गाँव के मुखिया जी की वासना- 5

पिंकी सेन

17-09-2020

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गर्म चूत की देसी चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे गांड में आये नए डॉक्टर की बीवी मुखिया जी को अच्छी लगी. डॉक्टर की बीवी की वासना भी अधूरी थी, उसकी चुदाई पूरी नहीं होती थी.


दोस्तो, मैं पिंकी सेन आपको गांव की चुदाई की कहानी में एक बार फिर से डुबकी लगवाने ले आई हूँ.


मेरी गर्म चूत की देसी चुदाई कहानी के पिछले भाग गाँव के मुखिया जी की वासना- 4 में आपने अब तक पढ़ा था कि गांव के महामादरचोद मुखिया जीवन परसाद आज अपनी कामवाली सन्नो की ननद मुनिया की जवानी का स्वाद चखने वाले थे कि तभी उसका नौकर कालू ये बताने आ गया कि डॉक्टर सुरेश की मदमस्त बीवी सजी धजी मुखिया जी को बुला रही है. उसे मुखिया जी से कोई जरूरी काम है.


ये सुनते ही मुखिया जी को सुमन की चुदाई की याद आने लगी और वो खुश हो गया.


अब आगे की गर्म चूत की देसी चुदाई कहानी:


सुमन के बुलाने की खबर सुनकर मुखिया की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. वो झट से उठा और सुमन के घर की तरफ चल दिया. वहां पहुंच कर उसने दरवाजा खटखटाया. सुमन तो जैसे इन्तजार में ही बैठी थी. उसने झट से दरवाजा खोल दिया और मुखिया को देखकर उसके होंठों पर क़ातिल मुस्कान आ गई.


मुखिया- राम राम बेटी … कैसी हो तुम, क्या काम था, जो तुमने मुझे बुलवाया है. सुमन- राम राम मुखिया जी … मैं ठीक हूँ. कालू आया था. उसने बताया कि आपने एक बड़ी हवेली हमारे लिए साफ करवाई है. बस मैं आपको उसी का धन्यवाद देना चाहती थी.


ये कहती हुई सुमन ने अपने मम्मों को बड़ी अदा से हिलाया.


मुखिया सुमन की हिलती हुई चूचियों को देख कर लार टपकाता हुआ बोला- अरे ऐसा कोई बड़ा काम नहीं था. इसमें धन्यवाद कैसा … और कोई खास काम हो, तो बताओ!


सुमन इठलाती हुई बोली- काम तो है मुखिया जी, मगर उसमें समय बहुत लग जाएगा. मुखिया- अरे तुम बताओ तो, समय की चिंता मत करो. मुझे कौन सा हल चलाने जाना है. मैं तो खाली ही बैठा रहता हूँ.


सुमन- वो दरअसल बात ये है कि जा हम दोनों बस में आ रहे थे, तो यहां के रास्ते बहुत खराब थे. जिससे मुझे झटके लग लग कर मेरी कमर अकड़ गई है. मुखिया- अरे तो सुरेश डॉक्टर है, उसको नहीं बताया. वो कोई दवा दे देता … इसमें दिक्कत वाली बात कहां से आई.


सुमन- आप समझे नहीं, मैं उनको बताऊंगी, तो वो इंजेक्शन लगा देंगे … और दवा भी दे देंगे. आपको शायद पता नहीं, मुझे दवा लेना बिल्कुल पसंद नहीं है और इंजेक्शन तो हरगिज़ अच्छा नहीं लगता. मैंने सुना था गांव में हाथों से मालिश करके ही दर्द निकाल देते हैं. इसी लिए मैंने कहा था कि काम तो है मगर समय वाला है.


सुमन की होशियारी पर मुखिया मुस्कुरा दिया और मन में सोचने लगा कि साली शहरी लौंडिया बहुत होशियार है. सीधे सीधे नहीं बोलेगी कि मुझे चुदवाना है. कैसे दर्द का नाटक कर रही है मगर मुझे क्या … मैं तो साली को ऐसे रगड़ दूंगा कि इसके सारे दर्द मिट जाएंगे.


