दीपा का प्रदीप – एक प्रेम कहानी- 1

प्रकाश पटेल

04-07-2023

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देसी सेक्स हॉट गर्ल कहानी में पढ़ें कि एक जवान लड़के के घर में काम करने वाली की जवान लड़की आयी तो दोनों एक दूसरे की ओर आकर्षित हो गये. लेकिन उनके बीच मालिक और नौकर का फासला था.


प्रदीप की नयी नौकरी पुणे में लगी थी. उसने एक बढ़िया इलाके की कॉलोनी में फ्लैट किराये पर लिया था.


वह अकेला रहता था, फ़िर भी उसने फ्लैट बहुत सजाया था. प्रदीप खाना तो खुद बनाता था पर कमला नाम की औरत को घर के बाक़ी काम के लिए रखा था. गरीब को अच्छा पगार देने की उसकी पॉलिसी थी.


बहुत अच्छी तरह से घर और नौकरी दोनों से प्रदीप सैट हो गया था. नौकरी में धीरे धीरे बढ़ती मिल रही थी. कभी कभी नौकरानी दस पंद्रह दिन छुट्टी रख देती थी तो दूसरी कामवाली मिल ही जाती थी.


घर के पास में ही एक झुग्गी झोंपड़ी वाला क्षेत्र था. वहां से बहुत सी औरतें और लड़कियां यहां कॉलोनी में घर का काम करने के लिए आती थीं.


उन सभी में आपसी सहयोग अच्छा था. एक छुट्टी पर गई तो वह अपनी सहेली को सैट कर देती थी, जिसको प्रतिदिन के हिसाब से पैसे मिलते थे. इसलिए तो कमला बेन के आते ही नयी कामवाली हिसाब लेकर चली जाती थी.


ऐसे ही काम चलता रहा.


अक्सर प्रदीप के काम पर जाने के बाद कमला एक्स्ट्रा चाबी से घर खोल कर काम करके चली जाती थी.


एक बार प्रदीप घर में था, उसी समय कमला काम पर आयी. प्रदीप अपने रूम में था.


कमला बेन काम करके जाते जाते बोली- सा’ब मैं चली. प्रदीप ने देखा कि उसके साथ एक जवान लड़की भी थी.


यह देसी सेक्स हॉट गर्ल कहानी इसी लड़की की है.


प्रदीप ने पूछा- ये कौन है? ‘सा’ब मेरी बेटी दीपा है.’


‘काम सिखाने लाई हो? बहुत अच्छा है बेटा, अभी से मदद करो अपनी मां को. अब उससे काम नहीं होता है.’ ‘नहीं नहीं सा’ब, मुझे तो उसे बहुत पढ़ाना है. पर सा’ब बहुत महंगी हो गई है पढ़ाई … खर्च कर पाना मेरे बस की बात नहीं है!’


‘पहले ये बताओ कि तुम्हारी बेटी पढ़ाई में कैसी है?’ ‘सा’ब आप ही देख लो, मुझे तो समझ में नहीं आता. आप खुद तय कर लेना.’


तब तक लड़की पास आ गई थी. प्रदीप ने एक नजर से और थोड़े सवाल जवाब से भांप लिया कि लड़की में बुद्धि तो है, इसे थोड़ा सपोर्ट करना चाहिए.


लड़की दुबली पतली बिना खून का बदन, फ़टे हुए कपड़े और वैसी ही त्वचा. ये सीन उसकी गरीबी को गला फाड़ कर बयां कर रहे थे. ऐसी गरीबी देख कर प्रदीप के शरीर में एक सिहरन सी हो गई.


प्रदीप को जब भी ऐसी भावना आती थी तो वह दिल खोल कर पैसे लुटा देता था.


उसके साथ थोड़ी और बात की तो प्रदीप ने पाया कि लड़की बहुत खुश होकर हंस हंस कर बातें करती थी.


प्रदीप ने कमला बेन से पूछा- पहले कभी दीपा को क्यों नहीं लाई? ‘ये हर रोज मेरे साथ आती है, पर आप के जाने के बाद हम आते हैं ना, इसलिए आपने पहले नहीं देखा.’


