दीदी के घर जीजाजी के लंड से मजा लिया

हर्ष 1989

07-12-2023

91,628

Xxx साली जीजा सेक्स की इस कहानी में एक लड़की अपनी दीदी की प्रेगनेंसी के वक्त उनके घर रहने गयी. वहाँ उसका दिल अपने जीजू पर आ गया. उसने अपने जीजू का पटाकर चूत की सील तुड़वा ली.


यह कहानी सुनें.


दोस्तो, कैसे हो आप सब!


मैं मेघा आप सबके लिए अपने पहले सेक्स की बहुत ही रोमांस भरी सेक्स कहानी बता रही हूं. मैं उम्मीद करती हूं कि आपको मेरी चुदाई की कहानी जरूर पसंद आएगी.


मेरा नाम तो आपको मालूम ही चल गया है. हम 6 बहनें हैं. मैं दूसरे नंबर की हूँ. मेरी बड़ी दीदी की शादी दो साल पहले भोपाल हुई थी.


हम सब यूपी के आगरा के रहने वाले हैं. मैं दिखने में अपनी छहों बहनों में कुछ ज्यादा ही सुंदर हूं. मेरा कद साढ़े पांच फिट का है, रंग गोरा, आंखें नीली, गोल चेहरा, भरा हुआ बदन है. मेरे बूब्स 34 के, गांड पूरे 36 इंच की है.


यूं कहूं कि मैं एक चलती फिरती आइटम बम हूँ.


अब आप Xxx साली जीजा सेक्स की कहानी पढ़ें.


एक दिन की बात है. दीदी का कॉल मम्मी के पास आया- मैं प्रेगनेंट हूं. अब मुझसे काम नहीं हो पा रहा है और ये भी परेशान हो रहे हैं. मम्मी आप मेघा को भोपाल भेज दो.


मम्मी मान गईं और उन्होंने मुझे ट्रेन से भोपाल के लिए रवाना कर दिया. भोपाल स्टेशन पर जीजाजी मुझे लेने आ गए.


मेरे जीजाजी बहुत ही हैंडसम हैं. जो भी लड़की एक बार उन्हें देख ले, तो नजर नहीं हटा पाती.


जीजाजी मुझे घर ले गए. उस दिन दीदी जीजाजी और मैंने यानि हम तीनों ने खूब बातें की.


मैंने दीदी के घर का सारा काम संभाल लिया था. इससे दीदी और जीजा जी बहुत खुश थे.


उस दिन बात करते करते रात बहुत हो गई थी. दीदी का सिर्फ एक कमरे का फ्लैट था.


रात के 2 बज गए थे. सर्दी भी बहुत ज्यादा थी.


तो जीजाजी बोले- तुम दोनों बहनें रूम में सो जाओ, मैं बाहर सोफे पर सो जाऊंगा.


जीजाजी को सुबह ऑफिस जाना होता है इसलिए वे सोने जाने की कहने लगे.


मुझे रात के कपड़े बदलने थे. मेरा सामान अभी पैक ही था.


दीदी बोलीं- अभी तुम मेरा ट्राउजर और टी-शर्ट ही पहन लो. मैंने दीदी के कपड़े पहन लिए और हम सब सो गए.


सुबह दीदी जल्दी उठ कर नीचे टहलने चली गईं और मैं ब्लैंकेट में अकेले सो रही थी.


इतने में जीजाजी अन्दर आए और बिना कुछ बोले ब्लैंकेट में घुस गए. वे नींद में ही बोल रहे थे- सुमन सर्दी ज्यादा है. सुमन मेरी दीदी का नाम है.


उस वक्त मैं भी नींद में थी तो मुझे भी नहीं मालूम चला. जीजाजी ने दीदी समझ कर मुझे बांहों में भर लिया और अपना एक पैर मेरी गांड के ऊपर रख कर सो गए.


जब मेरी नींद खुली तो मैं उन्हें अपने साथ सोया देख कर एकदम से घबरा गई. मैं सोचने लगी कि अब मैं क्या करूं.


फिर मैंने जीजाजी को सोते हुए देखा तो वे गहरी नींद में सो रहे थे.


मैंने उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया और बिना कुछ बोले पड़ी रही.


थोड़ी देर मैं उनकी बांहों में दबी बेड पर लेटी रही.


