डेंटिस्ट ने गर्म करके मेरी चूत मारी

छाया

02-06-2023

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देसी गर्ल डॉक्टर सेक्स कहानी में एक युवा लड़की दांत के डॉक्टर के पास गयी तो डॉक्टर ने उसके साथ छेड़खानी शुरू कर दी. लड़की को भी मजा आया तो वह भी साथ देने लगी.


यह कहानी सुनें.


मेरा नाम छाया है, मैं 28 साल की हूँ. मैं एक साधारण सी लड़की हूँ. मेरा एक ब्वॉयफ्रेंड है लेकिन वो दूसरी सिटी में रहता है … इसलिए मेरी उससे मुलाक़ात कम होती है.


यह पिछले साल फरवरी की देसी गर्ल डॉक्टर सेक्स कहानी है. मैं रीवा अपने भाई के पास आयी हुई थी. यहां उनकी जॉब है.


कुछ दिन से मेरे दांत में दर्द था तो मैंने भैया से डेंटिस्ट के पास ले जाने को बोला. भैया मुझे एक डेंटिस्ट के पास ले गए.


जैसे ही हम दोनों अन्दर गए, डेंटिस्ट ने भैया को बाहर बैठने का इशारा किया. डॉक्टर ने मुझे केबिन में ले जाकर मुँह खोलने को बोला. मैंने वैसा ही किया.


डेंटिस्ट ने पहले तो दूर से देखा, फिर वे मेरे काफी करीब आकर देखने लगे. यहां तक तो सब ठीक था.


फिर कुछ अजीब सा करते हुए उन्होंने अपने मेडिकल इक्विपमेंट्स की जगह अपनी अंगूठे को मेरे दांत से टच करके पूछा- दर्द कहां है? जैसे ही उन्होंने दर्द वाली जगह टच किया, दर्द की वजह से मैंने उनका हाथ पकड़ लिया. वे इसको शायद कुछ और ही समझ बैठे.


मैंने बोला- यहीं दर्द है.


उन्होंने मुझे पैर सीधे करके बेड पर लेटा दिया और चैक करने लगे. मुझे महसूस हुआ कि कुछ चीज मेरे कंधे से टच हो रही हैं.


ये डॉक्टर का प्राइवेट पार्ट था और वो काफी कड़क लग रहा था. मैंने ऐसा दिखाया कि मुझे कुछ पता ही नहीं है कि ये टच भी हो रहा है. लेकिन उसको मैं फील करने लगी और अन्दर ही अन्दर शर्माने भी लगी.


मैंने अब तक अपने ब्वॉयफ्रेंड के अलावा किसी का टच नहीं किया था.


डेंटिस्ट भी मेरे दांत पर अंगूठा लगाने के बहाने मेरे होंठों छू रहा था. वो कभी अंगूठा बाहर निकल लेता, फिर धीरे धीरे होंठों से टच कराता हुआ अन्दर कर देता.


फिर उसने पूछा कि इसकी वजह से कहीं और दर्द तो नहीं होता? मैंने मना किया.


तब भी वो धड़कन चैक करने की बहाने अपने स्टेथोस्कोप से मेरी हार्ट बीट चैक करने लगा.


इसी बहाने उसने मेरे बूब्स दबाते हुए टच किए. मैं समझ गई थी कि इसके मन में क्या चल रहा है, पर मैं कुछ नहीं बोली.


उसने काफ़ी देर तक हार्ट बीट चैक की और हल्का हल्का सा मेरे बूब्स पर हाथ भी फेरा.


उसके लंड को अब मैं और कड़ा होता सा महसूस कर सकती थी. मर्दाना अहसास पाकर मेरा भी मन हो रहा था कि उसके लंड को हाथ से महसूस करूँ.


उसके बाद जैसे ही उन्होंने फिर से मुँह में चैक करने के लिए अंगूठा डाला, मैं बैठ गई. इससे मेरे हाथ उनके लंड तक पहुंच सकें और वो भी मेरे दांत चैक कर सकें.


इस बार जब उन्होंने अंगूठा मुँह में डाला, तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनके लंड पर हाथ टच कर दिया.


उन्होंने धीरे धीरे मेरे होंठों से रगड़ता हुआ अपना अंगूठा मेरे मुँह में डाल दिया और मुझसे मुँह बंद करने को कहा.


