एक रात में चार पतियों का लंड लिया

वालमिक्स

06-09-2022

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गे गे सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने खुद को लड़की मान कर एक आदमी से शादी करके गांड मरवाई. उसके बाद मैंने उसके चार दोस्तों से भी शादी करके सुहागरात मनाई.


मैं संजय उर्फ़ सजनी एक बार फिर से आपके सामने अपनी गे सेक्स कहानी का अगला भाग लिख रही हूँ. पिछली कहानी सब्जी वाले की बीवी बन कर गांड का उद्घाटन कराया में अब तक आपने पढ़ा था कि मदन जी पुणे में सब्जी की दुकान चलाते थे. मैं मदन जी के साथ रहकर उनकी सब्जी की दुकान में काम करने लगा था. मदन जी ने मुझसे शादी कर ली और मैंने उनके कहने पर सजनी नाम रख लिया. मदन जी ने मेरी गांड मार कर मुझे सुहागन बना दिया.


अब आगे गे गे सेक्स कहानी:


मदन जी बोले- अभी रात के 9 ही बजे हैं, तुम चाय बनाकर ले आओ, फिर बातें करेंगे.


चाय पीते हुए मैं बोली- पतिदेव अब आपकी दो दो बीवियां हैं, आमदनी बढ़ानी पड़ेगी. मदन जी मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगे.


मैंने कहा- मेरा प्रस्ताव है कि आपके कस्बे के और चार लोग हैं, जो सब्जी की दुकान चलाते हैं और होटल का खाना खाते हैं. आपने कहा था, उनको मेरा बनाया खाना अच्छा लगा था, जब आपने उनको चखाया था. हम उनको खाना सप्लाई कर सकते हैं और मैंने सुपर मार्किट में देखा था, वहां कटी सब्जी मिलती है. कांच के दरवाज़े वाले फ्रिज में रखी रहती हैं. उस तरह से हम लोग भी सब्जी काट कर आइसबॉक्स में रख कर बेच सकते हैं. उससे हमारी आमदनी बढ़ सकती है.


मदन जी- तुम्हारे दोनों प्रस्ताव मुझे पसंद आए, तुम जितनी सुंदर हो उतनी होशियार भी हो. मुझे तुमको एक बार और प्यार करने का दिल हो रहा है.


मैंने मुस्कुरा कर कहा- अब मैं आपकी ही दासी हूँ. मेरी गांड में भी कुलबुली होने लगी थी.


मदन जी और मैं चूमाचाटी करने लगे.


थोड़ी देर में हम दोनों फिर से नंगे हो गए. मदन जी ने अब मुझसे अपना लंड चूसने को कहा. मैं जोश में आ गई और लॉलीपॉप की तरह मदन जी का 5 इंच लम्बा लंड गले तक लेकर चूसने लगी.


मदन जी मेरा सर पकड़कर मुँह चोदने लगे. कुछ देर बाद वो बोले- जान मैं झड़ने वाला हूँ. तुम वीर्य पी लेना, अच्छा लगेगा. मर्द का वीर्य स्वास्थ के लिए अच्छा होता है. मैंने ख़ुशी से वीर्य पी लिया.


फिर हम दोनों नंगे सो गए. सुबह एक बार फिर से चुदाई हुई.


मदन जी और मेरी दुकान में जब ग्राहक कम होते, तो मैं सब्जी काटकर आइसबॉक्स में रख देती. कटी सब्जी और कस्बे के चार लोगों को खाना सप्लाई करने से हमारी आमदनी बढ़ गयी.


कटी सब्जी और खाना सप्लाई से जो मुनाफा होता, मदन जी उसका हिसाब रखते, आधा मुनाफा वह मुझको दे देते. मदन जी ने मेरा बैंक अकाउंट खुलवा दिया था, मेरा पैसा अब उसमें जमा होने लगा था.


कस्बे के चारों दोस्त रात का खाना मदन के फ्लैट में आकर खाने लगे थे. ऐसे ही ख़ुशी ख़ुशी 3 महीने बीत गए.


मदन जी और मेरी शादी के बाद मदन हफ्ते में एक दो बार ही मेरी गांड मारते थे. मेरी गांड में रोज लंड लेने की खुजली होती थी.


मैं जवान थी तो मुझको रोज लंड लेने की इच्छा होती. मैं रात को मदन जी को उकसाती. मदन जी को समझ में तो आता, पर वह उतना सेक्सी नहीं थे. मैं अपनी गांड में उंगली करके रह जाती.