सुमन- क्या सोचने लगे मुखिया जी. मुझे आप बताओ ना … अब कौन मेरी मालिश करेगा. क्या आप किसी को जानते हो, जो ये ठीक कर दे! मुखिया- अरे कुछ नहीं, बस ऐसे ही सोच रहा था … और कोई क्यों, मैं इस गांव का मुखिया हूँ. भला मुझसे ज़्यादा ज्ञानी कौन होगा. चलो कमरे में, अभी तुम्हारा सारा दर्द निकाल देता हूँ.


सुमन- अभी … नहीं नहीं इसमें तो आपको टाइम लगेगा ना! मुखिया- हां टाइम तो लगेगा. अब अच्छे से रगड़ रगड़ कर मालिश करूंगा. तो देख लो टाइम तो लगना ही है. सुमन- नहीं नहीं, अभी नहीं. सुरेश किसी भी समय आ जाएंगे और खामखां सवाल जवाब करेंगे.


मुखिया- अरे बेटी, तुम कब तक ऐसे दर्द को लेकर फ़िरोगी. निकलवा लो आराम आ जाएगा. सुमन- मैंने बताया तो है मुखिया जी, वो कभी भी आ जाएंगे. अब ऐसे जल्दबाज़ी में आप क्या दर्द निकल पाओगे. हां अगर सुरेश किसी तरह आज रात बाहर रुक जाएं, तो आपको पूरी रात मिल जाएगी. तब आप अच्छे से मालिश कर सकते हो. क्यों … मैंने सही कहा ना!


सुमन ने खुले शब्दों में मुखिया को समझा दिया कि उसको पूरी रात रुक कर क्या क्या करना है.


मुखिया- बस इतनी सी बात, ऐसा करो मैं अभी जाता हूँ. तुम रात को तेल गर्म करके तैयार रहना. आज के बाद तुम्हें कभी दर्द नहीं होगा. सुमन- मगर उनका क्या! वो अभी आ जाएंगे .. तो आप कैसे!


मुखिया- उसकी चिंता तुम ना करो. डॉक्टर बाबू इस गांव की सेवा करने आए हैं. अब किसे पता कि किस वक्त कोई बहुत ज़्यादा बीमार हो जाए और उनको पूरी रात उसको संभालना पड़ जाए. तुम मेरी बात समझ रही हो ना! सुमन- हां में अच्छी तरह समझ रही हूँ मगर … मुखिया- अब ये अगर मगर जाने दो, मैं डॉक्टर बाबू का बंदोबस्त करके अभी आता हूँ.


इतना कहकर मुखिया वहां से चला गया और सुमन अपनी गीली चुत पर हाथ लगा कर बड़बड़ाने लगी.


सुमन- मेरी जान, आज तुझे ठंडक मिल जाएगी … बस थोड़ा सब्र कर लो.


उधर मुखिया ने कालू को कुछ समझाया कि कैसे सुरेश को रात भर रोकना है.


उसके बाद वो अपने घर चला गया और नहाने लगा. साथ ही बड़बड़ाने लगा. मुखिया- ये शहरी लौंडिया है. इसको तो साफ सुथरा लंड चूसना ही पसंद होगा तो इसको चमका लेता हूँ. साली खुश हो जाएगी.


रात को 9 बजे कालू ने मुखिया को बता दिया कि पास के गांव में डॉक्टर को भेज दिया है. अब सुबह 4 बजे तक वो आने से रहा. आप आराम से मैडम जी को भोग आओ.


मुखिया सुमन के पास गया. उस वक़्त सुमन ने ब्लू नाइटी पहनी हुई थी, जो बहुत ज़्यादा सेक्सी थी. अन्दर उसने रेड ब्रा पेंटी का सैट पहना हुआ था. मुखिया तो बस उसको देखता रह गया. उसका लंड धोती फाड़ कर बाहर आने को मचलने लगा.


