भाभी की गोरी चूत देवर के लंड से चुदी

प्रीतम मौर्य

25-09-2023

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देसी भाभी देवर की चुदाई कहानी में मैंने अपनी बुआ की पुत्रवधू के साथ सेक्स का मजा लिया. एक शादी में मेरी मुलाक़ात उनसे हुई. उनकी नजर में ही मुझे वासना दिखी तो मैं भी शुरू हो गया.


मेरा नाम प्रीतम मौर्य है. मैं गोरखपुर उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.


यह मेरी पहली देसी भाभी देवर की चुदाई कहानी है.


एक जगह मैं शादी में गया हुआ था. वहां मेरी भाभी भी गयी हुयी थीं जो मेरे बुआ के लड़के की पत्नी थीं.


वहां पर शादी के दिन भाभी मुझसे मिलीं और हम दोनों बातें कर रहे थे. भाभी मुझसे मजाक भी कर रही थीं.


मुझे कहीं जाना था तो मैंने जाने के लिए कहा, तो उन्होंने मेरा नंबर भी ले लिया और बाद में कॉल करने को कहा.


शाम को बारात आने वाली थी तो हम लोग शादी की तैयारियों में लग गए.


बारात आ गयी, शादी हो गयी. बस कुछ रस्म होना बाकी थीं, तो मैं कुछ काम से घर में गया.


भाभी फिर से मिल गईं. उन भाभी का लड़का बाहर सो रहा था.


उन्होंने उसे उठाकर घर में एक रूम में लाकर सुलाने के लिए बोल दिया. मैंने उसे लाकर रूम में सुला दिया.


भाभी भी आ गईं. हम दोनों वहां पर बैठकर फिर से बातें करने लगे.


भाभी मिठाई का पैकेट लाईं. उसमें से आधा रसगुल्ला उन्होंने मुझको खिलाया और आधा खुद ने खा लिया.


मैंने उन्हें ऐसे करते देखा तो वे कुछ कामुक सी होती दिखीं. तो मैंने भी उन्हें वासना से देखा.


भाभी- मजा आया? और करूँ? मैंने हां में सर हिला दिया.


उन्होंने इस पहले खुद खाया और उसके बाद मुझे खिलाया.


हम दोनों इसी तरह से करते रहे.


मैं भाभी के साथ एकदम से चिपककर बैठ गया और हम दोनों ने एक दूसरे के कंधे पर हाथ डाल लिया था.


फिर उन्होंने लिप किस के लिए इशारा किया और अपने होंठों को मेरे होंठों के पास ले आईं.


मैं भी उनके पास अपने होंठों को ले गया. उन्होंने एक 4-5 सेकंड का छोटा सा … पर सुकून भरा किस दिया.


यह किसी भी लड़की के साथ मेरा पहला किस था.


हम दोनों ने काफी बातें की और उन्होंने बगल के घर में चलने को कहा.


मैंने कहा- उधर क्यों? वे कहने लगीं- उधर खाली है.


मैंने कहा- वह किसका घर है. भाभी बोलीं- हमारी कुछ जान पहचान वाले का ही. उधर भी शादी में आए कुछ लोग सोये हैं. उधर कुछ जगह देख कर मस्ती करेंगे.


हम दोनों वहां चले गए.


उधर सब जगह भरा था. एक जगह कुछ खाली सा था और अंधेरा भी था. उधर रुककर हम दोनों ने एक दूसरे को बांहों में भर लिया.


भाभी मेरे होंठों को जोर जोर से चूसने लगीं और मैं भी उनके होंठों को चूस रहा था.


इस बार लगभग 10 मिनट चूसने के बाद और ऊपर ऊपर से उनके दूध दबाने के बाद मैंने भाभी से उनके मम्मों को अन्दर हाथ डाल कर दबाने के लिए पूछा. उन्होंने हामी भर दी.


पहले तो मैं किस के दौरान ऊपर से दबा रहा था. अब जब उन्होंने हामी भर दी, तब ब्लाउज का बटन खोलकर उनके बूब्स को दबाने लगा.


मैंने अन्दर हाथ डालकर उनकी ब्रा को दोनों मम्मों के किनारे कर दिया था. उनके दोनों बूब्स को खूब दबाया.


इस समय भाभी भी मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़कर मुठ मार रही थीं.


उसके बाद मैं उनके बूब्स को ऊपर से काटने लगा, तब वे आह उह्ह् यहह् करने लगीं.


भाभी पूरी गर्म हो गयी थीं पर जगह न होने के कारण हम और कुछ न कर सके.


फिर आधा घंटा बाद भाभी मुझसे अलग होकर शादी के काम में चली गईं. मैं भी बाहर आकर शादी के बचे हुए काम करके सो गया.


सुबह मैं 5 बजे ही जाग गया. भाभी की याद के कारण मुझे नींद नहीं आई.


मैं डेढ़ ही घंटे सो पाया.


जब मैं जागा, तब भाभी कुछ काम से बाहर आईं.


