मैं खाली घर में पड़ोसी लड़के से चुद गयी- 2

शनाया राजपूत

16-09-2022

213,843

हॉट जवान सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी वासना के चलते पड़ोस के जवान लड़के को अपने जाल में फंसाया. फिर उसने मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ी.


फ्रेंड्स, मैं मधु आपको अपनी चुदाई की कहानी सुना रही थी. कहानी के पहले भाग पड़ोसी लड़के से सेक्स करने की चाह में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं मयंक के लंड को पकड़ कर उसे अपने कमरे में ले आई थी और उसे बेड पर धक्का दे दिया था.


अब आगे जवान सेक्स कहानी:


मैंने उस पर चढ़ कर उसे चूमते हुए कहा- तुम्हें मेरी चूत कैसी लगी? वो कहने लगा- मैंने उंगली से चैक किया था. तुम्हारी चूत बहुत टाईट है. मुझे कोई तेल हो तो दो. पहले मुझे चूत में तेल लगाना पड़ेगा.


मैंने नशीली आवाज में कहा- तेल नहीं है. ऐसे ही पेलो. उसने कहा- पहले लंड को चिकना करना पड़ेगा, नहीं तो लंड पेलने में दर्द देगा.


मैंने इठलाते हुए कहा- फिर क्या करोगे? अपने लंड को किसी और तरह से चिकना करोगे क्या? उसने मेरी बात को शायद समझ लिया था. उसने कहा- तो क्यों न तुम एक लॉलीपॉप मुँह में ले लो.


मैं समझ गई कि वो क्या कहना चाहता था. हालांकि ये लॉलीपॉप वाला काम मैंने कभी किया नहीं था. फिर भी मैंने उससे कहा- ठीक है, तुम जो चाहो करा लो. लेकिन बाद में मैं भी कुछ हट कर बोलूंगी, तो मना मत करना. उसने भी हां कह दी.


वो चित लेटा था. उसका लंड वैसे तो साफ था लेकिन अपनी चूत चुदवाने के लिए मुझे ये सब भी करना पड़ेगा, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. मैं उसके लंड को हाथ से सहलाने लगी.


मयंक ने कहा- तुम एक काम करो, इसे मुँह में पूरा अन्दर तक ले लो और जितना भी थूक निकले, सब उसी पर छोड़ देना. फिर बाद में मैं तुम्हें और कड़क लॉलीपॉप चूसने को दूंगा. मैंने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और सुपारे को एक बार जीभ से चाटा.


उसकी आह निकल गई. मुझे उसके लंड स्वाद बुरा नहीं लगा. उस वक्त मैं उत्तेजित थी तो मैंने जल्दी से उसके लौड़े को अपने मुँह में ले लिया.


मेरा मुँह पूरा भर गया था. मैं मयंक के लंड को अन्दर तक ले गई और जल्दी से बाहर निकाल दिया. अगर मैं ज्यादा सोचती तो मैं ये कर ही नहीं पाती.


उसने तुरंत लंड हिलाया और फिर से मेरे हाथ में दे दिया. अब मैंने उसके लंड को एक किस की और अपने मुँह की लार लंड के टोपे पर छोड़ दी.


मैंने हाथ से लंड की मुठ मारना शुरू किया, उसका लंड फूलने लगा और खड़ा होने लगा. मैं हिलाती गई और उसका लंड फूलता गया.


जब तक उसने मना नहीं किया तो मैं भी नहीं रुकी. फिर उसने अपना लंड मुझे देखने को कहा.


सच में उसका लंड बहुत मोटा ओर लम्बा दिखा और पूरा लाल सुपारा मुझे ललचाने लगा था. मैं भी लंड चूसने के मूड में आ गई थी.


तभी वो मेरी चूत की तरफ देखने लगा और हाथ फेरने लगा.


मैंने लंड चूसने का काम छोड़ा और उसके मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत उसके मुँह के ऊपर रख दी. उसने अपनी जीभ मेरी चूत में सरका दी.


