बाइक टैक्सी सवार को मिली चूत

सीता राम

05-09-2022

238,905

फ्री चूत चुदाई की कहानी में बाइक टैक्सी ड्राईवर को बारिश में एक लड़की सवारी मिली. वो उसे घर छोड़ने गया तो लड़की ने अदर बुला लिया. वहां क्या हुआ?


अन्तर्वासना के सभी पाठको को मेरा नमस्कार. मैं अन्तर्वासना साईट का एक नियमित पाठक हूं; पिछले काफी सालों से मैं इधर सेक्स स्टोरीज पढ़ता आ रहा हूं.


यह मेरी दूसरी सेक्स कहानी है इस फ्री चूत चुदाई की कहानी का आप ना सिर्फ आनन्द लें बल्कि महसूस करें कि एक छोटा सा सफर कितना हसीन हो सकता है. इससे पहले मेरी एक कहानी आ चुकी है: बॉस की प्यासी चूत की चुदाई कहानी


मेरा नाम राज है, मैं इंदौर में रहता हूं. उम्र 28 वर्ष, रंग सांवला, लंबाई 6 फीट है. मैं शरीर से फिट हूँ और मेरे शरीर पर कोई अतिरिक्त चर्बी नहीं है जो कि मेरे प्रति लड़कियों व भाभियों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका रखती है.


मैं आपको इस बात का विश्वास दिलाता हूं कि मेरी सेक्स कहानी पढ़ने के बाद हर अकेला आदमी अपने लंड को हिलाने और लड़कियां, विशेषकर भाभियां अपनी चूत में उंगली डाले बिना नहीं रह पाएंगी.


जैसा कि आप सभी जानते हैं कि आजकल बाइक टैक्सी का चलन बहुत जोर शोर से चलन में आ गया है.


मैं भी एक बाइक राइडर हूं, दिन में बहुत सारी सवारियों को अपनी बाइक पर बिठाकर उनको उनकी मंजिल तक पहुंचाता हूं.


अभी 15 दिन पहले की बात है, मैं एक सवारी को छोड़ने बाईपास के नजदीक गया था. पर सवारी को छोड़ने के पहले ही हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई थी.


सवारी को छोड़ने के बाद मैंने घर जाना ही उचित समझा क्योंकि शाम ढल चुकी थी और अंधेरा होने लगा था. मैं अपने घर की तरफ बढ़ ही रहा था कि कुछ दूर जाने के बाद मेरी एक और बुकिंग आ गई.


पहले तो मैंने सोचा कि बारिश हो रही है, बुकिंग अटेंड नहीं करता हूं. फिर मैंने सोचा कि क्या मालूम कौन इस बारिश में परेशान हो रहा होगा.


ऐसा सोचते हुए मैंने बुकिंग अटेंड की और कस्टमर को कॉल किया. बुकिंग किसी महिला की थी.


मैंने उससे बात की, पता पूछा. पता कुछ दूर था. मैंने उससे बोला कि 10 से 15 मिनट लगेंगे. तो वो बोली- प्लीज जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी आ जाइए.


मैंने कॉल डिस्कनेक्ट किया और उसके पास पहुंच गया. उधर जाकर देखा तो वो एक बला की खूबसूरत 24-25 वर्ष की शादीशुदा औरत, अपनी खराब हो चुकी कार की डिग्गी को ओपन किए हुए आधी भीगी हुई अपनी गाड़ी में बैठी हुई थी.


शायद अपनी गाड़ी को ठीक करने की कोशिश कर रही थी कि तभी बारिश आ गई और वह भीग गई.


मैं उसके पास पहुंचा और उससे पूछा- बुकिंग आपने ही की है? तब वह बोली- हां बुकिंग मैंने ही की है. भगवान का शुक्र है कि आप आ गए. मुझे तो लग रहा था कि ऐसी बारिश में शायद आप नहीं आएंगे.


मैंने बोला- ऐसा नहीं है, मुझे तो आना ही था. यह मेरा काम है. मैंने उससे पूछा- आप मेरी बाइक पर जाएंगी तो आप भीग जाएंगी क्योंकि मेरे पास रेनकोट नहीं है.


तब उसने कहा- कोई बात नहीं, मुझे काफी वक्त हो गया है और मुझे घर पहुंचना है. आप मेरे भीगने की परवाह ना करें. बस आप मुझे मेरे घर तक छोड़ दें. मैंने हामी भरी.


उसने अपनी कार लॉक की और चलने को तैयार हो गई.


मैंने उसे अपनी बाइक पर बिठाया और उसके घर की ओर चल दिया. जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे थे, वैसे वैसे ही बारिश और तेज हो रही थी. रास्ता लंबा था और बारिश के कारण मैं बाइक तेजी से चला नहीं पा रहा था.