सच बताऊं तो उस दिन पहली बार मैंने किसी मर्द को टच किया था. क्या बताऊं यार … वह अहसास कुछ अलग ही था.


फिर मुझे जीजाजी का ख्याल आया तो मैं हल्के से नीचे को खिसक कर बेड से उतर गई और बाहर सोफे पर आकर लेट गई.


कुछ देर बाद दीदी आ गईं और मुझे जगाने लगीं. उन्होंने जीजाजी को चाय बना कर दी और जीजाजी फ्रेश होकर कुछ देर बाद ऑफिस के लिए निकल गए.


उनके जाने के बाद दीदी और मैं मिल कर घर का काम करने लगी.


करीब 8 दिन तक यही चलता रहा. जीजा जी रोज कमरे में आ जाते और मुझसे लिपट कर सो जाते. मैं भी जीजा जी के स्पर्श का सुख लेकर उनसे अलग हो जाती थी.


फिर एक दिन जीजाजी ने बाहर घूमने का प्लान बनाया.


दीदी प्रेगनेंट थीं तो उन्होंने बाहर जाने से मना कर दिया. मैं अकेली ही जाने को रेडी हो गई थी.


कुछ देर बाद मैं जीजाजी के साथ बाइक पर बैठ कर चली गई. बाइक चलाते समय जीजाजी जैसे ही ब्रेक मारते, मेरे बूब्स उनकी पीठ से रगड़ने लगते.


पहले पहल तो मुझे थोड़ा अजीब सा लगा पर मैं भी तो आखिर एक इंसान ही हूँ … क्या करूं, मुझे भी मजा आने लगा.


अब जीजाजी जैसे ही ब्रेक मारते, मैं अपने रसीले बूब्स कुछ ज्यादा ही जोर से उनकी पीठ से रगड़ देती. शायद उन्हें भी इस बात का अहसास हो गया था तो वे भी मेरे मम्मों का मजा लेने लगे थे.


उस दिन मैं अपने जीजा जी से अपनी चूचियां रगड़ कर एकदम गर्म हो चुकी थी. मुझे अपनी चूत में सनसनी होने लगी थी. पर मैं क्या करती, अपनी चाहत मन में ही दबाए बैठी रही.


मैं दीदी के बारे में सोचने लगी कि यदि मैंने जीजा जी के साथ कुछ गलत किया, तो दीदी क्या सोचेंगी. यही सब सोचती हुई मैं उस दिन अपनी जवानी की आग को दबाए रही.


दो घंटा बाद हम दोनों वापस आ गए.


अब जीजाजी जब भी ऑफिस से आते, मैं उनके लिए बड़े प्यार से खाना लगाती और उनके खाना खाते ही उनके साथ बाइक पर घूमने निकल जाती. कमबख्त घूमने कौन जाता, मैं तो अपनी नर्म ओर रस भरे दूध जीजा की पीठ के रगड़वाने जाती थी.


अब दीदी का 9वां महीना चल रहा था. वे अपने हाथ से नहा ही नहीं पा रही थीं, तो एक दिन मैं उन्हें नहलवा रही थी. उनको नहला कर मैं बस बाहर आ ही रही थी कि मेरा अचानक पैर स्लिप हो गया.


मैं शॉर्ट ड्रेस में थी. उसमें से मेरे गोरे नर्म गुलाबी बूब्स आधे से अधिक बाहर निकलते हुए दिख रहे थे. शॉर्ट्स में से मेरी आधी गांड दिख रही थी.


दीदी ने जीजाजी को जोर से आवाज दी और बोलीं- जरा जल्दी आकर देखो, मेघा गिर गई है.


जीजाजी भाग कर आए और उन्होंने मुझे उठा लिया. वे अपनी गोदी में ही मुझे अपने कमरे में ले गए.


दीदी जब तक बाथरूम में ही थीं.


मेरी कमर में बहुत जोर से चोट लगी थी.


जीजाजी बोले- मैं सुमन को भेजता हूं. वह तुम्हें दर्द की क्रीम लगा देगी. मैं कुछ नहीं बोली.


जीजाजी बाहर गए और दीदी से बात करने लगे. दीदी अभी भी बाथरूम में ही थीं.


मैंने आवाज देकर जीजाजी से कहा- जीजाजी, दर्द बहुत है, आप ही थोड़ी सी क्रीम लगा दीजिए. दीदी ने जीजा जी से कहा- जाओ तुम ही उसे क्रीम लगा दो.