वो अपनी जीभ चूत में डालकर मजे लेने लगा.


मुझे भी अपनी चूत चटवाने में मजा आने लगा था. मैं अपनी गांड हिला हिला कर चूत चुसवाने लगी थी. मुझे बहुत मजा आ रहा था.


कुछ देर बाद मेरी बारी आ गई थी. मैंने उसको खड़ा किया और खुद घुटने के बल नीचे बैठ गई. मैंने उसका लंड मुँह में ले लिया और मस्ती से चूसने लगी.


करीब पांच मिनट तक मैंने मयंक के लंड की चुसाई की. मैंने उससे पूछा- मुठ कबसे नहीं मारी?


उसने बताया कि एक महीना से ज़्यादा हो गया. तुम अभी और चूसो. मैं समझ गई कि दवा के असर से साले का लंड झड़ नहीं रहा है.


फिर मैंने सोचा कि तब भी इसका पहली बार का पानी निकाल देती हूं, वरना बीच में ही छोड़ देगा तो मजा किरकिरा हो जाएगा. उसके बाद कुछ और देर तक लंड चूसने लगी. मैं लंड चूसते समय सिर्फ यही सोच रही थी कि आज इसके मोटे लंड से मस्त चुदाई होगी.


मैं लंड गले गले तक लेने लगी थी. अब वो भी मुझे झटके देने लगा था. उसका हाथ मेरे सर पर जम गया था.


मैंने भी जोर लगाया और लिक लिक करके लंड चूसती रही. फिर उसने ‘आह आंह जान मैं गया … आह.’ ये कह कर मेरे मुँह में एक धार छोड़ दी. उसी के साथ उसने अपना पूरा लंड मेरे गले तक ठांस दिया था.


मेरी आंखें बाहर को आ गई थीं. मैंने तुरन्त उसे धक्का दे दिया.


उसके लंड ने दूसरी पिचकारी मेरे मम्मों और मेरे चेहरे पर मार दी.


मेरी आंखें बंद हो गईं. अब तक वैसी ही सात आठ पिचकारियां मेरे बदन पर और मेरी आँखों पर पड़ी थीं. उसका बहुत ही ज्यादा स्खलन हुआ था.


मैंने आंखें साफ की और खुद पर नजर मारी तो देखा कि मेरे पूरे बदन पर सफेद चिपचिपा वीर्य छपा हुआ है और वो मेरे बेड पर चित लेटा था. मैं तुरन्त बाथरूम में गई और शॉवर के नीचे खड़ी हो गई, अपने जिस्म पर पानी डाला और शेम्पू से नहाई.


फिर मयंक को अन्दर बुला कर उसे भी नहलाया. हम दोनों ने नहा कर बाहर आकर थोड़ी आराम किया.


सर्दी से गीले बालों की वजह से ठिठुरन हो रही थी तो मैंने दोनों के बाल ड्रायर से सुखाए.


अब करीब 12 बज चुके थे.


जब मैं ड्रायर चला रही थी तो मेरे नग्न बदन को देख कर उसने फिर से मौसम बना लिया और मुझे पकड़ लिया.


मैंने भी उसके लंड को कंडोम पहना दिया. फिर जो कैमरा मैंने बेड की तरफ मुँह करके पहले से फिट किया था, उसको ऑन कर दिया.


साथ ही मैंने अपना मोबाइल मयंक के हाथ में देकर कहा कि मेरी चुदाई की एक एक पल की शूटिंग करो. मैं रोऊं या कुछ भी करूं, लेकिन लगातार तुम्हें शूट करना है.


उसने बिना कोई आपत्ति के मुझे लिटाया और कहने लगा- जैसा मैंने ब्लूफिल्म में देखा है, वैसे ही करना है न? मैंने कहा- हां तुम जैसा चाहो वैसा कर सकते हो.


