पेइंग गेस्ट को पटाकर चूत चुदवा ली

मोनिका मान

28-10-2022

191,629

जस्ट सेक्स विद एनी वन का मजा लेने में मुझे बहुत मजा आता है. मैं कई बार अनजान लंड ले चुकी हूँ. इस कहानी में मैंने बस में एक सजीले लड़के को पटाया और उसे घर ले आई.


मेरा नाम मोनिका मान है, पर सब मुझे मोनी कहते हैं. मैं हिमाचल प्रदेश में रहती हूँ। मेरी फीगर 32″ – 28″ – 36″ है।


मैं आम तौर पर जीन्स टॉप ही पहनती हूँ। जीन्स में मेरे चूतड़ों का उभार ज्यादा दीखता है इसलिए अक्सर मैंने लोगों को मेरे चूतड़ों की तरफ देखते हुए पाया है। अक्सर जब बस में सफर करती हूँ तो लोग भीड़ का फायदा उठा कर चूतड़ों पर लण्ड भी रगड़ देते हैं।


मैं काफी गोरी हूँ, मेरे बॉय-कट बाल हैं।


घर में मैं ही सबसे छोटी हूँ। मेरे घर में मेरे अलावा मेरे मॉम, पापा, बड़ा भाई, बड़ी बहन निकिता हैं.


मेरी बहन और पापा दिल्ली में रहते हैं, मेरा बड़ा भाई पंजाब में जॉब करता है। घर में मैं और मेरी मॉम रहती हैं.


मेरी कहानी मेरे जीवन की सच्ची घटना है, यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है। मेरे साथ ‘जस्ट सेक्स विद एनी वन’ ऐसा ही वाकया हुआ।


मैं ममा के साथ मामा जी के घर गयी हुई थी। ममा को 15 दिन रहना था तो मैं 2 दिन रुक कर वापस आ गयी।


मामू मुझे बस स्टॉप तक छोड़ कर चले गए।


2:25 पर बस चल पड़ी लेकिन मुझे सीट नहीं मिली। मैं बस में खड़ी हो गयी।


बस कुछ ही दूरी पर पहुंची थी कि तभी मेरी नजर 1 खूबसूरत से लड़के पर पड़ी। मैं भीड़ में उसकी तरफ खिसक गयी, उसके साथ सट कर खड़ी हो गयी. मेरी चूची उसके हाथ को टच करने लगी।


अचानक से बस में ब्रेक लगे तो मैं उसके ऊपर गिरने लगी, मैंने उसको पकड़ लिया और उसने अनजाने में मेरी चूची को पकड़ लिया।


मैं कुछ नहीं बोली उसने अपना हाथ हटा लिया और सॉरी बोलने लगा। मैंने कहा- कोई बात नहीं। और उससे बात करने लगी।


उसने अपना नाम निखिल बताया।


कुछ देर बात करने के बाद पता चला कि वो यहां घूमने फिरने के लिए आया है।


अगले बस स्टॉप पर कुछ सवारियां उतर गयी। अब बस में 10-12 सवारियां ही थी तो हमें सीट मिल गयी। हमारा अभी एक घण्टे का सफर बाकी था। खैर हम बैठ गए।


उसने मुझसे पूछा कि यहाँ घूमने फिरने के लिए किसी गाइड की जरूरत पड़ेगी या हम ऐसे ही घूम फिर सकते हैं। मैं- आप गाइड ले लोगे तो अच्छा रहेगा. निखिल- ठीक है, आपके कोई जान पहचान का है तो बता दीजिये। मैं- ओके मैं पूछती हूँ अगर कोई होगा तो जरूर बताऊंगी।


अचानक से मेरे दिमाग में 1 आइडिया आया, क्यों न इसको घुमाया जाये। मैं- आपने कोई होटल बुक किया है या पेइंग गेस्ट रहोगे। निखिल- अभी बुक नहीं किया है। बस स्टॉप पहुंच कर ओयो बुक करूँगा।


मैं- अगर आप चाहो तो हमारे यहाँ पेइंग गेस्ट रह सकते हो। निखिल- सॉरी आपको तकलीफ नहीं देना चाहता। मैं किसी होटल में ठहर जाऊंगा। मैं- आपकी मर्जी जैसा आपको अच्छा लगे।


