प्यासी सेठानी और जवान बाबा

ओशन

13-12-2023

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Xxx बाबा सेक्स कहानी एक व्यापारी की जवान पत्नी की चूत चुदाई की है. उसने शादी से पहले सेक्स नहीं किया था, वह अपने पति को अपनी जवानी देना चाहती थी.


कांता एक बहुत ही सुन्दर औरत थी. गोरी चिट्टी, गदरेला शरीर, बड़े बड़े चूतड़ों और बड़ी बड़ी चूचियों की मालकिन! गाल गुलाबी बड़ी बड़ी आंखें, काले घने बाल … सब कुछ था जो किसी को भी मदमस्त कर सकता था. कुछ नहीं था तो वह थी होठों की मुस्कान! देख कर ही लगता था कि कहीं ना कहीं कोई कमी है जो कांता को तंग कर रही है।


यह Xxx बाबा सेक्स कहानी इसी कांता की वासना की है.


कांता पढ़ी लिखी है, कालेज की पढ़ाई की है, एक बॉयफ्रेंड भी था। उसकी साथ घूमी थी … ब्लू फ़िल्में भी देखी थी, चूमा चाटी भी की थी, एक दो बार उसका लंड हाथ में पकड़ा भी था मगर चुदाई नहीं करवाई।


22 साल की उम्र में शादी हो गयी. अब तो दो साल हो गए शादी को! बच्चे नहीं हैं अभी।


कांता का एक देवर है नरेश और देवरानी ज्योति। दोनों नॉएडा में रहते हैं। नरेश ‘आईटी’ में काम करता है और काम के सिलसिले में अक्सर तीन तीन चार चार महीने के लिए विदेश जाता रहता है।


जब नरेश विदेश जाता है तो ज्योति कांता के पास ही आ जाती है।


कांता की एक ननद भी है रागिनी, जो दिल्ली में पढ़ती है और वहीं हॉस्टल में रहती है। वह कांता से तीन साल छोटी है मगर शहर में पढ़ने के कारण तेज तर्रार है; आधुनिक विचारों वाली लड़की है।


कांता, रागिनी और ज्योति की आपस में खूब पटती है, तीनों सहेलियों की तरह हैं।


भूषण, कांता का पति 27 साल का थोक कपड़े का व्यापारी है; भारी शरीर का मालिक। हर समय बस अपने व्यापार के बारे में ही सोचता रहने वाला ठेठ व्यापारी सेठ।


काम के सिलसिले में उसे शहर से बाहर भी जाना पड़ता है. कई बार तो दो दो तीन तीन दिन के लिए भी!


यूँ भी वह चूत का भूखा नहीं है. चुदाई उसके लिए कोई ज़्यादा मायने नहीं रखती। जब चुदाई करता भी है तो जल्दी झड़ जाता है। उसका लंड भी बहुत बड़ा नहीं है; है लगभग पांच इंच का, ऊपर से वीर्य की धार भी केवल कुछ बूंदों तक ही सीमित रहती है।


कांता वो दिन नहीं भूल सकती जब ननद रागिनी ने ही शादी के बाद सुहागरात के लिए कांता का कमरा सजाया था। उस दिन कांता मन ही मन खुश थी कि आखिर सपने पूरे होने वाले थे। वह सोच रही थी कि आज उसके बॉय फ्रेंड की तरह का मोटा लंड उसकी चूत में जाएगा। सोच सोच कर ही चूत गीली हुई जा रही थी।


रात हुई और भूषण कमरे में आ गया। तब वह इतना मोटा नहीं था. मगर कांता के बॉय फ्रेंड जैसा कड़क नहीं था।


वह आया और आकर पलंग पर बैठ गया. उसने कांता को बाहों में ले लिया, उसके होठों को चूमा, फिर हल्के से चूचियां दबाई और कपड़े उतारने शुरू किये।


कांता की कुंवारी चूत पानी छोड़ने लगी। उसका मन किया कि बस उसका पति पेल दे उसको!


