विधवा मास्टरनी की चूत मिल गयी

गौतम शर्मा

01-01-2023

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हॉट टीचर Xxx कहानी में मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली सेक्सी टीचर को तब चोदा जब मेरी बीवी मायके गयी हुई थी और मुझे चूत की जरूरत थी.


मेरा नाम गौतम है औऱ मैं 35 साल का जोशीला चुदक्कड़ हूँ. मैं छत्तीसगढ़ के एक बड़े शहर का रहने वाला हूँ. दिखने में सेक्सी हूँ औऱ 5 फीट 8 इंच का एक नम्बर का चोदरा किस्म का आदमी हूँ.


अपनी पत्नी को मैं रोजाना दो बार चोदे बिना नहीं रह पाता हूँ लेकिन फिर भी नई नई औरतों की चूत की ललक हमेशा बनी रहती है.


मैंने अपने रिश्तों में 3 सालियों को बहुत चोदा है; कॉलेज में पढ़ाने वाली प्रोफेसर तक को नहीं छोड़ा था.


ऐसा ही एक वाकिया मेरे साथ उस समय हुआ जब मेरी बीबी मायके गयी हुई थी. यह हॉट टीचर Xxx कहानी तभी की है.


मैं दो दिनों से हाथ से मुठ मार कर काम चला रहा था.


मेरी पत्नी के मायके चली जाने की वजह से अब मुझे एक चूत वाली की जरूरत पड़ने लगी.


मेरे घर से एक मकान छोड़ कर एक मस्त चूत वाली माल रहती थी जिसकी चुदाई की कल्पना करने भर से जन्नत का सुख मिल जाए, वो ऐसी माल थी. उसके बारे में मुझे मालूम था कि वो एक विधवा औरत है और उसकी कोई सन्तान नहीं है. वो अपने घर में अकेली रहती है.


मैं उस पड़ोसन टीचर किरण को फंसाने का प्लान बनाने लगा कि कैसे उस अप्सरा जैसी माल को अपने लंड के नीचे लाऊं. बस मैं उसकी जुगाड़ में लग गया.


मुझे मौका पहले दिन ही मिल गया किसी कारण से किरण की बस मिस हो गई.


मैं अपने काम पर जाने निकला ही था, सामने किरण मास्टरनी दिख गई. उस दिन अप्सरा जैसी दिखने वाली किरण थी.


मैंने ध्यान से देखा तो संगमरमर जैसा सफेद बदन, उस पर काली साड़ी कयामत ढा रही थी. ब्लाउज से बाहर निकलने के लिए आतुर दो बड़े दूध, बाहर निकले कूल्हे. उसका ये रूप देख कर मेरा साढ़े छह इंच का नागराज फुंफकार मारने लगा.


कसम से किरण के जिस्म का अंदाजा वही लगा सकता था, जिसने उसे नंगी करके चोदा होगा. उसका 36 इंच का सीना और 40 का पिछवाड़ा, लंबाई भी साढ़े 5 फ़ीट.


आह … लंड तो अभी भी सोच सोच कर आहें भर रहा है.


मैं उसके पास रुका और मैंने उससे पूछा- कहीं जाना है? वो बोली- हां गौतम जी, मेरी बस छूट गयी है. मुझे स्कूल जाने में देर हो रही है. मैंने उससे छोड़ देने का अनुरोध किया तो वह तैयार हो गई.


अब सफर की शुरूआत हुई.


वो मेरी बाइक के पीछे बैठ गयी, मैंने बाइक दौड़ा दी. रास्ते में मैंने उसके परिवार से जुड़ी बातें करना शुरू की.


किरण ने बताया- आपको तो मालूम ही है कि मैं एक विधवा हूँ.


ये मुझे मालूम था कि एक कार दुर्घटना में शादी के 10 दिन बाद ही उसके पति का देहांत हो गया था. उसके बाद वो अभी सम्भल पाती कि एक महीने के अन्दर ही उसकी सास ने अपने जवान बेटे के गम में अपनी जान गंवा दी थी. पति की सम्पत्ति पर अब किरण का ही हक था.


बातों ही बातों में मैंने उससे पूछ ही लिया- दोबारा शादी क्यों नहीं की?


उसने बताया कि अब मेरी शादी की कोई इच्छा नहीं है. मैं अकेले ही खुश हूं. बच्चों को पढ़ाती हूँ तो समय कट जाता है. मैंने कहा- ऐसा नहीं है किरण, जीवन का समय बहुत लम्बा होता है.


वो कुछ ख़ास नहीं बोली, उसने बस इतना कहा- मुझे कोई सलाह देने वाला ही नहीं है. मेरे मां बाप भी अब इस दुनिया में नहीं हैं और मेरा भाई मेरी खोज खबर लेने में कुछ भी रूचि नहीं रखता है.