कुछ देर बाद: निखिल- आपका चार्ज कितना है 5 दिन का? मैं- किस बात का चार्ज? निखिल- आपके घर ठहरने का।


मैं- शायद आप को किसी बात का डर है कि कहीं आपके साथ कुछ गलत ना हो। लेकिन यहाँ कुछ भी गलत नहीं होगा। हमारे यहां सिर्फ खाने का चार्ज है, ठहरने का कोई चार्ज नहीं है। आप हमारे घर को साथ नहीं ले के जाओगे।


मेरी इस बात से उसको कुछ तसल्ली हुई।


निखिल- ठीक है मैं आपके घर रहूंगा।


मेरी मन की मुराद पूरी होने वाली थी क्योंकि घर पे मैं और निखिल अकेले रहने वाले हैं वो भी 5 दिन।


रास्ते में चलते चलते मैंने उसको घूमने फिरने की जगह बताई और कहा- मैं आपको हर जगह घुमाऊंगी, आप टेंशन ना लें! खैर हम बस स्टॉप पहुंच गए।


5 बज गए थे उसके पास दो बैग थे। मैंने उसको बोला कि कीमती सामान का बैग वो खुद रखे, दूसरा बैग मुझे दे दे।


हम बैग उठा के घर पहुंच गए। मैंने चाबी से दरवाजा अनलॉक किया, अंदर चले गए।


मैंने निखिल को मेरा कमरा दिखाया और कहा- आप यहां रह सकते हो।


मेरे कमरे में 1 अलमीरा खाली पड़ी थी, निखिल को उसकी चाबी दे दी और कहा- आप इस चाबी को अपने पास रखना।


मैंने निखिल को पानी दिया और खाना आर्डर कर दिया क्योंकि मैं सफर कर के आई थी तो खाना बना नहीं सकती थी।


निखिल को बाथरूम दिखाया और कहा- खाना आने वाला है, तब तक आप नहा लो।


वह नहाया, फिर मैं नहाने चली गयी


मैं नहाकर बदन को पौंछ कर तौलिया लपेट कर बाहर आई तो निखिल मुझे देखने लगा। तौलिये से मेरी घुटने के ऊपर का थोड़ा सा हिस्सा दिखाई दे रहा था।


तभी निखिल बोला- आपके घर से तो पूरा शहर साफ दिखाई दे रहा है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद. मैं ऐसी ही जगह पर रुकना चाहता था।


मैंने ब्रा पैन्टी शर्ट और लोअर डाल ली।


तभी खाना आ गया। हमने डिनर किया और निखिल को बोली- चलो पार्क में घूमने चलते हैं। निखिल मान गया और बोला- शर्ट के नीचे आप या तो फॉर्मल पैन्ट डालो या जीन्स।


मैं रूम में चली गयी और लाइट ब्लैक जीन्स निकाल ली। मैंने बिना रूम लॉक किये ही अपनी लोअर उतार दी।


तभी निखिल रूम में आ गया। वो मुझे मिरर में दिखाई पड़ गया।


अचानक से मुझे इस हालत में देखकर वो वापिस मुड़ गया। मैंने सोचा कि क्यों न ब्लू कलर की जीन्स डाल लूं!


मैं अलमारी से जीन्स निकलने लगी तभी मुझे अहसास हुआ कि दरवाजे पर निखिल फिर से आ गया। मैंने 1 मिनट तक उसको नहीं देखा और वो पीछे से मेरे चूतड़ों को देख रहा था।


तभी मैंने निखिल को आवाज दी- निखिल, कौन सी पहनूं … ब्लैक या ब्लू? निखिल थोड़ा हिचकिचाया और बोला- ब्लू डाल लो।


मैंने उसकी तरफ मुंह घुमाया और जीन्स पहनने लगी। वो बोला- सॉरी मैं अपना मोबाइल लेने आया था। मैंने पूछा- सॉरी क्यों?