कुछ दिन बाद मदन जी का घर जाने का समय आ रहा था. उन्होंने देखा था, जब उनके कस्बे के चारों साथी लोग रात को खाना खाने आते हैं, वो सब उसकी बीवी यानि मेरे बड़े स्तन और चिकने शरीर को हसरत भरी निगाह से देखते हैं.


एक रात जब मैं और मदन जी दोनों गे सेक्स वीडियो देख रहे थे, तब मदन जी ने देखा कि एक वीडियो में एक लड़के की गांड चार लड़के बारी बारी से मार रहे थे. मैं भी बहुत मजे लेकर वह फिल्म देख रही थी.


फिल्म देखने के बाद मदन जी गर्मा गए और मेरी गांड मारने लगे.


मेरी गांड चोदते समय मदन जी ने मुझसे पूछा- यदि तुम्हारे और चार पति होते, तो तुमको रोज चुदाई का ज्यादा मजा आता? मैं बोली- आप मेरे पति होकर ऐसी बात कैसे कर सकते हैं?


मदन जी- यदि ऐसा हुआ, तो भी मैं तुमको प्यार करूँगा. नए चार पति के साथ 4 रात तुम बिताना, बाक़ी दो रात में तुम्हारे साथ बिताऊंगा. बाक़ी एक रात तुम्हारी मर्जी से तय होगी. ये सुनकर मेरे दिल में गुदगुदी और गांड में कुलबुलाहट होने लगी मगर मैं चुप रही.


मदन जी- सजनी, मेरी बात ध्यान से सुनो. मेरे चारों दोस्त जब रात का खाना खाने आते हैं, तो वो सब लोग तुम्हारी तरफ बड़ी हसरत से देखते हैं. तुम्हारे सुन्दर बड़े स्तन, चिकने शरीर और तुम्हारे खाने पर वह लोग मुग्ध हैं. मैं डेढ़ दो महीने के लिए गांव जाने वाला हूँ. तुम इतने दिनों बिना संभोग के नहीं रह पाओगी.


मैं कुछ नहीं बोली.


मदन जी आगे बोले- सजनी, मेरे जाने के बाद यदि तुम्हारा उन चारों से शारीरिक सम्बन्ध हो गया, तो तुमको लगेगा तुमने मुझे धोखा दिया है और तुमको ग्लानि होगी. उससे अच्छा है कि तुम मेरी सहमति से मेरे सामने उन लोगों से भी शादी कर लो. मैंने मना कर दिया.


फिर एक हफ्ते तक समझाने के बाद मैं राजी हो गई.


जब रात को चारों खाकर चले जाते, मैं ब्रा पैंटी, साड़ी ब्लाउज पहनकर, सिन्दूर लगा कर और गहने पहनकर तन मन से सजनी बन जाती.


मदन जी और मैंने मिलकर एक प्लान बनाया कि कैसे उन चारों से शादी की बात की जाए और शादी के बाद कैसे रहा जाए.


योजना के अनुसार जब चारों खाना खाने आए तो मैंने अपनी ब्रा, पैंटी बाथरूम के वाशबेसिन के पास टांग दी. जब वो चारों हाथ धोने वाशबेसिन पर आए तो वो लोग मदन जी से पूछने लगे कि ब्रा पैंटी किसकी है?


मदन जी ने थोड़ी आना-कानी के बाद बात दी कि ये सब संजय की हैं और मैंने संजय से शादी कर ली है. संजय रात को सजनी बन जाती है.


मदन जी ने मुझसे सजनी के भेष में आने को कहा. मैं लड़कियों के कपड़े, साड़ी गहना, सिंदूर लगाकर आ गई.


मैं एक सुंदर लड़की ही लग रही थी. वो चारों शादीशुदा थे और उन्होंने अपनी बीवियों की गांड मारी थी. मुझको सजनी के रूप में देखकर उन सभी का लंड खड़ा हो गया.


ये देख कर मदन जी ने मुझको अन्दर भेज दिया.


वो चारों कहने लगे- मदन तुम किस्मत वाले हो. हम लोग तो मुठ मारकर ही रह जाते हैं. जब गांव जाते हैं तब बीवी की चुदाई करने मिल पाती है.


