मेरे भैया ने मेरी कुंवारी बुर चोद दी- 1

निकी निषाद

01-10-2022

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हॉट गर्ल वांट सेक्स … मैं जवान हुई, मुझे सेक्स के बारे में पता लगा तो मुझे भी चुदाई की जरूरत महसूस होने लगी. मेरी सहेली मेरी चूचियां चूस कर मेरी वासना और बढ़ा देती थी.


लेखक की पिछली कहानी थी: मम्मी पापा की मस्त चूत चुदाई देखी


यह कहानी सुनें.


प्रिय पाठको, मैं निहारिका आप सभी को नमस्कार करती हूं.


यह सेक्स स्टोरी मेरी और मेरे मौसेरे भैया के बीच हुए शारीरिक संबंध के बारे में है जिसे आज मैं आप सभी के साथ साझा कर रही हूं. मुझे उम्मीद है कि आप लोग इस गर्म कहानी को पढ़कर भरपूर आनन्द लेंगे.


ये घटना एक साल पहले की है.


मेरी उम्र अभी 20 वर्ष है. मैं दिखने में थोड़ी सांवली हूँ. मेरी हाईट 5 फुट 3 इंच है, थोड़ी सी हेल्थी हूं. मेरी बॉडी का साइज 32सी-30-34 का है.


मेरी चूचियों का उभार एकदम गोल आकार में है, जिन पर मैं 32 नम्बर की ब्रा को टाइट करके पहनती हूँ. कसी हुई ब्रा में से मेरी चूचियों का उभरा एकदम संतरे के आकार में और तनी हुई नजर आती हैं. क्योंकि मैं जानती हूँ कि मर्दों की कामुक निगाहें सबसे पहले लड़कियों के मम्मों पर ही पड़ती हैं.


उम्र के साथ साथ मेरी जवानी भी परवान चढ़ने लगी थी. मैंने कम उम्र से ही गर्ल्स हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की थी.


दसवीं क्लास के दौरान ही मेरे शरीर में बहुत कुछ बदलाव आना शुरू हो गए थे. मेरे मम्मों के उभार काफी बढ़ने लगे थे.


उसी के बाद मेरा हॉस्टल बदल गया था. वहां मुझे एक अच्छी रूम पार्टनर मिली. उसका नाम अनुराधा था.


अनुराधा के द्वारा ही मैंने सेक्स के बारे में बहुत कुछ जाना. उसी ने मुझे पहली बार एक ब्लू फ़िल्म दिखाई थी. उसी ने मुझे अन्तर्वासना की हिंदी सेक्स स्टोरी के बारे में भी बताया था.


मुझे ब्लूफिल्म से ज्यादा अच्छी सेक्स कहानी पढ़ना लगा क्योंकि सेक्स कहानी पढ़ने में मेरी कामोत्तेजना बहुत अधिक बढ़ जाती थी और साथ में जिनके बीच सेक्स होता था, उनके बारे में साफ़ साफ़ समझ आता था. मैंने भैया बहन के बीच सेक्स के अलावा बहुत से चुदाई की कहानी पढ़ी हैं.


फिर धीरे धीरे मुझे भी इन सबकी लत लगने लगी थी. अब सेक्स कहानी पढ़कर मुझे सेक्स का खुमार चढ़ने लगा था. मुझे भी लगता था कि काश मेरा भी कोई बॉयफ्रेंड होता जो मेरी बुर की चुदाई करता.


हम दोनों सहेलियां सेक्स फ़िल्म और सेक्स कहानी देख पढ़ कर बहुत गर्म हो जाती थीं.


अनुराधा कुछ ज्यादा ही पागल सी हो जाती थी, वो मुझसे लिपटकर मेरी चूचियों को दबाती और उन्हें नंगी करके अपने मुँह से पीने लग जाती थी. उसी के वजह से 20 की उम्र में ही मेरी चूचियों का आकार 30 से बढ़ कर 32 सी का हो गया था.


फिर 12वीं कंप्लीट होने के बाद मुझे नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लेना था तो मेरे घर वालों ने तय किया कि मैं अपने नाना नानी के घर जाकर वहीं के कॉलेज में दाखिला ले लूं क्योंकि मेरे घर वाले गांव में रहते थे. मेरी मम्मी का कोई भैया नहीं है, वे दो बहनें ही हैं.