मैंने कहा- यदि तुम बुरा न मानो तो मैं तुम्हारे घर आकर तुमसे बात कर सकता हूँ. वो बोली- मुझे बड़ी ख़ुशी होगी यदि आप मेरे घर आएं.


पहले दिन की घटना तो समाप्त हो गयी.


दूसरे दिन मैं उसके घर पूरा मन बना कर गया कि आज तो उसकी चूत की गहराई नाप कर ही दम लूंगा.


दरवाजे पर घंटी बजाते ही किरण ने दरवाजा खोला. मुझे देख कर उसकी आंखों में एक अलग सी चमक आ गयी. उसने मुझे अन्दर बुलाते हुए बैठने को कहा.


मैं वहीं ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठ गया.


किरण ने पूछा- चाय लेंगे गौतम जी? ‘हां …’ में सर हिलाते हुए हम दोनों ने चाय पी. फिर आगे की बात शुरू हुई.


मैंने कहा- तुम अकेली रहती हो, किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे फ़ोन कर दिया करो. बातों ही बातों में हम दोनों एक दूसरे को समझने लगे.


फिर क्या था … मैंने उससे कह दिया- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो अगर मेरी शादी एक साल पहले नहीं हुई होती तो मैं तुम जैसी को विधवा होने के बाद भी शादी कर लेता, लेकिन अब मजबूर हूँ. ये सुनकर वो हंस पड़ी और बोली- आप भी मुझे काफी अच्छे लगते हैं.


उसकी इस बात को सुनकर मैंने कह दिया- यदि मैं तुमको अच्छा लगता हूँ तो शादी को मारो गोली. ऐसे ही मैं तुम्हें पति का सुख दे दूँगा. वो ये सुनकर चुप हो गई और उसने सर झुका लिया.


ये देख कर मैंने उसे पकड़ कर अपने पास खींच लिया और उसके गर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिए. पहले तो वो समझ नहीं पाई कि ये क्या हो गया. फिर हड़बड़ा कर मुझे दूर करने लगी.


लेकिन मैंने भी उसे कस कर पकड़ रखा था. अपने आप को मेरे चंगुल से छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी.


धीरे धीरे किरण भी गर्म होने लगी, उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया.


मैंने उसे नंगी करना शुरू कर दिया और जल्द ही हम दोनों पहली चुदाई की स्थिति में आ गए.


सब कुछ साफ हो चुका था कि वो हॉट टीचर Xxx आज मेरा लंड लेकर ही रहेगी. उस दिन मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और हमारी पहली चुदाई तो ऐसे ही हो गयी.


पहली चुदाई के बाद हमारे बीच से शर्म का पर्दा हट चुका था. चुदाई के बाद वो आँख बंद करके मेरे सीने से लिपटी पड़ी थी.


मैंने उससे कहा- किरण, मैं तुम्हारे लिए ही बना हूँ शायद. वो भी मुझसे कहने लगी- हां गौतम मैं आपकी ही हूँ.


पहली चुदाई के बाद मैं वापस अपने घर आ गया. फिर भी कुछ अधूरा अधूरा सा लग रहा था.


अचानक शाम 7 बजे किरण ने फ़ोन किया- आपके घर में कोई नहीं है. रात का खाना यहीं खा लेना.


मैंने कहा- आज मेरा मन ड्रिंक करने का है. वो बोली- हां आ जाओ, यहीं कर लेना.


मैंने हंस कर पूछा- तुम्हारे पास कौन सा ब्रांड है? वो हंसी और बोली- तुम ले आना. मेरे पास नहीं है.


मैंने कहा- ओके. तो कौन सी पीना पसंद करोगी. वो बोली- मैं नहीं पीती. मैंने कहा- चलो मैं पिला दूँगा.


उसने हंस कर जल्द आने का कह दिया. मैंने भी हामी भर दी.


अब क्या था रास्ता एकदम साफ था. दोपहर के बाद रात तक का समय मेरे लिए सालों जैसा कटा.


शाम हुई और मैं व्हिस्की का खम्बा लेकर किरण के घर पहुंच गया. सामने किरण नीली साड़ी में खड़ी सुंदरता की मूरत लग रही थी.


मैं अन्दर आ गया.


किरण ने दरवाजा बंद कर दिया और उसने मुझे बांहों में भर लिया. अबकी बार वो मेरी गर्दन औऱ होंठों को चूमने लगी.


मैंने भी उसके ब्लाउज का हुक खोलकर दोनों बटलों को कैद से बाहर निकाल कर जोरदार चुसाई करने लगा, मसलने लगा, दूध के निप्पलों को दांतों से काटने लगा.


उसकी सिसकारियां मेरे कानों में साफ सुनाई पड़ रही थीं.