प्रदीप ने कहा- ऐसे उसका अभ्यास खराब नहीं होगा? ‘क्या करूँ सा’ब, उसके बाप नटु (नटवर) पर मुझे भरोसा नहीं है.’


प्रदीप बोला- तो जितने घर जाती हो, सब घर उसको ले जाती हो? ‘तो क्या करूं सा’ब?’


‘ऐसा करो उसको साथ में लेकर आओ. आपके आने के समय तो मैं घर पर होता नहीं हूं, तो आप आने के बाद मेरा घर उसके हवाले कर दो. वह पढ़ती रहेगी, जाने के समय पर उसको लेकर जाना.’ ‘जरूर सा’ब, मैं ऐसेइच देख लूंगी.’


इस पर दीपा तुरंत बोली- इसमें देखना क्या है? मैं भी हर रोज यही तो बोलती हूँ. पर मां, तुम मेरी बात मानती ही नहीं हो! प्रदीप हंस दिया.


सब सही हो गया. दीपा को पढ़ने के लिए जगह मिल गई. उसके अभ्यास पर कभी कभी प्रदीप ध्यान रखने लगा. उसके नंबर भी बढ़ने लगे.


प्रदीप ने सही समय पर कमला बेन को और दीपा को बता दिया था कि स्कूल में अव्वल नंबर आएंगे तो ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई का खर्च मेरा.


अकेले में कमला बेन ने सा’ब की जगह भैया बोलते हुए बताया- भैया, दो साल की फीस तो अभी उधार चढ़ी हुई ही है. आगे की तो आप दोगे, तब तक कौन जाने इसका बाप नटु क्या क्या रंग दिखाएगा. ये लड़की नहीं होती तो मैं कब की आत्महत्या कर लेती सा’ब. ये भी तो मेरी बेटी कहां है?


प्रदीप चौंका- इसका क्या मतलब कि ये आपकी बेटी नहीं है? कमला- मेरी चचेरी बहन की बेटी है. वह अपनी दूसरी शादी के वक्त मुझे सौंप कर गई थी. पर अब मर गई है. देखो ना साब कैसी लग रही है. बिल्कुल उसकी मां पर गई है. बहुत सुंदर थी उसकी मां … फ़िल्मी चेहरा था उसका. मुझे तो अब बहुत डर लगता है, कोई उठा ना ले जाए इसे … इसकी तो जल्द से जल्द शादी करा दूं, तो मेरी जिम्मेदारी खत्म.


प्रदीप दूसरे दिन स्कूल के प्रिन्सिपल से मिलने गया और सब कुछ सच सच बता कर पूरी फीस भर दी.


लड़की झोपड़ पट्टी में रहती थी, पर स्कूल में अच्छे घर के लोग पढ़ाई करते थे. प्रदीप ने प्रिंसिपल से वादा लिया कि वह किसी को कुछ नहीं बताएंगे.


प्रिंसिपल ने क्लास टीचर को बुला कर सब बात समझा दी. प्रदीप ने अबसे उसकी पढ़ाई में ज्यादा ध्यान लगाने के लिए भी प्रार्थना भरा अनुरोध भी किया.


प्रिंसिपल ने उसकी बहुत सराहना की और उसके अनुरोध अनुसार करने का वचन दिया.


थोड़े ही दिनों बाद उधर कमला को पति नटु की ओर से दिक्कतें बहुत बढ़ गईं. करीब हर दिन वह मां बेटी दोनों को रात में बहुत पीटता था. इस वजह से दीपा का पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा था.


एक दिन रात को दोनों की बहुत पिटाई करके जब उसका पेट नहीं भरा, तो उसने उन दोनों को घर से निकाल दिया. पास में कमला की कोई विधवा सहेली ने सहारा दिया. उसके भी चार बच्चे थे. घर में खाने के भी लाले थे.


इन सब वजहों से हर एग्जाम में दीपा के नंबर कम होते गए. उधर प्रदीप को नौकरी में बढ़त मिल रही थी तो उसका काम भी बढ़ रहा था.


