ठाकुर जमींदार ने ससुराल में की मस्ती- 1

विशू राजे

06-01-2022

295,604

देसी चूत की कहानी में पढ़ें कि एक जमींदार ने अपनी ससुराल में घर में काम करने वाली एक कमसिन नौकरानी की चूत में उंगली करके गर्म कर दिया.


दोस्तो, मेरे पिछली कहानी जमींदार के लंड की ताकत में आपने पढ़ा कि मैंने अपने ससुराल के खेतों में काम करने वाली एक जवान औरत चम्पा को चोदा.


काफी लम्बी चुदाई के बाद मैं आने को हुआ. वो फिर से थरथराने लगी. हम दोनों साथ में झड़ने लगे.


थोड़ी देर तक उसी पर लेटा रहा. फिर उठ कर लंड उसके कपड़े से साफ करके बाजू हो गया.


वो उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी. मैं भी अपने कपड़े पहन कर उसके नजदीक गया और उससे पूछा- कैसा लगा? वो शर्मा दी और बोली- बहुत ज्यादा मजा आया.


मैंने पूछा- तेरे पति का कितना बड़ा है? वो बोली- मालिक मेरी गहराई आपने ही नापी है … वो तो आधे तक भी नहीं जा पाते. आज तो मेरी सारी नसें खुल गईं. दर्द में भी मजा कैसे आता है, ये आपने ही दिया.


मैंने उसे 200 रूपये दिए और वहां से चला आया.


अब आगे देसी चूत की कहानी:


मैं वहां से निकल कर घर पहुंचा. घर में मुझे एक नया चेहरा दिखा, वो कमसिन कली दिख रही थी.


तभी मेरी सास आयी और बोली- दामाद जी, खाना लगवा दूँ? मैंने हां बोल दिया.


सास ने खाना लगा दिया और मुझसे बोलीं- आइए दामाद जी!


मैं जाकर मेज के सामने कुर्सी पर बैठ गया.


सास भी बैठ गईं और उन्होंने उस नए चेहरे को आवाज लगाई- अंतरा, चल खाना परोस दे.


वो कमसिन कली आयी और खाना परोसने लगी. वो मेरे बगल में खड़ी थी.


मैं कहां चुप बैठने वाला था. मैंने सास से पूछा- ये कौन है? सास बोली- ये अंतरा है, मंजू की छोटी बहन!


मैंने अंतरा से पूछा- तुम कितनी बहनें हो? तो अंतरा बोली- हम तीन बहनें हैं.


मैंने पूछा- तीसरी का नाम क्या है? तो वो बोली- रानू.


वो मेरे बाजू में खड़ी होकर खाना परोसने लगी. उसके बाजू मुझे छू रहे थे. उसने नीचे घाघरा पहना हुआ था.


मैंने एक हाथ नीचे करके उसकी टांग को छुआ. वो कुछ नहीं बोली, तो मैं धीरे धीरे उसकी टांग को सहलाने लगा.


तो वो जरा पीछे को हटी … उसने मेरे हाथों को देखा और फिर मेरी तरफ देखा.


मैंने चुपके से उसे नजदीक खड़ा रहने का इशारा कर दिया. वो समझ गयी और मेरे बगल में आकर खाना परोसने लगी.


सामने मेज होने के कारण मेरी सास कुछ देख नहीं पा रही थी.


मैं उसके घाघरे के अंदर हाथ लेजाकर टांग को सहलाते हुए ऊपर बढ़ने लगा. अब मेरे हाथों ने उसकी चूत पर कब्ज़ा कर लिया था.


अंतरा अन्दर चड्डी पहने हुई थी, उसकी चड्डी की किनारियां मुझे महसूस होने लगी थीं.


मैं एक हाथ से चड्डी को नीचे सरकाने लगा. कुछ ही पलों में उसकी चड्डी उसकी टांगों से निकल कर जमीन पर आ गिरी, पर अभी भी उसके पैरों में अटकी पड़ी थी.


