मेरी चूत की गर्मी वैद्य जी ने निकाली चोद के

अमित चोदू

11-11-2023

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हॉट चूत फक कहानी में बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप के बाद एल जवान लड़की लंड के बिना उदास और बेचैन रहने लगी थी. उसकी माँ उसे देसी वैद्य के पास ले गयी. वैद्य उसकी बीमारी समझ गया.


यह कहानी सुनें.


दोस्तो, मैं आपकी रश्मि आपकी सेवा में फिर हाज़िर हुई हूँ. उम्मीद करती हूँ कि पहले की तरह आपको मेरी ये हॉट चूत फक कहानी भी पसन्द आए.


जैसा कि आपने मेरी पहली स्टोरी चूत की आग मजदूर के लौड़े से बुझी में पढ़ा था कि मेरा ब्वॉयफ्रेंड से काफ़ी समय पहले मेरा ब्रेकअप हो गया है. उसके बाद मैंने कई लंड लिए अपनी चूत में! पर हर रोज तो नया लंड नहीं मिलता.


अब मुझे चुदने की हवस बहुत होने लगी थी तो मैं उंगली से चूत रगड़ कर अपना काम चला रही थी. पर उंगली में वो मज़ा कहां, जो एक सख़्त मोटे लंड में होता है.


लंड न मिल पाने के गम में मैं घर पर बुझी बुझी सी रहने लगी थी.


यह देख कर मेरी मां बोलीं- मुझे लगता है कि तेरी तबियत सही नहीं है. मैं तुझे वैद्य जी के पास लेकर चलूंगी.


मैंने मन में सोचा कि मुझे वैद्य की नहीं, लंड की ज़रूरत है. पर मां के ज़ोर देने पर मैं उनके साथ चलने के लिए मान गयी.


अगले दिन हम लोग वैद्य जी के यहां गए.


वैद्य जी का गठीला बदन था और उम्र कोई 45 साल के आस-पास की रही होगी. वे दिखने में लंबे चौड़े थे.


मैं वैद्य जी के पास जाकर बैठ गयी.


मां ने उनसे कहा- वैद्य जी, ये पूरा दिन बहुत सुस्त सुस्त सी रहती है. इसका बदन निढाल रहता है. आप देख लो इसको कि क्या दिक्कत है.


वैद्य जी ने मेरी तरफ देखा और कहा- बेटा, अन्दर चलो. वहीं साइड में एक कमरा था जहां दवाई वगैरह रखी थीं.


मुझे लगा जैसे डॉक्टर के यहां भी होता है, ऐसा ही इनके यहां भी होगा. मैं अन्दर चली गयी.


वहां एक छोटा सा बेड था जैसा अस्पताल वगैरह में होता है. मैं उस पर बैठ गयी.


कुछ पल बाद वैद्य जी अन्दर आए और बोले- लेट जाओ इस पर! मैं लेट गयी.


वे मेरे पांव के सामने आए और हल्के हल्के से दोनों पैरों को दबाने लगे. साथ ही वे पूछने लगे- जहां दर्द हो, तो बताना मुझे!


मैंने हां में सिर हिला दिया.


इतने में वैद्य जी ने मेरे चेहरे पर एक कपड़ा डाल दिया और कहा- आंखें बंद कर लो और बॉडी को ढीला छोड़ दो. मैंने ऐसा ही किया.


अब वैद्य जी धीरे धीरे पांव दबाने लगे और ऊपर तक आने लगे. ऐसा करते करते वह मेरे घुटनों से ऊपर आ गए और अब वे दबाने के बजाए सहलाने लगे.


मुझे भी मज़ा आ रहा था. वैद्य जी अब मेरी जांघों तक आ गए थे और जैसे ही उन्होंने अपने अंगूठे को मेरी लैगिंग के ऊपर से ही मेरी चूत रगड़ी, मेरे मुँह से आह निकल गयी.


