होली की अन्तिम मस्ती- 3

अंजलि शाह

29-08-2021

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चुदाई की प्यास ऐसी होती है कि बार बार उठती रहती है। जम कर मस्त चुदाई होने के बाद बीच रात में नींद खुली तो फिर से चुदाई का खेल शुरू हो गया।


दोस्तो, मैं अंजलि शाह आपको होली की मस्ती में चुदाई की कहानी बता रही थी।


मस्त चुदाई कहानी के दूसरे भाग दो कामवालियों की ग्रुप चुदाई में आपने देखा कि कैसे सबने मिलकर सुनीता नौकरानी की जबरदस्त चुदाई की; फिर उसकी बड़ी बहन कावेरी को भी लौड़ों का स्वाद चखाया गया।


अब आगे मस्त चुदाई कहानी :


साक्षी बोली- अरे यार 12 बज गए, मुझे घर जाना है। उसने जल्दी जल्दी अपनी शॉर्ट्स और टी शर्ट उठाई और पहन ली।


विक्रम ने कहा- जॉन … तू इसे इसके घर छोड़ दे। जॉन ने कहा- ठीक है, मैं भी वहीं से घर चला जाऊंगा.


विक्रम ने मुझसे पूछा- अंजलि तुझे भी जाना है क्या? नहीं तो सुबह मैं छोड़ दूँगा। मैंने कहा- नहीं, मैं सुबह चलूँगी तुम्हारे साथ।


तब साक्षी और जॉन निकल गए।


विक्रम ने कावेरी को कहा- जा दरवाजा बंद कर और सो जा।


वो उठी और अपने कपड़े उठाए और बाहर का मेन डोर बंद करने चली गई।


विक्रम ने कहा- चलो अब सब सो जाते हैं। मगर कोई कपड़े नहीं पहनेगा।


फिर गरिमा और मैं, गरिमा के कमरे की तरफ सोने चले आये।


लड़कों का क्या हुआ पता नहीं।


गरिमा और मैं, उसके बेड पर नंगी ही सो गई।


रात को मुझे सपने में लगा कि कोई मेरी चूत चोद रहा है। मैं सोती रही।


फिर मुझे लगा जैसे कोई मेरे मुँह पर कुछ रगड़ रहा है और मेरी चूची दबा रहा है।


मैंने जरा सी आंख खोली और देखा तो सामने राजीव मेरी चूत चोद रहा था और अनिल अपना लौड़ा मेरे होंठों पर रगड़ रहा था।


तभी अनिल ने मेरे निप्पल को मरोड़ा। दर्द के मारे मैंने जैसे ही चिल्लाने के लिए मुँह खोला तो उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया।


मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो गरिमा की चूत में विक्रम का लौड़ा था और गांड में सोमेश का।


गरिमा मजे ले लेकर चुदवा रही थी और बोल रही थी- बहनचोदो … लण्ड में जोर खत्म हो गया उन दोनों बहनों को चोद कर? जरा स्पीड बढ़ाओ। तब दोनों ने पूरी ताकत से गरिमा को चोदना शुरू कर दिया।


मुझे आदिल दिखाई नहीं दे रहा था। तब मुझे लगा कोई मेरे लेफ्ट में है।


मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो आदिल खड़ा था और मेरे चूचों को घूर रहा था।


मेरे 36 साइज़ के चूचे और खड़े हुए निप्पल उसे अच्छे लग रहे थे। वो बोला- यार तेरे चूचे चोदने में बड़ा मजा आएगा।


मुझे कुछ समझ आता उससे पहले ही वो मेरी छाती पर बैठ गया और मेरे चूचों से खेलने लगा।


अनिल ने मेरे दोनों हाथ सिर के ऊपर करके पकड़ लिये।


आदिल ने मेरे दोनों चूचों के बीच में अपना लण्ड रखा और दोनों चूचों से उसे दबाया और दोनों चूचों के बीच में चोदने लगा।


उधर राजीव मेरी चूत चोद रहा था।


अब अनिल भी मेरा मुँह चोद रहा था और आदिल मेरी चूची …तीनों पूरे जोश से मुझे इकठ्ठा चोद रहे थे।


तभी राजीव ने अपना पूरा पानी मेरी चूत के अंदर छोड़ दिया और गरिमा के पास चला गया। वो गरिमा से बोला- चल मेरा लौड़ा साफ कर! गरिमा ने उसका लौड़ा मुँह में लेकर साफ कर दिया।