सुमन इठला कर बोली- अब देखते रहोगे मुखिया जी … या अन्दर भी आओगे. मुखिया- अहहा … हां क्यों नहीं, चलो अन्दर.


अन्दर जाकर एक बार और मुखिया ने सुमन के हुस्न को निहारा. फिर उससे पूछा कि कहां दर्द है, बताओ मैं मालिश कर देता हूँ. सुमन ने एक मादक अंगड़ाई लेते हुए कहा- अब क्या बताऊं मुखिया जी … मेरा तो सारा जिस्म अकड़ा हुआ है. ऊपर से नीचे तक मेरा सब कुछ दुख रहा है. मुखिया उसकी तनी हुई चूचियां देखता हुआ बोला- अच्छा तो ये बात है … अभी देखो मैं सारा दर्द कैसे निकाल देता हूँ. ऊपर से नीचे तक ऐसे मज़े दूंगा कि सारी अकड़न निकल जाएगी … और हां मैं तो तुम्हारे आगे पीछे सब जगह का दर्द भी निकाल दूंगा.


सुमन- पीछे का नहीं, आप तो बस आगे का दर्द निकाल दो मुखिया जी. मुखिया- अब बातों में समय बर्बाद मत करो … कमरे में चलो जल्दी.


दोनों कमरे में चले गए. सुमन बिस्तर पर लेट गई और मुखिया उसके पास बैठ कर उसके पैरों को सहलाने लगा.


सुमन- आह मुखिया जी … आपके हाथ कितने गर्म हैं … छूते ही मज़ा आ गया. मुखिया- अभी आगे आगे देखो, मेरा क्या क्या गर्म है … असली चीज देखोगी, तब उसकी गर्मी देखना. सुमन- अच्छा ये बात है, वैसे इस उम्र में गर्मी कम नहीं हो जाती है!


मुखिया- बचपन से लेकर आज तक देसी घी ही ख़ाता आया हूँ. गांव की कई औरतों का दर्द मैंने निकाला है. मेरे पास जादू का डंडा है. वो जहां लग जाता है न.. वहां का दर्द रफू-चक्कर हो जाता है. सुमन- ऊओ डंडा … कहीं ऐसा ना हो मेरे सामने वो डंडा पुलपुला न हो जाए.


मुखिया- जब देखोगी, तब पता लगेगा कि वो क्या चीज है. अब बातों में समय बर्बाद करोगी … या मुझे कुछ करने भी दोगी. सुमन- रोका किसने है … मैं तो खुद कब से तड़प रही हूँ.


इतना सुनते ही मुखिया जी सुमन पर टूट पड़े. उसके खरबूजों को दबाने और चूसने लगे. सुमन भी उनका बराबर साथ दे रही थी. कभी उनकी कमर पर हाथ घुमाती, तो कभी लंड पकड़ने की कोशिश करती.


मुखिया- हे हे सुमन रानी … तेरे चूचे तो बहुत रस भरे और कड़क हैं. लगता है, डॉक्टर बाबू ने इन्हें ठीक से दबाया नहीं है. सुमन- आह इसस्स … मुखिया जी उनमें इतना दम कहां … उफ़फ्फ़ आह जरा ज़ोर से रगड़ो … आह चूसो ना … उफ्फ कितना मज़ा आ रहा है.


मुखिया ने सुमन को नंगी कर दिया. अब उसके 34 इंच के मदमस्त चूचे आज़ाद हो चुके थे … और सुमन की चुत उभरी हुई बड़ा पाव जैसी थी, जिस पर एक भी बाल नहीं था.


सफाचट चुत देख कर मुखिया की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. वो भूखे कुत्ते की तरह सुमन पर टूट पड़ा. कभी वो उसके होंठों का रस पीने लगता, तो कभी उसके चूचों को चूसने लगता. कभी वो सुमन की चिकनी चुत को होंठों में दबा कर मज़ा लेता.