आह सुनकर वैद्य जी बोले- आ जाओ बाहर!


मुझे बहुत गुस्सा आया कि साले ने गर्म करके छोड़ दिया.


वैद्य जी बाहर चले गए. मैं भी उनके पीछे पीछे बाहर आ गई.


वे मां से बोले- इसकी हड्डियों में दिक्कत आ रही है. आपको कल से ही इलाज शुरू करवाना पड़ेगा वरना आगे चल कर दिक्कत और बढ़ जाएगी और आप इसको रोज़ या तो सुबह सुबह 6 बजे भेज दिया करो क्योंकि आप रोज़ रोज़ कहां आ पाओगी?


मैंने मन में सोचा कि वैद्य जी ने तो लंबी प्लानिंग कर रखी है. अब हम दोनों अपने घर वापस आ गए.


उस रात मुझे नींद नहीं आई कि कल वैद्य जी के साथ मज़े करने है.


मैं सुबह 5 बजे उठी और नहा धोकर तैयार होकर जाने लगी. तभी मां ने कहा- मैं भी तेरे साथ चलूंगी.


मुझे गुस्सा तो बहुत आया, पर सोचा कि अभी चुप रहती हूँ. हम दोनों घर से निकले और वैद्य जी के यहां पहुंच गए.


वैद्य जी बैठे हुए थे. मेरी मम्मी से उन्होंने कहा- आप भी साथ में आ गई हैं. चलो कोई बात नहीं … आप बैठो.


उन्होंने मुझसे कहा- तुम अन्दर चलो बेटा. मैं अन्दर आई और बैठ गयी.


वैद्य जी आए और बोले- उल्टा लेट जाओ.


तब वैद्य जी ने फिर ऐसे ही पांव से शुरू किया और गांड तक आ गए और खूब मसलने लगे.


मैं हल्के हल्के आअहह आहह करने लगी. वैद्य जी मेरी कमर को सहलाने लगे, साइड से वे हल्के हल्के से मेरे मम्मों को भी सहलाते हुए दबा रहे थे.


वैद्य जी ने कहा- ऐसे ही लेटे हुए अपनी कोहनी टिका लो.


मैं समझ गयी कि ये भोसड़ी का अब मेरे बूब्स मसलेगा.


वैद्य जी कमर से अपना हाथ मेरे सीधा पेट पर लाए और धीरे धीरे ऊपर ले गए. अब मेरे दोनों चूचे उनके हाथों में थे; वे उनको मसलने लगे.


मैंने कुछ नहीं कहा. मैं इलाज करवाती रही और वैद्य जी के हाथों का मजा लेती रही.


अब वैद्य जी ने एक हाथ मेरी कमीज़ में डाला और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. दूसरे हाथ से मेरी लैगिंग के अन्दर हाथ देकर गांड और चूत मसलने लगी.


मैं पागल हो रही थी. मेरी चूत से पानी टपकने लगा था.


अब वैद्य जी ने एक हाथ से चूचे को मसलना शुरू किया और वे एक हाथ से चूत को रगड़ते रहे.


मैं आआहह करने लगी और मैंने साइड से देखा तो वैद्य जी का लंड खड़ा हो गया था.


जहां वह बेड लगा था, उसके ऊपर एक खिड़की थी.


जहां से वैद्य जी को बाहर बैठी हुई मेरी मां दिख रही थीं.


साथ ही उस खिड़की में शीशा भी था ताकि अन्दर की आवाज़ बाहर ना जाए.


वैद्य जी से मैंने कहा- कोई आ जाएगा. वे बोले- मैं यहां से देख रहा हूँ, कोई नहीं आएगा.


बस उनका इतना बोलना था कि मैंने सिर घुमाया और वैद्य जी के लंड को पकड़ लिया. उनके मोटे लौड़े को मैंने उनकी धोती से बाहर निकाला और सीधा मुँह में लेकर चूसने लगी.


