कुंवारी कमसिन की सील तोड़ी

देव दास 6

01-03-2024

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मस्त लड़की की सेक्सी चूत का मजा मैंने लिया पूरी रात. वह मुझसे ट्यूशन पढ़ती थी. हमारी सेटिंग हो गयी थी, मैं उसे चोदना चाहता था, वह मुझसे ज्यादा गर्म थी चुदाई के लिए.


दोस्तो, मेरा नाम देव है. सच कहा जाता है कि आदमी का तकदीर कब बदल जाए, कोई नहीं जानता. ये सब ऊपर वाले के हाथ में है.


वैसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ. मुझे मस्त लड़की की सेक्सी चूत तो मिली ही साथ में और भी कुछ मिला.


मैं एक गरीब परिवार का लड़का हूँ और पढ़ने में बहुत तेज था. बल्कि यूं कहूँ कि मैं गणित में महारथी था. पूरे गांव में मेरी पढ़ाई की तारीफ होती थी.


मैंने बहुत सारे घरों में अपने से छोटे छात्रों को पढ़ाया लेकिन अंत तक निहारिका की मम्मी ही मेरे पास निहारिका को पढ़ा पाईं.


मैं निहारिका को काफी समय से पढ़ा रहा था. उसी कारण से मैं उसके घर का एक सदस्य जैसा बन चुका था. सच कहूँ तो पहले पैसे के लिए पढ़ाने जाता था लेकिन बाद में मुझे खुद जाकर निहारिका को पढ़ाने में मजा आने लगा था.


निहारिका जैसे जैसे आगे बढ़ने लगी, वैसे वैसे मुझे उससे थोड़ी दोस्ती सी होने लगी.


उस समय वह मुझे एक अध्यापक की नजर से ही देखा करती थी लेकिन वह मजाक बहुत करती थी.


एक दिन उसने मुझसे अपने प्यार का इजहार कर ही दिया. मैंने भी उसे चोदने का मन पक्का कर लिया था.


अब हम दोनों अपने हाथ चलाने लगे थे, चुम्मियां होने लगी थीं.


वह मुझसे बहुत प्यार भी करने लगी थी. मैं भी उसे बहुत चाहता था.


अब जब भी मैं उसके घर जाया करता तो उसकी मम्मी से छिपा कर उसे एक गिफ्ट जरूर देता. कभी कभी उसकी मम्मी को भी गिफ्ट दे देता था.


एक दिन मैंने निहारिका के साथ एक पार्क जाने के लिए उसकी मम्मी को मनाया और एक अच्छा शिक्षक होने के नाते मुझे निहारिका को अपने साथ ले जाने का अनुमति मिल गई.


मैं निहारिका को लेकर निकला तो रास्ते में वह पीछे से मेरे साथ लिपट सी गई मैं बाइक को और तेजी से चलाने लगा.


पार्क पहुँचने के बाद हम दोनों पार्क के एक सुनासन से कोने में जाकर बैठ गए. इधर वह मुझे किस करने लगी. उसके शुरू होते ही उसकी टाइट जींस में भी मेरा हाथ जाने लगा.


धीरे धीरे मूड बनने लगा. उसके बूब्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद थे. निहारिका का शरीर पतला था लेकिन बूब्स और चूतड़ों का साइज मस्त था.


वह आज टॉप भी बहुत टाइट पहनी हुई थी. उसके बड़े गले वाले टॉप में से उसके आधे बूब्स बाहर से ही दिख रहे थे.


मैंने उसके टॉप को उतारने के लिए कहा तो वह ऊपर से ही हाथ लगाने की कहने लगी. उसका कहना भी सही था कि आपात स्थिति में खुले हुए टॉप से समस्या आ सकती थी.


उसको मेरा लंड मुँह में लेने का मन करने लगा. वह तड़प रही थी.


मैं भी अपना हाथ उसकी जींस में डालकर चूत तक ले गया. उसने अपनी जींस का बटन और जिप को नीचे सरका दिया.


मैंने भी बिना समय गवाएं उसे अपनी गोदी में बैठा लिया और तड़पा तड़पा कर खूब मजा लिया. अब ऐसे में लंड तो अन्दर जा नहीं सकता था तो निहारिका को मेरे साथ खुल कर चुदवाने की लालसा बढ़ गई.


