हरामी मास्टरजी- 4

घंटू प्रसाद

20-09-2022

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Xxx मेड सेक्स कहानी में देखें कि मास्टर ने जब मालिक को नौकरानी की चुदाई करते देखा तो मालिक की बेटी को बहाने से उस तरफ भेजा ताकि वो भी चुदाई देखे.


मैं झांटू प्रसाद हरामी मास्टर की कहानी का अगला भाग आपके लिए लाया हूं। कहानी के तीसरे भाग मजदूर औरत की चूत चुद गयी में आपने जाना था कि ज्ञानचंद मास्टर रामेश्वर के घर में उसकी इकलौती कुंवारी बेटी ज्योति को पढ़ाने के लिए शिफ्ट हो चुका था। रामेश्वर खेत पर गया तो उसकी वासना का शिकार खेत में काम करने वाली एक मजदूर महिला हो गई जिसने रामेश्वर के लंड से जमकर चुदवाया।


अब आगे Xxx मेड सेक्स कहानी:


मजदूर औरत की चूत चुदाई के बाद रामेश्वर ने बदन को ट्यूबवेल के ठंडे पानी के नीचे शांत किया और तरोताजा होकर घर के लिए निकल पड़ा।


घर पहुंचकर उसने नौकरानी को खाना परोसने के लिए कहा। रात का खाना सबने साथ में खाया।


खाने के दौरान रामेश्वर, ज्ञानचंद और ज्योति के बीच पढ़ाई को लेकर समय तय हो गया। स्कूल से आने के बाद ज्ञानचंद ज्योति को दो विषय पढ़ाएगा और रात को सोने से पहले भी दो विषयों की पढ़ाई होगी।


सप्ताह में छुट्टी के दिन पांचवें विषय पर चर्चा होगी जिसमें ज्यादा पढ़ाई की आवश्कता नहीं होगी।


वह रात बीती तो अगले दिन से ज्ञानचंद स्कूल जाने लगा। स्कूल में भी उसकी नजर महिलाओं के उरोजों को टटोलने से बाज नहीं आती थी। उसने अपने जीवन में अनेक खूबसूरत चूतों का सेवन किया था लेकिन उसका मन अभी भी वैसा का वैसा ही चूतों के लिए प्यासा रहता था।


किंतु जब से उसने ज्योति के सौंदर्य को देखा था, वह अब दूसरी औरतों के पीछे समय को बर्बाद नहीं करता था।


जैसे ही स्कूल की छुट्टी होती, वह घर आ जाता था ताकि ज्योति के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का मौका मिले। दोपहर के 3 बजे से 5 बजे तक ज्ञानचंद ज्योति को पढ़ाता और रात को खाने के बाद 8 से 10 बजे तक पढ़ाता था।


इसी तरह से दिन गुजरने लगे। ज्योति और मास्टरजी में अब हंसी ठिठोले खूब होने लगे थे।


ज्ञानचंद की नजर ज्योति के टीशर्ट में कसे हुए उसके विकसित हो रहे स्तनों पर रहती थी। वो उसकी बुर के पास चिपकी चुस्त पैंट को देखकर उत्तेजित होता रहता था कि कब इस कुंवारी योनि में लंड को प्रवेश करवा कर असीम सुख का अनुभव होगा।


ज्ञानचंद दिन में अंग्रेजी और गणित की पढ़ाई करवाता था और रात में उसने हिंदी और विज्ञान विषयों की पढ़ाई को समय सारणी में रखा था। विज्ञान में वह जीव विज्ञान पर खास ध्यान देता था ताकि ज्योति को सम्भोग के बारे में अधिक से अधिक बताकर उत्तेजित करने का अवसर मिले।


एक रात को ज्ञानचंद खाना खाने के बाद अपने कमरे में विश्राम कर रहा था। ज्ञानचंद को खाने के बाद मीठा दूध पीने की आदत थी। वो रसोईघर में जाने के लिए उठा ताकि नौकरानी को दूध गर्म करने के लिए कह सके।


जैसे ही वो किचन के पास पहुंचा उसे कुछ आवाज सुनाई दी जैसे दो लोग आपस में कुछ बातें कर रहे हों। एक आवाज महिला की थी और दूसरी मर्द की।


मर्द वाली आवाज रामेश्वर की थी, यह ज्ञानचंद ने पहचान लिया था।


इसलिए वो थोड़ा सावधान हो गया। उसने किचन में जाने से पहले ही कदमों को रोक लिया और जिज्ञासावश वहीं पर खड़ा होकर सुनने लगा।


