दूर के रिश्ते में दीदी को खुल कर चोदा

राज ठाकुर

12-06-2022

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फ्री सेक्स इन ओपन का मजा मैंने अपनी दीदी के साथ उनके घर की छत पर लिया. दीदी खुद अपनी चूत चुदाई के लिए उतावली हो रही थी क्योंकि जीजाजी उन्हें मजा नहीं देते थे.


सभी पाठकों को मेरा नमस्कार.


मेरी पिछली सेक्स कहानी Xxx ब्रदर सिस्टर कहानी में आपने मेरी और दूर की रिश्ते में लगने वाली दीदी की चुदाई की कहानी में पढ़ा था कि मैं दीदी को स्कूटी सिखाने ले गया और सुनसान जगह में स्कूटी खड़ी करके उन्हें हचक कर चोद दिया था.


दीदी स्कूटी का सहारा लेकर घोड़ी बन गई थीं और मैं दीदी के कंधे पकड़ कर इतनी गन्दी तरह से उनकी चूत चोदने लगा था कि वो अपना सिर ऊपर करके बस मादक सिसकारियां ले रही थीं.


बीस मिनट चूत चोदने के बाद मैं दीदी की चूत में ही स्खलित हो गया. दीदी मेरा लंड लेकर एकदम खुश हो गई थीं.


अब आगे फ्री सेक्स इन ओपन:


दीदी की चुदाई के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही किए और वहां से सड़क पर आ गए. मैं उन्हें गाड़ी सिखाते हुए उनकी चूची दबाने लगा.


मैंने दीदी की गर्दन पर चूमा लेते हुए पूछा- मज़ा आया? दीदी बोलीं- हां बहुत … तुम बहुत ताकत से कर रहे थे, मजा तो बहुत आया … पर मुझे ये सब खुल कर करना है.


मैंने कहा- खुल कर कैसे? दीदी- अरे कमरे में पूरी तरह से बिंदास होकर … मुझे चोदते हुए तुम मेरी चूची पियो, मेरे बदन को काटो, ऐसा वाला सेक्स करना है. मैं पूरी नंगी होकर बिस्तर पर तुम्हारे साथ चुदाई का मजा लेना चाहती हूँ. ऐसे थोड़ी सी जगह में मजा नहीं आता.


मैंने कहा- ठीक है, घर में कोई जुगाड़ लगाइए. उधर आपकी चुदाई का खेल खेलेंगे. वो जरा उदास होकर बोलीं- कैसे जुगाड़ लगाऊं … बच्चे हमेशा घर में ही रहते हैं.


मैंने कहा- चिंता मत करो … मौक़ा मिलेगा. वो बोलीं- हां ये तो है.


उस दिन दीदी को घर छोड़ कर आ गया.


उसके बाद से हम दोनों का ऐसे ही चलता रहा. रोज सुबह मॉर्निंग वॉक के बहाने मैं उनको चोद देता. कभी पेड़ के नीचे, कभी कहीं दुकान के बेसमेंट में, कभी खड़े खड़े चुदाई चल ही रही थी.


एक दिन मैंने दीदी से कहा- मुर्गे वाला प्रोग्राम बनाइए और उस रात को मैं आपके घर ही रुक जाऊंगा. दीदी बोलीं- ठीक है.


दीदी ने दो दिन बाद मेरी मम्मी को फोन करके कहा- मैं घर पर चिकन बना रही हूं, सब लोगों को आना है. मम्मी ने कह दिया- राज ही आ जाएगा, हम सब नहीं आ पाएंगे. दीदी ने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कह दिया- ठीक है.


उस शाम को मैं दीदी के घर चला गया. मुझे रात भर दीदी को चोदना था तो मैंने देर तक चोदने वाली गोली खा लीं और एक ताकत की भी ले ली.


दीदी के घर पहुंचा तो आवाज लगाई. दीदी ने गेट खोला. वो काफी खुश दिख रही थीं.


हम दोनों लॉबी में चले आए. बच्चे भी आ गए. बच्चों ने मेरा फोन ले लिया और लॉबी में ही गेम खेलने लगे.