मैंने मुँह बंद कर लिया. फिर उन्होंने आंख बंद करने को कहा.


मैंने आंख बंद की तो उन्होंने अपने अंगूठे को मुँह से अन्दर बाहर करना चालू कर दिया. मुझे पता नहीं क्यों … ये चीज अच्छी लग रही थी … और अपने आप ही मेरे हाथ जो पहले तक उनके लंड को बस टच किये हुआ था, वो उसको सहलाने लगे.


मुझे पता भी नहीं चला कब उन्होंने चैन खोल दी और कब मैं उनके लंड को सहलाने लगी.


उन्होंने बड़े आराम से मेरा मुँह नीचे कर दिया और अपने लंड मेरे होंठों पर रख दिया.


मुझे महसूस तो हुआ लेकिन मेरा मन ही नहीं हुआ कि आंख खोलूँ. मैंने आंख बंद ही रखते हुए उनके लंड को किस की और उसको अपने मुँह में लेने की कोशिश करने लगी.


डेंटिस्ट बहुत समझदार और बहुत बड़ा चोदू किस्म का था. उसने जरा भी जल्दी नहीं दिखाई और मुझे मेरे हिसाब से चूसने दिया. मैं भी उसको मजे से चूसने लगी.


उन्होंने धीरे से अपने हाथ मेरे मम्मों में घुसा दिया और उन्हें भी दबाने लगा. मुझे और ज्यादा मजा आने लगा.


मैं अपने आप उसके लंड को ज़ोर से चूसने लगी.


अभी मजा आना शुरू ही हुआ था कि इतने में डेंटिस्ट के रिसेप्शनिस्ट ने गेट खटखटा दिया. मैं डर गई और तुरंत सीधी बैठ गयी, मैंने अपने बूब्स ठीक किए.


मैं बाहर आयी तो भैया को देखा.


उन्हें देखते ही मेरी दम निकल गयी कि इन्हें कुछ पता नहीं चल गया हो! फिर सोचा कि उन्हें कैसे पता चला होगा, मैं तो दांत दिखा रही थी.


डेंटिस्ट ने बाहर केबिन में मुझे दवाई दी और स्माइल करते हुए कहा- अगली बार अपॉइंटमेंट ले लेना, फिर आना.


घर पहुंच कर मेरे दिमाग़ मैं वही सब चलता रहा. मुझे उनका टच और उनकी फीलिंग बहुत याद आ रही थी.


मैं जैसे ही आंख बंद करती, वही फीलिंग सामने आ जाती. मैंने आंख खोल कर उस समय उनका लंड नहीं देखा था, नहीं तो आंख खोल कर भी वही दिखता.


अब मैं अपॉइंटमेंट के चक्कर में अपना नंबर ऐसे देना नहीं चाहती थी और ये भी नहीं चाहती थी कि इस बार भैया साथ में चले. मैंने बहुत कोशिश की अकेले जाने की … लेकिन जहां हम रहते थे, वहां से क्लिनिक बहुत दूर था. तो भैया मुझको अकेला तो भेज नहीं सकते थे.


लेकिन मैंने एक दिन मौका देखा.


भैया को किसी फ्रेंड का कुछ सामान देना था तो उस दिन मैं भैया के साथ ये कह कर चली गई- आप मुझे डेंटिस्ट के यहां छोड़ देना और आप अपना काम कर लेना. वापसी में मुझे अपने साथ ले लेना. तो भैया मान गए.


मैं अच्छे से तैयार होकर भैया के साथ क्लिनिक आ गई. भैया मुझे छोड़ कर चले गये.


लेकिन अन्दर भीड़ थी. डेंटिस्ट ने मुझे देखा और देख कर खुश हो गया.


उसने जल्दी से पेशेंट को देखा और उसे बाद में आने को बोला. फिर जो बचे हुए थे, उनसे भी ‘कहीं जाना है.’ का बहाना करके कल आने को बोल दिया.


मैं ये सुनकर मायूस हो गयी और जाने लगी.


तभी वो मुझसे बोला- आप 5 मिनट वेट कर लो, आपकी दवाई लेकर लड़का आता ही होगा. मैं समझ नहीं पायी कि ये क्या बोल रहे और मेरी कौन सी दवाई.