मैंने चम्मच गिराने का बहाना किया और उसी समय उसने एक पैर हटा कर चड्डी अलग कर दी.


मैंने हाथ बढ़ाया तो उसने दूसरे पैर को भी हटा कर चड्डी उठा लेने दी. उसकी चड्डी उठा कर मैंने अपनी जेब में रख ली. ‌‌ ये सब अंतरा ने देखा, पर वो खामोश रही.


अब मैंने फिर से अपना हाथ चलाना शुरू कर दिया. मैं उसकी नंगी चूत पर हाथ चलाने लगा.


वो अपने पैर हिलाने लगी और अपने पैर चिपका कर चूत को बचाने की कोशिश करने लगी ताकि मेरे हाथ चूत तक ना पहुंच सकें.


पर मैं कहां मानने वाला था. मेरा हाथ उसकी चूत के ऊपर तक पहुंच गया. मैं अपना हाथ चूत के ऊपर फेरने लगा.


उसे गुदगुदी होने लगी और उसके मुँह से हल्की सी हंसी छूट गयी. पर मैंने हाथ चालू रखा.


मैं एक हाथ से खाना खा रहा था और एक हाथ से उसकी चूत को कुरेद रहा था.


कुछ ही पलों में उसे भी मजा आने लगा.


मेरी सास को शक हो गया. वो खाना खत्म करके उठ गईं और मेरे पास आने लगीं. मैंने तुरंत हाथ निकाल लिया और अपना खाना खत्म करने लगा.


मेरी सास नीरजा देवी करीब आकर देखने लगीं कि कुछ गड़बड़ तो नहीं है. पर उन्हें कुछ ना मिला.


सास- दामाद जी आप खाना खा लीजिए … मैं कमरे में जा रही हूं. मैंने स्वीकृति दे दी. वो अपने कमरे में चली गईं.


उनके जाते ही मैंने फिर से अंतरा की चूत पर कब्जा जमा लिया. वो चुपचाप खड़ी हो गयी क्योंकि उसकी चूत में आग भड़क चुकी थी.


मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी बीच की उंगली अंतरा की चूत में सरका दी. अंतरा चिहुंक उठी.


मैं अपनी उंगली को चूत में घुमाने लगा और अन्दर बाहर करने लगा. अंतरा ने भी टांगें फैला दीं और उस पर नशा छाने लगा. वो भी मेरी उंगली की लय पर मस्त होने लगी.


मैंने देखा कि लोहा गर्म हो गया है, हथौड़ा मारने का समय आ गया है.


मैं खाना खत्म करके हाथ धोने चला गया.


अंतरा ने सारे बर्तन उठा लिए और किचन में धोने चली गयी.


मैं किचन में आ गया. मुझे देख कर अंतरा सहम उठी.


मैंने अंतरा को दोनों हाथों में उठा लिया और किचन के पीछे के रास्ते से हवेली के पीछे वाले कमरे में आ गया.


अंतरा मेरे हाथों में लटकी थी और मंद मंद शर्मा रही थी.


मैंने उसे बेड पर रख कर उसकी तरफ देखा. वो एक कमसिन कली थी. उसके चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे पर चूसने लायक थे.


मैंने तुरंत अपने होंठ से उसके होंठ मिला दिए और किस करना चालू कर दिया.


कच्ची कली के नर्म मुलायम होंठों को चूसने लगा, उसके संतरे दबाने लगा. वो भी साथ मेरा दे रही थी.


मैंने उसे किस करते करते उठा लिया और किस करना जारी रखा.


उसने अपने पैर मेरी कमर पर लपेट लिए. अब उसकी गांड मेरे लंड से टकराने लगी.


मैंने उसे थोड़ा नीचे सरकाया और लंड उसकी दरार में सैट कर दिया. उसने भी गांड हिला कर लंड को एडजस्ट कर लिया.