उसने न मेरे पैर फैलाए और न पैर उठाए, बस चूत में लंड डालने लगा. लेकिन ये करना उसको बहुत मुश्किल लगा.


बंद टांगों में कसी हुई चूत में लंड कैसे पेला जा सकता था. वो पूरा चूतिया था.


मैंने ही अपने आप से पैर उठा कर उसके कंधों पर रख दिए. अब मोबाइल उसके हाथ में था. वो एक हाथ में मोबाइल, दूसरे में लंड पकड़े हुए था.


उसको मेरी टांगें खुली होने से मेरी चूत की गुलाबी फांकें साफ साफ दिख रही थीं.


मैंने सोचा ये तो भोसड़ी का एकदम से लंड पेल के ऊपर चढ़ जाएगा. मैंने पैर नीचे करके सिकोड़ लिए. तब भी वो मेरे ऊपर चढ़ भी गया.


इस समय मेरी मिशनरी स्टाइल में चुदाई होने की पोजिशन थी. मैं उसको हाथ से रोक भी सकती थी. चुदाई का कंट्रोल मेरे हाथों में था.


मैं बार बार उसके सीने पर हाथ फेर रही थी और वो मेरे एक स्तन को मसले जा रहा था.


फिर उसने मेरी चूत पर लंड को फेरना शुरू किया, मैंने सिसकारियां भरना शुरू कर दीं. उसने मेरे चेहरे पर कैमरा सैट किया था.


मैंने उससे कहा- जब अन्दर डालो, तो उस पल को शूट करके तुरन्त बाद में आए मेरे चेहरे के एक्सप्रेशन को शूट करना. उसने हां में सर हिलाया और थोड़ी सी ठेल मारी.


मैं चिल्ला पड़ी- अअह … ये कह कर मैंने हाथों से चादर जकड़ ली, होंठों से होंठ दबा लिए. उसने मेरे चेहरे पर मोबाइल कर दिया, एक दो पल बाद उसने फिर से झटका दिया.


मैंने जोर से ‘अअअह मर गई …’ कहा और मेरे आंखों की पुतलियां कुछ ज्यादा ही फ़ैल गईं.


ये सब वो मोबाइल में कैद करता जा रहा था.


उसने फिर से ठेल मारी और मेरे मुँह से तेज आवाज निकली- आई मम्मी मर गई … आह छोड़ो मुझे … आई मम्मी अअह क्या कर रहे हो!


उसे मेरी बात याद थी. उसने मेरी चिल्लपौं को कैमरे में कैद किया और मुझसे कहा- चुप रहो, अगल बगल वालों को भी जगा दोगी क्या?


मैंने मुँह पर हाथ रख लिया. अब उसने मुझे धकापेल चोदना शुरू कर दिया.


मेरी चूत फटने लगी थी और आवाजें निकलने लगी थीं. कुछ देर बाद मैंने अपनी चूत में लंड को झेल लिया था और मादक आवाजें निकालती हुई अपनी ब्लू-फिल्म बनवाने लगी.


कुछ मिनट यूं ही चोदने के बाद उसने कहा- अब घोड़ी बन जाओ … और अब मोबाइल से मुझसे और वीडियो नहीं बनेगा. अब तुम बस चुदाई के मजे लो.


मैंने भी मोबाइल से वीडियो बनवाना बन्द कर दिया और उससे मोबाइल को यूं ही बेड पर छोड़ देने का कह दिया. इससे मोबाइल में मेरी ऑडियो रिकॉर्डिंग चालू हो गई.


मैं घोड़ी बन गई. उसने थोड़ी सी कोई जैली सी चूत में डाली और लंड पेल दिया. ये जैली उसने शायद मेरी ड्रेसिंग टेबल से पहले ही उठा ली थी.


मैं उसको जितना चूतिया समझ रही थी, शायद वो उतना था नहीं.