वो बोला- आप कपड़े बदल रही थी और मैं रूम में आ गया। मैंने कहा- कोई बात नहीं।


लेकिन मेरे दिल में तो कुछ बात जरूर थी।


हम पार्क में घूमने चले गए. तब उसने पूछा- आपके परिवार में कौन कौन हैं? फिर मैंने उसको अपने बारे में बताया।


1 घण्टा बाद हम वापस घर आ गए।


मैंने सभी गेट बन्द किये और मेरे रूम में चली गयी।


निखिल अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था। मैं उससे बिल्कुल सट कर बैठ गयी ताकि मेरी चूची उसको महसूस हो।


वो लेटा हुआ था, उसने अपनी गोद से थोड़ा नीचे लैपटॉप रखा था।


मैंने उससे पूछा- आपके लैपटॉप में कोई मूवी है क्या? वो बोला- हाँ है।


मैं उसके लैपटॉप में मूवी निकालने लगी. तभी मेरा हाथ उसके लण्ड से टच होने लगा. मैं जब भी लैपटॉप के टच पैड को छूती तो मेरा हाथ उसके लण्ड से टच होता।


2 मिनट में उसका लण्ड खड़ा हो गया. मैं जानबूझ कर उसको टच करती रही।


मैंने उसके लण्ड को देखा और उसकी तरफ देखा तो निखिल मुसकुराने लगा।


मैंने जानबूझकर लण्ड को सहला दिया तो निखिल की आह निकल गयी।


मैं बार बार ऐसा करने लगी। निखिल से रहा नहीं गया, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और लैपटॉप को साइड में रख दिया। फिर उसने मेरे गाल को अपने सख्त से हाथ से सहलाया और फिर मेरे गाल पर किस करते हुए मुझे अपनी बांहों में भर लिया.


मैं कुछ सोच ही नहीं पा रही थी कि मुझे क्या करना चाहिए. मैं विरोध भी नहीं करना चाहती थी क्योंकि सब कुछ मेरी सहमति से हो रहा था.


मैंने भी निखिल के बदन के दोनों ओर अपनी बांहें लपेट ली। हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए थे और मुझे भी अच्छा लगने लगा. उसकी बांहों में आकर एक अलग ही आनंद आ रहा था मुझे!


फिर उसने मेरी पीठ पर दोनों हाथों से सहलाना शुरू कर दिया और मैं भी उसकी पीठ पर हाथ चलाने लगी.


मुझे अपने से अलग करते हुए उसने मेरे चेहरे को उठाया और अपने होंठों को मेरे होंठों के करीब ले आया. उसकी गर्म सांसें मुझे मेरे होंठों पर लगने लगीं और देखते ही देखते उसके होंठ मेरे होंठों पर आ टिके।


उसने मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे लबों को चूसने लगा. मुझे भी अच्छा लगने लगा और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने में मशगूल हो गये.


बहुत अच्छा लग रहा था मुझे! मेरे पूरे बदन में एक झनझनाहट हो रही थी।


निखिल मेरे होंठों को चूसने के बाद मेरे चेहरे को चूमने लगा.


अब मेरे अंदर जिस्म की वासना जागने लगी. मैं आंखें बंद किये हुए उसके चुम्बनों का आनंद लेने लगी.


जहां जहां उसके होंठ मुझे छू रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे वहां के रोंगटें खड़े हो रहे हों।


फिर उसने मेरे हाथों को ऊपर उठा लिया और मेरी शर्ट को निकालने लगा. उसने मेरी शर्ट निकाल दी और नीचे मैंने ब्रा पहनी हुई थी जिसमें मेरी सेब जैसी गोल गोल चूचियां नीचे छुपी हुई थीं.


उसने मेरी गर्दन पर चूमा और फिर मेरे गले से नीचे होते हुए मेरी चूचियों के बीच में खाली जगह पर चूम लिया. मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया. उसके होंठों के छूने से मेरे बदन में वासना एकदम से भर गयी।


देर न करते हुए उसने मेरी ब्रा को निकाल दिया और मुझे ऊपर से नंगी कर दिया. मैंने अपनी दोनों चूचियों को हाथों से छुपा लिया.


निखिल ने मुझे बांहों में भर लिया और मेरी नंगी पीठ पर हाथ से सहलाने लगा. फिर उसने मेरे माथे को चूमा और मुझे दोबारा से अपने आप से अलग कर दिया.


तब धीरे से उसने मेरे हाथों को पकड़ा और मेरी चूचियों से मेरे हाथों का पर्दा हटा दिया. मेरे हाथ भी जैसे अपने आप ही हटते चले गये.