मैंने पूछा- कौन सी दवाई सर? उन्होंने आंख मारते हुए कहा- जो उस दिन नहीं ले गयी थीं ना … वो वाली!


मैं समझ गयी और रुक गई. सबको ऐसे दिखाने लगी कि कोई जरूरी दवाई है.


धीरे धीरे सब चले गए.


सबके जाते ही डॉक्टर ने मुझे केबिन में आने का इशारा किया. मैं जैसे ही अन्दर गयी, उन्होंने गेट बंद कर दिया और मुझे पकड़ कर किस करने लगे.


अब मैं शर्मा रही थी इसलिए मैंने किस तो नहीं किया, लेकिन उन्हें रोका भी नहीं.


आज डॉक्टर साहब कुछ ज्यादा ही उतावले थे, उन्होंने तुरंत अपना लंड खोलकर मुझे थमा दिया.


मैंने खुली आंखों से पहली बार उनके लंड को देखा. वो देखने में काला मोटा लग रहा था.


मैंने मन ही मन सोचा कि इतने काले लंड को मैंने उस दिन कैसे चूस लिया था? लेकिन आज मेरे अन्दर उसी लंड को पकड़ कर एक अलग ही हलचल चल रही थी.


मैं अभी भी शर्मा रही थी. मैंने लंड पकड़ तो लिया था लेकिन कुछ कर नहीं रही थी.


ये देखकर उन्होंने मेरे बूब्स पर हाथ फेरना चालू कर दिया. ससे मेरा भी मूड बनने लगा. मैं हाथ से उनका लंड हिलाने लगी.


लंड एकदम कड़ा था. मेरा मूड बहुत ज्यादा बन गया था और वे भी इस चीज को समझ रहे थे.


उन्होंने बिना देर किए मेरी सलवार पर हाथ डाला और उसे खोलने की कोशिश करने लगे.


मैंने उनकी मदद कर दी और सलवार नीचे हो गयी. मेरी चूत गीली हो रही थी, लंड महसूस करके चुदने का मन हो रहा था.


डेंटिस्ट ने तुरंत मेरी पैंटी पकड़ कर नीचे कर दी. मेरी चूत एकदम नंगी थी और चुदने के लिए फड़फड़ा रही थी.


वो मेरे सामने आ गए और चोदने के लिए पोजीशन लेने लगे.


मैंने उन्हें कंडोम पहनने के लिए कहा. मैं बहुत डरपोक हूँ लेकिन इतने मूड में भी मुझे कंडोम के बिना चुदना नहीं था.


यहीं खेल हो गया. उस चूतिये डेंटिस्ट के पास कंडोम नहीं था. मैंने चुदने से साफ मना कर दिया.


अब मैं नीचे से पूरी नंगी थी, डेंटिस्ट का लंड खड़ा था और फिर भी हम सेक्स नहीं कर रहे थे.


उन्होंने मेरी चूत में फिंगरिंग चालू कर दी तो मुझे बहुत मजा आने लगा.


मैंने उनको 69 पोजीशन मैं आने का इशारा किया. वो 69 में आने के बाद भी मेरी चूत में फिंगरिंग कर रहे थे और बीच बीच में अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर फेर रहे थे.


जब भी उनकी जीभ चूत में लगती, मैं उछल पड़ती.


मैंने भी उनका लंड अपने मुँह में लिया हुआ था. जैसे जैसे वे फिंगर कर रहे थे, वैसे वैसे मैं जोश में आकर उनका लंड चूस रही थी.


शायद मैं ज्यादा जोश में आ गयी थी इसलिए मैंने देखा कि उन्होंने बड़ी जल्दी पोजीशन चेंज की. मेरे बाल पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में ज़ोर से डालने लगे.


अब मुझे मजा भी आ रहा था और अजीब भी लग रहा था. इतनी बुरी तरह से लंड पेलना सिर्फ पोर्न में ही देखा था.


उनका काम तमाम होने वाला था तो उनके झटके और तेज़ हो गए. अब लंड मेरे गले तक आकर मेरे मुँह को चोदने लगा था.


मेरी हालत खराब हो रही थी.


