मैं पड़ोसी लड़के से दूसरी बार चुदी

अन्जू

26-09-2021

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मैंने अपनी देसी चुदाई का मजा अपनी दूसरी चुदाई में लिया. मेरी चूत की पहली चुदाई हो चुकी थी और उसकी सील भी टूट गई थी। लेकिन मजे वाली बात मुझे नहीं लगी.


हैलो फ्रेंड्स। मैं अंजू अपनी पहली चुदाई में सील तुड़वाई की कहानी आपको बता रही थी जिसके पिछले भाग पहली चुदाई का जोश में आपने पढ़ा कि कैसे मैं मौसी के किरायेदार लड़के दीपक के पास चूत चुदवाने छत पर गई।


हम दोनों ही अनाड़ियों की तरह सेक्स कर रहे थे। दीपक दो-चार धक्के मारकर दो बार झड़ चुका था और मेरी चूत को दर्द के सिवाय कुछ नहीं मिला था।


मेरी चूत दुख रही थी पर दीपक ने रात को फिर से मुझे उसके पास आने के लिए बोल दिया।


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अब आगे देसी चुदाई का मजा:


जब मैं छत पर उससे मिलने पहुंची तो दीपक बिल्कुल नंगा होकर मेरा इन्तजार कर रहा था।


मैंने कहा- दीपक … तुमने कहा था कि आज चुदाई नहीं होगी। वो बोला- हाँ, नहीं होगी चुदाई। साथ में नंगे तो सो सकते हैं? मैंने कहा- ठीक है। लेकिन अपने इस लंड को मुझसे दूर रखना। मेरी चूत का बुरा हाल है। वो बोला- ठीक है।


ये बोलकर उसने मेरे कपड़े उतारे और हम कम्बल ओढ़कर लेट गये। एक दूजे की बांहों में नंगे बदन को महसूस करना बड़ा अच्छा लग रहा था।


हम दोनों काफी देर तक बात करते रहे। वो मेरे चूचों से खेल रहा था, उन्हें चूस रहा था।


मुझे सिर्फ चुदाई नहीं करनी थी इसलिए उसका इस तरह से मेरे उरोजों से खेलना मुझे अच्छा लग रहा था।


धीरे धीरे मैं फिर से गर्म होने लगी और अपनी चूत का दर्द भूल गयी। शायद मेरी चूत गीली हो जाने की वजह से उसका दर्द मुझे महसूस नहीं हो रहा था।


वो मुझे किस कर रहा था और उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। मैंने कहा- दीपक, चुदाई नहीं यार … मैंने कहा था पहले ही तुमसे!


उसने कहा- हाँ … हाँ … नहीं करेंगे यार, पकड़ तो लो? मैंने सोचा कि दीपक कोई जबरदस्ती तो करेगा नहीं मेरे साथ, तो मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसके लंड को सहलाने लगी।


वो मुझे किस कर रहा था और एक हाथ से मेरी चूची दबा रहा था। धीरे धीरे उसका एक हाथ मेरी चूत तक जा पहुंचा जो पहले से गीली हो चुकी थी।


अब वो मेरी चूत के दाने को मसलने लगा। मेरी चूत का दर्द अब गायब हो चुका था और मुझे मजा आने लगा था। दीपक के किस करने से मैं कामुक होती जा रही थी।


उसके द्वारा मेरी चूची चूसने से और मेरी चूत का दाना मसलने से मैं गर्म हो चुकी थी और मेरा बदन लहराने लगा था। दीपक बोला- क्या हुआ?


मैंने कहा- अब इतने भी अनजान मत बनो, तुम्हारी जान क्या चाह रही है तुमको समझ नहीं आता है? वो बोला- मैं समझ गया।


फटाफट वो मेरे पैरों के बीच में आ गया और अपने लंड को मेरी चूत पर मसलने लगा। फिर छेद पर अपना लंड टिका कर बोला- डाल दूँ अंजू रानी?


मैंने कहा- डाल दो दीपक, लेकिन आराम से डालना। ज्यादा तेज धक्का मत मारना, तुम झटके से घुसेड़ देते हो। मेरी चूत पर थोड़ा रहम करो और आराम से डालना।


वो बोला- ठीक है। उसने अपने लंड को धीरे धीरे मेरी चूत के अन्दर डालना शुरू किया। मगर उसका लंड सूखा था और अन्दर नहीं जा पा रहा था इसलिए मुझे तकलीफ हो रही थी।


मैंने कहा- दीपक, अपने लंड को थोड़ा चिकना करो। वो बोला- क्या करूँ? मैंने कहा- थोड़ा थूक लगा लो।


उसने अपना थूक अपने लंड पर लगाया और फिर कोशिश करने लगा। अब उसका लंड धीरे अन्दर सरक रहा था। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कोई चीज मेरी चूत को चीरती हुई अन्दर जा रही है।


धीरे धीरे उसने अपना लंड पूरा अन्दर घुसा दिया। मुझे तकलीफ हो रही थी। मैंने कहा- दीपक, अब इसे ऐसे ही अन्दर रहने दो थोड़ी देर!