मैं ऊपर से उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी. उसके हाथ मेरी सेब जैसी चूचियों पर आ गये. मैं कुछ भी विरोध नहीं कर पाई, बस जैसे उसके हाथों को कठपुतली बन गयी थी।


उत्तेजना के मारे मेरी चूचियां कड़ी हो गयीं, उनके निप्पल कड़क होकर फूल गये.


मुझे बहुत मजा आ रहा था.


वो मेरी चूचियों को धीरे धीरे से भींच रहा था. उसके हर दबाव के साथ मेरे बदन पर जैसे हजारों चीटियां रेंग जाती थीं।


जल्दी ही मेरे बदन की गर्मी बढ़ने लगी और मैं गर्म होने लगी. अब मैं खुद चाहने लगी थी कि निखिल मेरी चूचियों को और जोर देकर भींचे. उसने किया भी वैसा ही!


उसके हाथों की पकड़ मेरी चूचियों पर पहले से दोगुनी हो गयी और मैं जैसे मदहोशी की तरफ चलने लगी.


अब मैंने उसके गले में बांहें डाल लीं और वो मेरी चूचियों को दबाता रहा. मेरी गोरी चूचियां लाल लाल हो गयीं.


फिर उसने मेरे सपाट पेट पर हाथ फिराया और उसका हाथ मेरी पैन्ट पर पहुंच गया.


मैं वासना के भंवर में थी पर नारी सुलभ लज्जा का प्रदर्शन करते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।


मगर अगले ही पल उसके होंठ मेरी गर्दन पर आ लगे. वो मेरी गर्दन को चूमता हुआ मेरी पीठ को सहलाने लगा.


उसने मुझे घुमा दिया और मेरे भारी भरकम कूल्हों की दरार में वो लंड रगड़ने लगा. मैंने पीछे से उसके सर को पकड़ लिया.


निखिल मेरी चूचियाँ पीछे से पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा; मेरे कान की लौ पर चूम लेता तो कभी चूचियों को सहला देता.


मैं उसके वश होने लगी।


उसने फिर से मेरी पैन्ट पर हाथ मारा तो मैंने रोक लिया. वो बोला- मोनिका, बस एक बार मैं तुम्हें पूरी नंगी देखना चाहता हूं. बस एक बार खोलने दो।


उसके कहने पर मैंने अपना हाथ हटा लिया. निखिल ने मेरी पैन्ट उतार दी. अब मैं निखिल के सामने सिर्फ पैंटी में खड़ी थी।


तभी निखिल मेरी टांगों के पास नीचे बैठ गया और पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को देखने लगा.


फिर निखिल अपने कपड़े उतारने लगा, धीरे धीरे सरे कपड़े उतार दिए। अब निखिल मेरे सामने नंगा खड़ा था. उसकी चौड़ी सी छाती और उस पर बीच में काफी घने बाल थे.


नजर नीचे गयी तो उसका लिंग एकदम काले नाग जैसा उसकी जांघों के बीच में फुफकार रहा था. मैंने उसे देखते ही आँखें बंद कर लीं और पीछे घूम गयी.


उसने पीछे से मेरे चूतड़ों पर लंड लगा दिया और मेरी चूचियों को दबाते हुए मेरी गर्दन पर चूमने लगा.


पता नहीं मुझे क्या नशा हुआ कि मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और उसकी हरकतों का मजा लेने लगी.


फिर उसने मुझे वहीं बेड पर लिटा लिया, मुझे नीचे लिटाकर वो मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठों को चूसने लगा.


उसका लंड मेरी चूत पर मेरी पैन्टी से टकरा रहा था. बदन में जैसे आग लगी जा रही थी. वो मेरी गर्दन और गले को चूसने लगा और मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया.


फिर वो नीचे मेरी चूचियों पर आया उनको मुंह में लेकर पीने लगा. मैं कामुक हो गयी और मेरी चूचियां एकदम से तन गयीं. बहुत मजा आ रहा था.


वो जोर जोर से मेरी चूचियों को पी रहा था.