उनका जैसे ही हुआ, उन्होंने लंड बाहर निकाला और अपना सफेद गाढ़ा माल मेरे मम्मों पर गिरा दिया.


मुझे ये देखकर उल्टी आ गयी. मैंने तुरंत कपड़े से उस चीज को पौंछा और कुल्ला किया. मैंने तुरंत कपड़े पहने और बस जाने ही वाली थी कि तभी डॉक्टर ने कहा- सॉरी … वो जोश में मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ.


मुझे उनकी हरकत से गुस्सा आ गयी थी पर मैं शांत हो गई और उनको किस करके बाहर आ गयी.


थोड़ी देर में भैया भी आ गया. लेकिन मेरी चुदने की इच्छा अभी भी पूरी नहीं हुई थी.


मैंने 2-3 दिन ऐसे ही दवाई खाने की एक्टिंग की और दर्द का बहाना बनाना स्टार्ट कर दिया कि दांत अभी भी दर्द कर रहा है.


मैं फिर से डेंटिस्ट के पास जाने की बोलने लगी. भैया ने अकेले भेजने से मना कर दिया.


वो बोला- मैं हाफ डे लेकर आ जाऊंगा, फिर ले चलूँगा. मैं खुश भी हुई और सोच में भी पड़ गयी कि भैया को कैसे मना करूं, जिससे वो जाए नहीं. लेकिन कुछ समझ नहीं आया.


दोपहर को भैया ऑफिस से घर आ गया और चलने की बोलने लगा. मैं रेडी थी.


हम दोनों डेंटिस्ट के क्लिनिक पहुंचे. आज भीड़ ना के बराबर थी.


उन्होंने मुझे देखा और स्माइल पास की. मैंने भी स्माइल दे दी.


फिर उन्होंने भैया को देखा और मुझे केबिन में आने का इशारा किया.


मैं केबिन में गयी और उन्होंने गेट लॉक कर लिया.


मेरे होंठों पर किस करते हुए वो बोले- आज कंडोम है. ये कह कर वो मुस्कुरा दिए. मैं भी खुश हो गयी पर भैया का डर दिमाग़ पर था.


उन्होंने मुझे लेट जाने के लिए बोला. मैं लेट गई.


बिना देर किया उन्होंने अपने लंड को मेरे मुँह की तरफ कर दिया.


मेरे से रहा नहीं गया और लंड की तरफ ऐसे लपकी, जैसे कोई बन्दर खाने की चीज की तरफ लपकता है.


मैं लंड को चूस रही थी और वो मेरे बूब्स को सहला रहे थे. उनका हाथ नीचे पहुंचा और मेरी चूत को ऊपर से सहलाने लगा.


मैं मछली की तरह मचलने लगी. उनका हाथ मेरे सलवार के अन्दर मेरी पैंटी को साइड करता हुआ मेरी चूत पर पहुंच गया. मेरे से रहा नहीं गया और मैंने उनके लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया.


ये देखकर उन्होंने मेरी सलवार नीचे सरका दी और पूरी खींचने की कोशिश करने लगे.


मैंने उन्हें रोक दिया और सलवार को घुटनों तक लाकर रोक दिया. उनका लंड खड़ा था और चोदने के लिए बेचैन था. बिना देर किए उन्होंने लौड़े पर कंडोम चढ़ाया और नीचे की तरफ आकर एक बार मेरी चूत पर चुम्मी की और अपनी जीभ को अन्दर घुसा कर थोड़ा सा सहलाया, जैसे कोई आइसक्रीम खाने से पहले उसको चाटता है … वैसे ही.


वो पीछे हुए और मेरी दोनों टांग ऊपर उठा कर अपने लंड को मेरी चूत पर सैट कर दिया.


मेरी धड़कन बढ़ गयी. मुझे बस लग रहा था कि ये जल्दी से अन्दर डाल दें.


जैसे ही उन्होंने झटका दिया, मेरी जान निकल गई और मेरे मुँह से चीख निकल गयी. डॉक्टर भी डर गए कि इतनी तेज़ चीख से मामला गड़बड़ न हो जाए.


उन्होंने मेरे मुँह को बंद करके मुझे याद दिलाया कि भैया बाहर है.


मेरी ये सोचकर और दम निकल गयी कि भैया ने ना सुन लिया हो.


