गर्म क्लासमेट लड़की को स्कूल में चोदा

मितुल यादव

15-01-2023

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हॉट गर्ल स्कूल सेक्स कहानी मेरे पहले सेक्स की है जिसमें मैंने अपनी क्लास की कमसिन लड़की को स्कूल में ही पूरी नंगी करके चोदा. पढ़ कर मजा लें.


दोस्तो नमस्कार. कैसे हैं आप सब! मैं आशा करता हूँ कि आप सब मस्त होंगे और अपनी सेक्स लाइफ एंजाय कर रहे होंगे.


अन्तर्वासना वेबसाइट से जुड़े मुझे तीन साल से ज़्यादा हो चुके हैं. मैं निरंतर इस वेबसाइट का प्रशंसक और पाठक हूँ. फिर आज लगा कि क्यों ना मैं भी अपनी ज़िंदगी में हुई एक सच्ची सेक्स घटना को आप सभी के साथ साझा करूँ. आज मैं पहली बार अपनी सच्ची हॉट गर्ल स्कूल सेक्स कहानी को इस लोकप्रिय वेबसाइट के लिए लिख रहा हूँ.


पहले मैं आप सभी को अपने बारे में बता देता हूँ.


मेरा नाम कुमार है, उम्र 26 साल है. मैं जबलपुर मध्य प्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है.


मुझे 30 वर्ष के ऊपर की महिलाओं में ज़्यादा दिलचस्पी रहती है, उनके साथ संभोग क्रिया में मुझे ज्यादा आनन्द महसूस होता है.


मगर मेरी शुरुआत एक कमसिन लौंडिया की चुदाई से हुई थी. आज जो सेक्स कहानी मैं सुना रहा हूँ, वो घटना मेरे और मेरी क्लासमेट के बीच हुई चुदाई की है.


यह उन दिनों की बात है, जब मैं स्कूल में बारहवीं क्लास में था. उस वक्त मेरा क्रश मेरी एक टीचर में था. वो मेरी क्लास टीचर नहीं थीं, बस एक विषय पढ़ाने आती थीं. वो बहुत सेक्सी दिखती थीं, उनके चूचे और चेहरा इतना लाजवाब था कि बस उनको देख कर मैं तड़प कर रह जाता था.


पर वो एक टीचर थीं तो मुझे कहां कुछ देने वाली थीं.


मेरी क्लास में लड़कियां भी पढ़ती थीं. मेरे दोस्त यार बहुत हरामी थे तो वो लोग लड़कीबाजी करते थे लेकिन मैं वो सब नहीं करता था. मैं एक सीधा सादा शरीफ अच्छा लड़का था.


एक बार स्कूल में वार्षिक उत्सव था, उसमें सभी स्टूडेंट और टीचर एक से एक फैंसी कपड़ों में सज धज कर आए थे. उस दिन यूनिफॉर्म पहन कर आना जरूरी नहीं था.


मैं भी फैशनेबुल कपड़े पहन कर स्कूल गया. मुझे क्या पता था कि आज नसीब मुझे कोई अच्छा सा माल चोदने देगा.


जैसे ही में स्कूल पहुंचा तो दोस्त लोग गले मिले, बातचीत हुई और पूरे स्कूल में हम सब घूमने फिरने लगे.


मैंने देखा कि जो स्टोर रूम है, स्कूल की बिल्डिंग का सबसे टॉप फ्लोर, टेरिस के पास वाला हिस्सा, दोस्तों के साथ घूमते घूमते मेरी नज़र पड़ी स्टोर रूम का ताला खुला है और ऊपर से बस कुंडी चढ़ी हुई है. यह मैंने देखा, उस वक्त मेरे दिमाग में कुछ ख़ास नहीं आया, बस जगह देख कर मन में कुछ कसक सी हुई.


किसी से मैंने कुछ नहीं कहा और दोस्तों के साथ आगे निकल गया.


सेकंड फ्लोर पर आकर साथियों से मैंने कहा- तुम लोग चलो, मुझे कुछ काम है. फंक्शन के कारण वैसे भी स्कूल एक घंटे में ऑफ हो जाएगा, मैं जा रहा हूँ. ऐसा कह कर मैं नीचे चला गया.