किरण को 5 मिनट के अन्दर पूरी तरह नंगी कर निहारने लगा. कल का जो अधूरापन बचा रह गया था, उसे पूरा करने लगा.


मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतारे और सोफे पर नंगा बैठ गया. मेरा लंड 90 डिग्री पर खड़ा होकर किरण की चूत को सलामी देने लगा. किरण मेरे पास आकर मेरे लंड से खेलने लगी.


धीरे से सुपारे को चूमती हुई होंठों से सुपारे को दबाने लगी. हमारी शर्म हया खत्म हो गयी. किरण मेरे लंड को होंठों से दबा दबा कर चूसने लगी. मैं जन्नत में पहुंचने लगा.


फिर किरण को उठा कर मैं उसके होंठ चूसने लगा. किरण को सोफे पर पेट के बल करके मैंने उसके दोनों कूल्हों के बीच अपने नागराज को फंसा कर पीठ और गर्दन को चूमते हुए दोनों बटलों को पकड़ कर जमकर दबाया.


फिर मैंने गदराए हुए बदन का, जीभ होंठ औऱ दांतों से जमकर रसपान किया. किरण की सिसकारियां निकल रही थीं- आह ओह … खा लो मुझे … मैं कब की भूखी हूँ.


उसकी कामुक आवाजें मेरे शरीर में एक अलग ही उत्तेजना जगा रही थीं.


फिर किरण को पलटते हुए मैंने अपने लवड़े को किरण की चूत के दरार में टिका दिया. जिस तरह का साथ किरण दे रही थी, उससे सहयोग पाकर मैंने एक ही झटके में अपना साढ़े छह इंच के लंड को चूत की गहराई तक पहुंचा दिया.


एक झटके से लंड घुसा तो किरण की चीख निकल पड़ी- आह मर गई, थोड़ा आराम से … धीरे धीरे … आह! मैंने अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू की.


अब चूत में मेरा लंड आराम से सटासट अन्दर बाहर होने लगा. उसकी कामुकता, उसकी आवाज से पता चल रही थी- आह ओह और तेज … और तेज … बहुत दिनों से आग में जल रही थी गौतम … आह आज मेरी आग को अपने लंड से बुझा दो … और तेजी से करो गौतम आ आ आ!


मैंने भी अपनी चुदाई की रफ्तार और तेज कर दी. अब किरण का बदन अकड़ने लगा, उसका पानी निकलने वाला था.


मैं भी 20 मिनट तक उसे लगतार चोदता रहा. उसके बाद ‘आह गौतम और तेज औऱ तेज मेरा निकलने वाला है.’ कहते कहते वह झड़ गयी. मेरा अभी तक नहीं निकाला था.


उसकी चूत में पानी भर जाने से चुदाई के समय भच भच फच्च फच्च की आवाज आने लगी. मेरा भी अंतिम दौर आ गया था.


मैंने अपना लंड निकालकर उसके मुँह में डाल दिया. किरण ऐसे लंड चूस रही थी मानो कोई कुल्फी चूस रहा हो.


उसके 2 मिनट चूसने के बाद मेरा नागराज भी जहर उगलने को होने लगा- आह किरण चूसो … जोर से चूसो मेरा माल निकलने वाला है!


किरण भी लौड़ा चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी. उसके चूसते चूसते मेरे लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी. लंड का पूरा माल किरण ने गटक लिया.


उसके बाद हम दोनों लम्बी लम्बी सांसें लेते हुए एक दूसरे से चिपक गए. चुदाई के बाद पार्टी शुरू हुई.


मैंने उससे गिलास पानी और नमकीन लाने के लिए कहा. वो नंगी ही सब सामान ले आई.


हम दोनों ने दारू का मजा लेना शुरू किया. वो मेरी गोद में बैठ कर व्हिस्की की चुस्कियां ले रही थी.


मैंने कहा- किरन सच में तुम बहुत सेक्सी हो … आज मेरी मन की कामना पूरी हुई. वो हॉट टीचर Xxx भी मेरे सीने को चूमती हुई बोली- गौतम, मैं न जाने कबसे तुमसे अपनी प्यास बुझवाना चाह रही थी.


दो दो पैग पीने के बाद मैंने उससे कहा- अब कुछ करें! वो मेरी गोद से उतर कर मेरे लंड को सहलाने लगी और धीरे से मुँह में लेकर चूसने लगी.


मैंने भी उसे 69 में लेकर उसकी चूत चूसना शुरू की. कुछ ही देर में मैं उसकी चूत में लंड पेल कर ताबड़तोड़ चुदाई का मजा लेने लगा था.


उस रात में चार बार चुदाई करके मैं किरण का गुप्त पति बन गया था.


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