मैंने डेंटिस्ट को बाहर देखने का इशारा किया. उन्होंने साइड के कांच से बाहर झाँक कर देखा, तो वहां कोई नहीं था.


भैया बाहर की तरफ सिगरेट पी रहे थे.


डॉक्टर साहब फिर से मेरी तरफ आए और लंड को सहलाते हुए अन्दर डालने लगे. मैंने उनसे आराम से करने का आग्रह किया. उनका लंड बहुत मोटा था, मुँह में लेते टाइम मैंने ऐसा नहीं सोचा था कि नीचे जाने में इतनी दिक्क़त होगी.


इससे पहले मैं बस दो बार चुदी थी, वो भी अपने ब्वॉयफ्रेंड से. लेकिन यह ब्वॉयफ्रेंड का लंड नहीं था.


उन्होंने लंड सैट करके फिर से अन्दर करने के लिए झटका दिया. मेरी जान निकल गयी. लेकिन इस बार मैं चिल्लायी नहीं.


वो धीरे धीरे अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगे.


मेरी जान निकल रही थी. लेकिन ज़ब मैंने अपने हाथ से उनको रोकने की कोशिश की और उनके लंड को पकड़ने की कोशिश की तो महसूस किया कि अभी तो लंड बाहर ही है.


मेरी जान तो उनके लंड के आगे वाले हिस्से से ही निकल रही थी, पूरा जाएगा तब क्या होगा? इतने में एक ज़ोर के झटके के साथ उन्होंने अपना आधा लंड अन्दर कर दिया. मेरे तो जैसे होश ही उड़ गए.


मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं और मैं उन्हें रोकती हुई बोली- बस और अन्दर मत करना! वो मुस्कुराते हुए मेरे बूब्स दबाते हुए बोले- अभी तो आधा गया है, पूरा तो जाने दो जानेमन.


लेकिन मैंने उन्हें ज़ोर से पकड़ते हुए और अन्दर डालने से रोका, तो वो उतने लंड को ही मेरी चूत में आगे पीछे करने लगे.


मुझे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था और मीठा मीठा मजा भी आ रहा था. ऐसे ही थोड़ी देर आगे पीछे करते रहे और मेरे पकड़ कब छूट गयी, पता ही नहीं चला. मैं अब मजा लेने लगी थी.


तभी एक ज़ोर के झटके के साथ उन्होंने पूरा लंड अन्दर कर दिया. मेरे तोते उड़ गए … गांड फट कर हाथ में आ गई समझो जान ही निकल गयी.


मैंने ज़ोर से झटका देकर उनको दूर किया और सलवार ऊपर चढ़ा ली. मैं मना करने लगी कि बस हो गया, अब नहीं. मेरी और करने की हिम्मत नहीं हो रही थी, लेकिन मन भी कर रहा था.


मैंने भैया का बहाना बना दिया कि अब किया तो मुझसे कंट्रोल नहीं होगा और मैं चिल्ला दूंगी. उनका मूड बना हुआ था, वे किसी हालत में मुझे ऐसे नहीं जाने दे सकते थे.


उन्होंने मुझे पकड़ लिया और किस करते हुए बोले- जानेमन, तुझे तो मैं अच्छे से है चोदूंगा.


मुझे वहीं रुकने का इशारा करके अपने पैंट को ठीक करके बाहर जाने लगे. मुझे समझ में नहीं आया कि ये कर क्या रहे हैं.


वो बाहर गए और अपने रिसेप्शनिस्ट से बोले- बाजार से जाकर ये सामान ले आओ और इन भैया को अपने साथ ले जाओ. सामान ज्यादा है ये बाइक चला लेंगे, तुम सामान पकड़ लेना.


फिर वो मेरे भैया से बोले- प्लीज आप इनके साथ चले जाओ.


मेरे भैया और उनके यहां का आदमी, दोनों जैसे ही गए … डेंटिस्ट मुस्कुराते हुए अन्दर आ गए.


मैं उनके दिमाग़ की कायल हो गई. उन्होंने बिना देर किए मेरी सलवार पूरी खींच कर उतार दी और मेरे ऊपर सवार होने लगे.


