने सीने से रगड़ने लगा.


अब ज्योति भी मेरे लंड में हुए उभार को अपनी कमर पर महसूस करने लगी थी.


मैं ज्योति के गुलाबी होंठों को अपने होंठों से लगा कर चूसने लगा.


कुछ मिनट बाद ज्योति ने कहा- मैं थक गई हूँ. मुझे थोड़ा आराम करना है.


मेरे प्यारे दोस्तो, ज्योति और मैं 2016 से रिलेशन में हैं और बहुत चुदाई कर चुके हैं.


शालू और अनुराग को मैंने ही 2019 में मिलवाया था और शालू और अनुराग से सच्ची दोस्ती निभाई.


हम चारों बिस्तर पर आ गए.


लकड़ी के बेड पर दो लोगों के ही सोने की जगह थी मगर एक ही रूम होने की वजह से हम सभी को एक साथ ही लेटना था. इसी लिए बेड को साइड में करके हम दोनों ने बिस्तर को सुबह ही फर्श पर लगा लिया था. नीचे लेटने से थोड़ा ज्यादा जगह मिल गई थी.


उन दोनों के साथ किस करने और थोड़ी मस्ती करने के बाद हम दोनों ने ज्योति और शालू से नाश्ता करने के लिए कहा.


अनुराग बाजार से नाश्ता लेकर आया हुआ था. नाश्ते की बात सुनकर ज्योति और शालू ने कहा कि पहले कपड़े चेंज करके लेते हैं.


वे दोनों एक साथ लोअर और टी-शर्ट लेकर बाथरूम में चली गईं और उधर पहन कर बाहर आ गईं.


मैं और अनुराग उनका इंतजार कर रहे थे. हम सबने हंसी मजाक करते हुए नाश्ता किया और उसके बाद उन दोनों ने आराम करने की इच्छा जाहिर की.


हम दोनों ने कहा- हां लेट जाओ, हम दोनों भी काफी सुबह के उठे हैं तो हम भी आराम करने की ही सोच रहे थे.


नवंबर में ठंड शुरू हो चली थी तो हम लोग पंख को धीमा करके लेट गए थे. पंखा मच्छरों से बचने के लिए चलाना जरूरी लग रहा था.


ठंडक सी लगी तो अपना अपना ब्लैंकेट लेकर एक ही कंबल में अपनी अपनी सैटिंग के साथ बिस्तर पर लेट गए.


फिर ज्योति मेरे बगल में और शालू अनुराग के बगल में लेट गई. बिस्तर पर ज्यादा दूर दूर लेटने की जगह नहीं थी, तो सब लगभग चिपक कर ही लेट गए थे.


थोड़ी देर में मुझे और ज्योति को आवाज सुनाई दी. उस आवाज़ से ऐसा लग रहा था कि वे दोनों किस कर रहे हैं.


कमरे पर आने से पहले ज्योति ने मुझसे फोन पर कहा था- हम लोग दिन में अपने आप पर कंट्रोल करेंगे. सिर्फ बातें करेंगे. शाम को आगे का प्रोग्राम सैट करेंगे.


उस वक्त हमारी बातें फोन पर हो रही थीं तो मैंने हामी भर दी थी. पर जब दो जवान जिस्म रगड़ खाते हैं तो वासना की आग में लपटें निकलने लगती हैं और लंड चूत का काम स्वत: ही उठता चला जाता है.


दोस्तो, अब चुदाई की तरफ बढ़ने से पहले आपको मैं कुछ और बता देना चाहता हूँ.


ज्योति की वजह से शालू से भी मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी. हम सब लखनऊ में अक्सर मिलते रहते थे.


फिर कोरोना की वजह से दोनों लोगों को घर जाना पड़ गया था. इसी वजह से पिछले दो सालों में हम लोग सिर्फ दो बार ही मिल पाए थे.


अनुराग और शालू भी मिलने को तड़फ रहे थे.


आज हम चारों एक साथ बिस्तर साझा कर रहे थे. पक्की दोस्ती और काफी खुलापन होने से हमें एक साथ चुदाई करने में कोई दिक्कत भी नहीं होनी थी.


तो हुआ यूं कि मैं और ज्योति लेटे थे और एक दूसरे को मूक भाषा में सहलाते हुए चूमाचाटी करते हुए प्यार कर रहे थे.


उधर बाजू से शालू और अनुराग की कामुक आवाजें पहले धीरे धीरे आ रही थीं. मगर अब उनकी आहें और कराहें तेज़ होने लगी थीं. ऐसा लग रहा था कि अनुराग शालू के बड़े बड़े मम्मों को चूस रहा है.


मैंने ज्योति की आंखों में शरारत से देखा तो उसने बिजली बंद कर देने का इशारा किया. बटन बाजू में ही लगा था तो मैंने हाथ बढ़ा कर लाइट को ऑफ कर दिया.


लाइट ऑफ होने पर भी कमरे में हल्की रोशनी आ रही थी लेकिन हम दोनों जोड़ों ने ब्लैंकेट से खुद को ढक रखा था तो कुछ दिख नहीं रहा था.