इधर अनिल ने भी अपना पानी छोड़ दिया मगर मेरे मुँह से अपना लण्ड नहीं निकाला और मेरी नाक पकड़ ली।


मुझे साँस लेने में दिक्कत हुई तो मैं उसका सारा पानी पी गई। फिर उसने मुझे छोड़ दिया और साइड में बैठ गया।


उधर मैंने देखा सोमेश और विक्रम ने भी गरिमा की गांड और चूत अपने पानी से भर दी।


गरिमा उठकर आई और मेरी चूत चाटने लगी। उसने मेरा और राजीव का मिक्स पानी सारा चाट लिया।


मैंने जोश में उसके मुँह पर पेशाब की धार मार दी और वो उसे भी पी गई।


उधर आदिल अभी भी मेरी चूचियां चोदे जा रहा था। तभी गरिमा मेरे मुँह पर आकर बैठ गई और बोली- चल मुझे साफ कर! मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी और उसका और विक्रम का मिक्स पानी पी लिया।


फिर उसने अपनी गांड मेरे मुँह पर रख दी और कहा- इसे भी साफ कर! मैंने उसकी गांड के छेद में जीभ डाल दी और सोमेश का पानी भी चाट लिया।


तभी आदिल ने हुंकार ली और अपना सारा पानी मेरे मुँह पर फेंक दिया। थोड़ा माल मेरी गर्दन पर गिरा, थोड़ा नाक में गया और थोड़ा आँखों पर गिरा।


तब आदिल ने अपना लौड़ा मेरे मुँह डाला और कहा- चल माँ की चूत … इसे साफ कर! मैंने उसे चूस चूस कर साफ कर दिया।


वो मेरे ऊपर से हट गया।


मेरा चेहरा पूरा चिपचिपा हो गया। तब मैंने गरिमा से बोला- तेरी माँ की चूत … साली कुतिया … अब तू मुझे साफ़ कर!


फिर वो मेरे पास आई और मेरे ऊपर लेट गई और अपनी चूची मेरी चूचियों से रगड़ने लगी। तभी वो मेरा एक चूचा मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर उसने अपनी जीभ से मेरी गर्दन, मुँह, नाक और आंखें चाटीं और सारा वीर्य चाट लिया।


उसके बाद उसने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए और मैंने जैसे ही मुँह खोला, उसने सारा वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने भी सारा वीर्य पी लिया और उसके होंठों को काट लिया।


फिर वो उठ गई और हम सब एक दूसरे के ऊपर गिरते पड़ते सो गए।


सुबह सबसे पहले मेरी आंख खुली। मैं करवट लेकर सोई थी।


मैंने देखा आदिल का लौड़ा पूरा खड़ा हुआ था और मेरी चूत से टकरा रहा था। वो मेरी तरफ मुँह करके सो रहा था।


मैंने उसको हल्का सा पुश किया और उठ गई। मैंने टाइम देखा तो 9 बजे थे।


मैं बाथरूम गई और फ्रेश होकर ड्रॉइंग रूम में आकर अपनी शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन ली।


उन पर रंग लगा था मगर दिक्कत की कोई बात नहीं थी क्योंकि मुझे अब घर ही तो जाना था।


मैंने इधर उधर देखा तो वहां कावेरी और सुनीता सफाई कर रहे थीं।


कावेरी से मैंने पूछा- कल मजा आया? वो बोली- दीदी मजा तो बहुत आया मगर मेरी चूत और गांड बहुत दर्द कर रही है। सुनीता की चूत तो सूज कर डबल हो गई है। मैंने कहा- हाँ यार, चूत और गांड तो मेरी भी दर्द कर रही है।


तब मैंने सुनीता को अपने पास बुलाया और कहा- ला दिखा तेरी चूत। देखें तो सही कि दो लौड़े एक साथ चूत में लेने से क्या होता है। सुनीता बोली- दीदी मजा तो बहुत आया था मगर अब दुख रहा है। मैं इतनी बार झड़ी थी कि अब एक महीने तक कुछ अंदर नहीं लूंगी।


मैंने उसकी सलवार में हाथ डाल दिया और जैसे ही मैंने उसकी चूत छुई तो वो उचक गई; उसको जोर का दर्द हुआ। उसकी चूत वाकई में सूज कर डबल हो गई थी।