दोस्तो, मैं आपको उसके बारे में बताना तो भूल ही गया. वो दूध सी सफेद रंग की, पांच फिट आठ इंच की लंबाई वाली और 34-28-36 के फिगर वाली महिला थी और उसका नाम लक्की था.


हम दोनों जब उसके घर पहुंचे तब तक मैं और लक्की दोनों ही बारिश में पूरी तरह से भीग चुके थे. उसका मकान एक पॉश कॉलोनी में था.


मैंने उसे ड्रॉप किया और बोला- मैडम मेरा पेमेंट. तब लक्की बोली- तुम पूरा भीग गए हो, अन्दर आ जाओ. जब बारिश बंद हो जाए, तब चले जाना.


मैंने भी सोचा कि बारिश काफी तेज हो रही है, रुक ही जाता हूँ. मैं घर के अन्दर चला गया.


लक्की मेरे आगे आगे चल रही थी और मैं उसके बदन को एकटक देखे जा रहा था क्योंकि उसने एक झीनी सी शिफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी जो बारिश में भीगने के कारण उसके शरीर से सांप की केंचुली की तरह लिपट गई थी. उसके शरीर का एक एक उभार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था.


मैं घर के अन्दर गया. मैं अभी भी उसी को देखे जा रहा था लक्की ने मुझे अपने आपको निहारते हुए देख लिया था. उसने मुझे टॉवल और कपड़े, जो शायद उसके पति के थे, दिए.


वो बोली- चेंज कर लो. मैंने कहा- अरे मैम … इसकी जरूरत नहीं है. आप मेरा पेमेंट कर दीजिए, मुझे देर हो रही है.


लक्की बोली- बारिश में भीग गए हो, तबीयत खराब हो जाएगी. चेंज कर लो तब तक मैं भी चेंज कर आती हूं.


मैंने कपड़े चेंज किए, तब तक लक्की भी कपड़े चेंज करके आ गई थी. उसने लाल रंग की नाइटी पहनी हुई थी पूरी कयामत लग रही थी. मैं उसे एकटक देखे जा रहा था.


पानी में भीग जाने से सर्दी मुझ पर असर कर रही थी. मेरी कंपकंपी मुझे सता रही थी.


शायद उसने मेरी हालत समझ ली थी और मेरे अन्दर क्या चल रहा है. शायद वह ये भी समझ गई थी.


वो मुझसे बोली- क्या तुम्हें सर्दी लग रही है? मैंने हां कहा.


वो मुस्कुरा कर बोली- कुछ लोगे?


अब ‘कुछ लोगे’ का क्या मतलब हो सकता था, मैं समझ नहीं पा रहा था. कि सर्दी से बचने के लिए चाय की पूछ रही है या दारू की … या खुद चिपकने की कह रही है.


मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं चुप रहा.


वो फिर से बोली- मैं अपने लिए रम का पैग बना रही हूँ. यदि तुम लेना चाहो तो तुम्हारे लिए भी बना लाऊं? मैंने हां में सर हिला दिया.


वो एक मिनट में ही रम की बोतल दो गिलास पानी और नमकीन लेकर आ गई. हम दोनों ने दो दो पैग लगाए.


मुझे सिगरेट की तलब होने लगी थी, मैं उठ कर बाहर जाने लगा. मेरे पास सिगरेट नहीं थी. मुझे अपनी बाइक की डिक्की में से सिगरेट की डिब्बी निकालनी थी और बाहर ही धुंआ उड़ा लेता. यह सोच कर मैं बाहर जाने लगा.


वो शायद समझ गई थी, बोली- सिगरेट चाहिए क्या? मैंने कहा- हां. वो बोली- मेरे पास है.


वो अन्दर से ट्रिपल फाइव सिगरेट की डिब्बी ले आई. जब वो आई तो उसने अपनी सामने से खुलने वाली नाइटी के फीते को कुछ ढीला कर दिया था जिससे उसकी मादक चूचियों का आधे से ज्यादा भाग दिखने लगा था.


मैंने सिगरेट सुलगाई और धुंआ छोड़ने लगा. उसने मेरी सिगरेट की तरफ हाथ बढ़ाया और मेरी उंगलियों से सिगरेट लेकर कश लेने लगी.


सच में वो इस वक्त हद से ज्यादा कामुक लग रही थी और मुझे उसे चोदने का दिल करने लगा था.


लक्की ने मुझे देखा और बोली- कितना कमा लेते हो एक दिन में? मैंने कहा- एक दिन में यही कोई हजार बारह सौ रुपए.