मेरी मम्मी और मौसी, जिन्हें मैं बड़ी मम्मी कहती थी. बड़ी मम्मी का बेटा था, जिसका नाम नमन है. वह बचपन से ही नाना नानी के साथ रहता था.


मेरे मौसेरे भैया नमन की उम्र 24 वर्ष थी, वह नानाजी को उनके बिज़नेस में मदद करता है. वह बहुत ही हैंडसम लड़का है. उसकी बॉडी भी काफी अच्छी है, क्योंकि वह जिम जाता है.


नमन भैया ने अपनी पर्सनालिटी को बहुत मेनटेन करके रखा है.


स्कूल खत्म होने के बाद मैं हॉस्टल से घर आ गई.


कुछ दिन बाद नमन भैया मुझे लेने आया. कितने दिनों बाद मैंने नमन भैया को देखा था. मैं उसको बस देखती ही रह गई. मैंने जैसे किसी बॉयफ्रेंड की कल्पना की थी, नमन ठीक उसी प्रकार का लग रहा था.


पर मेरे मन में उस वक्त तक अपने भैया के लिए कोई गलत फीलिंग नहीं थी. मैंने उस दिन जीन्स और टाइट टी-शर्ट पहनी हुई थी, जिसमें से मेरे मम्मों का उभार और गोलाई साफ साफ नजर आ रही थी.


नमन भैया ने मुझे देखकर स्माइल की, तो मैंने भी स्माइल पास की. फिर मम्मी ने भैया को बिठाया और उन्हें चाय दी.


मैं भी भैया के साथ बैठ गई.


हम दोनों चाय पीते हुए इधर उधर की बातें करने लगे. इस बीच मैं महसूस किया कि भैया की निगाहें बार बार मेरी चूचियों पर ही जा रही थीं.


मैं अन्दर ही अन्दर मुस्कुरा दी. उस दिन पहली बार मुझे नमन भैया की कामुक नजरें अच्छी लगी थीं.


फिर रात में खाना खाने के टाइम आया. जब मैं नमन भैया को खाना देने के लिए नीचे झुकी तो भैया की नजर सीधे मेरी गोरी चूचियों पर ही टिक गई थीं.


मेरे नीचे झुकने की वजह से मेरे आधे से अधिक बूब्स दिखाई दे रहे थे. वो मुझे कामुक नज़रों से देख रहा था.


एक बार मैंने उसे अपनी निगाहों से मेरी गोरी उभरी हुई मस्त गोलाइयों को ताड़ते हुए पकड़ लिया. नजरें मिलते ही भैया ने हड़बड़ा कर अपनी नजरों को नीचे कर लिया.


मैं फिर से मन में मुस्कुरा दी. दरअसल मैंने खुद ही उसे अपनी चूचियां दिखाकर ललचाया था. फिर उसके बाद भैया ने डर कर अपनी निगाहें मेरे मम्मों से हटा लीं और अब वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रहा था.


रात को सोते समय पता नहीं मुझे क्या हो गया. अपने भैया का यूं मेरी तरफ देखना, मेरी गोरी चूचियों को ताड़ना मुझे भी अच्छा लगने लगा. ये सब सोचकर मेरे मन में और मेरे शरीर में अजीब सी लहर सी चलने लगी थी.


उस रात मैंने भैया बहन सेक्स की तीन स्टोरी पढ़ीं और बहुत ज्यादा गर्म हो गई.


हर सेक्स कहानी में मैंने अपने भैया की कल्पना करके अपने मम्मों को हाथों में लेकर खूब मसला और अपनी उंगलियों से बुर को शांत किया, फिर मैं झड़ कर सो गई.


सुबह मैं मोबाइल चला रही थी तो भैया ने मस्ती मज़ाक करते हुए मुझसे मेरा मोबाइल छीन लिया. मैं अपना मोबाइल वापस लेने के लिए उसके पास गई, तो भैया ने मुझे चिढ़ाते हुए फोन अपने हाथों से ऊपर कर लिया.


मैं मोबाइल लेने के लिए उसके काफी करीब हो गई और उसके हाथ से अपने मोबाइल को लेने की जद्दोजहद करने लगी. इस गुत्थम गुत्थी में मैं भैया के सीने से एकदम चिपक गई, जिससे मेरी दोनों चूचियां उसकी छाती से दब गईं.