मुझे उसके साथ बहुत मजा आया था, तो मैं भी उसे नंगी करके तसल्ली से चोदना चाहता था.


वहां पार्क में तो सिर्फ चूमाचाटी और हाथ से ही काम हो सका था.


मैं उसे समझा बुझा कर वापस लाया कि अपनी मम्मी से पढ़ाई का बहाना बना कर कल मेरे घर आ जाना. वह कुछ सोचती हुई बोली- हां मैं कोशिश करूँगी.


क्या बताऊं दोस्तो, उस दिन की बात … जब निहारिका बोर्ड की परीक्षा दे रही थी और सोमवार को गणित का इम्तिहान था.


वह शनिवार के दिन देर शाम को मेरे घर पढ़ने आई थी. उस दिन मेरे घर में सिर्फ मेरी मम्मी थीं.


मैं निहारिका को छत पर पढ़ा रहा था और उस वक्त मैंने हाफ पैंट पहना था.


वह बोली- लड़कों का कितना अच्छा है ना … वह बड़े आराम से छोटा पैंट भी पहन सकता है. इधर मुझे देखिए, पूरा ऊपर से नीचे तक ढका हुआ रहने वाला कपड़ा ही पहनना पड़ता है. मैंने कहा- तुम जब मेरे सामने आओ, तब आराम से एकदम सहज हो जाया करो. मुझसे घबराने की कोई जरूरत नहीं है.


वह कुछ नहीं बोली. मैंने फिर से पूछा- क्या तुमको गर्मी लग रही है?


उसने हां सर कहा. मैं हम्म कह कर चुप हो गया.


वह आगे बोली- सर, मैं अपना यह दुपट्टा हटा लूं? मैंने कहा- हां तुम एकदम रिलेक्स हो जाओ. मैं अभी नीचे से होकर आता हूँ.


मैं नीचे चला गया और जब ऊपर आया तो मैंने आते ही देखा कि वह ऊपर सिर्फ एक टी-शर्ट और नीचे एक छोटा सा पैंट पहन कर बैठ गई थी. उसने अपने यह कपड़े किस तरह से बदले मैं समझ ही नहीं पाया. मैं तो बस उसे देखते ही ठगा सा खड़ा रहा गया.


उसका गोरी गोरी जांघों को देख कर मुझसे रहा ही नहीं गया. मैं उसके पास बैठ गया और उसका हाथ छूने लगा. यह देख कर उसने अपना दूसरा हाथ भी मेरे हाथ में थमा दिया.


तभी उसकी मम्मी का कॉल आया. काफी रात हो चुकी थी. वह खुद ही बोल दी कि आज पूरा स्लैबस खत्म करना है मम्मी, तो देर रात तक पढ़ूँगी और सर की मम्मी के साथ यहीं सो जाऊंगी.


उसको यह कहते सुन कर मेरे तो मन के अन्दर लडडू फूटने लगे थे. अब मुझे उसका एक जोड़ी कपड़े साथ लाने का मतलब भी समझ में आ गया था.


फोन काटने के बाद वह बोली- सर अब मुझे चैप्टर 12 को पढ़ना है, जिसमें जीव प्रजनन कैसे करते हैं. वह पढ़ाएं.


मैंने कहा- पर अगला एग्जाम तो मैथ का है ना! वह जबरदस्ती करती हुई बोली- नहीं मुझे तो आज वही पढ़ना है और आप अच्छे से बताओगे भी!


वह मेरी कुर्सी से आकर सट गई और उसने अपना मुँह पूरा सटा दिया. वह बोलने लगी कि सर आप मेरी बहुत हेल्प करते हो. आप कॉपी लाकर देते हो और आप बहुत दुलार भी करते हो!


उसके इतना बोलते ही मैंने उसका मुँह अपने हाथ से बंद कर दिया.


मैंने कहा- और कुछ चाहिए! तो उसने धीरे से कहा- हां बस प्यार …


मैंने तभी उसे कंधे से पकड़ कर कुर्सी से उठाया और बेड पर बैठा दिया. वह मेरी तरफ प्यार से देख रही थी.


मैंने उठ कर दरवाजा बंद कर दिया और उसके करीब जाकर उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए. बस उसके बाद उसने खुद से मुझे पकड़ लिया और किस करने लगी.