शालू और अनुराग की रोमांस करने की आवाजें अब बिंदास आने लगी थीं- आह साले धीरे चूस ना … क्या उखाड़ ही लेगा?


उसके जबाव में अनुराग कह रहा था कि जान तेरे दूध बड़े मस्त और रसभरे हो गए हैं. किससे मिंजवाती रही है? वह कहने लगी- साले तू खुद तो वीडियो कॉल करके मुझसे मेरे दूध मिंजवाता था और कह रहा है कि किससे मिंजवाती थी. और ये तेरा लंड इतना बड़ा कैसे हो गया है. किसकी में पेलता था तू?


अनुराग बोला- आह मेरी बन्नो धीरे खींच … क्या लंड उखाड़ लेगी? शालू- अब समझ आया कि खींचने से दर्द होता है.


उन दोनों की इतनी खुली बातें सुनकर ज्योति की चूत में चींटी रेंगने लगीं. वह भी नहीं रह पाई और वह भी मुझे किस करने लगी.


मैं ज्योति की टी-शर्ट में गले में से हाथ डाल कर उसके रसीले आमों को सहलाने लगा.


वह अन्दर से नंगी थी, उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.


अगले ही पल मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसके दोनों गोल मम्मों को आज़ाद कर दिया. उसके मखमली बदन में लगे दोनों आमों पर मैं टूट पड़ा, अपने होंठों से उसके दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने और हाथों से मसलने लगा.


मेरा हाथ और होंठ लगते ही ज्योति पूरी मस्ती में आ गई और वह भी मुझे नोंचने लगी, मेरे बालों को खींचने लगी.


मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी चूत की दोनों गुलाबी पंखुड़ियों के बीच में उंगली लगा कर रगड़ने लगा. उसकी चूत पर हाथ फेरा, तो हमेशा की तरह आज भी उसकी चूत बिल्कुल चिकनी थी.


चूत पर हाथ रखते ही फिसलने लगा.


एकदम से चूत में उंगली जाने से ज्योति की आह निकल गई. लंबे इंतजार के बाद चूत में मर्द का हाथ लगने से वह सिहर उठी और सिसकारी भरने लगी.


मैं उसकी मखमली गुलाबी पंखुड़ियों से खेलने लगा. वह भी चूत की रगड़ाई से गर्म होकर अपने पैरों को फैलाने लगी थी.


जल्द ही ज्योति की फूली हुई चूत के दोनों होंठ खुल गए.


अब मेरे बाजू से भी मादक सिसकारियों की तेज आवाज आने लगी थी. ऐसा लग रहा था कि अनुराग भी अब शालू के ऊपर के होंठों को छोड़ कर नीचे वाले होंठों से खेलने लगा था.


शालू धीरे धीरे सिसकारियां ले रही थी.


कमरे की लाइट बंद होने से बिल्कुल हल्की रोशनी आ रही थी लेकिन कम्बल की वजह से कोई कुछ देख नहीं पा रहा था. बस शालू और ज्योति की सिसकारियों की आवाज ही गूंज रही थी.


कुछ देर बाद ज्योति ने मेरे नेकर में हाथ डाल दिया और थोड़ा सहलाने के बाद लौड़े को बाहर खींच कर निकाल दिया. इतनी देर में मेरा लंड 7 इंच का लोहे जैसा हो चुका था.


फिर उसने कम्बल में ही लंड को छुपाकर मुँह में रखा और जोर जोर से चूसने चाटने लगी.


मेरी ज्योति शालू और अनुराग की कामुक आवाजों से बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी क्योंकि अब तक अनुराग भी शालू की मस्त खिली हुई पंखुड़ियों को मुँह में भरकर चूसने और चाटने लगा था.


शालू तड़प कर आहें भर रही थी.


दिख कुछ नहीं रहा था लेकिन आवाज़ हर एक चीज़ की महसूस हो रही थी. उसी तरह ज्योति जब मेरे टोपे को, जो अब तक पूरा लाल हो चुका था, चूसने में लगी थी और उसकी आवाज़ रूम में गूंज रही थी.


जब ज्योति मुँह से मेरे सुपारे को चूसती हुई बाहर को निकालती थी, तब मेरी भी सिसकारियां और तेज़ होने लगती थीं. वह बार-बार अपने होंठों और जुबान से मेरे पूरे लौड़े को चूस रही थी.


मैं वासना से तड़प रहा था. जब अनुराग की आवाज़ धीमी होती तो ज्योति की आवाज़ सुनाई देती और जब ज्योति की आवाज़ रुकती, तो अनुराग की आवाज तेज़ होने लगती.


ये सब होता हुआ देख कर हम सब वासना की गहराइयों में डूबते चले गए. ऐसा आज पहली बार हो रहा था कि ज्योति शालू की तरह और अनुराग मेरी तरह खुल रहा था.


अब मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने ज्योति से चूत चुसवाने के लिए कहा ताकि अनुराग भी ज्योति की चूत चूसने की आवाज़ के मज़े ले सके.


