मस्त माल पड़ोसन भाभी की जबरदस्त चुदाई

मोनन राज

05-03-2024

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सेक्सी भाभी हिंदी कहानी में मैंने अपने पड़ोस में आये नए परिवार वाली भाभी को चोदा. वह बहुत खूबसूरत थी. एक बार मैंने उसकी मदद की तो उससे मेरी दोस्ती हो गयी थी.


दोस्तो, मेरा नाम मोनन राज है और मैं अमरावती में रहता हूँ. मेरी उम्र 26 साल हैं.


मैं अन्तर्वासना और फ्री सेक्स कहानी वाली इन दोनों साइट का नियमित पाठक हूँ.


यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है. यह सेक्सी भाभी हिंदी कहानी 6 महीने पहले की है.


मेरे घर के सामने वाले घर में एक परिवार किराए से रहने आया था. उस परिवार में पति, पत्नी और उनकी छोटी उम्र की लड़की थी.


एक दिन जब मैं घर में आराम कर रहा था तो दरवाजे पर से किसी ने आवाज दी. मैंने जाकर देखा तो सामने एक बला की खूबसूरत महिला खड़ी थी.


उसका फिगर 38- 32-40 का था और उम्र 35 साल के आस-पास की रही होगी. उसे देखकर एक बार को तो मैं चौंक गया.


वह सच में मस्त फिगर वाली महिला थी.


फिर मैंने उससे पूछा- आप कौन हैं और क्या चाहिए आपको? उसने कहा- मैं आपके सामने वाले मकान में रहने आयी हूँ. मेरा नाम वर्षा है. मेरे पति सरकारी कार्यालय में काम करते हैं और इस वक्त वे अपने काम पर गए हैं. मुझे आपकी थोड़ी मदद चाहिए क्योंकि मैं यहां नई हूँ और मुझे यहां के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है.


मैंने कहा- बताइए भाभी जी मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ? उसने कहा- मेरी बेटी की तबियत ठीक नहीं हैं, तो उसे डॉक्टर के पास ले जाना है. पर मेरे पास पैसे भी नहीं हैं, इसलिए मुझे अपनी बेटी को डॉक्टर को दिखाने के साथ साथ आपसे कुछ पैसों की मदद भी चाहिए.


मैं तो उसे देख कर ही पागल हो गया था तो मैंने उसे तुरंत हां कह दिया. बाद में मैं उसे और उसकी बेटी को हॉस्पिटल ले गया और डॉक्टर को दिखवा कर दवा आदि लेकर वापस घर भी ले आया.


उसे उसके घर छोड़ कर मैं अपने घर आ गया और उसके स्पर्श को याद करके मुठ मारने लगा. जब लंड झड़ गया और उसकी अकड़ खत्म हो गई, तब जाकर मुझे चैन आया.


अगले दिन मैं उसके घर गया और उसकी बेटी के बारे में जानकारी हासिल की कि अब वह कैसी है. उस वक्त उसका पति घर में ही था.


मैं उससे मिला और मेरा उससे परिचय हुआ. उसका नाम रमेश था.


हम दोनों बातचीत ही कर रहे थे, तभी वर्षा वहां आ गयी. उसने बताया कि बेटी की तबियत ठीक है और वह अभी अच्छी है.


थोड़ी देर बात करके मैं घर वापस आ गया. पर वह अब भी मेरी आंखों के सामने ही थी.


कुछ ही दिनों में हम दोनों काफी घुल-मिल गए थे. उसका और मेरा एक दूसरे के घर आना जाना होने लगा था.


जब वह घर में अकेली होती तो हम दोनों बातें भी करते थे. बातों ही बातों में मुझे पता चला कि वह अपनी जिंदगी से काफी निराश है.


उसने बताया कि उसके पति के सरकारी कर्मचारी होने की वजह से बार बार घर बदलना पड़ता है और पति का साथ ना के बराबर मिलता है.


उसकी इस तरह की बातों से मुझे समझ में आ गया कि यह लंड की भूखी औरत है.


इसी बात को पक्का करने के लिए मैंने उससे पूछ लिया- आपकी सेक्स लाइफ कैसी है … क्या उससे आप खुश हैं? उसने खुल कर कहा- शादी के बाद तो सेक्स लाइफ ठीक थी, पर अब मेरा पति मुझ पर उतना ज्यादा ध्यान नहीं देता है.


मैंने आंख के इशारे से पूछा कि मतलब सेक्स नहीं होता है? तब उसने बिंदास बताया- अब तो वह एक महीने में सिर्फ 2 या 3 बार ही मेरे साथ सेक्स करता है. मतलब मेरी दो या तीन बार की चुदाई भी ढीली-पोली ही हो पाती है.