मैं भी उसके साथ इस चूमाचाटी में मस्त हो गया. उसके होंठों का मीठा रस मुझे हद से ज्यादा मजा दे रहा था.


थोड़ी दर में मैं उसकी टी-शर्ट को उठा दिया.


अह … क्या मस्त बूब्स … बिल्कुल सेव के जैसे तने हुए एकदम गोल दिख रहे थे. मैंने फट से अपना मुँह एक दूध पर लगा दिया.


वह सिसकारने लगी.


मैंने हल्के से उसे धक्का दिया तो वह बिस्तर पर लेट गई. तब मैंने उसके दोनों दूध चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उसके दोनों मम्मे चूस चूस कर लाल कर दिए.


उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे सहला कर बोली- कितना लम्बा और मोटा है … मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा है. मैं यह सपना न जाने कब से सोच रही थी, वह आज पूरा हुआ. मैं हिम्मत ही नहीं कर पा रही थी. आज फाइनली आपके साथ हिम्मत कर पाई. अब और नहीं रुको मेरे सनम!


यह बोल कर निहारिका ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और बहुत प्यार से चूसने लगी. उसने मेरे लौड़े को चूस चूस कर उसमें से थोड़ा सा पानी जैसा माल निकाल दिया.


अब मैंने उसका छेदा चूसना शुरू किया, तो वह जोर से चीखने लगी. मैंने कहा- चिल्लाओ मत … मम्मी जाग जाएंगी. एकदम चुप रहो. यह कह कर मैंने उसका मुँह बंद करवा दिया.


वह मेरा लंड लेने के लिए बेकरार थी और मैं भी उसकी चूत छोड़ना चाह रहा था. उसके बुर से भी अब तक पानी निकलने लगा था.


मैंने अपना लंड उसकी बुर पर रख कर पेलना शुरू किया. लंड धीरे धीरे अन्दर जाने लगा. वह दर्द से तड़प रही थी मगर तड़पती हुई ले रही थी. उसके मुँह पर दर्द के कारण अलग अलग से भाव बन रहे थे और वह ऐसी लग रही थी मानो उसकी बुर को किसी चाकू से काटा जा रहा हो.


मैं भी अपने लंड में कुछ दर्द सा अहसूस किया क्योंकि उसकी बुर ने मेरे लौड़े को ऐसे जकड़ लिया था मानो किसी ने मुर्गे की गर्दन दबोच ली हो.


मैंने भी इसी दर्द के चलते अपने घुसे हुए लौड़े को बाहर निकाला, तो मेरे लंड पर थोड़ा खून लगा था. उसकी चूत भी लाल दिखने लगी थी. दूध सी सफेद बुर पर लाल रंग बड़ा सेक्सी लग रहा था.


मैंने अपने रूमाल से उसकी चूत को साफ कर दिया. वह बोली- अभी भी बह रहा है.


तो मैंने थोड़ी सी वैसलीन लेकर उसकी लाल हुई चूत पर लगा दी. अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. वह भी मेरी तरफ वासना से देख रही थी.


मैंने इशारे से पूछा कि पेल दूँ? उसने मुस्कुरा कर हां में सर हिल दिया.


मैंने उसके ऊपर पुनः टूट पड़ा. अपने एक हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया और लंड को बुर में सैट करके पेल दिया.


वह आह करके चीखी लेकिन इस बार उसका मुँह बंद था तो बस वह कसमसा कर रह गई. मैंने धकापेल मचा दी. वह भी मेरे साथ बेहद मस्त होकर चुदवाने लगी थी.


मैंने काफी देर तक उसे हर तरह से चोदा. वह भी चुदाई के बहुत मजे ले रही थी.


मैंने सुबह 4 बजे तक उसे 4 बार चोदा … मस्त लड़की की सेक्सी चूत का मजा लिया. यह आखिरी बार उसको चोद रहा था. उस समय मैं उसे घोड़ी बना कर चोद रहा था कि वह मम्मी मम्मी बोल कर चीखने लगी.


मैंने जोर से कमर पकड़ कर गिरने तक चोदा और दोनों का माल एक साथ गिरते ही हम दोनों लिपट कर सो गए.


सुबह वह कहने लगी कि अब मुझको घर जाना है. मैं उसको जल्दी से कपड़े पहना कर उसके घर छोड़ आया.