उसके होंठ मैंने अभी तक नहीं छोड़े थे. एक हाथ से मैंने उसके मम्मों को दबाना चालू कर दिया. ‘आंह अम्म …’ करते हुए उसने आंखें बंद कर लीं.


अब मैं एक हाथ से उसकी गांड दबाने लगा. काफी नर्म मुलायम गांड थी उसकी!


दबाते दबाते मैंने बीच की उंगली उसकी गांड के छेद में में घुसा दी. वो ‘आउच …’ करके उछल पड़ी. उसे हल्का दर्द हुआ, पर मैंने उसे पकड़े रखा.


वो गुस्से भरी नजरों से मुझे देखने लगी.


मेरी उंगली अभी भी गांड के छेद के अन्दर फंसी थी. मैंने उंगली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी. अब उसे थोड़ा ऊपर करते हुए उसके एक दूध को अपने मुँह में भर लिया और निप्पल पकड़ कर जोर जोर से खींचने लगा.


उसे मेरा जानवर बनना पसंद आ गया था, तो वो भी साथ दे रही थी.


निप्पल खींच जाने से वो मस्त हो गई थी. वासना का नशा उसके सर चढ़ गया था और वो अपनी गर्दन हिलाने लगी थी.


मैंने फिर से अंतरा को बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टांगें पकड़ कर उसका घाघरा उतार कर खींच दिया. अब उसकी नंगी चुत मेरे सामने थी.


मैंने झट से अपने मुँह को उसकी चूत पर रख दिया और जीभ को अन्दर सरका दी.


जीभ चूत के अन्दर जाते ही अंतरा कसमसाने लगी.


मैंने उसकी चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया. मैं अपनी जीभ को चूत में और अन्दर तक ले जाकर मजा लेने लगा.


फिर जीभ बाहर निकाल कर उसकी गांड के छेद को भी चाटने लगा. वो ‘ईइइ … ईस्स …’ करने लगी.


उसकी चूत एकदम छोटी सी थी. मुझे लगा कि मेरे मोटे लंड से उसे तकलीफ होगी.


मैंने उससे पूछा कि तुझे चोद दूँ. उसने अपनी चूत की तरफ उंगली करके कहा- मालिक अब इतना उकसा दिया है कि ये भी अन्दर डलवाए बिना नहीं मानेगी.


मैंने बोला- तुझे तकलीफ होगी. उस पर वो बोली- तकलीफ तो कभी ना कभी तो होनी ही है. तो आज ही हो जाने दो.


मैं खुश हो गया और लंड पर ढेर सारा थूक लगा कर उसकी नन्हीं सी चूत पर सैट कर दिया. फिर उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और जोर का धक्का दे मारा.


अंतरा की आंखें बड़ी हो गईं और वो चिल्लाना चाह रही थी पर आवाज मुँह में ही घुट कर रह गयी.


मेरा लंड दो इंच चूत के अन्दर घुस गया था. चूत का मुँह इतन खुल गया था कि कुछ कट सा गया था और उसमें से खून निकल रहा था.


पर अब मैं बिना पूरा लंड पेले रूक नहीं सकता था. मैंने एक और धक्का लगा दिया.


अंतरा छटपटाने लगी. पर मैंने उसे पकड़ रखा था.


इस बार लंड ने उसकी चूत की सील को तोड़ दिया था. खून की लकीर बह निकली. पर खून ज्यादा नहीं निकला क्योंकि लंड चुत में फिट था.


अब आखिरी जोर बाकी था. इस बार मैंने तगड़ा धक्का मारा, तो लंड चूत के अंतिम छोर तक पहुंच गया.


वो जोर से चीखी- आंह मर गयी … मालिक निकालो बाहर!


मैंने उसका मुँह बंद कर दिया और उसे चुप कराने लगा. मैं बोला- मेरा पूरा लंड घुस गया है … अब ज्यादा दर्द नहीं होगा.


