माँ बेटी दोनों हुईं मेरे लण्ड की दीवानी

रेहाना खान

10-04-2022

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X फॅमिली की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं एक घर में कुक का काम करता था. मालकिन और उनकी बेटी दोनों कड़क माल थी. मेरे लंड को उन दोनों की चूत कैसे मिली?


मेरा नाम भोलू है। मैं एक 25 साल का हट्टा कट्टा नौजवान हूँ, गोरा चिट्टा हूँ, 5′ 10″ के कद वाला हूँ और तगड़ा तंदरुस्त हूँ। मैं नियमित रूप से कसरत करता हूँ और स्वस्थ रहता हूँ।


हां मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूँ। फिर भी अपनी X फॅमिली की चुदाई कहानी लिख रहा हूँ.


मैं पटना का रहने वाला हूँ लेकिन आजकल रोज़ी रोटी के लिए कोलकाता में रहता हूँ।


जब मैं यहाँ आया था तब इधर उधर छोटी मोटी नौकरी करता था। लेकिन फिर संयोग से मुझे एक सेठ के यहाँ खाना बनाने का काम मिल गया।


तब से मैं सेठ के घर में खाना बनाने के काम में लगा हुआ हूँ।


आप मुझे महराज़ भी कह सकते हैं। कोलकाता में खाना बनाने वाले को लोग महराज कहते हैं।


सबसे अच्छी बात यह है कि मुझे कोठी के पीछे दो कमरे का मकान भी रहने के लिए मिल गया।


मैं अकेला ही था इसलिए मजे से वहीं रहने लगा। मेरे सेठ का नाम है सेठ माणिक चंद।


वह वास्तव में रहने वाले गुजरात के हैं पर पिछले दो पीढ़ी से यहाँ कोलकाता में रह रहे हैं। उनकी बीवी का नाम श्रीमती ललिता है और उनकी एक बेटी है जिसका नाम है वर्तिका।


श्रीमती ललिता की उम्र लगभग 44 साल की है और उसकी बेटी की उम्र 21 साल।


मैं सेठ को साहेब कहता हूँ और उनकी बीवी को मेम साहेब।


मुझे मालूम हुआ की सेठ साहेब की उम्र 58 साल की है और ललिता मेम साहेब उसकी दूसरी बीवी है। मगर यह सच है कि वर्तिका उसकी अपनी बेटी है।


ललिता मेम बहुत ही खूबसूरत, गोरी चिट्टी और लम्बे बालों वाली हैं। उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ तो बहुत ही सेक्सी और सुडौल हैं। मैं जब भी उसे देखता हूँ तो मेरी नज़रें उसकी चूचियों पर ही लगी रहतीं हैं और मेरा लण्ड बहन चोद कुलबुलाने लगता है। मेरा मन करता है कि मैं लण्ड उसकी चूचियों में घुसेड़ दूं।


उसके बड़े बड़े चूतड़ और मस्तानी गांड़ तो मैं खूब मजे से देखा करता हूँ। उसकी खुली हुई बांहें और सुराहीदार गर्दन देख कर मेरी नीयत ख़राब होने लगती है।


मैं खाना बनाने के सिलसिले में उससे दिन में कई बार बात करता हूँ। चाय और नाश्ता वगैरह बनाने के लिए भी मुझे उससे बात करनी पड़ती है।


मैं धीरे धीरे ललिता मेम के नजदीक आने लगा। ललिता मेम के सहारे मैं आहिस्ते आहिस्ते उसकी बेटी वर्तिका से भी बेहिचक बातें करने लगा।


वर्तिका भी एक मस्त जवान लड़की थी। उसको देख कर मेरा मन होता था की मैं अपना लण्ड उसके हाथ में रख दूं।


मैं इन दोनों माँ बेटी को बड़े गौर से देखने लगा। उनको नहाते धोते आते जाते भी मजे से देखने लगा। कभी कभी मुझे कुछ मजेदार चीज दिख भी जाती थी तो मज़ा आ जाता था।