जब स्कूल वालों ने प्रदीप को बुला कर बताया, तब प्रदीप को पता चला कि अब वह लगातार हर टेस्ट में फ़ेल हो रही थी. वर्ग की सबसे आखरी लड़की से भी कम नंबर थे उसके.


प्रदीप मां-बेटी से बात करने के लिए दोपहर में घर आया. प्रदीप ने इसके लिए क्या कारण है, ये पूछा … तो उसे सही जवाब नहीं मिला. उसने जब साम, दाम, दंड, भेद से काम लिया तो उन्होंने प्रदीप को सब कुछ साफ़ साफ़ बताया.


उसका बाप नटु लड़की से कमाई मांगता है. हमारे आस पास रहने वाली इससे भी छोटी छोटी लड़कियां अच्छा कमाती हैं. हमने दीपा से कामवाली बाई का काम करने के लिए ना बोला, तो अब वह उसे शरीर के धंधे में डालने की फ़िराक में है. उसकी बात न मानने पर हमको घर से निकाला गया है.


उन दोनों ने रोते रोते और भी बहुत से सितम बताए.


प्रदीप ने कमला से कहा- आप यहां रहने आ जाओ. आप मेरे घर में हम सब का खाना भी बनाने लगो. मुझे खाना बनाने के काम से छुट्टी मिल जाएगी, तो मैं नौकरी के काम में ज्यादा ध्यान लगा सकूँगा. उससे मेरी आमदानी भी बढ़ेगी. मैं घर पर भी ऑफिस का काम करूंगा.


कमला आने के लिए राजी थी पर उसको मालूम था कि उसका पति उसे और मारेगा … और शायद मार भी देगा.


प्रदीप ने उनके हर डर का कैसे सामना कर सकते हैं, वह समझाया. उन दोनों के पास और कोई चारा नहीं था तो वह लोग प्रदीप के घर में रहने को आ ही गईं.


सब कुछ अच्छी तरह सैट हो गया. कमला अच्छी रसोई बनाती थी. घर भी ज्यादा साफ़ सुधरा रहने लगा.


कमला को और भी काम मिल रहे थे, वह भी उसने ले लिए. प्रदीप को मालूम न पड़े, इस तरह दीपा भी दूसरे घर के काम करने लगी.


क्योंकि अलग से खोली लेकर रहने की उन्होंने सोची थी तो ज्यादा कमाई के लिए ज्यादा काम करना जरूरी था.


उनकी सोच यह थी कि पता नहीं कब, प्रदीप के घर से भी जाना पड़े या प्रदीप का तबादला हो जाए … या उसके घर में और लोग रहने आ जाएं.


दीपा प्रदीप से बहुत घुल मिल गई, प्रदीप के पास पढ़ने भी लगी. नए नए कपड़े और स्कूल ड्रेस में दीपा बहुत स्मार्ट और सुन्दर लगती थी. प्रदीप ने ही उसके लिए महंगे वाले ड्रेस ला दिए थे.


वह घर आ कर मां के साथ अड़ोस पड़ोस में काम करने जाती कामवाली जैसे कपड़े पहन कर कामवाली जैसी बन जाती थी.


कमला और दीपा दोनों का शरीर भरने लगा था.


दीपा तो भी वैसे सुंदर ही थी. शरीर भरने से वह भी सुंदर लगने लगी थी. प्रदीप उनको खाना ठीक तरह खाना, दो वक्त अच्छा दूध पीना, विटामिन की गोली लेना, ये सब करवाता था.


अब उन दोनों को प्रदीप के घर रहने को आए छह महीने से भी ज्यादा समय हो गया था.


दीपा की पढ़ाई में विज्ञान में शरीर शास्त्र और स्वास्थ्य के कुछ पाठ प्रदीप ने पढ़ाए थे, जिसमें घर में निरोगी रहने और सबको स्वस्थ रखने के लिए क्या करना चाहिये, वह सब अच्छी तरह समझाया था.


प्रदीप ने घर में सब चीजों के बारे में दीपा को बता दिया था और उसको पूरी लगन से पढ़ाई करने को कहा था.


घर में धीरे धीरे दीपा ही ज्यादा ध्यान रखती क्योंकि प्रदीप को उसके हाथ का खाना पसंद था और अन्य कामकाज भी वह प्रदीप की पसंद अनुसार करती थी.