वह सोच रही थी कि पता नहीं कैसा लंड होगा, कैसे चोदेगा।


भूषण ने कांता को बिस्तर पर लिटा दिया और सारे कपड़े उतार दिए; खुद भी पूरा नंगा हो गया।


धीरे से उसने कांता का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। कांता ने महसूस किया कि लंड ना तो मोटा ही है ना ही लम्बा … बस ठीक ठाक ही है. उसके बॉयफ्रेंड का लंड तो लम्बा और मोटा था।


अभी वह ख्यालों में ही थी कि भूषण ने उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी। कांता को मज़ा आने लगा।


थोड़ी ही देर में भूषण उठा, कांता के चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और चोदने की तैयारी करने लगा। कांता मस्त हो गयी।


भूषण ने लंड उसकी चूत पर रखा और एक ही बार में अंदर पेल दिया। कांता की चूत कुवांरी थी, अभी तक चुदी नहीं थी, भूषण का लंड मोटा ना होने पर भी थोड़ा सा तो दर्द हुआ।


भूषण ने चुदाई शुरू कर दी।


कांता की पहली चुदाई थी इसलिए ज़्यादा नहीं रुक पाई और झड़ गयी. थोड़ी देर में भूषण भी झड़ गया।


भूषण उठा और पानी पी कर सो गया।


कांता सोच रही थी कि अभी और भी कुछ करेगा. लेकिन भूषण ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।


सुनी सुनाई बातें थी कि पहली रात को मर्द इतनी चुदाई करते हैं कि चूत का भरता बना देते हैं। मगर यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था.


फिर भी कांता ने सोचा कि चलो पहला दिन है, हो सकता है थका हुआ हो, कल बढ़िया चुदाई करेगा। वह भी सो गयी।


मगर जल्दी ही कांता को समझ आ गया कि भूषण कोई बढ़िया चोदू नहीं है।


भूषण के लिए काम सब कुछ था चुदाई उसके लिए कोई बहुत मायने नहीं रखते थी। शुरू शुरू में तो भूषण रोज़ या एक दिन छोड़ कर चुदाई करता था. मगर धीरे धीरे बात कई कई दिन पर चली गयी।


लंड की प्यासी कांता की हालत ये हो गयी थी कि जब कभी चुदाई का मन करता, कम्यूटर पर ब्लू फिल्म लगा कर उंगली से ही काम चला लेती थी।


लेकिन लंड आखिर लंड ही होता है, मोटा लम्बा गर्म – उंगली लंड का काम नहीं कर सकती। यही कारण था कांता की उदासी का!


दिन गुज़रते गए। भूषण की चुदाई का अंतराल भी बढ़ता चला गया।


हालत यह थी कि शादी को अभी दो ही साल हुए थे कि पंद्रह पंद्रह दिनों तक कांता की चूत लंड के लिए तरस जाती थी।


एक दुपहर कांता सोफे पर बैठे ब्लू फिल्म देख रही थी जिसमें एक लड़की को दो जवान लड़के रगड़ रहे थे। एक पीछे से चुदाई कर रहा था, दूसरे ने लड़की के मुंह में लंड डाला हुआ था।


कांता का एक हाथ चूत को रगड़ रहा था, दूसरे से अपनी चूची दबा रहे थी.


तभी दरवाजे की घंटी बजी। कांता को बड़ी कोफ़्त हुई कि इस समय ये कौन आ गया, चूत बस पानी छोड़ने ही वाली थी।


अभी वह सोच ही रही थी कि घंटी दुबारा बजी। गुस्सा तो बहुत आया कांता को … मगर क्या करती।


दरवाजा खोला तो कूरियर वाला था। मन ही मन गालियां देकर सामान लिया.


वह मुड़ने ही वाली थी कि सामने एक बाबा की तरह का हट्टा कट्टा लम्बा लगभग 35 – 40 साल का व्यक्ति खड़ा था। उसने सफ़ेद वस्त्र पहन रखे थे, लम्बे बाल और काली दाढ़ी मूंछ थी। उसके चेहरे से ओज टपक रहा था।


राख में लिपटा अखाड़े वाला बाबा तो नहीं लग रहा था। पर वह खड़ा खड़ा कांता की तरफ देख रहा था।


कांता सकपकाई और बोली- कुछ चाहिए क्या आपको?


