अंकल की बेटी से सेक्स

रवि कुमार 312

03-07-2020

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एक बार मैं दिल्ली गया अपने पापा के दोस्त के घर. हम दोनों परिवारों का घर जैसा आना जाना है. अंकल की बेटी ने रात को मुझे उसकी चुदाई के लिए कैसे उकसाया?


नमस्कार दोस्तो, आप जिन्दगी में किसी के साथ कितना भी सेक्स कर लें. लेकिन जो मजा किसी अपने के साथ आता है वो मजा कही और नहीं आ सकता।


इस साइट पर मैं 1 साल से कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। कुछ सच्ची मालूम होती हैं और कुछ काल्पनिक। लेकिन जो भी हो पढ़ कर मजा तो आ ही जाता है। दोस्तो, आप यकीन करें या न करें लेकिन ये मेरी टीनएज गर्ल सेक्स कहानी 100% सत्य है.


यह कहानी मेरे और मेरी कजिन सिस्टर के बीच की है. मेरा नाम रवि है। मेरे पापा के एक दोस्त दिल्ली रहते हैं और हम लोग कानपुर में।


पापा के दोस्त को मैं अंकल कहता हूं। उनके 2 बेटियां और एक बेटा है। बड़ी वाली का नाम सरिता है जो 23 साल की है और मुझसे एक साल बड़ी। सरिता बहुत स्ट्रिक्ट है और पढ़ने लिखने वाली लड़की। छोटी है कविता जो 19 की है और बहुत चंचल सी है। लड़के का नाम रोहित है।


हमारे दोनों परिवारों का अच्छा आना जाना है लेकिन मैं 4-5 सालों से दिल्ली नहीं गया था। स्कूल के बाद मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय मैं दाखिला लिया और दिल्ली शिफ्ट होते ही अंकल के घर गया। 4-5 साल बाद सबसे मिल रहा था। सरिता और कविता में बहुत बदलाव आ गया था।


दिसम्बर का महीना था। मैं और सरिता, कविता और रोहित बैड पर कंबल में पैर डालकर बैठे थे।


तभी कविता ने कहा- भइया, आप इतने दिनों बाद आये हो तो आपको सज़ा मिलेगी। यह कहते हुए उसने अपने पैर मेरी गोद में रख दिये और बोली- मेरे पैरों में दर्द है तो आप दबाओ।


मैंने हंसते हुए उसके पैर पकड़े और दबाने लगा। अभी तक मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं था.


तभी अचानक कविता ने मेरे पेट पर पैर से गुदगुदी की। मैंने उससे कहा- मुझे गुदगुदी हो रही है, पैरों को चलाओ मत! वो और ज्यादा चलाने लगी।


गुदगुदी के चलते अब मेरे अंदर कुछ कुछ होने लगा। लोअर के अन्दर मेरा लंड खड़ा हो गया। कविता को भी समझ आ गया कि कुछ गड़बड़ है।


मेरी नजरें उससे मिली तो मैं झेंप गया। आखिर वो मुझसे छोटी थी और मुझे भइया कहती थी। लेकिन मैंने कुछ और ही नोटिस किया। कविता अपने पैर को जानबूझकर मेरे पेट पर टच कर रही थी। ये सब कंबल के अन्दर हो रहा था तो किसी को पता नहीं चला।


11 बज गये थे, आंटी आई दूध लेकर! सबने दूध पिया और सोने की तैयारी होने लगी।


रोहित बोला- मैं भइया के पास सोऊँगा। सरिता अपने रूम में चली गई और अंकल आँटी अपने कमरे में।


हम लोगों ने बिस्तर जमीन पर लगाया और बातें करते करते सो गये। थोड़ी देर बार मुझे महसूस हुआ कि मेरे बालों में कुछ है.


मेरी नींद खुली तो कविता की उँगलियाँ मेरे बालों में थी और धीरे धीरे वो मेरे बालों को सहला रही थी।


अब मेरे अंदर हरकत शुरू हुई और मेरी लोअर में लन्ड खड़ा होने लगा। मुझे थोड़ा डर था अभी … मैं सोच रहा था कि कविता कुछ और पहल करे।


मैंने करवट बदली और कविता की तरफ मुँह कर लिया। थोड़ा आगे खिसका तो मेरे और उसके चेहरे के बीच थोड़ी सी ही दूरी बची थी। हम दोनों की साँसें एक दूसरे के चेहरे पर जा रही थी।


उसने अपनी टांग पूरी मेरे ऊपर रख दी। अब मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैंने अपना चेहरा बिल्कुल उसके पास कर दिया।


हम दोनों की नाक टच हो चुकी थी। वो समझ गई थी कि मैं जग गया हूँ।


मैंने बस हल्का सा चेहरा आगे किया और तो मेरे और उसके होंठ आपस में जुड़ गए।


ये मेरी जिंदगी मैं पहली बार हुआ था कि मैंने किसी के लब छुये हों। मेरी धड़कन बहुत तेज हो गई थी.