उसका मोटा लंड मेरी चूत फाड़ता हुआ एक ही झटके में अन्दर घुस गया था. मैं दर्द भरी आवाज में जोर से चिल्लाई- आआह मम्मी … मार दिया साले ने मादरचोद धीरे चोद भोसड़ी के! उसने कहा- ओके, मैं रुक जाता हूं.


परन्तु आज मैं इस सुख को गंवाने वाली नहीं थी. मैंने कहा- नहीं, रुको मत … रुकने को किसने कहा है और यार मुझे मजे लेना है, तुम बस पेलते रहो. दर्द तो होता ही है … मैं सब झेल लूंगी. तुमने देखा नहीं है. पोर्न में तो लड़की चुदने पर रोती ही है, फिर भी चुदाई नहीं रुकती. तुम अपने हिसाब से करो, मेरा क्या मैंने तो दर्द कभी सहन नहीं किया इसलिए चिल्ला रही हूँ. तुम अपना काम करते रहो. ज्यादा दयावान मत बनो ओके.


उसने कहा- ठीक है.


मयंक ने अब मेरे बाल पकड़े और लंड के झटके देने लगा. मैं ‘अअह अईई …’ करती हुई चुदने लगी.


उसकी स्पीड में अब बहुत जोश दिख रहा था. उसने एक हाथ से मेरे बाल पकड़े और दूसरे हाथ से मेरा मुँह बंद करके धक्के देने लगा. वो मुझे चोदने में पूरी दम लगा रहा था.


मैं उस दर्द से अपने आंसू बहाने लगी पर मुँह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी क्योंकि उसका हाथ मुँह पर जमा था.


कुछ देर यूं ही चुदाई के बाद उसने मुझे एक झटके में उठाया और दीवार से टिका कर घोड़ी बना दिया. वो अभी भी मेरे पीछे था. उसने पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया और तेज धक्के देने लगा.


करीब दस मिनट बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरे पैर अपने कंधों पर रखे और लंड अन्दर पेल कर मुझे वैसे ही गोद में उठा लिया.


अब मैं हवा में झूला झूल रही थी लेकिन यहां मजा झूले का नहीं, उसके लंड का मिल रहा था. मेरी चूत में पच पच की आवाज आ रही थी और मैं गिर ना जाऊं इसलिए मैंने उसके गले को अपने हाथों से जकड़ रखा था.


मेरे दूध उसके मर्दाना सीने से मसले जा रहे थे, मुझे बेहद मजा आ रहा था.


करीब 5 मिनट वैसे ही झूला झूलते हुए मेरी चूत की चुदाई हुई. मैं एक बार झड़ चुकी थी और शिथिल हो गई थी.


मेरे अन्दर अब जरा सी भी हिम्मत नहीं बची थी.


रात भी बहुत हो चुकी थी मगर वो अभी भी सांड की तरह मुझे चोद रहा था.


कुछ देर बाद उसने मुझे लिटा कर फिर से चोदना शुरू कर दिया. अब उसने गांड में लंड डालने की कोशिश की. मैं गांड में हमला होने से उचक गई.


उसने मुझे दबा लिया और जोर से लंड ठेल ठेल कर मेरी गांड में पूरा लौड़ा पेल दिया.


इस दौरान उसका हाथ मेरे मुँह पर जमा था, तो मैं बस गों गों करके गांड में लंड लेती रही. मैं तड़प रही थी, रो रही थी … मगर उस बेदर्द ने मेरी एक नहीं सुनी, पूरा लंड गांड में पेल कर मेरी गांड मारनी शुरू कर दी.


कुछ देर मैं तड़पती रही और वो धक्के देता रहा. बाद में लंड गांड में मजा देने लगा था मैं अब चिल्ला नहीं रही मगर गांड में जलन सी होने लगी थी.


करीब दस मिनट बाद उसने दुबारा से चूत चोदनी शुरू कर दी.


मैंने अपनी ड्रेसिंग के दर्पण में देखा तो मेरा चेहरा लाल हो चुका था.