बातों से पता चल रहा था कि रामेश्वर और नौकरानी के बीच हल्की छेड़खानी चल रही थी जो ज्ञानचंद के लिए बहुत हैरान करने वाली बात थी।


वो सोच में पड़ गया कि भला गांव का इतना बड़ा आदमी एक साधारण नौकरानी के साथ ऐसी हरकत क्यों करेगा। लेकिन वो नहीं जानता था कि नौकरानी की गर्म रसीली चूत रामेश्वर की कमजोरी बन चुकी थी।


उसने हल्के से झांक कर देखा तो नौकरानी किचन में बर्तनों को साफ कर रही थी और रामेश्वर उसके पीछे खड़ा हुआ उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी गांड में लंड सटाए उसे बांहों में कसकर लपेटे हुए था।


नौकारानी बार बार हटने को कह रही थी कि कोई देख न ले। लेकिन रामेश्वर बार बार उसकी गांड में लंड को घुसाए जा रहा था जैसे कि उसे चोद रहा हो।


कुछ देर उसकी चूचियों को दबाने के बाद वो नौकरानी से रात 10 बजे स्टोर रूम में मिलने के लिए कह गया।


जैसे ही वो निकलने लगा ज्ञानचंद एकदम से एक तरफ होकर छिप गया। रामेश्वर के जाने के बाद वो किचन में अंदर गया तो नौकरानी का चेहरा एकदम से पीला पड़ गया।


शायद वो समझ रही थी कि कहीं मास्टरजी ने उसकी और मकान मालिक की बातें न सुन ली हों। ज्ञानचंद को समझते देर न लगी कि रामेश्वर का नौकरानी के साथ टांका फिट है और यूं ही यह नौकरानी इस घर की मालकिन की तरह नहीं रहती।


रामेश्वर को अपनी चूत का रस पिलाकर ही वह हवेली में रौब से विचरण करती है। खैर, ज्ञानचंद ने नौकरानी से दूध गर्म कर उसके कमरे में भिजवाने के लिए कह दिया और वहां से चला आया।


यूं तो ज्ञानचंद को नौकरानी की चुदाई करने के ख्याल नहीं थे लेकिन जब से रामेश्वर द्वारा उसकी गांड में लंड लगाने का नजारा उसने देखा था तो उस नौकरानी के सुडौल बदन के ख्याल को अपने मन से नहीं निकाल पा रहा था।


कुछ देर में नौकरानी गर्म दूध का गिलास लेकर उसके कमरे में गई। अब ज्ञानचंद को उस साधारण नौकरानी में एक कामिनी नजर आने लगी थी जो अपनी शालीन चाल और सुडौल बदन से किसी को भी अपने वश में कर सकती थी।


ज्ञानचंद के मन में कौतूहल बढ़ने लगा कि आखिर 10 बजे इन दोनों के बीच में क्या होने वाला है। उसने पता करने की ठान ली।


अब ज्योति के पास जाकर उसको पढ़ाने का समय हो गया था। वो ज्योति के कमरे वाले तल पर स्टडी रूम में चला गया जहां पर ज्योति पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी।


मास्टरजी को देख ज्योति के कमल की पंखुड़ियों जैसे नाजुक और रसीले अधरों पर मासूम सी मुस्कान तैर गई।


अभी तक ज्योति ज्ञानचंद की कामुक मंशा से अवगत नहीं थी, उसके व्यवहार में मास्टर जी के लिए बच्चों सा अल्हड़पन था। ज्ञानचंद ने भी ज्योति की मुस्कान का स्वागत मधुर मुस्कान से किया। वो ज्योति को पढ़ाने लगा।


एक घंटा अंग्रेजी का पाठ पढ़ाने के बाद उसने विज्ञान विषय शुरू किया।


ज्ञानचंद ने सोच समझकर देर रात्रि में विज्ञान विषय को रखा था क्योंकि रात्रि की बढ़ती गहराई के साथ ही काम की लौ प्रज्जवलित होती है।


पहले महीने में चार-पांच सामान्य अध्याय पढ़ाने के बाद ज्ञानचंद अब प्रजनन अध्याय पढ़ाना शुरू कर दिया था। आज मानव प्रजनन का पाठ पढ़ाना था।


पढ़ाते हुए ज्ञानचंद स्त्री के प्रजनन अंगों का वर्णन करने लगा जिसमें वो योनि और स्तन जैसे शब्दों का खुलकर और जानबूझकर इस्तेमाल कर रहा था।