उसने पता नहीं अपनी मम्मी को क्या समझा दिया.


उस दिन चुदने के बाद उसने दूसरे दिन मुझे मना कर दिया कि बहुत दर्द हो रहा है.


मैंने उससे कहा- निहारिका, प्यारी मेरी जान चूत में नहीं ले रही हो तो मुँह में ले लो. वह हंस दी और मैंने उसको अपना पूरा लंड चुसवाया.


उसके बाद तो रोज ही मुझे चोदने को उसकी चूत मिलने लगी थी.


अभी तक हम दोनों में सेक्स का खेल खूब मस्ती चल रहा है. अब तो मैं जब चाहे उसे चोद देता था.


उसी बीच एक और घटना हुई आइए उसकी तरफ चलते हैं.


एक दिन जब मैं निहारिका के घर गया तो उसके घर में बहुत अंधेरा था. उसकी मम्मी ने मुझे देखा तो बोलीं- सर, क्या आप फ्यूज जोड़ना जानते हैं?


मैंने कहा- हां मैं सब कुछ जानता हूँ. आप कभी कुछ बोलती ही नहीं हो! मेरी इस दोअर्थी बात को सुनकर वे हंसने लगीं.


फिर मैंने फ्यूज लगा दिया और उनके घर में रोशनी आ गई. अचानक से प्रकाश हुआ, तो मेरा ध्यान उनके मम्मों पर चला गया.


आंटी की साड़ी का पल्लू सरक गया था, वे बड़ी ही मस्त लग रही थीं. उनकी नजर मेरी नजर से मिल गई तो हम दोनों ही शर्मा गए.


अब वे मुझे चाय लाने के बोलीं. मैं बैठ गया.


कुछ पल बाद आंटी चाय देने बहाने आईं और झुक कर अपने मम्मों की झलक फिर से दिखाने लगीं.


अब मेरा मन आंटी का पूरा शरीर देखने के लिए मचल गया. मगर मैं कुछ नहीं बोल पाया.


उस दिन के बाद से निहारिका की मम्मी की रोज की आदत हो गई थी. जब भी मैं उनके घर जाता, वे मस्त मस्त कपड़ों में मुझे रिझाने लगतीं. कभी सिल्की नाइटी, तो कभी नाभि से नीचे बंधी हुई साड़ी पहन कर बाहर भीतर होती रहतीं.


मैं एक जवान उम्र का मर्द था और अपने नाप की लड़की निहारिका को चोदना चाहता था लेकिन अब तो हमेशा ही निहारिका के साथ साथ उसकी मम्मी का फिगर भी मेरे आंखों में आ जाता.


काफी दिनों तक ऐसा होता रहा. फिर एक दिन निहारिका की मम्मी ने मुझे व्हाटसअप किया. उन्होंने हाई लिखा.


मुझे समझ में आ गया कि ये मुझे देना चाह रही है. मैंने भी रिप्लाई दे दिया और कहा- हां जी बोलिए!


वह सिर्फ मेरे साथ बात करना चाहती थीं. उन्होंने मैसेज से पूछा- आज ट्यूशन पढ़ाने क्यों नहीं आए! मैं बोला- थोड़ा लेट हो गया हूँ, अभी आ जाता हूँ.


उस वक्त शाम के 6 बजे थे. वे बोलीं- ठीक है आ जाइए.


मैं गया तो देखा निहारिका की मम्मी अकेली थीं. मैंने पूछा- निहारिका कहां गई है?


वे बोलीं- वह अपनी बड़ी माँ के घर गई है. उसे अपनी बड़ी माँ को मेहंदी लगाने बुलाया गया था. मैंने कहा- अरे अब मैं क्या करूं?


वे हंस कर बोलीं- आज मुझे भी कुछ पढ़ा दो!


मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा. वे मेरे एकदम करीब आकर बैठ गईं और बोलीं- जन्नत देखना है? मैंने कुछ नहीं कहा.


वे उठीं और गेट पर कुंडी लगा कर वापस आईं और मेरा हाथ पकड़ कर भीतर वाले रूम में ले गईं.


उस कमरे में बिस्तर पर एक सफेद चादर बिछा था और पलंग एकदम सजाया हुआ था. आंटी ने मुझे बैठाया और पानी का गिलास दे दिया.