तब उनसे बात हुयी. उन्होंने अपने घर बुलाया यानि मेरी बुआ के घर.


भाभी ने बताया कि वे यहां से 2-3 दिन बाद अपने घर चली जाएंगी. मैंने कुछ नहीं कहा, चुपचाप सुनकर चला गया.


उसके बाद घर आकर मैं अपने कॉलेज गया. मैंने ये बात कॉलेज में किसी भी दोस्त से शेयर नहीं की क्योंकि वह मेरी भाभी थीं.


मैं कॉलेज से शाम को वापस घर आया और उनसे फोन पर बात की. अब मैं हमेशा ही उनसे बात करने लगा.


तीन दिन बाद वह अपने घर गईं. उसके कुछ दिनों बाद मैं भी उनके घर आ गया.


उस वक्त कॉलेज में मेरी गर्मी की छुट्टी हो गयी थीं.


मई का महीना था.


मैं एक दिन सुबह उनके घर के लिए निकला, रास्ते में मामा का घर पड़ता था, तो वहीं रुक गया.


मैंने सोचा कि अगले दिन भाभी के पास चला जाऊंगा.


वहां पर रुका तो मामी जाने ही नहीं दे रही थीं. वे बोल रही थीं कि 2-3 बाद चले जाना.


मामी ने जबरन मेरी बाइक की चाभी निकाल कर अपने पास रख ली थी. इधर भाभी लगातार फोन कर रही थीं.


मैं किसी तरह से मामी से अपनी बाइक की चाभी लेकर वहां से जाने के तैयार हुआ.


फिर मैं उधर से निकला और 3 बजे भाभी के घर पहुंचा. वे मुझे देखकर बहुत खुश हुईं.


उस समय भाभी के घर में सब लोग थे बुआ-फूफा और दीदी.


भाभी ने गर्म गर्म खाना बनाकर खिलाया और आराम करने को कहा.


फिर बुआ-फूफा और दीदी सब जन खेत के काम से खेत में चले गए और घर पर सिर्फ मैं और भाभी रह गए थे. हम दोनों एक दूसरे से गले लग कर किस करने लगे.


कुछ समय तक किस करने के बाद भाभी मुझे अपने बेडरूम में ले गईं. वहां हम दोनों ने चिपककर काफी किस किया और मैंने उनके दूध दबाए, पूरे शरीर पर किस किए.


भाभी काफी गर्म हो गई थीं और ‘आह आह्ह …’ जैसी कामुक आवाजें निकाल रही थीं.


कुछ ही देर में भाभी हद से ज्यादा चुदासी चुकी थीं और वे अपनी दोनों टांगों को खोलकर बेड पर लेट गईं.


मेरा लंड भी भाभी की चूत में जाने के लिए तैयार था. मैंने पोजीशन बनाई और उनकी दोनों टांगों के बीच में लंड निकाल कर बैठ गया.


फिर धीरे से मैंने भाभी की चूत पर अपना लंड रख दिया. भाभी की चूत किसी कमसिन लड़की की चूत जैसी चिपकी हुई थी. लंड चूत के अन्दर जा ही नहीं रहा था.


तब उन्होंने अपना थूक अपनी चूत में लगा कर उसे खोला और गांड उठा कर लंड से चूत को रगड़ा.


मैंने भी चूत के अन्दर लंड पेलने के लिए जोर लगाया तो कुछ देर के बाद सुपारा चूत में घुस गया. भाभी चीखने लगीं- उई मां मर गई … तुम्हारा बहुत मोटा है आह!


मैंने कहा- निकाल लूँ क्या? भाभी दर्द से तड़फ कर बोलीं- नहीं पेल दो धीरे धीरे … कुछ देर बाद सही हो जाएगा.


मैं उनकी धीरे धीरे चुदाई करने लगा.


वे काफी समय बाद अपनी चूत मरवा रही थीं और इतने मोटे लंड को तो उन्होंने कभी अपनी चूत मे लिया ही नहीं था. इस वजह से भाभी को काफी दर्द हो रहा था.


मुझे भी भाभी की कसी हुई चूत को चोदने में बाद मजा आ रहा था.


यह मेरे लिए पहली बार का मामला था और भाभी की टाइट चूत से लंड ने जल्दी ही हार मान ली.


कुछ 5-6 मिनट की चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया. फिर हम दोनों अलग हो गए.


अब तक काफी देर हो चुकी थी. घर के सब लोग वापस घर आने वाले हो गए थे.


कुछ गांड भी फट रही थी तो दुबारा चुदाई के लिए न ही भाभी राजी थीं और न ही मेरा लंड खड़ा हो रहा था.


दुबारा लंड खड़ा करने में समय लग रहा था और भाभी लंड चूसने के लिए राजी नहीं थीं. चुदाई का खेल खत्म हुआ और हम दोनों अपने कपड़े ठीक करके बाहर आ गए.


हमारी सोच सही निकली। बीस मिनट बाद सब कोई घर आ गए.


मेरी सबसे बात हुई.


उधर भाभी और उनकी ननद खाना बनाने लगी थीं.