मदन जी- तुम चारों निराश न हो. मेरा एक प्रस्ताव है. क्या तुम चारों सजनी शादी करने के लिए राजी हो? उसके बाद हम सब एक साथ बड़े परिवार के समान रह सकते हैं. चारों ने एक साथ पूछा- क्या सजनी (संजय) राजी होगी?


मदन जी- सजनी तुम चारों को अच्छी तरह से जानती है. मैं उसे राजी कर लूंगा. वैसे भी मैं थोड़े दिन बाद दो महीने के लिए गांव जाने वाला हूँ. उस समय तुम लोगों को मेरी दुकान और सजनी का ख्याल रखना है. मुझे और सजनी को पता है कि तुम लोग सजनी की तरफ आकर्षित हो.


वो सब खुश हो गए कि उन्हें भी सजनी की यानि मेरी गांड मारने का मजा मिलेगा.


तीन दिन बाद मदन जी ने चारों को बताया कि सजनी राजी हो गयी है.


अब मैं उन चारों के बारे में बता देती हूँ. सभी 20 से 25 साल के शादीशुदा जवान लड़के थे. उनके नाम सुनील, अनिल, विक्रम, मोहन थे. रात को खाना खाते समय, उन्होंने शादी की बात मान लेने के लिए मुझे धन्यवाद कहा.


उस दिन मैं लड़की के भेष में ही थी.


मैं- मेरा प्रस्ताव है कि सब मिलकर एक तीन बेडरूम का फ्लैट भाड़े पर लेकर बड़े परिवार की तरह रहें. इससे सबका खर्चा कम होगा. खाने पीने और फ्लैट भाड़े का खर्चा कम लगेगा. हम सब मिलकर रहेंगे. खाना बनाने का, बाजार से सामान लाने का मेरा जिम्मा रहेगा. घर के काम सब मिल-जुल कर करेंगे. मेरा एक अलग बेडरूम होगा. जब तक मदन जी वापस नहीं आते हैं, तब तक हफ्ते में रोज एक जन मेरे साथ सोएगा. बाक़ी दो दिन मेरी मर्जी से होगा.


सभी राजी हो गए.


मदन जी- सजनी को बार बार शरीर के बाल वैक्सिंग से निकालने में दर्द होता है. एलेक्ट्रॉलिसिस से हरदम के लिए बाल निकाल सकते है, पर खर्चा ज्यादा होता है.


मदन जी की बात पर सबने पैसे इकट्ठे किए और मुझको एलेक्ट्रॉलिसिस के लिए भेज दिया.


अब सब लोग तीन बेड रूम के फ्लैट में रहने चले गए. 7 दिन बाद शादी तय हुई.


शादी के दिन सभी 6 बजे दुकान बंद करके घर आ गए. मैं लाल साड़ी, गहने पहनकर बहुत सुंदर लग रही थी. माला बदलकर, मेरी मांग में सिन्दूर लगाकर चारों ने एक साथ मुझसे शादी कर ली. फिर 8 बजे से सुहागरात का कार्यक्रम होना था.


चारों ने मुझसे पूछा कि आज रात एक एक करके तुम हम सबके साथ सुहागरात मनाना चाहती हो या अलग चार रातों में अलग पति के साथ? मैंने सर झुकाकर शर्मा कर कहा- आप लोग मेरे पति हैं, आप लोग जैसे बोलें.


चारों ने आज की रात एक साथ ही सुहागरात मनाने का फैसला किया. सभी मेरे साथ सम्भोग के लिए बेकरार थे.


चूंकि अब तक मेरी गांड खुल चुकी थी और मैं एक साथ चार लंड लेने के लिए खुद से उतावली थी.


मदन जी ने सुहागकक्ष सजाया. मैंने एनीमा लेकर गांड साफ की.


मदन जी ने कुप्पी से ढेर सारा तेल मेरी गांड में भर दिया. मैं सुहागसेज पर घूंघट निकालकर बैठ गई.


मेरे दूसरे पति मोहन अन्दर आए. मैंने उनके पांव छुए, उन्होंने मुझे गले लगा लिया और मुझे पलंग पर लिटाकर मेरे होंठ चूमने लगे.


ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे स्तन दबाने लगे. मोहन ने अपना पजामा उतार दिया; उनका लंड मदन की तरह 5 इंच लम्बा और थोड़ा मोटा था.


मोहन बोले- सजनी तुम लंड चूसोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा. मैं बोली- पति की ख़ुशी ही मेरी ख़ुशी है.