दीपा को भी ये काम करना बहुत अच्छा लगने लगा था. हालांकि मां के साथ रहती थी तो भी उसको मां से घर का कोई काम करवाना अच्छा नहीं लगता था.


वह खुद ही घर का सब काम देखने लगी, इस बात से कमला भी दोगुनी खुश थी.


एक तो ये कि लड़की बड़ी हो गई है, तो उसे अपना घर चलाने जितनी काबिल तो हो जानी चाहिए, जो कि वह हो गई थी. दूसरी बात ये कि वह अब ज्यादा घर के काम कर सकती थी, तो ज्यादा आमदनी हो जाएगी.


जब प्रदीप को पता चला कि दीपा नौकरानी का काम करती है, उसी दिन उसने कमला बेन की वाट लगा दी थी और दीपा को काम करने से मना का आदेश दे दिया था.


वैसे भी दीपा को प्रदीप के पास अन्य सभी विषय पढ़ने में बहुत आनन्द आ रहा था. प्रदीप भी मन लगा कर पढ़ा रहा था.


पहले प्रदीप हर शनिवार रविवार को अपनी मां से मिलने जाता था, पर अब वह महीने में दो बार ही जाता था.


एक रविवार को प्रदीप ने शरीर शास्त्र में मनुष्य शरीर रचना में प्रजनन तंत्र के बारे में दीपा को बताया था. उस दिन से दीपा का प्रदीप में लगाव सौ गुना बढ़ गया था.


सच बात तो ये थी कि वह पाठ दीपा ने पहले ही बड़े ढंग से सीख लिया था. प्रदीप से ये सब सीखने से उसे इस विषय का बहुत अच्छा अभ्यास हो गया था और अब वह प्रदीप से बहुत ज्यादा घुल मिल भी गयी थी.


वैसे भी उसके वर्ग में कुछ लड़कियां ऐसी भी थीं जो सेक्सुअली एक्टिव थीं और कुछ तो इन्सेस्ट भी थीं.


दीपा इसके बारे में किसी साथ वाली लड़की से सब कुछ जानने लगी थी. इसी वजह से दीपा ने ये भी जान लिया था और समझ लिया था कि सगे भाई के साथ उसने कैसे सैटिंग की थी. उसकी नजरों में उसी क्षण प्रदीप का जिस्म कौंध गया था.


सहेलियों के साथ ऐसी बात करते समय दीपा के दिल प्रदीप की छवि ही उभर आती थी क्योंकि कभी कभी वह प्रदीप में अपना भाई देखती थी, तो कभी मामा तो कभी अपना प्रेमी.


अब दीपा हर समय कुछ न कुछ काम को लेकर या कुछ पढ़ने का पूछने के बहाने प्रदीप के इर्द-गिर्द बनी रहती थी. प्रदीप को भी उसका सानिध्य अच्छा लगता था.


हालांकि प्रदीप ने कभी उसके साथ और कुछ सोचा भी नहीं था. हां कभी कभी वह दोनों फिल्मों की या और कुछ सोशल बातें कर लेते थे.


जब कभी वह प्रदीप के साथ उसकी बाइक पर घर का सामान लेने जाती थी, तब उसे प्रदीप की प्रेमिका होने का अहसास भी होने लगता था.


इसलिए उसने कोशिश करके भी देख लिया था कि प्रेमिका की तरह थोड़ा चिपक कर बैठे, तो प्रदीप क्या करता है.


उसने देखा कि प्रदीप को कोई फ़र्क नहीं पड़ा था … ना ही कोई उत्तेजना … ना कोई खास लगाव. दीपा को लगा कि बस वह ऐसा ही बर्ताव करता होगा मानो अपनी बहन के साथ बैठा हो.


मॉल में उसने ये भी कोशिश कर ली थी कि उसके हाथ में हाथ डाल कर चले, तो वह क्या करता है? प्रदीप के लिए तो सब सामान्य था. कई बार तो उसने देखा कि घर के लिए कोई चीज लेनी है, तो प्रदीप खास दीपा की पसंद का ख्याल रखता था.