तब मैंने हाथ निकाला और कावेरी को कहा- चल सबके लिए चाय बना दे।


कावेरी ने किचन में जाकर सबके लिए चाय बनाई और सारे कप ट्रे में रख कर लाई।


मैंने उससे ट्रे ली और कहा- मैं ले जाती हूँ, तू और काम कर ले।


मैं ट्रे लेकर बेडरूम में आई और ट्रे को साइड टेबल पर रखा और देखा कि अभी भी सब सो रहे थे।


तब मैंने देखा कि गरिमा विक्रम के ऊपर पीठ के बल सो रही थी और विक्रम का लण्ड उसकी चूत में था। तभी मुझे एक शरारत सूझी।


मैंने धीरे से आदिल को जगाया। उसका लण्ड अभी भी खड़ा था।


मैंने उसे गरिमा को दिखाया और कहा कि इसे दो लौड़े चूत में लेने थे तो एक तो विक्रम का है ही, अब एक तुम डाल दो उसकी चूत में।


आदिल गरिमा के पास गया और उसकी चूत को सहलाने लगा। वो थोड़ा हिली मगर उठी नहीं।


आदिल ने अपना लौड़ा उसकी चूत पर सेट किया जिसमें पहले से ही विक्रम का आधे से ज्यादा लौड़ा था। तब आदिल ने एक जोर का झटका मारा और उसका आधा लौड़ा उसकी चूत में घुस गया।


गरिमा दर्द से चिल्लाई- हाय मर गई … मेरी चूत फाड़ दी कमीनों … आह्ह आईई।


तब मुझे पता चला कि विक्रम तो जगा हुआ था और वो देख रहा था।


गरिमा उठने लगी तो मैंने उसके कंधे पकड़ कर नीचे कर दिया और उसे उठने नहीं दिया। मैंने आदिल को बोला- बहनचोद, अब चोद इसे!


तब आदिल ने अपनी पूरी स्पीड से उसकी चूत में लण्ड आगे पीछे करना शुरू कर दिया। गरिमा चिल्लाती रही मगर किसी ने रहम नहीं किया।


उधर मैंने देखा राजीव, सोमेश और अनिल भी उठ गए थे और हंस रहे थे।


आदिल ने अपने पानी से गरिमा की चूत भर दी और अपना लौड़ा निकाल लिया। सोमेश को मैंने इशारा किया तो वो गरिमा के पास आया। मैंने नीचे बैठकर गरिमा को पकड़ा हुआ था।


मैंने देखा कि सोमेश का लौड़ा पूरा फुल साइज खड़ा था। उसकी देखा देखी राजीव और अनिल गरिमा के पास आ गए। राजीव का भी खड़ा था मगर अनिल का अभी ढीला था।


अब मैंने अनिल को इशारा करके अपने पास बुलाया और उसका लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी। उधर सोमेश ने अपना लौड़ा गरिमा की चूत में डाल दिया।


विक्रम का लौड़ा ऐसे ही गरिमा की चूत में फंसा रहा।


तब सोमेश ने पूरी स्पीड से गरिमा को चोदना शुरू कर दिया। गरिमा की आँखों से आंसू बह रहे थे।


दो तीन मिनट में सोमेश ने भी अपने पानी से गरिमा की चूत भर दी।


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फिर मैंने राजीव को इशारा किया तो उसने एक ही झटके में अपना पूरा लौड़ा गरिमा की चूत में डाल दिया।


तब तक गरिमा दो बार झड़ गई थी, उसने कहा- अब बस करो। विक्रम ने कहा- डार्लिंग … अभी तो राजीव और अनिल बाकी हैं और तुझे भी तो दो लौड़े एक साथ चूत में लेने थे।


उधर राजीव धीरे-धीरे अपना लौड़ा गरिमा की चूत में आगे पीछे करने लगा। अब तक गरिमा की चूत दो लण्ड के लिये तैयार हो गई थी।


गरिमा भी मजे ले रही थी। उसका एक बार पानी और निकल गया। राजीव ने भी स्पीड बढ़ा दी और विक्रम ने भी उसकी चूत में लण्ड आगे पीछे करना शुरू कर दिया।


तभी राजीव ने भी अपना पानी गरिमा की चूत में छोड़ दिया और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। गरिमा लंबी लंबी साँसें लेने लगी।


तब तक मैंने अनिल का लण्ड भी चूस चूस कर खड़ा कर दिया और मुँह से निकाल लिया।


अनिल चिल्लाया- बहन की लौड़ी, निकाला क्यों!! मजा आ रहा था। मैंने उसे बोला- बहन के लौड़े … अभी और मजा आएगा, तू उसकी चूत में डाल।


तब उसे समझ आया और उसने अपना लौड़ा गरिमा की चूत में घुसा दिया। गरिमा जो लंबी लंबी साँसें ले रही थी वो एकदम से चिल्लाई- यार अब तो छोड़ दे … मेरी जान लोगे क्या?