उसके बाद उसके होंठ मेरे पेट से होते हुए नाभि से होकर नीचे मेरी पैंटी तक जा पहुंचे. उसने मेरी पैंटी को खींच कर उतार दिया।


वो मेरी जांघों पर चूत के आसपास चूमने लगा और मेरे बदन में जैसे बिजली के झटके लगने लगे. चूमता हुआ वो नीचे पैरों के पंजों तक गया और फिर वापसी में चूमता हुआ ही मेरी चूत के पास आ गया.


मेरी जांघों पर अब मुझे चूत का गीलापन खुद ही महसूस हो रहा था. उसने मेरी चूत पर होंठ रखे और मैं पूरी सिहर गयी. मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और प्यार से उसके बालों को सहलाने लगी.


मैं जैसे नशे में हो गयी थी. इतना मजा आ रहा था कि एक मिनट के भीतर ही मेरा शरीर जोर से अकड़ गया और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. पानी निकलते ही मेरा बदन शिथिल पड़ गया.


कुछ देर बाद निखिल ने मुझसे अपना लंड चूसने के लिए कहा।


मैं भी बिना झिझक के लण्ड को चूसने लगी; लोलीपोप की तरह लण्ड को चूसे जा रही थी।


निखिल का लण्ड बहुत ज्यादा टाइट हो गया था। निखिल के मोटे लण्ड को जितना हो सकता था, उतना अंदर तक डाल लिया।


करीब 15 मिनट तक मैं बेतहाशा लण्ड को चूसती रही। तभी निखिल ने लण्ड खींच कर मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया लेकिन मेरा मन नहीं भरा था; लण्ड चूसने का मन कर रहा था।


तब निखिल ने मेरी टांगों को फैला दिया और मेरी चूत के छेद पर अपना लंड लगा दिया. मेरे जिस्म में करंट दौड़ गया.


मैं निखिल के सामने चूत खोलकर लेटी हुई थी; मुझे बहुत अजीब लग रहा था. मैं सोच रही थी कि पता नहीं क्या होने वाला है. मेरी धड़कन बढ़ गयी थी।


फिर निखिल ने मेरी चूत पर लंड को रगड़ा तो मुझे मजा आने लगा. मगर मैं आंखें बंद किये रही.


रगड़ते रगड़ते उसने एक धक्का मेरी चूत की ओर दे दिया और मेरी चूत में दर्द होने लगा था। मुझे चुदे हुए 1 महीना हो गया था और निखिल का लण्ड भी कुछ ज्यादा मोटा था।


उसके लंड का सुपारा मेरी चूत में जा फंसा और मैं दर्द में बिलबिला उठी.


तभी निखिल मेरे ऊपर आ गया और जोर से मेरे होंठों को पीने लगा, मेरे होंठों को चूसता रहा और मेरी आँखों में दर्द के मारे पानी आ गया.


मेरे आंसू देखकर वो मुझे प्यार से सहलाने लगा और मेरे गाल पर, माथे पर, होंठों पर किस करने लगा.


कुछ देर के बाद दर्द में थोड़ी कमी आई. मैं उसका साथ देने लगी और उसके होंठों को चूसने लगी.


फिर उसके लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी.


धीरे धीरे वो टोपे को मेरी चूत में हिलाने लगा. मुझे अच्छा सा लगा और मैं निखिल के होठों को चूमने लगी।


अब वो दबाव बढ़ाने लगा. कुछ देर ऐसे ही करके उसने एक जोर का धक्का मारा और उसका लंड मेरी चूत में पूरा जा धंसा. मैंने उसको पीठ पर नौच लिया और उसको पीछे धकेलने लगी.


मगर अबकी बार उसने मुझे दबोच लिया और बिना रुके लंड को आगे पीछे चलाने लगा.


मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा था लेकिन वो रुक नहीं रहा था. कुछ देर तक दर्द सहने के बाद मैंने चूत को जितना हो सकता था ढीला छोड़ दिया और फिर मुझे अच्छा लगने लगा.


निखिल का लंड मेरी चूत में घुस कर उसको चोदना शुरू कर चुका था. मुझे अच्छा लगने लगा था.


मैंने नीचे से अपनी हरकत शुरू कर दी थी. उसकी पीठ को सहलाते हुए मैं आराम से चुदने लगी.


फिर तो जैसे मजा बढ़ता चला गया. मैंने उसको बांहों में भर लिया और उसकी टांगों पर अपनी टाँगें लपेट लीं और मजे से चुदने लगी.