लक्की बोली कि मैं तुम्हें 5000 दूंगी मेरा एक काम करोगे. मैंने कहा- क्या काम करना है बताइए? लक्की बोली- तुम्हें मेरे साथ सेक्स करना है.


बस इतना बोलते ही वो उठ गई और मेरे पास आकर मेरी गर्दन को पकड़ कर किस करने लगी. मुझे सोचने का भी वक्त नहीं मिला कि मैं हां बोलूं या ना. पर मैं फ्री चूत मिलने से खुश था.


किस करते करते उसने मुझे सोफे पर लिटा दिया. मैं भी शांत पड़ा रहा. कुछ देर बाद मैं भी उसे किस करने लगा.


चूमाचाटी के बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए. हमारी सर्दी काफी हद तक कम हो गई थी और हम दोनों गर्म होने लगे थे.


उसने मेरे कपड़े निकालने शुरू किए. मैंने भी उसकी नाइटी को निकाल कर एक तरफ रख दिया. अब हम दोनों उसके बेडरूम में पहुंच गए.


कुछ देर की चूमाचाटी के बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. वह मेरे ऊपर थी और मैं उसके नीचे. मेरे लंड को वह ऐसे चूस रही थी जैसे कि कई सालों के बाद उसे लंड नसीब हुआ हो.


मैं भी उसकी चूत में अपनी जीभ को अन्दर तक डाल डाल कर चूस रहा था, जिससे उसे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.


वह ‘ऊऊह … उईईई …’ कर कर रही थी और मेरे सर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थी. कुछ मिनट के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था लेकिन अभी मेरा नहीं हुआ था.


मैंने उसके पैरों को पकड़ा और उसे खींचता हुआ बेड के कोने पर ले आया. उसकी गांड के नीचे मैंने एक तकिया लगाया, पैरों को मोड़ते हुए खोला और अपने लंड को उसकी पानी से गीली चूत पर रखकर पूरी ताकत से धक्का दे मारा.


मेरा आधा लंड भी अन्दर नहीं गया था और वह रोने लगी. वो कराहती हुई बोली कि आंह मर गई … रुको … आंह इतना बड़ा लंड मैंने कभी नहीं लिया. मेरे पति का लंड तो छोटा सा है.


मैं रुक गया और थोड़ी देर बाद हौले हौले से लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करता रहा. वो अब शांत हो चली थी.


तभी मैंने फिर से एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड लक्की की चूत में डाल दिया. उसे अंदाजा ही नहीं था कि मैं इतना बेरहम हो सकता हूँ.


वह इतनी जोर से चीखी कि उसकी चीख से पूरा कमरा गूंज उठा, लेकिन मैंने उसकी चीख पर कोई खास ध्यान नहीं दिया. मैं बस उसकी चूत में धक्के लगाता रहा.


‘आंह मार डाला रे … उईई ऊऊ मर गई रे … आंह आराम से कर न … मार डालेगा क्या?’ वो बस ऐसा बोलती रही और मैं उसे अनसुना करता हुआ पेलता गया.


कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा.


करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.


मैंने लंड को बाहर निकाला, कपड़े से साफ किया और उसकी चूत को भी साफ किया.


अब मैंने उसे घोड़ी बनाया और घोड़ी बनाकर फिर से चोदना आरम्भ कर दिया.


लक्की दो बार पानी छोड़ चुकी थी और अब उससे मेरा लंड सहन नहीं हो रहा था. वह बोली- अब मुझसे सहन नहीं हो रहा है.


मैंने उसकी बात को अनसुना कर एक बार फिर से लंड को उसकी चूत में डाला और धक्के लगाना आरम्भ कर दिया. मेरे हर धक्के पर वह और ज्यादा चिल्लाने लगी.


करीब 15 मिनट बाद उसकी चूत ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैं भी तेज तेज धक्के देने लगा. करीब दस बारह धक्के मारने के बाद मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया.


मैंने लक्की से पूछा- मुँह में लोगी या चूत में खाली कर दूँ. लक्की मुस्कुराती हुई बोली- चूत में ही खाली कर दो.


अभी 2-3 धक्के ही और लगे थे कि मेरे लंड ने एक जोरदार पिचकारी के साथ अपना वीर्य उसकी चूत में खाली कर दिया. उसके बाद मैंने कपड़े पहने.


लक्की ने मेरा नंबर लिया और कहा- मैं फोन करूंगी … तो आओगे ना? मैंने कहा- जी हाँ! वो बोली- तो बस आते रहना!


फिर मैं अपने घर आ गया.


दोस्तो, यह थी मेरी सच्ची सेक्स कहानी. आपको मेरी फ्री चूत चुदाई की कहानी कैसी लगी. मुझे जरूर बताना. [email protected]


अन्तर्वासना

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