पाठ बहुत धीमी गति से पढ़ाया जा रहा था और भूमिका खत्म करने में ही ज्ञानचंद ने एक घंटा निकाल दिया। अब तक 10 बज गए थे और उसका ध्यान रामेश्वर और नौकरानी की उसी बात पर था।


10 बजते ही उसने ज्योति से कहा कि वो पढ़ाए गए पाठ को दोहराए, तब तक वो जरा अपने कमरे में कुछ काम करके आता है।


स्टडी रूम से उठकर ज्ञानचंद दबे पांव सबसे नीचे वाले तल पर गया। रामेश्वर के कमरे की लाइट बंद थी और किचन में भी लाइट नहीं जल रही थी। वो जान गया कि रामेश्वर और नौकरानी अपने मिलने के स्थान पर जा चुके हैं।


वो स्टोर रूम की ओर बढ़ा जो रसोई के बगल में ही था। वहां की लाइट जल रही थी।


रूम का दरवाजा बंद था और अंदर से कोई आवाज भी नहीं आ रही थी।


ज्ञानचंद झांकने की कोशिश करने लगा लेकिन उस कमरे में कोई खिड़की अंदर की तरफ नहीं थी। एक खिड़की थी, वह भी बाहर की तरफ लगी हुई थी।


इसलिए वह दरवाजे के पास जाकर झिर्री ढूंढने लगा और किस्मत से उसने पाया कि चाबी लगाने वाले खांचे में से अंदर का नजारा देखा जा सकता था।


उसने अंदर झांककर देखा तो उसकी नजरें जैसे वहीं पर गड़ गईं।


सामने रामेश्वर ने नौकरानी को एक पुरानी टेबल के सहारे से लगाकर उसका ब्लाउज उतार कर चूचियों को नंगा किया हुआ था। उसने साड़ी को उसकी कमर तक चढ़ाया हुआ था और उसकी चूत को हथेली से रगड़ता हुआ उसकी चूचियों को पी रहा था।


नौकरानी भी मालिक का पूरा साथ दे रही थी।


रामेश्वर ने कुछ देर उसकी चूचियों को पीया और फिर उसकी चूत में उंगली करने लगा।


नौकरानी की जांघें एकदम से फैल गईं और वो चूत खोलकर मालिक की उंगलियों से हो रही चुदाई का मजा लेने लगी।


रामेश्वर का एक हाथ नौकरानी की चूचियों को मसल रहा था और दूसरे से वो लगातार उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था। फिर दो मिनट बाद उसने अपनी धोती खोल दी और नीचे से नंगा हो गया।


नौकरानी भी पहले से जानती थी कि उसको क्या करना है।


वो रामेश्वर के पैरों के पास घुटनों के बल बैठ गई और उसके मोटे लंड को मुंह में भरकर तेजी से चूसने लगी। रामेश्वर के मुंह से सिसकारी निकल गई- आह्ह मेरी रानी …. इतना अच्छा लंड कैसे चूस लेती है तू … उफ्फ … स्स्स … बहुत सी रंडियों को लौड़ा चुसवाया है लेकिन ऐसा मजा कोई नहीं दे पाती।


नौकरानी लगातार मालिक के लंड को चूसे जा रही थी। काफी देर तक चूस चूसकर जब वो थक गई तो उसने लंड को मुंह से निकाल दिया और हांफने लगी।


रामेश्वर का लंड उसकी लार में पूरा भीग गया था जो दूर से भी चमक रहा था। अब उसने नौकरानी को उठाया और उसके चूतड़ों को टेबल पर पटकते हुए उसे बैठा दिया।


नौकरानी ने चूत उसके सामने खोल दी। रामेश्वर ने लंड को उसकी काली, बालों से भरी चूत पर लगाया और अंदर सरका दिया।


दो तीन धक्कों में उसका पूरा लौड़ा नौकरानी की चूत में समा गया। रामेश्वर के धक्कों से नौकरानी की चूत की रगड़ाई शुरू हो गई और साथ में टेबल भी हिलने लगी।


ज्ञानचंद बाहर से खड़ा हुआ उनकी चुदाई को देख उत्तेजित तो हो रहा था और साथ में हैरान भी हो रहा था।


बहुत दिनों से उसने भी चूत नहीं ली थी इसलिए उसके लंड ने वहीं पर कामरस छोड़ना शुरू कर दिया था। अब रामेश्वर तेजी से नौकरानी की चूत में लंड को पेलने लगा।