निखिल मुझे तेज़ी से धक्के लगाते हुए चोदता रहा. इस बीच वो रुक रुक कर मेरी चूचियां भी पीने लग जाता था.


अब तो मैं जैसे किसी और ही दुनिया में थी. तो मेरे मुंह से स्वत: ही सिसकारियां फूटने लगी थीं- आह्ह … उम्म … आह्ह … हाह … ओओ … ओह्ह!


वो बस मुझे चोदे जा रहा था. उसका पूरा बदन पर पसीने से नहा चुका था.


कुछ तो पहले से ही गर्मी थी और कुछ हम दोनों के सेक्स की गर्मी हो गयी थी.


अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा, मैंने निखिल को कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया. कुछ पल बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा शरीर एक बार फिर से शिथिल हो गया।


निखिल अभी भी पूरे जोर शोर से मेरी चूत चुदाई कर रहा था. पानी छूटने से पूरे कमरे में फच-फच की आवाज गूँजने लगी।


फिर एकदम से निखिल के लंड के धक्कों की स्पीड बढ़ गयी और मेरी चूत की चुदाई बहुत जोर से होने लगी.


मैं दर्द से कराह उठी और एकदम से निखिल मेरे बदन में घुसने को हो गया. उसके बदन में जोर जोर के झटके लगने लगे और उसके लंड का पानी मेरी चूत में छूट गया.


वो बुरी तरह से हाँफ रहा था. जोरदार चुदाई से मेरी हालत खराब हो गयी थी.


कुछ देर तक तो हमें होश ही नहीं रहा कि हम बैड पर ऐसे नंगे एक दूसरे पर लेटे पड़े हुए हैं.


फिर थोड़ा संभल कर हम उठे और हमने अपने अपने कपड़े पहन लिये.


मैंने अपने बाल ठीक किये और कपड़े भी सही से किये।


थोड़ी देर बाद हमने खाना खाया और वापस कमरे में आ गए।


कमरे में आकर मैंने कपड़े उतार दिए और निखिल के सामने नंगी ही लेट गयी।


निखिल भी बिल्कुल नंगा हो गया और मेरी बगल में लेट गया।


थोड़ी देर तक हमने बातें की और निखिल की आँख लग गयी और निखिल के साथ मैं भी सो गयी।


करीब 4 बजे मेरी आँख खुली. निखिल सो रहा था।


मैंने उनके लण्ड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी।


तभी निखिल की आँख खुली और हम बाथरूम में चले गए; दोनों साथ नहाने लगे।


फिर हम दोनों वापस रूम में आ गए और ऐसे ही नग्न सो गए। सुबह जब आँख खुली तो निखिल सो रहा था। मैंने बिना कपड़े पहने ही चाय बनाई और निखिल को देने रूम में गयी। हमने चाय पी और फ्रेश हो कर मैं खाना बनाने लगी। हमने खाना खाते खाते बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया।


निखिल हमारे घर 5 दिन रहा और हमने इन 5 दिनों में 20 बार सेक्स किया।


दोस्तो, इन 5 दिनों में मैं इतना चुद चुकी थी की मेरी चूत डबल रोटी की तरह फूल गयी थी। 5 दिन बाद निखिल घर आने लगा मुझसे 5 दिन के खाने का चार्ज पूछा तो मैंने मना कर दिया।


मुझे चार्ज की जरूरत नहीं थी मुझे तो जस्ट सेक्स करके अपनी फनटेसी पूरी करनी थी।


लास्ट दिन निखिल मुझे बिना बताये बाजार चला गया ओर मेरे लिए गिफ्ट ले के आया।


मैंने उसको बस स्टॉप तक छोड़ा और बाय बोल कर घर आ गयी हालाँकि हमने कभी एक दूसरे के नंबर नहीं लिए थे। घर आकर गिफ्ट खोला तो उसमे मेरे साइज़ की 1 डार्क रेड और 1 डार्क ब्लैक ब्रा पैंटी सेट था। और 1 कंडोम पैकेट था।


तो दोस्तो, यह थी मेरी जस्ट सेक्स विद एनी वन कहानी। आपको कहानी कैसी लगी मुझे [email protected] पर मेल कर के जरूर बताना!


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