जब उसने चुदाई शब्द का प्रयोग किया तो मैं समझ गया कि यह भी मुझे सैट करने में लगी है. मैंने भी सोच किया था कि इसके साथ सैट हो ही जाता हूँ.


तो मैंने कहा- आपने कभी किसी और से सेक्स करके खुश रहने की सोची नहीं क्या? उसने कहा- सोचा तो कई बार है, पर सच बताऊं तो मुझे डर लगता है कि कहीं मेरे पति को पता चला तो क्या होगा? और यह बात आप भी जानते हो कि आजकल किसी अजनबी के साथ सेक्स करने में किसी का क्या भरोसा किया जा सकता है?


मैंने हिम्मत करके उससे कहा- मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ, पर मैं कभी कह नहीं पाया. अगर आप चाहो तो किसी को भी बिना पता चले, मैं आपको सेक्स की ख़ुशी दे सकता हूँ. पहले तो वह चौंकने का नाटक करने लगी … बाद मैं मान गई.


उसे तो खुद ही लौड़े की जरूरत थी. उसने कहा- ठीक है, पर मेरे पति या किसी और को पता नहीं चलना चाहिए!


मैंने तुरंत ही आगे बढ़ कर उसे अपने गले से लगा लिया और ‘आई लव यू’ कहा. उसने भी शर्माते हुए ‘आई लव यू टू’ कहा.


तभी उसकी बेटी जाग गई और रोने लगी. वह अपनी बेटी की तरफ जाने लगी और बोली- अभी मुझे बेबी को संभालना है.


फिर मैं उसका फोन नंबर लेकर अपने घर आ गया. हमारा प्यार फोन पर शुरू हुआ.


तीसरे दिन मैं दोस्त से मिलने उसके घर गया हुआ था, तब उसका फोन आया कि उसका पति ऑफिस के काम से 4-5 दिन के लिए बाहर जा रहा है. यह मुझे उससे अकेले मिलने का एक सुनहरा मौका सा लगा था. पर अभी उसकी बेटी उसी के साथ थी.


मैंने उससे बात की तो उसने कहा कि वह अपनी बेटी को सुबह स्कूल छोड़ने जाएगी. बेटी का स्कूल शाम को छूटता है, तब उसे लेने जाना होता है.


उसने आगे बताया- बेटे के स्कूल के समय में मैं घर में अकेली ही रहूँगी और उस बीच का समय हमारा होगा. मैं तुरंत मान गया.


अगले दिन उसका पति अपने काम के लिए शहर से बाहर चला गया और वर्षा अपनी बेटी को स्कूल भी छोड़ कर वापस घर आ गई थी. उसने मुझे आने के लिए फोन किया और मैं उसके घर आ गया.


मैंने दरवाजा खटखटाया तो उसने दरवाजा खोला. वह सफेद पारदर्शी साड़ी और गहरे गले का सफेद ब्लाउज पहन कर खड़ी थी. उस कपड़ों में वह कयामत लग रही थी.


मुझे ऐसा लगा कि वर्षा को यहीं पकड़ कर अभी ही चोद दूँ. मैंने खुद पर काबू किया और अन्दर चला गया.


वह दरवाजा बंद करके आयी, तो मैं उस पर टूट पड़ा. मैंने उसे अपने सीने से लगाया और उसे किस करने लगा.


वह भी मेरा साथ देने लगी. उसकी चुम्मियां बता रही थीं कि वह कितनी भूखी थी.


इसी तरह हम कुछ देर किस करते रहे. फिर मैं उसे अपनी बांहों में उठाकर बेड पर ले आया और उसको लिटा दिया.


वह पैर फैला कर चित लेट गई. मैं भी उसके ऊपर चढ़ कर लेट गया और उसे किस करने लगा.


अब तक मेरा लंड अपने आकार में आ गया था. मैं बता दूँ कि मेरे लंड का साइज काफी हैवी है.


मैं पूरे जोश में किस करते हुए उसके एक दूध को मसल भी रहा था.


थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतारने लगा. कुछ ही पलों में मैं पूरा नंगा खड़ा था.


मेरा लंड भयानक रूप में उसकी आंखों के सामने गुर्रा रहा था.


वह मेरे कड़क लंड को देख कर हैरान थी और उसकी आंखों में विस्मय के साथ साथ एक खुशी भी झलक रही थी. उसने भी मेरे फनफनाते हुए लौड़े को देख कर अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार दिया था. वह ब्रा और पेटीकोट में मेरे सामने मस्त दिख रही थी.


अब मैंने आगे बढ़ कर उसके पेटीकोट का नाड़ा खींचा, तो वह सरसराता हुआ नीचे आ गया. उसकी नजरें मेरे लंड पर ही टिकी थीं.


उसने लौड़े को हाथ लगाया तो वह उसकी सख्ती, मोटाई और गर्मी को देख कर अपनी हैरान निगाहों से मुझे देख रही थी.