मैंने धीरे से होंठ खोले और उसके नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में दबा लिया। वो शायद तैयार थी इसके लिए। उसने भी धीरे धीर मेरे होंठों को अपने होंठों में दबाना और चूसना शुरू कर दिया।


रोहित छोटा था और गहरी नींद में था तो उसका कोई डर नहीं थी। लाइट्स बंद थी। रास्ता साफ था।


मैंने अपने एक हाथ को उसकी चूची पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा। उसकी सिस्कारी छूट गयी।


हम दोनों की ही वासना की आग बढ़ती जा रही थी। उसकी बगल से अब मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे को पकड़ कर उसके पूरे चेहरे पर किस करने लगा।


दोस्तो, जब कोई पहली बार सेक्स करता है तो कुछ समझ नहीं आता कि क्या किया जाये। बस सामने वाले को खा जाने का मन करता है।


मैं उसके गाल, होंठों, गर्दन पर नशे में बस अपने होंठों और जीभ से किस करने में लगा हुआ था। वो अपने हाथों को मेरे सर पर दबा रही थी. नशे में पता नहीं चला कि कब मेरी कमर झटके देने लगी।


कविता की हरकतों से लग रहा था मुझे … कि उसने पहले भी कुछ किया हुआ है।


उसने मुझे ऊपर से हटने का इशारा किया. मैं नीचे उतरा तो वो एकदम मेरे ऊपर आ गई और मेरे ऊपर छाने लगी।


कविता मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर जीभ को मेरे मुँह में डालने लगी। मुझे तो सब कुछ सपने जैसा लग रहा था।


जब मैं उसके ऊपर था तब मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन वो मेरे ऊपर आकर जो मजा दे रही थी वो मजा मुझे ज्यादा लग रहा था।


नीचे हाथ लेजा के उसने मेरी शर्ट निकाल दी और मेरे निप्पल को मुख में लेकर चूसने लगी। बीच बीच में वॊ दांतों से निप्पल को काट लेती थी।


ऊपर उसके होंठ मेरे होंठों के साथ खेल रहे थे और नीचे वो अपनी कमर चला रही थी। मेरा लंड इतना टाइट कभी नहीं हुआ था। मैंने अपने हाथ छुड़ाये और एक हाथ उसकी गर्दन पर रखा और एक हाथ से उसकी कमऱ सहलाने लगा।


उसने नाईट ड्रेस डाली हुई थी। मैंने उसको पकड़ा और उतारने की कोशिश की तो वो समझ गई। उसने ऊपर से कम्बल हटाया और मेरी कमर पर बैठ गई और टॉप निकाल दिया।


कमरे में अन्धेरा होने से कुछ दिख नहीं रहा था, बस महसूस हो रहा था। अभी तक हम में से किसी ने भी अपने मुँह से एक शब्द नहीं बोला था सिवाय सिसकारियों के। पहली बार मैंने उसके कान में कहा- मुझे तुझे देखना है. तो उसने सिर्फ इतना कहा- फिर कभी! और इतना कह के वो बगल में लेट गई।


मैंने एक हाथ जल्दी से उसके वक्ष पर डाला लेकिन अभी ब्रा बची हुई थी। मेरे लन्ड में आग ऐसी लगी थी कि अब खेलने का मन नहीं था; बस पेलने का मन था।


मैंने अँधेरे में उसकी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की। ब्रा बहुत टाइट थी उसकी। थोड़ी देर में ब्रा खुल गई. जैसे ही ब्रा अलग हुई, मैंने जल्दी से एक बूब को मुख में ले लिया।


ये सब मेरी जिंदगी में पहली बार हो रहा था. मैं अनाड़ी की तरह बस लगा हुआ था। पहली बार मुझे उसके बूब्स के साइज का पता चला। बहुत बड़े नहीं थे लेकिन टाइट थे. निप्पल दाँतों में लेने लायक थे। अँधेरा था तो निप्पल्स का रंग पता नहीं चला।


बस मैं पागलों की तरह कभी इस निप्पल को कभी उस निप्पल को खाए जा रहा था। जोश जोश में 2-3 बार मैंने निप्पल पर काट लिया तो उसने मेरा सर पकड़ के हटा दिया और नहीं काटने का इशारा किया.