इससे मेरे शरीर में मुझे एक अजीब सी मस्ती सी छाने लगी. उस दिन मैंने पहली बार किसी मर्द को इतने करीब से स्पर्श किया था. मेरी चूचियों ने किसी मर्द की छाती का स्पर्श पाया था.


मेरी चूचियों को भैया ने भी अपने सीने में महसूस किया और वो पीछे को झुक कर मुझे अपने सीने पर लगभग लिटा कर मुझे महसूस करने लगा. भैया की गर्म सांसें मुझे भी मदहोश करने लगी थीं और मैं भी उसके चौड़े सीने से अपने दूध रगड़ कर मजा लेती रही.


मैंने जानबूझ कर अपने मम्मों को भैया के सीने में अधिक दबाव बनाकर मसलना शुरू कर दिया था जिससे भैया की पकड़ मोबाइल पर से थोड़ी ढीली हो गई. उसी समय मैं उसके हाथ से मोबाइल छीनकर उसे चिढ़ाती हुई भाग गई.


अब शाम को मुझे भैया के साथ नाना नानी के घर जाना था. मैं रेडी होकर भैया के साथ उसके साथ बाइक पर बैठकर नानी के घर चली गयी.


मैंने वहां के एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया. अब मैं रोज भैया के साथ उसकी बाइक पर बैठ कर कॉलेज जाने लगी. इस दौरान मैं भैया के साथ बहुत चिपक कर बैठती थी, जिससे मेरे मोटे दूध उसकी पीठ पर टच हो जाते थे.


भैया भी जानबूझ कर रास्ते में बाइक में जोर से ब्रेक लगाने लगा था, जिससे भैया अपनी पीठ पर मेरे मम्मों को और अच्छे से महसूस करने लगा. उधर वो जरा सा ब्रेक लगाता और मैं कुछ ज्यादा ही जोर से अपने मम्मे भैया की पीठ से रगड़ देती थी.


उसके मर्दाना स्पर्श से मेरी बुर में पानी आ जाता था.


कुछ ही समय में हम दोनों भैया बहन के रिश्ते से कुछ आगे बढ़ कर काफी घुल मिल गए थे. हम दोनों घर पर मस्ती मजाक करने लगे थे.


मैं घर में बहुत शार्ट और हल्के कपड़े पहनने लगी, जिससे मेरे जिस्म का दीदार भैया अच्छे से कर सके.


भैया मुझे देखकर गर्म तो हो जाता था परन्तु उसकी आगे बढ़कर कुछ करने की हिम्मत नहीं होती थी. वो डरता बहुत था.


इधर मैं उससे चुदाई करवाना चाहती थी परन्तु अपनी तरफ से पहल करना नहीं चाहती थी.


एक रात भैया के रूम में हम दोनों उसके लैपटॉप पर पिक्चर देख रहे थे. फ़िल्म देखते देखते मेरी नींद वहीं लग गई.


कुछ देर बाद मुझे अपने पेट पर कुछ महसूस हुआ, तो मेरी नींद खुल गई. मैं उस समय सीधी लेटी थी. मैंने देखा कि भैया मेरे बगल में लेटकर अपने हाथों से मेरे पेट को सहला रहा था.


मुझे भी अच्छा लगने लगा, तो मैं नींद में होने का नाटक करने लगी. मैंने उस रात टी-शर्ट और लैगीस पहनी हुई थी.


कुछ देर बाद भैया का हाथ मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे मम्मों पर आ गया. भैया भी बड़ी चतुराई से नींद में होने जैसा होकर, ये काम कर रहा था कि अगर मैं नींद से उठ जाती, तो मेरे को लगे कि वो नींद में है.


कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद अब उसके हाथ मेरी चूचियों पर हल्के हल्के दबाव देने लगे. बहुत देर तक भैया मेरे दूध को मसलता रहा था, जिससे मैं भी गर्म हो गई और मेरी बुर में रस आने लगा था.


फिर मैं करवट लेकर भैया की तरफ हो गई. मेरे करवट लेने से वो डर गया कि मैं नींद से जाग गई हूं.


वो डरकर मुझसे अलग होकर दूसरे रूम में चला गया. उस रात मुझे बहुत गुस्सा आया.


ये मुझे गर्म बुर पर धोखा सा लगा. इसे मैंने जीसीपीडी का नाम दे दिया.