इस ख़तरनाक चुसाई से सुमन पागल हुई जा रही थी … और न जाने क्या से क्या बोली जा रही थी- आह आह चूसो … आह बहुत मज़ा आ रहा है … उफ़फ्फ़ आप तो बहुत गर्म हो … ऐइ आराम से आह .. काटो मत उफ्फ.


दस मिनट तक मुखिया ने सुमन को बुरी तरह से चूसा. सुमन की चुत पानी पानी हो गई. अब उसकी चुत में जबरदस्त आग लग गई थी. उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.


सुमन- उफ़फ्फ़ बस करो … मेरी चुत जल रही है. जल्दी से इसकी आग को ठंडा करो … उफ्फ ये आज आपने क्या कर दिया.


चुदाई के लिए सुमन पागल हुई जा रही थी. वो मुखिया को ऊपर से हटाने लगी और उसके लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी.


मुखिया- अरे रूको सुमन रानी, कपड़े तो निकालने दो. उसके बाद तो आज तेरी चुत को बड़े आराम से चोदूंगा.


मुखिया ने जल्दी से अपने कपड़े निकाल फेंके. उसका आठ इंच का लंड फुंफकार मारता हुआ सुमन की आंखों के सामने लहरा रहा था.


सुमन- ओह माय गॉड … इतना बड़ा ये तो मेरी चुत फाड़ देगा. मुखिया- अरे तू कौन सी बच्ची है. डॉक्टर बाबू ने ठीक से चोदा भी नहीं है क्या? उनका कितना बड़ा है … बता तो जरा!


सुमन- वही चोदते तो आपको क्यों बुलाती. उनका 5 इंच का ही है. उनमें ज़्यादा दम भी नहीं है. वो चोदने वालों में से नहीं … बस ऐसे ही कभी कभी मन हो जाता है, तो उनके अन्दर का मर्द जाग जाता है. बाकी तो ठन ठन गोपाला ही रहते हैं वो. मुखिया- चलो अच्छा है, इसी बहाने तुम जैसी अप्सरा को मुझे चोदने का मौका मिल गया. अब देखो मत, मेरे लौड़े को चूस कर मज़ा दो. ताकि मैं जल्दी से तुम्हारी चुत को ठंडा करने का तुम्हें मज़ा दे दूं.


सुमन तो बस ये सुनते ही मुखिया के मूसल से लौड़े पर टूट पड़ी और बड़े मज़े से लंड चूसने लगी. मुखिया- आह चूस ले रानी … तेरे होंठों में भी चुत का मज़ा है. आह चूसो.


सुमन पक्की खिलाड़ी थी. वो लौड़े को होंठों में दबा कर अन्दर बाहर करने लगी. कभी लंड के नीचे लटकती गोटियों को चूसती, जिससे कुछ ही पलों में मुखिया बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया.


मुखिया- आह आह … बस ब्बबस रानी … अब जल्दी से लेट जा, मेरा लंड तेरी चुत चोदने को बेताब हो रहा है.


डॉक्टर की बीवी सुमन सीधी लेट गई और मुखिया उसके पैरों के बीच बैठ गया. उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखकर लंड को चुत पर सैट कर दिया. फिर एक तगड़ा झटका मार कर अपना आधा लंड चुत में घुसेड़ दिया. उसकी बहुत ही कामुक सिसकारी निकल गई- आअहह अहह अहह वाह मुखिया जी … मज़ा आ गया … उफ्फ आह.


मुखिया ने एक और झटका मारा और इस बार उसका आठ इंच का पूरा लंड चुत को चीरता हुआ सुमन की छूट में जड़ तक घुस गया.


इस बार सुमन की चुत में तेज दर्द हुआ क्योंकि सुरेश का लंड छोटा था और आज तक सुमन की गहराई में लंड नहीं उतरा था.