मैं गिलास हाथ में पकड़ कर उनकी तरफ देखने लगा.


उन्होंने मुझे देखते हुए अपने होंठों को दांतों से काटा और अपनी नाइटी उतार दी.


यार मत पूछो … क्या मस्त फिगर था आंटी का … वे थोड़ी नाटी और गदराई हुई माल थीं. सच कह रहा हूँ कि वे बहुत ज्यादा गोरी थीं.


उनके शरीर के कटाव एकदम कोकाकोला की बोतल के जैसे था. साइज़ भी 32-28-34 का था.


मेरी आंखें काले रंग की ब्रा पैंटी में से झाँकते उनके जिस्म पर ही टिकी थीं. एक दो पल तक मैंने उन्हें देखा और जब मन नहीं माना तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया.


हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और चूमाचाटी करने लगे. जल्द ही हम दोनों पलंग पर लेट गए.


मेरा लंड चड्डी से बाहर आने का रास्ता खोज रहा था. मैंने उनके हाथ को पकड़ा और उसमें अपना लंड में दे दिया. वे मेरे लौड़े को छूकर देखने लगी.


जैसे ही उन्होंने मेरे लौड़े के आकार का अहसास किया, वे एकदम से भूखी कुतिया सी हो गईं और मेरे लंड को लेने का कहने लगीं.


‘अरे वाह सर … आपके पास तो बड़ा हैवी मूसल है. मेरी ओखली में इसे डाल दो और कुटाई कर दो.’ वे तुरन्त मुझे अपने ऊपर चढ़ने के लिए बोलने लगीं.


मैं भी कहां रुकने वाला था … मैंने आंटी की चूत को टटोला तो पहले से ही चूत गीली हुई पड़ी थी.


मैंने लंड चूत के ढक्कन हटा दिए और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर चूत पर टिका दिया. इससे पहले कि वे कुछ समझ पातीं कि मैंने जोर का धक्का देते हुए अन्दर घुसा दिया.


वे एकदम से तड़फ उठीं और ‘अह मर गई …’ बोलीं. आंटी ने आंखें बंद कर लीं.


मैंने दो तीन बार हल्के हल्के शॉट मार कर लंड को चूत में सैट किया और अब मैंने तेज गति से अपने लंड को आंटी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. कुछ ही देर में आंटी को भी मजा आने लगा और मैं फुल स्पीड से अपने लौड़े को चूत में अन्दर बाहर करने लगा.


मस्त आवाजें आ रही थीं. मुझे बहुत मजा आ रहा था.


चुदाई का घमासान युद्ध होने लगा. कभी आंटी मेरे ऊपर आ जातीं तो कभी मैं उनके ऊपर.


दस मिनट तक बहुत मजे वाले चुदाई होती रही. उसके बाद आंटी झड़ गईं तो मेरा रस भी गिर गया.


आंटी को चुदने में बहुत मजा आया था. उनका चेहरा पूरा खिला खिला नजर आ रहा था.


मैंने फिर से एक गिलास पानी मांगा और पानी पीने के बाद एक बार फिर से हम दोनों एक दूसरे लिपट गए. इस बार 15 मिनट तक मैंने आंटी को ताबड़तोड़ चोदा.


वे दर्द से तड़पती हुई चुदाई का मजा ले रही थी. अब मेरा रस गिरने ही वाला था कि तब तक निहारिका जान बाहर से आवाजें देती हुई गेट ठकठकाने लगी.


हम दोनों जल्दी से अलग हुए. मैं अपने कपड़े पहनकर सीट पर बैठ गया.


तब निहारिका की मम्मी ने नाइटी पहन ली और दरवाजा खोला.


निहारिका की समझ में सब आ गया था कि क्या माजरा हुआ है. वह कुछ नहीं बोली और मेरे सामने अपनी किताब आदि लेकर आ गई.


दोस्तो, उस दिन मैं निहारिका की नजरों के सामने ज्यादा देर नहीं रुक सका और अपने घर आ गया.


अगली बार मैंने उन दोनों मां बेटी को किस तरह से एक ही साथ एक ही बेड पर चोद कर रगड़ा, यह मैं आपको अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा. आप मुझे बताएं कि आपको मस्त लड़की की सेक्सी चूत की कहानी कैसी लगी. [email protected]


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