वो मेरा सर पकड़ के बूब्स में दबा रही थी और मैं एक एक करके उसके बूब्स का. उसकी गर्दन का और मुलायम पेट का मजा ले रहा था। अभी मेरा मन आगे बढ़ने को था। मैंने एक हाथ उसकी पाजामी की इलास्टिक में डालने की कोशिश की तो उसने अपनी कमर ऊपर की और जल्दी से अपनी पाजामी निकाल कर अलग कर दी।


मैंने उसका हाथ पकड़ कर नीचे खींचा और उसके ऊपर आ गया. तब मुझे पता चला कि पैंटी नहीं उतारी अभी उसने। मैंने पैर का अंगूठा उसमें फंसाया और नीचे खिसका दी। उसने जल्दी से पैंटी निकाल दी.


मैंने उसकी साइड में लेटकर उसकी चूत पर हाथ डाला तो थोड़ा मन खराब हो गया। उसकी चूत पर बाल थे। मेरा हमेशा से मन था कि पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स करूँगा तो चूत चाटूँगा। लेकिन उसके बाल थे तो चूत चाटने का मन नहीं हुआ।


मैंने अपनी लोअर निकाल दी। उसके हाथों को बिस्तर पर दबाकर मैं उसके ऊपर आ गया और कभी गरदन पर तो कभी बूब्स पर किस करने लगा और निप्पल को मुंह में लेने लगा। वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी।


मेरा लन्ड पूरे जोर पर था तो मैंने कमर से झटका देना शुरू किया। मेरा लंड उसकी चूत से टकराता कभी उसकी गांड से। वो नीचे से कमर उठा उठा कर झटके मार रही थी।


फिर उसने एक हाथ छुटाया और नीचे ले जाकर मेरा लंड पकड़ कर चुत के मुँह पर रखा। मुझे लगा कि पहली बार है तो दर्द होगा सो मन धीरे धीरे से अन्दर डालने को सोचा। जैसे ही मैंने थोड़ा जोर लगाया तो लन्ड थोड़ा सा अंदर चला गया।


फिर थोड़ा और जोर लगाया तो उसने हल्की सिसकारी ली। मुझे लगा कि ये वर्जिन है तो दर्द होगा. मैं रुक गया लेकिन उसने नीचे से झटका मारा और लन्ड आधा अंदर चला गया।


अब मैं पूरी तरह समझ गया कि ये वर्जिन नहीं है। पहले ही ये सेक्स कर चुकी है।


लेकिन अभी तो मेरा लंड आधा अंदर था तो ध्यान उस तरफ गया और मैंने एक झटका देकर लन्ड पूरा अंदर कर दिया। क्या बताऊँ दोस्तो … लन्ड के आगे जो स्किन होती है वो पीछे खिसक गई थी और लंड का टोपा खुल गया था चुत में अंदर जाने से। ऐसा लग रहा था कि लन्ड को मैं आग पर सेंक रहा हूँ।


लन्ड का आगे वाला हिस्सा बहुत सेंसिटिव होता है ये तो आप अभी जानते होंगे।


मैंने धीरे से बाहर निकाला और फिर झटका देकर अंदर कर दिया। कविता ने अपनी टाँगें मेरी कमर में लपेट ली और मेरे सिर को बूब्स में दबाने लगी। उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां छूट रही थी और मेरी सांसें तेज़ हो रही थी।


मैं धीरे धीरे झटके लगा रहा था और लन्ड अन्दर बाहर कर रहा था लेकिन कविता की टाँगें मेरी कमर में थी तो झटके लगाने में दिक्कत हो रही थी।


मैंने उसकी टाँगें कमर से निकाल दी और झटके देने लगा। कमर ठीक से नहीं झटके ले पा रही थी कम्बल की वजह से तो उसने नीचे आने का इशारा किया और खुद मेरे ऊपर आ गई। उसने एक हाथ से लन्ड पकड़ा और धीरे धीरे चूत लन्ड पर रख कर बैठ गई।


क्या बताऊँ दोस्तो, इतना मजा आया कि जैसे मैं हवा में उड़ रहा होऊं।


उसने अब कमर को चलाना आरम्भ किया तो ऐसा लगा जैसे कि उसकी चूत लन्ड को अपने अन्दर खींच रही हो। वो पहले सेक्स कर चुकी थी तो उसे पता था सही तरीके से करने का।


करीब 5 मिनट वो ऊपर बैठ कर कमर हिलाती रहीं और मैं उसके बूब्स दबाता रहा.