वैद्य जी मेरे चूचे और चूत मसल रहे थे.


कुछ देर तक वैद्य जी का लंड चूसने के बाद उनका काम होने वाला हो गया था.


वैद्य जी अपने शरीर को अकड़ाते हुए और बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज पर काबू करते हुए मेरे सर को आगे पीछे कर रहे थे और अपने लौड़े से मेरे मुँह को चोद रहे थे.


मैं उनके टट्टे सहलाती हुई उनके लौड़े को अपनी जीभ से पूरा मजा दे रही थी.


मेरे बॉयफ्रेंड के साथ मैंने लौड़े को चूसने की काफी प्रेक्टिस की हुई थी वो कमीना मुझे जब तब लंड चुसवाता रहता था.


मेरी मेहनत रंग लाई और वैद्य जी के लौड़े ने माल छोड़ दिया.


उन्होंने मेरे मुँह में ही अपना वीर्य निकाल दिया और कहा- पी जा इसे. मैं वीर्य पी गयी.


फिर उन्होंने एक कपड़ा दिया और कहा- लो इससे मुँह साफ कर लो और कपड़े सही करके बाहर आ जाओ. मैंने ऐसा ही किया.


अब हम दोनों घर आ गए.


उस दिन मैं बहुत खुश थी कि आज बड़े दिन बाद मुँह में लंड गया है. जल्द ही चूत में भी चला जाएगा.


ये सब सोच कर मेरे चेहरे पर खुशी छलकने लगी थी. मेरी मायूसी खत्म हो चली थी.


ये भाव देख कर मेरी मां को भी लगने लगा था कि इसको आराम मिलने लगा है.


अगले दिन मौसम में बदलाव हो गया था. सुबह से ही तेज बारिश हो रही थी.


मैंने मां से कहा- छाता तो एक ही है, मैं अकेली चली जाती हूँ.


मां ने कहा- हां तू ही चली जा. मैं वहां बैठे बैठे वैसे भी बोर हो जाती हूँ. मैं जल्दी जल्दी तैयार हुई और सीधा वैद्य जी के पास पहुंच गयी.


वे बोले- मां नहीं आई तेरी? मैंने कहा- बारिश हो रही है ना … इसलिए.


वे मुस्कुरा कर बोले- तो आ जा अन्दर अब! मैं जल्दी से अन्दर आ गयी.


स्लीपर पहने होने की वजह से मेरी लैगिंग पर कीचड़ लग गया था. मैं साफ करने लगी.


वे अन्दर आए और बोले- तू इसको निकाल दे, मैं अभी आता हूँ.


मैंने वैद्य जी के जाते ही लैगिंग निकाल दी और ब्रा भी. फिर फटाफट से कमीज़ वापस पहन ली.


अब मेरे बदन के ऊपर सिर्फ कमीज रह गई थी क्योंकि मैं पैंटी घर पर ही निकाल कर आई थी.


वैद्य जी अन्दर आए और बोले- कि ये बेड छोटा है. सामने वाले घर में चलते हैं.


उनका घर सामने था, जिसमें वे अकेले रहते थे. मैंने कहा- तो क्या मैं लैगिंग पहन लूं?


वे बोले- यहां कोई नहीं आता. वैसे भी आज बारिश बहुत तेज़ है. तू ऐसे ही चल … छाता तो है ही तेरे पास. अब मैंने एक हाथ में कपड़े उठा लिए और एक हाथ में छाता पकड़ लिया.


मैंने बाहर झांक कर देखा और बोली कि कहां तक जाना है? उन्होंने कहा कि सामने मेरी कुटिया में चलना है.


वहां थोड़ा जंगल टाइप था. मैंने इधर उधर देखा तो कोई नहीं था. मैं चल दी.


अब मैं आगे आगे चल रही थी और वैद्य जी मेरे पीछे पीछे थे.