मैं अपने दूसरे पति का लंड चूसने लगी.


कुछ पांच मिनट बाद मोहन बोले- मेरा निकलने वाला है, तुम वीर्य पी लेना. मैंने लंड मुँह से बाहर निकाला और मुस्कुरा कर बोली- हां आपका प्रसाद समझ कर पी लूंगी.


मैं लंड जोर से चूसने लगी. मेरा मुँह वीर्य से भर गया. मैंने सब पी लिया.


मोहन बोले- तुमने मुझे खुश कर दिया, मेरे गांव वाली बीवी बहुत बोलने के बाद लंड थोड़ा चूसती है, पर वीर्य कभी नहीं पीती है.


मोहन के बाहर जाने के बाद मैंने मुँह धोया, मेकअप ठीक किया. अब मेरे तीसरे पति विक्रम अन्दर आए.


मैंने उनके पैर छुए. विक्रम ने मुझे आलिंगन में लेकर कसकर पकड़ा, मेरे स्तन उनकी छाती से दब गए. विक्रम मेरा ब्लाउज जोश में खोलने लगे, इस वजह से मेरे ब्लाउज के कुछ बटन टूट गए. मैं ब्लाउज ब्रा उतारकर कमर तक नंगी हो गयी.


विक्रम मुझे पलंग पर लिटाकर मेरे स्तन दबाने और चूसने लगे. मैं सिसकारी भर रही थी.


विक्रम ने अपने कपड़े उतार दिए. उनका लंड केवल 4 इंच लम्बा था पर काफी मोटा लंड था और भयानक तरीके से फनफना रहा था.


मेरी साड़ी और साया कमर तक उठाकर विक्रम ने मुझे पेट के बल लिटा दिया. लंड पर तेल लगाकर एक झटके से अपना पूरा लंड मेरी गांड में डाल दिया.


विक्रम का लौकी सा मोटा लंड अचानक से गांड में घुसने से मेरी चीख निकल गयी.


विक्रम ने मेरे ऊपर लेट कर पूछा, बहुत दर्द हो रहा है क्या? मैंने कहा- आपका बहुत मोटा है, पर अब दर्द कम है.


ये सुनकर विक्रम मुझे तेजी से चोदने लगे. मुझे मजा आने लगा, मैंने अपनी गांड ढीली कर दी और पैर फैला दिए.


विक्रम दस मिनट में झड़ गए, मेरी गांड वीर्य से भर गयी.


उनके जाने के बाद मैं गांड धोकर, सज कर फिर से तैयार होकर बैठ गयी.


अब मैंने ब्लाउज नहीं पहना, उसके बटन टूट गए थे. मैंने सिर्फ ब्रा पहनकर साड़ी पहन ली, नीचे पैंटी भी नहीं पहनी.


मेरे चौथे पति अनिल अन्दर आए. मुझे चूमने के बाद उन्होंने मेरे सब कपड़े उतार दिए, खुद भी नंगे होकर मेरे बदन को चूमने लगे.


अनिल बोले- तुम्हारा शरीर कितना चिकना और स्तन कितने सुंदर हैं सजनी.


अनिल का लंड 5 इंच लम्बा था और ज्यादा मोटा नहीं था.


अनिल ने मुझे पीठ के बल लिटाकर कहा- अपने पांव छाती की तरफ मोड़ लो. मैंने वैसे ही किया.


उन्होंने मेरी कमर में नीचे तकिया लगा दिया. वो अपने लंड में तेल लगाकर धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगे. फिर रूककर मेरे होंठ चूमते, फिर स्तन दबाते और निप्पल चूसते और फिर से मेरी गांड मारने लगते.


बीस मिनट बाद अनिल झड़ गए, मैं भी अपना लंड छुए बिना ही झड़ गयी.


अनिल- मजा आया? मैंने सर हिलाकर हां कहा.


मैंने पूछा- आपको अपनी बीवी कैसी लगी? अनिल बोले- बहुत अच्छी, मजा आ गया.


मैंने कहा- अब मैं 20 मिनट आराम करना चाहूंगी. अनिल समझ गए और बोले- ठीक है, सुनील को 20 मिनट बाद ही भेजूंगा.


बीस मिनट बाद सुनील सुहागकक्ष में आए.


मैंने सिर्फ ब्रा पहना, पैंटी, साया नहीं पहना था. ब्रा के ऊपर साड़ी पहन रखी थी.