पर उससे सहन नहीं हो रहा था और वो बेहोश सी हो गयी. मगर मैं रूका नहीं. मेरे अन्दर का जानवर उसे चोदे बगैर निकलने वाला नहीं था.


मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसे चोदता रहा.


दस मिनट में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और चूत में चिकनाई बन गयी. मेरा लंड गपागप अन्दर बाहर होने लगा.


अंतरा भी होश में आ गयी. उसे चेतन देख कर मैं खुश हो गया और बोला- रानी, तूने मेरा पूरा लंड खा लिया है.


वो मुस्कुरा दी … उसे भी अब मजा आने लगा था, तो वो भी साथ देने लगी.


कुछ मिनट बाद वो बोली- मालिक, मेरे अन्दर कुछ हो रहा है. मैं समझ गया कि ये फिर से छूटने वाली है.


अंतरा ने मुझे दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने नाखून मेरे बदन में गाड़ दिए. वो थरथराने लगी और उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया.


अंतरा ठंडी हो गयी और उसकी पकड़ ढीली पड़ गयी. उसने आंखें बंद कर लीं.


पर मेरे वार चालू थे. लंड चूत में ठोकर पर ठोकर मारे जा रहा था. उसकी चूत चुद चुद कर लाल हो गयी थी.


अंतरा कुछ ही देर बाद फिर से लय में आ गयी.


अब मैंने अंतरा को पलट दिया और उसका एक पैर बिस्तर के नीचे, एक पैर ऊपर करके लंड चूत में पेल दिया. मैं खड़े होकर अंतरा को चोदने लगा.


इस बार अंतरा को कुछ तकलीफ हुई. वो बोली- मालिक आपका सामान बहुत बड़ा है … मेरे पेट तक चोट कर रहा है, मुझे दर्द हो रहा है. मैं बोला- अंतरा रानी … कुछ देर सह ले.


उसने दर्द भरी आवाज में कहा- ठीक है मालिक. मैं उस कमसिन कली को चोदता रहा.


करीब पन्द्रह मिनट बाद वो बोली- मालिक, फिर से कुछ हो रहा है! ये कहकर वो थरथराने लगी.


अब मैं भी चरम पर आ गया था. मेरे धक्के और तेज हो गए.


तभी अंतरा छूट गयी, साथ में मेरे लंड ने भी पिचकारी मार दी और अंतरा की चूत भर दी.


अंतरा चुदाई से थक चुकी थी. उसके पैर थरथरा रहे थे.


मैंने अपना लंड निकाला और देखा कि अंतरा की चूत के पास खून का धब्बा बना था. चूत में से खून और वीर्य मिलकर बह रहा था.


उसकी चूत फूल कर कचौड़ी बन चुकी थी और काफी सूज गयी थी, एकदम लाल हो गयी थी.


अंतरा बेड पर पड़ी हांफ रही थी, कराह रही थी.


मैंने उसे पूरा उठाकर ऊपर बेड पर लिटा दिया.


पहले अपना लंड साफ किया और कपड़े पहन कर किचन में गर्म पानी लाने चला गया.


वहां मेरी सास नीरजा देवी खड़ी थीं. उन्होंने सारा खेल देख लिया था.


मैं बोला- थोड़ा गर्म पानी कर दो. वो बोलीं- आप जाइए … मैं देख लूंगी.


मैंने कहा- उसे कुछ पैसे भी दे देना. वो कुछ नहीं बोलीं तो मैंने अपनी सास को किस किया और वहां से चलता बना.


दोस्तो, सास को किस करने के बाद मेरा मूड फिर से बन गया था.


देसी चूत की कहानी की अगली कड़ी में अपनी सास की चुदाई की कहानी को लिखूँगा. आप मुझे मेल करना न भूलें. [email protected]


देसी चूत की कहानी का अगला भाग:


Teenage Girl

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