मैं भी अपना जिस्म दिखाने में कोई कमी नहीं कर रहा था। अक्सर मैं नंगे बदन रहता था; नीचे चड्डी के ऊपर एक अंगौछा बांध लेता था।


मेरा लण्ड चड्डी में फंसा भी रहता था और कुलबुलाने भी लगता था। मैं कभी कभी उनके आगे ही अपने लण्ड को चड्डी के नीचे घुसा लेता था।


मैंने गौर किया कि वो दोनों माँ बेटी मेरे लण्ड की हरकतें बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखती हैं। मेरी इससे हिम्मत बढ़ती गयी।


मैंने ऐसा भी देखा कि माणिक साहेब कुछ ज्यादा टाइम ललिता मेम को नहीं दे पाते हैं। इतने दिनों में मैंने कभी दोनों को एक साथ बैठे हुए और बातें करते हुए नहीं देखा।


हां यह बात जरूर थी कि मेम साहेब के पास पैसों की कमी नहीं थी। वे खूब शॉपिंग करतीं थीं और इधर उधर घूमती भी बहुत थीं।


उनकी बेटी वर्तिका भी आज़ाद किस्म की लड़की थी और वह खूब जम कर आवारागर्दी करती थी। रात में देर से आती थी और अक्सर शराब पी कर आती थी। मैंने उसे सिगरेट पीते हुए भी कई बार देखा था।


एक दिन साहेब ऑफिस चले गए और उसकी बेटी कॉलेज चली गई।


मेम साहेब जब बाथरूम से नहा धोकर अपने पेटीकोट को अपनी चूचियों तक बाँध कर बाहर निकली तो उसके पैर घुटनों तक खुले हुए थे और बाल एकदम खुले हुए थे। वे गज़ब की सेक्सी दिख रही थी।


उसके बड़े बड़े दूध देखकर मन हो रहा था कि लण्ड इन्हीं के बीच में घुसेड़ दूँ।


मैं सोचने लगा कि काश ये पेटीकोट न होता तो आज मैं इस भोसड़ी वाली को नंगी जरूर देख लेता।


वह आगे बढ़ी तो उसका पैर फिसल गया और वह गिर पड़ी। मैंने दौड़कर उसे फ़ौरन अपनी गोद में उठा लिया और पलंग पर लिटा दिया। वह बोली- भोलू मेरी कमर में चोट आ गई है। कमर में दर्द हो रहा है तुम ज़रा बाम लगा दो।


मुझे मौक़ा मिल गया।


वह पेट के बल लेट गईं और पेटीकोट ऊपर से ढीला कर दिया, बोली- तुम हाथ अंदर घुसेड़ कर आहिस्ते आहिस्ते बाम लगा दो। मैं वैसा ही करने लगा तो उसे मज़ा आने लगा।


फिर उसने अपने बड़े बड़े चूतड़ भी खोल दिये, बोली- इन पर भी थोड़ी मालिश कर दो भोलू। मैं उसके मस्त चूतड़ों की मालिश धीरे धीरे दबा दबा कर करने लगा।


मुझे उसकी गांड बड़ी मस्त दिख रही थी। मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ दबा दबा कर मज़ा भी लेने लगा।


वह बोली- हाय दईया … आज बहुत दिनों के बाद किसी मर्द ने मेरे चूतड़ पर मालिश की है। मुझे अच्छा बहुत लग रहा है। तेरे हाथ में जादू है भोलू। मेरे पूरे बदन पर मालिश करोगे? मैंने कहा- क्यों नहीं करूंगा मेम साहेब। मैं तो आपका गुलाम हूँ।


फिर वह अपनी चूचियाँ अपने हाथों से छिपाते हुए एकदम चित लेट गई। अपने पेटीकोट से अपनी चूत भी छिपा ली। मैं उसकी मोटी मोटी जाँघों पर मालिश करने लगा।


करते करते मैं उसके पेट तक आ गया, फिर नाभि पर भी मालिश की। वह मस्त होने लगी, बोली- तुम अपना अंगौछा उतार दो न भोलू … इससे मुझे बड़ी परेशानी हो रही है। नीचे चड्डी पहने हो न? मैंने कहा- हां पहने तो हूँ!