मैं समझ गई थी कि अब ये मुझे बुरी तरह चोदेंगे. मैं सहम गयी लेकिन कुछ कर भी नहीं सकती थी.


मैंने कहा- कुछ चिकनाई लगा लो इस पर … बहुत दर्द हो रहा है. वो मुस्कुराए और बोले- अभी थूक के अलावा कुछ नहीं है.


अपने मुँह से थूक निकाल कर मेरी चूत पर लगाया और अपने लंड को अन्दर करने लगे.


शुरू में तो मुझे मजा आ रहा था लेकिन जैसे जैसे उनका मूसल छाप लंड चूत के अन्दर जा रहा था, मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था.


मगर अब ये कहां रुकने वाले थे. मेरी चूचियों को बाहर निकाल कर दोनों हाथ से उन्हें दबा रहे थे और ज़ोर ज़ोर से झटके दे रहे थे.


मैं भी आवाजें निकाल कर आह आह करती रही. बीच बीच में मैं ज़ोर से चिलला भी देती क्योंकि दर्द भी असहनीय हो रहा था.


थोड़ी देर करने की बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा. मैंने भी उनका साथ दिया और घोड़ी बन गयी.


उन्होंने घोड़ी बना कर चोदना जारी रखा.


मेरा दर्द तो कम नहीं हुआ था लेकिन मजा ज्यादा बढ़ गया था.


मैं भी अपनी गांड हिला कर चूत में लंड लेने लगी.


पर ये डेंटिस्ट बहुत हरामी थे, इनके हाथ कुछ ज्यादा ही चल रहे थे.


उन्होंने घोड़ी बने हुए मेरा फायदा उठा कर अपनी उंगली मेरी गांड में डाल दी. आज से पहले कभी कुछ ऐसा नहीं हुआ था. मुझे जलन हुई लेकिन मैं हट नहीं पायी क्योंकि दूसरे हाथ से उन्होंने मेरे बाल पकड़ रखे थे.


वो बुरी तरह से चोद रहे थे और दूसरी तरफ मेरी गांड में उंगली कर रहे थे.


अब मुझे चुदने में तो मजा आ रहा था लेकिन उंगली से परेशानी हो रही थी. मैं चिल्ला कर बोली- फिंगर निकालो, दर्द हो रहा है.


उन्होंने मेरी गांड में उंगली निकाली और मेरी गांड पर थूकने लगे. दो तीन बार थूकने के बाद सारा थूक गांड के छेद के अन्दर डालने की कोशिश करने लगे.


उन्होंने फिर से उंगली डाल दी. लेकिन थूक की वजह से उंगली अन्दर भी आराम से चली गई और दर्द भी कम हुआ.


इतनी देर चोदते चोदते उनका स्खलन होने को आ गया था तो वो और ज़ोर के झटके देने लगे थे.


तभी अचानक से वो हूँ हूँ करते हुए मेरी चूत में झड़ गए. कंडोम पहन हुआ था तो कोई डर नहीं था.


उनके झड़ने के साथ साथ मुझे भी शान्ति मिली. मैं वहीं पेट के बल लेट गयी.


इतने मैं बाइक के रुकने भी आवाज़ आ गयी. उन्होंने तुरंत पैंट पहनी और बाहर चले गए.


देसी गर्ल डॉक्टर सेक्स के बाद मेरी हिम्मत पैंटी पहनने तक की नहीं हो रही थी लेकिन भैया की सोच कर तुरंत कपड़े पहने, बाल ठीक किए और लिपस्टिक लगा कर सही से तैयार हो गयी.


डेंटिस्ट सर वापस अन्दर आए और मुझे किस किया. उनके हाथ मेरी गांड को दबा रहे थे.


वे कान में धीरे से बोले- अगली बार इसका नंबर है. इसी बार में मेरी हालत ख़राब हो गयी थी, अगली बार कौन आएगा … ये सोच कर मैं बाहर निकल गयी.


क्या मैं दुबारा दांत चैक कराने जाऊं? ‘वे मेरी गांड मारेंगे’ यह सोच कर डर लग रहा है. प्लीज आप लोग बताएं. देसी गर्ल डॉक्टर सेक्स कहानी में आपको मजा आया होगा. आप मुझे अपने विचार बताएं. [email protected]


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