बाबा बोला- कुछ नहीं सेठानी, इधर से गुजर रहा था, यों ही खड़ा हो गया. एक गिलास पानी पिला दें तो चला जाऊंगा।


“रुकिए लाती हूँ!” कांता पानी लेने अंदर चली गयी। कुछ ही देर में जग और गिलास लेकर आई और बाबा को पानी पिला दिया।


बाबा ने धन्यवाद किया और यों ही पूछ लिया- क्या बात है कोई नौकर नौकरानी नहीं है? सामान भी आप ही लेने आई हो? “जी नहीं, हम दो ही लोग हैं घर, मैं और मेरे पति, काम वाली बस सुबह आती है और काम कर के चली जाती है। एक ननद है जो दिल्ली में पढ़ाई कर रही है, हॉस्टल में ही रहती है, देवर देवरानी नॉएडा में रहते हैं।”


बाबा ने दुनिया देखी थी। एक मिनट में कांता की आंखों में उदासी की झलक पढ़ ली।


वह बोला- क्या बात है सेठानी, कुछ परेशान हो? कांता बोली- नहीं महाराज, ऐसे तो कोई बात नहीं!


मगर बोलते समय कांता बाबा के साथ नज़रें नहीं मिला रही थी, उसका ध्यान तो ब्लू फिल्म की तरफ था। उसका मन कर रहा था ये बाबा भी जाए और वह वापिस जा कर फिर से वही फिल्म देखे और चूत का पानी निकाले।


बाबा बोला- कुछ तो है। हम सन्यासी हैं, चेहरे का भाव देख कर मन की दशा जान लेते हैं। अगर कोई समस्या है तो बताओ, हो सकता है हम कुछ मदद कर दें।


बाबा ने दुनिया देखी थी। आज का बाबा था मगर असूल का पक्का। सैंकड़ों औरतों की चूत ले चुका था, मजाल की किसी कुवांरी को खराब किया हो।


जो औरतें अपने मर्दों की चुदाई से खुश नहीं होती थी या जिन कुंवारियों को चुदाई की लत लग जाती थी, बस उसी को चोदता था।


बाबा की बात सुन एक पल तो कांता रुकी, मगर फिर बाबा की बातें कुछ अजीब सी लगी। वह बोली- नहीं कोई परेशानी नहीं, मगर आप अंदर आ जाइये यहां खड़े खड़े बात करना कुछ ठीक नहीं लग रहा।


बाबा कांता के पीछे पीछे अंदर चला गया और सोफे पर बैठ गया। दूसरे सोफे पर कांता बैठ गयी।


बाबा ने पूछा- तुम्हारे पति क्या करते हैं सेठानी? “जी उनका कपड़े का थोक का काम है.” कांता ने बताया।


“फिर तो बहुत व्यस्त रहते होंगे?” बाबा ने पूछा। “जी हाँ, व्यस्त तो रहते हैं।”


दुनिया देखे बाबा को कांता की उदासी का कारण समझ आने लगा।


अचानक बाबा को कांता और अधिक सुन्दर लगने लगी। वह कपड़ों के अंदर कांता के शरीर की कल्पना करने लगा।


तब वह बोला- देखो, मैं तुम्हारी समस्या का समाधान कर सकता हूँ। तुम्हें कुछ नहीं करना है, बस अपना हाथ मेरे हाथ में दे कर अपनी समस्या के बारे में विचार करना है। फिर तुम्हारी समस्या और उसका समाधान दोनों मैं बताऊंगा।


कांता ने भी सोचा कि इसमें क्या हर्ज है. वह कुछ नहीं बोली।


बाबा ने अपना हाथ बढ़ाया। कांता भी उठ कर बाबा के सामने बैठ गयी और अपना हाथ बाबा के हाथ में दे दिया और आँखें बंद कर ली।


बाबा ने कांता का हाथ थामा और बोला- अब अपनी समस्या की तरफ ध्यान लगाओ।


कांता की आँखों के आगे भूषण का 5 इंच का लंड, आधी अधूरी चुदाई और अभी अभी देख रही ब्लू फिल्म घूम गए। उसे लगा कि एक लंड उसकी चूत में ही घुसा हुआ है और दूसरा उसके मुंह में है।