उसने मेरा अंगौछा खींच लिया। अब मेरे बदन पर केवल मेरी एक चड्डी ही रह गयी।


वह मेरे लण्ड का उभार आँखें फाड़ फाड़ कर देखने लगी। मैं मालिश करते करते उसके मम्मों तक पहुँच गया।


मेरे मुंह से अचानक निकला- मेम साहेब और ऊपर तक मालिश कर दूँ? वह बोली- अच्छा तो क्या तुम मेरे मम्मों की मालिश भी करोगे? मैंने कहा- हां कर दूंगा. तभी तो पूरे बदन का दर्द ख़त्म होगा मेम साहेब!


वह बड़े प्रेम से बोली- मेरे बदन का दर्द तब ख़त्म होगा जब तुम अपनी चड्डी खोल कर मेरी मालिश करोगे. बोलो मंजूर है? यह सुनकर मेरा लण्ड साला चड्डी के कोने से बाहर झांकने लगा।


उसे देख कर मेम साहेब बोली- अरे वो देख … तेरा लण्ड तो अपने आप ही बाहर निकलने के लिए तैयार है। इसे निकाल न बाहर भोलू? देखो बिचारा कहाँ फंसा हुआ है? मैंने कहा- अरे मेम साहेब, मैं आपके आगे नंगा हो जाऊंगा!


वह बोली- तो क्या हुआ … मैं भी तो तेरे आगे नंगी हूँ. लो देख लो मेरे मम्मे। उसने अपना हाथ मम्मों से हटा लिया।


मैं तो उसके मम्मे देख कर पागल हो गया। वह फिर थोड़ा और बेशरम हो गयीं; वह बोली- आज तुम मुझे नंगे बदन बड़े सेक्सी लग रहे हो भोलू … बड़े हॉट लग रहे हो तुम! मैंने कहा- हॉट तो आप लग रहीं हैं मेम साहेब!


वह बोली- मुझे मेम साहेब मत कहो, बीवी जी कहो. मेरे मायके में सारे नौकर मालकिन को बीवी जी कहते हैं। मुझे बुरचोदी बीवी जी कहो, छिनार चुदक्कड़ बीवी जी कहो, मुझे अच्छा लगेगा।


यह सुनकर मेरा लण्ड साला आप से बाहर हो गया।


वह फिर बोली- अच्छा मुझे सच सच बताओ कभी किसी की बुर चोदी है तुमने? मैंने कहा- नहीं मेम साहेब, मैं गरीब आदमी हूँ. मेरे इतने नसीब कहाँ!


इतने में वह उठी, सोफे पर बैठी और मेरी चड्डी खोल कर कहा- आज तेरा नसीब है बुर चोदने का भोलू! मेरी चड्डी नीचे गिर पड़ी और मैं पूरा नंगा हो गया। मेरा लण्ड तो खड़ा ही था।


वह लण्ड पकड़ कर बोली- वॉव क्या मस्त लौड़ा है तेरा भोलू! एकदम तेरी ही तरह हट्टा कट्टा गोरा चिट्टा है तेरा भोसड़ी का लण्ड। इतना बड़ा लण्ड तो मेरे जीजू का भी नहीं है जिससे मैं अक्सर चुदवाती हूँ।


फिर उसने भी अपना पेटीकोट उतार कर फेंक दिया।


उसकी बड़ी बड़ी तनी हुई चूचियाँ और मस्तानी चूत देखकर मेरा लण्ड साला हिनहिनाने लगा। उसने लण्ड की कई चुम्मियाँ लीं और बोली- भोलू, तुम गरीब नहीं हो. तेरे पास तो इतना बड़ा और मोटा तगड़ा लण्ड है यार! इस तरह के लण्ड के लिए जाने कितनी बीवियां तरसतीं रहतीं हैं। अगर उन्हें मालूम हो जाए तो वो हाथों हाथ तेरा लण्ड खरीद लेगीं।


फिर वह नंगी नंगी बड़े प्यार से मेरा लण्ड हिलाने लगी, चाटने लगी और चूसने लगी मेरा लण्ड। मैं उसके सामने खड़ा खड़ा उससे अपना लण्ड चटवाने लगा।