मैं दीदी को इशारे करने लगा, वो मुस्कुरा रही थीं. उन्होंने हाथ से मुँह में केला लेकर चूसते हुए लंड काटने का इशारा किया. मैंने लंड की तरफ इशारा कर दिया.


उन्होंने दांत से कच्च करके काट खाने का इशारा कर दिया. मैं हंस दिया.


दीदी ने भी एक बार झुक कर अपने खरबूजे दिखाए और जल्दी से सिनेमा बंद कर दिया. मैंने एक बार फिर से दिखाने का कहा. तो दीदी ने साउथ की हीरोइन की तरह अपनी मैक्सी जांघों तक उठा कर अपनी टांगें दिखाईं और मुझे गर्म करने लगीं.


फिर मैक्सी की चैन भी थोड़ा खोल कर क्लीवेज दिखाने लगीं. कुछ देर में खाने का समय हो गया.


मैंने दीदी से कहा- एक बार मम्मी को बोल दीजिए कि टाइम लगेगा, मैं रात में यहीं रुक जाऊंगा. दीदी ने मम्मी को फोन कर दिया. मम्मी ने कहा- ठीक है.


दीदी अपने बेटे और बेटी से बोलीं- चलो छत पर चलते हैं. वहीं चिकन बनाएंगे. तुम दोनों वहीं छत पर खेलते रहना. दोनों बच्चों ने मना कर दिया.


दीदी की बेटी बोली- मैं अपनी रोटी बनाने जा रही हूँ. नीचे ही खा लूंगी. मुझे चिकन नहीं खाना है. बेटा बोला- मैं भी यहीं हूं, मोबाइल में गेम खेलूंगा. दीदी के साथ ही खा लूंगा.


दीदी मुझसे बोलीं- राज चलो. और दीदी मुर्गा और बाकी का सामान लेकर चल दीं. कुछ सामान मेरे हाथ में भी था, नहीं तो मैं दीदी की गांड में फिंगर करने की सोच रहा था.


छत पर सामान रखने के बाद दीदी ने कहा- राज, अब जल्दी से सामान रेडी करो. मैं मुर्गा तैयार करती हूं. कुछ देर में मुर्गा मसाला आदि सब रेडी हो गया.


दीदी गांड झुका कर मसाला भूनने लगीं मैंने अपनी एक उंगली दीदी की गांड में पेल दी. अब फ्री सेक्स इन ओपन का मौक़ा मिला था.


दीदी चिहुंक गईं- उई मम्मी. मैं जोर से हंस पड़ा.


दीदी बोलीं- साले, मैं कलछी मार दूंगी. मैंने कहा- लंड लेना है न? दीदी ने वासना से कहा- हां.


मैंने झट से छत के दरवाजे की कुण्डी लगा दी.


दीदी समझ गईं. वो गैस स्लो करके दरी पर लेट गईं और उन्होंने अपनी बांहें फैला दीं. मैं उनकी टांगों के बीच से आकर उनके ऊपर चढ़ गया.


सबसे पहले मैंने उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, गाल को, होंठ और गर्दन को चूमा.


दीदी खुश होती हुई बोलीं- आज ये सब करके मुझे बेहद मजा आ रहा है. नहीं तो तुम सीधे मेरे दूध पीने के लिए बावले हो जाते ही. मैं हंसकर उनके होंठों को चूसने लगा.


वो भी इत्मीनान से साथ मेरा देने लगीं. धीरे धीरे दीदी ने अपनी मैक्सी कमर तक सरका ली और बोलीं- चूत में डाल कर प्यार करो.


मैंने अपना पजामा और कच्छा सरका दिया और खड़ा लंड दीदी की चूत में डाल दिया.


दीदी ने लंड लेते ही आह भरी और गांड उठा कर लंड का मजा लेने लगीं. मैं मस्ती से चूत में धक्का देने लगा.


हर झटके पर दीदी उन्ह आंह कर रही थीं.


मैंने एक दूध चूसते हुए पूछा- जीजा जी इतने दिन थे कि क्या आपने उनका नहीं लिया? दीदी बोलीं- अभी उनकी बात नहीं करो. तुम बस मजा दो और लो. लो अब इस वाली को चूसो.


दीदी ने अपनी दूसरी चूची मेरे मुँह में दे दी. मैं दीदी के दूध और निप्पल काटते हुए उन्हें हौले हौले चोदने लगा.