वो भी आज जल्दी में नहीं था, मेरे ऊपर लेट कर वो मुझे प्यार करने लगा। कभी किस करता तो कभी मेरे चूचों को मसल देता, कभी मेरे कानों पर काट लेता।


उसने देखा कि मैं थोड़े आराम में हूँ तो उसने अपना हाथ मेरी चूत के दाने पर लगाया और उसे मसलने लगा।


अब मेरा दर्द मजे में बदल रहा था। मैं अपनी कमर धीरे धीरे हिलाने लगी।


साथ ही साथ दीपक ने भी अपना लंड हल्का हल्का हिलाना शुरू किया। मैंने कहा- दीपक आज तुम बहुत अच्छा कर रहे हो। खिलाड़ी बन गये तुम लगता है।


वो बोला- सब तेरी चूत की चुदाई का असर है जान! मैंने कहा- दीपक … आह्ह … ऐसे ही धीरे धीरे धक्के मारो।


उसने धक्के तो नहीं मारे लेकिन अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर ही हिला रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। फिर उसने मेरी कमर को उठाते हुए मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया।


मैंने कहा- दीपक, तुम तो काफी समझदार हो गये हो। वो बोला- अब देखो, असली मजा आएगा। अब उसका लंड पूरी गहराई तक मेरी चूत में समा रहा था।


वो अपना थोड़ा सा लंड बाहर निकालता और फिर अन्दर डाल देता। उसके ये धीमे धीमे धक्के मारना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वो मुझे लगातार किस कर रहा था।


मैंने भी अपनी कमर हिलाकर उसका साथ देना शुरू किया। अब दीपक थोड़ा ज्यादा लंड अन्दर बाहर करने लगा। मेरी कमर की स्पीड जैसे जैसे तेज होती जा रही थी, उसके धक्के भी ज्यादा गहरे और तेज होते जा रहे थे।


15 मिनट की चुदाई के बाद अब दीपक पूरा हैवान बन चुका था। अब वो अपना लगभग पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से अंदर डालते हुए धक्के मार रहा था।


उसका धक्का इतना जोरदार होता कि मेरे मुंह से आह … की आवाज निकल जा रही थी। उसका हर धक्का पिछले धक्के से तेज और ताकतवर होता जा रहा था।


मेरी आह … ऊंह्ह … की आवाज उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। वो बोला- अंजू रानी … मजा आ रहा है न? मैंने कहा- हाँ मेरे राजा, आज तुमने अपनी रानी को खुश कर दिया।


अब मैं पूरी मस्ती में आ चुकी थी। अब लग रहा था कि बस ये ऐसे ही मुझे चोदता रहे और मैं चुदती रहूं। मैं आह … आह … आह … करके उसके हर धक्के का साथ दे रही थी और हर धक्के पर मेरी आवाज तेज हो रही थी। ऐसा लग रहा था मानो मैं उड़ रही थी।


मेरी आवाज तेज हुई तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे जोरदार किस करने लगा। मैंने अपने पैर उसकी कमर में लपेट लिए थे और हाथों से उसके बालों को पकड़ कर किस कर रही थी।


मुझे आज बहुत मजा आ रहा था। अब मुझे महसूस हो रहा था कि अंदर चूत में कुछ भर चुका है जो एकदम से फूटकर बाहर आने वाला है। मेरी चूत में ऐसा तूफान उठा हुआ था कि बस मैं उसको फड़वाने पर उतारू हो गयी थी।


फिर अचानक ही मेरा बदन अकड़ना शुरू हुआ और मैं झड़ने लगी। मेरी चूत से रह रहकर पानी निकलता हुआ मुझे महसूस हुआ और मैं ऐसे आनंद में खो गयी कि मेरी आंखें भारी हो गयीं।


झड़ने के बाद मेरा जोश कमजोर पड़ता चला गया। मैं जो धक्के दीपक की ओर लगा रही थी वो अब बंद हो गये थे; मैं अपनी ओर से प्रयास करने की रूचि खो चुकी थी।


दीपक बोला- जान … तुम ठीक से कमर चला नहीं पा रही हो। मैंने कहा- मतलब और कैसे चलाऊं कमर? वो बोला- तुम ऊपर आओ।


मैंने कहा- नहीं यार … मुझे नहीं आता करना। वो बोला- आओ तो? फिर वो लेट गया.


उसका लंड कुतुबमीनार के जैसा होकर एकदम से सीधा खड़ा था। मैं पहली बार लंड की सवारी करने वाली थी। मैंने दीपक के लंड को चूत पर सेट किया और अपना वजन उसके लंड पर डालने लगी।


अब उसका लंड अन्दर घुस रहा था। मैंने एक ही झटके में उसका पूरा लंड अपने अन्दर ले लिया। मैंने कहा- दीपक, मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं और कैसे करूँ!