मेरी ख़ुशी का ठिकाना न था; मैं बहुत ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था। मेरी इच्छा पूरी हो रही थी।


मेरी नज़र उसके बड़े बड़े मम्मों पर थी। बस मैंने उसके मम्मों में लण्ड घुसेड़ दिया। उसने भी अपने दोनों हाथों से अपने मम्मे पकड़ कर मेरे लण्ड के लिए एक सुरंग बना दी।


मैं लण्ड बार बार उसी में आगे पीछे करने लगा यानि चोदने लगा मैं उसके रस भरे मम्मे। वह भी मस्ती से हर बार लण्ड के ऊपर आते ही उसका सुपारा चाट लेती जिससे मुझे बड़ा मज़ा आने लगा।


फिर मैंने उसे उठाया और बेड पर पटक दिया। मैं उसके ऊपर बड़ी बेशर्मी से चढ़ गया और उसके पूरे नंगे बदन को हर तरफ से और हर तरह से दबा दबा कर चूम चाट चाट कर मज़ा लेने लगा; उसकी मस्तानी चूत सहलाने लगा।


उसकी झांटें बिल्कुल साफ़ थी चूत बड़ी तरोताज़ा दिख रही थी। फिर मैं जबान निकाल कर उसकी बुर चाटने लगा।


वह सिसयाने लगी, मज़ा लेने लगी। मैं भी उसे अपनी जबान घुसा घुसा कर पागल बनाना चाहता था।


वह मस्ती में बोली- अच्छा सुनो भोलू, आज तुम मेरी बुर ले लो यार! अपना हक्कानी लण्ड पेल दो मेरी चूत में! आज मैं तुम्हें बड़े प्यार से अपनी बुर दूँगी। आज तुम मुझे बड़े प्यारे लग रहे हो. मैं बहुत दिनों से तेरा लण्ड पकड़ना चाहती थी। आज मौका मिल गया। आज तुम मुझे चोदो। मुझे खूब चोदो, मैं बहुत चुदासी हूँ। आज मुझे किसी मर्द का लण्ड मिला है। मैं किसी भी कीमत पर भी इसे खोना नहीं चाहती। मेरा दिल तेरे लण्ड पर आ गया है यार … मैं तेरे लण्ड से प्यार करने लगी हूँ। तेरे लण्ड की बहन चोद दीवानी हो गई हूँ मैं!


तब तक मैं भी बहुत गरम हो चुका था। मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया, उसको अपनी तरफ खींचा और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दी जिससे उसकी बुर थोड़ा ऊपर उठ गई। मैंने उसकी दोनों टांगें फैलाईं और लण्ड चूत पर टिका दिया; फिर लण्ड गचागच घुसाने लगा अंदर।


लण्ड पूरा घुसा तो वह बोली- हाय दईया बड़ा मोटा है लण्ड तेरा भोसड़ी के भोलू! मेरी बुर फट गई यार! इतना मोटा लण्ड पहले कभी नहीं घुसा मेरी चूत में! हाय राम … क्या करूंगी अब मैं? अब तो चूत बुर चोदी बिना चुदे मानेगी नहीं!


मैं घपाघप चोदने लगा उसकी बुर … पूरा लण्ड पेल पेल कर चोदने लगा। वह फिर बोली- हाय रे … चोद डालो मेरी बुर भोलू! आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। तूने पहले क्यों नहीं बताया कि तेरा लण्ड इतना मोटा है. बताया होता तो अब तक जाने कितनी बार चुदवा चुकी होती!


मैं चुदाई की स्पीड बढ़ाता गया, झटके पर झटके लगाता गया और वह हर झटके का जबाब झटके से देती गई। मुझे मालूम हो गया कि वह बड़ी चुदक्कड़ औरत है।


मेरे मन उसकी बेटी की भी बुर चोदने का हो गया. मैंने खुलकर कह भी दिया- बीवी जी, किसी दिन मुझे अपनी बेटी वर्तिका की भी दिलवा दो बुर!