मेरी चूत में सैलाब आने की फिर से तैयारी हो गई थी, मैं फिर से झड़ने को थी.


दूसरी तरफ वो एक पागल हाथी की तरह मेरी चूत चोदने में लगा हुआ था.


कुछ देर बाद उसने जोर जोर से धक्के देने शुरू किए तो मैं समझ गई कि अब इसकी तोप दगने वाली है.


करीब 5 मिनट बाद उसने गर्म गर्म लावा मेरी चूत के अन्दर छोड़ दिया. मैं उसके लंड से निकलने वाले वीर्य की गर्माहट को अन्दर तक महसूस कर रही थी. लंड पर कंडोम चढ़ा था मगर फिर भी उसकी गर्माहट मुझे महसूस हो रही थी.


यह चुदाई सारी रात चली और करीब 5 बजे तक उसने मुझे हचक कर चोदा. मैं पूरी टूट चुकी थी क्योंकि आज से पहले मैंने कभी इतना दर्द नहीं सहा था.


सुबह होते ही वो अपने घर के लिए निकल गया.


अब मुझे अपनी गांड में बहुत दर्द हो रहा था. मैं दर्द की गोली खाकर सो गई.


फिर करीब शाम के 4 बजे मेरी नींद नाना नानी को कॉल से खुली. उन्होंने बताया कि उनका प्रोग्राम बदल गया है और वो कुछ दिन बाद आएंगे.


मेरा दर्द काफूर हो गया था, चेहरे पर मुस्कान आ गई थी.


मैंने मयंक को फोन किया और उसे बता कर फिर से घर आने का कहा.


वो जब घर आया तो मैंने उसे रुपए देकर कहा कि खाना पैक करा लाओ और कंडोम के पैकेट भी लेते आना. कोई अच्छी सी जैली और ऑइल लेते आना.


वो बोला- कुछ पियोगी? मैंने मुस्कान दे दी. वो समझ गया. वो चला गया और मैं नहाने घुस गई.


फिर रात आई, फिर से वही सब हुआ. उसने मुझे व्हिस्की पिला कर मस्त चोदा.


अगले दिन वो दोपहर में ही मेरे घर आ गया. उसने डोर लॉक किए और कपड़े उतार कर शुरू हो गया.


उस दिन मेरे अंडरगारमेंट्स उसने अपने बैग में रख लिए और फिर जब तक नाना नानी घर नहीं आ गए, मुझे वो कपड़े पहनने ही नहीं मिले. दिन हो या रात हो, बेड पर मेरी 24 घंटा में 8 घंटा चुदाई होती थी.


बेड के अगल बगल कंडोम ही कंडोम्स पड़े थे. चुदाई की ये आदत अब जाने वाली नहीं थी. ऐसा जवान सेक्स हम दोनों ने लगातार 5 दिन किया. इन पांच दिनों में मेरी चाल और ढाल दोनों बदल गई थी.


स्तनों और फिगर का साइज बढ़ गया था. जब मैंने रूम की सफाई की तो मैंने गिन गिन कर इस्तेमाल किए हुए 43 कंडोम पालीथिन में भर कर कचरा गाड़ी में डाले थे. अभी भी 7 कंडोम बिना यूज़ किए हुए मेरे पर्स में रखे थे.


उन 5 दिनों की थकान चार पांच दिनों बाद खत्म हुई.


उसके बाद मेरा या उसका जब मन होता, हम दोनों रात में मिलकर प्यास बुझा लेते. उस लड़के ने मेरी टाइट चूत का भोसड़ा बना दिया था और मैंने उसके लौड़े को चूस चूस कर 8 इंच कर दिया था.


उसके बाद मुझे न किसी मर्द की और न ही किसी दूसरे लड़के से चुदने की चाह रही.


यदि मेरी इस जवान सेक्स से भरी आत्मकथा आपको अच्छी लगी हो, तो जरूर मेल करें. [email protected]


Teenage Girl

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