ज्योति तुरंत नंगी होकर मेरे लॉलीपॉप को चूसती हुई 69 में आ गई और अपनी चूत को उसने ठीक मेरे होंठों से चिपका दिया. उसकी चूत की खुशबू आस पास फैल गई थी.


मैं उसकी नर्म गुलाबी पंखुड़ियों को अपने होंठों पर पाकर मस्त हो गया और अपने होंठों से चूत को चूसने लगा. अगले ही पल मैंने अपनी जुबान उसकी चूत में पेल दी और चूत चाटता हुआ हुंकार भरने लगा.


इससे ज्योति को चूत चटवाने का सुख मिल रहा था और शालू को मेरी हुंकार से मजा आ रहा था. वह कुछ देर के लिए अनुराग के सुपारे को छोड़ कर मेरी ओर देखने का मजा लेने लगी थी.


उसे अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था मगर तब भी आंखें कुछ कुछ देखने में अभ्यस्त हो चली थीं.


इधर मैंने उसे अपनी तरफ देखते हुए देखा तो मैंने धीरे से कम्बल को हटा दिया. कमरे में इतनी रोशनी थी कि ज्योति को नंगी देख कर शालू को मजा मिल सके.


अब मैं अपने ठीक ऊपर ज्योति की ग़ुलाबी पंखुड़ियों को देख पा रहा था और शालू भी हम दोनों के करतब को देख कर अनुराग के लौड़े के साथ मस्ती करने लगी थी. मैं नीचे लेट कर ज्योति की चूत के दोनों होंठों को आसानी से चूस पा रहा था और वह तेज़ तेज़ सिसकारियां लेती हुई मेरे लंड को तेज़ तेज़ चूसने लगी थी.


इस पोजीशन में शालू मुझे आसानी से देख सकती थी.


ज्योति को भी अब फर्क नहीं पड़ रहा था कि अनुराग उसको ऐसे करते हुए देख रहा है. जिस तरह से ज्योति बिंदास होकर मेरे साथ 69 का मजा ले रही थी, उसको देख कर शालू ने भी कम्बल हटा दिया.


अब वह भी सिसकारी लेती हुई मेरी तरफ देखती हुई अनुराग का लौड़ा चूसने लगी थी.


मैंने ज्योति की चूत चाटते हुए शालू की तरफ देखा तो उसने भी आह भरते हुए मेरी तरफ देखा.


हम दोनों मुस्कुराने लगे और एक दूसरे के पास आने को मचलने लगे.


तभी अनुराग ने भी 69 पोजीशन ली और वह शालू के ऊपर चढ़ गया. उसने अपना लौड़ा शालू के मुँह के पास लटका दिया.


इस पोजीशन में आकर शालू ने एक बार मेरी तरफ देखा और अनुराग के लंड को चाट कर शर्माने जैसा किया.


लेकिन वह पूरे मूड में होने की वजह से अनुराग का लंड पकड़ कर हिलाने लगी थी. उसके लंड हिलाने में एक मूक आमंत्रण था.


यह देख कर मैं और उत्तेजित हो गया. शालू को दिखाते हुए ज्योति के नीचे के गुलाबी होंठों को मुँह में भरने लगा.


तभी मेरी नजर अनुराग की नजरों की तरफ गई. वह ज्योति को मेरा लंड चूसते हुए कुछ अजीब सी निगाहों से देख रहा था.


मैंने ज्योति को देखा तो वह भी अनुराग को दिखा दिखा कर मेरे लंड को चाट रही थी. अब सब कुछ साफ था कि अनुराग और ज्योति एक दूसरे के साथ सेक्स के इच्छुक लग रहे थे.


मैंने शालू को देखा तो वह भी मुस्कुरा रही थी. फिर मैंने अनुराग से GF स्वैप सेक्स के लिए कहा- आ जा भाई, तू ज्योति को रगड़ ले … और शालू को मुझे दे दे.


वह भी सहर्ष राजी हो गया. अगले ही कुछ पलों बाद मंजर बदल गया था.


मैंने शालू के साथ 69 बना लिया था और ज्योति ने अनुराग के साथ.


कुछ देर बाद मैं शालू को सीधा करके उसकी चूत से लंड को रगड़ने लगा था और उसने भी अपनी टांगें फैला दी थीं. लंड चूत में घुसता चला गया और शालू की आह आह की आवाजें कमरे में उन्मुक्तता का वातावरण बनाने लगीं.


दूसरी तरफ अनुराग ने ज्योति की चूत को भोसड़ा बनाने का कार्यक्रम चालू कर दिया था. मस्त माहौल बन गया था. हम चारों ग्रुप सेक्स का मजा ले रहे थे.


लगभग आधा घंटा बाद मैं शालू की चूत में झड़ गया और उधर ज्योति ने अपनी चूत में अनुराग का वीर्य ले लिया था.


ऐसे ही चुदाई सारे दिन रुक रुक कर चलती रही. अब हम चारों आपस में कभी भी किसी के साथ भी सेक्स कर लेते हैं.


दोस्ती जिंदाबाद … आपको क्या कहना है इस सेक्स GF स्वैप सेक्स कहानी पर … प्लीज बताएं. [email protected]


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