मेरा मन नहीं लग रहा था.


फिर मैं दूसरे रास्ते से सीधा तीसरे फ्लोर पर आ गया और घूम घूम कर क्लासों में झांकने लगा. ऊपर के सभी कमरे खाली पड़े थे.


वहां पर लाइन से बेंच लगी हुई थीं. वहीं एक कमरे में खाली बेंच पर मैं बैठ गया.


थोड़ी देर तक मैं यूं ही बैठा रहा. मुझे बाजू वाले रूम से दो लड़कियों की बात करने की आवाज़ आई.


एक दो बार तो मैंने इग्नोर किया, पर वो बार बार हुआ तो मैं देखने चला गया.


जैसे ही मैंने देखा दोस्तो, तो मैं दंग रह गया. मैंने सामने देखा कि मेरी एक क्लासमेट है. मैं उसका वास्तविक नाम यहां नहीं लिखूंगा इसलिए बदला हुआ नाम सविता लिख रहा हूँ.


मैंने देखा कि सविता और उसकी एक सहेली जो उससे एक क्लास नीचे की थी, वो दोनों वहां क्लास में सबसे पीछे वाली बेंच पर एक दूसरे के मम्मे दबा रही थीं और होंठों को चूम रही थीं. उनके बीच ये सब करते हुए हंसी मजाक चल रहा था.


मैंने वहीं आड़ में रुक कर उनकी ये सब करतूत देखी और उनकी बातें सुनने लगा. सविता उससे कह रही थी कि अपनी फ्रॉक उतार!


इस पर उसकी सहेली ने मना करते हुए कह दिया कि न बाबा … कोई आ जाएगा. सविता- अरे कोई नहीं आएगा बाबा, आज एक घंटे के बाद सब चले जाएंगे.


बस ऐसा बोलते ही सविता ने अपना हाथ नीचे किया और उसकी फ्रॉक उठा दी. उसकी चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया और आराम आराम से उसकी बुर सहलाने लगी. साथ ही वो दूसरे हाथ से कपड़ों के ऊपर से दूध भी दबाए जा रही थी.


थोड़ी थोड़ी देर में होंठों पर किस भी करती जा रही थी. सविता की सहेली की कामुक सिसकारियां भी निकलती जा रही थीं ‘उन्ह आ न्न्ह …’


दोस्तो, ये सब देख कर मेरा लंड लोहे की रॉड जैसा तन गया और मेरा हाथ मेरे पैंट के ऊपर से ही लंड को पकड़ कर सही से ठीक करने लगा.


जब मैंने दस मिनट तक ये नज़ारा देख लिया. तब मैंने वहीं खड़े रह कर क्लास के बाहर बाल्कनी से झांका कि कोई आस पास है तो नहीं.


जब मुझे वहां कोई नहीं दिखा तो मैं सविता और उसकी सहेली के सामने चला गया.


मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल रखी थी और अपना लंड चड्डी से बाहर निकाल रखा था.


मैं सविता के नज़दीक जैसे ही पहुंचने को था, उसकी सहेली की नज़र मुझ पर पड़ गई और वो अचानक से डर गई. वो अपने जिस्म को छुपाने लगी.


मैंने गुस्से से देखा, सविता को भी और उसकी सहेली को भी.


तब सविता ज़्यादा डरी नहीं दिख रही थी. वो वैसे भी स्वभाव से थोड़ा दबंग किस्म की लड़की है.


मैंने सविता को देखा तो वो बस मुझसे नज़रें चुरा कर यहां-वहां देखने लगी. मैं उन दोनों के और नज़दीक गया तो सविता की नज़र मेरे तने हुए लंड पर पड़ी. वो निरंतर लंड को देख रही थी.


यह मैंने देख लिया कि सविता की प्यास अब शायद लंड की तरफ आ गई है. उन दोनों में से कोई कुछ कहता, इससे पहले मैंने ही कहा.