दीदी बोलीं- एक बार चिकन देख लो, कहीं ज्यादा न पक जाए. मैंने उठकर चिकन देखा और फिर से आ गया.


मैंने दीदी की चूत में फिर से लंड डाल दिया. दीदी बोलीं- तुम अपने कपड़े उतार दो, आज तक नंगा होकर नहीं चोदा.


मैंने हामी भर दी और कपड़े हटा दिए. दीदी मेरी छाती पर हाथ फेरने लगीं. वो बोलीं- क्या मर्दाना छाती है तेरी.


मैं दीदी को चूमते हुए उनकी चूत में धक्के मारने लगा. वो मेरी छाती चूम कर मेरे सीने की दोनों घुंडियों को चुभलाती हुई मजा दे रही थीं.


अब मेरा घुटने में जलन होने लगी थी. दरी पर कुछ दर्द सा होने लगा था. मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचों पर रख दिए और चूचे मसलते हुए जोर जोर से चोदने लगा.


कुछ मिनट बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया.


उन्होंने मेरे माथे का पसीना पौंछा और लंड निकाल कर बैठ गईं.


कुछ देर बाद चिकन भी तैयार हो गया था. दीदी मुझसे बात करने लगीं.


फिर दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा बहुत मोटे हो गए हैं ना … वो अब मेरी अच्छे से नहीं कर पाते हैं. मैं उनका वजन नहीं झेल पाती हूं. इस बार लॉकडाउन में पांच महीने घर पर रहे. लेकिन 15-16 बार ही किया. डालते ही झड़ जाते थे और मैं गर्म रह जाती थी. उस वक्त मैं तुमको याद करती थी कि कब तुम मेरे ऊपर आओगे.


मैंने कहा- अब आ गया हूं, तो सारी गर्मी शांत कर दूंगा.


दीदी बोलीं- मैं भी जब तक तुम्हारी सेवा कर सकती हूं, करूंगी. अब बच्चे भी बड़े हो रहे हैं, तो संभल कर करना पड़ता है. मैंने कहा- हां ये तो है.


दीदी कुछ भरे गले से बोलीं- तुम मेरे अलावा किसी और को नहीं देखोगे, भले शादी के बाद अपनी बीवी से कर लेना, पर अभी मुझे ही अपनी बीवी समझो. तुम्हारा मुझ पर पूरा हक है. वे भावुक हो गई थीं. मैंने कहा- जैसा आप चाहती हैं, वैसा ही होगा.


दोस्तो, दीदी ये बात इसलिए कह रही थीं क्योंकि मैं चढ़ती जवानी पर था और उनकी जवानी ढलान पर थी.


फिर भी मेरा ख्याल था कि अभी लगभग दस साल तक उनकी चूत चुदने लायक रहेगी.


अब हम दोनों चिकन खाने की व्यवस्था में लग गए.


मैंने बैग से बोतल निकाली और दीदी से कहा- लोगी? दीदी ने कहा- एकाध पैग ले लूंगी.


हम दोनों ने दो दो पैग खींचे और चिकन पर हाथ साफ किया. अब तक 10 बज गए थे.


तभी मम्मी का फोन आया कि घर आओगे क्या? मैंने मना कर दिया. मम्मी बोलीं- ठीक है.


फिर खाना खाने के बाद हम लोग नीचे चले गए. दीदी ने दो ग्लास दूध गर्म किया और दोनों बच्चों को दे दिया.


दोनों बच्चे टीवी देखने लगे. दीदी मेरे साथ बैठ गईं.


मैंने कहा- बच्चे कब तक सोएंगे? दीदी बोली- सो जाएंगे अभी!


मैंने कहा- आज आप कराहने वाली हैं. दीदी बोलीं- वो तो तुम्हारी ताकत और हथियार देख कर लगता है. मैं हर दर्द के लिए तैयार हूं.


दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं- मुझे प्यार हो गया है तुमसे, तुम्हारा नहीं पता. मैंने कहा- मुझे भी हो गया है. मर्द अपनी पूरी चाहत नहीं दिखा पाता.