फिर वो ऊपर से उतरी और बिस्तर पर उलटी लेट गई. उसने कमर को ऊपर उठाया और डॉगी स्टाइल में आ गई. हम दोनों एक दूसरे को बस छू कर फील कर रहे क्योंकि लाइट्स ऑफ थी।


मैं उसके पीछे आया और कविता ने लन्ड पकड़ कर चुत पर रखा। मैंने अंदर झटका दिया तो इस बार उसकी सिसकारी जोर से निकली और मुझे भी लगा की डोगी स्टाइल में लन्ड ज्यादा अंदर और ठीक से जाता है। मैं उसकी कमर पर हाथ रख कर झटके लगने लगा।


थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि मेरी टांगों पर कुछ गीला सा है। मैंने हाथ से चेक किया तो चिपचिपा सा पानी चूत से होते हुए निकल रहा था।


मेरे झटके चालू थे और हर झट के के साथ उसकी आह आह निकल रही थी। लड़की की सिसकारी और आहें मजा दोगुना कर देती हैं।


मुझे ऐसा लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने उसको कान में बोला- मेरा आने वाला है। ये हम दोनों की अब तक की दूसरी बात थी। उसने बोला- अंदर डाल दो, पीरियड्स अभी अभी निकल चुके हैं मेरे।


मैंने कमर को पकड़ा और जोर जोर से झटके देने लगा। 1-2 मिनट बाद मेरे पैर अकड़ने लगे और मैंने उसकी कमर को बहुत जोर से पकड़ लिया।


मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरे घुटने बिस्तर से उठ गये. 5-6 बार और लन्ड जोर जोर से अन्दर बाहर किया और मेरे लन्ड से मेरा पानी निकलने लगा। जैसे ही गर्म गर्म पानी उसकी चूत में गिरा वो मेरे हाथ पर काटने लगी और कमर को हिलाने लगी।


3-4 पिचकारी आई, ऐसा लगा कि जान निकल रही हो लन्ड में से। मैं धीरे धीरे झटके लगाता रहा।


मेरा लन्ड धीरे धीरे सिकुड़ने लगा। मैंने उसकी कमर को नीचे दबाया तो वो वैसे ही बिस्तर पर लेट गई और मैं उसके ऊपर ही लेट गया। हम दोनों की सांसें तेज थी. मेरा लंड उसकी चूत में था अभी।


2 मिनट बाद उसने उठने का इशारा किया. मैं उपर से उठा और बगल में लेट गया।


उसने जल्दी से अपनी पाजामी पहनी और बिना ब्रा डाले टॉप डाल लिया और बिना लाइट जलाए बाथरूम चली गई.


मैंने अँधेरे में अपने कपड़े देखे। हाथ मैं उसकी पैंटी लगी तो उससे मैंने अपना लन्ड साफ किया और फिर अँधेरे में ही कपड़े पहन लिए।


वो वापस आई तो मैंने उसको पैंटी दे दी। मैंने उसके कान में कहा- मुझे बाथरूम जाना है. तब उसने लाइट जलाई और मैं बाथरूम गया।


वापस आया तो वो थोड़ा सा सर निकाले मेरी तरफ देख रही थी। मेरी उसकी नजरें मिली तो मैंने स्माइल दी. फिर मैंने लाइट बंद की और कम्बल में घुस गया।


मैंने उसके कान में कहा- आई लव यू कविता। ये सुनकर वो मुझसे चिपक गई।


3 बज चुके थे। उसके बाद हम सो गए। तो दोस्तो, ये थी मेरी सच्ची कहानी। आप यकीन कीजिये इसमें सिर्फ नाम बदले है। बाकी सब कुछ रियल है।


अगले दिन मैं अपने हॉस्टल चला गया. उसके बाद ये सिलसिला चलने लगा। मैं और वो काफी बार मिले और हर बार कुछ अलग किया। वो सब मैं अगली कहानी मैं बताऊंगा अगर आपको ये कहानी पसंद आएगी तो. आपको मेरी यह टीनएज गर्ल सेक्स की कहानी पसंद आयी या नहीं? आप मुझे मुझे मेल कर सकते हैं मेरी आईडी पर! [email protected]


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