उसने बताया कि उसके पति का लंड कुल साढ़े चार इंच का ही था. उसने अब तक इतना बड़ा लंड सामने से कभी देखा नहीं था.


मैंने कहा- यह कैसा लगा? उसने कहा- यह तो इतना बड़ा लंड है कि शायद मेरी जान ही निकाल देगा. मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा. आज तो मैं मर ही जाऊंगी.


मैंने उससे कहा- कुछ नहीं होगा जान, मैं सब कुछ प्यार से करूंगा.


फिर मैंने उससे लंड चूसने के लिए कहा. तो वह मना करने लगी. उसने कहा- मैंने कभी अपने पति के छोटे से लंड को मुँह में नहीं लिया है. तो ये तो इतना बड़ा हैं … मेरे मुँह में कैसे जाएगा? मैंने उससे कहा- कुछ नहीं होगा, तुमसे जितना ले सकेगा, उतना ही ले लो. इसे प्यार तो करो, डरो मत.


उसने मेरे लंड को पुन: हाथ में पकड़ा तो इस बार लौड़े के स्पर्श से ही उसके शरीर में एक सनसनी सी दौड़ गई.


वह घुटनों के बल बैठ गई और उसने लंड को पकड़ कर अपनी जीभ से चाटा. फिर वह लौड़े को अपने मुँह में लेने लगी.


मुझे बेहद सनसनी होने लगी थी. अब वर्षा बार बार मेरे लंड का सुपारा चाटने लगी और मुँह में लेने लगी.


धीरे धीरे वह मेरे लंड को मुँह के काफी ले अन्दर लेकर उसको चूसने लगी. फिर वह अपना मुँह बड़ा करके लंड को अपने गले तक अन्दर लेने लगी.


मुझे भी अब मजा आने लगा. मैं भी उसके बाल पकड़ कर अपने लंड को उसके मुँह के अन्दर बाहर कर रहा था.


मेरा लंड अब वर्षा के गले तक आ जा रहा था. इससे वर्षा को भी लंड चूसने में थोड़ी तकलीफ होने लगी थी. पर कुछ देर बाद वह आराम से लंड चूस रही थी.


अब लंड मैंने बाहर निकाल लिया और उसे बेड पर लिटा दिया. मैंने उसकी ब्रा को निकाल दिया और उसका एक दूध चूसने लगा, दूसरे हाथ से मैं उसका दूसरा दूध मसलने लगा.


मेरा तना हुआ लंड अब उसकी चड्डी के ऊपर से ही उसकी चूत पर घिसने लगा. उससे वह गर्म होने लगी, उसकी तेज तेज सांसें चलने लगीं.


मैं उसके दूसरे दूध को मुँह में लेकर चूसने लगा और पहले वाले दूध को मसलने लगा. मुझे लग रहा था कि मैं तो जैसे जन्नत में हूँ.


कुछ देर बाद मैंने उसकी चड्डी नीचे की और मेरी नजर उसकी चूत पर पड़ी. क्या खूबसूरत चूत थी … कचौड़ी की तरह फ़ूली हुई चूत और चूत के आसपास कारीने से सैट किए हुए छोटे छोटे बाल थे.


मैं अपना मुँह उसके चूत के पास ले गया. उसकी चूत की महक मुझे पागल कर रही थी.


मैंने उसकी चूत चाटना शुरू की. चूत के दोनों होंठों को हाथों से फैलाया तो उसकी गुलाबी रंगत वाली मुझे मदहोश करने लगी.


मैं उसकी चूत के छेद में जीभ डाल कर चाटने लगा. इससे वह जल बिन मछली की तरह छटपटाने लगी और मेरा मुँह अपनी चूत पर दबाने लगी.


उसके मुँह से आवाज आने लगी- आह … आह … आह चूसो चूसो और जोर से चूसो आह बहुत अच्छा लग रहा है. आज मेरी चूत की आग बुझा दो … आह चूसो इसे!


वह तड़पने लगी. कुछ देर चूत चाटने के बाद उसने अकड़कर चूत से पानी छोड़ दिया और मैंने एक बूंद भी बर्बाद किए बिना सब रस चाट लिया.


थोड़ा नमकीन था, पर अच्छा लगा. मैं पूरा रस पी गया था और चूत को चाटता ही रहा था.


इससे वह वापस गर्मा गई; उसने कहा- बस करो … अब मुझे चोद दो … मुझे मत तड़पाओ … जल्दी से चोदो मुझे! मैंने लंड हाथ में लिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा. उसकी चूत लंड खाने के लिए खुलने लगी थी.