दीदी बोलीं- मैंने कभी गलत कदम नहीं उठाया, ये मत सोचना कि मैं ऐसी वैसी हूं. वो शायद नशे में आ गई थीं.


मैंने कहा- अरे नहीं यार. फिर दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर ले आईं और मसलती हुई बोलीं- आज इसको मैं तबाह कर दूंगी.


मैंने कहा- ऐसा क्या! वो बोलीं- हां, आज तुमको अपने प्यार की गहराई दिखाऊंगी.


मैंने कहा- जिसने सब कुछ सौंप दिया, अब उसकी गहराई क्या देखना! वो बोलीं- हां ये तो है.


मैंने कहा- देखो, बच्चे सो गए क्या? दीदी बोलीं- देख कर आती हूं.


हम दोनों ये लॉबी में ही करने वाले थे क्यूंकि बेडरूम में बच्चे सोते हैं. लॉबी एक तरह से गेस्ट रूम है. दीदी का घर ज्यादा बड़ा नहीं है. लॉबी में सोफ़ा और एक बेड पड़ा है.


मेरे ऊपर दवा असर कर रही थी. लंड अपने आकार में आ गया था. दीदी आईं और बोलीं- बच्चे बस सोने वाले हैं, पर आएंगे नहीं. मैं गेट भिड़ा के आईं हूं और हमारे रूम का पर्दा लगा दिया है.


मैंने दीदी को बांहों में भर लिया. उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन में डाल दिए.


मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा, वो भी साथ देने लगीं. मेरी छाती से चूची, लंड से चूत, कमर से कमर चिपकी पड़ी थी.


दीदी बोलीं- तुम तो बड़े रोमांटिक हो. मैंने तो सोचा था कि तेरे अन्दर बस एक जंगली मर्द है. मैं उनकी गांड दबाने लगा. वो मेरे सीने पर सिर रखकर बात करती रहीं और डांस करती रहीं.


मैंने कहा- आज सब सुकून से हो रहा है … मुझे कोई जल्दी नहीं है. दीदी हूँ बोलीं.


मैंने बोला- आज मुझे आपको ब्रा और पैंटी में देखना है. दीदी बोलीं- अभी आती हूं.


मेरे होंठ पर चुम्मा देकर वो अपने बेडरूम से ब्रा पैंटी ले आईं. बच्चे सो गए थे.


मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी. दीदी ने मैक्सी को उतार दिया. उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं.


चूत से सफ़ेद पानी आ रहा था. लाल ब्रा और काली पैंटी थी. दीदी ने पैंटी पहन ली और चूची दिखाती हुई बोलीं- पहले इनको प्यार कर दो.


वो एकदम मासूम बन गई थीं. कह कह कर प्यार करवा रही थीं. एकदम जैसे बीवी हों. उनको प्यार की सख्त जरूरत थी.


मैंने दोनों निप्पलों को चुम्मा दिया.


फिर दीदी ब्रा डाल कर पीछे मुड़ गईं और बोलीं- हुक लगाओ. मैंने हुक लगाकर अपनी तरफ मोड़ा.


हाय क्या मस्त लग रही थीं. एकदम मस्त रांड सी … थोड़ी सी तोंद निकली थी.


लुगाई की तोंद का मज़ा तब आता है, जब उसे चोदो और वो हिले.


वो कामुक होकर बोलीं- अब उतार रही हूँ … तुम चूसो इनको. मैं सोफे पर बैठ कर उनको अपनी गोद में लेकर चूमने लगा. ब्रा को खोले बिना, ऊपर करके चूची पीने लगा.


वो अपनी चूत लंड पर रगड़ने लगीं, बोलीं- एक बार गोद में बैठाकर करो. उनको बस लंड चूत में चाहिए था.


मैंने कहा- चूत चाटने के बाद. मैं सोफे पर लेट गया और कहा- मैं चूत चाटता हूं, आप लंड चूसिए.


ऐसे ही हुआ. गर्म गर्म जीभ का स्पर्श और मुँह में लंड देने से मुझे किसी और दुनिया में ले आया था.


वो अपनी गांड हिला हिला कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.


दीदी के बाल बिखरे हुए थे, आंखें वासना से लबरेज थीं. मैंने उनको लिटा दिया और लंड चूत में डाल दिया.