अनिल ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसे चोदने लगा। अब विक्रम और अनिल दोनों के लौड़े गरिमा की चूत चोद रहे थे। गरिमा एक बार फिर झड़ गई।


उधर अनिल भी उसके अंदर झड़ गया। तब चारों लड़के दूसरे रूम में फ्रेश होने चले गये।


तब विक्रम ने गरिमा को धक्का देकर नीचे जमीन पर बिठा दिया और अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल लिया।


गरिमा बेड के साथ पीठ लगा कर बैठ गई; उसकी चूत पूरी तरह चू रही थी।


फिर विक्रम खड़ा हुआ। उसका लण्ड पूरा सफेद वीर्य से भर गया था। उसने गरिमा के बाल पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। गरिमा को शायद कुछ पता नहीं चल रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है।


विक्रम ने फुल स्पीड से उसका मुँह चोदना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में गरिमा के मुँह में अपना सारा पानी छोड़ दिया।


कुछ पानी गरिमा पी गई और कुछ उसके मुँह से निकल कर उसकी चूचियों पर गिरने लगा।


अब मैंने विक्रम से कहा- मुझे घर छोड़ दो। विक्रम ने कहा- मैं फ्रेश होकर कपड़े पहन लूँ, फिर छोड़ दूँगा। ऐसा कहकर वो अपने कमरे में चला गया।


मैंने गरिमा की तरफ देखा तो वो जमीन पर गिरी हुई थी बिल्कुल बेहाल। मैंने देखा चाय किसी ने नहीं पी और पूरी ठंडी हो गई थी।


तब मैंने सोचा कि चलो गरिमा को चाय पिला दूँ। मैंने एक कप चाय उठाई और गरिमा के पास आई और देखा कि वो बेहाल पड़ी थी।


फिर मैंने देखा उसकी चूत से बहुत सारा सफेद पानी निकल रहा था। मुझे शरारत सूझी, मैंने अपने एक हाथ से उसकी चूत का सफेद पानी लिया और उसकी चाय में मिला दिया।


उसके बाद उसे सहारा देकर उठाया और उसे वो चाय पिला दी।


चाय पीकर उसे थोड़ा ठीक लगा और उसने पूछा- बड़ी अच्छी चाय थी … किसने बनाई? मैंने कहा- बनाई तो कावेरी ने थी मगर टॉनिक मैंने मिलाया है इसमें!


उसे कुछ समझ नहीं आया और मैं हंसते हुए बाहर ड्रॉइंग रूम में आकर बैठ गई।


फिर पता चला चारों लड़के अपने कपड़े पहनकर चले गये थे।


थोड़ी देर में विक्रम भी तैयार होकर आ गया और मुझे कहा- चलो तुम्हें छोड़ आता हूं।


हम दोनों उसकी मर्सिडीज में बैठ गए और मैंने उसमें रखा अपना ट्रैक सूट पहन लिया। वो मुझे मेरी सोसाइटी के गेट पर छोड़ गया।


मैं घर पहुंची तो मॉम ने दरवाजा खोला।


बच्चे स्कूल चले गए थे। मॉम भी ऑफिस जा रही थीं।


हमने जस्ट हैलो किया और मॉम ऑफिस के लिए निकल गईं।


मैं अपने बेडरूम में आई और सारे कपड़े उतार कर गर्म पानी से नहायी और पैंटी और ब्रा में ही सो गई।


दोपहर में जब बच्चों ने स्कूल से आकर बेल बजाई तब मैंने कपड़े पहनकर दरवाजा खोला।


मेरा पूरा बदन टूट रहा था लेकिन एक अलग ही ताजगी थी। लौड़ों का नशा अभी चूत और दिमाग में पसरा हुआ था।


तो दोस्तो, इस कहानी में फिलहाल इतना ही। मुझे ये कहानी लेकर आने में थोड़ा ज्यादा वक्त लग गया उसके लिए मैं क्षमा चाहती हूं।


आप अपनी राय जरूर दें कि आपको ये मस्त चुदाई स्टोरी कैसी लगी? मेरी मेरी ईमेल पर मैसेज करना न भूलें। आपकी अंजलि शाह [email protected]


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