उस समय तो उसे भी वह अपना खुद का भाई हो, इतना प्यार उसके ऊपर आ जाता था. एक बार आइसक्रीम की शॉप देख कर वह उसकी ओर देखने लगी थी. फिर थोड़े आगे जाने के बाद प्रदीप ने उसका हाथ पकड़ कर उसे यू टर्न कर दिया था.


वह हंसते हंसते बोला- पगली … कह नहीं पाती है कि आइसक्रीम खाने का दिल करता है. चल आइसक्रीम खाते हैं.


दीपा हद से ज्यादा खुश हो गई थी. उसे आइसक्रीम से ज्यादा खुशी किस बात से हुई थी, ये आप समझ सकते हैं.


फिर आइसक्रीम खाते खाते वह तो प्रदीप को ऐसे ताक रही थी, जैसे उसके साथ उसकी आज डेट हो.


प्रदीप ने उसके हाथ पर हाथ रख कर दबाया. उसने कहा- दीपा, ऐसा कुछ भी चाहिए हुआ करे, तो मुझे कह देना. मैं अपने घर में तुझे नौकरानी की बेटी की तरह नहीं देखता हूँ और भविष्य में तुझे कहीं नौकरानी बनते भी नहीं देखना चाहूँगा. पढ़ लिख कर मैं तुमको कोई अच्छे ओहदे पर काम करते देखना चाहता हूँ. इसलिए तेरी पढ़ाई पर जोर देता हूँ.


दीपा उस वक्त भावुक हो गई थी और उसने भी प्रदीप के हाथ पर हाथ रखकर कहा- मैं आपको वचन देती हूँ कि अब मैं और ज्यादा मन लगाकर पढ़ाई करूँगी.


प्रदीप बहुत खुश हुआ था और उसने कहा- दीपा, तू ऐसा करेगी, तो तेरे लिए मैं कुछ भी करूँगा. तू कहेगी तो मैं तेरे साथ बैठ कर तुझे पढ़ाने वास्ते दो घंटे और निकालूंगा. चाहे तो महंगे से महंगा ट्यूशन क्लास भी करवाउंगा. कितना भी खर्च हो जाए, करूँगा. पर तेरी और तेरी मां की गरीबी हर हाल में मिटनी चाहिये.


प्रदीप की आंख में एक आंसू था. उसे देख कर दीपा की आंख में दस आंसू थे.


तो प्रदीप ने सामने से उठकर बगल में बैठकर दीपा के आंसू पौंछे.


दीपा बोली- आप भी कैसे हो? यह कह कर उसने प्रदीप की आंख पर हाथ फ़िराते हुए आगे कहा- मेरी आंख में भले ढेर सारे आंसू आ जाएं, पर आपकी आंख गीली तक नहीं होनी चाहिए. इतना कह कर उसने अपना सिर प्रदीप के कंधे पर रख दिया.


प्रदीप ने प्यार से उसके बालों को सहलाया. प्रदीप और दीपा की दूरियां अब खत्म हो रही थीं.


ऐसे ही बार बार काम से और बिना काम के वह दोनों बाहर जाने लगे थे. प्रदीप हमेशा कौन सा कैरियर बनाना चाहिए और उसके लिए क्या पढ़ना चाहिए … ये सब दीपा को बताता था.


उसने दीपा को ये भी समझा दिया था कि ग्रेजुएट होने के पहले भी उसे सरकारी नौकरी मिल सकती है. इसके लिए कौन सी किताबें लेना है, उसके लिए प्रदीप उसे किताबों की दुकानों में कैरियर मैगजीन्स की स्टॉल पर ले जाता था.


उसके लिए खुद भी महंगी किताबें खरीद कर लाता था और दिलाता भी था. दीपा भी ये सब पढ़ती थी और स्कूल की पढ़ाई में भी मन लगाती थी.


ये सब देख कर प्रदीप खुश होता था और उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था.


दिन भर में बहुत पढ़ाई कर लेती थी तो प्रदीप के साथ समय व्यतीत करने के लिए कोई ना कोई बहाना करके शाम को बाहर ले जाती थी. उनके बीच अब कोई दीवार नहीं रही थी.