इतने में ज्ञानचंद के दिमाग की बत्ती जली और वो जल्दी से ऊपर की ओर भागा।


वो सामान्य होकर सीधा ज्योति के कमरे में गया और उससे पढ़ाए गए पाठ के बारे में पूछने लगा।


जब ज्योति बताने लगी तो दो मिनट बाद ही उसने बीच में टोक कर उसे रसोईघर में से पीने का पानी लाने के लिए कहा।


हालांकि ज्योति के कमरे में पीने के पानी का जग पहले से रखा था लेकिन ज्ञानचंद ने जानबूझकर गुनगुने पानी की मांग की। ज्ञानचंद ने एक दांव फेंका था, रामेश्वर और नौकरानी की चुदाई ज्योति को दिखाने का।


ज्योति नीचे गई तो उसने भी स्टोर रूम की लाइट को जलते देखा। उसका ध्यान वहां चला गया क्योंकि स्टोर रूम की लाइट हमेशा बंद ही रहा करती थी।


कभी किसी को कुछ काम होता तो तभी उस रूम को खोला जाता था। और उसमें भी केवल नौकर ही जाते थे।


ज्योति के मन में भी जिज्ञासा आना जाहिर सी बात थी।


वो पास गई तो दरवाजे को हल्का सा धकेलने की कोशिश की। दरवाजा अंदर से बंद था तो उसने भी वही किया जो ज्ञानचंद ने किया था। वो झांककर देखने लगी तो वहीं ठिठक गई।


रामेश्वर नौकरानी की चूत में लंड को तेजी से पेल रहा था।


ज्योति ने अपनी सहेलियों से चुदाई के किस्से जरूर सुने थे लेकिन किसी मर्द को एक स्त्री की योनि में लंड से चोदते हुए पहली बार देखा था। उसके लिए यह जितना नया था, उतना ही उत्तेजना भरा भी था।


अब तक वह केवल चुदाई के बारे में सुनती आई थी और उसकी चूत को चुदाई का अनुभव देने का अरमान उसके मन में ही दबा हुआ था। इसलिए वो जड़ होकर वहीं पर उस नजारे को देखने लगी।


कुछ देर तेजी से चोदने के बाद रामेश्वर ने लंड को बाहर निकाल लिया और नौकरानी के मोटे मोटे बूब्स के बीच में देकर चोदने लगा। फिर उसने एक बार फिर लंड को मुंह में दे दिया।


नौकरानी शिद्दत से उसके लंड को चूसने लगी। ज्योति की सांसें तेजी से चलने लगी थीं। उसका दिल जोर से धड़क रहा था।


सामने का नजारा देख उसके मुंह में जैसे पानी आने लगा था। उसने भले ही लंड के कभी दर्शन भी न किए हों लेकिन प्राकृतिक रूप से लंड का स्वाद चखने की इच्छा उसके भीतर भी दबी थी।


कुछ देर लंड चुसवाने के बाद रामेश्वर एक बार फिर उसकी चूत में लंड देकर पेलने लगा।


ज्योति को आए काफी देर हो चुकी थी। वो वहां से जाना नहीं चाहती थी लेकिन ज्यादा देर रुक भी नहीं सकती थी क्योंकि ऊपर ज्ञानचंद पानी के लिए इंतजार कर रहा था। वो रसोई में गई और जल्दी से पानी गर्म करके ऊपर ले गई।


अब तक रामेश्वर के लंड का पानी नौकरानी की चूत में निकल चुका था और वो कुछ देर के बाद बाहर आकर अपने कमरे में चला गया। नौकरानी भी अपनी साड़ी लपेट स्टोर रूम की लाइट बंद कर अपने कमरे में चली गई।


ज्योति के दिल की धड़कन अभी तक सामान्य नहीं हुई थी। वो अभी ज्ञानचंद के पास जाने के लिए तैयार नहीं थी।


उसने जो नजारा देखा वह उसके लिए 440 वोल्ट के झटके जैसा था। पहली बार मर्द और औरत का संभोग देख उसकी अक्षता योनि में कामरस का स्राव शुरू हो गया था।


ज्योति खुद को सामान्य करने के लिए कुछ देर बाहर बालकनी में ही खड़ी रही। वो रामेश्वर और नौकरानी को अपने अपने कमरों में जाते देख चुकी थी। फिर जब उसने अपनी सांसों को थोड़ा सामान्य कर लिया तो वो अंदर गई।


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