मैं- ये सब क्या हो रहा है यहां पर? बताऊं अभी प्रिन्सिपल से जाकर? क्या कर रही थीं यहां ये सब? मैंने चिल्ला कर जब ये कहा तो सविता की सहेली डर के मारे घबरा गई.


उसकी आंखों में बड़े बड़े आंसू आ गए. मैंने समझ लिया कि बस सविता को काबू करना बाकी है, ये दूसरी लौंडिया तो समझो लंड के नीचे आ गई.


मैंने कहा- सविता, मेरी बात बहुत ध्यान से सुन, मुझे अभी इसी वक़्त तुम्हारे साथ किस करना है, वरना मैं अभी जाकर नीचे प्रिन्सिपल सर से सब सच सच कह दूँगा. जैसे ही मैंने इतना कहा कि वहां से सविता की सहेली भागने लगी.


मैंने उसे रोका पर वो नहीं रुकी, तो मैंने उसके साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं की और उसे जाने दिया. अब मैं सविता के सामने खड़ा था.


वो मुझे गुस्से से देख रही थी, लेकिन फिर भी शांत दिख रही थी. मैंने उससे फिर से कहा कि कुछ महीने बाद एग्जाम हैं, यदि तुम्हें प्रिन्सिपल सर स्कूल से निकाल देंगे तो तुम्हारा साल खराब हो जाएगा. सोच लो, सिर्फ़ एक किस या फिर पूरा साल बर्बाद.


पता नहीं वो क्या सोचने लगी. थोड़ी देर तक वो शांत रही फिर उसने मुझे इतनी सेक्सी स्माइल दी जिसका मुझे कोई अंदाज़ा ही नहीं था.


ऐसा हंसते हुए तो मैंने उसे कभी सामान्य रूप से क्लास में भी नहीं देखा था.


वो मेरे नज़दीक आई. अपने पैर के पंजों के बल खड़ी हुई; क्योंकि उसकी हाइट मुझसे कम थी. उसने अपने दोनों हाथ से मेरे कंधों को पकड़ा और मुझे अपने नज़दीक खींचा, मैं भी आगे आ गया.


फिर जैसे ही वो किस करने को हुई, मैंने अपनी तर्जनी उंगली उसके होंठों पर रख दी. वो समझ गई कि होंठों का चुम्बन चाहिए, वो होंठों को आगे करने लगी, तो मैं तत्काल पीछे हट गया.


वो बोली- अब ये क्या हुआ? मैंने उससे कहा- यहां पर नहीं. मेरे साथ चलो मुझे एक सेफ जगह मालूम है, जहां हमें कोई नहीं देखेगा.


वो बोली- एक किस ही तो करना है, उसमें कितना टाइम लगेगा? मैंने कहा- हां ठीक है, फिर भी मैं रिस्क नहीं लूँगा.


मैंने जल्दी से अपना तनतनाया हुया लंड वापस अपने पैंट में रखा, ज़िप लगाई और उसका हाथ पकड़ कर क्लास रूम से थोड़ा बाहर निकल कर देखा. जब कोई नहीं दिखा तो थोड़ा आगे जाकर, जो सीढ़ी ऊपर को गई हुई थी, वहीं से स्टोर रूम की तरफ निकल गया.


मैं छुपते छुपाते जा रहा था, जिससे हम पर किसी की नज़र ना पड़े.


फिर मैं सविता को लेकर स्टोर रूम के बाहर पहुंच गया. दरवाजे की कड़ी खोल कर हम दोनों एक एक करके अन्दर आ गए.


अन्दर से मैंने दरवाज़े के ऊपर वाली चिटकनी लगा दी. फिर वहां जो पुरानी दरियां रखी हुई थीं, उसमें से एक को बिछाया.


सविता ने पूछा- इसकी क्या ज़रूरत है? तो मैंने कहा- यदि ज़रूरत पड़ गयी तो?


तब वो मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखने लगी और मुझे अपनी ओर खींचने लगी. मैंने बिना सोचे विचारे उसके नाज़ुक कोमल लाल होंठों को अपने होंठों में भर लिया और पागलों के जैसे चूमने लगा.