वो बोला- जैसे भी तुमको मजा आये, अच्छा लगे, वो ही करो। मैंने अपनी कमर को थोड़ा आगे पीछे करना शुरू किया।


दीपक का लंड मेरी चूत की दीवारों में रगड़ खा रहा था; मुझे अपार आनंद मिल रहा था।


सेक्स का भूत मेरी चूत पर सवार था। लंड पर बैठकर मुझे ये अनुभव हुआ कि अब चुदाई मैं अपने हिसाब से कर सकती हूँ। धक्के धीमे करना तेज करना मेरे हाथ में आ गया था।


लंड कितना अन्दर गहराई तक लेना है और कितनी जोर से रगड़ मरवानी है अब ये सब कुछ मेरे हाथ में था। मैंने दीपक का पूरा लंड अपनी चूत में निगल लिया था।


अब मैंने धक्के लगाने शुरू किये तो धक्के धीरे से तेज होते गये। धक्कों की स्पीड काफी बढ़ गयी, ठंडी ठंडी हवा में मुझे पसीना आने लगा था।


लंड की सवारी करने का अनुभव मुझे पहली बार मिल रहा था। सहेलियों से चुदाई की कहानियां सुनी थीं; मगर चुदाई में जितना मजा आता है वो तो कहानियों में न के बराबर मालूम होता है।


मैं चुदाई की उनकी कहानियां सुनकर सोचती थी कि ये इतना कैसे चुद लेती हैं, अब मुझे समझ में आ रहा था कि चूत की खुजली मिटाने के लिए लंड जब अंदर बाहर होता है उसमें कितना मजा मिलता है।


दीपक का लंड था भी बहुत ही मोटा और लंबा। मुझे हैरानी हो रही थी कि मैं दूसरी बार की चुदाई में ही उसका पूरा का पूरा लंड अंदर ले रही थी। मेरी चूत उसके लंड की जड़ में उसके झांटों पर जाकर टकरा रही थी।


इतने में ही दीपक ने मेरी चूचियों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया। अब मेरा मजा दोगुना हो गया। मैं उसके सीने पर लेट गयी और अपनी चूचियों को उसके मुंह में दिया। मैं उसको चूचियां पिलाने लगी। वो भी मेरी चूचियों को जोर जोर से दबाते हुए पी रहा था।


इधर मेरी चूत नीचे से उसके लंड पर लगातार ऊपर नीचे हो रही थी।


मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं जैसे किसी रिदम को पकड़ कर बस लंड की लम्बी सवारी पर निकल गयी थी। इस सवारी का अंत मेरा स्खलन ही था जो अब काफी करीब लगने लगा था मुझे!


मैं दूसरी बार झड़ने वाली थी। दीपक झड़ने का नाम नहीं ले रहा था। मैंने धक्के मारना बंद करके दीपक के लंड को चूत के अन्दर ही गोल गोल घुमाना शुरू किया।


थोड़ी ही देर में दीपक के चेहरे का आनंद बढ़ने लगा। वो पहले से ज्यादा कामुक लग रहा था। उसके चेहरे की मदहोशी कह रही थी कि उसका लंड अब अपनी गर्मी का फव्वारा छोड़ने वाला है।


इतने में ही उसका बदन अकड़ने लगा लेकिन उसके झड़ने से पहले ही मैं झड़ गयी। मुझे देसी चुदाई का मजा अब मिला.


दीपक ने जैसे ही देखा कि मैं झड़ गयी हूँ। उसने तुरंत उठ कर मुझे गद्दे पर पटक दिया और कुत्तों की तरह धक्के मारने लगा।


वो ऐसे चोद रहा था जैसे सालों का भूखा कुत्ता है और उसको रोटी मिल गई है। तेजी से मेरी चूत को ठोकते हुए 2 मिनट बाद वो भी झड़ गया।


उसने अपने लंड का सारा रस मेरी चूत में भर दिया। उसके लंड के रस की गर्मी से मेरी चूत को बहुत शांति मिली। 2 मिनट चैन की साँस लेकर मैंने दीपक से कहा- तुम कुत्तों की तरह चुदाई करने पर उतारू हो गये थे।


दीपक बोला- अभी कहाँ जान, अभी तुझे कुतिया बना कर चोदूंगा तब कहना ये बात! मैंने कहा- दीपक अब नहीं, आज एक ही चुदाई में मैं थक गयी हूँ।


वो बोला- थोड़ी देर आराम कर लो। फिर कुतिया बनाता हूँ तुझे! दीपक के ये शब्द मुझे अच्छे नहीं लग रहे थे। मैं कोई कुतिया नहीं थी, मैं तो उसके दिल की रानी थी।


मगर वो मुझे कुतिया क्यों बनाना चाहता था ये मैं बाद में समझी।


दोस्तो, आपको मेरी चूत चुदाई की ये कहानी कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स में और अपने ईमेल में लिख भेजें। ये देसी चुदाई का मजा कहानी एकदम सच्ची है जो मेरे साथ घटी थी। आपके रेस्पोन्स का इंतजार करूंगी। मेरा ईमेल आईडी है [email protected]


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