सच बताऊं तो उस दिन यह गिरना मेरे लिए बहुत सही साबित हुआ.


जीजाजी ने मेरी कमर पर क्रीम लगाना शुरू किया. उस समय जो भी मेरी हालत देख लेता तो उसका वहीं पानी निकल जाता. पर पता नहीं जीजाजी अपने आपको कैसे रोक पा रहे थे.


जीजाजी मुझसे पूछ रहे थे- मेघा, अब ठीक है? मैंने औंधे लेटे हुए ही कहा- थोड़ा और नीचे दर्द है. हां बस थोड़ा सा और नीचे.


जीजा जी अपने हाथ मेरी गांड के पास तक ले आए थे तो वे भी कामवासना से भड़कने लगे थे. उनके हाथ कांपने लगे थे.


इस समय उनके हाथ मेरी गांड पर थे और मैं बड़े मजे से अपने जीजा जी से अपनी गांड पर क्रीम मलवा रही थी. उस समय जो कामुक अहसास मुझे हो रहा था, उसे कैसे बताऊं दोस्तो!


मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो अभी ही जीजाजी का लंड अपनी चूत में लगवा लूँ.


मेरी मुराद भी पूरी होने को थी क्योंकि मर्द कितना भी लंगोट का पक्का क्यों ना हो, एक लौंडिया की गांड पर हाथ फेरते समय वह टूट ही जाता है.


जीजाजी ने भी शायद अपना संयम तोड़ दिया था क्योंकि वे अब मेरी गांड को खूब मजे से रगड़ रहे थे. उनके दोनों हाथों से मेरी गांड की मालिश होने लगी थी. मैं मस्त होकर आह आह कर रही थी.


धीरे धीरे मेरी शॉर्ट्स नीचे खिसक गई और अन्दर पहनी हुई ब्लैक पैंटी जीजाजी के सामने आ गई थी.


बस फिर क्या था … मैं तो समझ गई थी कि मेरे प्यारे जीजाजी मुझे चोदने के लिए मचल उठे हैं.


उनके हाथ मेरे दोनों चूतड़ों को फैला कर मसल रहे थे. मेरी चूत से पानी निकल कर मेरी चड्डी को गीला करने लगा था.


मैंने कहा- जीजाजी, ये दर्द तो ठीक हो जाएगा, पर एक बहुत पुराना दर्द है. उसे आप ही ठीक कर सकते हैं … प्लीज उसे भी दूर कर दो, तो मानूँ कि आप कुछ हैं. जीजाजी हंस कर बोले- बताओ कहां है … अभी ठीक कर देता हूँ!


मैंने अपनी बूब्स के ठीक ऊपर जो हड्डी होती है, उसे आगे कर दिया और कहा- ये वाली जगह है. जीजाजी ने क्रीम निकाल कर उधर रगड़ना शुरू किया और धीरे धीरे मेरी गहरे गले वाली टी-शर्ट नीचे खिसक गई.


जीजाजी को मेरे निप्पल दिख रहे थे. वे बोले- मेघा, तुम्हारी ये टी-शर्ट खराब हो जाएगी, इसे थोड़ा नीचे कर दूँ!


मैं बोली- हां जीजाजी, आप जैसा चाहो वैसा कर लो. अब ये सब आपका ही है. यह कह कर मैं मुस्कुरा दी.


इतने में दीदी के कमरे में आने की आवाज आई. मैंने अपने कपड़े ठीक कर लिए और जीजाजी भी चले गए.


अब क्या था … चूत में चुदाई की आग लगी हुई थी. उधर जीजा जी को भी अब बस किसी मौके की तलाश थी.


दूसरे ही दिन हमें मौका मिल गया. दीदी को पड़ोस के घर जाना था, तो मैं उनको उधर छोड़ आई.


उस दिन संडे था तो जीजाजी भी घर पर ही थे.


दीदी ने कहा- जब मुझे आना होगा तो मैं तुझे फोन करके बुला लूँगी. तू जा और अपने जीजा जी को खाना खिला देना.


मैं दीदी को उधर छोड़ कर वापस आ गई.


सबसे पहले तो मैंने दरवाजा अच्छे से लॉक किया, फिर रूम में आई और अपने शॉर्ट्स पहन कर जीजाजी को आवाज दी- अरे मेरे प्यारे जीजा जी, आइए, अब आप अपनी साली को भी जरा टाइम दे दीजिए!