कई बार दोनों ने मल्टीप्लेक्स में मूवी भी देख ली थी.


एक दूसरे का हाथ पकड़ना, दूसरी दिशा में ले जाने के लिए खींचना. थोड़ा प्यार करना, थोड़ा दुलार करना … ये सब तो कॉलेजियन दोस्त जैसा हो गया था. बाहर जाती थी और दूसरे कॉलेजियन कपल्स को भी देखती थी, तो वह ये सब प्रदीप के साथ करने लगती थी.


प्रदीप तो कॉलेज में ये सब पहले ही कर चुका था, उसकी बहुत सी लड़कियां दोस्त भी थीं और उनके साथ छेड़खानी भी कर ली थी. पर कभी किसी के ऊपर उसे प्यार आ गया हो, ऐसा नहीं हुआ था.


कॉलेज के समय में सेक्स भी आज जितना ही हावी था पर खुलापन कम था. प्रदीप ने बहुत कुछ कर भी लिया था. उससे सब कहते थे कि प्यार और सेक्स में तुम बहुत काबिल हो.


एक दिन रविवार था तो प्रदीप लेट तक सोया हुआ था और मां किसी के घर काम करने गई थी. जब उसकी आंख खुली तो दीपा स्कूल ड्रेस में ही किताब लेकर प्रदीप के बेड पर चढ़ कर बगल में थोड़ी चिपक कर बैठ गई और पाचन तंत्र के कुछ मुश्किल सवाल के जवाब समझाने को बोली.


वह सिखाते सिखाते कब प्रजनन तंत्र सिखाने लगा, ध्यान ही न रहा.


उसी दौरान प्रदीप के एक हाथ से दीपा का एक स्तन दबा हुआ था, उसकी एक टांग प्रदीप की टांग पर चढ़ी हुई थी.


प्रदीप का सुबह का लिंग उत्थान जोरों पर था पर प्रदीप के मन में अब तक कोई ऐसे भाव नहीं थे.


जब प्रदीप उसे शिश्न के बारे में समझा रहा था, तभी दीपा ने प्रदीप के शिश्न को पकड़ कर कहा- क्या ये योनि में जाने के पहले इतना कठोर होता है?


एक पल प्रदीप ने उसके हाथ को अपने लंड पर महसूस किया और आले ही पल उसने सर को झटक कर कहा- हां ऐसा ही कड़क होता है. यदि ये कड़क नहीं होगा, तो योनि में नहीं जा सकेगा.


दीपा मन ही मन मुस्कुरा रही थी. उसने अभी भी प्रदीप के लौड़े को थामा हुआ था.


उसके ये लंड पकड़ने से प्रदीप की सांस तेज हो गई थी. उसने दीपा का हाथ पकड़ कर कहा- अभी इसको छोड़ दे. ‘नहीं, मुझे देखना है.’ ‘अभी तू छोटी है. बीस साल की हो जा … बाद में देख लेना.’ ‘पर में तो बीस साल की हूं. मैंने दो साल लेट दाखिला लिया था पहली कक्षा में!’


इतनी बात होने पर प्रदीप कुछ नहीं बोला. अचानक से दीपा ने प्रदीप का बाक्सर निकाल दिया और उसका लवड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी.


प्रदीप को कोई सुध नहीं रही. कुछ ही पलों में वह एकदम से उन्मत्त हाथी की तरह दीपा पर झपट पड़ा और उसने दीपा को धक्का देकर बेड में गिरा दिया. अगले ही पल वह दीपा के ऊपर चढ़ गया.


अब प्रदीप ने दीपा की आंखों से आंख मिलाई और थोड़ा मुस्कुरा दिया. दीपा भी मुस्कुरा दी. उसकी मुस्कान में विजय का भाव था.


दोस्तो, यह दीपा और प्रदीप की प्रेम कहानी की शुरुआत थी.


इस देसी सेक्स हॉट गर्ल कहानी का अगला भाग आपको इनके प्रेम के बारे में कुछ और भी बताएगा. आपके कमेंट्स का स्वागत है. [email protected]


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