अब मैं दीदी की चूत पेलने लगा. मैं इतनी जोर जोर से धक्का मारने लगा था कि दीदी कराहने लगीं, चीखने लगीं. उन्होंने मुँह में चादर डाल ली कि आवाज बाहर ना जाए.


मैंने दौड़ कर दरवाज़ा बंद किया और फिर से लंड पेल कर चोदना शुरू कर दिया. पट पट, सिसकारियां और बस तेज सांसें चल रही थीं.


दीदी की टांगें आसमान में लहरा रही थीं. चूचियां डोल रही थीं, पेट हिल रहा था. मैं दीदी की चूचियां भींच भींच कर चूत चोद रहा था.


फिर मैंने एक नया तरीका इजाद कर दिया. मैं खड़ा हो गया और दीदी के दोनों पैर अपनी जांघों पर टिकवा दिए. दीदी मेरी गर्दन पकड़ कर मेरी गोद में आ गईं. मैंने उनकी गांड से उनको पकड़ लिया.


अब वो भी धक्का मारने लगीं. पूरा लंड चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. पसीने के कारण दीदी फिसलने लगीं.


फिर मैं लेट गया और वो लंड पर बैठ कर अपना कमाल दिखाने लगीं. यही सुख जीजा नहीं दे पा रहे थे.


दीदी लंड पर उछल उछल कर मजा ले रही थीं. मैं भी बहन चोद कर मस्त था.


कुछ देर के बाद दीदी ने चूत से फुहार फैंक दी और निढाल मेरे ऊपर गिर गईं.


मैं नीचे से धक्का मारने लगा. पच पच …


उनकी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया. मैं भी स्खलित हो गया. दीदी हांफ रही थीं और मुझे बेशुमार पप्पियां देने लगी थीं.


मेरा लंड अभी चूत में ही था, मगर छोटा हो गया था. जब मैंने निकाला तो दीदी लंड चूमने लगीं. वो आज लंड से मुहब्बत कर बैठी थीं.


फिर हम दोनों लेट कर बात करने लगे. दीदी बोलीं- राज, मेरी चूचियों का साइज़ बढ़ रहा है. तुम रोज इनको मसलते हो न.


मैंने कहा- क्या करूं, ये तो मेरी जान हैं. मैं चूची चूमने लगा.


दीदी बोलीं- चूची बढ़ेगी तो तुम्हारे जीजा को शक हो जाएगा. मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बोल दीजियेगा कि घर में ब्रा नहीं पहनती हूँ. बाहर कहीं जाना होता नहीं है.


उस रात मैंने दीदी को रुक रुक कर 4 बार चोदा. दो दो पैग और लगाए और चूत और चूची का बुरा हाल कर दिया था. मैंने दीदी के शरीर का एक एक अंग आगे पीछे सब जगह से चूमता रहा.


मेरा लंड सुबह तक दुहाई मांगने लगा था कि छोड़ दो मुझे, चूत में मेरा दम घुटने लगा है.


सुबह मैं दीदी के घर से चला आया. शाम को दीदी का फोन आया- राज, मैं चल नहीं पा रही हूं. तुमने रात भर में बहुत दर्द दिया है. दिन भर सोई रही.


मैंने कहा- कल सुबह आइए, दर्द ठीक कर दूंगा. दीद हंस कर बोलीं- रहने दो … चूत सूज कर गुझिया हो गई है.


मैंने कहा- इस बार दही बड़ा बना दूंगा. दीदी हंस कर बोलीं- राज सुनो ना. मैं- हां बोलो.


दीदी- आई लव यू. मैं- आई लव यू टू.


अब दीदी के साथ मेरी चुदाई वही सड़कों के किनारे, पेड़ के नीचे, कभी कुतिया बना कर हो रही है. बच्चों के स्कूल खुलने का इंतजार है. तब दीदी की सही से चुदाई का मजा आएगा.


अगली सेक्स कहानी के साथ जल्द मिलते हैं दोस्तो. सब स्वस्थ रहें, मस्त रहें. मुझे मेल जरूर करें कि मेरी फ्री सेक्स इन ओपन कहानी कैसी लगी? धन्यवाद. [email protected]


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