खाने का टाइम हो गया तो सबने खाना खाया. भाभी ने चिकन बनाया था जो फूफा बाहर से दारू और चिकन लेकर आए थे.


ये सब उनके घर से थोड़ी दूरी पर ही बिकता था, वे वहीं से लेकर आए थे. बुआ फूफा सब पीते खाते थे.


मैंने भी चिकन की टांग अपने कब्जे में ली और दो पैग गटक गया. दारू तेज थी तो अन्दर बोलने लगी थी.


अब सोने की बारी आयी. तब भाभी ने बुआ से बोलकर मुझे अपने रूम में सोने को कह दिया क्योंकि भाभी के साथ उनका लड़का भी था, जो 3 साल का था.


बुआ ने हां कह दी. वे भी नशे में थीं और शायद फूफा की सवारी करवाने के मूड में थीं.


दीदी ऊपर सोने चली गई थीं.


मैं भाभी के साथ उनके रूम में सोने चला गया.


भाभी ने अपने लड़के को सुला दिया और उसे बेड के किनारे एक ओर लेटा दिया.


अब हम दोनों एक दूसरे के पास आ गए और एक दूसरे को आपस में पकड़कर किस करने लगे. मैं उनके होंठों को चूसने लगा. वे भी भूखी शेरनी की तरह मुझे चूस रही थीं.


हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को खूब चूसा.


फिर धीरे धीरे भाभी अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगीं.


मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया, जो साढ़े सात इंच लंबा और ठीक-ठाक मोटा था.


मैं उनके एक दूध को पी रहा था और दूसरे को मसल रहा था. उनके दोनों निप्पलों से भी मैं खूब खेला.


अब मैंने भाभी की साड़ी खोल दी और उनके ब्लाउज को भी उतार दिया. कुछ ही देर बाद भाभी ब्रा पैंटी में आ गई थीं.


मैंने उनकी पैंटी को निकाल कर उसे नाक से लगाया और उसकी सुगंध को अपनी सांसों में भर लिया.


फिर मैं भाभी की जांघों को किस करने लगा. भाभी भी काफी गर्म हो गयी थीं और जल्दी चुदाई की मचा रही थीं.


जब उनसे रहा नहीं गया तो वे मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगीं.


मैंने भी लंड पेला और उन्हें चोदना शुरू कर दिया.


इस बार मैंने एक ही बार में तेज झटके के साथ लंड को अन्दर डाला था तो वे सिहर गयी थीं.


कुछ ही झटकों में लंड ने चूत में जगह बना ली और चूत ने भी रस छोड़ कर लंड को मुहब्बत करनी शुरू कर दी.


अब मैं भाभी की चूत को अच्छे से चोदने लगा.


वे अपनी दोनों टांगें हवा में उठाए हुई थीं और कामुक भाषा में मुझे तेज तेज चोदने के लिए उकसा रही थीं.


भाभी- आह जान, जानेमन, राजा जी और तेज चोद दो आह मजा आ गया.


वे यह सब कहकर मुझे उत्तेजित कर रही थीं और अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थीं. भाभी काफी जोश में थीं.


इस बार लगभग 20 मिनट तक भाभी की चूत को चोदने के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया. भाभी इस बीच दो बार झड़ चुकी थीं.


उस रात मैंने भाभी को चार राउंड चोदा. पूरी रात हम दोनों ने सेक्स किया.


उसके बाद 4 दिन तक मैं उनके घर रहा. जब भी मुझे मौका मिलता, मैं भाभी की चुदाई में लग जाता.


उसी में मैंने एक दिन उन्हें बाइक पर बैठाकर शौपिंग भी करा दी.


एक दिन भाभी को उनके पीहर में कुछ काम था, वहां भी ले गया और शाम को वापस बुआ घर आ गया.


मैं रोज उनके रूम में सोता था. उसके लिए भाभी बुआ से बोल चुकी थीं.


इस बात से बुआ को भी कोई दिक्कत नहीं थी.


4 दिनों में हर रोज बुआ आदि के खेत में जाने के बाद हम 2-3 बार और रात में 3 बार चुदाई करते थे यानि पूरी रात.


फिर मेरे घर पर कुछ काम आ गया था तो मैं घर आ गया.


उसके बाद कर जब भी मैं भाभी के घर जाता तो देसी भाभी देवर की चुदाई का कार्यक्रम चलता.


कभी कभी रात में भी रुकता, कभी दिन में ही लौट आता.


बुआ का घर हमारे घर से कुछ ही किलोमीटर दूर था.


इस तरह मैंने भाभी की खूब चुदाई की.


अब मैं इंटर के बाद पढ़ने हेतु बाहर आ गया हूँ, तो अब भाभी की चुदाई नहीं कर पाता हूँ. पढ़ाई के बाद जॉब भी लग गई तो अब मैं ज्यादातर बाहर ही रहता हूँ इसलिए मुझे भाभी की चुदाई का मौका नहीं मिलता है.


आपको मेरी देसी भाभी देवर की चुदाई कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं. [email protected]


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