वह बोली- वर्तिका की माँ का भोसड़ा … मैं जानती हूँ वह भी बुर चोदी लण्ड पकड़ने लगी है. तू चिंता न कर … मैं खुद तेरा लण्ड उसकी चूत में पेल दूँगी। मुझे उसकी सहेलियों से मालूम हो गया है कि वह कॉलेज के लड़कों से चुदवाती है। जब लड़कों से चुदवाती है तो तेरे जैसे मरद से तो दौड़ कर चुदवा लेगी। वह भी भोसड़ी वाली लण्ड की उतनी ही शौक़ीन जितनी मैं. बड़ी अय्याश है मेरी बेटी वर्तिका।


उसकी बातों से मेरे लण्ड में गज़ब का तनाव आ गया। मैं उसे और तेज तेज पूरा लण्ड पेल पेल कर बिना रुके दनादन चोदने लगा।


वह बोली- हाय मेरे राजा, मेरी बिटिया की बुर सुनकर तेरा लण्ड साला बौखला गया है भोलू! देखो न कितनी जोर जोर से भकाभक चोद रहा है मेरी बुर!


मैं सच में पागल हो गया था उसे चोदने में! मुझे उसकी बुर के अलावा और कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा था.


आखिरकार वह झड़ गई और बोली- यार भोलू, तूने मेरी चूत ढीली कर दी। मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दी तूने!


फिर मैं भी झड़ गया और उसने मेरा झड़ता हुआ लण्ड बड़े प्यार से चाटा।


जाते समय मैंने कहा- बीवी जी, यह बात साहेब को नहीं मालूम होना चाहिए नहीं तो वह मुझे नौकरी से निकाल देगें। मैं बर्बाद हो जाऊंगा। वह बोली- तेरी साहेब की बिटिया की बुर … वह भोसड़ी वाला तेरा कुछ नहीं कर पायेगा। लण्ड तो ठीक से खड़ा नहीं हो पाता उसका. न उसकी गांड में दम है और न उसके लण्ड में दम है। वह मेरी एक झांट भी नहीं उखाड़ पायेगा. मैं हूँ न … तुम चिंता न करो।


उसने मेरा लण्ड की फिर चुम्मी ली. उसके बाद मैं अपने कमरे में चला गया।


कुछ देर बाद वर्तिका कॉलेज से आ गयी। उसको कुछ नहीं मालूम हुआ कि उसकी माँ मुझसे चुद चुकी है।


वह एक जगह बैठ कर अपना मोबाइल देखने लगी। मैं भी उसे दूर से छिप कर देखने लगा।


इतने में उसकी मम्मी आयी और उसे पीछे से देखा कि वर्तिका मोबाइल पर बड़े बड़े लण्ड की फोटो देख रही है। अचानक उसकी मम्मी बोली- इससे बड़ा लण्ड तो भोलू का है, बुर चोदी वर्तिका!


वर्तिका बोली- वाओ, तो क्या तुमने उसका लण्ड देखा है, मम्मी? मम्मी बोली- हां बिल्कुल देखा है, पकड़ कर देखा है. क्या मस्त लौड़ा है उसका … मैं तो दीवानी हो गयी उसके लण्ड की! लेकिन पहले तू बता कि तूने अभी तक कितने लण्ड पकड़े हैं और कितने लण्ड पेलवाये हैं अपनी बुर में? मुझे इसकी जानकारी हो गई है।


उसने बताया- अरे मम्मी, अभी तक सिर्फ 2 / 3 लण्ड ही पकड़ा है मैंने और 2 लण्ड पेलवा भी चुकी हूँ अपनी चूत में. पर लण्ड तो तुम भी पेलवाती हो मम्मी जी. मैंने तुमको पराये मर्दों से चुदवाते हुए देखा है. मम्मी बोली- देखा है तो फिर आकर पकड़ा क्यों नहीं मेरे सामने लण्ड? अगर तू पकड़ लेती तो मैं तेरी चूत में भी घुसा देती लण्ड! अब तो तेरी चूत मेरी चूत के बराबर हो गई है बुर चोदी वर्तिका।


वह बोली- ओ माय गॉड … ऐसा हो सकता है क्या? मम्मी बोली- हां बिल्कुल हो सकता है। कहो तो आज ही पकड़ा दूँ तुझे कोई लण्ड?