तकरीबन 20 मिनट तक मैं सविता को चूमता रहा … चूसता रहा. कभी मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डालता, कभी उसकी जीभ वो मेरे मुँह में डालती.


मैं उसके जीभ को भी चूसता कभी होंठों को चूसता चूमता. कुछ देर के बाद मैंने अपनी पैंट को उतारा और उसने अपने कपड़े उतारे.


मेरा लंड लोहे के सरिया जैसा सख़्त और गर्म था. मैं घुटनों के बल बैठ गया और सविता को खड़ा ही रहने के लिए बोला.


मैंने उसके प्राइवेट पार्ट के पास नाक रख कर चड्डी के ऊपर से ही ज़ोर से खींच कर सांस भरी. मैं चूत की खुशबू जानना चाहता था. उसकी चड्डी से मूत और एक अजीब सी गंध ने मुझे पागल सा कर दिया था.


मैंने चूत पर एक किस कर दिया. वो एकदम से सिहर गई और मेरे सर को उसने अपनी चूत में दबा दिया.


फिर धीरे धीरे मैंने उसकी चड्डी उतारा और दोनों जांघों में हाथ फेरते हुए उसकी चूत की दरार में अपनी जीभ को लगा दिया. मैंने देखा उसकी चूत थोड़ी उभरी हुई, फूली सी थी और क्लीन शेव थी.


एकदम चिकनी चूत बड़ी मादक लग रही थी. मुझे मदहोशी सी छाने लगी.


मैंने नज़रें उठा कर सविता को देखा. उसका चेहरा कुछ ज्यादा लाल हो गया था. चेहरे पर थोड़ा सा पसीना और इतनी ज़्यादा वासना का भाव था कि लग ही नहीं रहा था ये वही सविता है, या स्कूल वाली है.


मैंने सोचा टाइम वेस्ट करने की जरूरत नहीं है. चूत का मजा लो और ठेला आगे बढ़ाओ.


अपना मुँह मैंने उसकी चूत पर लगा दिया और करीब दस मिनट तक मैं उसकी चूत को चाटता चूमता रहा, साथ में उसके पिछवाड़े को भी दबाता रहा. मैंने उसकी चूत में फिंगरिंग भी की.


अब मैं उस दरी के ऊपर पालथी मारकर बैठ गया और सविता को अपनी गोदी के ऊपर बैठा कर उसके दूध से खेलने लगा. उसके भरे हुए मम्मों को दबाना, चूसना मुझे और उसे बड़ा मजा दे रहे थे.


यह खेल भी काफी देर तक चला. वो पूरी तरह से मदहोश थी.


मैंने उससे पूछा- फर्स्ट टाइम है क्या? वो बोली ही नहीं.


मैंने कहा- कैसा लग रहा है? वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है.


मैंने कहा- और मजा लेना है? वो कुछ नहीं बोली.


मैंने उसे लेटाया और मैं भी उसके बाजू में लेट गया. कुछ देर बाद मैं उसके ऊपर चढ़ गया और मैंने उसकी चूत में अपना लंड सैट कर दिया. उसने भी टांगें फैला दीं.


मैंने बिना तेल और बिना कंडोम के ही एक ज़ोरदार झटके में लंड का सुपारा चूत में पेल दिया. सुपारा अन्दर चला गया था. ऐसा शायद इसलिए हुआ क्योंकि चाटने की वजह से चूत में थूक लगा हुआ था, तो चिकनाई का कमाल था कि लंड ने चूत पर आसान हमला कर दिया था.


उसने ज़ोर से हिचकी लेने जैसी आवाज़ निकाली. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और कसके उसे गले से लगा लिया.


मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा. एक डेढ़ मिनट बाद मैंने फिर से एक झटका दिया.


इस बार मेरा पूरा का पूरा 7 इंच का लौड़ा उसके अन्दर चला गया. मैंने उसे वैसे ही किस करके अपने से गले लगा कर रखा था.


वो छटपटा रही थी, उसकी आंख से बड़े बड़े आंसू आ गए थे. कुछ देर बाद वो सामान्य होने लगी.