सुमन- आआ उ मां मर गई … आह आराम से उफ़फ्फ़ … जालिम आज तो मेरी चुत ही फाड़ दी आह उई. मुखिया- सुमन रानी, असली मर्द से चुदोगी, तभी तो चुदाई का असली मज़ा ले पाओगी ना … ले चुद भैन की लौड़ी … तेरी चुत तो कमसिन कली की जैसी टाइट है … हूँ हू हूँ आह … ले ले.


मुखिया सुमन को गालियां देता हुआ झटकों पर झटके मारता रहा और सुमन की मादक सिसकारियां निकलती रहीं.


करीब आधा घंटा तक मुखिया ने सुमन को अलग अलग पोज़ में जमकर चोदा, जिसमें सुमन दो बार झड़ी, मगर मुखिया का लावा अभी तक नहीं फूटा था.


सुमन- आह मुखिया जी … आज मुझे मार ही डालोगे क्या … आह इसस्स उफ़फ्फ़ … कितना चोदोगे आह ऐइ मेरे मम्मों को चूसो ना … आह ऐइ काटो मत ना … आह यस यस ऐसे ही … ज़ोर से करो आह … जल्दी आह .. और ज़ोर से चोदो आह.


सुमन की उत्तेजित बातें मुखिया को जोश दिला रही थीं. वो अब और स्पीड से सुमन को चोदने लगा. उसके लंड की नसें फूलने लगीं. किसी भी पल लंड का ज्वालामुखी फटने वाला था.


मुखिया- आह सुमन रानी … आह मैं झड़ने वाला हूँ … कहां लोगी .. जल्दी बोलो आह उह. सुमन- आह चोदते रहो … मेरे अन्दर ही अपना पूरा पानी डाल दो आह मेरी चुत को भर दो उफ.


मुखिया ने ये सुनते ही चुदाई की स्पीड एकदम से बढ़ा दी और अगले ही पल उसके लंड का गर्म गर्म वीर्य सुमन की चुत में भरने लगा. जिससे उसको बड़ा सुकून मिला.


लंबी चुदाई के बाद दोनों नंगे ही आपस में चिपके हुए एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे.


मुखिया- एक बात तो है सुमन … तुम हो बड़ी चुदक्कड़ … तुम्हें आए हुए दो दिन भी नहीं हुए और आज तुम मेरे सामने नंगी पड़ी हुई हो. वैसे तुमने कैसे जाना कि मैं ही तुम्हें चोदूंगा. सुमन- जिसकी चुत प्यासी हो मुखिया. वो अपनी प्यास बुझाने के लिए लंड को ढूंढ ही लेती है. आपको तो मैंने परसों रात को ही भांप लिया था. जब आशीर्वाद देने के बहाने कैसे आप मुझे छूकर मज़ा ले रहे थे … और आपकी धोती में आपका लंड हलचल मचाए हुए मुझे साफ़ दिख रहा था.


मुखिया- बात तो तेरी सही है. तुझे देखते ही साला लंड बेकाबू हो गया था. तेरे जाने के बाद साली कामवाली को जमकर चोदा, तब सुकून मिला था. सुमन- अच्छा ये बात है. वैसे आप इतने बड़े चोदू हो, तो आपने आज तक बहुत छेद चोदे होंगे.


मुखिया- पूछो मत, हर तरह की चुत चोद चुका हूँ. कच्ची कली से लेकर चार चार बच्चों की मां तक को चोदा है. मैंने किसी को नहीं बख्शा … सबके मज़े ले चुका हूँ. सुमन- अच्छा ये बात है, वैसे एक बात बताओ … आप आपकी पत्नी कहां है … और बच्चे कितने हैं आपके?


दोस्तो, आप सोच रहे होंगे मैंने मुखिया का किरदार आपके सामने रखा मगर उसका परिचय नहीं दिया. चलो आज इस सेक्स कहानी का अंत करते हुए आप भी जान ही लो कि ये महामादरचोद मुखिया कौन था.


