बीवी की सहेली की चूत गांड चोदी- 1

कथावाचक

09-04-2024

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Xxx पड़ोसी सेक्स रिलेशन की कहानी में पढ़ें में हमारी पड़ोसन मेरी पत्नी की ख़ास सहेली थी. वह एक बार मुझसे चुद चुकी थी. जब मेरी बीवी मायके गई तो वह मुझे खाना देने आई.


दोस्तो, आप सबने मेरी पिछली सेक्स कहानी बीवी की सहेली को अँधेरे में चोदा पढ़ी और मुझे बहुत प्यार दिया, उसके लिए आप सभी का धन्यवाद.


अगर आपने वह कहानी नहीं पढ़ी तो एक बार पढ़ लेंगे तो आपका मजा बढ़ जाएगा. इसमें मैंने अपनी पड़ोसन मिसेज वर्मा यानि निधि के साथ हुई चुदाई के घटनाक्रम को बताया था.


आज की Xxx पड़ोसी सेक्स रिलेशन की कहानी भी उसी के आगे की है.


एक दिन शाम को पत्नी जी ने आदेश दिया कि उनकी सहेली निधि यानि मिसेज वर्मा को मेरी जरूरत पड़ गयी है. मैंने पूछा- क्या बात है?


तो पता चला कि उसके गैस सिलेंडर से गैस रिस रही है. गैस एजेंसी में फोन किया था लेकिन कोई फोन नहीं उठा रहा है. मैंने उसे बताया कि गैस एजेंसी बंद हो गयी होगी. वह बोली- तुम तो इस तरह की चीजें सही कर लेते हो, जरा उसके यहां जाकर एक बार देख लो. उसके पति तो हमेशा की तरह टूर पर हैं.


मेरा मन निधि के यहां जाने का नहीं था लेकिन पत्नी को मना कर पाना भी संभव नहीं था. तो अंदाजा लगा कर एक छोटा पेचकस साथ लेकर निधि के घर पहुंच गया.


निधि शायद मेरा ही इंतजार कर रही थी. मुझे देख कर बोली- आज फिर से आपको परेशान कर दिया! मैंने कहा- परेशानी की कोई बात नहीं है, दिखाइए कहां पर है गैस सिलेंडर?


वह मुझे अपने रसोई घर में ले गयी. मैंने जैसे ही गैस सिलेंडर का रेगुलेटर खोला, गैस की बास आने लगी.


मुझे पता था कि यह कहां से आ रही है. मैंने रेगुलेटर बंद करके किचन की खिड़की खोल कर गैस सिलेंडर से रेगुलेटर अलग किया और पेचकस से उसके अन्दर लगी रबड़ की वाशर निकाल ली.


उसे जब रोशनी में ध्यान से देखा तो वह कटी हुई थी. इसी के कारण गैस लीक कर रही थी.


अब मैंने निधि से पूछा- पुराना गैस सिलेंडर कहां पर है? उसने बाहर की तरफ इशारा किया.


मैं बाहर गया, जहां सिलेंडर रखा हुआ था. उसका लॉक हटा कर उसके वाल्व के अन्दर से रबड़ की सील निकाल कर उसे देखा, यह सील सही लग रही थी. नए सिलेंडर से निकली सील लगा कर मैंने उसे लॉक कर दिया. फिर वापिस किचन में आ गया.


निधि बड़े ध्यान से मुझे देख रही थी. मैं उसे अनदेखा करके अपने काम में लगा रहा.


निकाली हुई रबर की सील को नए सिलेंडर में लगा कर उसमें रेगुलेटर लगाया और उसे ऑन किया. इस बार गैस की बास नहीं आयी.


मैंने नाक उसके पास ले जाकर सूंघा, लेकिन बास अब भी नहीं आई.


फिर भी पूरी तरह से सन्तुष्ट होने के लिए मैंने निधि से पानी के मग्गे में थोड़ा सा साबुन घोल कर लाने को कहा. कुछ देर में वह साबुन का घोल मग्गे में ले आयी.


उसे मैंने रेगुलेटर और गैस सिलेंडर पर डाल कर देखा कि कहीं से गैस तो लीक नहीं कर रही है. लेकिन कहीं से भी गैस की लीकेज नहीं मिली. मैंने गैस जला कर देखी और सब कुछ चैक करने के बाद निधि की तरफ देख कर कहा कि गैस की लीकेज बंद हो गयी है.