मैं लंड को चूत में डालने लगा. लंड का सुपारा अन्दर जाते ही उसके मुँह से चीख निकल गई. एक तो वह बहुत दिनों से चुदी नहीं थी और ऊपर से मूसल ब्रांड लंड का सुपारा चूत में घुसा था.


अब मैंने एक जोरदार धक्का लगाया तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया. वह चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई … आह … आह … आह … फाड़ दी मेरी चूत … आह सांड साले फाड़ दी मेरी!


उसे बेहद दर्द हो रहा था.


मैं थोड़ा रुक गया और उसे किस करने लगा. धीरे धीरे उसका दर्द कम हो गया.


मैं लंड आगे पीछे करने लगा और फिर से एक तगड़ा शॉट लगा दिया. मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ उसकी चूत की जड़ में चला गया.


इस बार उसकी और तेज चीख उसके मुँह से निकलने को हुई. पर मेरे होंठों से उसके होंठों को बंद किया हुआ था, इसी वजह से उसकी चीख उसी के मुँह में दब गई.


उसे बहुत तेज दर्द होने लगा और उसकी आंख से आंसू टपकने लगे. पहली बार इतना बड़ा लंड उसने अपनी चूत में लिया था.


वह थोड़ी देर बाद शांत हुई तो मैंने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया. अब वह भी दर्द के साथ मजे ले रही थी.


कुछ देर बाद मैंने तगड़े शॉट लगाना चालू कर दिए और जमकर चोदने लगा.


मैं भी बहुत उत्साहित था क्योंकि मुझे बड़े बूब्स, बड़ी गांड और मस्त फिगर वाली औरत को चोदने का मौका मिला था. कुछ ही देर बाद मैं उसे पूरी तबियत से पेलने लगा.


वह भी गांड उठा उठाकर चूत चुदाई के मजे लेने लगी थी.


चुदाई में मस्त होकर वह बोल भी रही थी- आह चोदो मेरे राजा … मुझे जमकर चोद दो … बुझा दो मेरी चूत की आग … मैं ऐसी चुदाई करवाने के लिए सालों से तड़प रही हूं. साला मेरा मर्द मुझे ऐसे कभी चोद ही नहीं पाया. जैसे तू मुझे सांड की तरह चोद रहा है. आज से मैं तेरी ही हूँ, तू जब चाहे तब मुझे चोद सकता हैं.


मैंने भी कह दिया- आज तो मैं तेरी चूत के चिथड़े उड़ा दूंगा … भोसड़ा बना दूंगा. आज तेरी चूत की आग अपने लंड से बुझा दूंगा. तुझ जैसी मस्त माल को मैं मेरी रंडी बनाकर चोदता रहूँगा.


उसने भी चूत चुदवाते हुए कहा- हां, तू मुझे रोज ऐसे ही चोद देना. मैं तेरी रंडी बनकर रोज चुदवाऊंगी … मेरी चूत के मालिक … चोद दे मुझे … आह और जोर से चोद … आह. मैं उसे चोदता रहा और वह इस बीच दो बार झड़ चुकी थी.


अब मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा तो वह झट से घोड़ी बन गई. मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया और उसकी बड़ी सी गांड को दोनों हाथों में थाम कर उसे चोदने लगा.


मुझे उसे चोदते हुए काफी समय हो गया था, अब मैं भी अपनी अंतिम सीमा पर आ गया था. मैंने उससे पूछा- मेरी जान, माल कहां निकालूँ?


उसने कहा- मेरी चूत में ही निकाल दो मेरे सरताज … सालों से मेरी चूत बिना लंड के सूखी हुई थी. आज तुमने लंड पेल दिया तो तुम ही गीली भी कर दो. तुम ही मालिक हो इस चूत के … आह. मुझे उसके चेहरे पर ख़ुशी साफ साफ दिख रही थी.


मैंने झटके के साथ वीर्य की लंबी लंबी पिचकारियां उसकी चूत में छोड़ना चालू कर दीं. उसकी चूत मेरे वीर्य से भरके सराबोर हो गई और मैं निढाल होकर उसी के ऊपर गिर गया. वह मेरे बालों में प्यार से हाथ फेर रही थी.


मेरा लंड सिकुड़ चुका था. हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपके पड़े थे.


वह इस जबरदस्त चुदाई से बहुत खुश थी और मैं भी!


इसी तरह हम दोनों ने 4 दिनों में कई बार चुदाई की. मैंने उसकी बड़ी गांड भी मारी. वह गांड चुदाई कैसे हुई, उसे आगे की सेक्सी भाभी हिंदी कहानी में बताऊंगा.


दोस्तो, ये मेरी और मेरी मस्त पड़ोसन के बीच हुई सच्ची चुदाई की कहानी थी. सेक्सी भाभी हिंदी कहानी आपको कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताना. मुझे इंतजार रहेगा. धन्यवाद. [email protected]


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