तब तक मैंने भी सिर्फ़ लंड अन्दर डाले रखा था, ताकि उससे ज़्यादा तकलीफ़ ना हो. फिर वो जब सामान्य हुई. उसके बाद तो मैंने चुदाई की वो मशीन चलाई कि खुद मुझे समझ में नहीं आया कि ये मशीन कैसे चल गई.


मैंने लगातार बीस मिनट तक लंड पेला. उसकी चूत का भोसड़ा बन गया था.


इस बीच वो दो बार स्खलित हुई और उसकी आहें कराहें मुझे लगातार उत्तेजित करती रहीं.


जब मैं झड़ा तो झड़ने से पहले मैंने लंड को सविता की चूत से बाहर निकाला. उसके बाद वहीं एक कपड़ा पड़ा था. उसी में सारा रस झाड़ दिया. थोड़ी देर के लिए मैं यूँ ही बैठ गया.


मैं सविता को देखने लगा. वो भी मुझको देख रही थी.


अब वो रिलॅक्स हो गई थी, जैसे बादल बरस जाने के बाद, आसमान साफ हो जाता है, ठीक वैसे ही. मैं उसे देख रहा था.


मेरी स्माइल निकल गई, तो वो भी मुस्कुरा दी. मैंने पूछा- क्या हुआ?


वो शर्मा कर कहने लगी- कुछ नहीं, अब चलो. मैंने कहा- एक बार और!


वो बोली- स्कूल बंद हो जाएगा तो हम दोनों यहीं रह जाएंगे. मैंने कहा- यहां के चौकीदार से पहचान है मेरी. तुमको यहां से निकालूँगा भी और घर तक ड्रॉप भी कर दूँगा.


मुझे वो थोड़ी देर देखती रही, फिर ज़ोर से गले से लग गई. हम दोनों का फिर से चुदाई का खेल आरम्भ हो गया.


तकरीबन 30 मिनट स्कूल सेक्स के बाद हम दोनों उठे और वहीं एक दूसरा को साफ करने के लिए उधर से एक कपड़ा उठा लिया. मैंने मना किया कि रुक जाओ, पता नहीं कपड़े में कुछ गंद हुआ तो … प्राइवेट पार्ट संवेदनशील होते हैं, फिर चाहे वो लड़की के हों या लड़के के.


मैंने अपना रूमाल निकाला और जल्दी जल्दी उसका उसने और अपना माल मैंने हम लोगों ने साफ किया और कपड़े पहने. फिर जैसे अन्दर गए थे छुपते-छुपाते, वैसे ही बाहर निकल कर ग्राउंड फ्लोर पर आ गए.


उधर मैदान खाली होने लगा था. बहुत से लोग जा चुके थे और कुछ जाने की तैयारी में थे.


अन्दर रूम में एक दो टीचर बैठी हुई थीं, वो अपना बचा हुआ काम खत्म कर रही थीं. मैं बाहर आया और चारों तरफ देखा तो मेरे दोस्त लोग तभी चले गए थे.


मैं भी जाने लगा. मैंने सविता को देखा तो वो एक चेयर में बैठ गयी थी और मुझे अजीब सी मदहोशी भरे नज़रों से देख रही थी.


मैंने मन में सोचा पता नहीं क्या हो गया है इसको … ऐसा क्यों देख रही है? फिर मैंने भी स्माइल किया और वहां से चला गया.


फिर उस दिन के स्कूल सेक्स के बाद से वो मेरी अच्छी दोस्त बन गयी थी. जब हमारी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट हो गई. वो भी अपनी फैमिली के साथ कहीं बाहर चली गई.


उसके बाद मेरी और उसकी आज तक कभी बात और मुलाक़ात नहीं हुई.


दोस्तो, ये थी मेरी सच्ची सेक्स कहानी, जो मैंने आप सभी के साथ साझा की. आप सब भी मुझको ज़रूर बताइए कि आपको ये हॉट गर्ल स्कूल सेक्स कहानी पढ़कर कैसी लगी. मुझे आपकी मेल का इंतज़ार रहेगा. [email protected]


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