मुखिया- देखो सुमन रानी, मुझे तो तुम जान ही चुकी हो … मेरा नाम जीवन परसाद है. मेरी उम्र करीब 50 साल है. मेरी पत्नी दस साल पहले स्वर्ग सिधार चुकी है. तब से मैं गांव की चूतों पर जी रहा हूँ. मेरा एक बेटा है उसका नाम रंजीत है. वो 30 साल का है और साला अमेरिकन हो गया है. भोसड़ी का पढ़ाई करने गया था … मादरचोद वहीं किसी गोरी चोरी को पता कर उससे शादी कर ली. ससुरे को गए 7 वर्ष हो गए हैं. बस कभी कभी टेलीफ़ोन कर देता है. वैसे तो मुझे पैसे की कोई कमी नहीं है, मगर फिर भी वो भेजता रहता है. एक बेटी है अनुराधा, जिसकी उम्र 20 साल होगी. वो बहुत सीधी साधी है. गांव का भला सोचती है. इस गांव में बीमारी से कई लोग मर गए थे, इसलिए अब वो डॉक्टर बन रही है. शहर में पढ़ाई करती है. बस छुट्टी में ही घर आती है.


जब मुखिया ने अपने परिवार के बारे में सब बताया, तो सुमन बोली- अच्छा ये बात है. वैसे आपके बारे में क्या आपके बच्चों को पता नहीं है?


मुखिया- अरे कैसे पता होगा. मेरा बेटा तो 7 साल से दूर है. और बेटी साल में एक आध बार ही आती है. तो उन दोनों को मेरे बारे में कैसे पता होगा. फिर गांव वालों की इतनी हिम्मत नहीं है कि मेरे खिलाफ उनसे कोई कुछ बोल सके.


काफ़ी देर तक वे दोनों बातें करते रहे. इस दौरान सुमन मुखिया के लंड से खेलती रही. जो धीरे धीरे बड़ा हो रहा था.


मुखिया- बस सुमन रानी अब हाथों से ही इसको सहलाती रहोगी या चूस कर अपनी चुत में भी लोगी.


सुमन को तो कहने की देर थी. बस झट से लौड़े को मुँह में भर कर चूसने लगी.


थोड़ी देर लंड चूसने के बाद सुमन ने 69 का पोज़ बना लिया. जिससे लंड की चुसाई के साथ उसकी चुत की चटाई भी होती रहे.


कोई दस मिनट की मस्त चुसाई के बाद मुखिया ने सुमन को घोड़ी बना लिया और मज़े से उसको चोदने लगा. सुमन भी अपनी गांड को पीछे धक्के देकर चुदाई का मज़ा लेने लगी.


दोस्तो, उम्मीद है इस बार आपको भरपूर मज़ा मिल रहा होगा. गांव के माहौल में चुत चुदाई रुक ही नहीं रही है. एक के बाद एक का नंबर आता जा रहा है. मगर इस सेक्स कहानी में एक मोड़ ऐसा भी आएगा. जब आप हैरान हो जाओगे.


फिलहाल इस सेक्स कहानी के इस पहले दौर को मैं यहीं विराम दे रही हूँ. हालांकि इस सेक्स कहानी में अभी डॉक्टर सुरेश के लंड का कमाल भी आपको मीता की चुत में देखने मिलना बाकी था … मगर मुखिया के लंड से चुत चुदाई की सेक्स कहानी ने ही आपका मूड बना दिया होगा.


आपके काफी सारे मेल मिले हैं और मिलते भी रहेंगे. ऐसी मेरी उम्मीद है.


आपके मेल मिलने के बाद ही मैं इस गर्म चूत की देसी चुदाई कहानी के अगले दौर को लिखूंगी. तब तक के लिए बाय बाय. आपकी पिंकी सेन [email protected]


गर्म चूत की देसी चुदाई कहानी का अगला भाग: गाँव के मुखिया जी की वासना- 6


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