इतने में हवा चली और मेरे हाथ से छाता छूट गया. मैं छाता पकड़ने के लिए भागी.


पर बारिश तेज़ थी. मैं भीग चुकी थी और छाता उठाने को झुकी, तो हवा से मेरी कमीज़ उड़ कर नजारा दिख गया.


वैद्य जी को मेरी नंगी गांड और चूत दिख गई.


अब वैद्य जी से रहा नहीं गया. वे आगे आए और सीधे मेरे होंठों को चूसने लगे.


मैंने कहा- यहां कोई आ जाएगा! वे बोले- चल अन्दर.


मैं जल्दी जल्दी अन्दर गयी और मैंने कमीज़ भी निकाल दी. वैद्य जी मेरे चूचों को देख कर बोले- वाह क्या जिस्म है तेरा!


मैंने कहा- हां, इसी में तो आग लगी है वैद्य जी. वैद्य जी ने अपनी धोती खोलते हुए कहा अभी तेरे जिस्म की आग बुझा देता हूँ.


वे जल्दी से धोती कुर्ता उतार कर नंगे हुए और मैं उनके लौड़े को देखने लगी.


वैद्य जी ने आज अपने लौड़े की झांटें साफ कर ली थीं.


मैं आगे बढ़ी और घुटनों के बल बैठ कर वैद्य जी के लंड को पकड़ कर अपनी जीभ से चाटने लगी.


उनके लौड़े ने फनफनाना शुरू कर दिया. मैंने लौड़े को जीभ से ऊपर से नीचे तक चाटने लगी.


बाहर पानी बरसने के साथ साथ तेज तेज बिजली कड़क रही थी.


सच में ये वातावरण चुदाई के रस को और ज्यादा खतरनाक कर रहा था.


वैद्य जी ने अपनी कुटिया की अल्मारी से एक पुड़िया निकाली और उसकी आधी दवा खुद ने खा ली और आधी मुझे खिला दी.


उस दवा को लेते ही मेरे जिस्म में एक अजीब सी सनसनी सी हुई और ऐसा लगा मानो मुझमें हथिनी जैसी ताकत आ गई हो.


वैद्य जी ने मुझे उठा कर अपने सीने से लगाया और मेरे होंठ चूसने लगे. मुझे बेहद मजा आने लगा.


जल्द ही वैद्य जी मेरे मम्मों पर आ गए और मैंने अपने हाथ से अपने दूध पकड़ कर वैद्य जी को पिलाने शुरू कर दिए. वे भी किसी बच्चे की तरह मेरे दूध चूसने लगे.


मैंने उनसे कहा- मेरी चूत का इलाज करो वैद्य जी! वे बोले- चल पहले जीभ से इलाज कर देता हूँ.


मैं चित लेट गई और वैद्य जी मेरी हॉट चूत चाटने लगे.


जल्द ही मैंने वैद्य जी के बाल पकड़े और उन्हें अपने ऊपर खींचते हुए कहा- अब चूत में लौड़े को पेलो वैद्य जी.


वैद्य जी ने अपने लंड को मेरी चूत में सैट किया और धाँए धाँए हॉट चूत फक करना चालू कर दी.


उनके मोटे लौड़े से मेरी चूत फट सी गई थी और मेरी दर्द भरी आवाजें निकलने लगीं.


कुछ देर बाद मेरी चूत ने वैद्य जी के लंड से लोहा लेना शुरू कर दिया था.


बहुत देर तक मेरी चूत का भर्ता बनाने के बाद वैद्य जी ने अपने लौड़े को मेरे मुँह में दे दिया और मैंने उनका सारा वीर्य खा लिया.


उस दिन के बाद से मैंने वैद्य जी के साथ कई बार चुदाई का मजा लिया. आपको मेरी हॉट चूत फक कहानी कैसी लगी, प्लीज बताएं. [email protected]


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