मैंने सुनील के पैर छुए, सुनील ने मुझे आलिंगन में भर लिया.


सुनील मुठ मार कर आया था इसलिए ज्यादा उत्तेजित नहीं था. सुनील ने मुझको बिस्तर पर लिटाया और मेरे होंठ चूमने, चूसने लगे. मेरे चूचे ब्रा के ऊपर दबाने लगे.


थोड़ी देर में सुनील ने मेरे और अपने सब कपड़े उतार दिए. सुनील मेरे चिकने शरीर और स्त्री के समान तने चुचों को देखकर मुग्ध हो गए.


सुनील मेरे एक चूचे को दबा रहे थे और दूसरा चूस रहे थे.


उनका खड़ा लंड मेरे शरीर को छू रहा था. मुझे लगा सुनील का लंड काफी बड़ा है पर मैं उसे देख नहीं पा रही थी.


सुनील बोले- सजनी तुमको आपत्ति न हो तो क्या तुम लंड चूस सकती हो? मैंने मुस्कुराकर कहा- जैसी पतिदेव की इच्छा.


मैं सुनील के लंड के पास लेट गयी.


मैंने देखा, सुनील का लंड 6 इंच लम्बा था. ये बाक़ी सभी पतियों से ज्यादा लम्बा लंड था. मोटाई भी अच्छी थी.


मैंने लंड को हाथ में पकड़कर होंठों से चूम लिया. मैं लंड को चूसने लगी, पूरा लंड मुँह में नहीं जा रहा था. सुनील आनन्द में आकर सीत्कार भर रहे थे, बोले- आंह … बहुत मजा आ रहा है.


थोड़ी देर में सुनील ने मुझे लंड चूसने से रोका.


अब सुनील ने मुझको प्यार से पीठ के बल लिटा दिया. मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया. मैंने खुद ब खुद अपने पैर छाती के तरफ करके अपने घुटनों को पकड़ लिया.


सुनील जब अपने लंड पर तेल लगा रहे थे तो मैं बोली- जरा धीरे से डालना, आपका बहुत बड़ा है.


सुनील ने धीरे धीरे लंड मेरी गांड में पूरा डाल दिया. मेरी गांड में इतने अन्दर तक लंड कभी नहीं गया था. मुझे एक नया मजा आ रहा था, थोड़ा दर्द भी हो रहा था. मेरे चेहरे पर मुस्कान थी.


सुनील ने थोड़ी देर तक मेरे निप्पल चूसे तो मुझे जोश आ गया. सुनील धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगे.


कुछ देर मिशनरी पोज में गांड मारने के बाद अब सुनील ने मुझे पेट के बल लिटा दिया. मैंने अपने पैर फैला दिए और अपने चूतड़ों को हाथ से फैला दिए.


सुनील मेरे ऊपर लेटकर गांड मारने लगे. हम दोनों की उत्तेजना भरी सिसकारियां कमरे में फैलने लगीं.


करीब आधे घंटे तक सुनील ने रुक रुक कर मेरी गांड मारी. मैं इस बीच एक बार झड़ गयी थी.


सुनील- सजनी कैसा लगा? मैं- मैं तृप्त हो गयी, बहुत मजा आया और आपको?


सुनील- मुझे जिंदगी में इतना मजा कभी नहीं आया. मैं- मैं थक गयी हूँ. कल मैं अकेली सोऊंगी.


सुनील ने मेरी पीठ और कमर की मालिश की हम दोनों सो गए.


मैं अगली रात अकेली सोई.


पतियों ने आपस में तय कर लिया था कि किस रात कौन सा पति मेरे साथ रात बिताएगा.


उसके बाद हर रात एक अलग पति के साथ यौन आनन्द से मेरा चेहरा खिल उठा. हर पति के का प्यार करने का और गांड मारने का तरीका अलग था. सभी पति अब इत्मीनान से गे गे सेक्स का आनन्द लेते और देते थे.


मेरे सभी पति मुझे प्रोटीन विटामिन से भरपूर अपना वीर्य पिलाते थे.


डॉक्टर की सलाह पर मैं हफ्ते में एक बार एनीमा लेती थी. मैं ऐसा खाना खाती थी कि मुझे कब्ज न हो.


आपको ये गे गे सेक्स कहानी कैसी लगी, मेल पर जरूर बताएं. [email protected]


गे गे सेक्स कहानी का अगला भाग: मेरा छठा पति बड़े लंड वाला निकला


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