मेरी बात सुन कर वह मुस्करायी और बोली- लगता है आपको हर काम आता है? मैंने जबाव दिया कि जब सर पर पड़ती है, तो हर काम आ जाता है.


यह कह कर मैंने उस से एक गिलास पानी मांगा … तो वह बोली- मुझे देख कर आपको प्यास क्यों लग जाती है? मैंने उसके तंज को समझ कर कहा- मेरा मुँह सूख रहा है, तो पानी ही पीना पड़ेगा.


‘मेरे सामने ही ऐसा क्यों होता है?’ ‘मुझे क्या पता?’


‘आपको नहीं पता होगा तो किस को पता होगा?’ ‘अब मैं क्या कहूँ!’ ‘कोई जबाव नहीं हैं.’


‘नहीं, प्यास तो बुझा दे.’ ‘हां प्यास तो बुझानी पड़ेगी … क्या दूं?’ ‘एक गिलास पानी.’ ‘इससे काम चल जाएगा?’ ‘अभी तो चल जाएगा.’


निधि ने एक कांच के गिलास में पानी भर कर मुझे दे दिया.


मैं जब तक पानी पीता रहा, वह मुझे घूरती रही. खाली गिलास उसके हाथ में थमाने के बाद जब मैं चलने लगा, तो उसने मेरा हाथ थाम कर कहा- एक कप चाय तो पीना बनता है.


मैं कुछ कहता, उससे पहले ही वह मुझे चूम कर चली गयी. मैं उसके पीछे-पीछे उसके ड्राइंग रूम में आ गया. वह बोली- मैं चाय बना कर लाती हूँ.


कुछ देर बाद वह चाय बना कर ले आयी और हम दोनों चाय पीने लगे. चाय पीने के दौरान मैंने गौर किया कि वह मुझे प्यार भरी नजरों से देख रही थी.


उसकी यह कामुक नजर मुझे परेशान कर रही थी. मैं आज पिछली वाली घटना की पुनरावृति नहीं करना चाहता था तो उसे देख कर अनदेखा करता रहा.


चाय पीने के बाद जब उठ कर चलने लगा तो वह बोली- आप मुझसे इतना डरते क्यों है? मैंने इस बार हंस कर कहा- कारण आप जानती हैं.


वह यह सुन कर मुस्कुराई और बोली- मुझे यह डर अच्छा लगता है. मैंने कहा- अगर ज्यादा डराओगी, तो आगे से मदद करने नहीं आऊंगा … सोच लो.


वह बोली- ऐसा तो हो ही नहीं सकता … आना तो पड़ेगा ही. मेरे पास ऐसा व्यक्ति है, जिसका आदेश आप ठुकरा नहीं सकते. मैंने कहा- उसको ही सारी बात पता चल गयी तो क्या होगा … यह कभी सोचा है?


वह बोली कि इस डगर में खतरे तो हैं ही. फिर कुछ सोच कर बोली- कुछ और तो नहीं पीना? मैंने कहा- अभी तो प्यास बुझ गयी है … बाकी फिर कभी देखेंगे.


वह यह सुन कर हंस पड़ी और बोली- इतने शरीफ नहीं है आप, जितना ऊपर से दिखायी देते हैं. मैंने सर झुका कर कहा- जर्रानवाजी है आपकी.


मेरी हरकत देख कर वह बोली- कुछ तो पीना बनता है. मेरी प्यास का क्या होगा? ‘तुम्हारी प्यास बुझाने में देर लगेगी और यह देरी शक पैदा करेगी, जो सही नहीं रहेगा.’


मेरी बात सुन कर वह मेरे करीब आयी और उसके होंठ मेरे होंठों से जुड़ गए.


एक लम्बे चुम्बन के बाद वह अलग हुयी और बोली- कुछ तो इनाम बनता था न! मैं हंस पड़ा और उसके घर से बाहर निकल गया.


रास्ते में मैं सोचता रहा कि निधि से मिलना खतरे से खाली नहीं है, वह अपने इरादों के लेकर बिल्कुल स्पष्ट है. घर पहुंचा तो पत्नी बोली- इतनी जल्दी सही हो गया!


मैंने कहा- कोई बड़ी बात नहीं थी. सिलेंडर में लगी वाली रबड़ की सील बदल दी. इससे गैस की लीकेज बंद हो गयी. मेरा काम खत्म हो गया. वह तो चाय पीने में देर लग गयी, नहीं तो और जल्दी आ जाता. मेरी बात सुन कर पत्नी कुछ नहीं बोली और काम में लग गयी.