वह बोली- हाय मेरी मम्मी, अगर पकड़ा दो तो मज़ा आ जाये. मैंने दूर से लण्ड को तेरी चूत में आते जाते देखा है. आज अगर पकड़ कर देखूंगी तो बहुत मज़ा आएगा। मेरी तमन्ना पूरी हो जाएगी.


मम्मी बोली- अच्छा बोल किसका लण्ड पकड़ेगी तू, भोसड़ी वाली? वह बोली- भोलू का ही लण्ड पकड़ लूंगी सबसे पहले। उसी का लण्ड पकड़ा दो मुझे। वह तो यहीं मौजूद है और पापा भी नहीं हैं घर पर। वे दो दिन बाद आयेंगे। मम्मी ने कहा- तो फिर आज मैं भोलू का लण्ड पेलूँगी तेरी चूत में! आज की रात भोलू के लण्ड के नाम! दोनों खिलखिलाकर हंसने लगीं।


यह सब सुनकर मेरे लण्ड में जबरदस्त आग लग गई। मैं फ़ौरन अपने कमरे पर गया, अपनी झांटें साफ़ की, नहाया धोया और फिर लुंगी पहन कर आ गया।


मुझे देख कर मेम साहेब बोली- अरे भोलू, यहाँ आओ न हमारे सामने … हम लोग तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही हैं। मैं फ़ौरन उनके सामने खड़ा हो गया।


वर्तिका बोली- अरे वाह भोलू भैया आज तो तुम बड़े स्मार्ट और हैंडसम लग रहे हो। तुम्हारा नंगा बदन बड़ा सेक्सी लग रहा है। तुम्हारी छाती के बाल सेक्सी भी लग रहे हैं. और तुम्हारी मर्दानगी भी दिखा रहे हैं.


तब तक मेम साहेब ने कहा- अरे बेटी वर्तिका, भोलू तो बड़ा मस्ताना मर्द है। इसकी लुंगी खोल दो तो यह और ज्यादा हैंडसम लगेगा। यह बात तो मेम साहेब ने मजाक में कही थी लेकिन वर्तिका ने सच में मेरी लुंगी खोल दी और बोली- हां भोलू भैया, यहाँ हम तीन के अलावा कोई और तो है नहीं … तुम्हें शर्माने जरूरत नहीं है। मेम साहेब मुस्कराती हुई बोली- है न? हम तीनों के अलावा चौथा इसका लण्ड हैं न बेटी वर्तिका! तब तक वर्तिका ने मेरा लण्ड पकड़ लिया।


लण्ड तो पहले से खड़ा था। वह बोली- बाप रे बाप … क्या मस्त लौड़ा है बहनचोद … इतना बढ़िया लौड़ा तो मैंने पहले कहीं देखा ही नहीं। मैं माँ की लौड़ी बेकार में ही इधर उधर लण्ड के लिए चूतिया बनी घूम रही थी जबकि इतना बड़ा लण्ड मेरे घर में ही है।


उसके पकड़ते ही मेरा लण्ड और ज्यादा फुफकारने लगा। वर्तिका को प्यार आ गया तो उसने लण्ड की एक साथ कई चुम्मियाँ ले लीं, लण्ड का टोपा चूमा और जी भर के उसे प्यार किया।


मैंने वर्तिका को अपने नंगे बदन से चिपका लिया। उसकी चूचियाँ बड़ी सख्त थीं और मस्त थी; मैं उन्हें मसलने लगा।


वह भी मजे से मेरा लण्ड हिलाने लगी। तब तक मेम साहेब आ गईं। वह तो एकदम नंगी हो गई थी।


उसने वर्तिका को भी बिल्कुल नंगी कर दिया। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर नंगा लिटा दिया। फिर दोनों माँ बेटी एकदम नंगी नंगी मेरा लण्ड चाटने और चूसने लगीं, दोनों एक दूसरी के मुंह में लण्ड घुसाने लगीं। दोनों मिलकर मेरे लण्ड से खेलने लगी।


मेम बोली- वर्तिका तू तो बड़ी अच्छी तरह लण्ड चूसती है। तेरी माँ का भोसड़ा! वर्तिका बोली- हाय दईया, मैंने तो तुमसे ही सीखा है, बुर चोदी ललिता मम्मी!