जीजाजी बोले- सुमन कहां है? मैं बोली- मैंने उनको पड़ोसी के घर में छोड़ दिया है. अब अपने पास शाम तक का समय है. आज अपनी साली को मन भर कर प्यार कर लीजिए.


बस फिर क्या था. मेरे शर्ट में से जो 34 इंच के रसीले गोरे गुलाबी दूध आधे दिख रहे थे, उन्हें देख कर जीजाजी का 7 इंच का लौड़ा उनकी पैंट में ही झटके मारने लगा.


जीजा सेक्स के लिये तत्पर हो गए, वे करीब आए और मुझे अपनी गोद में उठा कर एक हाथ मेरी गांड में और दूसरा मेरे बूब्स को छूता हुआ मुझे गोद में उठाने लगा. आह आईई ओह … मैं मस्त गर्म हो गई थी.


जीजाजी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लौड़े को सहलाते हुए बोले- मेघा, तू बहुत हॉट है.


मैंने कहा- जीजू, आप भी बहुत सेक्सी हो. अब देर मत करो, जल्दी से मुझे अपना बना लो.


जीजा जी ने जल्दी से अपनी पैंट उतारी और टी-शर्ट को उतार कर वे मेरे ऊपर चढ़ गए.


उन्होंने अगले एक मिनट से भी कम समय में मुझे पूरी मादरजात नंगी कर दिया और मेरे एक दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे.


मैंने भी आह भरते हुए उनके सर को अपने मम्मे पर दबाते हुए कहा- आह पी लो मेरी जान … कबसे आपकी पीठ से रगड़ रगड़ कर परेशान थी.


जीजा जी ने जल्दी से मेरे निप्पल को अपने होंठों से पकड़ कर खींचा और छोड़ दिया.


इससे मेरी तेज कराह निकल गई और उत्तेजना में गाली निकल गई- आह जीजू साले, क्या काट कर खा जाओगे?


उन्होंने मेरे दूसरे दूध के निप्पल को भी अपने होंठों से पकड़ कर खींचा. और जैसे ही वे उसे खींच कर छोड़ने वाले थे, मैंने जीजा जी के लंड की एक गोटी पकड़ कर दबा दी.


उससे हुआ यह कि जीजा की आह निकल गई और उन्होंने मेरे दूध को छोड़ दिया.


उसके बाद उन्होंने जल्दी से मेरी चूत में अपना लौड़ा सैट किया और गाली देते हुए एक शॉट मार दिया- साली कुतिया, मेरे आंड मसल रही है तू … ले साली अब लंड का मजा चख!


उन्होंने अपने लौड़े को मेरी चूत में झटके से ठांस दिया तो मेरी सील पैक चूत की चमड़ी उधड़ गई थी.


उन्हें शायद इस बात का अहसास ही नहीं था कि मैं अभी सीलपैक माल हूँ. लंड का सुपारा अन्दर घुसा तो मेरी दर्दनाक चीख निकल गई.


जीजा जी ने झट से मेरे मुँह को हाथ से दबाया और कहने लगे- ऐसे क्यों चिल्ला रही है … क्या पहली बार लंड लिया है? उनके इस सवाल का जबाव मेरी चूत से निकली खून की धार ने दे दिया.


जीजू ने अचानक से रुक कर मुझे चूमना और सहलाना शुरू किया. कुछ देर बाद मेरे दर्द में कुछ राहत हुई तो मैंने उन्हें आंख के इशारे से चोदना शुरू करने को कहा.


जीजू ने चुदाई शुरू कर दी और आधा घंटा तक Xxx साली की चूत की शंटिंग की.


चूत का पकौड़ा बनने तक मैं दो बार झड़ी. तब जाकर जीजा जी ने अपने लौड़े को चूत से निकाल कर मेरे मुँह पर वीर्य की धार मार दी.


मैं उनके वीर्य से अपना फेशियल करवा कर बहुत खुश थी.


उसके बाद जब तक मैं दीदी के घर रही, अपनी चूत से जीजा जी के लंड की सेवा करती रही.


आपको मेरी Xxx साली जीजा सेक्स की कहानी कैसी लगी? प्लीज कमेंट्स करके जरूर बताएं. [email protected]


Sali Sex

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