मुझे अपनी पत्नी की यह बात कि जल्दी कैसे आ गए, कुछ समझ में नहीं आयी. लेकिन फिर उस बात को दिमाग से निकाल कर मैं अन्य कार्यों में लग गया.


कुछ दिनों बाद मेरी पत्नी को अचानक अपने मायके जाना पड़ा, उसे बिल्कुल समय नहीं मिला कि वह मेरे लिए कुछ तैयारी करके चली जाती. इसलिए अब मैं पीछे से अपना खाना खाने के लिए खुद पर ही निर्भर था.


पहले दिन तो मैं ब्रेड खाकर ऑफिस चला गया.


शाम को जब आया तो कुछ सोच ही रहा था कि दरवाजे की बेल बजी. जाकर दरवाजा खोला तो देखा कि निधि खड़ी थी और उसके हाथ में खाना था.


मैंने उसे अन्दर आने दिया. वह अन्दर आ गयी और खाना मेज पर रख कर बोली- मुझे पता है कि आपको खाना बनाना नहीं आता, इसी लिए खाना लेकर आयी हूँ. खा लीजिए और खाली बर्तन दे दीजिए.


मैंने कहा- आपको कैसे पता चला कि पत्नी नहीं है? तो वह हंसी और बोली- यह भी कोई पूछने की बात है, आप खुद ही सोचो कि किसने बताया होगा?


मुझे अपने आप पर हंसी आयी और फिर मैं भी हंस पड़ा. मैं बोला- मैं भी कितना बड़ा गधा हूँ. एक ही व्यक्ति है, जो यह बता सकता है और वह है आपकी सहेली.


मैं हाथ धोने के बाद खाना खाने बैठ गया. निधि बड़े ध्यान से मुझे खाना खाता देखती रही. उसे ऐसा करते देख कर मैंने पूछा- क्या देख रही हैं?


तो वह बोली- देख रही हूँ कि खाना तो आप बड़े आराम में खा रहे हैं, लेकिन और कई कामों में तो बहुत जल्दबाजी करते हैं. मैंने उसी टोन में जबाव दिया कि कुछ कामों में जल्दी करनी ही पड़ती है.


वह मेरा इशारा समझ कर मुस्कराई और बोली- कभी धीरे करके भी देखिएगा … ज्यादा मजा आएगा. मैंने कहा- आपकी बात मान कर भी देख लेंगे. ना मानने का तो कोई मतलब ही नहीं है.


इस पर वह मुस्करा दी. मैंने खाना खत्म किया, तो वह बोली- कुछ और तो नहीं चाहिए?


मैंने कहा- नहीं, कुछ नहीं चाहिए. खाने के लिए धन्यवाद लेकिन कल से परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं बाहर से खाना लेकर आ जाऊंगा. वह बोली- यह तो नहीं हो सकता, रात का खाना तो मैं ही बना कर दूंगी.


उसकी आवाज की धमकी का पुट मुझे अजीब सा लगा, लेकिन बात बढ़ाने का कोई फायदा नहीं था. वह चुपचाप खाने के बर्तन लेकर चली गयी.


मैं भी कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करने लगा. पत्नी के साथ ना होने से उसकी याद ज्यादा आ रही थी, तो टीवी पर पोर्न मूवी लगा कर उसे देखने लगा.


कुछ देर देख पाया था कि दरवाजे की घंटी बजी. यह मेरे लिए अचरज की बात थी, इतनी रात में कौन होगा?


यही सोचता हुआ मैं दरवाजे पर गया और दरवाजा खोला तो कोई मुझे धकेलता हुआ अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर दिया. उसने अपना चेहरा गहरे रंग के कपड़े से ढक रखा था.


मैं हैरान सा और तनिक घबराया हुआ सा खड़ा था कि तभी आगंतुक ने अपने चेहरे से कपड़ा हटाया तो मेरी जान में जान आयी. यह निधि थी.


मैंने कुछ बोलना चाहा तो वह मुझे बांह से पकड़ कर खींचती हुई बेडरूम में ले गयी और बेडरूम का दरवाजा बंद करके उसे लॉक कर दिया.


मैं अभी तक के घटनाक्रम से हैरान था. मैंने कुछ कहने को मुँह खोला तो निधि ने मुझसे लिपटते हुए कहा- कुछ मत कहो!


अब मेरी समझ में सब कुछ आ गया था. वह मिलन की प्यासी थी तो रात में छुप कर अंधेरे में आयी थी.