मेम बोली- तो फिर आज तू अपनी माँ चुदवाना भी सीख ले। तेरी माँ चुदेगी तो मुझे मज़ा आएगा। वर्तिका बोली- तो फिर तू भी अपनी बेटी की बुर चुदा ले हरामजादी ललिता।


मुझे दोनों को एक साथ लण्ड चटवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।


वर्तिका बड़े प्यार से बोली- हाय मेरे भोलू भैया, मैं तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गई हूँ।


इतने में मेम साहेब ने मेरा लण्ड पकड़ कर वर्तिका की बुर पर टिका दिया और मेरे चूतड़ दबा दिये। लण्ड गचाक से अंदर घुस गया।


वह चुदी हुई तो थी ही इसलिए उसको कोई दर्द नहीं हुआ। वह तो मस्ती से रंडी की तरह धकाधल चुदवाने लगी।


मेम मेरे पेल्हड़ सहलाने लगी और बीच बीच में लण्ड निकाल निकाल चाटने भी लगी।


मैं वर्तिका की बुर बड़े मजे से चोदने लगा। एक माँ के सामने उसकी बिटिया की बुर चोदने में मुझे ज़न्नत का मज़ा आने लगा।


वर्तिका भी मस्ती से बोलने लगी- हाय मेरे भोलू भैया … मुझे खूब चोदो, फाड़ डालो मेरी बुर, तूने में माँ चोदी है अब माँ की बिटिया भी चोद ले। तेरा लण्ड बड़ा दमदार है। मुझे अपनी माँ के आगे चुदवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है। वाह क्या मस्त मोटा लौड़ा है तेरा … बड़ा मज़ा दे रहा है बहनचोद!


वह अपनी गांड उचका उचका कर चुदवा रही थी।


मैंने मन में कहा कि आज मुझे मेम की बिटिया की बुर चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आया। मैंने खूब एन्जॉय किया।


आखिर में जिस तरह से माँ बेटी दोनों ने नंगी नंगी मिलकर मेरा झड़ता हुआ लण्ड चाटा और एक दूसरे के मुंह में लण्ड डाल डाल कर चटाया, उससे उन दोनों को बार बार चोदने की मेरी हिम्मत बढ़ गई।


दूसरी पारी ने वर्तिका ने मेरा लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी माँ की चूत में पेल दिया। अब वह अपने आगे अपनी माँ का भोसड़ा बड़ी मस्ती से चुदवाने लगी, मुझसे बोली- भोलू भैया फाड़ डालो मेरी माँ का भोसड़ा! धज्जियाँ उड़ा दो मेरी माँ की चूत की। ये बुरचोदी बड़ी चुदक्कड़ औरत है। मैं चाहती थी कि मैं एक दिन अपने हाथ से लण्ड अपनी माँ की चूत में पेलूं। आज मेरी इच्छा पूरी हो गयी। रंडी की तरह पराये मर्दों से चुदवाती है मेरी हरामजादी ललिता मम्मी। आज मैं जी भर के अपनी माँ चुदवाऊंगी। तेरा लण्ड मुझे बहुत भा गया है।


आखिर में जब उसने अपनी माँ को नंगी मेरे लण्ड पर बैठाया तो मुझे बहुत मज़ा आया।


इस तरह X फॅमिली की दोनों भोसड़ी वाली एक दूसरी की बुर में मेरा लण्ड बारी बारी से पेलती रहीं और घपाघप चुदवाती रहीं। उस दिन से दोनों माँ बेटी हो गईं मेरे लण्ड की दीवानी और मैं दोनों को एक साथ अक्सर चोदने लगा।


प्रिय पाठको, कैसी लगी आपको मेरी X फॅमिली की चुदाई कहानी? [email protected]


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