अचानक उसका हाथ अकड़ गया।


बाबा ने भी महसूस किया कि कांता कुछ असहज है; कुछ सोच रही है।


बाबा ने पूछा- समस्या तुम्हारे पति से संबधित है? कांता कुछ नहीं बोली, गले से केवल एक आवाज़ निकली ‘हूँहूँ’


बाबा की आंखों में कांता की गदेली देह नंगी घूम गयी। वह सोचने लगा लगता है कि आज इसकी चूत चोदना लिखा है मेरी किस्मत में! उसका लंड उसकी धोती से बहार निकलने को बेताब हो रहा था।


बाबा ने पूछा- क्या पति तुम्हारे लिए समय नहीं निकाल पाते? कांता कुछ नहीं बोली. मतलब हाँ ही था।


बाबा ने अब अधिक इंतज़ार करना ठीक नहीं समझा- सेठानी, लगता है चुदाई अच्छी नहीं होती? कांता को बाबा से ये उम्मीद नहीं थी कि वह इतनी जल्दी समस्या की जड़ तक पहुँच जाएगा और एकदम चूत चुदाई की बात करने लगेगा।


कांता का दिमाग सुन्न हो गया, उसके मुंह से आवाज़ नहीं निकली। भूषण कैसा भी था मगर कांता ने किसी गैर मर्द से चूत नहीं चुदवाई थी।


“सेठानी चुदाई करवाओगी?” बाबा ने पूछा।


अब तो कांता जड़ हो गयी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे, उसके मुंह से आवाज़ नहीं निकल रही थी। उसकी तो बस चूत में बाढ़ आयी हुई थी।


असल में तो अब वह लंड ही लेना चाहती थी, भले भूषण का छोटा लंड ही क्यों ना हो।


अब बाबा ने कांता का दूसरा हाथ पकड़ा, कुछ देर पकड़ने के बाद हाथ अपने लंड पर रख दिया।


कांता हैरान हो गयी ‘ये क्या है? इतना बड़ा लंड? एक पल के लिए विचार आया कि अगर बाबा ने उसे चोदा तो ये चूत में घुसेगा कैसे? फिर सोचने लगी कि जब लंड के रगड़े चूत के अंदर लगेंगे तब चूत का क्या होगा, कितना मजा आएगा, कैसा मजा आएगा.


अनायास ही उसने लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और आंखें खोल दी। कांता की आँखें लाल हुई पड़ी थी; उसके होंठ खुल गए थे।


बाबा ने एक हाथ से कांता की चूची दबाई और उसके होठों को अपने होठों में ले लिया। कांता ने बाबा का लंड कस क़र पकड़ लिया।


अब बाबा से भी रहा नहीं जा रहा था। उसने अपना लंड कांता के हाथ से छुड़वा कर उसके मुंह में डाल दिया।


बाबा का लंड कांता के मुंह में समा ही नहीं रहा था। वह पागलों की तरह जोर जोर से बाबा का लंड चूसने लगी।


अब कांता से नहीं रहा जा रहा था। वह चाह रही थी कि बाबा आगे बढे और डाल दे अपना ये मोटा लम्बा लंड उसकी चूत में और उसकी चूत के परखच्चे उड़ा दे। उसने लंड अपने मुंह से बाहर निकला और पहली बार बोली- बस बाबा जी, अब अंदर करो।


बाबा ने कांता को सोफे पर ही लिटा दिया और उसके सारे कपड़े उतार दिए।


कांता का गोरा चिट्टा गदराया शरीर देख कर बाबा के होश उड़ गए।


बाबा ने कांता की गांड के नीचे सोफे की गद्दी रख कर उसकी चूत को ऊंचा कर दिया। अब बाबा का लंड कांता की चूत को जन्नत की हवा खिलने को तैयार था।


बाबा ने अपने लंड का टोपा कांता की चूत पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया। कांता की चूत में अब तक ऐसा मोटा लंड नहीं घुसा था। उसके मुंह से हल्की सिसकारी निकली; थोड़ा दर्द भी हुआ.