कुछ दिनों बाद शाम को मैंने भैया को एक मंदिर में एक लड़की के साथ देखा, मेरी झांटों में आग सी लग गई. मैं उन दोनों का पीछा करने लगी.


वे दोनों चुपके से मंदिर के पीछे जाने लगे. मैं भी कुछ देर बाद उनको देखने चली गई कि भैया के साथ कौन लड़की है. उधर देखा कि भैया एक पेड़ के पीछे जाकर उस लड़की को लिपकिस कर रहा था.


नमन भैया का एक हाथ उस लड़की की गर्दन पर था और दूसरा हाथ उसकी कमर पर. तभी भैया ने अचानक से मुझे देख लिया और वो हड़बड़ा गया.


वो दोनों एकदम से अलग हो गए. मैं चुपचाप घर आ गई.


भैया जब घर आया, तो वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रहा था. मैं भी उनसे नहीं बोली.


रात को खाना खाने के बाद मैं उसके रूम में गई और मैंने सीधे सीधे भैया से पूछा कि वो लड़की कौन है? नमन भैया ने थोड़ा झिझक कर कहा- फ्रेंड है.


मैं बोली- फ्रेंड या गर्लफ्रेंड? तो बोला- गर्लफ्रेंड है.


मैं- कब से? भैया- दो साल हो गए हैं.


मैं- मुझे पहले क्यों नहीं बताया? भैया- कैसे बताता.


फिर बहुत सारी बातें उन दोनों के बारे सुनने को मिलीं. भैया सब बताने लगा.


फिर वो अपने लैपटॉप में मुझे उस लड़की की फोटोज दिखाने लगा. उन दोनों की कुछ फोटोज काफी बोल्ड भी थीं, जिसे देखकर मैं हंसने लगी.


भैया- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है? मैं- नहीं है.


भैया- झूठ मत बोलो. मैंने बता दिया न … अब तुम भी बता दो. इतनी सुंदर लड़की का बॉयफ्रेंड नहीं होगा मैं मान ही नहीं सकता. बता दे, मैं कुछ नहीं बोलूंगा. मैं- सच में यार, कोई नहीं है.


भैया- ठीक है. पर क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हें कैसा बॉयफ्रेंड या हजबैंड चाहिए? मैं- तुम्हारे जैसा.


भैया- अच्छा जी! पर मेरे जैसा क्यों? मैं- हाँ जी, वैसे भी तुम मेरे बॉयफ्रेंड जैसे हो, जो रोज मुझे कॉलेज ले जाते हो, घुमाने ले जाते हो. तो मुझे बॉयफ्रेंड की आवश्यकता ही नहीं पड़ी, इसलिए तुम ही मेरे बॉयफ्रेंड हो.


ये कह कर मैं हंसने लगी.


भैया- वैसे बॉयफ्रेंड इनके अलावा और बहुत कुछ करता है. मैं- हां वो तो देखा है, ब्वॉयफ्रेंड आज मंदिर के पीछे वो सब भी कर रहा था.


फिर हम दोनों हंसने लगे. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मुझे मालूम था कि नमन भैया तो बहुत डरपोक है, वो तो कुछ करने वाला नहीं था.


इसलिए मैंने ही पहल की और भैया को बोल दिया- क्या तुम एक बार मुझे भी लिपकिस करोगे?


अब भैया को मेरी तरफ से सिग्नल मिल गया था. मेरी बात सुनकर वो मुझे इस तरह से देखने लगा कि उसे भी बस इन्हीं लम्हों की कब से तलाश थी.


कब से भैया मेरी जवानी को आंखों ही आंखों में चुदाई किए जा रहा था, जो आज जाकर कहीं उसकी इच्छा पूर्ण होने जा रही थी.


उस वक्त हम दोनों भैया के बेड पर बैठे थे. मैं आज सलवार सूट में थी.


दोस्तो, मैं अपने भैया के साथ कैसे चुदी, वो सेक्स कहानी आपको अगले भाग में लिखूँगी. आप मुझे मेल जरूर करें और कहानी के अंत में कमेंट्स भी जरूर करें. आपकी हॉट गर्ल वांट सेक्स [email protected]


हॉट गर्ल वांट सेक्स का अगला भाग: मेरे भैया ने मेरी कुंवारी बुर चोद दी- 2


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