मैंने उसे गले से लगा लिया. उसने देखा कि टीवी पर गर्मागर्म सीन चल रहा था, तो वह कान में बोली- एक रात भी नहीं कटती तुमसे?


मैंने कहा- देखने से तो आग और भड़कती है, बुझती कहां है? वह बोली- तो आग भड़का ही क्यों रहे थे?


मैंने कहा- इसके बाद बुझाने का भी उपाय करता. वह बोली- पूरे चालू हो. बीवी कहती है कि मेरा पति देवता है, सीधा है लेकिन यह तो यहां पर पूरा खेला खिलाया है.


मैंने उसे चूमते हुए कहा- सब तुम्हारी संगत का असर है.


हम दोनों वासना की आग में धधक रहे थे, एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे.


इसके बाद हम दोनों ने अपने कपड़े उतार फेंके और 69 की पोजीशन में लेट कर एक दूसरे के अंगों का स्वाद लेना शुरू कर दिया.


मैं उसकी भग को सहलाता रहा और मेरी जीभ उसकी चूत का रस पीती रही. उसकी मादक ‘आह उहह.’ भी निकलनी शुरू हो गयी थी.


मेरी जीभ ने चूत की गहराई में उतरना शुरू कर दिया. उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया.


छह इंच का चार इंच मोटा लंड उसके मुँह में समा गया. वह गों गों करके चूसने लगी.


मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैं उठ कर बैठ गया. लंड उसके मुँह की लार से सना हुआ था. मैंने उसके कसे हुए उरोजों के चूचुकों को दांतों के बीच लेकर हल्के हल्के से ऐसे मींजना शुरू कर दिया, जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो.


यह निधि को अच्छा लग रहा था. कुछ देर एक दूसरे को चूमने सहलाने के बाद मैंने उसे पीठ के बल लिटाया और उसकी जांघों के बीच बैठ गया.


मेरा लंड निधि की चूत से टकरा रहा था. उसे भी उत्तेजना हो रही थी और मुझसे रुका नहीं जा रहा था.


मैंने हाथ से लंड को पकड़ के निधि की चूत पर लगाया और धीरे से धक्का दे दिया.


मेरा सुपारा अन्दर फिसलता हुआ चला गया. अभी सुपारा ही अन्दर गया था कि वह बोली- जोर से मत करो.


मैंने रुक कर धीरे से धक्का दिया और इस बार मेरा पांच इंच लंड निधि की चूत में घुस गया. अब एक इंच उसकी चूत से बाहर रह गया था.


निधि ने दर्द के मारे मेरी छाती पर मुक्के मारने शुरू कर दिए. मैं रुक गया और उसके उरोजों को सहलाने लगा.


इससे वह शान्त हुई और उसने कहा- तुम जल्दीबाजी छोड़ ही नहीं सकते! मैंने कहा- हां ऐसा कह सकती हो!


यह कह कर मैंने अपने हाथ उसके चूतड़ों के किनारे पर रख कर फिर से लंड को बाहर निकाल लिया और लौड़े की नोक को उसकी चूत से टकरा कर दाने को छेड़ने लगा. कुछ देर बाद निधि धीरे से बोली- अब मान भी जाओ … लंड को अन्दर करो और जैसा मन चाहे सो करो, लेकिन ऐसे परेशान मत करो.


मैंने लंड को फिर से उसकी चूत में डाला और इस बार धीरे धीरे से इंच इंच करके उसे पूरा घुसेड़ा.


जब लंड चूत की जड़ में लगा, तो निधि कराह उठी. उसकी कराह सुन कर मैं रुक गया, तो वह अपनी कमर से लंड को लीलती हुई बोली- अब मत रुको न!


इसके बाद तो मैंने धक्कों की झड़ी लगा दी. पांच मिनट तक बिना रुके मैं अपना लंड निधि की चूत में अन्दर बाहर करता रहा. मेरा लंड इससे गर्म हो गया था तथा मुझे लग रहा था कि उसकी खाल पर असर हो सकता है, तो मैं रुक गया और मैंने अपना लंड चूत से निकाल लिया.


मेरा लंड अभी भी तना था लेकिन निधि की चूत इतनी चुदाई के बाद लाल हो गयी थी. मैं पीठ के बल लेटा और निधि को अपने ऊपर कर लिया.


वह तो लग रहा था कि इसी के इंतजार में थी; वह झट से मेरे खड़े लंड पर चूत टिका कर धड़ाम से बैठ गयी. एक ही बार में पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया.