मगर आनंद दर्द पर भारी था।


बाबा समझ गया कि चूत मोटा लेने की अभ्यस्त नहीं है। उसने भी जल्दबाजी ना करते हुए धीरे धीरे अंदर डालना शुरू किया।


जब कांता अभ्यस्त हो गयी और अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी तो बाबा समझ गया कि अब ये पूरा मांग रही है। बाबा एक झटका लगाया और पूरा लंड चूत की अंदर तक डाल दिया। कांता के गले से एक आनद भरी सिसकारी निकली।


चुदाई शुरू हो चुकी थी। Xxx बाबा के लम्बे धक्के कांता को आनन्दसागर में गोते लगवा रहे थे।


कांता अब चूतड़ों को हिला हिला कर पूरा लंड अंदर ले रही थी। अब वह सिसकारियां ले रही थी- आह … आह … और लगाओ बाबा जी, आनंद आ गया। अब पता लगा क्या होती है चुदाई! चोदो दबा कर … फाड़ दो मेरी चूत! बाबा जी आह … आह बाबा जी ओह ओह … बाबा चोद … और जोर से चोद।


अब वह बाबा जी को केवल बाबा कह रही थी। चुदाई करने वाले के लिए ‘जी’ कैसा।


बाबा सेक्स का माहिर था, वह भी रगड़ रगड़ कर चोद रहा था। ऐसा लग रहा था कुवांरी चूत चोद रहा हो। चोदते चोदते बाबा को मजा आने लगा।


कांता भी झड़ने ही वाली थी।


धुआंधार चुदाई के बाद बाबा के लंड ने फवारा छोड़ दिया। कांता की चूत बाबा के गर्मागर्म सफेद लेसदार वीर्य से भर गयी।


अब कांता को साफ़ पता लग रहा था कि बाबा का सफ़ेद लेसदार माल चूत से बाहर निकल रहा है। इतना मजा तो कांता को आज तक नहीं आया था।


चुदाई पूरी कर के बाबा उठा और लंड वापस कांता के मुंह में डाल दिया। तो कांता ने भी चाट चाट कर बाबा का लंड साफ़ किया।


कांता अभी भी लेटी हुई थी। उसने अपनी चूत पर हाथ फेरा तो पूरा हाथ बाबा के सफ़ेद लेसदार वीर्य से भर गया।


ना जाने कांता को क्या सूझा कि उसने वह सारा वीर्य जबान से चाट लिया।


बाबा समझ गया कि सेठानी तृप्त हो गयी है। बाबा उठा और कपड़े पहनने लगा।


कांता ने लेटे लेटे ही पूछा- अब कब आओगे बाबा जी? आपने तो मेरा जीवन सफल कर दिया। ऐसी चुदाई तो कभी भी नहीं हुई। इतनी रगड़ी आपने मेरी चूत … असली मजा तो इस रगड़ाई में ही आया है। आपकी ये रगड़ाई मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी।


बाबा खड़ा हुआ और बोला- मुझे भी तुम्हारी कुंवारी जैसी चूत चोद कर मज़ा आ गया. लेकिन अब कब आऊंगा, यह नहीं बता सकता।


कांता लेटे लेटे बोली- फिर भी कुछ तो बताइये कि अब कब आएंगे बाबा जी मेरी चूत की किस्मत चमकाने? “सेठानी, अभी तो मैं ऋषिकेश जा रहा हूँ। एक महीने में वापस आऊंगा। वहाँ मेरे दो शिष्य हैं गुरु और नारायण। वे मेरे साथ होंगे। फिर भी समय मिला तो जरूर आऊंगा। मेरी भी इच्छा है तुम्हें दुबारा चोदने की। तुम्हारी चूत और चुदाई मैं नहीं भूल सकता। कभी मौक़ा मिला तो तुम्हारी गांड में भी लंड डालूंगा।”


बाबा का मन तो कांता को अभी के अभी एक बार और चोदने का भी था, मगर आगे भी जाना था।


कांता को एक बार देख कर बाबा बाहर निकल गया।


कांता गांड चोदने वाली बात पर हैरान थी मगर अभी भी चूत पर हाथ फेर कर बाबा का वीर्य चाट रही थी।


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