मेरा लंड शायद उसकी बच्चेदानी के मुँह पर जाकर लगा था, तो वह आहह हहह करने लगी.


एक दो पल उसकी रफ्तार मेरी रफ्तार से भी तेज होकर कमाल दिखा रही थी.


उसके डिस्चार्ज होने के कारण फच फच की आवाज पूरे कमरे में भर गयी थी. मैं भी उसके उछलते उरोजों को जीभ से सहलाता रहा.


जब वह थक गयी, तो उतर कर मेरी बगल में लेट गयी. गर्मी के कारण अभी तक की मेहनत से हम दोनों पसीने से नहा गए थे.


निधि को करवट दिला कर मैं उसके पीछे लेट गया और पीछे से लंड को उसकी चूत में डाल दिया. वह कसमसाने लगी और ‘उहह आहह …’ करने लगी.


हम दोनों का मुँह टीवी की तरफ था और उस पर गुदा मैथुन चल रहा था. निधि उसे ध्यान से देखने लगी.


मैंने यह देख कर उससे पूछा- यह करना है? तो वह बोली- कभी किया नहीं है, बस सुना है कि काफी दर्द होता है?


मैंने जबाव दिया- मैंने भी नहीं किया है. तुम चाहो, तो करके देखते हैं. वह बोली- हां करके देखने में क्या जाता है, शायद मजा आए … कैसे करोगे?


मैंने कहा- अभी तो जो चल रहा है, उसे चलने देते हैं. इसके बाद अगले राउंड में देखेंगे. वह कुछ नहीं बोली.


मैं उठ कर उसके ऊपर आ गया और उसके दोनों पांव अपने कंधों पर रख कर उसकी चूत में लंड डाल दिया. जैसे ही लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया, निधि दर्द के मारे गर्दन पटकने लगी.


कुछ देर बाद वह सामान्य हो गयी.


मैंने भी उसकी टांगें नीचे कर दीं और जोर जोर से उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद निधि के पांव मेरी पीठ पर कस गए. वह अकड़ती हुई डिस्चार्ज हो गयी थी.


कुछ ही देर बाद मेरी आंखों के सामने भी तारे टिमटिमा गए और मैं भी पस्त होकर निधि के ऊपर गिर गया.


कुछ देर बाद उसके उसके ऊपर से उठ कर उसकी बगल में लेट गया. हम दोनों की सांसें फूली हुई थीं.


कुछ देर बाद जब सांसें सामान्य हुईं, तो निधि ने लंड को हाथ लगाया. वह बोली कि यह तो अभी भी तैयार लग रहा है!


मैंने कहा- नहीं, अभी इसे कुछ देर आराम करने देते हैं. यह कह कर मैं उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा.


टीवी पर लड़का लड़की की गांड में उंगली डाल रहा था. फिर उसने अपना अंगूठा लड़की की गांड में घुसेड़ दिया.


हम दोनों ध्यान से यह सब देख रहे थे.


लड़की दर्द से कराह रही थी, लेकिन लड़का उसकी गांड में अपनी दो उंगलियां अन्दर बाहर कर रहा था. इसके बाद लड़के ने अपने लंड पर थूक लगाया और अपना सुपारा लड़की की गांड के मुँह पर रख कर उसी से गांड को सहलाया.


फिर कुछ पल के बाद लड़के ने लंड को लड़की की गांड में घुसेड़ दिया. लड़की के चेहरे पर दर्द दिखने लगा, लेकिन लड़के ने पूरा लंड गांड में घुसेड़ दिया था.


इसके बाद वह नीचे हाथ करके लड़की की चूत सहलाने लगा और दोनों गांड चुदाई का मजा लेने लगे.


यह देख मुझे लगा कि आज जैसा मौका दुबारा नहीं मिलेगा. बीवी कभी देगी नहीं … मौका है इसी की लपक लेता हूँ. यह सोच कर मैं बेड से उठ गया और किचन में चला गया.


दोस्तो, आपको मेरी बीवी की सहेली व मेरी पड़ोसन निधि के साथ हुई इस मस्त Xxx पड़ोसी सेक्स रिलेशन की कहानी में कैसा लग रहा है, प्लीज मुझे जरूर बताएं.


अगले भाग में निधि की गांड चुदाई की कहानी का वर्णन करूंगा. [email protected]


Xxx पड़ोसी सेक्स रिलेशन की कहानी का अगला भाग:


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